Wednesday 31 October, 2007

रिजर्व बैंक ने सीआरआर बढ़ाई

मुंबई- रिजर्व बैंक ने अर्थतंत्र में मौद्रिक तरलता की लगातार वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए बैंकों का नकद सुरक्षित अनुपात (सीआरआर) आधा प्रतिशत बढ़ाते हुए इसे 7.5 प्रतिशत कर दिया।

बैंक दर, रेपो और रिवर्स रेपो दर में कोई फेरबदल नहीं किया गया है। सीआरआर में आधा प्रतिशत की वृद्धि 10 नवंबर से शुरु होने वाले पखवाड़े से लागू होगी।

वर्ष 2007-08 की वार्षिक ऋण एवं मौद्रिक नीति की अर्धवार्षिक समीक्षा जारी करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहा है कि यदि कच्चे तेल के दाम और नहीं बढ़ते हैं और घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में कोई बड़ा उलटफेर यदि नहीं होता है तो जीडीपी की विकास दर 8.5 प्रतिशत पर रहने का पुर्वानुमान कायम रहेगा।

रेड्डी ने सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंकों के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशकों के साथ बैठक में मौद्रिक नीति की अर्धवार्षिक समीक्षा पर विचार-विमर्श किया। इसमें मुद्रास्फीति को 4 से 4.5 प्रतिशत के दायरे में लाने के प्रयास करते हुए 5 प्रतिशत के दायरे में नियंत्रित रखने का जिक्र किया गया है।

बैंक ने अर्थतंत्र में नकदी प्रसार में वृद्धि को 17 से 17.5 प्रतिशत के बीच रखने का लक्ष्य तय किया हुआ है जबकि 12 अक्टूबर 2007 को इसमें 21.8 प्रतिशत वृद्धि की रफ्तार बनी हुई थी।

इस पर और अंकुश लगाने के लिए बैंक ने सीआरआर आधा प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया। केन्द्रीय बैंक के इस कदम से बैंकों की अरबों रुपए की नकदी रिजर्व बैंक के खजाने में चली जाएगी।

मौद्रिक समीक्षा में बैंक ने कहा है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर अप्रैल 2006 के 6.4 प्रतिशत के मुकाबले 13 अक्टूबर 07 को घटकर 3.1 प्रतिशत रह गई।

बैंकों में इस दौरान जमा राशि में वृद्धि 20 प्रतिशत के मुकाबले इस साल 25 प्रतिशत बढ़कर 5,69,061 करोड़ रुपए रही, जबकि बैंकों की वितरित कर्ज राशि इस साल कुछ धीमी पड़कर 23.3 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।

डॉलर को मजबूत रखेगा अमेरिका-पालसन

नई दिल्ली- अमेरिका के वित्त मंत्री हेनरी पालसन ने मंगलवार को कहा कि उनका देश अमेरिकी मुद्रा डॉलर को मजबूत रखने के लिए कटिबद्ध है।

पालसन ने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मैं डॉलर की मजबूती के लिए मजबूती के साथ प्रतिबद्ध हूँ। पालसन ने कहा कि अमेर‍िका का वित्तीय बाजार वहाँ जोखिम भरे आवास ऋण के संकट से उबर रहा है।

सीआरआर बढ़ाने की वजह अतिरिक्त तरलता

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को रिजर्व बैंक द्वारा सीआरआर की दर बढ़ाने का समर्थन करते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य अतिरिक्त तरलता को नियंत्रित करना है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई की विकास की दर केंद्रीय बैंक की आपेक्षित दर 8.5 प्रतिशत को पार कर जाएगी।

चिदंबरम ने कहा कि रिजर्व बैंक ने अपनी इस मिड टर्म मानेटरी पॉलिसी में पिछली पालिसी की नीतियों को ही आगे बढ़ाया है। हालांकि इस बार अतिरिक्त तरलता के कारण बैंकों को हो रही समस्या को दूर करने के लिए सीआरआर की दर को 0.5 प्रतिशत बढ़ाया है।

उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि बैंकें इसके वास्तविक कारण को सकारात्मक ढंग से लेंगी। केंद्रीय बैंक पहले ही कह चुकी है वैश्विक और घरेलू स्तर पर बदली परिस्थितियों के अनुसार वह शार्ट टर्म, लांग टर्म और मिड टर्म उपायों की घोषणा कर सकती है।

वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक अतिरिक्त तरलता को तत्काल सोख लेना चाहती है। उन्होंने रीयल ऐस्टेट की कीमतों पर कहा कि यहां कीमतों में हल्का इजाफा ही हुआ है। हालांकि इसके बाद भी इस क्षेत्र में मांग पर कोई असर नहीं पड़ा है।

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक विकास की दर के 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, लेकिन वे इससे ज्यादा की उम्मीद कर रहे हैं।

ब्याज दरें नहीं बढ़ेंगी

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) के सीआरआर में 0.5 प्रतिशत का इजाफा करने के निर्णय के बाद भी बैंकें ब्याज दरों में वृद्धि नहीं करेंगी। देश की दो सबसे बड़ी बैंकों ने कहा है कि ने कहा कि वे इस बढ़े सीआरआर को आसानी से पचा सकते हैं। इसके लिए ब्याज दरों में वृद्धि करने की नौबत नहीं आएगी। एसबीआई के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ओपी भट्ट ने कहा कि उनकी बैंक मौजूदा दरों में कोई परिवर्तन नहीं करेगी। इसके बाद भी बैंकें अपने स्तर पर ब्याज दर बढ़ाने या फिर घटाने का निर्णय ले सकती हैं।

देश की सबसे बड़ी प्रायवेट बैंक आईसीआईसीआई के संयुक्त प्रबंधन निदेशक चड्ढा कोचर ने बताया कि इतनी सीआरआर दर में बढ़ोतरी से बैंकों के लिए धन की उपलब्धता में कोई अंतर नहीं आएगा। इससे ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

रिजर्व बैंक की यह पॉलिसी पिछली तीमाही के वित्तीय घटनाक्रमों पर आधारित है, जहां अतिरिक्त तरलता के कारण समस्या उत्पन्न हुई थी।

हालांकि यह खुद बैंकों को तय करना था कि वे सरप्लस 15,000 करोड़ रुपए की धनराशि कहां खर्च करनी थी।

भट्ट ने कहा कि भले ही इस समय देश में मुद्रास्फीति पूरी तरह से नियंत्रित है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बढ़ी तेल की कीमतें और घरेलू बाजार में खाद्यान्नों की कीमतें इस डगमगा सकती हैं।

Tuesday 30 October, 2007

अंदाज टी-20 का, ऊंचाई 20000 की

नई दिल्ली: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सेंसिटिव इंडेक्स यानी सेंसेक्स ने सोमवार को तेजी की एक और इबारत लिखी। सेंसेक्स पहली दफा 20 हजार पॉइंट को पार कर गया। हालांकि कारोबार खत्म होने तक यह तेजी बरकरार नहीं रह सकी और सेंसेक्स को 20 हजार के नीचे ही बंद होना पड़ा। फिर भी इसमें 734.50 अंकों की बढ़त रही, जो एक दिन के कारोबार के दौरान हुई अब तक की तीसरी बड़ी बढ़त है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 5905.90 अंकों पर बंद हुआ। इसमें 203.6 अंकों की मजबूती रही।

उम्मीद में चढ़ा बाजार
ब्लू चिप कंपनियों के शेयरों में जबर्दस्त लिवाली सेंसेक्स को मजबूती देने में मददगार साबित हुई। रिजर्व बैंक मंगलवार को क्रेडिट पॉलिसी रिव्यू करेगा। इससे एक दिन पहले बाजार इस उम्मीद में मजबूत हुआ कि रिजर्व बैंक शॉर्ट टर्म इंटरेस्ट रेट में कटौती करेगा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक बुधवार को होगी। बाजार में यह चर्चा भी गर्म रही कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व एक दफा फिर से इंटरेस्ट रेट में थोड़ी बहुत कटौती कर सकता है। यूरोप और एशियाई बाजारों में तेजी ने भी बाजार को गति देने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजों ने भी सेंसेक्स की चमक बढ़ाई।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि स्टॉक मार्केट और विदेशी निवेश से संबंधित सिग्नल पॉजिटिव हैं। इसे देखते हुए सरकार आने वाले दिनों में निवेशकों के लिए उत्साहवर्धक माहौल को बरकरार रखने की हरसंभव कोशिश करेगी।

बाजार का गणित
सेंसेक्स 20024.87 अंक की रेकॉर्ड ऊंचाई तक गया। अंत में यह 3.82 फीसदी की तेजी के साथ 19977.67 पर बंद हुआ। शुक्रवार को यह 19243.17 पर बंद हुआ था। 6 दिनों के कारोबार में सेंसेक्स में 2417.69 अंक यानी 13.77 फीसदी की तेजी आ चुकी है, जो हफ्ते भर में हुई बढ़त का रेकॉर्ड है। उधर, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 203.60 अंकों की तेजी के साथ 5922.50 अंक की नई ऊंचाई को छूने के बाद 5905.90 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार: कहां छिपा है पैसा?

एलएंडटी में निवेश करें

प्रभुदास लीलाधर की शर्मिला जोशी का लार्सन एंड टूब्रो के प्रति नजरिया सकारात्मक है।

जोशी ने ‘सीएनबीसी-टीवी18’ को बताया, “एलएंडटी के आंकड़े काफी अच्छे थे और हमारे विश्लेषण के मुताबिक कम्पनी की आय आगे भी अच्छे रहेंगे। अगर आप एलएंडटी के हाल के स्तर को देखकर इसके मार्जिन में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं तो हमें यह जरुर देखना चाहिए कि कम्पनी के दूसरी तिमाही के नतीजे शानदार थे।

उन्होंने कहा, “यह एक ऐसा स्टॉक है जहां मैं निवेश करना पसंद करूंगी। अगर आप कम्पनी की आय पर नजर डालेंगे तो आप निश्चित तौर पर इस स्टॉक में निवेश करना पसंद करेंगे। कम्पनी के सभी व्यवसाय अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए आय प्रत्यक्षता काफी अच्छी है। ऐसे में कोई भी निवेशक इस स्टॉक में निवेश करना पसंद करेगा।”

रिलायंस पेट्रोलियम लम्बे समय का शेयर

डायमेंशन कंसल्टिंग के अजय श्रीवास्तव का मानना है कि निवेशकों को रिलायंस पेट्रोलियम के साथ लम्बी अवधि के लिए बने रहना चाहिए।

श्रीवास्तव ने ‘सीएनबीसी-टीवी18’ को बताया, “रिफाइनरी क्षेत्र में वास्तविक रुप से रुचि बनती दिख रही है। जिन निवेशकों ने आईपीओ के दौरान इस स्टॉक में निवेश किया था और आज भी बने हुए हैं उन्हें काफी अच्छा रिटर्न मिला है और जिन्होंने इसमें ऊपरी स्तर पर निवेश किया था, उन्हें 10-15 प्रतिशत का रिटर्न आसानी से मिल सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, “तीन से चार महीने की अवधि में यह 230-240 रुपए के स्तर को छू लेगा। लेकिन अगर निवेशक इस स्टॉक से अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर रहे हैं तो उन्हें लम्बी अवधि के लिए इस स्टॉक के साथ बने रहना चाहिए।”

आरएनआरएल में 102 के स्तर पर प्रवेश करें

अन्नाग्राम स्टॉक ब्रोकिंग के वी.के.शर्मा का कहना है कि रिलायंस नैचुरल रिसोर्सेस (आरएनआरएल) में 102 रुपए के स्तर पर प्रवेश किया जा सकता है।

शर्मा ने ‘सीएनबीसी-टीवी18’ को बताया, “निवेशकों को आरएनआरएल जैसे स्टॉक पर नजर रखनी चाहिए। इसमें 102 रुपए के स्तर पर निवेश अच्छा हो सकता है। 106 रुपए के स्तर को अगर यह पार कर उसके ऊपर जाता है तो इसमें नई ऊंचाई देखने को मिलेगी। जिस तरह की स्थिति इस स्टॉक के अंदर बन रही है उसे देखकर ऐसा लगता है कि यह अच्छा करेगा।”

एनटीपीसी को 1,925 करोड़ का लाभ

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी बिजली कम्पनी एनटीपीसी लिमिटेड ने सितम्बर में समाप्त वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में 1,925.49 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया जो कि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 30.64 प्रतिशत अधिक रही।

एनटीपीसी की यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार जुलाई से सितम्बर 2007 की दूसरी तिमाही में कम्पनी का बिक्री कारोबार पिछले साल की इसी अवधि के 7,724.30 करोड़ रुपए से बढ़कर 8,016.86 करोड़ रुपए हो गया जबकि अप्रैल से सितम्बर की छमाही अवधि में कुल बिक्री कारोबार 11.54 प्रतिशत बढ़कर 16,975.67 करोड़ रुपए हो गया।

तिमाही मुनाफा 30.6 प्रतिशत बढ़कर 1,925.49 करोड़ रुपए हो गया जबकि छमाही अवधि में कम्पनी ने कुल 4,295.42 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया जो कि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में करीब 42 प्रतिशत अधिक रहा।

कम्पनी के कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों की कार्यक्षमता इस दौरान 85.12 प्रतिशत से सुधरकर 88.63 प्रतिशत हो गई।

तेज विकास बना रहेगा

भारत का आर्थिक विकास 8.5 प्रतिशत से ऊपर बना रहेगा और वित्त वर्ष 2008 तक सकल घरेलू विकास दर नौ प्रतिशत के ऊपर हो जाएगी। वित्तमंत्री ने एक बार फिर यह बात ‘यूएस इंडिया सीईओ फोरम’ में दोहराई है।
देश के बुनियादी क्षेत्र (इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर) में हो रहे निवेश को लेकर हुए इस सम्मेलन में वित्त मंत्री ने कहा कि देश का बुनियादी विकास सकल घरेलू विकास को पीछे छोड़ रहा है।

Monday 29 October, 2007

अनिल के पावर को मुकेश अंबानी ने दिया झटका

नई दिल्ली : अनिल अंबानी समूह ने रिलायंस पावर के प्रस्तावित आईपीओ के खिलाफ चल रहे अभियान में रिलायंस इंडस्ट्रीज का हाथ बताया है। रिलायंस एनर्जी ने सेबी को दाखिल शिकायत में वी बालासुब्रrाण्यम, मनोज मोदी, ए शंकर और दीपायन मजूमदार जैसे लोगों के नाम लिए हैं। अनिल समूह को विश्वास है कि जो भी अभियान चलाया गया है, वह रिलायंस इंडस्ट्रीज के समर्थन से चला है। बल्कि रिलायंस एनर्जी का मानना है कि यह सब अनिल समूह की सफलता से जलन के कारण किया जा रहा है।

रिलायंस पावर के प्रस्तावित इश्यू में 50 फीसदी हिस्सेदारी वाली रिलायंस एनर्जी ने कहा, दुष्प्रचार से उसके शेयर का मूल्य चार दिनों में 35 फीसदी गिर गया है। रिलायंस एनर्जी ने इन आरोपों का खंडन किया है कि बिजली परियोजनाए सही अनुमति के बिना ही रिलायंस पावर को सौंप दी गई है, इससे शेयरधारकों को नुकसान हुआ है।

कलह की वजह से फोब्र्स में अंबानी बंधु अब तक दौलत की वजह से फोब्र्स में जगह बना रहे थे, अब झगड़े की वजह से उनका नाम फोब्र्स की ‘अरबपति परिवारों के झगड़ों’ की सूची में है। 2005 में रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस पावर की साझा नेटवर्थ 7 अरब डॉलर थी। फोब्र्स की मार्च 2007 की अरबपतियों की सूची मे मुकेश को 20.1 अरब डॉलर के साथ 14वां स्थान और अनिल को 18.2 अरब डॉलर के साथ 18वां स्थान मिला था।

फोब्र्स की रिपोर्ट का कहना है कि दोनों भाइयों ने 2004 में ही सार्वजनिक झगड़ा शुरू कर दिया था। जब स्थिति ज्यादा बिगड़ गई तो उनकी मां कोकिलाबेन ने शांति स्थापित करने का प्रयास किया। कभी जुदा न दिखने वाले दोनों भाइयों के बीच महीनों तक संघर्ष चला। फोब्र्स का कहना है कि अब भी दोनों के बीच झगड़ा चल रहा है।

फोब्र्स ने लिखा है कि अनिल कई मौकों पर मुकेश को अदालत में ले गए हैं। गैस आपूर्ति के मसले पर विवाद लंबा चला है। करीब चार महीनों में दोनों भाई किसी समझौते पर पहुंच सके हैं।

एकल ब्याज दर व्यवस्था चाहती है रिजर्व बैंेक

मुंबई: मंगलवार को अपनी मानेटरी पॉलिसी पर पुनर्विचार से पहले भारतीय रिजर्व बैंक के सामने ब्याज दर में दुविधापूर्ण स्थिति है। हाल फिलहाल मुद्रास्फीति के अपने पांच साल के सबसे कम स्तर पर पहुंच गई है,जबकि बैंकों में अतिरिक्त लिक्विडिटी की समस्या व्याप्त है।

आरबीआई के गवर्नर व्हाईव्ही रेड्डी अगर ब्याज दर को बढ़ाने का निर्णय करते हैं तो इससे देश की विकास दर प्रभावित हो सकती है, जबकि लगातार आ रहे विदेशी निवेश से बैंकों के सामने तरलता की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है।

कुछ बैंकें और अर्थशास्त्री चाहते हैं कि इस शीर्ष बैंक को शार्ट टर्म के लोन में कटौती करना चाहिए, जबकि अन्य आगाह करते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल की बढ़ती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावना है। ऐसे में यह कदम उचित नहीं होगा।

कुछ अर्थशास्त्री कहते हैं कि रिजर्व बैंक को रेपो और रिजर्व रेपो रेट के बीच अंतर खत्म करना चाहिए तो अन्य एकल स्थाई ब्याज दर प्रणाली के पक्षधर है। हालांकि इससे सीआरआर बढ़ सकता है।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री सुबीर गोकम ने कहा कि हाल फिलहाल देश के हालात मानेटरी पॉलिसी में बदलाव की ओर संकेत नहीं करते। उन्हें इसमें कुछ खास परिवर्तन की उम्मीद नहीं है। सरकार को एक साल पहले घोषित नीतियों को ही आगे बढ़ाना होगा।

यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री शुभांदो राव ने कहा है कि सीआरआर बढ़ाया जा सकता है। हालांकि अधिक संभावना इस बात की है कि है कि इस बार आरबीआई कोई विशेष बदलाव ही न करें।

पैन कार्ड होने से टैक्स रिटर्न भरना जरूरी नहीं

मेरा साल 2003-04 का कर निर्धारण करते वक्त इनकम टैक्स अधिकारी ने विदेश से प्राप्त लाभांश पर स्त्रोत पर काटे गए टैक्स का क्रेडिट नहीं दिया। इस वजह से मुझे रिफंड के 32,371 रुपये न देकर 3,63,306 रुपये की डिमांड खड़ी कर दी। जब मैंने धारा 154 में रेक्टिफिकेशन के लिए आवेदन किया तो आयकर अधिकारी ने बताया कि आयकर के प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर में उक्त आयकर क्रेडिट देने का प्रावधान नहीं है और वह धारा 154 में संशोधन कंप्यूटर के द्वारा ही कर सकता है, मैनुअली नहीं। शीघ्र ही आयकर सॉफ्टवेयर में संशोधन होने पर वह उचित आदेश पारित करके मेरा रिफंड जारी कर देगा। अब रिफंड देने के स्थान पर मुझे टैक्स रिकवरी ऑफिसर, रेंज 11 का नोटिस मिला है, जिसमें बकाया आयकर मांगा गया है और न देने पर बैक खाता अटैच करने और अन्य कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए, जब जायज रिफंड न देकर अवास्तविक टैक्स मांगा जा रहा है?

