महंगाई पर लगाम लगाने के सरकार के एक-एक करके उठाए गए तमाम प्रयासों के बावजूद 26 अप्रैल को यह लगातार तीसरे सप्ताह बढ़ती हुई पिछले साढ़े तीन वर्ष के उच्चतम स्तर 7.61 प्रतिशत पर पहुंच गई। विश्लेषकों की राय में महंगाई से जल्दी ही बड़ी राहत मिलने की उम्मीद कम नजर आ रही है। रिजर्व बैंक इस वर्ष ब्याज दरों को अपरिवर्तित रख सकता है, किंतु तरलता को कम करने के लिए वह कम से कम सीआरआर में आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है।
उधर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और महंगाई में वृद्धि का असर देश के शेयर बाजारों पर भी देखा गया। बम्बई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी दोनों ही भारी बिकवाली के दबाव में थे।
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