Thursday, 30 August 2007

किसी सर्कल में कंपनियों की संख्या पर पाबंदी न हो : ट्राई

दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कहा है कि किसी भी सर्कल में ऑपरेटरों की संख्या पर पाबंदी नहीं होनी चाहिए। टेलिकॉम लाइसेंसिंग नीति में सुधार पर अपनी सिफारिशों में ट्राई ने स्पेक्ट्रम के आवंटन नियमों के लिए उद्योग और सरकार की भागीदारी वाले बोर्ड के गठन की सलाह दी है।

ट्राई ने कहा कि इस बोर्ड में दूरसंचार विभाग (डॉट), ट्राई, दूरसंचार मंत्रालय की वायरलेस प्लानिंग एंड कॉर्डिनेशन विंग के अलावा ऑपरेटर असोसिएशनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि जीएसएम ऑपरेटरों ने किसी सर्कल में टेलिकॉम ऑपरेटरों की संख्या सीमित करने की मांग की है। उनका कहना है कि पहले से ही स्पेक्ट्रम की कमी है और ज्यादा खिलाड़ियों के होने से सेवा की क्वॉलिटी पर असर पड़ता है।

नियामक ने 10 मेगाहर्ट्ज से अधिक के स्पेक्ट्रम के आवंटन पर एक बार में शुल्क लेने का सुझाव भी दिया है। फिलहाल कंपनी को किसी भी अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के लिए सरकार को अपने राजस्व का एक फीसदी देना पड़ता है।

ट्राई ने ए श्रेणी के सर्कलों मसलन दिल्ली और मुंबई में स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए 80 करोड़ रुपये का शुल्क लेने का सुझाव दिया है। इसी तरह बी श्रेणी के सर्कलों जैसे चेन्नै और कोलकाता के लिए यह राशि 40 करोड़ रुपये और सी श्रेणी के सर्कलों के लिए एक बार में 15 करोड़ रुपये का शुल्क लेने का सुझाव दिया है।

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