संजीव, ई मेल से

आयकर अधिकारी का यह कहना सही नहीं है कि आयकर सॉफ्टवेयर में विदेश में काटे गए टैक्स का क्रेडिट नहीं दिया जा सकता। यह स्थिति इसलिए हुई है, क्योंकि आप तथा आयकर अधिकारी दोनों इसे धारा 90 में टैक्स रिलीफ की गणना करने की बजाय इसका क्रेडिट टीडीएस की तरह चाहते हैं। आयकर अधिकारी को वास्तविक स्थिति का पता होना चाहिए, जिससे ऐसे अवास्तविक कर की मांग न की जाए और करदाता अनावश्यक रूप से परेशान न हो। आप आयकर अधिकारी को पत्र लिखकर सही स्थिति बताकर टीडीएस क्रेडिट की बजाय धारा 90 में टैक्स रिलीफ मांगे। फिर भी समाधान न हो तो दो प्रतियों में ग्रीवेंस कमिश्नर को लिखें।

मेरी पत्नी के नाम बिल और पावर ऑफ अटॉर्नी पर एक मकान है। इससे लगभग 1 लाख रुपये सालाना किराया आता है। मैं बेटे के साथ काम करता हूं। जिससे मुझे साल में लगभग 50 हजार रुपये की आय होती है। मेरा और बेटे का परिवार साथ रहता है। मेरा, पत्नी, बेटा व बहू सभी का पैन कार्ड है। क्या हमें आयकर रिटर्न भरना चाहिए?

अशोक गुप्ता, पत्र द्वारा

पैन कार्ड होने से कर रिटर्न भरना अनिवार्य नहीं होता है। कर रिटर्न भरना तभी जरूरी है जब कर दाता की आय अधिकतम कर मुक्त सीमा से ज्यादा हो, जो पुरुष के लिए 1.10, महिला के लिए 1.45 तथा सीनियर सिटिजन के लिए 1.95 लाख रुपये है। चूंकि आपकी आय इस सीमा से कम है, अत: कर रिटर्न भरना आवश्यक नहीं है।

बाजार में तेजी जारी रहने के आसार

नई दिल्ली : देश के शेयर बाजारों में तेजी का सिलसिला इस हफ्ते भी बने रहने की संभावना है। बाजार विश्लेषक शेयर बाजारों की तेजी को लेकर पूरे आशावान लग रहे हैं। उनका मानना है कि बाजार के मौजूदा हालात को देखकर गिरावट की संभावनाएं धूमिल नजर आ रही हैं।

पिछले हफ्ते बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स अपने डेढ़ सौ साल के इतिहास में रेकॉर्डतोड़ 1683.19 पॉइंट्स यानी 9.49 परसेंट की बढ़त हासिल कर 19243.17 पॉइंट्स के नए शिखर पर पहुंच गया। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 487 पॉइंट्स यानी 9.33 परसेंट की बढ़त से 5702.30 पॉइंट्स के अभी तक के रेकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ।

दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड के प्रमुख अशोक अग्रवाल का मानना है कि इस हफ्ते मजबूती को लेकर शंका करने की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। सेबी ने पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) को लेकर जो कदम उठाए हैं, उनका असर बाजार झेल चुका है। सेबी के कदमों से सिर्फ इतना फर्क पड़ सकता है कि देश के शेयर बाजारों में आने वाले विदेशी धन की गति शायद कुछ धीमी पड़ जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है कि इन उपायों से विदेशी धन आना ही रुक जाए।

इंटरनैशनल मार्केट में कच्चे तेल की रेकॉर्डतोड़ कीमतों के देश पर पड़ने वाले असर के बारे में अग्रवाल का कहना है कि सरकार डीजल और पेट्रोल के दामों को बढ़ाने के लिए पहले ही मना कर चुकी है। लिहाजा विश्व बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी का असर यहां नहीं पड़ेगा।

उनके मुताबिक एनर्जी, स्टील और इंफ्रास्ट्रक्चर की कंपनियों में निवेश की अच्छी संभावनाएं हैं। लेकिन इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी कंपनियों को लेकर वह आशान्वित नहीं हैं। अग्रवाल का कहना है कि अमेरिकी इकॉनमी की मंदी और रुपये की मजबूती आईटी कंपनियों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

Saturday 27 October, 2007

ऊंचे ब्याज दरों वाली विशेष जमा योजनाएं बंद होंगी

मुंबई: रिजर्व बैंक ने ऊंची ब्याज दरों व कई शर्तो वाली विशेष जमा योजनाएं (स्पेशल डिपाजिट स्कीम) तत्काल बंद करने को कहा है। बैंक ज्यादा डिपाजिट जुटाने के लिए सामान्य ब्याज दरों से ज्यादा ब्याज वाली योजनाओं के जरिए धन बटोरते हैं। इन योजनाओं में लॉक इन पीरियड के अलावा कई निषेधात्मक शर्ते होती हैं। बैंक 300 दिनों से लेकर पांच साल तक की लाक इन अवधि वाली योजनाएं चलाती हैं, जिन पर 6 से 12 माह की लाक इन अवधि होती है। अगर कोई लाक इन अवधि से पहले ही धन निकालता है तो उसे ब्याज की पूरी राशि से हाथ धोना पड़ता है। कई बैंक डिपाजिट का आंशिक भुगतान भी उपलब्ध कराते हैं।

रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि ब्याज दरों के मामले में उन्हें निर्देशों का पूरा पालन करना चाहिए। कोई भी बैंक समान तारीख और समान राशि के डिपाजिट की दरों में भेदभाव नहीं कर सकता।

क्या होगा:
बैंकों को रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार जल्दी ही स्पेशल डिपाजिट स्कीम बंद करनी होंगी। बैंक सामान्य जमा योजनाओं और स्पेशल योजनाओं में अंतर नहीं कर सकते हैं। सीनियर सिटीजन और 15 लाख रुपए या उससे ज्यादा के डिपाजिट को इससे बाहर रखा जाएगा।

किस पर एतराज:1. रिजर्व बैंक को सबसे ज्यादा एतराज ऐसी योजनाओं में समय पूर्व निकासी पर ब्याज जब्त करने को लेकर है। यह रिजर्व बैंक के नियमों व निर्देशों के प्रतिकूल है।
2. कई बैंक, जिनमें सरकारी लेंडर भी शामिल हैं, ऐसी डिपाजिट योजनाएं चला रहे हैं। इन योजनाओं के लाक इन पीरियड भी अलग-अलग हैं। समय से पहले व्रिडाल की स्थिति में बैंक संग्रहीत ब्याज भी जब्त कर लेते हैं।
3. स्पेशल स्कीम में दी गई ब्याज दरें सामान्य डिपाजिट स्कीमों की तरह नहीं होती हैं।
4. बैंक ऐसी योजनाएं 300 दिनों से लेकर पांच साल तक के लिए चला रहे हैं। जिनमें कई निषेधात्मक शर्ते लगाई जाती हैं।

सेबी ने टर्म डिपाजिट की अवधि बढ़ाई
मुंबई.सेबी ने म्यूचुअल फंडों के टर्म डिपाजिट की अवधि बढ़ाकर 182 दिन कर दी है। पहले सेबी ने 91 दिन की अवधि तय कर रखी थी। म्यूचुअल फंडों को इस अवधि में तय करना होता था कि फंडों द्वारा जुटाया धन निवेश के उद्देश्यों के अनुसार किया जाना चाहिए।

पी-नोट का आकलन जल्दबाजी-चिदंबरम

बाजार नियामक (सेबी) द्वारा भागीदारी पत्र (पी-नोट) के जुड़े मानदंड सख्त करने के एक दिन बाद सरकार ने कहा कि इसके प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दी होगी, लेकिन उन्होंने साथ ही निवेश को प्रभावित किए बिना पूँजी प्रवाह को नियंत्रित करने के कदम का समर्थन किया।

वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि मैंने कहा है कि पूँजी प्रवाह में तेजी से हो रही बढ़ोतरी से हम चिंतित हैं। निवेश को प्रभावित किए बगैर हम चाहेंगे कि पूँजी के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके। सेबी ने कुछ कदम उठाए हैं। इनका क्या प्रभाव पड़ता है, इसे देखने के लिए हमें इंतजार करना पड़ेगा।

हालाँकि चिदंबर में इस बारे में प्रतिक्रिया जाहिर करने से इनकार कर दिया कि भारतीय रिजर्व बैंक या सरकार पूँजी प्रवाह रोकने के लिए कोई कदम उठाएगी या नहीं।

शेयर बाजार में शुक्रवार को आए उछाल के बारे में पूछने पर वित्तमंत्री ने कहा हम रोजाना शेयर बाजार की स्थितियों की निगरानी नहीं कर सकते। बंबई शेयर बाजार के संवेदी सूचकांक ने आज फिर से जोरदार लिवाली के कारण 19000 का स्तर छुआ।

चिदंबरम ने कहा कि पी-नोट के बारे में सेबी की पहल का मकसद था पूँजी प्रवाह को नियंत्रित करना। सेबी ने कल नए नियमों की घोषणा की ताकि विदेशी संस्थागत निवेशकों और उनके सब अकाउंट्स को वायदा आधारित ताजा पी-नोट जारी करने से रोका जा सके और वे मौजूदा पोजीशन को अगले 18 महीनों में समेट लें।

विश्व बाजार में सोना 28 वर्ष के नए उच्च स्तर पर

नई दिल्ली: डालर की ढुलमुल स्थिति, कच्चे तेल की रिकार्ड कीमतों और वैश्विक शेयर बाजारों की उठापटक के बीच अंतर्राष्ट्रीय धातु बाजारों में सोना आज पिछले 28 goldवर्ष के नये उच्च स्तर पर पहुंच गया।

टोक्यो से प्राप्त समाचारों क अनुसार हाजिर कारोबार में सोना 778.25 डालर प्रति ट्राय औंस के उच्च स्तर पर बोला गया जो जनवरी 1980 के बाद का अधिकतम भाव है। न्यूयार्क में कल कारोबार की समाप्ति पर सोना 767.90-768.70 डालर प्रति ट्राय औंस था।

विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्था अमरीका की मंदी और अगले बुधवार को केन्द्रीय बैंक फैडरल रिजर्व के ब्याज दरों में चौथाई प्रतिशत और कटौती की प्रबल संभावनाओं के बीच मौजूदा माहौल में निवेशकों के लिए सोने में धन लगाना सबसे सुरक्षित माना जा रहा है। फैडरल रिजर्व ने देश की अर्थव्यवस्था की मंदी को देखते हुए पिछले माह बैठक में ब्याज में आधा प्रतिशत की कटौती की थी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें रिकार्ड पर रिकार्ड बना रही हैं। यूएस क्रूड फ्यूचर 92.22 डालर प्रति बैरल के नए शिखर पर पहुंच गया।

सिंगापुर से मिले समाचारों में भी सोना वहां जनवरी 1980के बाद के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। सिंगापुर में हाजिर कारोबार में सोना 772.90 डालर प्रति ट्राय औंस तक बोला गया। जनवरी 1980 में कच्चे तेल की कीमतों के एक वर्ष के भीतर दोगुनी हो जाने के परिणामस्वरुप सोना वायदा भाव 873 डालर प्रति ट्राय औंस तक पहुंच गया था।

सेबी ने किए एक तीर से दो शिकार

नई दिल्ली : पार्टिसिपेटरी नोट (पीएन) पर सेबी ने जो 'गुगली' फेंकी है, उसका जवाब फिलहाल फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर (एफआईआई) के पास नहीं है। सेबी ने स्पॉट कारोबार में पीएन को जारी रखकर साफ कर दिया कि उसकी मंशा विदेशी इनवेस्टमेंट को रोकने की नहीं है। डेरिवेटिव कारोबार में पीएन पर रोक लगाकर उसने शेयर बाजार में काला धन आने का रास्ता बंद कर दिया। सेबी के इस चाल पर एफआईआई पसोपेश में हैं। इसलिए उन्होंने शुक्रवार को शेयरों में तेजी बनाए रखी और सेंसेक्स नई ऊंचाइयां छूने में कामयाब रहा। एफआईआई के इस पॉजिटिव रूप को देखते हुए सरकार भी सकते में आ गई। वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम को नॉर्थ ब्लॉक के कार्यालय से बाहर आकर कहना पड़ा कि सेबी के निर्णय का शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पडे़गा, इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

डेरिवेटिव कारोबार

शेयर बाजार में 2 तरह के कारोबार होते हैं। वायदा कारोबार और नकद कारोबार। वायदा कारोबार को ही डेरिवेटिव कारोबार कहा जाता है। वायदा कारोबार भविष्य का कारोबार कहलाता है। शेयरों का सौदा वर्तमान मूल्य होता है पर इसकी डिलिवरी 90 दिनों बाद की जाती है। शेयर खरीदने वाला तय मूल्य का 10 से 15 फीसदी मार्जिन मनी देकर सौदा कर लेता है। बाकी राशि तय समय पर दी जाती है। सेबी की जांच रिपोर्ट के अनुसार पीएन के जरिए सबसे अधिक निवेश वायदा कारोबार में हो रहा था। इसका कोई हिसाब-किताब सेबी के पास नहीं है।

स्पॉट कारोबार

इसे नकद कारोबार भी कहते है। शेयर खरीदने पर तुरंत राशि का भुगतान करना होता है। तय नियम के अनुसार एफआईआई अपने कुल नेटवर्थ का 40 फीसदी निवेश पीएन के जरिए स्पॉट कारोबार में कर सकते हैं। स्पॉट कारोबार का ब्यौरा सेबी को आसानी से मिल जाता है। यही कारण है कि सेबी ने इसमें पीएन के जरिए निवेश को जारी रखा है।

ब्लैक या वाइट

सेबी के अध्यक्ष एम. दामोदरन का कहना है कि शेयर बाजार में ब्लैक मनी नहीं आ रहा है। सरकार शेयर बाजार में मनी फ्लो नियंत्रित करना चाहती है। विशेषज्ञों का मानना है कि डेरिवेटिव कारोबार में पीएन पर रोक सीधे तौर पर ब्लैक मनी पर रोक है। एसबीआई म्यूचुअल फंड के प्रमुख संजय सिन्हा का कहना है कि काले धन की परिभाषा है, वह रकम जिसके बेस की जानकारी न हो। डेरिवेटिव कारोबार में पीएन के जरिए ही बेनामी पैसा आ रहा था। सेबी ने उसी पर लगाम कसी है।

एफआईआई खुश या नाखुश!

बाजार विशेषज्ञों की मानें तो एफआईआई इससे नाखुश होंगे। सेबी के निर्णय को लेकर रणनीति बना रहे हैं। वैल्यू रिसर्च के प्रमुख धीरेंद्र कुमार का कहना है कि शेयर कारोबार के आंकड़ों के अनुसार एफआईआई ने पिछले कुछ माह में करीब 4 खरब डॉलर का कारोबार किया। इसमें 50 फीसदी से ज्यादा डेरिवेटिव में पीएन के जरिए किया गया, सेबी ने उस पर रोक लगा दी है। इससे उनको झटका तो लगेगा। यह नाखुशी देर-सवेर खुलकर सामने आ सकता।

Friday 26 October, 2007

पी नोट पर अंकुश से थम सकती है रुपए की मजबूती

भारतीय शेयर बाजारों में अज्ञात विदेशी कोषों के प्रवाह पर अंकुश लगाने से रुपए की तेजी से बढ़ रही मजबूती पर अंकुश लग सकता है, हालाँकि इस कदम का यह मुख्य उद्देश्य नहीं है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यहाँ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले दिए गए एक साक्षात्कार में यह बात कही।

चिदंबरम ने कहा कि भारत सरकार उपयुक्त विनिमय दर चाहती है और रुपए के बहुत तेजी से चढ़ने पर वह निर्यातकों को मदद देगी। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत एक ऐसी स्थिति में पहुँच गया है, जहाँ विदेशों से धन का आगमन होता जा रहा है क्योंकि पश्चिमी देशों के केंद्रीय बैंकों ने बाजार को सस्ती नगदी से पाट दिया है।

अब भारत सरकार उन कोषों से स्वयं को बचा रही है, जिनके संबंध में उसे कोई जानकारी नहीं है। इसीलिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पार्टिसिपेटरी नोट (पीएन) पर अंकुश लगाने का प्रस्ताव दिया है। सेबी का कहना है कि पीएन विदेशी निवेशकों को भारतीय संस्थाओं में पंजीकृत हुए बगैर पिछले दरवाजे से बाजार में घुसने का अवसर प्रदान करता है।

यह पूछे जाने पर कि क्या इस उपाय से रुपए की मजबूती थमेगी, चिदंबरम ने कहा कि संयोगवश ऐसा हो सकता है लेकिन इस उपाय का यह मुख्य लक्ष्य नहीं है। रुपया इसी माह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नौ साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया था। उन्होंने कहा कि सरकार रुपए की मजबूती से उतनी चिंतित नहीं है जितनी कि उसके तेजी से मजबूत होने से। हालाँकि चिदंबरम ने कहा कि वह पीएन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं हैं। सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे कम्युनिस्ट दल पीएन को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की माँग कर रहे हैं। सेबी को इस संबंध में 25 अक्टूबर को निर्णय लेना है।

शेयर बाजार में आतंकियों का धन नहीं: सेबी

मुंबई : शेयर बाजारों में अनाम विदेशी फंड्स के पूंजी प्रवाह पर अंकुश लगाए जाने के उपायों के बीच बाजार नियामक सेबी ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि आतंकवादियों का धन पूंजी बाजारों में लग रहा है। सेबी के अध्यक्ष एम. दामोदरन ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'इस समय ऐसा कोई सबूत नहीं है।'

दामोदरन संवाददाताओं को सेबी बोर्ड बैठक के फैसले से अवगत करा रहे थे जिसने भागीदारी पत्र (पी नोट) पर प्रतिबंधों को मंजूरी दे दी है। यह प्रतिबंध अनाम विदेशी संस्थानों के निवेश को रोकने के इरादे से लगाया गया है। शेयर बाजारों में निगमित कंपनियों के जरिए आतंकवादियों का धन प्रवाह रोकने के तंत्र के बारे में पूछे गए सावल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रतिभूति बाजार के नियम हर चीज का जवाब नहीं हैं। अन्य नियामक और प्रवर्तन एजेंसियां भी ऐसे मामलों को देखती हैं।

दामोदरन का यह बयान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम. के नारायणन की इस आशंका के परिपेक्ष्य में महत्व रखता है कि आतंकवादी संगठन भारतीय शेयर बाजारों में निवेश कर सकते हैं। नारायणन ने इस साल की शुरुआत में यह बयान दिया था। दामोदरन ने कहा कि सेबी का कहना है कि धन बैंकिंग के जरिये आता है और बैंकों से अपेक्षा होती है कि वे 'अपने ग्राहक को जानें' नियम का पालन करते हैं। ब्रोकर और डिपॉजिटरी जैसे अन्य जरिये भी अपने ग्राहक को जानें नियम का पालन करते हैं।

