Saturday 29 September, 2007

आम जनता को महंगाई से मिली और राहत

नई दिल्ली: आर्थिक मोर्चे पर अच्छी खबरों का सिलसिला अभी थमा नहीं है। शुक्रवार को अगर शेयर बाजार नई बुलंदियों पर बंद हुए, तो महंगाई के मोर्चे पर भी सरकार को और सफलता मिली है। फल-सब्जियों, अंडे, मछली व दालों की थोक कीमतें घटने से गत 15 सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान मुद्रास्फीति की दर और घटकर 3.23 फीसदी के स्तर पर आ गई। इससे पिछले हफ्ते यह 3.32 फीसदी थी। अगर पिछले वर्ष की समान अवधि से तुलना करें तो स्थिति में काफी सुधार नजर आता है। उस समय यह दर 5.27 फीसदी थी। जाहिर है, महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक ने विगत महीनों के दौरान जो कदम उठाए हैं वे अंतत: अच्छे परिणाम देने लगे हैं।
कुछ जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में भी महंगाई की दर 3.5 से 4 फीसदी के बीच ही रहेगी। हां, अगर सरकार कच्चे तेल की कीमतों में भारी तेजी को देखते हुए घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों के दामों को बढ़ाने का फैसला कर लेती है तो इसमें थोड़ा इजाफा हो सकता है। वैसे मौैजूदा राजनीतिक परिवेश में इस बात की संभावना काफी कम है कि सरकार पेट्रोल, डीजल या अन्य पेट्रो उत्पादों की कीमतों को बढ़ाकर कोई खतरा मोल लेगी।
महंगाई की दर पिछले एक महीने से लगातार चार फीसदी से नीचे बनी हुई है। इसके बावजूद कुछ लोगों का मानना है कि यह महंगाई की सही तस्वीर नहीं है। पहली बात तो यह है कि पिछले कई दिनों से रिजर्व बैंक ने रुपये को पूरी तरह उसके हाल पर छोड़ रखा है। इसके चलते डालर के मुकाबले इसकी कीमत पिछले नौ वर्षो के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अर्थविद इस आधार पर महंगाई की दर को वास्तविक नहीं मानते हैं। अब सभी की रुचि इस बात में है कि महंगाई के लगातार 3.5 फीसदी के आसपास बने रहने का ब्याज दरों पर क्या असर पड़ेगा। रिजर्व बैंक आगामी 30 अक्टूबर को वार्षिक मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है। अर्थविदों के मुताबिक अब समय आ गया है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों को नीचे लाने के लिए कदम उठाए।
थोक मूल्य सूचकांक में 22 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले प्राथमिक उत्पादों की कीमतों में 15 सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 0.7 फीसदी की कमी आई है। इसके तहत खाद्य उत्पादों की कीमतों में 1.1 फीसदी और गैर-खाद्य उत्पादों की कीमतों में 0.4 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। थोक मूल्य सूचकांक में 64 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की थोक कीमतें इस हफ्ते स्थिर रही हैं।

रिटेल में निवेश का निर्णय उचित समय में: चिदंबरम

फिलोडेल्फिया/ नई दिल्ली: केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि देश के 330 अरब डॉलर के रिटेल क्षेत्र में विदेशी पर फैसला उचित समय में लिया जाएगा। अमेरिका के दौरे पर गए चिदंबरम पेन्नसिलवेनिया के व्हर्टन स्कूल ऑफ यूनिवर्सिटी में छात्रों से बातचीत कर रहे थे।

चिदंबरम के इस बयान देश में व्यापक प्रतिक्रिया होने की उम्मीद है। देश में इन बड़े बाजारों को लेकर विरोध हो रहा है। कोर्ट ने इसकी समीक्षा क निर्देश देते हुए कहा है कि इन्हें तब ही देशभर में अपने स्टोर खोलने की अनुमति देनी चाहिए, जब यह सुनिश्चित हो कि इनके आने से छोटे व्यापारियों के हित प्रभावित नहीं होंगे।

चिदंबरम ने कहा कि कुछ ही समय बाद बड़े रिटेल को लेकर व्याप्त असुरक्षा की भावना खत्म हो जाएगी और यह क्षेत्र विदेशी निवेश के लिए खोल दिया जाएगा। वित्त मंत्री के इस बयान से उन विदेशी निवेशकों ने राहत की सांस ली है जो केंद्रीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ के उस बयान से चिंतित थे, जिसमें उन्होंने इस क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने में सरकार की अनिच्छा जताई थी। न्यूयार्क में आयोजित इंडिया60 फंक् ,शन में नाथ ने कहा था कि यह मामला और बड़े और छोट के बीच बट गया है। बड़े रिटेलों के आने से छोटे दुकानदार बर्बाद हो जाएंगे। उनके सामने जीविका का संकट आन खड़ा होगा।

उल् लेखनीय है कि रिटेल क्षेत्र में विदेशी निवेश का देश में व्यापक विरोध हो रहा है। यूपी सरकार ने तो बड़े रिटेलरों को राज्य में अपनी दुकाने बंद करने के आदेश दे दिए हैं।

सस्ता कोयला-पन बिजली में मांगी हिस्सेदारी

चंडीगढ़ . पंजाब व हरियाणा में भले ही अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हों, लेकिन बिजली संकट के मसले पर दोनों का रुख एक है। देश के अन्य राज्यों के खाद्यान्न की जरूरतें पूरी करने में अहम योगदान देने वाले इन दोनों राज्यों को एग्रीकल्चर के लिए 9-9 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत है और इसके लिए इन दोनों ने केंद्र से सस्ते कोयले और दूसरे राज्यों के पन बिजली उत्पादन में अपना हिस्सा तय किए जाने की मांग की है। केंद्रीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे की अध्यक्षता में बिजली मंत्रियों के सम्मेलन में हरियाणा के बिजली मंत्री रणदीप सुरजेवाला व पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने मांग उठाई थी कि बिजली संकट से जूझ रहे दोनों को सस्ता कोयला मिले और दूसरे राज्यों के पन बिजली उत्पादन में उनका हिस्सा तय किया जाए।

क्या है वजह :

उत्तराखंड व हिमाचल ने केंद्र से पन बिजली उत्पादन में 12 फीसदी के बजाय 20 फीसदी बिजली मुफ्त देने का आग्रह किया। झारखंड व छत्तीसगढ़ ने भी कोयले पर रायल्टी बढ़ाने पर जोर दिया।

बिजली उत्पादन-मुख्य बिंदु बिजली की पैदावार बढ़ाने के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया गया है। इसका मकसद समय पर प्रोजेक्ट पूरे कराना, नए प्रोजेक्ट्स के लिए पैसे की व्यवस्था कराना, कोयले में 40 फीसदी राख की हैंडलिंग और नई परियोजनाओं की वजह से विस्थापित परिवारों के पुनर्वास का बंदोबस्त करना है।

>>1.47 लाख मेगावाट पन बिजली पैदा हो सकती है देश में >> पिछले 60 साल में पन बिजली की पैदावार है 34 हजार मेगावाट >> वर्ष 2011-12 तक बिजली की खपत बढ़ कर 9.6 फीसदी हो जाएगी। >> देश को चाहिए 7 लाख 55 हजार 847 मिलियन यूनिट बिजली >> मार्च 2007 तक 66 हजार 92 मिलियन यूनिट बिजली की कमी थीं

हरियाणा का किसान शरीर गला कर देश का पेट भरने के लिए अनाज की पैदावार बढ़ाता है, इसके लिए हरियाणा को प्रोत्साहन मिलना चाहिए।

पंजाब देश का पेट भरने के लिए गेहूं-चावल पैदा करता है। ऐसे में बिजली संकट दूर करने के लिए पंजाब को केंद्र से बिजली के दो बड़े प्रोजेक्ट मिलने चाहिए।

होम लोन: बेहतर क्या? फिक्स्ड या फ्लोटिंग

नई दिल्ली: एचडीएफसी ने 31 अक्टूबर तक सभी नए होम लोनों पर ब्याज दरों में 0.5 फीसदी की कटौती कर दी है। एचडीएफसी की यह घोषणा खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। हालांकि, इससे एचडीएफसी के पुराने होम लोन ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा। साथ ही बैंक ने पीएलआर भी 14 फीसदी पर बरकरार रखी है।

एचडीएफसी के ब्याज दर घटाने से होम लोन लेने के इच्छुक लोगों को काफी राहत मिली है। पिछले कुछ सालों के दौरान होम लोन की ब्याज दरों में काफी उतार-चढ़ाव आया है। 2000 में होम लोन पर ब्याज दरें जहां 14 फीसदी प्रतिशत के स्तर पर थीं, वहीं 2003 में यह घटकर 7 फीसदी रह गईं। जनवरी-2007 में यह 10 से 12 फीसदी के स्तर पर थीं। तो आप क्या जानना चाहते हैं कि क्या ब्याज दरें और बढ़ सकती हैं? अगर आप तुरंत होम लोन लेना चाहते हैं, तो फ्लोटिंग या फिक्स रेट में से किसका चयन करें। विशेषज्ञों का मानना है कि आज की तारीख में भी फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लेना ज्यादा सुरक्षित विकल्प है।

ब्याज दरें और नहीं बढ़ेंगी

उद्योग जगत के ज्यादातर विशेषज्ञों की राय है कि ब्याज दरें अब स्थिर रहेंगी और इनमें इजाफा नहीं होगा। पब्लिक सेक्टर के बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यदि ब्याज दरें और बढ़ जाती हैं, तो इससे ग्राहकों की जेब पर और असर पड़ेगा। इससे पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और कॉरपोरेट सेक्टर भी दबाव में आ जाएगा। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों की स्थिति के बारे में हमें वास्तविक जानकारी नवंबर में ही मिल पाएगी। फिलहाल होम लोन की मांग कम है। नवंबर में त्योहारी सीजन में इसकी मांग बढ़ती है। वैसे अगर ब्याज दरें बढ़ती भी हैं, तो इनमें 0.25 से 0.5 फीसदी का इजाफा ही होगा।

फिक्स्ड रेट पर देना होता है अधिक प्रीमियम

होम लोन में इतने ज्यादा उतार-चढ़ाव के बाद लोग सोचते हैं कि उन्हें फिक्स्ड रेट का ही चयन करना चाहिए। हालांकि, फिक्स्ड रेट पर लोन 1.5 से 2 फीसदी महंगा पड़ता है, पर ग्राहकों को उतार-चढ़ाव से मुक्ति मिल जाती है। पर यह सिक्के का केवल एक ही पहलू है। होम लोन एक्सपर्ट और अपना लोन डॉट कॉम के सीईओ हर्ष रुंगटा के मुताबिक, अभी तक यह माना जाता था कि हमें पारदर्शी फ्लोटिंग रेट का चुनाव करना चाहिए। फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट के बीच अंतर 2.25 फीसदी बैठता है, जो काफी बड़ा अंतर है। रुंगटा मानते हैं कि फ्लोटिंग रेट के 13 से 13.25 फीसदी पर आने तक ग्राहकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है और उन्हें बेझिझक फिक्स्ड रेट का चुनाव करना चाहिए।

फिक्स नहीं है फिक्स्ड रेट

भारत में फिक्स्ड रेट फिक्स नहीं है। यह भी हो सकता है कि ब्याज दरें घटने के बावजूद आपका फ्लोटिंग रेट न घटे। यहां फिक्स्ड रेट और वास्तविक फिक्स्ड रेट के अंतर को जानना जरूरी है। ऐसा फिक्स्ड रेट जो बाजार परिस्थितियों पर निर्भर है, उसमें बदलाव हो सकता है। यानी कि बैंक या होम लोन कंपनियां बाजार में बड़ा बदलाव आने की स्थिति में इस रेट से छेड़छाड़ कर सकते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अगस्त 2005 में री-सेट क्लॉज लागू किया। यह 2 साल की अवधि के लिए है। इसी तरह केनरा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का री-सेट क्लॉज 5 साल की अवधि के लिए है। ऐसे मामले में जब री-सेट क्लॉज लागू नहीं होता है, तो इसमें फ्लोटिंग रेट की ब्याज दरें बढ़ने पर रेट में बदलाव नहीं आता। वहीं दूसरी ओर ट्रू फिक्स्ड रेट के मामले में बैंक या वित्तीय संस्थान ब्याज दरों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते। एचडीएफसी जैसे कुछ संस्थान ट्रू फिक्स्ड रेट प्रॉडक्ट देते हैं। फिक्स्ड या फ्लोटिंग में से किसका चयन करें, इसका जवाब आसान नहीं है। यदि आपने 2003 में होम लोन लिया होता, जब ब्याज दरें 7 फीसदी पर थीं, तो आपके लिए फिक्स्ड रेट पर लोन लेना अच्छा होता, क्योंकि ब्याज दरें इसमें नीचे तो शायद ही आएं। अब जबकि होम लोन पर ब्याज दरें शिखर पर हैं, तो ऐसे में फ्लोटिंग रेट का चयन बेहतर विकल्प है।

Friday 28 September, 2007

ताईवानी बैंक ने अपनाया टीसीएस का बैंकिंग साल्यूशन

नई दिल्ली: देश की प्रमुख आईटी कंपनी टीसीएस ने गुरुवार को कहा है कि ताईवान की पान्हसिन बैंक ने उसका बैंकिंग साल्यूशन लागू कर दिया है। टीसीएस द्वारा विकसित टीसीएस बाएनसीएस कोर बैंकिंग साल्यूशन सिस्टम २४/७ क्लाइंट को पूरे विश्वास के साथ बैंकिंग साल्यूशन उपलब्ध कराता है।

इसे लागू करने के बाद अब बैंक ऑफ पेन्हसिन अपनी सभी शाखाओं और लाइन का व्यवस्थित संचालन कर सकता है। इसे लागू करने में 18 महीने का समय लगा। पेन्हसिन बैंक की 47 शाखाएं हैं। इसकी कुल परिसंपत्तियां 5.6 अरब डॉलर की हैं।

रिटेल बाजार विदेशी निवेशकों के लिए खोलेंगे:

वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि भारत अपने 330 अरब डॉलर के रिटेल बाजार को विदेशी निवेशकों के लिए खोलेगा। सरकार छोटे दुकानदारों को समझाने की कोशिश करेगी कि बड़ी कंपनियों के रिटेल क्षेत्र में आने से उनकी रोजी-रोटी पर असर नहीं पड़ेगा। चिदंबरम ने पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हॉर्टन स्कूल के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि समय आने पर उनका डर समाप्त हो जाएगा। अब यह केवल समय की ही बात है कि रिटेल क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी जाएगी।

इस मुद्दे पर राजनीतिक विरोध जगजाहिर है। लाखों छोटे रिटेलर भी इस कदम का विरोध कर रहे हैं। चिदंबरम ने धीरूभाई अंबानी ऑडिटोरियम में एकत्र छात्रों को बताया कि अनुभव से पता चलता है कि संगठित रिटेल से छोटे रिटेलरों पर कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन छोटे रिटेलरों के मन में भय है, जिसे दूर किया जाएगा। इस सप्ताह की शुरुआत में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ ने कहा था कि मामला रिटेल क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति नहीं देने का है, बल्कि छोटे रिटेलर बनाम बड़े रिटेलर का है।

बातचीत के दौरान चिदंबरम ने कहा कि हालांकि महंगाई की दर 5 साल के न्यूनतम यानी 3.32 फीसदी पर आ चुकी है, पर इसके बावजूद प्राथमिक खाद्य उत्पादों की बढ़ती कीमतें चिंता का विषय हैं।

निवेशकों को सोच-समझकर निवेश करने की सलाह

नई दिल्ली: ऐसे समय में जब शेयर सूचकांक नित नए रिकार्ड बना रहे हैं, शेयरों के भाव भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अत: निवेशकों को सोच-समझकर और कंपनी के बारे में पुख्ता जानकारी होने पर ही निवेश करना चाहिए। यह हिदायत कारपोरेट मामलों के मंत्री प्रेमचंद गुप्ता ने छोटे निवेशकों को दी है।
निवेशक जागरूकता माह के तहत बृहस्पतिवार को यहां आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद संवाददाताओं के साथ बातचीत में गुप्ता ने कहा कि निवेशकों को सुनी-सुनाई बातों और अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि निवेशकों की सुविधा और सुरक्षा के लिए वेबसाइट शुरू की गई है। इसमें दोषी कंपनियों और निदेशकों के बारे में भी जानकारियां दी गई हैं। निवेशक इससे भी फायदा उठा सकते हैं।
गुप्ता ने बृहस्पतिवार को यहां निवेशकों को जागरूक बनाने और शिक्षित करने के लिए एक नई वेबसाइट 'आईईपीएफजीओवी.इन' का उद्घाटन किया। वेबसाइट की शुरुआत निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष के जरिए की गई है। गुप्ता ने इस मौके पर यह भी कहा कि म्यूचुअल फंड में निवेशकों की शिकायतों के बारे में और मजबूत व्यवस्था करने को लेकर वह आवश्यक कदम उठाएंगे।
निवेशकों की शिकायतों के निपटारे के लिए एक वर्ष पहले शुरू की गई इनवेस्टर हेल्पलाइन डाट इन के निदेशक डी.के.जैन ने इस बात का खुलासा किया कि म्यूचुअल फंड के मामले में 92 प्रतिशत शिकायतों के बारे में कोई जवाब नहीं मिला है।

