नई दिल्ली : महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने पर सहमति बन रही है। सूत्रों के अनुसार वॉशिंगटन की यात्रा पर जाने से पहले वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आरबीआई के चेयरमैन वाई. वी. रेड्डी से बातचीत की। आरबीआई और वित्त मंत्रालय के उच्चाधिकारियों की बातचीत जारी है। आरबीआई को साफ तौर पर कह दिया गया है कि वह महंगाई पर लगाम कसने के लिए नई मॉनिटरी पॉलिसी में कडे़ कदम उठाने में परहेज न करे।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन ने एनबीटी से कहा कि महंगाई का एक कारण बाजार में मनी फ्लो में तेजी का होना है। बाजार में ज्यादा धन की उपलब्धता है, इसलिए खरीदारी भी ज्यादा हो रही है। इसको कम करने के उपायों पर जरूर विचार किया जाएगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार वर्तमान में बाजार में सरप्लस मनी के तौर पर करीब 32 हजार करोड़ रुपये का प्रवाह हो रहा है। अगर इसको कम कर दिया गया तो बाजार कुछ हद तक संभल सकता है। मांग में कमी आ सकती है और महंगाई पर अंकुश लग सकता है।
बाजार विशेषज्ञ भी मानते हैं कि महंगाई को रोकने के लिए मनी फ्लो को रोकना जरूरी है। ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के प्रमुख अर्थशास्त्री चरणजीत सिंह का कहना है कि रीयल एस्टेट में तेजी का दौर तब चला, जब धन की उपलब्धता बाजार में थी। जैसे ही धन की उपलब्धता में कमी आई, कीमतों में तेजी थम गई। मांग व सप्लाई में संतुलन बनाने के लिए बाजार पर नियंत्रण जरूरी है। अगर आरबीआई इस दिशा में कोई कदम उठाता है तो ताज्जुब की बात नहीं होगी।
सरकारी और प्राइवेट बैंक दोनों अभी से इस बात को मानने लगे हैं कि मॉनिटरी पॉलिसी में कुछ ऐसे उपाय किए जाएंगे, जिससे बैंकों को ब्याज दर बढ़ानी पड़ सकती है। अधिकांश बैंकर मानते हैं कि आरबीआई कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) की दर बढ़ा सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के चेयरमैन अनिल खंडेलवाल कहते हैं कि सरकार बाजार में सप्लाई बढ़ाने के साथ मांग में कमी करना चाहती है। ऐसा करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाना होगा। आईडीबीआई के चीफ फाइनैंशल अफसर आर.के. बंसल का कहना है कि अगर सीआरआर में आधे फीसदी की बढ़ोतरी होती है और बैंक आधे फीसदी ब्याज दरें बढ़ा देते हैं तो इससे बाजार में 20 हजार करोड़ रुपये आने से रुक जाएंगे।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन ने एनबीटी से कहा कि महंगाई का एक कारण बाजार में मनी फ्लो में तेजी का होना है। बाजार में ज्यादा धन की उपलब्धता है, इसलिए खरीदारी भी ज्यादा हो रही है। इसको कम करने के उपायों पर जरूर विचार किया जाएगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार वर्तमान में बाजार में सरप्लस मनी के तौर पर करीब 32 हजार करोड़ रुपये का प्रवाह हो रहा है। अगर इसको कम कर दिया गया तो बाजार कुछ हद तक संभल सकता है। मांग में कमी आ सकती है और महंगाई पर अंकुश लग सकता है।
बाजार विशेषज्ञ भी मानते हैं कि महंगाई को रोकने के लिए मनी फ्लो को रोकना जरूरी है। ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के प्रमुख अर्थशास्त्री चरणजीत सिंह का कहना है कि रीयल एस्टेट में तेजी का दौर तब चला, जब धन की उपलब्धता बाजार में थी। जैसे ही धन की उपलब्धता में कमी आई, कीमतों में तेजी थम गई। मांग व सप्लाई में संतुलन बनाने के लिए बाजार पर नियंत्रण जरूरी है। अगर आरबीआई इस दिशा में कोई कदम उठाता है तो ताज्जुब की बात नहीं होगी।
सरकारी और प्राइवेट बैंक दोनों अभी से इस बात को मानने लगे हैं कि मॉनिटरी पॉलिसी में कुछ ऐसे उपाय किए जाएंगे, जिससे बैंकों को ब्याज दर बढ़ानी पड़ सकती है। अधिकांश बैंकर मानते हैं कि आरबीआई कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) की दर बढ़ा सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के चेयरमैन अनिल खंडेलवाल कहते हैं कि सरकार बाजार में सप्लाई बढ़ाने के साथ मांग में कमी करना चाहती है। ऐसा करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाना होगा। आईडीबीआई के चीफ फाइनैंशल अफसर आर.के. बंसल का कहना है कि अगर सीआरआर में आधे फीसदी की बढ़ोतरी होती है और बैंक आधे फीसदी ब्याज दरें बढ़ा देते हैं तो इससे बाजार में 20 हजार करोड़ रुपये आने से रुक जाएंगे।
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