बच्चों की स्टडी के लिए फंड प्लानिंग : जस्ट डू इट

भारत में बदलती अर्थव्यवस्था के इस दौर में अब बच्चों को पढ़ाना-लिखाना बच्चों का खेल नहीं रहा। अभी से लगभग दो दशक पहले तक मध्यवर्गीय परिवार में बच्चों की आम पढ़ाई-लिखाई के लिए अलग से फंड की जरूरत नहीं पड़ती थी। अधिकतर स्कूल और कॉलेज सरकारी थे। प्रोफेशनल कोर्स जैसे मेडिकल इंजीनियरिंग के संस्थान भी सरकारी थे, जहां फीस का स्ट्रक्चर बिल्कुल दूसरा था। वह इतना अधिक भी नहीं था कि आप बच्चे के जन्म के साथ ही उसके लिए बचत करें अथवा अपनी जमीन जायदाद गिरवी रखें या कोई बड़ा लोन लें। लेकिन अब समय बदल गया है। ऐसे में बच्चे की सटीक शिक्षा के लिए एजुकेशन के खर्च की सही प्लानिंग की बहुत जरूरत है।

एजुकेशन पर आने वाले खर्च के एक आकलन में बताया गया है कि सामान्य प्ले स्कूल से लेकर पब्लिक स्कूल होते हुए ग्रैजुएशन तक में आज के हिसाब से औसतन 10 से 20 लाख रुपये तक का खर्च आता है। अगर बच्चा एमबीए, मेडिकल, हायर कंप्यूटर, पायलट ट्रेनिंग और बायोटेक जैसे पेशेवर कोर्स करता है तो यह खर्च काफी ऊपर जाएगा। पढ़ाई के लिए अगर विदेश जाना पड़े तो खर्च और भी बेशुमार होगा।

क्या कहते हैं प्लानर

फाइनेंशल प्लैनर कहते हैं कि बेटा हो या बेटी, अपने फाइनेंशल प्लानिंग में फर्क न करें।

कैसे जोड़ें रकम

सबसे पहला कदम है यह देखना कि बच्चे की वर्तमान उम्र क्या है और उसे किस तरह के कोर्स के लिए किस उम्र में कितनी रकम चाहिए। जितनी रकम की जरूरत आएगी उसमें महंगाई की वृद्धि दर को भी जोड़ लें। फिर बैकवर्ड कैलकुलेशन से मासिक या वार्षिक रकम निकाल लें। उसके बाद अपनी क्षमता के हिसाब से रकम जमा करना शुरू कर दें। शुरू में मासिक रकम कम हो सकती है बाद में जब आपकी आय बढ़ जाए तो रकम बढ़ा दें।

कहां करें जमा

इस बारे में ज्यादातर प्लानर कहते हैं कि इसके लिए सबसे बढि़या विकल्प है म्यूचुअल फंड। लोगों को डायवर्सिफायड फंड में सिस्टेमैटिक ढंग से निवेश करना चाहिए। निवेश एक ही फंड में नहीं कर 5 अलग-अलग फंडों में निवेश करना चाहिए। अगर आपको 10 हजार रुपये महीना लगाना है तो पांच फंडों में 2-2 हजार रुपये लगाएं।

म्यूचुअल फंड के बाद नंबर आता है बीमा योजनाओं का। इसके लिए अधिकतर बीमा कंपनियां अपने प्रॉडक्ट के साथ बाजार में हैं। इन योजनाओं का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें कर्ता के नहीं रहने पर बीमा कंपनियां मासिक प्रीमियम देती हैं और बच्चे का करियर प्रभावित नहीं होता। हालांकि इस तरह की योजनाओं में रिटर्न का प्रतिशत आम निवेश के मुकाबले कम बताया जाता है।

ईशॉप पर फ्रिंज बेनिफिट टैक्स आगामी अप्रैल से

नई दिल्ली : बड़ी - बड़ी कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन योजना (ईशॉप) के माध्यम से दिए जाने वाले शेयरों पर फ्रिंज बेनिफिट टैक्स (एफबीटी) के अमल के लिए सरकार ने नियम अधिसूचित करते हुए इस पर अगले साल एक अप्रैल से कर वसूली की घोषणा की है।

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इसके लिए आयकर नियमों में 12वां संशोधन किया है जो कि एक अप्रैल 2008 से अमल में आएंगे। ईशॉप शेयरों का उचित मूल्य निर्धारण उस दिन के आधार पर किया जाएगा जब विकल्प का इस्तेमाल करते हुए कर्मचारियों को वास्तव में शेयर दिए जाएंगे।

अधिसूचना के मुताबिक सूचीबद्ध शेयरों के मामले में उस दिन बाजार के खुले और बंद भाव का औसत ईशॉप का उचित मूल्य माना जाएगा। एक से अधिक मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों में सूचीबद्ध शेयरों के मामले में जिस एक्सचेंज में उन शेयरों का सबसे ज्यादा कारोबार हुआ है उसके खुले और बंद भाव का औसत मूल्य ही उचित मूल्य माना जाएगा।

ईशॉप के उचित मूल्य पर कंपनियों को सरकार को 30 परसेंट की दर से एफबीटी देना होगा। वित्त मंत्नी पी. चिदंबरम ने इस साल के बजट में इसका प्रस्ताव किया था। उन्होंने कहा था कि कंपनियों अपने कर्मचारियों को कई तरह के लाभ देती हैं ऐसे लाभ पर उन्हें फ्रिंज बेनीफिट टैक्स देना होगा। कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन प्लान (ईशॉप) को भी उन्होंने ऐसा लाभ मानते हुए एफबीटी के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव किया था।

Thursday 25 October, 2007

अनिल अंबानी समूह ने सेबी से की शिकायत

नई दिल्ली: अनिल अंबानी समूह ने सेबी से मांग की है कि रिलायंस पावर के प्रस्तावित आईपीओ के बारे में अफवाहें फैलाने के मामले की जांच होनी चाहिए। रिलायंस पावर 12, 000 करोड़ रुपए पहले पब्लिक इश्यू के जरिए जुटाना चाहती है। अनिल अंबानी समूह ने सेबी से औपचारिक शिकायत में कहा है कि रिलायंस पावर के आईपीओ के खिलाफ चलाए जा रहे दुष्प्रचार की जांच होनी चाहिए। शिकायत में उन लोगों के नाम भी बताए गए हैं, जिन्होंने दुष्प्रचार किया है।

आईईएल इनवेस्टर्स फोरम ने आरोप लगाया था कि रिलायंस पावर का आईपीओ आने से रिलायंस एनर्जी के शेयरधारकों को नुकसान होगा। रिलायंस पावर 12 बिजली परियोजनाओं के लिए 160 करोड़ शेयर जारी करने वाली है। इन बिजलीघरों में करीब एक लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा। रिलायंस पावर के आईपीओ को देश में सबसे बड़ा माना जा रहा है, क्योंकि इसके जरिए 12, 000 करोड़ जुटाए जा रहे हैं।

एडीएजी ने मंगलवार को कहा था कि आईपीओ के लिए सेबी की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच कुछ निहित स्वार्थ दुष्प्रचार कर रहे हैं।

शेयर बाजार हल्की बढ़त पर

आज सुबह देश के शेयर बाजारों ने वैश्विक बाजारों के असर से एक मामूली शुरुआत की। बाजार में खरीदारी का ज्यादा माहौल नहीं दिखाई दिया और लगा कि निवेशक सेबी का फैसला आने के पहले काफी सावधानी बरत रहे हैं। आज अक्टूबर के वायदाबाजार की एक्सपायरी भी हो रही है।

मुम्बई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स केवल छः अंक ऊपर 18,519 पर और राष्ट्रीय शेयर बाजार (एनएसई) का निफ्टी महज सात अंक ऊपर 5,503 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।

शुरुआती कारोबार में बढ़त पाने वाले शेयर रिलायंस कम्युनिकेशन, रिलायंस एनर्जी, सिप्ला, ओएनजीसी, एसबीआई, भेल व टीसीएस थे। दूसरे ओर विप्रो, बजाज ऑटो, डॉ. रेड्डीज लैब, एचडीएफसी और टाटा मोटर्स अपनी अपनी पकड़ गंवा रहे थे।

रेलीगेयर को एनबीएफसी का लाइसेंस शीघ्र

नई दिल्ली: रैनबैक्सी समूह की वित्तीय सेवा देने वाली कंपनी रेलीगेयर शीघ्र ही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के तौर पर अपना काम शुरू करेगी। कंपनी ने आम जनता से जमा राशि नहीं वसूलने वाली एनबीएफसी के तौर पर पंजीयन कराने के लिए रिजर्व बैंक के पास आवेदन किया है। इसके लिए रेलीगेयर फाइनेंस लिमिटेड के नाम से एक कंपनी भी गठित की गई है। यह रेलीगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) की एक सब्सिडियरी होगी।

एनबीएफसी कारोबार के बारे में कंपनी का कहना है कि वह आरबीआई के दिशा-निर्देशों को पूरा कर चुकी है, इसलिए जल्द ही आवश्यक लाइसेंस मिलने की आशा है। आरईएल 29 अक्टूबर को पूंजी बाजार में उतरेगी।

सीधे निवेश कर सकेंगे विदेशी

वारेन बफेट, मार्क मोबियस या फिर ब्रुनेई के सुल्तान, इनमें से कोई भी अब भारतीय शेयर बाजार में सीधे पैसे लगा सकेंगे। सेबी ने विदेशी नागरिकों को सब एकाउंट के तौर पर निवेश की इजाजात देने का निर्णय किया है।

सूत्रों के मुताबिक सेबी ने विदेशी नागरिकों को भारतीय बाजार में सब एकाउंट के तौर पर रजिस्टर करने का मन बना लिया है। सब एकाउंट के तौर पर खुद को रजिस्टर करने के लिए निवेशक के पास पांच करोड़ डॉलर की रकम जरुरी होगी।

अब तक विदेशी नागरिकों को सीधे तौर पर भारतीय बाजारों में निवेश की इजाजत नहीं है। अभी इस तरह का निवेश सिर्फ पार्टिसिपेटरी नोट्स के जरिए ही हो सकता है। सेबी के साथ रजिस्टर विदेशी संस्थागत निवेशक यह पार्टिसिपेटरी नोट जारी करते हैं।

एफआईआई भारतीय बाजार से खरीदे शेयरों को उन निवेशकों की सम्पत्ति के तौर पर अपनी एकाउंट बुक्स में रखते हैं जिन्होंने उनसे पी-नोट लिए हैं।

सूत्रों के मुताबिक सेबी बोर्ड ने इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है और अब इसकी अधिसूचना का इंतजार है। उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में सेबी से यह खबर आ सकती है।

Wednesday 24 October, 2007

सेंसेक्स में एक दिन की रेकॉर्ड बढ़त

मुंबई : बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 879 अंक की छलांग लगाते हुए फिर 18000 अंक को पार कर गया। सेंसेक्स की एक दिन के कारोबार के दौरान यह रेकॉर्ड बढ़त है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी भी इसी राह पर चलते हुए 290 अंक के उछाल के साथ 5400 अंक से ऊपर निकल गया। इक्विटी में पारदर्शी ढंग से विदेशी निवेश करने वालों को स्वीकृति देने की प्रक्रिया में तेजी लाने के भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के संकेत से मंगलवार को देश के शेयर बाजारों में तेजी की आंधी आई।

सेबी ने सोमवार को विडियो कॉन्फ्रेंस में ही इस बात के संकेत दे दिए थे कि जो निवेशक सही और पारदर्शी तरीके से देश के शेयर बाजारों में निवेश करना चाहता है, उसके लिए किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।

सेबी के इस रुख को शेयर बाजारों ने हाथोंहाथ लपका। वैसे सेबी पाटिर्सिपेटरी नोट्स (पीएन) के बारे में सभी आशंकाओं को दूर करने पर बुधवार को अंतिम फैसला लेने वाला है।

कारोबारियों का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था को लेकर किसी को भी शंका नहीं है। एशियाई शेयर बाजारों में फिर से आए सुधार का भी तेजी में पूरा सहयोग रहा। केंद्र में जारी राजनीतिक ऊहापोह के टल जाने का भी शेयर बाजारों पर पॉजिटिव असर रहा।

सत्र के शुरू में सेंसेक्स सोमवार के 17613.99 अंक के मुकाबले करीब 300 अंक ऊपर 17910.30 अंक पर खुला। फिर इसने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह ऊंचे में 18542.41 अंक गया। फिर समाप्ति पर एक दिन की सर्वाधिक तेजी 878.85 अंक यानी 4.99 फीसदी की बढ़त से 18492.84 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स में तेजी का आलम यह था कि बढ़त पाने वाली पहली 10 कंपनियों के शेयरों में 6 से लेकर 12 फीसदी का उछाल रहा। निफ्टी 289.70 अंक यानी 5.59 फीसदी के सुधार से 5473.70 अंक पर बंद हुआ। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप में क्रमश: 292.83 और 284.25 अंक का सुधार हुआ।

हरियाणा और दिल्ली की वित्तीय सेहत अच्छी

नई दिल्ली : वित्तीय हालत की बात हो तो हरियाणा, दिल्ली और उड़ीसा के देश में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं। जबकि बिहार, झारखंड और केरल को राजकोषीय और राजस्व दोनों ही घाटों में कटौती करने की जरूरत है। इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम की स्टडी से यह बात सामने आई है।

स्टडी के मुताबिक 2006 - 07 के दौरान हरियाणा का राजकोषीय घाटा सबसे कम रहा। यह 0 . 6 फीसदी था। हालांकि इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इसमें 0 . 3 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। दिल्ली राजकोषीय घाटे के मामले में 0 . 7 फीसदी के आंकड़े के साथ दूसरे नंबर पर रही। उड़ीसा ने वित्त वर्ष 06 - 07 के दौरान 1 . 1 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा कमाया, जो वित्त वर्ष 05 - 06 से 0 . 4 प्रतिशत अधिक है। स्टडी में कहा गया कि गुजरात का राजकोषीय घाटा 2 . 5 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ का 2 . 6 प्रतिशत, तमिलनाडु का 2 . 7 प्रतिशत और कर्नाटक का 2 . 8 प्रतिशत रहा।

एसोचैम की ईको पल्स स्टडी में खुलासा किया गया है कि लगातार ऊंचे राजकोषीय और राजस्व घाटे की वजह से बिहार, झारखंड और केरल में वित्तीय स्थिरता को लेकर चिंता पैदा हो गई है। स्टडी के मुताबिक राज्यों की कुल प्राप्तियों और व्यय में अंतर पिछले 2 साल के दौरान बढ़ा है। एसोचैम की यह स्टडी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), वित्त मंत्रालय और राज्यों के बजट दस्तावेजों पर आधारित है।

स्टडी के मुताबिक वित्त वर्ष 2006 - 07 में बिहार का राजकोषीय घाटा 10 . 4 फीसदी रहा। 2005 - 06 में यह 6 . 1 फीसदी था। झारखंड का राजकोषीय घाटा भी 10 फीसदी के ऊपर रहा।

सभी राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2006 - 07 के दौरान जीडीपी का 2 . 6 फीसदी रहा। यह इससे एक साल पहले 2 . 4 फीसदी था।

एसोचैम के प्रेजिडेंट वेणुगोपाल धूत ने बताया - कुछ राज्यों में जबर्दस्त वित्तीय अंतर की कई वजहें हैं। इनमें कर्ज के ब्याज के रूप में ज्यादा भुगतान करना, पेंशन के मद में ज्यादा पैसों को दिया जाना, बेतरतीब प्रशासनिक खर्च, टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी न होना आदि प्रमुख है।

बाजार के उतार-चढ़ाव में स्मॉल इन्वेस्टर हुए स्मार्ट

नई दिल्ली : शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर चल रहा है। सरकार से लेकर एक्सपर्ट तक स्मॉल इन्वेस्टरों के हितों को लेकर परेशान हैं। उन्हें अलर्ट रहने को कहा जा रहा है। मगर सेबी की मानें तो घबराने की बात नहीं है, क्योंकि स्मॉल इन्वेस्टर पूरी स्टडी के साथ शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं। वे म्यूचुअल फंडों की स्कीमों के जरिए शेयर बाजार में कारोबार कर रहे हैं। खास बात यह है कि म्यूचुअल फंडों की स्कीम चुनने में भी वे काफी ऐहतियात बरत रहे हैं। इसका प्रमाण है कि म्यूचुअल फंडों की नई स्कीमों से ज्यादा पुरानी स्कीमों की बिक्री और इसमें बढ़ता स्मॉल इन्वेस्टरों का इन्वेटमेंट।

सेबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार शेयर बाजार में तेजी का लाभ देने के लिए म्यूचुअल फंडों ने अब तक 57 नई स्कीमें बाजार में उतारी हैं। मगर स्मॉल इंवेस्टरों ने इसमें ज्यादा रुचि नहीं दिखाई हैं। इन स्कीमों में 21,000 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट हो पाया है। जबकि पिछले साल 37 नई स्कीमों में 25,000 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया गया था। नई स्कीमों के बजाय पुरानी स्कीमों में स्मॉल इन्वेस्टरों का निवेश करीब 30 से 40 पर्सेंट बढ़ा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मॉल इन्वेस्टर उन्हीं पुरानी स्कीमों में ज्यादा इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं, जो उनको बेहतर रिटर्न देते रहे हैं। वे ज्यादा रिस्क नहीं ले रहे हैं और कमाई भी ठीक-ठाक कर रहे हैं। गौरतलब है कि म्यूचुअल फंडों की कई ऐसी स्कीमें हैं जो सीधे तौर पर शेयर बाजार से जुड़ी हुई हैं। इन स्कीमों के तहत म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर के धन को शेयर बाजार में लगाते हैं। इससे जो कमाई होती है, उसे इन्वेस्टरों में बांट देते हैं।

म्यूचुअल फंडों में छोटे शहरों के स्मॉल इंवेस्टरों की भागीदारी 20 पर्सेंट तक पहुंच गई है। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और कोलकाता के साथ अहमदाबाद, राजकोट और जयपुर जैसे शहरों में भी स्मॉल इन्वेस्टर भारी तादाद में म्यूचुअल फंडों में इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं। किसी नए आईपीओ को खरीदने में मुंबई के बाद राजकोट व अहमदाबाद का नम्बर आता है। जयपुर में भी आईपीओ को लेकर बाजार गरम रहने लगा है। म्यूचुअल फंड में 60 से 70 पर्सेंट का इन्वेस्टमेंट स्मॉल इन्वेस्टर ही करते हैं।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के ए. प्रसन्ना का कहना है कि म्यूचुअल फंड के रूप में स्मॉल इन्वेस्टरों को बेहतरीन प्लैटफॉर्म मिला है। इसके जरिए वे शेयर बाजार में कम रिस्क लेते हुए इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। अगर अधिकांश स्मॉल इन्वेस्टर ऐसा कर रहे हैं तो यह शेयर बाजार के कारोबार के लिए शुभ संकेत हैं।

सुजलोन दो सालों में करेगी 26 अरब

मुंबई: पवन ऊर्जा क्षेत्र की अग्रणी कम्पनी सुजलोन एनर्जी अगले दो सालों में अपनी क्षमता 3000 मेगावॉट से बढ़ाकर 5700 मेगावॉट करने में 26 अरब रुपए निवेश करेगी। कम्पनी के अध्यक्ष तुलसी तांती ने बताया कि सुजलोन अपनी विस्तार क्षमता के लिए आंतरिक संसाधनों और इक्विटी कर्ज से धन जुटाएगी। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कम्पनी का शुद्ध मुनाफा पिछले साल की समान अवधि के 2.37 अरब रुपए से 68 प्रतिशत बढ़कर 3.98 अरब रुपए हो गया।

Tuesday 23 October, 2007

जीएनएफसी का शुद्ध मुनाफा बढ़ा

गुजरात नर्मदा फर्टिलाइजर्स कंपनी (जीएनएफसी) ने सोमवार को बताया कि 30 सितंबर 2007 को समाप्त दूसरी तिमाही में उसका शुद्ध मुनाफा बढ़कर 120.58 करोड़ रुपए हो गया जो कि गत वर्ष की समान अवधि में 73.95 करोड़ रुपए था।