नौं साल में अपने सर्वोच्च स्तर पर रुपया

मुंबई: एशियाई बाजार से आए अच्छे संकेत और देश मंे लगातार बढ़ते पूंजी निवेश के चलते गुरुवार को रुपया पिछले नौ सालों के अपने सर्वोच्च स्तर पर जा पहुंचा है। हालांकि मुद्रा बाजार से जुड़े लोगों आशंका है कि इसमें रिजर्व बैंक हस्तक्षेप कर सकता है।

आज सुबह करीब 10 बजे एक डॉलर का मूल्य 39.66/६७ रुपए था। इससे पहले अप्रैल 1998 में एक डॉलर का मूल्य 39.62 रुपए था। हालांकि बुधवार के कारोबारी दिवस में रुपया 39.700 पर बंद होने से पहले इस स्तर को पार कर गया था।

एक विदेशी बैंक से जुड़े प्रमुख डीलर के अनुसार रुपया अभी और मजबूत होने की स्थिति में दिख रहा है। हालांकि अभी लग रहा है कि सेंसेक्स में आया उछाल कुछ ज्यादा ही है। ज्ञातव्य है कि सेंसेक्स आज के पहले कारोबारी सत्र में ही बेहतर स्थिति में आकर फिर 17,000 के आंकड़े को पार कर गया।

आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच दिनों में विदेशी फंड ने 1.9 अरब डॉलर के भारतीय शेयर खरीदे। इसके साथ ही 2007 में अब तक विदेशी निवेश 11.7 अरब डॉलर हो गया है। हालांकि अभी रिजर्व बैंक इस स्थिति में हस्तक्षेप कर सकती है।

Thursday 27 September, 2007

ब्रिटेन में बड़ी भूमिका निभाने को आतुर टाटा

इजमुइडेन (हालैंड): टाटा समूह ब्रिटेन के आटो मोबाइल उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का इच्छुक है।
टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने कोरस के नए अनुसंधान एवं विकास केंद्र का उद्घाटन करने के बाद कहा कि हम ब्रिटेन के आटोमोबाइल बाजार में बड़ी उपस्थिति दर्ज करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन का आटोमोबाइल उद्योग और उसकी क्षमताएं काफी ज्यादा है।
गौरतलब है कि टाटा समूह यूरोप में फोर्ड मोटर्स की लग्जरी कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को खरीदने की कोशिशों में जुटी चार कंपनियों में से एक है। विश्लेषकों का मानना है कि इन दोनों ब्रांडों की साझा कीमत 1.5 अरब डालर होगी। इस संबंध में टाटा ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
इस्पात उद्योग के सुदृढ़ीकरण के बारे में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अभी भी सुदृढ़ीकरण के कई मामले सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि टाटा समूह ने भी अधिग्रहण के लिए कई कंपनियों को लक्ष्य बनाया है जो हमारे सांचे में फिट बैठते हैं। टाटा ने इस संबंध में विस्तृत विवरण नहीं दिए।

रुपये की मजबूती से चिंतित है भारत: चिदंबरम

वाशिंगटन: वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपये में आई मजबूती से भारत काफी चिंतित है और यदि यही असंतुलित मौद्रिक गतिविधि जारी रही तो रिजर्व बैंक को हस्तक्षेप करना होगा।
चिदंबरम ने कहा कि हमारी मुद्रा का अमेरिकी मौद्रिक दर से सीधा संबंध है। यूरो और अन्य कई मुद्राओं के मुकाबले रुपया स्थिर है। केवल डालर के मुकाबले यह पिछले आठ से नौ महीनों के दौरान लगभग दस से साढ़े दस प्रतिशत मजबूत हुआ है।
उन्होंने यहां पीटरसन इंस्टीच्यूट फार इंटरनेशनल इकानामिक्स के एक सत्र में कहा कि मौद्रिक दरों के दोतरफा प्रवाह की नीति तो है लेकिन खास बात यह है कि प्रवाह सुचारू रूप से होना चाहिए।

तीन साल में दोगुना बढ़ जाएगा म्यूचुअल फंड कारोबार

नई दिल्ली: देश का म्यूचुअल फंड कारोबार 30 फीसदी की वार्षिक चक्रवृद्धि विकास दर के साथ अगले तीन साल में इस समय के 4.67 लाख करोड़ रुपये से दोगुने से अधिक बढ़कर 9.50 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है।
उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम ने म्यूचुअल फंडों के विकास वृत्ति पर जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि जागरूकता और निश्चितता बढ़ने से इन कोषों में लोगों का रुझान बढ़ रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बचत के साधन के रूप में जिस तरह म्यूचुअल फंडों को प्राथमिकता दे रहे हैं। उसे देखते हुए 2010 तक इसकी पहुंच इस समय के चार फीसदी से दोगुनी अधिक बढ़ सकती है।
एसोचैम के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत का कहना है कि 1999 से 1998 के बीच साझा कोषों के बाजार में 25 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से विकास के बावजूद खासकर खुदरा निवेशकों की रुचि बढ़ने से इसकी विकास दर में और अधिक वृद्धि होने की उम्मीद है।
म्यूचुअल कोषों के 4.67 लाख करोड़ रुपये के कुल बाजार में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी इस समय 82 फीसदी है। संयुक्त उपक्रम के तहत विदेशी कंपनियों से साझेदारी के कारण इन कंपनियों की हिस्सेदारी घट कर लगभग 70 फीसदी रह जाने की संभावना है।
धूत ने कहा कि म्यूचुअल फंड बाजार में सार्वजनिक कंपनियों की भागीदारी इस समय 10 प्रतिशत से भी कम है जिसके 20 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है। इसी तरह आने वाले सालों में इस बाजार में संयुक्त क्षेत्र की हिस्सेदारी इस समय के आठ फीसदी से बढ़ कर 10 प्रतिशत हो जाने की संभावना है।
एसोचैम का कहना है कि हालांकि घरेलू साझा कोष उद्योग पिछले तीन सालों में अच्छी खासी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अगर अमेरिका से तुलना करें तो यह अब भी अमेरिकी म्यूचुअल फंड बाजार से 100 गुना पीछे है।
अमेरिकी म्यूचुअल फंड बाजार भारत के 4.67 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले लगभग 12 खरब डालर का है। अमेरिका में म्यूचुअल फंडों की पहुंच भारत के महज चार फीसदी के मुकाबले 49 फीसदी है। ब्रिटेन में इसकी पहुंच 20 फीसदी है। भारत में जहां इस समय 700 साझा कोष योजनाएं हैं वहीं अमेरिका में इनकी संख्या 12 हजार से अधिक हैं।

भारत में व्यापार करना आसान हुआ

नई दिल्ली : लगातार आर्थिक सुधारों से विश्व परिदृश्य में भारत की स्थिति काफी मजबूत हुई है। खासकर सीमापार व्यापार के मामले में। पर इसके बावजूद अन्य देशों की तुलना में भारत में व्यापार करना आसान नहीं है। विश्व बैंक और इसकी निजी क्षेत्र की सहायक आईएफसी की डूइंग बिजनेस 2008 रिपोर्ट के अनुसार भारत इस मामले में 120वें स्थान पर है। पिछले साल की तुलना में भारत की स्थिति में 12 पायदानों का सुधार हुआ है।

पर खास बात यह है कि भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और चीन के अलावा कुछ कम गिने जाने वाले देश मसलन टोंगा, इथियोपिया, मंगोलिया, घाना, एंटीगुआ और बारबूडा भी सूची में भारत से आगे हैं। सिंगापुर लगातार दूसरे साल सूची में टॉप पर रहा है।

सिंगापुर के बाद न्यूजीलैंड, अमेरिका, हांगकांग, डेनमार्क, ब्रिटेन, कनाडा, आयरलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का नंबर आता है।

कुछ अन्य देश जहां कारोबार करना आसान माना जाता है, उनमें जापान, थाइलैंड, स्विट्जरलैंड और जर्मनी शामिल हैं।

हालांकि, सीमापार व्यापार के मामले भारत को सबसे बड़ा सुधारक माना गया है। पर कुल आर्थिक सुधारों के मामले में मिस्र टॉप पर है। उसके बाद क्रोएशिया, घाना, जॉर्जिया, कोलंबिया, सऊदी अरब, केन्या, चीन और बुल्गारिया का नंबर आता है। भारत इस सूची में शामिल नहीं हैं।

Wednesday 26 September, 2007

दो खरब की संपत्ति वाले पहले भारतीय बने मुकेश

मुंबई: रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी देश के ऐसे पहले व्यक्ति बन गए, जिनके पास दो खरब रुपये से अधिक की अथाह संपत्ति है।
समूह की कंपनियों में हिस्सेदारी के आधार पर अंबानी की कुल संपत्ति मंगलवार को शेयर बाजार में कारोबार बंद होने तक बढ़कर 2,04,945 करोड़ रुपये हो गई। इस प्रकार भारत के सबसे अमीर उद्योगपति के रूप में उन्होंने अपनी स्थिति और मजबूत की है। मुकेश के छोटे भाई अनिल अंबानी 1,17,710 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर हैं। उन्होंने डीएलएफ के केपी सिंह से कुछ ही अंतर से बढ़त बनाई है। केपी सिंह के पास 1,15,225 करोड़ रुपये की संपत्ति है। अंबानी बंधु और सिंह ही देश के तीन खरबपति हैं। समूह की विभिन्न कंपनियों में प्रमोटर के रूप में हिस्सेदारी के आधार पर इस संपत्ति का आकलन किया गया है।
दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के सुनील मित्तल भी खरबपतियों के क्लब में शामिल होने की ओर बढ़ रहे हैं। उनके पास फिलहाल 91,500 करोड़ रुपये की संपत्ति है। विप्रो के अजीम प्रेमजी कभी सबसे अमीर भारतीय हुआ करते थे। प्रेमजी 50,600 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ पांचवें स्थान पर हैं।

RBI ने विदेशी निवेश के नियमों को उदार किया

मुंबई : विदेशी मुद्रा के जबर्दस्त भंडार और डॉलर के मुकाबले रुपये में तेजी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को विदेशी निवेश के नियमों में ढील दे दी। उसने भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के अग्रिम भुगतान की सीमा बढ़ाने के अलावा वैयक्तिक स्तर पर विदेशी निवेश की सीमा दोगुनी कर 2 लाख डॉलर सालाना कर दी है। उदार किए गए नियमों के मुताबिक कंपनियां अब आरबीआई की मंजूरी के बिना 50 करोड़ डॉलर तक का अग्रिम भुगतान कर सकती हैं। पहले यह सीमा 40 करोड़ डॉलर थी। एपेक्स बैंक ने वैयक्तिक स्तर पर विदेशी निवेश की सीमा 1 लाख डॉलर से बढ़ाकर 2 लाख डॉलर सालाना कर दी है। घरेलू म्यूचुअल फंडों की विदेशी निवेश की सीमा भी 4 अरब डॉलर से बढ़ाकर 5 अरब डॉलर कर दी गई है।

वर्ल्ड इकॉनामी ग्रोथ को झटका

नई दिल्ली: इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड ( IMF ) के अनुसार अमेरिकी सबप्राइम संकट से उपजी ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस से दुनिया के सभी देशों की इकॉनमी ग्रोथ प्रभावित होगी। सबप्राइम संकट का वर्ल्ड इकॉनमी पर असर अनुमान से ज्यादा हुआ है। इसने कई देशों की इकॉनमी की स्थिति खराब कर दी है, जिससे उबरने में उन्हें काफी समय लगेगा। ऐसे में इस साल पूरे विश्व की इकॉनमी ग्रोथ अनुमानित 4.9 फीसदी से कम हो सकती है।

अपनी ताजा ग्लोबल फाइनेंशियल स्टैबलिटी रिपोर्ट में IMF ने कहा है कि मार्केट में लिक्विडिटी को लेकर रिस्क पहले की तुलना कहीं ज्यादा हो गया है। केंद्रीय बैंकों के सामने यह समस्या है कि वह किस तरह से मार्केट में संतुलन बनायें। मनी फ्लो को किस स्तर पर रखें ताकि बाजार में और ज्यादा हड़बड़ी का वातावरण न बनें।

IMF ने कहा है कि सबप्राइम संकट से पूरे दुनिया में 'लोन मार्केट' काफी प्रभावित हुआ है। देशों ने लोन को लेकर हाई रिस्क लेना बंद कर दिया है। वे लोन देते समय उसकी वसूली सुनिश्चित करने के गणित में जुट गए हैं। यही कारण है कि सभी देशों के केंदीय बैंक लोन पर इंटरेस्ट रेट घटाने या बढ़ाने को लेकर काफी सोच विचार कर रहे हैं। वे फिलहाल वैट एंड वॉच की रणनीति अपनाए हुए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सबप्राइम संकट का असर दुनिया के मार्केट में इसलिए ज्यादा पड़ा, क्योंकि क्रेडिट को लेकर कई देशों ने काफी उदार नीति अपना रखी थी। बाजार में लिक्विडिटी ज्यादा होने के कारण देशों को इस संकट का सामना करने में काफी परेशानी हो रही है। IMF ने अपनी रिपोर्ट में किसी खास देश का नाम नहीं लिया है, पर एशियाई देशों के बाजार की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो देश उबरती अर्थव्यवस्था के दौर से गुजर रहे हैं कि उन्हें काफी संभलने की जरूरत है। इन देशों को सबसे अधिक ध्यान महंगाई की दर को कंट्रोल करने और इंटरेस्ट रेट को तर्कसंगत बनाने में देना होगा। उन्हें लोन टारगेट तय करके उसको अमल में लाना होगा। अमेरिका जैसे आर्थिक रूप से शक्तिशाली देश में हुई घटना से अन्य देशों को सबक लेना होगा, जहां पर हाई रिस्क पर और अधिक लोन देने के कारण सारा मामला गड़बड़ा गया है।

भारत-जर्मन व्यापार 15.63 प्रतिशत बढ़ा

नई दिल्ली: भारत एवं जर्मनी के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2007 की पहली छमाही में दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार 15.63 प्रतिशत बढ़कर 7.62 अरब डालर के स्तर पर पहुंच गया। इंडो-जर्मन चैंबर आफ कामर्स ने यह जानकारी दी।
आईजीसीसी द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि जनवरी-जून 2007 के दौरान भारत से जर्मनी को निर्यात 12.64 प्रतिशत बढ़कर 3.18 अरब डालर हो गया, जबकि इसी अवधि में जर्मनी से आयात 4.44 अरब डालर आंका गया। पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच 13 अरब डालर का व्यापार हुआ था।

Tuesday 25 September, 2007

विनियम दर में हस्तक्षेप नहीं-कमलनाथ

न्यूयार्क- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि भारत मुक्त विनियम नीति पर चल रहा है और अपने उद्योगों के फायदे के लिए विदेशी विनियम बाजार में चीन जैसा हस्तक्षेप नहीं करना चाहता।

कमलनाथ ने भारत की स्वतंत्रता के 60 वर्ष के उपलक्ष्य में न्यूयॉर्क में आयोजित एक परिचर्चा में कहा कि चीन विनिमय दर को दिशा देता रहता है, लेकिन हमने इसे बाजार पर छोड़ दिया है। मुझे नहीं लगता कि सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। हमने सुधार प्रक्रिया के तहत हस्तक्षेप की नीति बंद कर दी है।

उन्होंने कहा कि इस नीति से भारतीय उद्यमियों को तकलीफ हो सकती है, लेकिन इसका मुकाबला कार्यकुशलता और लागत में कमी के जरिए किया जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रुपए की कीमत जनवरी 07 से डॉलर के मुकाबले 11 प्रतिशत और पिछले एक वर्ष में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। निर्यातक इससे अपना कारोबार प्रभावित होने की बात कर रहे है।

चिदंबरम को नौ फीसदी विकास दर का भरोसा

नई दिल्ली: औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार काफी धीमी पड़ने के बावजूद वित्त मंत्री पी चिदंबरम को भरोसा है कि देश की आर्थिक विकास दर नौ फीसदी के आसपास ही रहेगी।
एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती पर तुरंत कोई राय नहीं बनानी चाहिए। इस साल जुलाई में यह बीते साल के 13.4 फीसदी के मुकाबले घटकर केवल 7.1 प्रतिशत रह गई थी। वित्त मंत्री ने यह भी कहा, 'चालू वित्त वर्ष अच्छा साबित होगा।
रिजर्व बैंक की भविष्यवाणी के मुताबिक आर्थिक विकास दर घटकर 8.5 प्रतिशत रह जाने के बारे में मैं कुछ नहीं जानता। मेरा मन कहता है कि यह नौ प्रतिशत तक रहेगी। साल के आखिर में यही नतीजा सामने होगा।'
वर्ष 2006-07 में आर्थिक विकास दर 9.4 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही। पिछले कई सालों में पहली बार यह इस स्तर पर पहुंची है। वित्त मंत्री ने कहा कि उनके पास जो आंकड़े उपलब्ध हैं उससे यह पक्का है कि देश में निवेश की रफ्तार अब भी काफी तेज है, इसलिए अंतिम नतीजे आने तक प्रतीक्षा की जानी चाहिए।