जीएनएफसी ने बम्बई शेयर बाजार (बीएसई) को सूचित किया कि समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी की कुल आय बढ़कर 1164.84 करोड़ रुपए हो गई जो पिछले साल की समान अवधि में 698.87 करोड़ रुपए थी। जीएनएफसी खाद्य एवं केमिकल्स से जुड़ी एक कंपनी है।

अफ्रीकी बाजार में पैठ बनाएगी भारतीय कंपनियां

जोहांसबर्ग: नए बाजारों की खोज में जुटी भारत की इंजीनियरिंग कंपनियों की निगाह दक्षिण अफ्रीकी व लैटिन अमेरिकी बाजार पर है। इसी इरादे के साथ वाणिज्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार के नेतृत्व में सोमवार को 171 छोटे या मझोले उद्यमियों ने दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहांसबर्ग में अपनी कुशलता का प्रदर्शन किया। इन कंपनियों ने यहां इंजीनियरिंग उत्पादों के 50 स्थायी स्टाल भी स्थापित कर दिए हैं।

वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद ने उद्यमियों को नए बाजार की संभावनाएं तलाशने का मौका मुहैया कराया है। इसके तहत जोहांसबर्ग के ईईपीसी कार्यालय में एक स्थायी प्रदर्शनी लगाई गई है। शिकागो के बाद यह दूसरा मौका है जब भारतीय निर्यातकों को किसी देश में अपने सामान की प्रदर्शनी लगाने का अवसर मिला है। यहां 50 उद्यमियों ने अपना स्थायी स्टाल लगाया है। ये सभी कंपनियां छोटे ये बड़े स्तर पर अपने सामान का निर्यात करती हैं।

मंगलवार को भारत से आई 171 कंपनियों के 350 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अश्विनी कुमार इंडिया इंजीनियरिग प्रदर्शनी का भी उद्घाटन करेंगे। दरअसल दक्षिण अफ्रीका ने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इसमें अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों की रुचि को देखते हुए ईईपीसी ने भी इंडी-2007 का मेगा आयोजन किया है। भारत सरकार करीब आधा दर्जन देशों के साथ एमओयू पर भी हस्ताक्षर भी करने की तैयारी में है।

अश्विनी कुमार ने पूरी कवायद की हकीकत और अहमियत को बेबाकी से बयां किया। उन्होंने कहा कि भारत की विकास दर में छोटे इंजीनियरिंग उद्योगों का बड़ा योगदान है। उन्हें मजबूत करके ही देश की अर्थव्यवस्था की मदद की जा सकती है। चीन की आक्रामक बाजार नीति से भयभीत न होने की सलाह देते हुए उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारतीय उद्यमी अपनी गुणवत्ता से चीन के उत्पादों का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं।

दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक कार्यो के लिए चीन की ओर से बड़ा बजट रखा जाना भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के लिए परेशानी का कारण है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने इसे कबूला। वैसे, हाल के दिनों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दो दौरों तथा सरकार के रुख से उत्साह भी बना हुआ है।

इस वर्ष तीन अरब डालर की कंपनी बनेगी जीई

नई दिल्ली: विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) का भारत में कारोबार चालू वित्त वर्ष के दौरान लगभग 58 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने की संभावना है। कंपनी का कारोबार वर्ष 2006-07 के दौरान भारत में 1.9 अरब डालर का रहा था, जबकि इस वर्ष यह बढ़कर तीन अरब डालर हो जाने की उम्मीद है। कारोबार में इस तेज वृद्धि के बलबूते जीई ने अगले तीन वर्षो के दौरान अपने लक्ष्य में 60 फीसदी बढ़ोतरी कर ली है।

जीई के सीईओ टीपी चोपड़ा ने सोमवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि भारत में ढांचागत, स्वास्थ्य व वित्तीय क्षेत्रों में कंपनी की गतिविधियां और तेजी से बढ़ेंगी।

जीई ने देश की एक प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनी त्रिवेणी के साथ भारत में तेल व गैस क्षेत्र में खास तौर पर इस्तेमाल होने वाले कंप्रेसर बनाने का समझौता किया है। उन्होंने कहा कि जीई भारत के ढांचागत क्षेत्र बढ़-चढ़कर निवेश करने की मंशा रखती है।

कंपनी ने भारत के सिविल एविएशन, तेल व गैस, रेलवे, जल, हेल्थकेयर सोल्यूशंस और वित्तीय सेवाओं में अपनी गतिविधियां फैला रखी है। उन्होंने कहा कि जिस रफ्तार से भारत में जीई का कारोबार बढ़ रहा है उसे देखते हुए वर्ष 2010 तक यह कंपनी आठ अरब डालर की हो जाएगी। इस लक्ष्य को पाने के लिए कंपनी की तरफ से भी काफी जोरदार प्रयास हो रहे हैं।

जीई पिछले एक वर्ष में अपने भारतीय संचालन से संबंधित लक्ष्यों में दो बार संशोधन कर चुकी है। पहले कंपनी ने वर्ष 2010 तक केवल तीन अरब डालर के कारोबार का लक्ष्य तय किया था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर पांच अरब डालर किया गया। अब इसे और बढ़ा दिया गया है।

सीधे रास्ते आने वाली पूंजी पर रोक नहीं: सेबी

मुंबई: भारतीय बाजार में निवेश को लेकर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के जोश को बनाए रखने की कवायद अब और तेज कर दी गई है। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को 16 विदेशी संस्थागत निवेशकों के आवेदनों को हरी झंडी दिखा दी। इसके साथ ही सेबी ने यह स्पष्ट किया कि पार्टिसिपेटरी नोट्स पर अंकुश लगाने की पहल सीधे रास्ते से आने वाली पूंजी के प्रवाह को रोकने के लिए कतई नहीं की गई है।

प्रमुख एफआईआई के साथ वीडियो कांफ्रेंस में सेबी के अध्यक्ष एम दामोदरन ने कहा कि पीएन पर अंकुश लगाने के प्रस्ताव पर बड़ी संख्या में घरेलू और विदेशी निवेशकों ने अपनी राय जाहिर की है। इससे नई कंपनियों के पंजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, 'हमने सोमवार को 16 एफआईआई प्रस्तावों को मंजूरी दी। 17 अक्टूबर तक प्राप्त किए गए आवेदनों की मंजूरी दी जा चुकी है।'

दामोदरन ने यह भी स्पष्ट किया कि एफआईआई को उनके कुल परिसंपत्ति पोर्टफोलियो में पीएन के जरिए हिस्सेदारी को 40 प्रतिशत तक सीमित करने के लिए दी गई 18 माह की समयसीमा को आगे बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। नौ शीर्ष एफआईआई ने इस आशय के प्रस्ताव पर इंटरेक्टिव वीडियो कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। इसमें गेाल्डमैन सैश और मेरिल लिंच प्रमुख हैं।

दामोदरन ने यह भी कहा कि प्रोपराइटरी सब-अकाएंट को नियामक के पास निश्चित तौर पर पंजीकृत कराया जाना चाहिए। 25 अक्टूबर के बाद एफआईआई पंजीकरण के बारे में संशोधित नियम लाए जाएंगे।

पिछले सप्ताह सेबी द्वारा पीएन संबंधी प्रस्ताव पेश करने के अगले ही दिन शेयर बाजार एक समय 1700 अंक से भी ज्यादा लुढ़क गया था और उसी दिन वह करीब 1400 अंक सुधर गया था। यह सुधार तब आया जब वित्त मंत्री पी चिदंबरम और एम दामोदरन ने स्पष्ट किया कि पीएन पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है। इसके पीछे मुख्य मकसद केवल अज्ञात निकायों की ओर से पूंजी के प्रवाह को रोकना है।

Monday 22 October, 2007

पी-नोट्स पर लगाम सराहनीय

भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिए निवेश करने की बढ़ती प्रवृति पर अंकुश लगाने के लिए सेबी द्वारा उठाए जा रहे कदमों की आहट से इन दिनों बाजार में भारी बिकवाली का दौर चल रहा है। अभी कोई यह कह पाने की स्थिति में नहीं है कि ऐसा कब तक चलेगा, क्योंकि पिछले दो-तीन वर्षों में एफआईआई ने पी-नोट्स के जरिए बड़ी धनराशि निवेश की है और यदि सेबी अपनी योजना को अमल में लाती है तो पी-नोट्स के जरिए आने वाले धन का प्रवाह तो बाधित होगा ही, साथ ही जारी हो चुके पी-नोट्स के धन की मात्रा सेबी द्वारा निर्धारित सीमा तक लाने के लिए एफआईआई को अपने सौदे काटने पड़ेंगे।

हालाँकि सेबी ने नए नियमों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया है, किंतु वित्त मंत्री ने साफ संकेत दे दिए हैं कि इस मामले में विदेशी निवेशकों द्वारा दबाव बनाने की कोई भी रणनीति कारगर नहीं होगी और सिर्फ इतनी छूट दी है कि पी-नोट्स के जरिए की गई अतिरिक्त खरीदी या सौदा काटने की अवधि 18 महीने से ज्यादा भी बढ़ाई जा सकती है।

दरअसल पी-नोट्स के जरिए खरीदी करने वाले निवेशकों के कारण समस्याएँ ही ज्यादा होती हैं। सबसे पहले तो ये निवेशक अपनी अधिकांश जानकारियों को गुप्त रखने में सफल हो जाते हैं इसलिए सरकार या सेबी को यह पता ही नहीं चलता है कि धन लगाने वाले किस तरह के निवेशक हैं तथा उनकी पृष्ठभूमि क्या है। शायद इसीलिए शेयर बाजार से जीवन-यापन करने वाले निवेशकों एवं ब्रोकर्स को तथा अप्रत्यक्ष रूप से वित्त मंत्रालय एवं सेबी को यह लाँछन सहन करना पड़ता है कि शेयर बाजार में आतंकवादी संगठनों का धन लगा है। हालाँकि इस बात में कोई दम नहीं है, क्योंकि धन कमाना सृजनात्मक है, जबकि दूसरों के जान-माल को नष्ट करना विध्वंस है और विध्वंस करने वालों की प्रवृत्ति सृजन करने में लग जाए तो फिर वे आतंकवादी क्यों रहेंगे?

बहरहाल दूसरी समस्या यह है कि पी-नोट्स के जरिए आ रही धनराशि दरअसल हॉट मनी है। अर्थात जितनी तेजी से यह राशि किसी देश या बाजार में लगती है, उतनी ही रफ्तार से बाहर भी निकलती है। अभी कुछ दिनों पहले तक विदेशी निवेशक 'बाय्‌ इंडिया' की नीति पर चल रहे थे और वित्त मंत्री एवं सेबी की तमाम चिंताओं एवं चेतावनियों की अनदेखी करते हुए असामान्य तरीके से निफ्टी एवं सेंसेक्स को नित नई ऊँचाइयों पर ले जा रहे थे।

यदि कल से ये विदेशी निवेशक 'शार्ट इंडिया- बाय ब्राजील' का नारा लगाते हुए भारत से धनराशि निकाल कर ब्राजील उड़ लिए तो यहाँ कितनी भारी गिरावट आएगी, इसकी कल्पना-मात्र से जानकारों के होश उड़ सकते हैं। इसीलिए इस देश में ऐसे विदेशी निवेशकों की जरूरत ज्यादा है जो लंबी अवधि के निवेशक हों। यानी शेयर खरीदने-बेचने में धीरज रखें तथा सेबी से रजिस्टर्ड होने में लगने वाले समय को भी धैर्यपूर्वक सहन करें।

तीसरी एवं सबसे महत्वपूर्ण समस्या यह है कि विदेशी निवेशकों द्वारा देश में डॉलर की बाढ़ ला देने से रुपया लगातार मजबूत होता जा रहा है। रुपए की इस मजबूती से सॉफ्टवेयर, टेक्सटाइल एवं बीपीओ समेत तमाम एक्सपोर्ट ओरिएंटेड कंपनियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पी-नोट्स पर अंकुश लगाने से थोड़े समय के लिए रुपए की मजबूती में बाधा उत्पन्न होगी तथा निर्यातक कंपनियों को संभलने का मौका मिलेगा।

किसी भी बड़े बदलाव का विरोध करना सहज मानवीय प्रवृत्ति है। निवेशकों को याद होगा कि वर्ष 1992 में तत्कालीन वित्त मंत्री श्री मनमोहनसिंह ने शेयर ब्रोकर्स की मनमानियों एवं अनियमितताओं से निवेशकों को निजात दिलाने के लिए नियामक संस्था सेबी का गठन किया था। उस समय देश भर के शेयर ब्रोकर्स ने विरोधस्वरूप कई दिनों तक हड़ताल की थी। वह हड़ताल गलत थी और सेबी का गठन सही था यह बात समय ने साबित कर दी है। इसी प्रकार आने वाला समय यह भी साबित करेगा कि पी-नोट्स के मामले में सेबी ने देश एवं निवेशक हितैषी कदम उठाया है।

रही बात बाजार की तो यह जैसे बढ़ा था, वैसे ही गिर भी रहा है। छः महीने या सालभर में आने वाली तेजी छः हफ्तों में आ जाए तो ऐसा ही होता है। अभी कुछ समय अस्थिरता का दौर चलने के बाद वेल्यूएशन आकर्षक स्तर पर आ जाएगी। फंडामेंटल तो वैसे ही मजबूत बने हुए हैं। मुद्रास्फीति 5 वर्ष के निम्नतम स्तर पर है, टैक्स कलेक्शन ज्यादा हो रहा है, औद्योगिक उत्पादन के आँकड़े अच्छे हैं, जीडीपी की वृद्धि दर अगले कई वर्षों तक उत्साहवर्द्धक बने रहने का अनुमान है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश हैं। यहाँ प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री धुरंधर अर्थशास्त्री हैं तथा रिजर्व बैंक एवं सेबी जैसी सजग नियामक संस्थाएँ हैं। वास्तविक विदेशी निवेशकों को इतना सब कुछ एक जगह मिलेगा तो वे आज नहीं तो कल फिर एक स्वर में बोलेंगे 'बाय्‌ इंडिया।'

जानिए पी-नोट्स की दुनिया
* भारत में शेयर खरीदने या डेरिवेटिव्ज कामकाज करने के इच्छुुक, किंतु सेबी से रजिस्टर्ड होने में अनिच्छुक विदेशी निवेशक सेबी से रजिस्टर्ड एफआईआई से खरीदी के लिए संपर्क करते हैं।
* एफआईआई सब-अकाउंट बनाकर इनके लिए खरीदी करती है तथा इन निवेशकों को पी-नोट्स देती है।
* ऐसे सब-अकाउंट सेबी में रजिस्टर्ड तो होते हैं, किंतु सेबी को इन निवेशकों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है।
* सेबी से रजिस्टर्ड एफआईआई की संख्या लगभग 1100 है।
* वित्त मंत्री के अनुसार मात्र 35-40 एफआईआई ही सब-अकाउंट खोलती है।
* 28 सितंबर 2007 तक 3388 सब-अकाउंट्स सेबी से रजिस्टर्ड हो चुके हैं।

टीसीएस का मुनाफा 23 फीसदी बढ़ा

डॉलर के मुकाबले रुपए की लगातार मजबूती के बावजूद सॉफ्टवेयर क्षेत्र की अग्रणी कंपनी टाटा कंसलटेंसी का चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में शुद्ध मुनाफा पिछले वर्ष की समान अवधि के 931.32 करोड़ रु. से 23.17 प्रतिशत बढ़कर 1147.11 करोड़ रु. हो गया।

कंपनी ने बीएसई को बताया कि अंकेक्षित नतीजों के अनुसार आलोच्य अवधि के दौरान उसकी कुल आय पिछले साल की समान अवधि के 3681.20 करोड़ रुपए से करीब 27 फीसदी बढ़कर 4681.49 करोड़ रुपए हो गई। टीसीएस ने बताया कि उसके निदेशक मंडल की बैठक में एक रुपया प्रति शेयर पर तीन रुपए का दूसरा अंतरिम लाभांश घोषित किया है।

बीएसई एवं एनएसई समाचार

* मंगलोर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लि. के 10 रुपए फेस वेल्यू वाले शेयर्स आज एनएसई में लिस्ट होंगे। शुक्रवार को बीएसई में बंद भाव 31 रुपए था।

* एशको इंडस्ट्रीज लि. के 10 रुपए फेस वेल्यू वाले शेयर्स आज एनएसई में लिस्ट होंगे। शुक्रवार को बीएसई में बंद भाव 45 रुपए था।

* सेंगल पेपर्स लि. के शेयर्स आज बीएसई में लिस्ट होंगे। बेस प्राइस 34.90 रुपए एवं सर्किट सीमा 5 प्रतिशत है। इस कंपनी में 16 दिसंबर 2004 से ट्रेडिंग सस्पेंड थी।

* मन एल्यूमीनियम लि. के 10 रुपए फेस वेल्यू वाले शेयर्स आज एनएसई एवं बीएसई में लिस्ट होंगे। मन इंडस्ट्रीज लि. ने अपने एल्यूमीनियम बिजनेस को डी-मर्ज करते हुए 8 शेयर्स पर 1 शेयर मन एल्यूमीनियम का दिया था।

* आईपीसीएल के शेयर होल्डर्स को मिले रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. के शेयर्स आज एनएसई एवं बीएसई में लिस्ट होंगे।

* मवाना शुगर्स लि. में 24 अक्टूबर 2007 से ट्रेडिंग बंद होगी। कंपनी का विलय सिएल लि. में होने जा रहा है। मवाना के शेयर होल्डर्स को 2 शेयर्स के बदले 3 शेयर्स सिएल लि. के मिलेंगे। उसके बाद सिएल लि. में इक्विटी कैपिटल रिडक्शन प्रक्रिया भी होगी। इसलिए अंततः मवाना के शेयर होल्डर्स को 2 शेयर्स के बदले 1 शेयर सिएल लि. का मिलेगा।

* श्री अधिकारी ब्रदर्स लि. में 25 अक्टूबर से ट्रेडिंग सस्पेंड होगी। कंपनी 2 रुपए के 5 शेयर्स को 10 रुपए के 1 शेयर में कंसोलिडेट कर रही है।

पीएन ने खोए 10000 करोड़, फिर भी मुनाफे में

नई दिल्ली. पिछले सप्ताह विवाद में आए पार्टिसिपेटरी नोट्स (पीएन) ने तीन दिन की गिरावट में 10, 000 करोड़ रुपए खो दिए हैं, फिर भी वे मुनाफे में हैं। जिन कंपनियों में पीएन ने धन लगाया है, उनके बाजार मूल्य में तो दो लाख करोड़ रुपए की कमी आ चुकी है।

अनुमान है कि पीएन के पास करीब 300 कंपनियों के 1, 20000 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर हैं। भारतीय इक्विटी में एफआईआई के धन का करीब आधा यानी 65 अरब डॉलर पीएन के जरिए आता है। इन कंपनियों का संचयी बाजार पूंजीकरण पिछले सप्ताह की गिरावट से पहले तक 22 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था। कंपनियों में भारती एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशंस, आईसीआईसीआई बैंक, भेल, सेल, टाटा स्टील, एचडीएफसी, रिलायंस कैपिटल, कैयर्न इंडिया, सत्यम कंप्यूटर, रिलायंस एनर्जी, बजाज ऑटो और एचसीएल टेक्नोलाजीज हैं।

तीन दिन:
17 से 19 अक्टूबर के तीन दिनों में इन कंपनियों ने 2, 12000 करोड़ रुपए या करीब बाजार मूल्य का दस फीसदी खो दिया। शेयर बाजार में से 4, 02000 करोड़ रुपए निकल गए हैं। इन कंपनियों में जिन निवेशकों ने पीएन के जरिए धन लगाया है, उनकी वित्तीय संपत्ति में 9500 करोड़ रुपए की कमी आ चुकी है। अब भी ये निवेशक अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। उनके निवेश का मूल्य वित्त वर्ष के आरंभ से अब तक 45, 000 करोड़ रुपए बढ़ चुका है।

पीएन की दौलत:
चालू वित्त वर्ष में पीएन के निवेश वाली कंपनियों का बाजार पूंजीकरण हालिया गिरावट से पहले तक 9 लाख करोड़ रुपए थी। भारत में करीब 1000 एफआईआई रजिस्टर हैं, इनमें से केवल 30 ही पीएन जारी करती हैं। लेकिन यही एफआईआई भारतीय बाजार में प्रमुख निवेशक हैं। इन निवेशकों ने भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, भेल, एचडीएफसी, रिलायंस कैप, जेपी एसोसिएट्स, यूनाइटेड स्पिरिट्स और इंडियाबुल्स जैसी कंपनियों में तीन दिनों में 200-800 करोड़ का नुकसान उठाया है।

इनके अलावा रिलायंस कम्युनिकेशंस, सेल, एलएंडटी, कैयर्न इंडिया, रिलायंस एनर्जी, कोटक महिंद्रा, आईडीएफसी, पंजाब नेशनल बैंक और फाइनेंशियल टेक्नोलाजीज, पीएन होल्डर्स में भी 100 करोड़ रुपए का नुकसान दिख रहा है। रिलायंस कैप और एसीसी जैसे शेयरों में तो 23-25 फीसदी तक नुकसान हुआ है।

Saturday 20 October, 2007

अब वित्तीय सेवाओं के इंजन से दौड़ेगी इकॉनमी : चिदंबरम

न्यू यॉर्क : भारत अब विकास के इंजन को बदलने की तैयारी में है। आईटी और टेलिकॉम के बाद अब विकास के लिए वित्तीय सेवाओं का दामन पकड़ने की बारी है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यहां आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज के निवेशक सम्मेलन में कहा कि हमारा वित्तीय सेवाओं को भारत के विकास का अगला इंजन बनाने का इरादा है। उन्होंने कहा कि इकॉनमी अब ज्यादा खुली है और व्यापार भी काफी बढ़ा है।

वित्त मंत्री ने संकेत किया कि भारत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं का खरीदार है। भारत के लिए इन सेवाओं का प्रदाता बनने के अवसर मौजूद हैं। उन्होंने हाल की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इन सेवाओं की कीमत 13 अरब डॉलर आंकी गई है और 2015 तक इसके 48 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

सरकार द्वारा गठित एक समिति ने हाल ही में अपनी सिफारिशें सौंपी हैं जिसमें मुंबई को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र बनाने की सिफारिश की गई है। चिदंबरम ने कहा कि इसके मद्देनजर हमारा इरादा मुंबई को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र बनाने का है। उन्होंने बताया कि सिफारिशों पर आम सहमति बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है।

उनके मुताबिक, भारतीय इकॉनमी के संकेत सकारात्मक हैं। विकास को गति प्रदान करने वाले वजहों में घरेलू खपत, निवेश में बढ़ोतरी, रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी और लेबर और पूंजी की उत्पादकता में बढ़ोतरी शामिल हैं।

रुपया मजबूत देख भाग न जाएं फॉरन इनवेस्टर

नई दिल्ली : एक तरफ डॉलर हर रोज कमजोर होता जा रहा है तो दूसरी तरफ रुपये का वजन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। रुपया जो कभी कमजोर हुआ करता था, अब ग्रीन डॉलर को रोजाना चित कर रहा है। लेकिन हमारे अर्थशास्त्री और इकनॉमिक प्लानर्स रुपये के बढ़ते वजन से थोड़ा परेशान भी हैं।

दरअसल वे नहीं चाहते कि डॉलर इतना पिटे कि हमारे एक्सपोर्टर्स के आंसू निकल जाए। बेशक वे मानते हैं कि बड़ा रुपया ही इंडिया की असली इकनॉमिक ग्रोथ का बयान करता है। मगर वे यह भी मानते हैं कि रुपया इतना भी मजबूत न हो कि इसका नेगेटिव रियेक्शन शुरू हो जाए। इसलिए अब इस पर गहन चिंतन हो रहा है।

सूत्रों के अनुसार इस चिंतन का जिम्मा दिया जा रहा है कि इकनॉमिक अडवाइजरी काउंसिल के प्रमुख और आरबीआई के पूर्व गवर्नर डॉ. चक्रवर्ती रंगराजन को। हालांकि पिछले सप्ताह हुई आरबीआई और वित्त मंत्रालय की बैठक में यह तय हुआ था कि अगर डॉलर के मुकाबले रुपया 39 के स्तर से नीचे आता है तब ही कुछ कार्रवाई करने पर विचार किया जाएगा। अब लगता है कि सरकार इस मसले पर ज्यादा रिस्क लेने के मूड में नहीं है।

शेयर बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट (पीएन) पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिशों के बाद फॉरन इन्वेस्टर्स ने जिस तरह से रिएक्ट किया, उससे सरकार को झटका लगा है। सरकार को आशंका है कि रुपये के और ज्यादा मजबूत होने पर अगर उसने कोई कदम उठाया तो फॉरन इनवेस्टर फिर कोई नेगेटिव रियेक्शन दे सकते हैं। इसलिए अभी से इस मसले पर गहन चिंतन कर कुछ कदम उठाने की शुरुआत कर दी गई है।

सूत्रों के अनुसार बाजार विशेषज्ञों ने सरकार को रुपये की मजबूती को लेकर सचेत किया है। उनका कहना है कि अगर रुपया 39 के स्तर से नीचे आ गया तो फिर यह 35 या 36 पर ही आकर ठहरेगा। तब कार्रवाई करना न केवल मुश्किल होगा बल्कि उसको लेकर फॉरन इनवेस्टर नाराज हो सकते हैं। वे इनवेस्टमेंट फ्लो को कम भी कर सकते हैं।

यही कारण है कि डॉ. रंगराजन से कहा गया है कि वे डॉलर के मुकाबले रुपये के तर्कसंगत स्तर के बारे में चिंतन करें। बाजार का आकलन करें और सुझाव दें कि किस स्तर पर क्या कदम उठाना बेहतर होगा। आरबीआई के गवर्नर रह चुके डॉ. रंगराजन, फिलहाल आरबीआई के गवर्नर रेड्डी के संपर्क में हैं। उनसे अगली क्रेडिट पॉलिसी में रुपये की तेजी और बाजार में डॉलर के फ्लो के बीच तालमेल बिठाने के लिए सुझाव मांगें जा रहे है।

तीन दिनों में इनवेस्टर्स को करीब 4 लाख करोड़ की चपत

नई दिल्ली : सेंसेक्स में लगातार तीसरे दिन गिरावट का दौर जारी रहा। शुक्रवार को सेंसेक्स 438.41 अंक गिरकर 17,559.98 पर बंद हुआ। पिछले तीन दिनों में शेयर बाजार के लुढ़कने से निवेशकों के शेयरों की कीमत में करीब 102 अरब डॉलर (तकरीबन 4 लाख 6 हजार करोड़ रुपये) की गिरावट आई है। शुक्रवार को कारोबार के अंत तक लिस्टेड शेयरों की कीमत घटकर 54 लाख 65 हजार करोड़ रुपये रह गई, जो 16 अक्टूबर को 58 लाख 71 हजार करोड़ रुपये थी।

गौरतलब है कि सेबी द्वारा पार्टिसेपेटरी नोट्स के जरिए विदेशों से होनेवाले निवेश को रोकने के प्रस्ताव के बाद गिरावट का दौर शुरू हुआ। पिछले तीन दिनों में कुल 4 लाख 6 हजार करोड़ रुपये के घाटे में 30 सबसे बड़े ब्लूचिप शेयरों को करीब आधा यानी 1 लाख 96 हजार 800 करोड़ रुपये का नुकसान सहना पड़ा। देश के पांच सबसे बड़े धनकुबरों की अपनी होल्डिंग के शेयरों की कीमत में 64 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। इनमें मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, के. पी. सिंह, सुनील मित्तल और अजीम प्रेमजी शामिल हैं।

किसने कितना खोया

मुकेश अंबानी - 23,000 करोड़
अनिल अंबानी - 12,000-16,000 करोड़
के. पी. सिंह - 12,000-16,000 करोड़
सुनील मित्तल - 12,000-16,000 करोड़

'इन्वेस्टर से पूछे बिना रकम ट्रांसफर गलत'

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन्वेस्टमेंट करने वालों की रकम को म्युचुअल फंड उनकी सहमति के बगैर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को नहीं सौंप सकते, भले ही इन्वेस्टर पर टैक्स चुकाने में कोताही का आरोप हो।

एस. बी. सिन्हा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बारे में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की अपील खारिज कर दी। यूटीआई ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट की ओर से डिफॉल्टर घोषित किए गए एक इन्वेस्टर से पूछे बिना उसकी रकम ट्रांसफर कर दी थी। कोर्ट के मुताबिक, यह अवैध है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 226(3) का मतलब यह नहीं लगाया जा सकता है कि यूनिट होल्डर को कोई नोटिस दिए बिना यूटीआई को यूनिटों का निपटारा करने का अधिकार है। यह काम न सिर्फ जल्दबाजी में किया गया, बल्कि गैर-कानूनी भी है। यह कहना गलत है कि स्कीम के तहत इन्वेस्टर की इजाजत के बिना 1 सितंबर 2001 से रीपरचेज की इजाजत थी। यह इन्वेस्टर पर निर्भर है कि वह इस बारे में ऑप्शन दे।

इस केस में यूटीआई और इन्वेस्टर दोनों ने अपीलें दाखिल की थीं। आंध्र हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि इन्वेस्टर को पांच साल के बाद सभी यूनिटों का भुगतान मूल्य पाने का हक है। बी. एम. मालानी नाम के शख्स ने यूटीआई की कैपिटल गेन्स स्कीम में 1998 में मंथली इनकम प्लान के तहत 65 लाख रुपये इन्वेस्ट किए थे। इसमें पांच साल तक रकम नहीं निकाली जा सकती थी, लेकिन 1 सितंबर 2001 से यूनिट खरीदने की इजाजत थी। रीपरचेज का मूल्य नेट असेट वैल्यू पर आधारित था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के डिमांड नोटिस का पालन करते हुए यूटीआई ने मालानी की 43.69 लाख रुपये से ज्यादा रकम ट्रांसफर कर दी थी। उसने 6.93 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से कैलकुलेट कर यह रकम तय कर दी।

Friday 19 October, 2007

बढ़ते सेंसेक्स पर सेबी की लगाम!

दृष्टिकोण. वित्त मंत्रालय और सेबी ने शेयर बाजार के बुल को सींगों से पकड़कर उस धारणा को चुनौती दी है कि बढ़ता सेंसेक्स नीति निर्धारकों को निष्क्रिय बना देता है। भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) ने काफी पहले यह चेतावनी दी थी कि बाजार में अल्पकालीन सटोरियों को लेन-देन करने या विदेशों में जमा अघोषित भारतीय धन के अनियंत्रित पार्टिसिपेटरी नोट्स के जरिए देश के शेयर बाजार में निवेश की इजाजत देने की नीति सही नहीं है और इसे रोकने की जरूरत है।

लेकिन रिजर्व बैंक के सुझावों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। दिसंबर २00३ से तकरीबन ५0 अरब डॉलर का विदेशी पूंजी निवेश भारतीय शेयर बाजार में हो चुका है, जिसमें से तकरीबन आधा पी-नोट्स के जरिए आया है।

१९९१ में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने यह घोषणा की कि भारत ऐसी विदेशी पूंजी, जो दीर्घकालीन प्रकृति की हो और जिसके स्रोत ज्ञात हों, के लिए निवेश के दरवाजे खोल देगा। इसके बाद फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स रेगुलेशंस, १९९५ बनाया गया, जिसने विदेशी संस्थागत निवेशकों(एफआईआई) का रजिस्ट्रेशन शुरू किया।

यदि सेबी को यह लगता कि आवेदक ‘सही और उपयुक्त व्यक्ति’ नहीं है, तो उन्हें संभवत: रजिस्ट्रेशन से इनकार कर दिया जाता। यह कहने की कोई जरूरत नहीं है कि वास्तव में किसी भी अल्पकालीन, हेज फंड निवेशकों ने इस प्रक्रिया के जरिए बाजार में घुसने की कोशिश नहीं की। इसके दो कारण हैं- पहला, चूंकि उन्हें जल्दी रिटर्न चाहिए, इसलिए वे खुद को बाजार में उपयुक्त नहीं मान रहे थे। दूसरा, १९९0 के शुरुआती दौर में हेज फंडों की संख्या ही काफी कम थी।

१९९७ में आए एशियाई संकट, १९९९ में तकनीकी जगत में आई क्रांति और वर्ष २00१ में अमेरिका में ग्यारह सितंबर को हुए हादसे के दौर तक तो विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) की प्रक्रिया ठीक-ठाक ढंग से चलती रही, चूंकि कोई भी वास्तव में भारत जैसे ‘जोखिम भरे’ बाजार में निवेश नहीं करना चाहता था। वर्ष १९९२ से २00२ के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों ने कुल मिलाकर तकरीबन १0 अरब डॉलर का निवेश किया।

लेकिन वर्ष २00३ में ‘सार्स’ का हौआ फैलने के बाद परिस्थितियां आश्चर्यजनक ढंग से बदल गईं। हेज फंड्स संपत्ति वर्ग में आ गए। जोखिम लेना एक तरह से चलन सा हो गया और हर कोई भारत जैसे तेजी से उभरते बाजारों में निवेश करना चाहता था। लेकिन एक समस्या थी- कोई भी वास्तव में सेबी में पंजीबद्ध होकर एफआईआई का रजिस्ट्रेशन नहीं लेना चाहता था। ये हेज फंड्स ही हैं, जो कहीं से भी पैसा बनाने और खरीदने-बेचने की इजाजत देते हैं।

हर नियामक समस्या का एक साधारण वित्तीय ताने-बाने के आधार पर बुना गया हल होता है। पार्टिसिपेटरी नोट्स(पी-नोट्स) का जन्म, या कहें तो पुनर्जन्म हुआ। सबसे पहले इसका इस्तेमाल १९९४-९५ के उछाल भरे दिनों में किया गया और इसने जीवन को एक नया आयाम दिया।

यदि कुछ अल्पकालीन निवेशक एफआईआई के तौर पर निवेश नहीं करना चाहते, तो उन्हें सिर्फ इतना करना होता कि वे हांगकांग, लंदन या न्यूयॉर्क में अपने किसी दलाल को फोन करें और उसे किसी कंपनी मसलन ओएनजीसी के दस लाख शेयर खरीदने का ऑर्डर दें।

अंतरराष्ट्रीय दलाल इस खरीदार को एक पी-नोट्स जारी कर देता और उससे धन लेकर भारत में या तो अपनी स्थानीय शाखा के जरिए या फिर अपने एफआईआई लायसेंस के जरिए निवेश कर देता। अचानक, भारतीय पूंजी बाजार सच्चे मायनों में सबके लिए खुल गया। यदि आपने दलाली के रूप में एक फीसदी शुल्क अदा किया है तो जहां तक दलाल की बात है, उसके लिए आप ‘सही और उपयुक्त’ हैं।

गणित बिलकुल सीधा है- २५ अरब डॉलर का अल्पकालीन पूंजी निवेश पी-नोट्स के जरिए भारत में आया, जिसके लिए एक फीसदी शुल्क अदा किया गया। इसका मतलब २५ करोड़ डॉलर की दलाली के रूप में आय हुई। मान लेते हैं कि यह धन एक वर्ष में चार गुना हो जाता है। इसका मतलब है कि १ अरब डॉलर की आय कमीशन के रूप में और शायद व्यापारिक लाभों के रूप में होगी।

देखा जाए तो शेयर बाजारों को एक वाहिका की तरह बनाया गया, जिसके माध्यम से जरूरतमंद कंपनियां अपने व्यवसय के संचालन के लिए बचतकर्ताओं से धन ले सकें। लेकिन ये शेयर बाजार आज सट्टेबाजी के लिए स्वर्ग बन गए हैं। ऐसा तर्क दिया जाता है कि बाजार में जितनी ज्यादा तरलता होगी, बाजार की कीमतें उतनी ही ‘करेक्ट’ होती हैं।

क्या वास्तव में ऐसा है? आपको याद है कि हिमाचल फ्यूचरिस्टिक और विकास डब्ल्यूएसपी या एनरॉन जैसी कंपनियां बाजार की खरीद-फरोख्त में कितनी सक्रिय रहीं? उनकी बाजार कीमतों के बारे में क्या ‘करेक्ट’ था, जब वे सक्रिय तौर पर खरीद-फरोख्त कर रही थीं?