बांडों के जरिए 59000 करोड़ की उधारी लेगी सरकार

नई दिल्ली: सरकार मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान निर्धारित तिथि वाली प्रतिभूतियां जारी कर 59 000 करोड़ रुपए की उधारी लेगी।
सांकेतिक कैलेंडर के मुताबिक सरकार पहली छमाही में पहले ही 97000 करोड़ रुपए की उधारी ले चुकी है और इस वित्त वर्ष के दौरान कुल बाजार उधारी 156000 करोड़ रुपए का होगी। सरकार अक्तूबर और नवंबर चार-चार और दिसंबर जनवरी और फरवरी में दो-दो निर्धारित तिथि वाली प्रतिभूतियां जारी करेगी। कैलेंडर के मुतबिक अक्तूबर में 18000 करोड़ रुपए, नवंबर में 15000 करोड़ रुपए, दिसंबर में 7000 करोड़ रुपए, जनवरी में 10000 करोड़ रुपए और फरवरी में 9000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। हालांकि बाजार के हालात के आधार पर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक इसमें परिवर्तन भी कर सकती है।

अब फ्लोटिंग ब्याज दर पर भी मिलेगा कार लोन

मुंबई: कारों व विभिन्न उपकरणों के वास्ते लोन लेने वालों के लिए अच्छी खबर है। दरअसल, अब इस तरह के लोन पर फ्लोटिंग ब्याज दर की भी पेशकश की जाने लगी है जिससे उन्हें अब अपेक्षाकृत कम ब्याज का विकल्प भी मिल गया है।
देश में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई ने इस दिशा में कदम उठाया है। आईसीआईसीआई बैंक ने इसी माह से यह सुविधा शुरू कर दी है। कारों व उपकरणों के लोन पर फ्लोटिंग ब्याज दर फिलहाल फिक्स्ड दर से आधा प्रतिशत कम है।
आईसीआईसीआई देश का पहला निजी बैंक है जो कारों, वाणिज्यिक वाहनों, निर्माण उपकरणों और प्रोफेशनलों के पसंदीदा उपकरणों के वास्ते लिए जाने वाले लोन पर फ्लोटिंग और फिक्स्ड दोनों ही ब्याज दरों की पेशकश कर रहा है।
बैंक ने यहां जारी एक वक्तव्य में कहा है कि फ्लोटिंग दर दरअसल फ्लोटिंग रेफरेंस रेट (एफआरआर) से जुड़ा हुआ है। बैंक इसी बेंचमार्क (मानक) का इस्तेमाल अपने आम ग्राहकों के लिए मान्य फ्लोटिंग दर वाले ऋणों के लिए करता है।
बैंक के वाहन ऋण डिवीजन के प्रमुख एन आर नारायणन ने कहा कि फ्लोटिंग दर वाले लोन के साथ हम ग्राहकों को एक और अभिनव पेशकश कर रहे हैं। इससे वे ग्राहक निश्चित तौर पर आकर्षित होंगे जो ब्याज दरों को लेकर सकारात्मक नजरिया रखते हैं।

Monday 24 September, 2007

रुपये की मजबूती बनी प्रवासी भारतीयों की मुश्किल

दुबई : रुपये की मजबूती कइयों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। प्रवासी भारतीय भी इसकी गिरफ्त में हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर के कमजोर होने से कतर की मुदा रीयाल भी रुपये के सामने पानी भरने लगी है। इसने यहां नौकरी करने वाले भारतीयों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। ऐसे लोग घर पैसे भेजते हैं। इसके लिए उन्हें रीयाल को बेचकर रुपये में तब्दील करना पड़ता है। रुपये की मजबूती के चलते उन्हें रीयाल बदले कम रुपये हासिल हो रहे हैं। जाहिर है ऐसे लोगों द्वारा घर भेजे जाने वाले पैसे में कमी आ रही है।

यहां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के लिए मनी एक्सचेंज का काम करने वाली एजेंसी ट्रस्ट एक्सचेंज के जनरल मैनेजर ब्रह्मा राव ने बताया - यहां रुपये की मजबूती का रिमिटेंस पर कितना असर पड़ा है, इसका पूरा आंकड़ा इस महीने के आखिर तक मिल पाएगा। पर इतना तो यह है कि इसने रिमिटेंस पर बुरा असर डाला है। रिमिटेंस वह पैसा है जो प्रवासी भारतीय अपने घर भेजते हैं।

दरअसल, डॉलर गुरुवार को 40 रुपये से भी नीचे आ गया था। इस वजह से रीयाल भी रुपये के सामने कमजोर हो गया है। शुक्रवार को एक रीयाल की कीमत महज 10.88 रुपये रह गई। हाल तक इसकी कीमत 11 रुपये थी और 5 साल पहले 13.54 रुपये।

गौरतलब है कि रुपये की मजबूती की वजह से भारत एक्सपोर्टर भी खासे परेशान हैं। एक्सपोर्टरों का कहना है कि उनके ज्यादातर पेमेंट डॉलर में होते हैं। डॉलर के कमजोर होने से उनके मुनाफे पर बुरा असर पड़ रहा है।

तेल कंपनियों की बल्ले-बल्ले

नई दिल्ली : रुपये की बेहतर होती सेहत तेल कंपनियों के लिए किसी जश्न से कम नहीं है। मध्यावधि चुनाव की चर्चा और लगातार नई ऊंचाइयां छूते कच्चे तेल के दाम के बीच तेल कंपनियों को रुपये की मजबूती का ही सहारा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 84 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुके हैं। भारतीय खरीद मूल्य भी 76 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा के बयान के बाद पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने की अटकलें करीब-करीब खत्म हो चुकी हैं। ऐसे में तेल कंपनियों की अंडर रिकवरी 65000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशंका जताई गई थी। लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपये की रेकॉर्ड मजबूती की वजह से उनका यह बोझ हल्का होकर 55000 करोड़ रुपये के पुराने अनुमान पर ही बना हुआ है।

गौरतलब है कि साल के शुरू में कच्चे तेल का भारतीय खरीद मूल्य शुरू में 53 से 54 डॉलर के आसपास था। यह सितंबर तक करीब 20 डॉलर बढ़कर 74 से 76 डॉलर तक पहुंच चुका है। इतनी बढ़ोतरी के बावजूद यदि तेल कंपनियों का अंडर रिकवरी अनुमान पुराने स्तर पर बना हुआ है, तो इसके पीछे रुपये की मजबूती का ही प्रभाव माना जा रहा है।

गौरतलब है कि देश में पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की जरूरतें पूरी करने के लिए कंपनियां कच्चे तेल का आयात करती हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर के कमजोर होने से इन कंपनियों का आयात सस्ता हुआ है।

अभी और घूमेगा सेंसेक्स की तेजी का पहिया

नई दिल्ली: ग्लोबल गतिविधियों ने 22 सितंबर को समाप्त सप्ताह में सेंसेक्स को 16 हजार की नई बुलंदी पर पहुंचा दिया। बंबई शेयर बाजार के संवेदी सूचकांक को रफ्तार देने में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती, विदेशी संस्थागत लिवाली तथा मुद्रास्फीति में कमी प्रमुख वजहें रहीं। बाजार विश्लेषकों को देश के शेयर बाजारों का पहिया आगामी सप्ताह भी तेजी से घूमते रहने की उम्मीद है।
फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के फैसले का दलाल स्ट्रीट पर काफी स्वागत हुआ। इससे लगातार पांचवें सप्ताह ऐतिहासिक ऊंचाइयों को छूते हुए सेंसेक्स 16000 अंक के स्तर को लांघ गया। निफ्टी भी 4000 अंक के स्तर को लांघकर बंद हुआ। सेंसेक्स में लगातार पांच सप्ताहों में 2422.21 अंक अथवा 17.13 प्रतिशत की तेजी आई। संवेदी सूचकांक 16616.84 अंक के अब तक के उच्चतम स्तर को छूने के बाद 960.43 अंक अथवा 6.16 प्रतिशत की तेजी के साथ सप्ताहांत में 16564.23 पर बंद हुआ। पिछले सप्ताहांत यह 15603.81 पर बंद हुआ था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी अब तक के नए सर्वोच्च स्तर 4855.70 अंक को छूने के बाद सप्ताहांत में 319.55 अथवा 7.07 प्रतिशत की भारी तेजी के साथ 4837.55 पर बंद हुआ। पिछले सप्ताहांत यह 4518.00 था। बुधवार को सेंसेक्स पिछले उच्चतम स्तर को लांघ गया और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
सेंसेक्स ने शुरुआत में कमजोरी का रुख प्रदर्शित किया, लेकिन अमेरिकी ब्याज दर में कटौती की उम्मीद के कारण मंगलवार से उसमें सुधार हुआ। सब प्राइम संकट के कारण विश्व की विशालतम अर्थव्यवस्था के मंदी की गिरफ्त में जाने की चिंताओं को कम करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने मंगलवार रात को प्रमुख उधारी दर व डिस्काउंट दर में आश्चर्यजनक ढंग से आधा प्रतिशत की कमी की। इससे भारत और चीन जैसे उभरते बाजारों में तेजी आई।
अगस्त महीने में शुद्ध बिकवाल रहने वाले विदेशी संस्थागत निवेशक बाजार की तेजी के मुख्य कारक रहे। मुद्रास्फीति में गिरावट का भी बाजार पर सकारात्मक असर रहा। रुपये के नौ वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंचने की वजह से भारी बिकवाली के कारण आईटी शेयर घाटे में रहे। कच्चे तेल की कीमत में तेजी तथा परमाणु समझौते को लेकर संप्रग और प्रमुख सहयोगी दल माकपा में टकराव का बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर हैं सबसे पसंदीदा

नई दिल्ली: अगर आय को कंपनी का वास्तविक आकार माना जाए और बाजार पूंजीकरण को निवेशकों के विश्वास का पैमाना तो रिलायंस इंडस्ट्रीज भारतीय शेयर बाजारों में सबसे पसंदीदा कंपनी के रूप में सामने आती है।
बाजार पूंजीकरण तथा वार्षिक आय के अंतर का विश्लेषण करते हुए अगर सूची बनाई जाए तो सार्वजनिक रिफाइनर इंडियन आयल कोर्प सबसे निचले पायदान पर आती है, जबकि इंडियन आयल सबसे अधिक आय के साथ देश की सबसे बड़ी फो‌र्च्यून 500 कंपनी है।
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाजार पूंजीकरण की बात की जाए तो यह इसके वित्त वर्ष की कुल आय की तुलना में अधिक है। अपने ताजा वित्तीय परिणामों की घोषणा करने वाली कुल 2744 कंपनियों में यह सर्वाधिक है।
कंपनी का बाजार पूंजीकरण फिलहाल लगभग 3,17,000 करोड़ रुपये है। इस सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद भारती एयरटेल, ओएनजीसी, डीएलएफ व एनटीपीसी का नंबर आता है।

Saturday 22 September, 2007

एशिया में सोना 27 साल की ऊंचाई पर

सिंगापुर: निवेशकों की मांग के चलते एशिया में सोने की कीमत 27 साल की ऊंचाई को छू गई। अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं की तुलना में डालर के लगभग 15 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने का असर बाजार धारणा पर पड़ा।
सिंगापुर में सोने के तत्काल आपूर्ति सौदे की कीमतें 2.54 डालर की मजबूती के साथ 735.80 डालर हो गई। सोना बृहस्पतिवार को 27 साल के उच्चतम स्तर 738. 60 डालर प्रति औंस को छू गया था।
चांदी की कीमतें 13 सेंट बढ़कर 13.48 डालर प्रति औंस रही।
इसी तरह न्यूयार्क मार्केटाइल एक्सचेंज की कोमेक्स शाखा में सोने के दिसंबर सौदे के भाव 3.40 डालर बढ़कर 743.80 डालर प्रति औंस रहे।

दवा निर्यातकों ने सरकार से राहत मांगी

रुपये में तेजी से हो रही निर्यात आय में घाटे की संभावना से भयभीत दवा निर्यातकों ने अन्य 9 चुनिंदा उद्योगों की तरह सरकार से राहत देने की अपील की है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री कमलनाथ को लिखे एक पत्र में दवा निर्यातक प्रोत्साहन परिषद (फार्मेक्सिल) ने राहत के तौर पर उच्चतर डीईपीबी दरों और पोस्ट और प्री शिपमेंट केडिट पर 6 फीसदी रियायत की मांग की है। फार्मेक्सिल ने कहा कि हमें खुशी है कि मंत्रालय ने 9 उद्योगों को राहत पैकेज दिया है, लेकिन दवा उद्योग को दरकिनार कर दिया गया। उद्योग संघ को डर है कि यदि यह रुख बरकरार रहता है और राहत पैकेज नहीं दिया गया, तो दवा निर्यात की प्रतिस्पर्धा में भी कमी आ जाएगी।

बीएसई में तेजी जारी, सेंसेक्स 216 अंक चढ़ा

मुंबई : महंगाई की दर में कमी, ग्लोबल शेयर बाजारों की तेजी और विदेशी संस्थागत निवेशकों की सक्रियता से देश के शेयर बाजारों के रेकॉर्ड बनाने का सिलसिला शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन जारी रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स तेजी के दोहरे शतक के साथ 16564.23 अंक और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 90 अंक के उछाल से 4837.55 अंक के नए स्तर पर पहुंच गया।

हालांकि सत्र की शुरुआत में बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच बिकवाली का दबाव दिख रहा था, किंतु कारोबार के बढ़ने के साथ-साथ तेजी का रेकॉर्ड बनता गया। महंगाई की दर 8 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 0.20 प्रतिशत और गिरकर पिछले 5 वर्ष के न्यूनतम स्तर 3.32 प्रतिशत पर आ गई। फेडरल रिजर्व की मंगलवार को बैठक में ब्याज दरों में आधा प्रतिशत कटौती ने शेयर बाजारों को नई हवा दी है।

सेंसेक्स कारोबार के शुरू में गुरुवार के 16347.95 अंक की तुलना में मामूली ऊंचा 16352.32 अंक पर खुला और कुछ देर बढ़त बनाने के बाद इसमें हल्की बिकवाली दिखी। सत्र में यह नीचे में 16308.09 अंक और ऊंचे में 16616.84 अंक तक चढ़ने के बाद समाप्ति पर कुल 216.28 अंक अर्थात 1.32 प्रतिशत बढ़कर 16564.23 अंक पर बंद हुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप में क्रमश: 67.21 तथा 19.23 अंक की बढ़त रही। एफएमसीजी 12.72 अंक टूट गया। कच्चे तेल की रेकॉर्ड कीमतों से तेल कंपनियों को हो रहे घाटे को पूरा करने के लिए बॉण्ड जारी किए जाने के समाचारों से ऑयल एंड गैस का सूचकांक 320.49 अंक चढ़ गया। रीयल्टी 139.04 अंक, इंजीनियरिंग 127.71 अंक और धातु 89.45 अंक ऊपर रहे। आईटी 37.59 अंक बढ़ा।

2 साल... और 20 लाख को रोजगार

संगठित रिटेल क्षेत्र सरकार की नीतियों की बदौलत सालाना 30 फीसदी की दर से विकास कर रहा है। ऐसे में अनुमान है कि अगले दो सालों में इस क्षेत्र में 20 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

एग्जिक्यूटिव सर्च फर्म इलिक्जिर वेब सॉल्यूशंस की बिजनेस इंटेलिजेंस टीम की एक स्टडी में यह खुलासा किया गया है। स्टडी में कहा गया है कि इस क्षेत्र में जिस तेजी से विकास हो रहा है, उससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे और साथ ही रिटेल के कर्मचारियों को आकर्षक पेज पैकेज मिलेगा। संगठित रिटेल क्षेत्र के 20 प्रतिशत कर्मचारी करदाता की सूची में आ जाएंगे।

एक दिलचस्प बात यह है कि स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि आधुनिक रिटेल सेटअप में 50 फीसदी वर्कफोर्स महिलाओं की होगी। फिलहाल भारत रिटेल के क्षेत्र में दुनिया में पांचवें नंबर पर है। संगठित और असंगठित रिटेल क्षेत्र में 2.1 करोड़ लोग काम कर रहे हैं। देश के जीडीपी में रिटेल क्षेत्र का योगदान 13 प्रतिशत है।

इस समय देश की रिटेल इंडस्ट्री 300 अरब डॉलर है। इसके 2010 तक बढ़कर 427 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है और यह क्षेत्र रोजगार देने के मामले में कृषि के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच जाएगा।

स्टडी कहती है कि आईटी क्षेत्र में प्रगति के बाद अब रिटेल की बारी है। भारत रिटेल हब बनने की दिशा में अग्रसर है।

अब चूंकि वॉल-मार्ट जैसी दुनिया की नामी रिटेलर भारत आने वाली है, ऐसे में घरेलू रिटेलरों के सामने समस्याएं भी आएंगी। घरेलू रिटेल कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती सविर्स की क्वॉलिटी बरकरार रखने की है। उन्हें अपने अधिकारियों को इसी बात को ध्यान में रखकर तैयार करना होगा।

Friday 21 September, 2007

डॉलर की चमक फीकी

मुंबई- यूरो समेत विश्व की कई अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर के टूटने के परिणामस्वरुप अंतर बैंकिग विदेशी मुद्रा बाजार में रुपए के भी 31 पैसे की लंबी छलाँग लगाने से विनिमय दर नौ वर्ष के न्यूनतम स्तर पर आ गई।