देश की दीर्घकालीन पूंजी की जरूरतें और पूंजी के दीर्घकालीन प्रदाताओं के बीच एक सामंजस्य को प्रोत्साहित करने के लिहाज से एफआईआई पॉलिसी बनाई गई। कहीं न कहीं, कुछ हद तक ब्रोकिंग कमीशनों की ताकत ने इस पॉलिसी को हाइजैक कर लिया है और हम महज एक कैसिनो बनकर रह गए हैं।

आने वाला कुछ समय बहुत महत्वपूर्ण है। पी-नोट धारक जैसे-जैसे भारत से बाहर निकलेंगे, वैसे-वैसे शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है। इसके चलते कई याचिकाएं दाखिल की जा सकती हैं और सेबी के सुझावों का विरोध हो सकता है। आखिर उन्होंने पी-नोट्स पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, उन्होंने तो सिर्फ इनके इस्तेमाल को सीमित किया है। लेकिन यह एक बढ़िया कदम है और निवेश के क्षेत्र से सट्टेबाजी को बाहर करने में यह बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।

लेखक एसेट मैनेजमेंट कंपनी के डायरेक्टर हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के नाम एक और उपलब्धि

मुंबई: मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अब एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। कंपनी बृहस्पतिवार को 4000 अरब रुपये के बाजार पूंजीकरण वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई। कारोबार के दौरान एक समय कंपनी के शेयर भाव में 4.26 प्रतिशत की उछाल आने से ही यह मुकाम हासिल हो पाया।
बृहस्पतिवार को एक समय इस कंपनी का शेयर भाव 114.7 रुपये चढ़कर 2805 रुपये के नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ ही कंपनी का बाजार पूंजीकरण भी तेज बढ़त के साथ करीब चार लाख सात हजार 748 करोड़ रुपये (103 अरब डालर) हो गया। वैसे, कंपनी बाद में अपना यह स्तर बरकरार नहीं रख पाई। कारोबार की समाप्ति पर बाजार में भारी गिरावट के बीच रिलायंस का शेयर भाव भी 4.25 प्रतिशत गिरकर 2575.90 रुपये के स्तर पर आ गया। इसके साथ ही कंपनी का बाजार पूंजीकरण भी अंतत: घटकर 90.64 अरब डालर रह गया।
इस महीने की शुरुआत में मुकेश अंबानी एक ऐसे समूह का नेतृत्व करने वाले देश के पहले व्यक्ति बने जिसका बाजार पूंजीकरण 100 अरब डालर के आंकड़े को पार कर गया था। इस आंकड़े में समूह की चारो कंपनियां शामिल थीं।
इस साल अगस्त माह में जारी एक रिपोर्ट में ग्लोबल निवेश बैंक मोर्गन स्टैनली ने अनुमान व्यक्त किया था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज इस आंकड़े को पार करने वाली पहली कंपनी बन सकती है। इसने अगस्त 2008 तक रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण 100 अरब डालर के पार जाने की संभावना व्यक्त की थी, लेकिन कंपनी ने उसके अनुमानों से कहीं पहले यह ऐतिहासिक आंकड़ा पार कर लिया।

निवेशक अफवाहों पर ध्यान न दें: चिदंबरम

न्यूयार्क। शेयर बाजारों में लगातार गिरावट ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम को भी बेचैन कर दिया है। पार्टिसिपेटरी नोट्स (पीएन) पर स्थिति स्पष्ट करने के बावजूद बृहस्पतिवार को मुंबई शेयर बाजार में हुई लगभग 717 अंकों की ताजा गिरावट ने उन्हें और ठोस कदम उठाने पर विवश कर दिया। चिदंबरम ने जहां एक ओर शेयर बाजार में भारी गिरावट के लिए अफवाहों को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने विदेशी संस्थागत निवेशकों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि सेबी उनकी राय जानने के बाद ही 25 अक्टूबर को पीएन पर कोई फैसला करेगी। निवेशकों में फैली घबराहट को समाप्त करने की कोशिशों के तहत ही उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने कहा, 'सुबह के सत्र में सेंसेक्स में लगभग 500 अंकों की जोरदार बढ़त दर्ज की गई थी, लेकिन दोपहर में मुंबई के ब्रोकर सर्किल में जानबूझकर फैलाई गई अफवाहों के चलते बाजार औंधे मुंह गिर गया।' उन्होंने निवेशकों से अफवाहों पर ध्यान न देने को कहा है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री के इस्तीफे वाली अफवाह का जिक्र किया।
उन्होंने बृहस्पतिवार को यहां निवेशकों से कहा कि 'जीवंत' भारतीय बाजार में सारे अधिनियम बरकरार हैं। चिदंबरम ने आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज द्वारा आयोजित निवेशकों के सालाना सम्मेलन में कहा, 'भारतीय बाजार दरअसल बेहतरीन उभरते बाजारों में से एक है। हमारे बाजार की असली ताकत अधिनियमों में है।' उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशक अपने-अपने देशों में कई कंपनियों के शेयरों में अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं तथा इनसे प्राप्त पैसा कहीं और लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत में पूंजी के तेज प्रवाह को कुछ हद तक रोकना अब आवश्यक हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पहल के बावजूद कुछ खास फंडों को शेयर बाजार से दूर करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने पीएन पर सेबी के प्रस्ताव को सोचा-समझा कदम करार दिया।

मित्तल, टोटल व गेल का एचपीसीएल से समझौता

नई दिल्ली: इस्पात व्यवसायी लक्ष्मी निवास मित्तल और फ्रांस की प्रमुख तेल कंपनी टोटल और गैस कंपनी गेल इंडिया ने सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनी एचपीसीएल के साथ बृहस्पतिवार को समझौता किया।
समझौते के तहत तीनों मिलकर आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में छह अरब डालर लागत वाला रिफाइनरी एवं पेट्रो रसायन कांप्लेक्स स्थापित करेंगे। यह पंच पक्षीय साझीदारी 1.5 करोड़ टन सालाना की क्षमता वाली रिफाइनरी और 10 लाख टन वाले ओलफिन एवं एरोमैटिक्स कांप्लेक्स में आयल इंडिया लिमिटेड की भी भागीदारी होगी।
एचपीसीएल अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अरुण बालकृष्णन ने बताया कि हमने रिफाइनरी एवं पेट्रो रसायन कांप्लेक्स के लिए व्यवहार्यता अध्ययन के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है। फ्रांस की टोटल रिफाइनरी परियोजना के लिए व्यवहार्यता अध्ययन के काम का नेतृत्व करेगी, जबकि गेल पेट्रो रसायन इकाई के लिए व्यवहार्यता अध्ययन का जिम्मा संभालेगी।
भारत के ऊर्जा क्षेत्र में यह मित्तल का दूसरा निवेश होगा। इससे पहले उन्होंने एचपीसीएल की भटिंडा रिफाइनरी में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की थी। बालकृष्णन ने कहा कि इक्विटी का वास्तविक स्वरूप और परियोजना की लागत व्यवहार्यता अध्ययन पूरा होने के बाद ही तय की जाएगी।
गेल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक यू डी चौबे ने कहा कि कंपनी के लिए पेट्रो रसायन का कारोबार प्राथमिकता के लिहाज से दूसरे नंबर पर आता है, जबकि गैस का नंबर पहला है। उन्होंने कहा कि हमें दक्षिण में एक बड़ी पेट्रो रसायन संयंत्र को स्थापित करने की जरूरत महसूस हुई ताकि क्षेत्रीय मांग की आपूर्ति की जा सके।

Thursday 18 October, 2007

अस्थिर बाजार में भी मुकेश ने लाभ अर्जित किया

मुंबई: शेयर बाजार में तेजी हो या मंदी मुकेश अंबानी दोनों ही स्थितियों में लाभ कमाने की स्थिति में दिखाई पड़ते हैं और आज भी यही हुआ जब उनकी संपत्ति में 2,600 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। शेयर बाजार में आरंभिक कारोबार के झटके में सेंसेक्स 1,700 अंक टूट गया, जबकि पांच सबसे अमीर भारती करीब एक ट्रिलियन रुपये से हाथ धो बैठे।
शेयर बाजार में बिकवाली की आंधी में बड़े-बड़े धनी लोगों को हानि उठाना पड़ी, मगर मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज दिन के कारोबार में सर्वाधिक लाभ कमाने वाली कंपनी रही, लेकिन भाग्य ने छोटे मियां अनिल अंबानी का साथ नहीं दिया, जिनकी कंपनी रिलायंस इनर्जी सेंसेक्स आधारित कंपनियों में सबसे ज्यादा हानि झेलने वाली कंपनियों में रही। अनिल अंबानी की संपत्ति को करीब 5,500 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा जो मुकेश द्वारा अर्जित लाभ की लगभग दोगुनी राशि है। मुकेश अंबानी न सिर्फ आरंभिक हानि के उबर गए, बल्कि उन्होंने भारी लाभ भी अर्जित किया वहीं अनिल अंबानी 27,300 करोड़ रुपये की हानि से पूरी तरह उबर नहीं पाए।
पांच शीर्ष धनी भारतीयों ने दिन में लगभग 7,000 करोड़ रुपये की हानि उठाई, जबकि उन्हें करीब 90,000 करोड़ रुपये का सुधार देखने को मिला। बाजार खुलने के आरंभिक कुछ मिनटों में ही सेंसेक्स 1,744 अंक गोता खा गया जहां मुकेश एवं अनिल अंबानी, केपी सिंह, सुनील मित्तल और अजीम प्रेमजी की संपत्ति को करीब 95,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अनिल के अलावा के पी सिंह ने जहां करीब 3,400 करोड़ रुपये का नुकसान झेला वहीं मित्तल और प्रेमजी ने क्रमश: करीब 450 करोड़ रुपये और 40 करोड़ रुपये गंवाए। भारी गिरावट की वजह से कारोबार को एक घंटे के लिए रोकना पड़ा था, लेकिन कारोबार के फिर से शुरू होने पर इलीट क्लब के सदस्यों की अगुवाई वाली कुछ कंपनियों के शेयर लाभ के साथ बंद हुए। पांच अमीर भारतीयों की संचयी संपत्ति विभिन्न कंपनियों में प्रवर्तकों की शेयरधारिता पर आधारित है। इन धनी लोगों की संचयी संपत्ति लगभग 6,57,000 करोड़ रुपये रही जो कल के बंद स्तर 6,64,000 करोड़ रुपये से कम है।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में व्यापक निवेश की आशा

नई दिल्ली: आने वाले दिनों में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में व्यापक निवेश होने की आशा है। इसके जरिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन भी संभव हो सकता है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार इस उद्योग के 9 से 12 फीसदी की सालाना विकास दर से आगे बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
उद्योग चैंबर फिक्की और केपीएमजी के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2010 तक फलों और सब्जियों के उत्पादन की वृद्धि दर दो फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी के स्तर पर पहुंचने की आशा है। इसके बाद वर्ष 2025 तक इस उद्योग की विकास दर 25 फीसदी पर पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। इसी के साथ इनका मूल्यवर्धन भी 35 फीसदी के स्तर पर बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। अगर इसी गति से उद्योग की विकास दर जारी रही तो वर्ष 2015 तक इसमें लगभग 2.7 अरब यूरो का निवेश संभव हो सकता है।
सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के आकार को तीन गुना बढ़ाने का फैसला किया है। इस लिहाज से यह अध्ययन रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट के अनुसार ठेका कृषि यानी कांटै्रक्ट फार्रि्मग के बलबूते इस उद्योग के विकास की संभावनाएं बढ़ी है। इसके चलते कैप्टिव सप्लाई को भी बढ़ावा मिला है। बड़ी-बड़ी कंपनियों ने किसानों तक सीधी पहुंच बनाई है।

न्यूनतम वेतन देने में भारत चौथे नंबर पर

नई दिल्ली: दुनिया भर में आईटी पेशेवरों को वेतन देने के मामले में दस सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में भारत चौथे नंबर पर है। अंतरराष्ट्रीय मानव संसाधन फर्म मर्कर ह्यूमन रिसोसर्स कंसल्टिंग के एक सर्वे में बताया गया कि कम लागत के कारण भारत सबसे पसंदीदा आउटसोर्सिग गंतव्य बना हुआ है लेकिन भविष्य में हालात अलग होंगे।
भारत में आईटी पेशेवरों का औसत वेतन 25 हजार डालर है। वियतनाम इस सूची में सबसे ऊपर है और वहां आईटी पेशेवरों को 15 हजार 470 डालर औसत वेतन मिलता है। इसके बाद 22 हजार 240 डालर के साथ बुल्गारिया और 22 हजार 280 डालर के साथ फिलीपींस का स्थान है। सूची में इंडोनेशिया पांचवें नंबर पर है। इसके अलाचा चीन, मलेशिया, चेक गणराज्य, चीन और अर्जेटीना के नाम भी सूची में हैं। मर्कर इंडिया के बिजनेस लीडर गणप्रिय चक्रवर्ती ने कहा कि आईटी विकास के मामले में भारत प्रमुख गंतव्यों में से एक बना हुआ है हालांकि कुशल लोगों की कमी और वेतन विसंगतियां भविष्य में भारी चुनौती पेश कर सकती हैं।

सीमेंट की कीमतों में तेजी बरकरार रहने के आसार

मुंबई: आप अगर सीमेंट की कीमतें घटने की उम्मीद में अपने मकान का निर्माण कार्य शुरू नहीं कर रहे हैं, तो आपके हाथ निराशा के अलावा कुछ और नहीं आएगी। असल में बात यह है कि भवन निर्माण उद्योग में आए बूम और उत्पादन लागत में खासी बढ़ोतरी के चलते सीमेंट की कीमतों में तेजी का रुख आगे भी बरकरार रहने की संभावना है।
सेंटर फार मानीटरिंग इंडियन इकोनामी के कैपेक्स सर्वे में कहा गया है कि भवन निर्माण क्षेत्र की जोरदार मांग के कारण सभी प्रमुख शहरों में सीमेंट की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। भारी मांग के कारण मानसून के बाद भी इसकी कीमतों में बढ़त का दौर जारी रहने की संभावना है।
मुंबई और दिल्ली में 50 किलो वाली सीमेंट बोरी की कीमत में तीन से पांच रुपये की वृद्धि हो चुकी है। मुंबई में जुलाई माह में 50 किलो के सीमेंट बैग की कीमत बढ़कर 242 रुपये के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी, जबकि सितंबर में कीमत 239 रुपये रही। सितंबर 2006 में इसकी कीमत 215 रुपये ही थी।
सीएमआईई का कहना है कि दक्षिण भारत में सीमेंट की कीमतों में अपेक्षाकृत ज्यादा तेजी देखी गई है। चेन्नई और हैदराबाद में इसकी कीमतों में तकरीबन 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बेंगलूर में तो इसकी कीमतों में करीब 19 प्रतिशत की भारी तेजी देखने को मिली है। यही नहीं, जुलाई और अगस्त के सुस्त महीनों के दौरान भी सीमेंट की खपत में तेजी देखी गई। इस दौरान सीमेंट की खपत में क्रमश:14.5 और 18.6 प्रतिशत की तेजी आई।

Wednesday 17 October, 2007

क्लीन एनर्जी के लिए 1 अरब डॉलर देगा एडीबी

नई दिल्ली : भारत और चीन को केंद्र में रखकर एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने इस क्षेत्र में प्रदूषण रहित ऊर्जा और पर्यावरण कार्यक्रमों के वित्तपोषण के लिए एक अरब डॉलर का प्रावधान किया है। एडीबी के अध्यक्ष हारुहिको कुरोदा ने बताया कि प्रदूषण रहित ऊर्जा और पर्यावरण कार्यक्रम के तहत कई विशेष कार्यक्रम शामिल हैं, जिसका लक्ष्य 2008 तक प्रदूषण रहित निवेश का विस्तार कर एक अरब डॉलर करना है।

प्रदूषण रहित विकास और जलवायु पर एशिया प्रशांत भागीदारी पर दूसरी मंत्रीस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चीन और भारत दो ऐसे देश हैं, जहां हम प्रदूषण रहित ऊर्जा निवेश को बढ़ाना चाहते हैं। कुरोदा के मुताबिक, प्रदूषण रहित ऊर्जा के लिए अभियान के तहत एडीबी शहरी ट्रांसपोर्ट और क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिए कार्यक्रमों में भी विभिन्न देशों की मदद करेगा।

एफडीआई के लिए इंडिया सेकंड बेस्ट

नई दिल्ली : इस साल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मामले में भारत को चीन के बाद दूसरा सबसे बेहतरीन डेस्टिनेशन बताया गया है।

संयुक्त राष्ट्र के व्यापार एवं विकास संगठन की वर्ल्ड इनवेस्टमेंट रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, पसंदीदा इनवेस्टमेंट लोकेशन के मामले में चीन और भारत के बाद क्रमश: अमेरिका, रूसी फेडरेशन और ब्राजील का स्थान है।

रिपोर्ट के मुताबिक, एफडीआई परफॉमेर्ंस इंडेक्स में भी भारत की स्थिति सुधरने का दावा किया गया है। 2005 में जहां भारत की रैंकिंग 121 थी, वहीं 2006 में यह सुधरकर 113 हो गई। रिपोर्ट में एफडीआई के मामले में भारत और चीन को प्रमुख उभरता देश बताया गया है। साथ ही दोनों देश एशिया की नई औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं मसलन हांगकांग, सिंगापुर, ताइवान आदि के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर रहे हैं।

इस बाबत हुए सर्वे में 52 फीसदी विदेशी निवेशकों ने निवेश के लिए चीन को अपनी पसंदीदा लोकेशन बताया, जबकि 41 फीसदी ने भारत को। 36 फीसदी ने अमेरिका को और 22 फीसदी ने रूस को अपनी पसंदीदा लोकेशन बताया। 12 फीसदी ब्राजील के पक्ष में खड़े दिखे।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और चीन की वजह से दक्षिण एशिया, पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में आर्थिक विकास की दर काफी तेज रहने की उम्मीद है।

2005-06 के दौरान एफडीआई निवेश के मामले में भारत चौथे स्थान पर रहा था। पहले स्थान पर चीन था, जबकि दूसरे और तीसरे स्थान पर हांगकांग और सिंगापुर थे। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एफडीआई निवेश में 17 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2004 से 2006 के बीच एशिया क्षेत्र में ग्लोबल एफडीआई फ्लो का हिस्सा 10 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन से हो रहे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वहां की सरकारी कंपनियों का वर्चस्व है, जो वहां की सरकार की नीति के तहत अपना विस्तार कर रही हैं जबकि भारत से हो रहा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश टाटा समूह जैसे निजी स्वामित्व वाले कंपनी घरानों के नेतृत्व में उभर रहा है। रिपोर्ट में 2007 के शुरू में टाटा उद्योग की ओर से 11 अरब डॉलर के निवेश से ब्रिटेन की कंपनी कोरस इस्पात कंपनी के अधिग्रहण का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, जिससे नई कंपनी विश्व की पांचवी सबसे बड़ी इस्पात कंपनी बन गई है।

ICICI की 'बैंक एट होम' स्कीम

मुंबई : आईसीआईसीआई बैंक ने देशभर के सभी बचत एवं चालू खाता ग्राहकों के लिए मंगलवार को 'बैंक एट होम' सेवा का ऐलान किया। बैंक के रिटेल लायबलिटी ग्रुप के प्रमुख मनिंदर जुनेजा ने बताया कि 'बैंक एट होम' कुरियर सेवा की तरह काम करता है, जहां बैंकिंग सुविधाएं ग्राहकों के दरवाजे पर ही उपलब्ध कराई जाती हैं।

इस सेवा के तहत ग्राहकों को जिन सेवाओं की पेशकश की जा रही है, उनमें कैश पिकअप और डिलिवरी चेक पिकअप, डीडी और पे ऑर्डर डिलिवरी शामिल हैं। जुनेजा ने बताया कि ग्राहक फोन या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए यह सुविधा हासिल कर सकते हैं। बयान में कहा गया कि यह सेवा 28 स्थानों और 294 शाखाओं में उपलब्ध होगी। जुनेजा ने बताया कि इस समय 'बैंक एट होम' सेवा सिर्फ चुनिन्दा जगहों पर उपलब्ध है। कुछ महीने में हमने सभी प्रमुख जगहों पर यह सुविधा शुरू करने का फैसला किया है।

सुधार जारी रहे तो 10 फीसदी आर्थिक विकास दर भी संभव

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने भले ही 11वीं योजना के दौरान नौ फीसदी आर्थिक विकास दर का लक्ष्य रखा हो, लेकिन अगर आर्थिक सुधारों की गति को थोड़ा तेज कर दिया जाए तो यह दर आसानी से 10 फीसदी या इससे भी ज्यादा हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रमुख आर्थिक सलाहकार एजेंसी व निवेश बैंकर लेहमन ब्रदर्स का कहना है कि श्रम, बिजली, शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्रों में व्यापक सुधार कर और निजीकरण को बढ़ावा देकर भारत की आर्थिक विकास दर को अगले एक दशक में दहाई अंकों तक पहुंचाने के साथ-साथ उसे बरकरार भी रखा जा सकता है।
लेहमन ब्रदर्स ने मंगलवार को भारतीय अर्थव्यवस्था पर पहली बार एक व्यापक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट को ग्लोबल स्तर पर काफी सम्मान की नजरों से देखा जाता है। रिपोर्ट में हाल के महीनों में भारत की आर्थिक प्रगति की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है। एजेंसी ने इस रिपोर्ट को तैयार करते वक्त पाया कि भारत का आर्थिक ढांचा बेहद बदलाव की स्थिति से गुजर रहा है। बात चाहे औद्योगिक क्षेत्र की हो या सेवा क्षेत्र की, कर वसूली अथवा बेहतर जीवन स्तर की, हर कहीं बदलाव दिखाई दे रहा है। इसमें यह भी कहा गया है कि जिस तरह चीन और दक्षिण कोरिया की अर्थंव्यवस्थाओं ने कुछ दशक पहले अहम परिवर्तन दर्शाए थे, ठीक उसी तरह के बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था में अब साफ परिलक्षित हो रहे हैं। भारत में जीडीपी और निवेश का अनुपात मौजूदा समय में 35 है जो किसी भी अन्य एशियाई देश से बेहतर है। माइक्रोवेव से लेकर फ्रास्ट-फ्री रेफ्रीजिरेटर तक की बिक्री के मामले में भारत विश्व के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में शामिल हो गया है।
लेहमन ब्रदर्स ने इस रिपोर्ट को तैयार करते वक्त देश की मौजूदा राजनीतिक-सामाजिक स्थिति का पूरा ख्याल रखा है। सुधार के मुद्दों पर यूपीए सरकार और वाम दलों के बीच जारी रस्सा-कस्सी की तरफ संकेत करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाना राजनीतिक तौर पर काफी चुनौतीपूर्ण है। इस एजेंसी के मुताबिक अगले आम चुनावों के बाद भारत में नए सिरे से आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किया जाना चाहिए। लेहमन का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मंदी से भारत भी प्रभावित हो सकता है, लेकिन इस पर असर अन्य देशों के मुकाबले कम रहेगा। एजेंसी ने इस आशय का संकेत दिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में आवश्यकता से ज्यादा तेजी भी संभव है।
लेहमन ब्रदर्स के मुताबिक 10 फीसदी या इससे ज्यादा की आर्थिक विकास दर प्राप्त करने के लिए सुधार के मोर्चे पर 10 प्रमुख कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें पहला है वित्तीय क्षेत्र में सुधार, जबकि दूसरे कदम का वास्ता घाटे पर पूर्ण नियंत्रण से है। इसके बाद एफडीआई नीति को और उदार बनाने पर जोर दिया गया है। इसी तरह ढांचागत क्षेत्र पर ध्यान देते हुए नौकरशाही को नियंत्रित करना भी बेहद जरूरी है। बिजली आपूर्ति में सुधार और निजीकरण को बढ़ावा का नंबर इसके बाद आता है। श्रम, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक सुधार भी आवश्यक हैं क्योंकि ये तेज आर्थिक विकास दर के फायदों का विस्तार करेंगे। शहरीकरण के लिए विशेष प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है। लेहमन ब्रदर्स ने अपने अंतिम सुझाव में भारत से कहा है कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नया आयाम प्रदान करे।

Tuesday 16 October, 2007

कच्चे तेल की कीमत फिर रिकार्ड स्तर पर

लंदन: अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती जा रही कच्चे तेल की कीमत थमने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को यह 84 डालर प्रति बैरल को पार कर फिर से नए रिकार्ड स्तर पर चली गई।
नवंबर की डिलीवरी के लिए यू एस लाइट स्वीट क्रूड लगातार पांचवें सत्र में बढ़ता हुआ 84.27 डालर प्रति बैरल के नए रिकार्ड पर पहुंच गया। लंदन ब्रेंट 81.17 डालर प्रति बैरल हो गया। जाड़ों में आपूर्ति की कमी की आशंका के बीच तुर्की और इराक के बीच तनाव बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों में नया उछाल आया है।
इस सिलसिले की शुरुआत शुक्रवार को हुई जब कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी के विद्रोहियों ने कहा कि वे उत्तरी इराक से तुर्की में प्रवेश कर वहां की सरकार को निशाना बनाएंगे। बताया जाता है कि तुर्की के सैनिकों ने शनिवार को उत्तरी इराक के एक गांव पर तोप गोले भी दागे।

इंडियन बैंक का शानदार प्रदर्शन

नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन बैंक ने पहली छमाही के दौरान शानदार प्रदर्शन किया है। बैंक ने इस दौरान 459.62 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 37.61 फीसदी ज्यादा है।
बैंक ने बताया है कि उसकी शुद्ध ब्याज आय में 10.79 फीसदी और गैर ब्याज आय में 75.69 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। अन्य मोर्चो पर भी बैंक का प्रदर्शन बेहद संतोषजनक रहा है। गत 30 सितंबर तक बैंक का सकल एनपीए घटकर 1.58 फीसदी रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 2.34 फीसदी था। शुद्ध एनपीए भी अब महज 0.27 फीसदी यानी 86.59 करोड़ रुपये रह गया है। इस तरह यदि देखा जाए तो एनपीए के मामले में इंडियन बैंक अब देश के सबसे चुस्त बैंकों में से एक हो गया है।

अब सिर्फ पांच सौ रुपये में खनकाइए सोने के सिक्के

नई दिल्ली: सोने के सिक्कों के बारे में आपने सुना भी बहुत होगा और हो सकता है कि शादी के समय के दो-चार सिक्के आपने जतन से रखे भी हों। इसके बाद आसमान छूती कीमतें भले ही इस राह में बाधक बन गई हों, लेकिन अब रिलायंस मनी ने आधे ग्राम और एक ग्राम के सोने के सिक्कों को भी बाजार में पेश कर आपकी मुश्किलें कम कर दी हैं।
इन सिक्कों के जरिए अब 24 कैरेट शुद्ध सोने में महज पांच सौ रुपये से भी निवेश शुरू किया जा सकता है। रिलायंस मनी दरअसल अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की वित्तीय सेवा देने वाली कंपनी है। भारत में आधे ग्राम व एक ग्राम सोने के सिक्कों को बेचने का प्रयोग पहली बार किया जा रहा है। इनके अलावा पांच ग्राम और आठ ग्राम के सिक्के भी बाजार में उपलब्ध होंगे। कंपनी का कहना है कि इन सिक्कों को उपहार के तौर पर देने में भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाएगा। रिलायंस मनी के सीईओ सुदीप बंधोपाध्याय के मुताबिक कंपनी की तरफ से सिक्के की 24 कैरेट शुद्धता की पूरी गारंटी होगी। स्विट्जरलैंड स्थित दुनिया की सबसे बड़ी गोल्ड रिफाइनिंग कंपनी वालकैंबी से इनका आयात किया जाएगा। इसके बावजूद भारतीय बाजार में इसकी कीमत पूरी तरह से प्रतिस्पर्धी रखी जाएगी।
दुनिया में सोने की सबसे ज्यादा खपत भारत में होती है। पिछले वर्ष यहां 800 टन सोने की खपत हुई थी। 40 टन सोने की खपत सिक्कों के रूप में हुई थी। इस बार 100 टन सोने की खपत सिक्कों के रूप में होने की संभावना है। वैसे हाल के दिनों में सोने की कीमतों में जो बेतहाशा वृद्धि हुई है उससे अब इसके सिक्कों में निवेश करना आम आदमी के बूते से बाहर हो गया है।

अपोलो टायर 175 करोड़ निवेश करेगा

निजी क्षेत्र की अपोलो टायर्स लि. केरल में 175 करोड़ रु. निवेश कर 200 टन प्रति क्षमता वाला टायर संयंत्र लगाएगी। अपोलो टायर्स समूह के अध्यक्ष ओंकार एस. कंवर ने यहाँ पत्रकारों को बताया कि कंपनी राज्य के एर्नाकुलम जिले के इरापुरम स्थित सरकारी सहयोग से बने रबर पार्क में अपना संयंत्र लगाएगी।

कंवर ने बताया कि समूह कोच्चि के कालमासेरी स्थित संयंत्र को इरापुरम में लाया जाएगा। यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से 12 से15 महीने में पूरी होगी। उन्होंने कहा कि 23 एकड़ क्षेत्र में विस्तृत नए संयंत्र में कंपनी कारों और ट्रकों के टायरों का उत्पादन किया जाएगा। नया संयंत्र स्थापित हो जाने के बाद कंपनी से केंद्र को मिलने वाला राजस्व भी 45 करोड़ रु. से बढ़कर 100 करोड़ रु. हो जाएगा।

Monday 15 October, 2007

चीन को पछाड़ भारत बनेगा मैन्युफैक्चरिंग हब

नई दिल्ली : इन्फमेर्शन टेक्नॉलजी (आईटी) और बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) के मामले में भारत का लोहा दुनिया मानती है। लिहाजा इसे आईटी और बीपीओ का ग्लोबल बैकऑफिस कहा जाता है। चीन की ऐसी ही पहचान मैन्युफैक्चरिंग के मामले में है। दुनिया की ज्यादातर जानीमानी कंपनियां अपनी मैन्युफैक्चरिंग की आउटसोर्सिंग चीन से कराती है। यानी ये कंपनियां चीन से अपने प्रॉडक्ट्स बनवाकर मंगाती हैं। कहा जाता है कि चीन दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब है। पर एक नई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि भारत 3 से 5 साल के भीतर मैन्युफैक्चरिंग आउटसोर्सिंग के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा।

ग्लोबल कंसल्टिंग, टेक्नॉलजी और आउटसोर्सिंग कंपनी कैपजेमिनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले दिनों में कई कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां शुरू करने का प्लान बना रही हैं। भारत में मैन्युफैक्चरिंग आउटसोर्सिंग का काम इतना बढ़ेगा कि आईटी और बीपीओ सेक्टर्स में भारत की पहचान पीछे छूट जाएगी।

इस वक्त मैन्युफैक्चरिंग आउटसोर्सिंग सेक्टर में भारत उतनी तेजी विकास नहीं कर रहा। विदेशी कंपनियों ने अब तक भारत से मैन्युफैक्चरिंग आउटसोर्सिंग कराने में खास दिलचस्पी नहीं ली है। लेकिन सर्वे के आधार पर तैयार की गई कैपजेमिनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन को पीछे छोड़ भारत मैन्युफैक्चरिंग आउटसोर्सिंग का टॉप डेस्टिनेशन बन जाएगा। इसकी वजह यह है कि चीन के मुकाबले भारत में लागत कम है।

कैपजेमिनी ने कहा है कि भारत और चीन जैसी उभर रही अर्थव्यवस्थाओं की आउटसोर्सिंग गतिविधियों के मामले में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है। भारत अब आईटी और बीपीओ सेक्टर से अलग दूसरी गतिविधियों पर भी ध्यान दे रहा है। इसमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी शामिल है, जिसमें अभी चीन की मनॉपली है।

रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में महारत हासिल करने के लिए भारत को अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करना होगा। भारत सरकार विदेशी मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों को आकर्षित करने की इच्छुक है। पर इसके लिए भी अधिक निवेश की जरूरत है।

स्विस बैंक की रकम पर भुट्टो का दावा!

लंदन : नौ साल बाहर रहने के बाद अगले हफ्ते पाकिस्तान लौट रहीं बेनजीर भुट्टो स्विस बैंक में जमा लाखों पाउंड की रकम पर दावा कर सकती हैं। द संडे टाइम्स के मुताबिक, आरोप है कि भुट्टो और उनके पति आसिफ जरदारी ने अपने कार्यकाल के दौरान रिश्वत के जरिए एकत्रित की गई रकम स्विस बैंक में जमा कराई थी। इनकी संपत्तियों में अन्य चीजों के अलावा स्विस बैंक में जमा 740 मिलियन पाउंड की रकम शामिल है।

पिछले 10 साल से भुट्टो के केस की जांच कर रहे ब्यूरोक्रैट हसन वसीम अफजल ने पिछले हफ्ते कहा था, समझा जाता है कि मुशर्रफ से डील होने के बाद स्विस अकाउंट फिर से चालू हो जाएगा। यह अकाउंट बेनजीर की मां बेगम नुसरत भुट्टो और पूर्व मंत्री जरदारी के नाम से रजिस्टर्ड है। लेकिन अफजल का कहना है कि पाक सरकार और स्विस मैजिस्ट्रेट के पास इस बात के सबूत हैं कि इस खाते से लाभ पाने वालों में बेनजीर शामिल थीं।

पिछले हफ्ते बेनजीर के प्रवक्ता ने कहा था कि बीबी भुट्टो ने किसी स्विस अकाउंट के बारे में इनकार किया है। लेकिन जब से जनरल ने क्षमादान की घोषणा की है, भुट्टो और दूसरे नेताओं के वकील पाक और अंतरराष्ट्रीय कोर्ट से केस खारिज करने की अपील कर रहे हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने स्विट्जरलैंड स्थित मैजिस्ट्रेट को लिखा है कि पाक सरकार ने भ्रष्टाचार के सभी केस वापस ले लिए हैं। स्विस कोर्ट ने 2003 में भुट्टो और जरदारी को दोषी करार दिया था। करप्शन के केस में जरदारी पाक जेल में 7 साल की सजा काट चुके हैं। स्विस मैजिस्ट्रेट ने पाया है कि दूसरी बार पीएम बनने के बाद स्विट्जरलैंड की दो कंपनी से कॉन्ट्रेक्ट पर भुट्टो और जरदारी ने मोटी रकम बतौर रिश्वत ली थी। हालांकि भुट्टो इसके इनकार करती रही हैं।

वापसी का इंतजार

लरकाना: दक्षिणी पाकिस्तान स्थित बेनजीर का पुश्तैनी मकान उनके आगमन का इंतजार कर रहा है। उनकी वापसी का सबसे ज्यादा इंतजार आर्ट ग्रैजुएट यासीन अली को है। कई साल पहले यासीन ने बेनजीर की तस्वीर बनाई थी और जब से उनके आगमन की खबर मिली है, वह दोबारा उसमें रंग भरने लगे हैं। यासीन को भरोसा है कि भुट्टो के आने से उन्हें नौकरी मिल जाएगी।

चुनिंदा शेयरों के सहारे खींचतान जारी

प्रति सप्ताह एक हजार प्वाइंट्स की गति से बढ़ रहा सेंसेक्स अधिकांश निवेशकों को चिढ़ा रहा है, क्योंकि पिछले तीन-चार हफ्तों में सेंसेक्स एवं निफ्टी की बढ़त ने सिर्फ बड़ी कंपनियों के दीर्घावधि निवेशकों को या फिर म्यूच्युअल फंड इंवेस्टर्स को केक काटने का अवसर दिया है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान चुनिंदा शेयरों में जोरदार खरीदी समर्थन के सहारे निफ्टी 242 प्वॉइंट्स उछलकर 5428 पर बंद हुआ। व्यवसायियों का कहना है कि अगस्त के तीसरे हफ्ते में सब-प्राइम समस्या से उबरने के बाद बाजार में चौतरफा खरीदी का वातावरण बना था, किंतु फेड रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने के बाद तेजी गिने-चुने शेयरों या सेक्टर्स तक सिमट गई तथा राजनीतिक अस्थिरता के बादल छँटते ही खरीददार और भी ज्यादा सिलेक्टिव हो गए हैं। परिणामस्वरूप बहुसंख्य शेयरों के भाव सीमित दायरे में दिशाहीन होकर घट रहे हैं। बाजार की इस चाल से अधिकांश निवेशक निराश हैं, हालाँकि विश्लेषकों का मानना है कि स्माल एवं मिड-केप शेयरों में रोटेशनल खरीदी का दौर शीघ्र ही प्रारंभ हो सकता है।

निफ्टी में आठ सप्ताह से आ रही तूफानी बढ़त व्यवसायियों, निवेशकों एवं तकनीकी विश्लेषकों के लिए अबूझ पहेली बनी हुई है। हालाँकि बाजार में कहीं कोई फुगावा नहीं है यानी ब्लूचिप शेयरों के भाव मजबूत फंडामेंटल या भविष्य की बेहतर संभावनाओं के आधार पर ही बढ़ रहे हैं, किंतु 6 महीने-सालभर में आने वाली बढ़त 6 हफ्ते या छः दिन में आ जाए तो आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है।

बड़ी कंपनियों के शेयर्स में लंबे समय से खरीदी किए बैठे निवेशकों को इस तेजी ने मालामाल कर दिया है। तीन-चार वर्षों में अपने निवेश पर कई गुना रिटर्न मिलने के बाद भी हाई नेटवर्थ इन्वेस्टर्स अभी मुनाफा वसूली नहीं कर रहे हैं। एक निवेशक का कहना है कि बाजार में तेजी-मंदी के अनेक दौर आते-जाते रहते हैं, लेकिन ग्रोथ स्टॉक्स को मजबूती से पकड़े रहने वाले निवेशक ही अंततः मोटा मुनाफा कमाते हैं।

बाजार सूत्रों का मानना है कि बिना किसी उल्लेखनीय करेक्शन के निफ्टी की खड़ी चढ़ाई से संकेत मिल रहे हैं कि कुछ बड़े खिलाड़ी निफ्टी एवं इसके कुछ प्रमुख काउंटरों पर शार्ट सेलिंग कर फँसे हुए हैं तथा सामने उतने ही वजनदार खिलाड़ी खरीदी करके बैठे हुए हैं। चूँकि माहौल खरीददारों के पक्ष में है इसलिए खींचतान में आसानी हो रही है अर्थात तेजी-मंदी के सौदे सेटल होते ही बाजार में स्थिति सामान्य हो जाएगी।

कहा जा सकता है कि निफ्टी हाईजेक हो चुका है, इसलिए सुलह समझौते के बाद ही मंदड़ियों को राहत मिलेगी। बाजार में कितनी सिलेक्टिव खरीदी चल रही है, इस बात का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पिछले दस-पंद्रह दिनों में हर दूसरे-तीसरे दिन निफ्टी एवं सेंसेक्स के नई ऊँचाइयों पर पहुँचने के चर्चे रहे, किंतु इसी अवधि में एनएसई में 65 प्रतिशत यानी 727 कंपनियों के भाव या तो पड़े रहे या घट गए हैं।

फ्यूचर शेयरों में एमआरपीएल, जयप्रकाश हाइड्रो, चंबल फर्टिलाइजर्स, ओसवाल केमिकल्स, नागार्जुना फर्टिलाइजर्स एवं आईएफसीआई सहित अन्य लोकप्रिय शेयरों के भाव हाई से 15-25 प्रतिशत नीचे आ गए हैं। अधिकांश शेयरों में रूटीन तकनीकी करेक्शन तो आया है और यह करेक्शन नई खरीदी के अवसर भी उत्पन्न कर रहा है। स्टॉक स्पेसिफिक बात करें तो वरुण शिपिंग के काउंटर पर गतिविधियाँ बढ़ रही हैं। बेहतर भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए विदेशी निवेशक इस शेयर में बड़ी मात्रा में खरीदी कर चुके हैं। साथ ही प्रमोटर्स ने भी अपना स्टेक बढ़ाया है। उदार लाभांश देने वाली इस कंपनी के शेयरों में निवेशात्मक खरीदी की जा सकती है।

इलाहाबाद बैंक के भाव पिछले दो-ढाई वर्षों से दिशाहीन होकर घूम रहे हैं। कंसोलिडेशन का यह दौर अब खत्म होता लग रहा है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से इस शेयर में हॉयर-बॉटम हॉयर-टॉप फार्मेशन बन रहा है। उम्मीद है कि वर्तमान स्तर पर दीर्घावधि खरीदी करने वाले निवेशक निराश नहीं होंगे।

इनके अलावा निवेशक बैंक ऑफ राजस्थान एवं इंडस-इंड बैंक पर भी ध्यान दे सकते हैं। लंबे समय तक दोनों ही शेयर अंडरपरफार्मर रहे हैं, किंतु अब भाव उच्च स्तर पर मजबूती से टिकने लगे हैं।

बहरहाल अभी नए इश्युओं के मार्केट में खामोशी छाई हुई है। निवेशक मुंद्रा पोर्ट एवं ज्योति लेबोरेटरीज के इश्यू आने की तारीख का इंतजार कर रहे हैं। धनुष टेक्नॉलॉजीस ने अलॉटमेंट फाइनल कर दिए हैं तथा रिफंड ब्याज सहित आ रहे हैं। आज कंसोलिडेटेड कंस्ट्रक्शन के शेयर लिस्ट होंगे। इस इश्यू में संस्थागत निवेशकों की विशेष दिलचस्पी थी, इसलिए लिस्टिंग गेन अच्छा मिल सकता है।