लंदन से प्राप्त समाचारों के अनुसार यूरो के मुकाबले एक डॉलर की कीमत 1.40 डॉलर के रिकार्ड नीचे भावों पर चली गई। विश्व की छह प्रमुख मुद्राओं के समूह के समक्ष डॉलर का भाव 15 वर्ष के न्यूनतम स्तर पर रहा। येन के मुकाबले भी डॉलर 0.7 प्रतिशत नीचे आया।

स्थानीय मुद्रा बाजार में एक डॉलर की कीमत नौ वर्ष के न्यूनतम स्तर 39.85 रुपए पर गिरने के बाद समाप्ति पर 40.20-40.21 रुपए की तुलना में 31 पैसे नीचे 39.89-39.90 रुपए रह गई। इसे मिलाकर इस वर्ष डॉलर के मुकाबले रुपया 11 पैसे मजबूती पा चुका है।

निवेश के लिए भारत की नजर अब आस्ट्रेलिया पर

नई दिल्ली: भारत ने विदेशी निवेश जुटाने के लिए अब आस्ट्रेलिया पर भी अपनी निगाहें जमा दी हैं। भारत ने आस्ट्रेलियाई कंपनियों को निवेश का न्योता देते हुए कहा है कि यहां के स्थिर आर्थिक माहौल में उनके लिए असीम संभावनाएं हैं।
वित्त राज्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने बृहस्पतिवार को सिडनी में भारत-आस्ट्रेलिया व्यवसाय परिषद की निवेश बैठक को संबोधित करते हुए कहा है कि ऊर्जा और ढांचागत क्षेत्रों में निवेश की अच्छा संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत में व्यापक बाजार के साथ-साथ तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग भी है जिसमें खरीदारी बढ़ाने की संभावनाएं पहले से कहीं अधिक हैं। बंसल ने कहा, 'भारत में निवेश करने वाली आस्ट्रेलियाई कंपनियों को दक्षिण एशिया और पूर्वी एशियाई देशों के साथ व्यापार करने की भी सुविधा मिलेगी। आस्ट्रेलियाई कंपनियों को भारत में निवेश अंतत: आकर्षक नजर आएगा।'
दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2005-06 से वर्ष 2006-07 के बीच दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में 34.51 प्रतिशत तक की खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल दोनों देशों के बीच 7.7 अरब डालर का व्यापार हुआ जिसके बाद भारत आस्ट्रेलिया का 11वां सबसे बड़ा निवेश भागीदार बन गया। बंसल ने कहा कि भारत में आस्ट्रेलिया का निवेश उसकी क्षमताओं से काफी कम है। देश में जितने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी मिली है उसमें आस्ट्रेलिया का हिस्सा मात्र 2.37 प्रतिशत ही रहा है। वर्ष 1991 से वर्ष 2007 के बीच आस्ट्रेलिया का भारत में निवेश मात्र 20 करोड़ 88 लाख डालर तक ही आंका गया है।

जीआईसी म्युचुअल फंड का पंजीकरण रद

मुंबई : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जीआईसी म्युचुअल फंड का पंजीकरण प्रमाणपत्र रद कर दिया है। सेबी के मुताबिक उसका यह फैसला तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है।
इसके अलावा सेबी ने जीआईसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड को एसेट मैनेजमेंट कंपनी के रूप में दी गई मंजूरी को वापस ले लिया है। इस निर्णय पर भी तुरंत प्रभाव से अमल होगा।

अमेरिका-भारत व्यापार पर विचार करेंगे

वाशिंगटन- अमेरिका और भारत के शीर्ष अधिकारी अगले सप्ताह एक बैठक कर परस्पर व्यापारिक समझौतों को बढ़ावा देने की रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे।

अमेरिकी व्यापार से जुड़े प्रतिनिधि सुसान सचवाब और भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ सोमवार को एक बैठक में अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक समझौतों को बढ़ावा देने की रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे।

यह बैठक दो साल पहले गठित भारत अमेरिका व्यापार नीति फोरम का हिस्सा है। सचवाब के कार्यालय के एक प्रवक्ता सीन स्पाईसर ने कल बताया कि यह बैठक न्यूयार्क में होगी, जिसमें भारत और अमेरिका की प्रमुख कंपनियों के व्यापारिक प्रबंधक हिस्सा लेंगे। बैठक में भारत और अमेरिका के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा होने की भी उम्मीद है।

Friday 14 September, 2007

भारत में निवेश करेगी मैरी के

वैश्विक कास्मेटिक कंपनी 'मैरी के' ने गुरुवार को कहा कि वह अगले साल भारत में दो करोड़ डॉलर का निवेश करेगी जिसके तहत उत्पाद केंद्र स्थापित किए जाएँगे पोर्टफोलियो का विकास किया जाएगा और परामर्शकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

'मैरी के' ने अपनी सहयोगी कंपनी मैरी के प्राईवेट लिमिटेड के जरिए भारतीय बाजार के लिए 60 विशेष उत्पाद डिजाइन किए हैं।

कंपनी ने बताया परिचालन के पहले साल 10-70 लाख डॉलर निवेश किया जाएगा। बाजार के मामले में चीन में हमारी हिस्सेदारी तीसरे नंबर पर है और उम्मीद है कि भारत में भी हमें उतनी ही सफलता मिलेगी।

औद्योगिक उत्पादन में मंदी निराशाजनक: चिदंबरम

नई दिल्ली: वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस साल जुलाई में औद्योगिक उत्पादन में मंदी निराशाजनक है लेकिन उम्मीद जताई कि आगामी त्यौहारी सीजन में मांग बढ़ेगी।
चिदंबरम ने यहां सीसीईए के फैसलों की जानकारी देने के बाद संवाददाताओं के सवालों के जवाब में बताया कि औद्योगिक उत्पादन में मंदी निराशाजनक है। चिदंबरम ने हालांकि उम्मीद जताई कि औद्योगिक उत्पादन की गति तेजी पकड़ेगी, क्योंकि आगामी त्यौहारी सीजन के दौरान मांग बढ़ेगी। सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन जुलाई के दौरान गिरकर 7.1 प्रतिशत रह गया। यह पूर्व वर्ष के समान माह में 13.2 प्रतिशत था।

टाटा टेली ने वेब ब्राउजर मोबाइल हैंडसेट लांच किया

नई दिल्ली: सीडीएमए परिचालक टाटा टेली सर्विसेज ने बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए बृहस्पतिवार को वेब ब्राउजर की सुविधा वाला पहला हैंडसेट पेश किया। कंपनी फोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले मोबाइल ग्राहकों की बढ़ती तादाद का फायदा उठाना चाहती है।
सैमसंग एक्सप्लोर माडल की कीमत 5,499 रुपये रखी गई है और कंपनी प्री पेड तथा पोस्टपेड ग्राहकों से वेब सेवा के लिए 99 रुपये प्रतिमाह शुल्क लेगी। इस हैंडसेट पर 0.3 मेगापिक्सेल का कैमरा, एमपी-3, एफएम रेडियो की सुविधा होगी साथ ही फोन की मेमोरी भी एक जीबी तक बढ़ाई जा सकती है। कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी देवाशीष सूर ने कहा कि सीडीएमए पर इंटरनेट की गति जीपीआरएस के मुकाबले तीन से चार गुना ज्यादा होगी।

ग्लोबल वॉर्मिंग से भारत की कृषि उत्पादकता घटेगी

वॉशिंगटन (भाषा) : ग्लोबल वॉर्मिंग से विश्व भर में कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। सबसे बुरी तरह भारत और अफ्रीकी एवं लैटिन अमेरिकी देश प्रभावित होंगे। सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट के वरिष्ठ फेलो विलियम क्लाइन के मुताबिक, कई विकासशील देशों में औसत तापमान उच्चतम बिंदु पर पहुंच गया है। 2080 तक उनकी कृषि उत्पादकता में 10 से 25 फीसदी की गिरावट दर्ज होगी। उन्होंने बताया कि भारत में यह गिरावट 30 से 40 फीसदी तक हो सकती है, जबकि अत्यंत गरीब देश सूडान और सेनेगल में गिरावट क्रमश: 56 और 52 फीसदी हो सकती है।

Thursday 13 September, 2007

आरबीआई की ब्याज दरों में कटौती की संभावना नहीं: रंगराजन

मुंबई: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने कहा है कि मुद्रास्फीति के नीचे आने के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती किए जाने की संभावना नहीं है।
डा. रंगराजन ने बुधवार को यहां भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की) के एक सम्मेलन के दौरान संवाददाताओं से अलग से बातचीत में कहा कि मुद्रास्फीति की दर रिजर्व बैंक के अनुमान के मुकाबले नीचे आ चुकी है, कीमतों का जो रुझान है उस पर कुछ समय तक निगाह रखने की जरूरत है।
गौरतलब है कि सकल उपभोक्ता थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर पच्चीस अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में पिछले करीब डेढ़ वर्ष के न्यूनतम स्तर 3.79 प्रतिशत पर आ गई। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति को पांच से साढे़ पांच प्रतिशत के बीच रखने का लक्ष्य तय किया। सरकार इसे अल्पकालिक लिहाज से चार प्रतिशत के दायरे में लाना चाहती है। डा. रंगराजन ने महंगाई की दर में आई गिरावट का संतोष जताते हुए कहा कि मौद्रिक उपायों के परिणामस्वरूप इसे नियंत्रण में लाने में खासी मदद मिली है। उन्होंने कहा किंतु ब्याज दरों को कम करने से पहले कीमतों में ठहराव को परखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था जिस रफ्तार से चल रही है उसे देखते हुए चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में करीब नौ प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है।

कुल्टी वर्क्स को दोबारा खोलने की योजना

भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) ने आईआईएससीओ के इस्पात संयंत्र का 10 हजार करोड़ रुपए की लागत से आधुनिकीकरण करने का फैसला के बाद कहा है कि उसकी कुल्टी वर्क्स को दोबारा खोलने की योजना है। यह संयंत्र 2003 में बंद हो गया था।

सेल के अध्यक्ष एस के रूंगटा ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से मिलने के बाद संवाददाताओं को बताया कि हम कुल्टी वर्क्स को दोबारा खोलने पर विचार कर रहे हैं।

कुल्टी वर्क्स की स्थापना 1870 में हुई थी जो 1936 में तत्कालीन इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी का हिस्सा 1936 में हो गई थी। सेल ने इस इकाई को 2003 में बंद कर दिया था।

रिलायंस के गैस मूल्य फार्मूले को मिल सकती है मंजूरी

नई दिल्ली: सरकार रिलायंस इंडस्ट्रीज के गैस मूल्य फार्मूले को मामूली बदलाव के साथ संभवत: मंजूर कर लेगी। इससे रिलायंस की कृष्णा गोदावरी क्षेत्र से उत्पादित होने वाली प्राकृतिक गैस की कीमत कुछ कम हो जाएगी।
विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने इस मुद्दे पर चर्चा पूरी कर ली। बैठक में आम सहमति थी कि देश में तेल एवं गैस की खोज करने में निवेश करने वाली कंपनियों के लिए बाजार से तय होने वाला मूल्य निर्धारित करने की सरकारी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटा जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि सरकार संभवत: कीमत निर्धारण के बारे में रिलायंस के फार्मूले में कुछ बदलाव कर सकती है जिससे गैस की कीमत की गणना सिर्फ डालर में होगी। इस कदम से गैस की कीमत रिलायंस द्वारा प्रस्तावित 4.33 डालर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट से घटकर लगभग 4.2-4.22 डालर प्रति एमबीटीयू हो जाएगी।
बैठक में शामिल किसी भी मंत्री ने बातचीत के बारे में टिप्पणी नहीं की। पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा कि फैसले की घोषणा विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी करेंगे। मुखर्जी बृहस्पतिवार से पांच दिन की विदेश यात्रा पर जा रहे हैं।

रिलायंस मनी ऑनलाइन ब्रोकर कंपनी

स्टारकाम वर्ल्डवाइड ने अपने इंडिया इंवेस्टर सर्वे 2007 में ऑनलाइन ट्रेडिंग के क्षेत्र में रिलायंस मनी को श्रेष्ठ ऑनलाइन कारोबारी सहयोगी बताया है।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि सर्वे में देश के लगभग 9 600 निवेशकों ने ईमेल के जरिए अपने विचार रखे थे।

सर्वेक्षण के अनुसार ग्राहकों को मिलने वाली ऑनलाइन सुरक्षा और किफायत की दृष्टि से रिलायंस मनी को प्रमुख ब्रोक्रेज कंपनी चुना गया।

Wednesday 12 September, 2007

भारतीय बाजार में फिर से उतरी बोफर

स्वीडन की हथियार बनाने वाली कंपनी बोफर्स ने बीएई सिस्टम्स एसडब्ल्यूएस डिफेंस के नाम से लगभग दो दशक बाद भारतीय बाजार में फिर से प्रवेश किया है। उसने हवाई तोपों के उन्नयन के लिए आयुध कारखाना बोर्ड के साथ समझौत किया है।

भारतीय सेना द्वारा साठ के दशक की शुरुआत में अपनाई गई 40 एमएमएल 70 तोप का यह दूसरा उन्नयन होगा। इस तोप का निर्माण फिलहाल आयुध कारखानों में स्वीडिश कंपनी के लाइसेंस के तहत होता है।

सेना के आयुधागार में इस समय 600 ऐसी तोपें हैं। भारत के सशस्त्र बलों ने हालाँकि प्रक्षेपास्त्र आधारित हवाई सुरक्षा प्रणाली अपनाई है, लेकिन सेना तोप आधारित प्रणाली को भी बनाए रखना चाहती है।

हवाई सुरक्षा तोप के उन्नयन के साथ-साथ बीएई सिस्टम्स हल्के मध्यम और भारी हावित्जर नौसैनिक तोप सशस्त्र मारक वाहन और प्रक्षेपास्त्र लांचर बनाने के लिए भारत में साँझेदार की तलाश कर रही है।

बीएई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनी रक्षा क्षेत्र में सक्रिय प्रमुख निजी भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है। इनमें लार्सटन एंड टुब्रो टाटा पावर और अन्य कंपनियाँ शामिल हैं।

रिटेल व्यवसाय के खिलाफ अब सीटू भी मुखर

कोलकाता: माकपा से जुड़ी केंद्रीय यूनियन सीटू भी अब राज्य में खुदरा व्यवसाय के क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ सक्रिय हो रही है। यह बात दूसरी है कि फारवर्ड ब्लाक की तरह सीटू की गतिविधियां आक्रामक नहीं है। वाममोर्चा के महत्वपूर्ण घटक दल फारवर्ड ब्लाक के इस मुद्दे पर अकेले आक्रामक आंदोलन करने से माकपा के प्रति लोगों में गलत धारणा बनने की आशंका है। खुदरा व्यवसाय को लेकर माकपा के प्रति लोगों में गलत संदेश न जाये, इसे ध्यान में रखते हुए सीटू ने भी अभियान शुरू किया है। हालांकि सीटू रिलायंस के रिटेल केंद्र पर हमला करने जैसे कदम उठाने से बचेगी। सीटू ने ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा व्यवसायियों को विश्वास में लेने की रणनीति बनायी है।
मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने रिलायंस कोखुदरा क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि फारवर्ड ब्लाक के विरोध के कारण रिलायंस को राज्य में खुदरा क्षेत्र में पांव पसारने में सफलता नहीं मिली है। माकपा चाहती है कि मुख्यमंत्री द्वारा रिलायंस को खुदरा क्षेत्र में आमंत्रित करने का कोई गलत अर्थ न ले। इसलिए पार्टी ने अपने श्रमिक संगठन सीटू को सक्रिय किया है।
सीटू के प्रदेश अध्यक्ष श्यामल चक्रवर्ती ने रिटेल व्यवसाय पर 24 पृष्ठों की पुस्तिका जारी की है। पुस्तिका में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के आम खुदरा व्यवसायियों के हित सुरक्षित कर रिलायंस जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को छूट देने की बात कही गयी है। सीटू ने कहा है कि स्थानीय निकायों को भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाइसेंस जारी करने का अधिकार मिलना चाहिए। छोटे खुदरा व्यवसायियों की एक निगरानी कमेटी होनी चाहिए जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रभाव की समीक्षा करती रहे।

बैंकों में 27 सितंबर को हड़ताल

भारतीय स्टेट बैंक में विलय के प्रस्ताव के विरोध में उसके छह सहयोगी बैंक 27 सितंबर को हड़ताल करेंगे।

अखिल भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंदौर अधिकारी समन्वय समिति के अध्यक्ष आलोक खरे ने बताया कि अभी स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र के हड़ताल में भाग लेने का निश्चित नहीं है।

बाकी छह स्टेट बैंक ऑफ इंदौर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के अधिकारी कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे।

सौराष्ट्र बैंक के विलय का प्रस्ताव भारतीय स्टेट बैंक और सौराष्ट्र बैंक के बोर्ड ने पारित कर दिया है। अभी केन्द्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी मिलना शेष है।

खरे ने बताया कि सभी सहयोगी बैंक अपने क्षेत्रों में विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में इनका विलय अनुचित है। उन्होंने कहा कि इंदौर बैंक का विलय मध्यप्रदेश के आर्थिक हितों के विपरीत होगा। खरे ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार भी इस प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है।

खरे ने कहा कि निजी बैंकों से प्रतिस्पर्धा के लिए विलय का जहाँ तक सवाल है उसमें स्टेट बैंक सक्षम है और 75 प्रतिशत से अधिक व्यवसाय अब भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास है। मात्र 25 प्रतिशत निजी और विदेशी बैंकों की भागीदारी है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सभी सहयोगी बैंकों की आर्थिक स्थिति बेहतर होने के बावजूद स्टेट बैंक अपने व्यावसायिक स्वार्थों के लिए क्षेत्रीय पहचान वाली बैंकों को समाप्त करके संबंधित क्षेत्रों और प्रदेशों के आर्थिक विकास की आकांक्षाओं पर कुठाराघात करना चाहता है।

उन्होंने कहा कि व्यवसाय में हिस्सेदारी कम होने से स्टेट बैंक का सबसे बड़ा बैंक होने का दर्जा खतरे में पड़ता जा रहा है। ऐसे में उसके लिए शीर्ष पर रहने पर आसान रास्ता विलय है।

खरे ने बताया कि इंदौर बैंक पिछले 87 वर्षों से लगातार लाभ में रहा है। वर्ष 1960 में 15 करोड़ रुपए के व्यवसाय की तुलना में वर्ष 2007 में इसका कारोबार 35 हजार करोड़ रुपए तक पहुँच गया, जिसमें स्टेट बैंक की पूँजी का हिस्सा मात्र 17 करोड़ रुपए है। वर्ष 2006-07 में बैंक ने 200 प्रतिशत का लाभांश दिया है।

उन्होंने कहा कि इंदौर बैंक कई मापदंड़ों में स्टेट बैंक से आगे है। उन्होंने कहा कि जैसे साँची के स्तूप, खजुराहो और इंदौर का राजवाड़ा प्रदेश की पहचान है, वैसे ही 87 साल की पृष्ठभूमि वाली इंदौर बैंक भी राज्य की धरोहर है तथा इसे विलुप्त नहीं होने देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जैसे लगभग हर राज्य में कोई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की मौजूदगी है मध्यप्रदेश में इंदौर बैंक है।

नवाज़ शरीफ़ के निर्वासन के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में गुहार

पाकिस्तान के निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पार्टी मुस्लिम लीग एन ने सुप्रीम कोर्ट में उनके निर्वासन के निर्णय के विरुद्ध अपील की है। याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है वह सरकार को नवाज़ शरीफ़ को तुरंत अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश दे। शरीफ़ के वकीलों का कहना है कि सरकार का ये कदम ग़ैरक़ानूनी था और ये कोर्ट की अवमानना का मामला है। सोमवार को नवाज़ शरीफ़ ने स्वदेश लौटने का असफल प्रयास किया था। जब वे लंदन से पाकिस्तान पहुँचे तो उन्हें कुछ ही घंटों के भीतर वापस सऊदी अरब भेज दिया गया।

Tuesday 11 September, 2007

भारत से 10 अरब डालर का निवेश हासिल करेगा मैक्सिको

नई दिल्ली। मैक्सिको भारत से अगले पांच साल के दौरान 10 अरब डालर के निवेश का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
भारत आए मैक्सिको के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे इंडो मैक्सिको बिजनेस बोर्ड के अध्यक्ष लुइस वर्टमैन ने बताया कि हमारी सरकार ने मैक्सिको में भारतीय निवेश अगले पांच साल के दौरान 10 अरब डालर तक करने की योजना बनाई है।
उद्योग चेंबरों फिक्की, सीआईआई और एसोचैम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस समय मैक्सिको में भारतीय निवेश तीन अरब डालर है।
वर्टमैन ने कहा कि मैक्सिको की नजर इस्पात, आटो प्रशिक्षण, आईटी, फार्मा, पर्यटन और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों पर है।
उन्होंने कहा कि हम टाटा और महिन्द्रा जैसी कंपनियों से अपेक्षा करते हैं कि वे मैक्सिको में निवेश करें। हम उन्हें हरसंभव सुविधाएं मुहैया कराने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने बताया कि मैक्सिको भारत में भी निवेश के अवसर तलाश रहा है। देश में ब्रेड बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी बिन्बो एंड गु्रमा तथा अन्य एग्रो कंपनियां भारत के प्रसंस्कृत खाद्य बाजार में प्रवेश का इरादा रखती हैं।

ओएनजीसी को ग्रीनटेक अवार्ड

नई दिल्ली: सरकारी कंपनी ओएनजीसी की मेहसाना स्थित परिसंपत्तियों को प्रतिष्ठित ग्रीनटेक पर्यावरण सिल्वर अवार्ड दिया गया है। कंपनी को तेल उत्पादन में पर्यावरण के हितों का पूरा ख्याल रखने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार ग्रीनटेक फाउंडेशन की तरफ से दी जाती है। हाल ही में गोवा के मुख्य मंत्री दिगंबर सिंह ने एक शानदार आयोजन में कंपनी को यह पुरस्कार दिया। कंपनी ने बताया है कि इससे साबित होता है कि तेल जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में काम करने के बावजूद ओएनजीसी पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को लेकर कितनी संवेदनशील है। ओएनजीसी के ईडी (एसेट मैनेजर) ए.के. गुप्ता के मुताबिक इससे उत्साहित हो कर कंपनी आने वाले दिनों में पर्यावरण सुरक्षा को और ज्यादा महत्व देगी।

पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ाने पर विचार

चेन्नई: केंद्र सरकार पेट्रोल व डीजल की कीमत बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इंडियन आयल कार्पोरेशन के अध्यक्ष सार्थक बेहूरिया ने बताया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ईंधन की कीमत बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम के दौरान अलग से बताया कि सरकार को इस बारे में फैसला करना है। इंडियन आयल जैसी सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनियां ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग कर रही हैं क्योंकि उन्हें पेट्रोल, डीजल, एलपीजी व केरोसिन निर्धारित कीमत से कम दाम पर बेचने से घाटा उठाना पड़ रहा है।

सस्ते होम लोन का दौर शुरू !

नई दिल्ली: अत्यंत महंगे होम लोन से परेशान लोगों के लिए यह निश्चित तौर पर अच्छी खबर है। दरअसल, आने वाले दिनों में ब्याज दरें घटने की उम्मीद की जा रही है। तीन बैंकों ने तो ब्याज दरों में कटौती की घोषणा कर भी दी है। सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले तीन सालों में पहली बार होम लोन की ब्याज दरों में कमी का दौर शुरू होता नजर आ रहा है।
बाजार विशेषज्ञों ने बताया कि मुद्रास्फीति की दर घटकर चार प्रतिशत से भी नीचे आ गई है। जमा ब्याज दरें भी घट रही हैं। इसी तरह ऋणों का उठाव भी कम हो गया है। ऐसे में बैंकों को अब ऊंची ब्याज दरों पर होम व रिटेल लोन लेने वाले अच्छे लोग मिल नहीं रहे हैं। यही कारण है कि बैंकों ने होम लोन को सस्ता करने की दिशा में कदम उठाना शुरू कर दिया है। एचडीएफसी ने हाल ही में अपने स्पेशल मानसून आफर के तहत फ्लोटिंग ब्याज दर को चौथाई फीसदी दर घटाकर 11 प्रतिशत कर दिया है। इसी तरह एचडीएफसी ने प्रोसेसिंग शुल्क को भी घटा दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आफ बड़ौदा ने भी अपनी ब्याज दरें आधा फीसदी घटा दी हैं। इसके फलस्वरूप बैंक अब 20 लाख रुपये तक के होम लोन पर 11 प्रतिशत और 20 लाख रुपये से ज्यादा के आवास ऋण पर 11.25 प्रतिशत ब्याज की मांग कर रहा है। इलाहाबाद बैंक भी इस मामले में पीछे नहीं है। इलाहाबाद बैंक ने 25 वर्षो के होम लोन की ब्याज दर एक प्रतिशत घटाकर 12 फीसदी कर दी है।
ब्याज दरों में इस कटौती का लाभ फिलहाल केवल नए लोन लेने वालों को ही मिल रहा है। होम लोन पहले ही ले चुके लोगों को ब्याज दरों में कटौती के लिए अभी कुछ और समय तक इंतजार करना पड़ेगा।

Monday 10 September, 2007

अंकल सैम बिगाड़ेंगे सेंसेक्स का जायका

मुंबई: अंकल सैम यानी अमेरिका ने बीते कुछ दिनों से तेजी का स्वाद चख रहे सेंसेक्स का जायका बिगाड़ने का मन बना लिया है। दरअसल, अमेरिका में ब्याज दर में संभावित फेरबदल का असर देश के शेयर बाजारों पर भी पड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इससे आने वाले दिनों में दलाल स्ट्रीट में उतार-चढ़ाव का दौर एक बार फिर आ सकता है।
सात सितंबर को समाप्त सप्ताह में मुंबई शेयर बाजार का तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 271.82 अंक की तेजी के साथ 15590.42 अंक पर बंद हुआ। सप्ताह के दौरान सेंसेक्स 15716.06 और 15323.05 अंक के दायरे में रहा। कारोबारियों के अनुसार बेहतर आर्थिक विकास दर तथा मुद्रास्फीति में कमी का अनुकूल असर बाजार धारणा पर पड़ा। इसी तरह नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी सूचकांक भी 45.50 अंक की और मजबूती दिखाकर 4509.50 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में गत 20 अगस्त से शुरू हुए तेजी के दौर के बाद अब तक 1448.89 अंकों की जोरदार बढ़त दर्ज की जा चुकी है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सितंबर माह के पहले सप्ताह में शुद्ध लिवाली की। इन निवेशकों ने शेयर बाजार में 2869 करोड़ रुपये तथा ऋण बाजार में 752 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की। एक विश्लेषक के अनुसार नए सप्ताह में विदेशी संस्थागत निवेशकों का रुख बाजार की धारणा के लिए महत्वपूर्ण होगा।
सप्ताह के दौरान अपेक्षा से खराब रोजगार आंकड़ों का असर अमेरिकी बाजार पर दिखा। इन आंकड़ों से वहां की अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत मिलता है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के शेयर बाजारों में सप्ताहांत आई गिरावट का असर सोमवार को यहां बाजार खुलने पर होने की आशंका है। इसके अलावा भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार को लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ संप्रग तथा उनके वामपंथी सहयोगियों की बातचीत के निष्कर्ष पर भी बाजार की निगाह रहेगी।

वैट की तर्ज पर समान यातायात कर की तैयारी

नई दिल्ली: आठ वर्षो बाद ही सही, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सड़क यातायात कार्यालयों की स्थिति सुधरेगी। देश भर में कहीं झोपड़ी में तो कहीं खुले आसमान के नीचे चलाई जा रही आरटीओ चौकियों की न केवल दशा सुधरेगी, बल्कि उन्हें कंप्यूटर से भी जोड़ा जाएगा। यह काम अगले वर्ष मार्च तक पूरा भी कर लिया जाएगा। इसके लिए नेशनल इन्फारमैटिक्स सेंटर 190 करोड़ रुपये की लागत वाली एक परियोजना लागू कर रहा है। इसके बाद देश के सभी राज्यों में एकसमान यातायात कर की कवायद भी शुरू की जाएगी। इस बारे में केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के बीच शनिवार को गहन विचार-विमर्श हुआ।
देश में आरटीओ की स्थिति सुधारने पर सड़क यातायात व राजमार्ग सचिव ब्रह्म दत्त ने सभी राज्यों के यातायात आयुक्तों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। इस बैठक में ही पहली बार मूल्यवर्धित कर (वैट) की तर्ज पर यातायात क्षेत्र में भी राष्ट्रीय स्तर पर एकसमान कर प्रणाली लागू करने की संभावना पर चर्चा हुई। दत्त ने बताया कि इस सुझाव पर राज्यों की प्रतिक्रिया काफी उत्साहजनक रही है। सभी राज्यों ने आरंभिक तौर पर इस तरह के प्रस्ताव को अपना पूरा समर्थन दिया है। उन्होंने स्वीकार किया कि यह काफी जटिल प्रक्रिया होगी, क्योंकि कई राज्यों के राजस्व संग्रह में यातायात कर की हिस्सेदारी काफी अहम होती है। संयुक्त तौर पर देखें तो राज्यों के कुल राजस्व में योगदान करने वाले शुल्कों में यातायात कर का स्थान चौथा होता है। यही कारण है कि यातायात आयुक्तों का समर्थन मिलने के बावजूद इस बारे में राज्यों के राजस्व विभाग और केंद्र सरकार के संबंधित विभागों को तैयार करना होगा।
आरटीओ को कंप्यूटर से जोड़ने का काम काफी तेजी से चल रहा है। दत्त के मुताबिक मार्च, 2008 तक देश के सभी आरटीओ को कंप्यूटरों से सुसज्जित कर दिया जाएगा। इस समय दिल्ली के अलावा आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आरटीओ कंप्यूटरीकृत हैं। इन तीनों राज्यों ने निजी फर्र्मो से ये सेवाएं प्राप्त की हैं। जब राष्ट्रीय स्तर पर आरटीओ की नेटवर्किग की जाएगी तो इन तीनों राज्यों को भी इससे जोड़ दिया जाएगा।
वर्ष 1999 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने देश के सभी आरटीओ को कंप्यूटरों से जोड़ने का फैसला किया था। इसके लिए सारी तैयारियां भी शुरू कर दी गई थीं, लेकिन बाद में सड़क यातायात व राजमार्ग मंत्रालय का सारा ध्यान सड़कें बनाने पर चला गया। इस तरह आरटीओ के आधुनिकीकरण की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई। अब जबकि देश में सड़कों की स्थिति कुछ बेहतर हुई है तो सरकार ने इस तरफ ध्यान देना शुरू किया है।
मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो आरटीओ आधुनिकीकरण की योजना को जानबूझकर टाल दिया गया था क्योंकि बेहतर ढांचागत सुविधा के बगैर इसका कोई महत्व नहीं था। दत्त ने राज्यों से आग्रह किया है कि वे सड़कों पर जगह-जगह बाधाएं न उत्पन्न करें। केंद्रीय मंत्रालय ने कड़ाई बरतते हुए राष्ट्रीय राजमार्गो पर कोई भी नया चेकिंग प्वाइंट स्थापित करने से पहले एनएचएआई या यातायात आयुक्त से आवश्यक अनुमति लेने का आदेश दिया है।

बैंकों को महंगी पड़ेगी महंगाई के खिलाफ जंग

नई दिल्ली: महंगाई के खिलाफ रिजर्व बैंक की जंग भारतीय बैंकों को संभवत: काफी महंगी पड़ेगी। जी हां, वैधानिक दरों मसलन रेपो रेट में बेतहाशा बढ़ोतरी से बैंकों की लाभप्रदता काफी प्रभावित होने के आसार नजर आ रहे हैं।
चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय बैंकों का शुद्ध मुनाफा मार्जिन 0.2 प्रतिशत घटकर 1.4 फीसदी रह जाने की संभावना है। इस तथ्य का खुलासा क्रिसिल और फिक्की की एक रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में इसके लिए भारतीय रिजंर्व बैंक की कठोर मौद्रिक नीति को जिम्मेदार माना गया है। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के खिलाफ जंग में ब्याज दरों को अपना प्रमुख हथियार बना रखा है। पिछले दो वर्षो में रेपो रेट में 1.75 फीसदी की वृद्धि की गई है। इसी तरह नकद आरक्षित अनुपात भी दो फीसदी बढ़ा दिया गया है। इसके चलते जमाराशि जुटाने की लागत पिछले वर्ष 60 फीसदी तक बढ़ गई है। दूसरी तरफ कर्ज की मांग कम होने का नाम नहीं ले रही है। इसका असर यह हो रहा है कि बैंक ज्यादा लागत पर राशि जुटा रहे हैं और फिर इसे कर्ज के तौर पर आंवटित कर रहे हैं। इससे बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।
इस आधार पर रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि रिजर्व बैंक को अब ब्याज दरें कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए। आरबीआई रेपो रेट सहित अन्य वैधानिक दरों को कम कर बैंकों की खराब होती हालत को यही पर रोक सकता है। बैंकों की लाभप्रदता बढ़ाने का यही एकमात्र रास्ता नजर आता है। वैसे लगातार ठोस कोशिशों के फलस्वरूप बैंकों के फंसे पड़े कर्जो (एनपीए) में कमी हो रही है। अगर जमा जुटाने की लागत में सुधार नहीं हुआ तो एनपीए की समस्या आगे फिर सर उठा सकती है। हाल के दिनों में बैंकों ने रिटेल और हाउसिंग क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है। इससे भी कर्ज की गुणवत्ता पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
रिपोर्ट से यह बात भी सामने आई है कि कर्ज पर लगाम लगाने की केंद्रीय बैंक की कोशिश पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। पिछले तीन महीनों के दौरान ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद वर्ष 2007-08 के दौरान बैंक ऋणों में 25 फीसदी की खासी वृद्धि होने की संभावना है। जाहिर है इस कर्ज को पूरा करने के लिए बैंकों को बड़े पैमाने पर धनराशि जुटानी होगी। मौजूदा परिस्थितियों में बैंकों को ज्यादा लागत पर राशि जुटानी पड़ रही है। क्रिसिल और फिक्की का मानना है कि रिजर्व बैंक को इन परिस्थितियों को ध्यान में रख कर ही आगे की नीतियां तय करनी चाहिए।