ब्रिटेन में भारत दूसरा सबसे बड़ा निवेशक

लंदन: भारत लंबी छलांग लगाते हुए ब्रिटेन में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा निवेशक बन गया है। यह जानकारी भारत के कार्यकारी उच्चयुक्त अशोक मुखर्जी ने दी। वे फ्रेंड्स सर्किल इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन के सिल्वर जुबली समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने बताया कि तीन साल पहले भारत छठे स्थान पर था। भारत के तेज आर्थिक विकास के कारण यह कामयाबी हासिल हुई है। उन्होंने दोनों देशों को नजदीक लाने के लिए 15 लाख प्रवासी भारतीयों के प्रति आभार जताया। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन से पांच लाख लोग हर साल भारत की यात्रा करते हैं और लगभग इतने ही भारतीय ब्रिटेन आते हैं।फ्रेंड्स सर्किल के संस्थापक सदस्य लार्ड स्वराज पॉल ने कहा कि भारत पांच सालों में बहुत बदल गया है। इस अवसर पर स्वराज पॉल की पत्नी अरुणा पॉल का सम्मान भी किया गया।

Saturday 13 October, 2007

म्यूचुअल फंड कंपनी का प्रवर्तक गिरफ्तार

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक म्यूचुअल फंड कंपनी के प्रवर्तक को कथित तौर पर निवेशकों को ठगकर 72 करोड़ रुपए जुटाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।

अधिकारिक बयान के अनुसार सीबीआई ने उत्तरप्रदेश स्थित मैसर्स इनकान म्यूचुअल फंड बेनीफिट लिमिटेड के प्रवर्तक मनजीत सिंह आहूजा को नौ अक्तूबर को पुणे से गिरफ्तार किया। गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जनवरी 2003 को अहूजा के खिलाफ लखनऊ में दर्ज तीन मामलों की जाँच का कार्य सीबीआई को सौंपा था।

सीबीआई के अनुसार आरोपी ने लोगों से निवेश पर 40 प्रतिशत ब्याज देने का वायदा कर काफी मात्रा में धन जुटाया था। आहूजा ने धन जुटाने के लिए कंपनी की शाखाएँ उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में खोल रखी थी। बयान के अनुसार आरोपी के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में कई मामले दर्ज थे।

संप्रग का बजट पेश करूँगा : चिदंबरम

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अपनी सरकार के कार्यकाल पूरा करने के विश्वास को और मजबूती देते हुए वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि वे सुधार प्रक्रिया को अपने अगले बजट में भी जारी रखेंगे। उन्होंने यहाँ कहा कि मुझे अगला बजट पेश करने की अपेक्षा है।

अगला बजट लोकलुभावन होगा या सुधारों वाला यह पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा कि गत चार बजट में किए गए प्रयासों को इस बजट में जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि क्रम में बदलाव की कोई वजह नहीं है। अगर विकास की दर कम हुई हो तो क्रम में बदलाव का कारण हो सकता है। लेकिन औसतन हमारी विकास दर 8.6 प्रतिशत रही है।

उन्होंने जिक्र किया कि विकास दर के बारे में सबसे निराशाजनक अनुमान 8.5 प्रतिशत का है और इससे कहीं नहीं लगता कि हमें अपने रास्ता बदलना चाहिए।

चिदंबरम चिंतित भी और चकित भी

वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि शेयर बाजार की ताबड़तोड़ तेजी से वह चकित भी हैं और कभी-कभी उन्हें चिंता भी होती है।

लीडर सम्मेलन को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह 9 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर बने रहने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं।

चिदंबरम ने बाजार की तेजी के बारे में पूछे जाने पर यह प्रतिक्रिया व्यक्त की। उनके इस बयान के बाद ही मुंबई शेयर बाजार में शुक्रवार को गिरावट का रुख बन गया। मुंबई संसेक्स लगभग करीब 400 अंक नीचे आ गया।

वित्तमंत्री ने कहा कि बाजार की यह तेजी अत्यधिक पूँजी निवेश की वजह से है। बाजार में धन का प्रवाह लगातार बना हुआ है, लेकिन उन्होंने कहा कि शेयर सूचकांक में भारी तेजी से कभी मुझे आश्चर्य होता है तो कभी मैं चिंतित भी होता हूँ।

उल्लेखनीय है कि मुंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार खरीदारी से इन दिनों रिकॉर्ड ऊँचाई पर है। एक बार तो सूचकांक मात्र पाँच कारोबारी दिनों में ही 1000 अंक की ऊँचाई नाप गया। अमेरिकी फैडरल बैंक द्वारा ब्याज दरों में आधा प्रतिशत कमी के बाद से विदेशी निवेशकों की बाजार में ताबड़तोड़ खरीदारी जारी है।

अधिग्रहणों पर होगा रिलायंस इंडस्ट्रीज का जोर

नई दिल्ली : स्टॉक मार्केट्स में आई तूफानी तेजी ने मुकेश अंबानी को दुनिया का सबसे अमीर भारतीय भले ही बना दिया हो, पर खुद मुकेश की माने तो निजी आय को अरबों-खरबों में आंके जाने का कोई मतलब नहीं है। देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के सीएमडी मुकेश मानते हैं कि सच्ची अमीरी इस बात में है कि आप समाज और देश को क्या देते हैं। शुक्रवार को मुंबई में आरआईएल की 33वीं सालाना आम बैठक (एजीएम) में मुकेश कई मसलों पर बोले। उन्होंने अपनी भावी योजनाओं का खुलासा किया। कारोबार से लेकर खुद की निजी सोच तक पर उन्होंने बेबाकी से अपनी राय जाहिर की। इनमें से कुछ अहम पहलुओं पर एक नजर :

तेज होगी अधिग्रहण मुहिम

मुकेश ने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज आने वाले दिनों में अधिग्रहण और भागीदारी की स्ट्रैटिजी पर काम कर रही है। उन्होंने कहा - अब तक हमने पारंपरिक रूप से कारोबार का निर्माण करते हुए विकास किया है। लेकिन अब रिलायंस विकास के लिए अधिग्रहण के तरीके पर सक्रियता से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल लेवल पर बढ़ते कॉम्पिटिशन, तेजी से बदलती टेक्नॉलजी और सीमित बाजार संभावनाओं के इस दौर में ऑर्गेनिक विकास से कारोबार का समग्र विकास नहीं किया जा सकता। अंबानी ने इस बारे में मलयेशिया और अफ्रीका में आरआईएल के हालिया अधिग्रहणों का खास तौर से जिक्र किया।

मोटे निवेश का ऐलान

आरआईएल के सीएमडी मुकेश अंबानी ने कहा कि अगले 3-4 साल में कंपनी जामनगर की 'सुपर साइट' में 8 से 9 अरब डॉलर (करीब 32 से 36 हजार करोड़ रुपये) का निवेश करेगी। जामनगर की सुपर साइट में 2 रिफायनरियां होंगी। इसके अलावा सालाना 60 लाख टन की क्षमता वाला इंटिग्रेटिड कंबाइन्ड साइकल कोक गैसीफिकेशन कॉम्प्लेक्स (आईजीसीसी), 1 ओलफिन कॉम्प्लेक्स और 1 एरोमेटिक्स कॉम्प्लेक्स होगा। आरआईएल जामनगर में पैराक्सिलीन क्षमता 19 लाख प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 45 लाख टन प्रतिवर्ष करेगी। अंबानी ने कहा कि इस विस्तार के साथ रिलायंस की ग्लोबल पैराक्सिलीन क्षमता में 15 फीसदी की हिस्सेदारी होगी। यह विस्तार कंपनी को ग्लोबल पॉलिएस्टर व्यवसाय में अहम जगह दिला पाएगा। अंबानी ने कहा कि आरआईएल जामनगर में दुनिया की विशालतम पेट्रोकेमिकल परिसर बनाएगी।

ऐसा सोचा न था

मुकेश ने कहा कि उन्हें उनकी निजी संपत्ति के बारे में हाल में लगातार छप रही खबरों से बेहद हैरत हुई है। उन्होंने कहा - मैं साफ कह रहा हूं। ऐसी खबरों से मुझे हैरत हो रही है। मैंने अपने बारे में इस तरह से पहले कभी नहीं सोचा। न मैंने कभी इसके लिए काम किया। इन चीजों की मेरे लिए कोई खास अहमियत नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उनके लिए रिलायंस की प्रगति और देश की खुशहाली ही अहम हैं।

रिटेल राग

अंबानी ने कहा कि रिलायंस के खुदरा कारोबार से छोटे दुकानदारों और रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वालों को कोई नुकसान नहीं होगा। समाज के कुछ तबकों में ऑर्गनाइज्ड रिटेल को लेकर कुछ शंकाएं जाहिर की गई हैं। कोई भी बदलाव अपने साथ कई चुनौतियां लाता है। खासकर ऐसे बदलाव जो सदियों से चली आ रही व्यवस्था को बदलने के लिए हों। अंबानी ने कहा कि संगठित खुदरा कारोबार में कंपनी के प्रवेश का मकसद किसानों की आय बढ़ाना और कंस्यूमर्स को बेहतर क्वॉलिटी सुनिश्चित कराना है।

Friday 12 October, 2007

रिलायंस रिटेल ने गुड़गांव में परिधान स्टोर खोला

डीएलएफ (एनबीटी न्यूज): रिलायंस रिटेल के अपैरल, लगेज और एक्सेसरीज डिवीजन ने रिलायंस ट्रेंड्स नाम से देश में अगले 3 साल में 100 स्टोर खोलेगा। इन स्टोर्स में 25000 करोड़ का निवेश किया जाएगा। यह जानकारी रिलायंस ट्रेंडस के सीईओ देशमुख ने गुड़गांव के एम्बी मॉल में अपने पहले अपैरल स्पेशियलिटी स्टोर की ओपनिंग के दौरान कही।

नेशनल हाइवे पर ऐम्बी मॉल के इस रिलायंस ट्रेंड में परिधानों के 100 से भी अधिक भारतीय व अंतरराष्ट्रीय ब्रैंड हैं। प्राइवेट लेबलों के अलावा इस ट्रेंड्स स्टोर में, ली, रैंगलर, पीटर इंग्लैंड, जॉन प्लेयर्स, ब्लैक बेरीज, जीनी एन जॉनी, लिलीपुट, इंडिगो नेशन, बीवा जैसे ब्रांड है।

संगठित रिटेल क्षेत्र में रिलायंस ने पहली बार फैशन व परिधान के क्षेत्र में कदम रखा है। देशमुख के अनुसार उत्पादों में गुणवत्ता मानकों को अपनाया गया है। उनमें से कई मानक अमेरिकन एसोसिएशन आफ टैक्सटाइल, केमिस्ट्स एंड कलरिस्ट्स, अमेरिकन स्टैंडर्ड, आईएसओ और बीआईएस की जांच पद्धतियां शामिल है। जल्द ही रिलायंस मार्ट, रिलायंस डिजिटल व ट्रेंडस एक छत के नीचे होंगे। ट्रेंडस स्टोर की ओपनिंग के अवसर पर मॉडल्स ने ट्रेंडस स्टोर के परिबान पहन कर फैशन शो में जलवे बिखेरे।

एसएंडपी की राय में बाजार की तेजी से घबराएं नहीं

नई दिल्ली: ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) का कहना है कि मुंबई शेयर बाजार में तेजी से घबराने की जरूरत नहीं है। एसएंडपी के एशिया पैसिफिक के प्रमुख अर्थशास्त्री सुबीर गोकर्ण ने एनबीटी से बातचीत में कहा कि फारेन इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर (एफआईआई) की खरीददारी को देखकर लगता है कि उनका टारगेट सेंसेक्स को 20 हजार पर पहुंचाने का है। इससे पहले वे यूटर्न नहीं लेंगे यानी शेयरों को बेचने को ज्यादा तरजीह नहीं देंगे। बेशक बीच-बीच में टेक्निकल करेक्शन के नाम पर शेयरों को बेचने का दौर चल सकता है। उनका यह भी कहना है कि 20 हजार के टारगेट को छूने के बाद फारेन इनवेस्टर भारी मुनाफा कमाने से पीछे नहीं हटेंगे।

अपनी ताजा रिपोर्ट में एसएंडपी ने कहा है कि एफआईआई पिछले एक माह से प्रतिदिन 30 से 40 करोड़ डॉलर का इंवेस्टमेंट मुंबई शेयर बाजार में कर रहे हैं। इसका प्रमुख कारण अच्छा रिटर्न मिलना है। सुबीर गोकर्ण के अनुसार मुंबई शेयर बाजार में करीब 834 एफआईआई हैं और इनमें 70 पर्सेंट अमेरिकी हैं। अमेरिकी बाजार के बाद इन एफआईआई को सबसे अधिक रिटर्न भारतीय शेयर बाजारों में ही मिलता है। अब जबकि अमेरिकी इकनॉमी लड़खड़ा रही है, भारतीय बाजार ही उनके पसंदीदा बाजार बने हुए हैं। निश्चित रूप से वे यहां इंवेस्टमेंट मुनाफा कमाने के लिए ही कर रहे हैं। पर इसके लिए वे पैनिक माहौल नहीं बनाएंगे क्योंकि इससे उनको ही घाटा होगा। सुबीर गोकर्ण का अनुमान है कि सिच्युवेशन 'विन-विन' की बन सकती है। विदेशियों के साथ भारतीय निवेशक भी इस माहौल में फायदा कमा सकते हैं, बशर्ते वे बाजार को स्टडी कर शेयरों में निवेश करें।

देश में पहली बार, ब्रॉडबैंड @ 8 एमबीपीएस

नई दिल्ली (वाप्र) : देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनी एयरटेल ने यहां बुधवार को 8 मेगाबाइट प्रति सेकंड (एमबीपीएस) की स्पीड वाली ब्रॉडबैंड सर्विस लॉन्च की। इसके साथ ही वह देश की पहली कंपनी बन गई है जो इतनी ज्यादा स्पीड पर ब्रॉडबैंड सेवा देगी।

सेवा शुरुआत में बेंगलुरु, चेन्नै, पुणे, कोलकाता, दिल्ली और एनसीआर में शुरू की गई है। कुछ हफ्तों में इसे मुंबई और हैदराबाद में शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि फिलहाल कंपनियां 256 किलो बाइट प्रति सेकंड (केबीपीएस) से 4 एमबीपीएस स्पीड वाली ब्रॉडबैंड सेवा मुहैया करा रही हैं। अब एयरटेल ने स्पीड के मामले में सबको पीछे छोड़ दिया है।

IFC टाटा की बिजली परियोजना का वित्तपोषण करेगी

नई दिल्ली (भाषा): विश्व बैंक की निजी क्षेत्र की ऋणदाता इकाई अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) ने टाटा पावार द्वारा गुजरात के मूंदरा में 4000 मैगावाट की अल्ट्रा मैगा बिजली परियोजना का वित्तपोषण करने का निर्णय किया है। आईएफसी के दक्षिण एशिया विभाग के प्रबंधक नील ग्रीगोरी ने बताया हम टाटा से बातचीत कर रहे है और हम परियोजना में ऋण एवं एक्विटी के जरिये भाग लेंगे।

ग्रीगोरी ने बताया कि बातचीत के बाद ही आईएफसी द्वारा टाटा पावर की मुंदरा परियोजना को दी जाने वाली इक्विटी और ऋण के बारे में फैसला किया जाएगा। टाटा पावर ने मुंदरा परियोजना का ठेका बिल्-ओपरेट (बीओओ) के अंतर्गत हासिल किया है। कंपनी उक्त परियोजना में लगभग 16000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। 7 से 8 वर्षों में तैयार की जाने वाली परियोजना को टाटा पावर ने बिजली मंत्रालय द्वारा बुलाई गई अंतराराष्टीय प्रतिस्पर्धी बोली के तहत हासिल किया है।

देश में बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार ने निजी क्षेत्र की सहभागिता के साथ देश में दस अल्ट्रा मैगा पावर परियोजनाओं को विकसित करने की योजना बनाई है। अनुमान है कि उक्त परियोजनाएं 12वें पंचवर्षीय कार्यक्रम 2012-17 तक चालू हो जाऐंगी। गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने 9 बिजली परियोजनाओं को विकसित करने की बात कही थी लेकिन केंदीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बुधवार को घोषणा की कि दसवीं परियोजना उड़ीसा के सुंदरगढ़ में स्थापित की जाएगी

Thursday 11 October, 2007

एसबीआई ने होम व आटो लोन सस्ता किया

भारतीय स्टेट बैंक ने आपके त्योहारों में खास रंग भरने का ऐलान कर दिया है। देश के सबसे बड़े बैंक ने होम, आटो व पर्सनल लोन सहित अन्य सभी प्रकार के कर्जो पर ब्याज दरों में आधी से दो फीसदी तक की कटौती करने की घोषणा की है। पिछले कुछ महीनों से होम लोन बाजार की मंदी को देखते हुए बैंक ने अपनी आवास कर्ज योजनाओं को आकर्षक बनाने के तमाम उपाय किए हैं।
स्टेट बैंक में वेतन खाता रखने वाले ग्राहकों को होम लोन में थोड़ी बहुत और रियायत दी जा सकती है। बैंक ने ट्रासंपोर्ट सेक्टर पर खास ध्यान देते हुए उनके लिए कर्ज को दो फीसदी तक सस्ता कर दिया है। ब्याज दरों में कमी का यह फायदा केवल नए ग्राहकों को मिलेगा।
इस कटौती के बाद पांच वर्ष के लिए 20 लाख का होम लोन लेने पर केवल 10 फीसदी ब्याज देना पड़ेगा। पांच वर्ष से 15 वर्ष की अवधि के होम लोन पर ब्याज की नई दर 10.25 फीसदी होगी, जबकि 20 वर्ष की अंवधि के लिए बीस लाख रुपये के होम लोन पर ब्याज की नई दर 10.50 फीसदी निर्धारित की गई है। इसके साथ ही एसबीआई की होम लोन पर ब्याज दरें कई निजी और सरकारी बैंकों से भी कम हो गई हैं। बैंक का मानना है कि आगामी त्योहारी मौसम में उसकी प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों के चलते बड़े पैमाने पर ग्राहक इसका फायदा उठा सकेंगे। इसके साथ ही बैंक ने सभी प्रकार के प्रोसेसिंग शुल्कों में भी 50 फीसदी तक का छूट देने का ऐलान किया है।
एसबीआई ने त्योहारों के दौरान नई कार और दोपहिया वाहन खरीदने वालों को भी एक फीसदी सस्ती दर पर आटो लोन देने का ऐलान किया है। यह कर्ज की राशि और परिपक्वता अवधि पर निर्भर करेगा कि ग्राहकों को आधा फीसदी की छूट मिलती है या एक फीसदी। इस कटौती के बाद एसबीआई से आटो लोन की दर 11 फीसदी से 12 फीसदी के बीच होगी। इसी तरह से व्यक्तिगत कर्ज की विभिन्न योजनाओं पर भी आधा फीसदी और एक फीसदी की छूट दी गई है। इन योजनाओं के लिए भी प्रोसेसिंग शुल्क में 50 फीसदी की छूट दी गई है।
लघु व मझोले स्तर के ट्रांसपो‌र्ट्स के लिए एसबीआई से कर्ज लेना भी अब सस्ता हो गया है। बैंक ने इनके लिए मौजूदा ब्याज दरों में एक फीसदी से दो फीसदी की छूट देने का ऐलान किया है। इन उद्यमियों के लिए अब एसबीआई से विभिन्न परिपक्वता अवधि के लिए कर्ज लेने पर ब्याज की नई दरें 10 फीसदी से 12.25 फीसदी के बीच होंगी। बैंक से आगामी त्योहारों के दौरान ट्रैक्टर्स,पावर टिलर्स व अन्य खेती के उपकरणों के लिए भी बैंकिंग कर्ज को दो फीसदी तक सस्ता किया है। ब्याज की ये नई दरें 31 दिसंबर, 2007 तक लागू होंगी। एसबीआई के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अगर 30 अक्टूबर, 2007 को रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति में कुछ ढिलाई बरतता है तो ब्याज दरों में और कटौती संभव है।