बिजनेस वीक भी भारतीय कंपनियों की मुरीद

नई दिल्ली: फो‌र्ब्स के बाद अमेरिका की एक और प्रमुख पत्रिका बिजनेस वीक ने भी एशिया में प्रदर्शन के लिहाज से भारतीय कंपनियों को श्रेष्ठ करार दिया है। पत्रिका के 17 सितंबर के अंक में प्रकाशित 'एशियाज 50 बेस्ट परफार्मिग कंपनीज' की सूची में भारत की 12 कंपनियों को स्थान मिला है। सूची में किसी एक देश के लिहाज से यह सबसे बड़ी संख्या है।
इन कंपनियों ने एशिया की श्रेष्ठ प्रदर्शन वाली इस सूची में अपनी लाभप्रदता तथा आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के साथ-साथ अच्छे-खासे शेयरधारक रिटर्न के दम पर जगह हासिल की है। सूची में शामिल भारतीय कंपनियों में टीसीएस, एचडीएफसी, हीरो होंडा, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, भेल, आईटीसी, सीमेंस इंडिया, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज तथा सिप्ला को शीर्ष दस में स्थान मिला है।

Saturday 8 September, 2007

जीएसएम ठेका एरिक्सन व नोकिया को

नई दिल्ली। सरकारी स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने कहा है कि उसने 2.27 करोड़ जीएसएम लाइनें जोड़ने के टेंडर पर फैसला दे दिया है और ठेका एरिक्सन व नोकिया सीमेंस को गया है।
कंपनी के नए अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कुलदीप गोयल ने कहा कि बीएसएनएल ने 2006-07 के दौरान लगभग 39715 करोड़ रुपये की आय अर्जित की। उसका शुद्ध मुनाफा 7806 करोड़ रुपये रहा।
गोयल ने बताया कि एरिक्सन ने 1.3125 करोड़ लाइनें बिछाने के लिए आशयपत्र को मंजूरी दे दी है। नोकिया से 96.75 लाख जीएसएम लाइनें जोड़ने के लिए जल्द ही पेशकश की जाएगी। उन्होंने कहा कि कंपनी हर महीने 20 लाख नए कनेक्शन जोड़ेगी। यह काम जनवरी 2008 से शुरू किया जाएगा।

मुद्रास्फीति दर 16 माह के निम्नतम स्तर पर

नई दिल्ली: मुद्रास्फीति की दर 25 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान गिरकर 16 महीने के निम्नतम स्तर 3.79 प्रतिशत पर आ गई। इससे पूर्व के सप्ताह में यह 3.94 प्रतिशत थी।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान खाद्य पदार्र्थो एवं सब्जियों, गेहूं, सामुद्रिक भोज्य पदार्र्थो तथा कुछ तैयार माल की कीमत में कमी के कारण मुद्रास्फीति की दर में गिरावट आई है।
इस दौरान थोक मूल्य इंडेक्स 5.27 प्रतिशत पर रहा। सब्जियों और फलों की कीमत में एक प्रतिशत की गिरावट आई। इसके अलावा सामुद्रिक भोज्य पदार्थ, गेहूं, मक्का, मीट और अन्य उठपादों की कीमत में भी गिरावट दर्ज हुई। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान मूंग, मसाला और अंडे की कीमत में बढ़ोतरी हुई।

इस महीने बढ़ सकती हैं पेट्रोल, डीजल की कीमतें

नई दिल्ली (भाषा): संसद का मौजूदा सत्र समाप्त होने के बाद पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ने की संभावना है। सत्र अगले सप्ताह समाप्त हो रहा है जिसके बाद पेट्रोल की कीमत में 2 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 1 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है।

अधिकारियों ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने पेट्रोल डीजल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित होने वाले मिट्टी के तेल और घरेलू कुकिंग गैस (एलपीजी) की कीमत में बढ़ोतरी के लिए कैबिनेट नोट पेश किया है। इसमें यह नहीं बताया गया है कि कीमत कितनी बढ़ाई जाएगी। यह फैसला कैबिनेट पर छोड़ा गया है।

इस समय पेट्रोल की बिक्री पर तेल विपणन कंपनियों को 2.79 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4.65 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। हर लीटर कैरोसिन की बिक्री पर तेल कंपनियों को 15.50 रुपये का नुकसान होता है जबकि एलपीजी के हर सिलिंडर की बिक्री पर 178.15 रुपये का नुकसान हो रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि एलपीजी और कैरोसिन की कीमत बढ़ाना राजनीतिक दृष्टि से चूंकि संवेदनशील फैसला होता है इसलिए फिलहाल बढ़ोतरी को पेट्रोल और डीजल तक ही सीमित रखे जाने की उम्मीद है। यदि ईंधन की कीमत नहीं बढ़ाई गई तो सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन को चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल 52452 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

पेट्रोलियम मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि 2007-08 के दौरान कैरोसिन पर 16120 करोड़ रुपये, घरेलू एलपीजी पर 11088 करोड़ रुपये, पेट्रोल पर 6682 करोड़ रुपये और डीजल पर 18562 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

वामदलों के तेवर से सेंसेक्स लड़खड़ाया

मुंबई। परमाणु करार पर वामदलों के फिर 'लाल' होने से भयभीत सेंसेक्स शुक्रवार को लड़खड़ा गया। करार का शुरूसे ही विरोध कर रही माकपा ने अमेरिका को भी भारत का सहयोगी न बनने देने की धमकी दी है। इससे सुबह के सत्र में तेजी प्रदर्शित कर रहा सेंसेक्स बिकवाली के दबाव में आ गया और 25.89 अंक की गिरावट के साथ 15590.42 पर बंद हुआ। बृहस्पतिवार को यह 15616.31 पर था। इसी तरह नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी 9.10 अंक या 0.20 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4509.50 पर बंद हुआ। बृहस्पतिवार को यह 4518.60 पर था।
सेंसेक्स 15655.37 अंक पर मजबूत खुला और ऊंचे में 15716.06 अंक तथा नीचे में 15565.22 अंक तक जाने के बाद समाप्ति पर यह 0.17 प्रतिशत गिरकर 15590.42 अंक पर बंद हुआ। बाजार सूत्रों के अनुसार कारोबार के दौरान लिवाली-बिकवाली का दौर बराबर बना रहा किंतु रिलायंस इंडस्ट्रीज समेत कई बड़ी कंपनियों के शेयरों में मुनाफावसूली से बाजार नीचे आ गया। कारोबार का आकार बृहस्पतिवार के मुकाबले कुछ अधिक 4890.42 करोड़ रुपये रहा। एक दिन पहले यह 4670.89 करोड़ रुपये था।

Friday 7 September, 2007

बैंकिंग के एमएंडए में भारत दूसरे नंबर पर

नई दिल्ली (पीटीआई) : बैंकिंग सेक्टर में विलय और अधिग्रहण (एमएंडए) के मामले में भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरे नंबर पर है। इस साल भारतीय बैंकों ने देश के भीतर और विदेश में कुल मिलाकर 10.3 अरब डॉलर के विलय और अधिग्रहण के सौदे किए। ग्लोबल कंसलटेंसी फर्म डीलॉजिक की रिपोर्ट से यह बात सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के शुरुआती 8 महीनों में एशिया-पसिफिक रीजन में एमएंडए के कुल 220 सौदे हुए। इन सौदों पर कुल 70.5 अरब डॉलर खर्च हुए। यह पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल 197 सौदे हुए थे, जिन पर 50.5 अरब डॉलर खर्च किए गए थे।
इस साल बैंकिंग सेक्टर में एमएंडए के मामलों में जापान सबसे आगे रहा। जापान में 72 डील्स हुईं, जिन पर 36.3 अरब डॉलर खर्च हुए। दूसरे नंबर पर भारत और तीसरे नंबर पर साउथ कोरिया रहा। साउथ कोरिया में कुल 10 सौदे हुए, जिन पर 7.6 अरब डॉलर खर्च किए गए।

यदि इस साल बैंकिंग सेक्टर में हुए विदेशी एमएंडए की बात करें तो इस मामले में भी एशिया प्रशांत क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले दोगुनी राशि के सौदे हुए। इस दौरान विदेशी एमएंडए के कुल 69 सौदे हुए और इन पर 23.8 अरब डॉलर खर्च किए गए। पिछले साल ऐसे महज 45 सौदे हुए थे और उन पर करीब 12 अरब डॉलर खर्च किए गए थे।
दिलचस्प यह है सिर्फ टॉप 5 डील्स पर खर्च की गई रकम सभी डील्स पर कुल मिलाकर खर्च की गई रकम की 46 फीसदी थी। टॉप 5 डील्स में पहले नंबर पर रही डील भारत में ही की गई। यह डील भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में भारत सरकार द्वारा 59.74 फीसदी हिस्सेदारी खरीदे जाने से संबंधित थी। इसकी रकम 8.7 अरब डॉलर थी।

आम उपभोक्ता को नहीं मिल पा रही रसोई गैस

सोनभद्र। रसोई गैस बदले परिवेश में सभी के लिए जरूरी है। लेकिन इसकी समस्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। किन्तु उसको होटलों व वाहन स्वामियों द्वारा स्टोर करके रखा जा रहा है। शहर के लोग रसोई गैस के लिए पूरे दिन लाइन लगाये खड़े रहते है। उनको नहीं मिल पा रही है। रात में गैस की गाड़ी आने पर वाहन स्वामी व होटल मालिकों द्वारा कालाबाजारी कर लिया जाता है। सुबह जब उपभोक्ता गैस लेने पहुंचता है तो गोदाम खाली पड़ा रहता है। इस समय खुले बाजार में इन गैस सिलेण्डरों का मूल्य 400 से 500 रुपये तक लिया जाता है। उक्त समस्याओं से परेशान होकर राष्ट्रीय जनकल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष मनोज द्विवेदी, उपाध्यक्ष अकबर अली व मण्डल महामंत्री प्रमोद सोनी ने बैठक करके रोष व्यक्त किया कि सरकारी अमले की उदासीनता के कारण ही गैस व किरासन तेल की कालाबाजारी हो रही है। बैठक में विजय सोनकर, लालू सोनकर, धर्मजीत यादव व अनिल दूबे समेत अन्य मौजूद थे।

'राष्ट्रीय खनन नीति रोजगारोन्मुख होगी'

रांची: राष्ट्रीय खनन नीति को रोजगारोन्मुख बनाया जाएगा। इससे युवा शक्ति को रोजगार उपलब्ध कराकर उन्हें देश की विकासधारा से सीधे जोड़ा जा सकेगा। ये बातें केंद्रीय खनन राज्य मंत्री डा.टीएस रेड्डी ने प्रदेश युवा कांग्रेस के तत्वावधान में 'रोजगारोन्मुख राष्ट्रीय खनन नीति का निर्माण हो' विषय पर रांची विश्वविद्यालय के सीनेट सभागार में आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में कहीं। रेड्डी ने कहा कि झारखंड खनिज संपदा से भरपूर है। इनका दोहन राज्य की आधारभूत संरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए श्रेयस्कर होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष जयशंकर पाठक ने कहा कि झारखंड खनिज उपलब्ध कराने के मामले में देश का सबसे शीर्ष राज्य है। उचित खनन नीति के अभाव में झारखंड के लोगों को इसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। इससे आर्थिक विकास अवरूद्ध है।
कार्यक्रम को मुख्य रूप से महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा पांडेय, प्रदेश कांग्रेस के सचिव सह कार्यालय प्रभारी मदन मोहन शर्मा व प्रदेश युवा कांग्रेस के पीआरओ सूर्यकांत तिवारी ने भी संबोधित किया।

फो‌र्ब्स एशिया की सूची में 12 भारतीय कंपनियां

तालियां (चीन)। टीसीएस और इन्फोसिस जैसी साफ्टवेयर कंपनियों के नेतृत्व में भारतीय कंपनियां एशिया में अभी भी सबसे मुनाफे वाली बनी हुई हैं।
फो‌र्ब्स एशिया की फैबुलेस 50 की सूची में 12 भारतीय कंपनियों को जगह मिली है। इसके बाद ताइवान की दस कंपनियां और चीन की सात कंपनियां इसमें शामिल हैं। फो‌र्ब्स एशिया ने एक विज्ञप्ति में बताया कि भारतीय आईटी आउटसोर्रि्सग कंपनियों में से चार ने सूची में जगह बनाई। टीसीएस भी इसमें शामिल है।
सूची में शामिल भारतीय कंपनियों में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स , भारती एयरटेल, ग्रैसिम इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस टेक्नालाजीज, लार्सन एंड टूब्रो, रिलायंस इंडस्ट्रीज, सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज, टीसीएस, टाटा स्टील और विप्रो हैं।

Thursday 6 September, 2007

गेहूं निर्यात में किया घोटाला : कटारिया

पानीपत, वरिष्ठ संवाददाता। यूपीए सरकार गेहूं आयात में घोटाला कर रही है। इसकी जांच सीबीआई से करवानी चाहिए। यह बात बीजेपी के पूर्व सांसद रतनलाल कटारिया ने कही।
बीजेपी कार्यालय में बुधवार को भाजपा ग्रामीण द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कटारिया ने कहा कि एनडीए सरकार ने अपने कार्यकाल के बाद 140 दिन का गेहूं सरप्लस छोड़कर गई थी। उसके समय में 33 हजार करोड़ का गेहूं 25 देशों में भेजा गया था। इस सब के बाद भी यूपीए सरकार ने किसानों की अनदेखी कर 8 लाख टन गेहूं आयात करने का फैसला किया। इसके बदले में सरकार ने प्रति टन 325 डालर देने का फैसला किया। जो देश को 19 सौ करोड़ रुपये का पड़ेगा। यह किसानों के साथ अन्याय है। क्योंकि सरकार देश में किसानों से 850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद रही है। इसके विरोध में बीजेपी ने 20 अगस्त को संसद पर किसानों के साथ प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा कि बीजेपी इस खरीद की जांच सीबीआई से करवाने की मांग करती है। उन्होंने कहा कि जब 265 डालर प्रति टन की दर से गेहूं मिल रहा था तो उस टेडर को रद कर सरकार ने 325 डालर प्रति टन की दर से गेहूं आयात का फैसला क्यों किया। उन्होंने कहा कि यह गेहूं देश को 17 रुपये प्रति किलो पड़ेगा।
कटारिया ने कहा कि सरकार आज ईसाई और मुसलमानों के वोट लेने के लिए धर्मांतरण किए हुए लोगों को भी आरक्षण देने का आश्वासन दे रही है। सरकार की नीयत इसको आध्यादेश लाकर लागू करने की है। उन्होंने कहा कि बीजेपी इसका विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि सोनिया के देश की सुपर प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में धर्मातरण की आंधी चल रही है। सोनिया वेटिकन सिटी को खु्श करने के हर संभव प्रयास कर रही है। और इस कारण देश में धर्मातरण जोरों पर है। इस मौके पर बीजेपी के जिला प्रधान संजय भाटिया, बीजेपी ग्रामीण के महामंत्री महिपाल ढांडा, सतवीर रोड़, देव कुमार मलिक आदि मौजूद थे।

एफटीए के प्रति आतुरता से बचे भारत

नई दिल्ली। कई देशों के साथ मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) करने को आतुर भारत को आगाह करते अंकटाड ने उसे ऐसे फैसलों से बचने की सलाह दी है। वर्ष 2007 की अपनी विकास एवं व्यापार रपट में संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी यूनाइटेड नेशंस कांफ्रेंस आन ट्रेड एंड डेवलपमेंट ने कहा है कि भारत जैसे विकासशील देशों को धनी देशों के साथ द्विपक्षीय या क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौते करने से बचना चाहिए। इसके बजाय वे ग्लोबल विकास योजनाओं को लागू करने का विकल्प अपने पास रखें।
अंकटाड की यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब भारत यूरोपीय संघ, जापान एवं दक्षिण कोरिया जैसे धनी देशों के साथ एफटीए या आर्थिक सहयोग समझौता करने के बारे में बातचीत कर रहा है। एजेंसी ने विकासशील देशों से कहा कि वे एफटीए को केवल निर्यात और आयात पर पड़ने वाले प्रभाव के नजरिए से न देखें, बल्कि उन्हें इन समझौतों को वैकल्पिक योजनाएं लागू करने की क्षमता पर पड़ने वाले प्रभाव के रूप में भी देखना चाहिए।
अंकटाड ने चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। चालू वित्त वर्ष 2007-08 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी विकास दर 9.3 प्रतिशत रही है। अंकटाड का आकलन भारतीय रिजर्व बैंक के आकलन जैसा ही है। रिजर्व बैंक ने वर्ष 2007-08 के दौरान 8.5 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान पेश किया है। अंकटाड ने वर्ष 2006-07 के दौरान 9.2 प्रतिशत की विकास दर के सरकारी आंकड़ों के आधार पर चालू वित्तवर्ष की विकास दर का अनुमान पेश किया है।
एजेंसी में विकासशील देशों से संबद्ध मामलों के महानिदेशक (अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) नागेश कुमार ने कहा कि ये केवल प्रारंभिक आंकड़े हैं। उनकी व्यक्तिगत राय में भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष के दौरान नौ प्रतिशत से कम की दर से विकास नहीं करने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की विकास दर भले ही प्रभावशाली लगती हो, लेकिन वह चीन की विकास दर से पीछे ही है। पड़ोसी देश वर्ष 2003 से लगातार कम से कम दस प्रतिशत की जीडीपी विकास दर हासिल कर रहा है।

अनिल प्रोडक्ट्स निवेश करेगी

अनिल प्रोडेक्ट्स लिमिटेड (एपीएल) ने कहा कि वह आगामी नौ महीनों में 60 करोड़ रुपए का निवेश कर उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगी।

एपीएल अहमदाबाद स्थित स्टार्च का उत्पादन करने वाली कंपनी है जिसकी मौजूदा क्षमता 450 टन प्रति दिन की है।

कंपनी के प्रबंध निदेशक अमोल सेठ ने बताया एपीएल मौजूदा क्षमता का विस्तार करने के लिए नौ महीनों में 60 करोड़ रुपए का निवेश करेगी।

सेठ ने बताया कि कंपनी निवेश राशि को रिण और आंतरिक संसाधनों के जरिए जुटाएगी।

इलाहाबाद बैंक ने होम लोन पर इन्टरेस्ट रेट घटाए

नई दिल्ली (वाणिज्यिक प्रतिनिधि) : पब्लिक सेक्टर के इलाहाबाद बैंक ने नए हाउसिंग लोन पर इन्टरेस्ट रेट 1 फीसदी कम कर दिया है। यह कमी फ्लोटिंग और फिक्स्ड दोनों तरह के होम लोन पर की गई है।
यह कमी 20 लाख से कम और ज्यादा राशि के अलग-अलग अवधि के लोन पर लागू होगी। इन्टरेस्ट रेट में कमी 4 सितंबर से ही लागू हो चुकी है।

Wednesday 5 September, 2007

गेहूं आयात का फैसला किसानों से दगा: भाजपा

नई दिल्ली। आंतरिक सुरक्षा के अलावा महंगाई और किसानों से जुड़े मुद्दों पर संप्रग सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही भाजपा के हाथ एक और मुद्दा लग गया है। यह मुद्दा फिर से कृषि एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री शरद पवार के मंत्रालय ने दिया है।
भाजपा ने पहले ही गेहूं आयात में घपले का आरोप लगाते हुए संप्रग सरकार पर सीबीआई जांच का दबाव बनाया था।इस बीच मंत्रालय ने पहले से भी ज्यादा दामों पर विदेशी गेहूं खरीदने का फैसला कर लिया है। इसके लिए सरकार भारतीय किसानों की तुलना में विदेशियों को दोगुनी कीमत देगी। भाजपा ने इसे केंद्र सरकार की दिनदहाड़े लूट बताते हुए भारतीय किसानों के साथ घात बताया है।
गौरतलब है कि केंद्र ने अभी 390 डालर प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से गेहूं आयात को मंजूरी दी है। मतलब भारतीय किसानों को गेहूं के लिए जहां 850 रुपये प्रति क्विंटल मिलता है, वहीं विदेशी किसानों को सरकार 1600 रुपये के हिसाब से भुगतान करेगी। पहले भी गेहूं आयात में घपले का आरोप लगाने वाले भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडे़कर ने सरकार के नए कदम को 'व्हीटगेट' कांड का नाम दिया और कहा कि किसान अपने साथ हुए इस घात के लिए केंद्र को माफ नहीं करेगा।
जावड़ेकर ने याद दिलाया कि जून में इस सरकार ने 263 डालर के हिसाब से प्रति मीट्रिक टन गेहूं आयात करने का टेंडर यह कहते हुए खारिज कर दिया कि दाम बहुत ज्यादा है। इसके ठीक 10 दिन बाद सरकार ने 325 डालर प्रति मीट्रिक टन के लिहाज से 5.7 लाख टन गेहूं आयात का फैसला कर लिया। सरकार के पास इस विचित्र फैसले का कोई जवाब नहीं था। उसका हर तर्क साफ इशारा कर रहा है कि इस पूरे सौदे में बड़ी घपलेबाजी हुई है।
सरकार ने 390 डालर प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से आठ लाख टन गेहूं आयात को हरी झंडी दे दी है। जावडे़कर ने कहा कि यह दिनदहाड़े डकैती है। सरकार ने 263 डालर प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से सौदे को मंहगा बताते हुए रद करने पर कई तर्क दिए थे। जावड़ेकर ने कहा, भाजपा ने उसी समय मंहगा आयात करने के मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की थी, लेकिन सरकार के कान पर अब तक जूं नहीं रेंगी।
भाजपा प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि आखिर सरकार अपने इस फैसले के पक्ष में क्या तर्क दे सकती है? विदेशी किसानों को दूने दाम देना भारतीय किसानों के साथ अन्याय तो है ही और उनका अपमान भी। जावड़ेकर ने कहा कि 'भारतीय किसान सिर्फ 1100 रुपये के हिसाब से भुगतान की मांग कर रहे हैं। उन्हें सरकार यह दाम नहीं दे रही, लेकिन विदेशी किसानों को 1600 रुपये की दर से भुगतान करने को राजी है।' उन्होंने सतर्कता एजेंसियों और अदालत से अपील की कि वे स्वत: इस मामले का संज्ञान लेकर सरकार का घपला उजागर करें, क्योंकि वह विपक्ष की सीबीआई जांच की मांग को स्वीकार नहीं कर रही। भाजपा प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर देशव्यापी आंदोलन का एलान किया।

टाटा मोटर्स की बिक्री में गिरावट का रुख

नई दिल्ली: आटोमोबाइल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा मोटर्स ने अगस्त 2007 के दौरान कुल मिलाकर 45 हजार 144 वाहन बेचे जो पिछले साल के समान माह की तुलना में 0.4 प्रतिशत कम है।
टाटा मोटर्स द्वारा जारी किए गए एक वक्तव्य के अनुसार पिछले महीने कंपनी के व्यावसायिक वाहनों की घरेलू बिक्री 1.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 23 हजार 431 वाहनों के स्तर पर पहुंच गई। इस दौरान कंपनी ने 16 हजार 620 कारों और बहुपयोगी वाहनों की भी बिक्री की, लेकिन यह पांच प्रतिशत की गिरावट दर्शाती है। कंपनी का निर्यात आठ प्रतिशत बढ़कर पांच हजार 93 वाहनों के स्तर पर पहुंच गया।

प्रिया गोल्ड का आईपीओ जनवरी में

नई दिल्ली: प्रिया गोल्ड ब्रांड के लिए ख्यातिप्राप्त सूर्या फूड एंड एग्रो लिमिटेड ने आगामी जनवरी माह के दौरान आरंभिक पब्लिक इश्यू (आईपीओ) लाने की योजना बनाई है। इसके आकार के बारे में अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं किया जा सका है। कंपनी इसके जरिए जुटाई जाने वाली राशि का उपयोग अपनी विस्तार योजनाओं में करेगी।
कंपनी के चेयरमैन बी पी अग्रवाल ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत के दौरान बताया कि आईपीओ लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। एक सलाहकार फर्म कायनेल को इसकी रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है।
कंपनी ने हरिद्वार के पास एक चाकलेट और कनफेक्शनरी प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है। इस पर 45 से 50 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके लिए आवश्यक धन का इंतजाम इसी आईपीओ से हासिल राशि के जरिए किया जाएगा। कंपनी अपने प्लांट का भवन निर्माण कार्य पूरा कर चुकी है, जबकि मशीनों की स्थापना का काम बाकी है।
इसी प्रकार कंपनी ने अपनी बिस्कुट उत्पादन क्षमता बढ़ाने की भी योजना बनाई है। मौजूदा समय में कंपनी की बिस्कुट उत्पादन क्षमता 300 टन प्रतिदिन है। इसे बढ़ाकर 350 टन दैनिक करने की भी योजना है। कंपनी का सालाना कारोबार लगभग 300 करोड़ रुपये है। चालू वित्त वर्ष के दौरान इसमें 15 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है।

अब नहीं होगी बैंक ग्राहकों की समस्याओं की अनदेखी

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। आप अगर किसी सरकारी बैंक के ग्राहक हैं और बैंक शाखा में आपकी समस्याओं की अनदेखी की जा रही है तो इस खबर से आपको निश्चित तौर पर काफी राहत मिलेगी। दरअसल, अब सरकारी बैंकों को अपनी सभी शाखाओं में एक बैंक ग्राहक समिति का गठन करना होगा। इन समितियों में संबंधित शाखा के दो-तीन शीर्ष अधिकारियों के अलावा चुनिंदा ग्राहक भी सदस्य होंगे। इसके अलावा जिस स्थान पर शाखा होगी उसके आसपास रहने वाले किसी प्रतिष्ठित बुजुर्ग व्यक्ति को भी इस समिति का सदस्य बनाया जाएगा। यह समिति न केवल ग्राहकों की समस्याओं को अपने स्तर पर सुलझाने की कोशिश करेगी, बल्कि समिति के सुझावों पर उच्च स्तर पर कार्रवाई भी संभव होगी।
इस समिति की बैठक महीने में एक बार होगी। बैठक में ग्राहकों की समस्याओं और सुझावों पर चर्चा होगी। बैंक शाखा के पास ग्राहकों की समस्याओं से संबंधित जितने मामले आएंगे उन पर समिति विचार-विमर्श करेगी। जब समिति के स्तर पर इन समस्याओं का निपटारा नहीं हो सकेगा तब इसे उच्च स्तर पर भेजा जाएगा। यह भी तय किया गया है कि यह समिति हर तीन माह में अपने सुझाव या रिपोर्ट ग्राहक सेवा पर गठित राज्यस्तरीय समिति को भेजेगी। राज्यस्तरीय समिति का गठन पूरे प्रदेश के बैंकों के प्रतिनिधियों को मिलाकर किया जाता है। शाखा स्तर पर बनने वाली समिति के पास कोई भी ग्राहक या समिति का सदस्य किसी समस्या या सुंझाव के साथ उपस्थित हो सकता है।
बैंकों में शाखा स्तर पर समिति बनाने का मसला पहली बार नहीं उठा है। काफी समय पहले तलवार समिति ने सभी वाणिज्यिक बैंकों में शाखा स्तर पर एक समिति गठित करने का सुझाव दिया था। तलवार समिति का कहना था कि ग्राहकों की समस्याओं के समाधान के लिए इस तरह की समिति का गठन होना चाहिए। सरकार ने इसके बाद सभी बैंकों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया था। बाद में भारतीय रिजंर्व बैंक ने गोईपोरिया समिति गठित की थी। इस समिति का गठन ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं को बेहतर बनाने पर सुझाव देने के लिए किया गया था। गोईपोरिया समिति ने इस बात पर ऐतराज जताया था कि तलवार समिति के सुझावों को अभी तक अमल में नहीं लाया गया है।
इसके बाद जब रिजर्व बैंक ने जांच-पड़ताल करवाई तो यह पाया गया कि उसके निर्देशों के बावजूद शाखा स्तर पर बैंक ग्राहक समिति बनाने का कोई खास प्रयास नहीं किया गया है। कुछ शाखाओं में ऐसी समितियां बनाई गई थीं, लेकिन न तो उनकी कोई बैठक हुई और न ही उनकी कोई अन्य गतिविधि देखी गई है। आरबीआई ने फिर से सभी बैंकों को यह निर्देश दिया है कि वे अपनी तमाम शाखाओं के स्तर पर इस तरह की समितियां गठित करें। ग्राहकों से संभवत: ज्यादा जमाराशि जुटाने के प्रयासों के तहत ही केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। देश में लगभग एक लाख बैंक शाखाएं हैं।

Tuesday 4 September, 2007

रुपये की मजबूती के बावजूद निर्यात बढ़ा

नई दिल्ली: डालर के मुकाबले रुपये की खासी मजबूती के बावजूद जुलाई 2007 के दौरान निर्यात में 18.52 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान निर्यात 10.54 अरब डालर से बढ़कर 12.49 अरब डालर के स्तर पर पहुंच गया है। आयात वृद्धि दर तेज रहने से चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान कुल व्यापार घाटा भी 15.84 अरब डालर से बढ़कर 25.61 अरब डालर तक जा पहुंचा है।
वाणिज्य मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई के दौरान आयात में निर्यात के मुकाबले कहीं अधिक 20.40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे आयात 14.54 अरब डालर के मुकाबले 17.50 अरब डालर पर पहुंच गया है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई माह के दौरान निर्यात में 18.22 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई जिससे यह 39.58 अरब डालर के मुकाबले 46.79 अरब डालर पर पहुंच गया है। इस दौरान आयात में भी 30.65 फीसदी की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह 55.42 अरब डालर से बढ़कर 72.41 अरब डालर तक जा पहुंचा है। इसी वजह से इन चार महीनों के दौरान कुल व्यापार घाटा भी काफी बढ़ गया है।
जुलाई 2007के दौरान मशीनरी आयात 25.86 फीसदी बढ़कर 12.46 अरब डालर हो गया है। दूसरी ओर तेल आयात 8.75 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 5.04 अरब डालर पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान मशीनरी आयात 43.73 फीसदी बढ़कर 52.53 अरब डालर पर पहुंच गया है। इस अवधि में तेल आयात में सिर्फ 5.33 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

खेती-बाड़ी के लिए अब लक्ष्य से अधिक ऋण

नई दिल्ली: बैंक अब खेती-बाड़ी के लिए दिल खोल कर ऋण दे रहे हैं। ताजा आंकड़े इसके गवाह हैं। वाणिज्यिक, सहकारी एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने वर्ष 2006-07 के दौरान कृषि क्षेत्र के लिए लक्ष्य से 16 प्रतिशत अधिक ऋण दिया। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब बैंकों ने सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य से अधिक राशि इस क्षेत्र के लिए जारी की है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक गत 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में वाणिज्यिक, सहकारी एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने खेती-बाड़ी के लिए कुल मिलाकर 20 खरब तीन अरब रुपये उपलब्ध कराए, जबकि सरकार ने इस दौरान 17 खरब 50 अरब रुपये मुहैया कराने का लक्ष्य रखा था। यदि प्रतिशत के लिहाज से देखा जाए तो यह लक्ष्य से 16 प्रतिशत अधिक है।
इससे पहले वर्ष 2005-06 में बैंकों ने 14 खरब 10 अरब रुपये के तय लक्ष्य के मुकाबले 18 खरब रुपये का ऋण स्वीकृत किया था। यह लक्ष्य से 28 प्रतिशत अधिक था। वर्ष 2004-05 में भी कृषि ऋण कुल मिलाकर 12 खरब 53 करोड़ रुपये रहा था जो लक्ष्य से काफी ज्यादा था।
बैंकिंग क्षेत्र में निजी बैंकों के खासे दखल के बाद भी खेती-बाड़ी की ओर बढ़ते रुझान को एक अच्छा संकेत माना जा रहा है। वजह यह है कि कुछ वर्ष पहले तक कृषि क्षेत्र के लिए धनराशि उपलब्ध कराना एक दायित्व माना जाता था जिसे बैंक बेमन से पूरा करते थे।
एक अग्रणी सरकारी बैंक के एक उच्च पदस्थ अधिकारी का कहना है कि अब खेती-बाड़ी क्षेत्र में भी नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। सबसे अलग बात यह दिख रही है कि अब किसान फसल कटने के बाद बैंकों का रुख करने से कतराते नहीं हैं, बल्कि पहले ऋण की अदायगी करते हैं। किसानों के रुख में आए इस बदलाव का सकारात्मक असर वर्ष 2004-05 में नजर आया।

सेंसेक्स की उड़ान लगातार सातवें दिन जारी

मुंबई: पूंजीगत सामान निर्माता, सार्वजनिक उपक्रम, बैंकिंग और फार्मा कंपनियों के शेयरों को मिले भारी समर्थन की वजह से देश के शेयर बाजारों में लगातार सातवें कारोबारी दिन तेजी रही।
बम्बई स्टाक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक 103 अंक और नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी सूचकांक 11 अंक ऊपर चढ़ गया। सेंसेक्स कुल 103.45 अंक यानी 0.68 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 15422.05 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी 10.75 अंक यानी 0.24 प्रतिशत की बढ़त के साथ 4474.75 अंक रहा।
पिछले शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर अनुमान से बेहतर रहने और मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत से नीचे आने के समाचार मिलने से शेयर बाजारों ने चौतरफा लिवाली की बदौलत जो छलांग लगाई थी उसका सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा।
अमेरिका के फेडरल बैंक के अध्यक्ष बेन बर्नानके और वहां के राष्ट्रपति जार्ज बुश के अर्थव्यवस्था को डगमगाने नहीं देने संबंधी बयान से शुक्रवार को वहां के शेयर बाजारों में आई तेजी के असर से देश के शेयर बाजार भी बढ़त के साथ खुले। सेंसेक्स 15318.60 अंक की तुलना में 15401.99 अंक पर ऊंचे में खुला और 15427.16 अंक के उच्चतम स्तर तक गया। ऊंचे भावों पर मुनाफावसूली के कारण यह 15323.05 अंक तक गिरा। हालांकि एशिया और यूरोप के बाजारों में मिलाजुला रुख रहा।
बीएसई में कुल 2773 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ। उनमें से 1965 लाभ में और 752 नुकसान में रहीं जबकि 56 के भावों में कोई बदलाव नहीं हुआ। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में 22 लाभ और आठ नुकसान में रहीं।
मझोली और लघु कंपनियों के शेयर सूचकांक बढ़त में रहे। ये क्रमश: 1.69 और 1.66 प्रतिशत ऊपर गए। टिकाऊ उपभोक्ता सामान कंपनियों का सूचकांक सबसे ज्यादा 2.63 प्रतिशत चढ़ा।
पीएसयू, बैंकेक्स, हेल्थकेयर, एफएमसीजी, पूंजीगत सामान निर्माता और रीयल एस्टेट कंपनियों के सूचकांक में एक प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त रही। केवल तेल एवं गैस कंपनियों का सूचकांक 0.06 प्रतिशत नीचे रहा।
एनटीपीसी के विनिवेश के समाचार से उसका शेयर सबसे ज्यादा 6.95 प्रतिशत चढ़ा। यह 12.05 रुपये के फायदे के साथ 185.35 रुपये पर बंद हुआ। फार्मा कंपनियों में डा. रेड्डीज लैब का शेयर 3.87 प्रतिशत, सिप्ला 2.75 प्रतिशत और रैनबैक्सी का शेयर 1.24 प्रतिशत ऊपर गया। बीएचअीएल का शेयर 2.74 प्रतिशत और आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 2.56 प्रतिशत ऊपर गया। आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, हिंडाल्को और मारुति उद्योग के शेयर भी लाभ में रहे।
सबसे ज्यादा नुकसान ओएनजीसी के शेयर में रहा। यह 1.82 प्रतिशत यानी 15.60 रुपये टूटकर 841.95 रुपये पर बंद हुआ। रिलायंस का शेयर 0.20 प्रतिशत यानी 3.95 रुपये नीचे 1955.55 रुपये का रहा। विप्रो और बजाज आटो का शेयर एक एक प्रतिशत से अधिक नीचे आया। भारती एयरटेल, टीसीएस, रिलायंस एनर्जी और ग्रासिम के शेयर भी नुकसान वाली कंपनियों में शामिल रहीं।

पार्श्वनाथ का गुड़गांव एसईजेड अधिसूचित

मुंबई (पीटीआई) : केंद्र ने रीयल एस्टेट कंपनी पार्श्वनाथ के गुड़गांव के आईटी और आईटीईएस विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) की अधिसूचना जारी कर दी है। इस एसईजेड में कंपनी 1,725 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
पार्श्वनाथ डिवेलपर्स लिमिटेड सहायक कंपनी पार्श्वनाथ एसईजेड के पास अब इंदौर और गुड़गांव में आईटी और आईटीईएस के दो अधिसूचित एसईजेड हैं। कंपनी ने बताया कि संयुक्त रूप से दोनों अधिसूचित एसईजेड में 1.6 करोड़ वर्ग गज क्षेत्र को विकसित किया जाना है। पार्श्वनाथ के चेयरमैन प्रदीप जैन ने बताया कि गुड़गांव एसईजेड में हम 1,725 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे।
कंपनी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को भेजी सूचना में कहा है कि गुड़गांव एसईजेड 105 एकड़ में फैला है और इसमें एक करोड़ वर्ग गज क्षेत्र को डिवेलप किया जा सकता है। शुरू होने के बाद इस प्रोजेक्ट को तीन साल में पूरा किया जाना है।
सूचना में कहा गया है कि कंपनी के देहरादून, कोच्चि और हैदराबाद एसईजेड को भी औपचारिक मंजूरी मिल चुकी है। इन क्षेत्रों में 1.17 करोड़ वर्ग गज क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। कंपनी के 7 और एसईजेड जिनमें 17 करोड़ वर्ग गज क्षेत्र को डिवेलप किया जाएगा, को सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है।

Monday 3 September, 2007

पूर्वी क्षेत्र के बाजार पर टीसीएल की नजर

कोलकाता: चीन की अग्रणी कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स कंपनी टीसीएल ने पूर्वी क्षेत्र के कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स बाजार के 10 फीसदी हिस्से पर कब्जा जमाने का लक्ष्य रखा है। इस सिलसिले में टीसीएल इंडिया होल्िडग्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक वारेन वांग ने कहा कि कंपनी ने पूर्वी क्षेत्र में भी अपनी ब्रांड रणनीति 'दी क्रिएटिव लाइफ' बनायी है। इसके तहत इस क्षेत्र में कंपनी अपने उत्कृष्ट उत्पादों की पेशकश करेगी। इस मौके पर टीसीएल के उपाध्यक्ष राजेश राठी ने कहा कि कंपनी ने विस्तार की योजना बनायी है। गौरतलब है कि कंपनी ने पूर्वी क्षेत्र में रंगीन टेलीविजन नये माडल लांच किये है।

महंगाई का बोझ उतरने से तेज चाल चलेगा सेंसेक्स

नई दिल्ली। परमाणु करार पर राजनीतिक अनिश्चितता के बादल छंटने और उत्साहजनक ग्लोबल घटनाक्रम से 31 अगस्त को समाप्त सप्ताह में सेंसेक्स पुरानी रंगत में लौट आया। महंगाई का बोझ अब हल्का हो चुका है और अर्थव्यवस्था की मनमोहक गुलाबी तस्वीर से सेंसेक्स के आने वाले सप्ताह में भी आगे बढ़ने की उम्मीद है।
वित्तीय बाजार के हाल के संकट के बाद अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिए फेडरल रिजर्व की ओर से कदम उठाने के बारे में दिए गए बयान से बीते हफ्ते बाजार धारणा पर सकारात्मक असर हुआ। इसके चलते समीक्षाधीन सप्ताह में बंबई शेयर बाजार के तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स ने 893.73 अंक का लार्भ दर्ज किया। यह सर्वाधिक साप्ताहिक लाभ है। सप्ताहांत में सेंसेक्स 15318.60 पर बंद हुआ। इससे पूर्व के सप्ताहांत में यह 14424.87 पर बंद हुआ था। सप्ताह के दौरान बीएसई और एनएसई में कारोबार का आकार सुधरकर क्रमश: 23781 करोड़ रुपये और 55077 करोड़ रुपये रहा। पिछले सप्ताहांत यह क्रमश: 21716 करोड़ रुपये और 49899 करोड़ रुपये था।
पूरे महीने भारी शुद्ध बिकवाल रहे विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शर्ट कवरिंग की और समीक्षाधीन अवधि में 1258 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने सेंसेक्स के उछाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1390 करोड़ रुपये बाजार में लगाए। अप्रैल-जून तिमाही के दौरान जीडीपी की 9.3 प्रतिशत विकास दर और मुद्रास्फीति की दर चार प्रतिशत से नीचे रहने के कारण बाजार में आगे भी उत्साह बने रहने की उम्मीद है। पहली तिमाही के विकास परिणामों से उत्साहित वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने विश्वास जताया कि पूरे वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था की विकास दर नौ प्रतिशत के आसपास रहेगी।

बढ़ सकती है पेट्रोल, डीजल की कीमत

नई दिल्ली: सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों को हो रहे नुकसान की भरपाई को लेकर यदि वित्त मंत्रालय का नजरिया लागू हुआ तो पेट्रोल, डीजल की कीमतें बढ़ेंगी।
वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को तेल बांड जारी करने से पहले पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू कीमतें बढ़ाने का पक्षधर है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि तेल बांड जारी करने से पहले हम घरेलू कीमतें बढ़ाना चाहेंगे। लेकिन बांड जारी करने के लिए यह पूर्वशर्त नहीं है। वस्तुत: सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनियों ने पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और कैरोसिन की कीमतों में तत्काल बढ़ोतरी की मांग की है क्योंकि उन्हें इन चार उत्पादों की बिक्री से रोजाना 185 करोड़ रुपये का भारी भरकम नुकसान हो रहा है।
सरकार विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद घरेलू कीमतें कम होने के कारण तेल कंपनियों को हो रहे घाटे की भरपाई के लिए बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला जा सकता।
कैबिनेट ने हाल ही में आयल इंडिया में सरकार की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी, इंडियन आयल की ढाई ढाई प्रतिशत हिस्सेदारी, एचपीसीएल तथा बीपीसीएल को देने का फैसला किया है। इसके पीछे मंशा यही है कि इन कंपनियों को ये हिस्सेदारी बाद में कभी बेचकर अपने घाटे की भरपाई का विकल्प प्रदान किया जा सके।

बाजार में बना रहेगा तेजी का सिलसिला

नई दिल्ली (वार्ता) : अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की अटकलों से वहां के सब प्राइम संकट को लेकर दुनिया भर में व्याप्त चिंता कम होने के साथ-साथ देश में राजनीतिक अनिश्चितता के बादल छंटने, आर्थिक विकास दर के अनुमान से बेहतर रहने और महंगाई की दर के 4 प्रतिशत से नीचे आ जाने से इस सप्ताह शेयर बाजारों में आई तेजी के अगले हफ्ते भी बने रहने की संभावना है। पूरे माह बिकवाल रहे विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सप्ताह के दौरान शॉर्ट पोजिशन लेनी शुरू की और 1250 करोड़ रुपये से अधिक की खरीदारी की। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भी करीब 1400 करोड़ रुपये झोंके।

पिछले सप्ताह शुक्रवार से चला तेजी का सिलसिला पूरे सप्ताह कायम रहा। सप्ताहांत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सेंसेक्स ने 893.73 अंक यानी 6.2 प्रतिशत अंक की बढ़त ली और यह 14424.87 अंक से 15398.60 अंक पर पहुंच गया। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी सूचकांक 273.85 अंक यानी 6.53 प्रतिशत की बढ़त के साथ 4464.00 अंक पर टिका।
बीएसई का ऑटो सूचकांक 6.76 प्रतिशत बढ़कर 4874.05 अंक पर चला गया। कैपिटल गुड्स सूचकांक 6.36 प्रतिशत की बढ़त के साथ 13424.74 अंक रहा। आईटी सूचकांक 4.02 प्रतिशत बढ़कर 4585.66 अंक पर पहुंच गया। मिडकैप ने 6608.42 अंक पर 6.75 प्रतिशत यानी 417.97 अंक तथा स्मॉलकैप ने 8060.52 अंक पर 6.99 प्रतिशत यानी 525.59 अंक की बढ़त पाई।

Saturday 1 September, 2007

टाटा के उड़ीसा संयंत्र पर काम नवंबर से

भुवनेश्वर: इस्पात क्षेत्र में विश्व की छठी सबसे बड़ी कंपनी टाटा स्टील उड़ीसा के कलिंग नगर में 60 लाख टन क्षमता वाले अपने प्रस्तावित संयंत्र का निर्माण कार्य नवंबर में शुरू कर देगी।
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक बी. मुथुरामन ने बृहस्पतिवार शाम राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात के बाद संवाददाताओं को बताया कि हम इस साल नवंबर में निर्माण कार्य शुरू कर देंगे।
मुथुरामन ने कहा कि कंपनी ने उड़ीसा सरकार से लौह अयस्क खानों की मांग की है। उम्मीद है कि ये खानें कंपनी को जल्दी ही मिल जाएंगी। उन्होंने कहा कि कंपनी ने इस परियोजना के लिए 45 अरब रुपये के उपकरणों का आर्डर दे दिया है।
गौरतलब है कि टाटा स्टील ने कलिंग नगर औद्योगिक परिसर में अपना संयंत्र लगाने के लिए 2004 में राज्य सरकार से समझौता किया था। लेकिन भूमि अधिग्रहण के मसले पर स्थानीय लोगों के विरोध प्रदर्शन के कारण इसमें देरी हुई है।
सरकार ने टाटा को इस परियोजना के लिए 2000 एकड़ भूमि आवंटित की है। मुथुरामन ने बताया कि कंपनी ने निर्माण स्थल से अभी तक 620 परिवारों का पुनर्वास किया है। अभी 1200 अन्य परिवारों का पुनर्वास होना है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में आई और तेज़ी

भारतीय अर्थव्यस्था में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी जारी है। ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़ इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 9।3 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

इस साल अप्रैल से जून तक की पहली तिमाही में ये बढ़ोत्तरी ऐसे समय हुई है जब जानकार आकलन लगा रहे थे कि बढ़ोत्तरी 8.9 फ़ीसदी रहेगी। लेकिन बढ़ोत्तरी रही 9.3 फ़ीसदी।

लेकिन भारत सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि उच्च विकास दर के कारण क़ीमतें भी बढ़ रही हैं। पिछले 10 सालों में भारत की औसत विकास दर सात फ़ीसदी रही है, जो दुनिया में सबसे ज़्यादा है।

दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाले देशों में से एक भारत में बढ़ते विकास दर से लोगों का जीवन स्तर सुधरा तो है ही इससे विदेशी निवेश को भी बढ़ावा मिला है।

क़ीमतें

लेकिन ज़्यादा विकास दर से क़ीमतें भी बढ़ी हैं, ख़ासकर नियमित इस्तेमाल की चीज़ें जैसे- गेहूँ, प्याज़ और सब्ज़ियाँ।

यह भी माना जा रहा है कि इतने विकास दर के बावजूद अभी भी भारत की 60 फ़ीसदी आबादी अभी भी ग़रीबी रेखा के आसपास रहती है।

देश के बढ़ते विकास दर के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पहले ही कह चुके हैं कि देश में आय के आधार पर लोगों के बीच बढ़ती खाई को पाटने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ये भी कह चुके हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था जब 10 फ़ीसदी की वार्षिक दर से बढ़ेगी तभी ग़रीबी ख़त्म करने में मदद मिलेगी।

विकास

पिछले वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 9.4 फ़ीसदी की दर से बढ़ी थी। जो पिछले 18 वर्षों में सर्वाधिक था।

इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 9.3 फ़ीसदी विकास दर से बढ़ती अर्थव्यवस्था का संकेत मिलता है।

साथ ही पिछले 15 महीनों में पहली बार मुद्रा स्फ़ीति की दर भी चार फ़ीसदी से नीचे पहुँच गई है। 18 अगस्त को ख़त्म हुए सप्ताह में मुद्रा स्फ़ीति की दर 3.94 फ़ीसदी रही।

पहली तिमाही में विकास दर में आई तेज़ी को निर्माण और सेवा क्षेत्र में आई उछाल से जोड़कर देखा जा रहा है। निर्माण क्षेत्र में 11.9 फ़ीसदी और सेवा क्षेत्र में 10.6 फ़ीसदी वार्षिक दर से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

कृषि क्षेत्र में भी 3.8 फ़ीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। इस क्षेत्र पर सरकार का ख़ास ध्यान है और सरकार चाहती है कि अर्थव्यवस्था में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में भी विकास हो।

चाय उद्योग की हालत सुधारने की कोशिश

गुवाहाटी। मंदी के दौर से गुजर रहे भारतीय चाय उद्योग ने चाय का उत्पादन बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने की रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है। सस्ती चाय उत्पादित करने वाले देशों की ओर से मिल रही चुनौती के बावजूद भारतीय चाय उद्योग का हौसला बढ़ रहा है।
वाणिज्य राज्य मंत्री जयराम रमेश ने एक बातचीत में कहा कि चाय उद्योग की सेहत सुधारने के लिए बनाई गई नई रणनीति का उद्देश्य चाय का उत्पादन और चाय की गुणवत्ता दोनों में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि हमें सकारात्मक परिणाम मिल रहे है और वर्ष 2007 चाय उद्योग के लिए अच्छा वर्ष साबित होने जा रहा है। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है।
पिछले साल भारत ने रिकॉर्ड 95.5 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन किया। अकेले पूर्वोत्तर राज्य असम की भारतीय चाय उद्योग में करीब 55 फीसदी की भागीदारी है। 1.5 अरब डॉलर वाला भारतीय चाय उद्योग 1998 से ही मंदी की मार झेल रहा है और निर्यात में गिरावट का सिलसिला जारी रहा है। लेकिन हाल में चाय उद्योग की सेहत में सुधार के संकेत मिलने लगे है।

आठ हजार टन दाल आयात की योजना

नई दिल्ली। घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और मूल्य नियंत्रित रखने के प्रयासों के तहत सरकार ने अक्टूबर तक आठ हजार टन दालों के आयात की योजना बनाई है। आयात की जाने वाली दालों में अरहर, मसूर और उड़द शामिल होंगी। यह काम सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी पीईसी के जरिए होगा।
पीईसी के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने आयात के लिए टेंडर मांगे हैं। यह छह सितंबर को बंद हो जाएंगे। आयात में 4000 टन अरहर, 3000 टन मसूर और एक हजार टन उड़द की दाल शामिल होगी। सरकार ने अप्रैल में घोषणा की थी कि आपूर्ति और मांग के अंतर को पाटने के लिए वह इस साल 15 लाख टन दालों का आयात करेगी। इससे दालों की कीमत को स्थिर रखने में भी मदद मिलेगी। अब तक 10.38 लाख टन दालों के आयात का ठेका दिया जा चुका है। इसमें से दो लाख टन से कुछ अधिक माल देश में पहुंच चुका है। शेष दाल की आपूर्ति भी जल्द ही होने की उम्मीद है।