मुंबई. शेयर बाजार के बाद अब देश के सभी कमोडिटी एक्सचेंजों का डिम्युच्युलाइजेशन/कापरेरेटाइजेशन किया जाएगा। अगले 6 महीनों में देश के लगभग 22-23 कमोडिटी एक्सचेंजों को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए डिम्युच्युलाइजेशन करना होगा। इसके बाद अगले 6 से 12 माहीनों में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे नए एक-दो कमोडिटी एक्सचेंज भी स्थापित किए जाने की योजना है।
देशभर में वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की चर्चा के बीच कमोडिटी बाजार नियामक फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) फ्यूचर ट्रेडिंग पर पाबंदी लगाने के पक्ष में नहीं है। एफएमसी चैयरमेन बी.सी. खटुआ ने बताया कि प्रादेशिक कमोडिटी बाजारों का डिम्युच्युलाइजेशन करने के लिए छह माह का समय दिया गया है। उन्होंने बताया कि एफसीआरए नियमों में सुधार के बाद एफएमसी इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा। इसमें मुख्य प्रवर्तक का हिस्सा सबसे बड़ा रखा जाएगा, जबकि अन्य सदस्यों का हिस्सा सीमित होगा।
खटुआ के मुताबिक नए दिशानिर्देशों में ट्रेडिंग, ऑनरशिप और मैनेजमेंट अधिकारों को अलग कर दिया जाएगा। इससे कमोडिटी एक्सचेंज का संचालन स्वतंत्र और पारदर्शक रूप में हो सकेगा। उन्होंने बताया कि डिम्युच्युलाइजेशन और राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत एक्सचेंज के लिए योजना तैयार की जा रही है साथ ही आगामी वर्ष में नए 2-1 कमोडिटीज एक्सचेंज स्थापित किए जाने की योजना है।
क्या तर्क: पिछले वर्ष तुअर, गेंहू और चावल के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगाने के बाद भी इन जिंसों की कीमतों में कमी नहीं आई बल्कि और बढ़े हैं।
आम और संतरे के रस में भी वायदा:
कमोडिटी बाजार नियामक एफएमसी कुछ नई जिंसों में भी वायदा कारोबार शुरू करने की संभावनाएं तलाश रहा है। आने वाले समय में आप आम, टमाटर और संतरे के रस के अलावा काजू, किशमिश जैसे ड्रायफ्रूट और एथेनॉल जैसे बाय-प्रोडक्ट में वायदा सौदे होते देख सकते हैं।
एफएमसी चैयरमेन बी.सी. खटुआ ने बताया कि विश्व बाजार की तुलना में भारत में फिलहाल कई जिंसों में वायदा कारोबार नहीं हो रहा है। आम और संतरे के रस का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अमेरिका में संतरे के गूदे (पल्प) में बड़े पैमाने पर वायदा कारोबार होता है।
खटुआ के मुताबिक मेटल में प्लेटिनम, मसाले, बारह महीने मिलने वाले फल, कच्ची चीनी, एथेनॉल, लंबे समय तक संग्रहित की जा सकने वाली सब्जियां, सेब, आम, टमाटर और संतरे जैसे फलों के गूदे में भी वायदा कारोबार शुरू किया जा सकता है।
देशभर में वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की चर्चा के बीच कमोडिटी बाजार नियामक फारवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) फ्यूचर ट्रेडिंग पर पाबंदी लगाने के पक्ष में नहीं है। एफएमसी चैयरमेन बी.सी. खटुआ ने बताया कि प्रादेशिक कमोडिटी बाजारों का डिम्युच्युलाइजेशन करने के लिए छह माह का समय दिया गया है। उन्होंने बताया कि एफसीआरए नियमों में सुधार के बाद एफएमसी इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगा। इसमें मुख्य प्रवर्तक का हिस्सा सबसे बड़ा रखा जाएगा, जबकि अन्य सदस्यों का हिस्सा सीमित होगा।
खटुआ के मुताबिक नए दिशानिर्देशों में ट्रेडिंग, ऑनरशिप और मैनेजमेंट अधिकारों को अलग कर दिया जाएगा। इससे कमोडिटी एक्सचेंज का संचालन स्वतंत्र और पारदर्शक रूप में हो सकेगा। उन्होंने बताया कि डिम्युच्युलाइजेशन और राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत एक्सचेंज के लिए योजना तैयार की जा रही है साथ ही आगामी वर्ष में नए 2-1 कमोडिटीज एक्सचेंज स्थापित किए जाने की योजना है।
क्या तर्क: पिछले वर्ष तुअर, गेंहू और चावल के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगाने के बाद भी इन जिंसों की कीमतों में कमी नहीं आई बल्कि और बढ़े हैं।
आम और संतरे के रस में भी वायदा:
कमोडिटी बाजार नियामक एफएमसी कुछ नई जिंसों में भी वायदा कारोबार शुरू करने की संभावनाएं तलाश रहा है। आने वाले समय में आप आम, टमाटर और संतरे के रस के अलावा काजू, किशमिश जैसे ड्रायफ्रूट और एथेनॉल जैसे बाय-प्रोडक्ट में वायदा सौदे होते देख सकते हैं।
एफएमसी चैयरमेन बी.सी. खटुआ ने बताया कि विश्व बाजार की तुलना में भारत में फिलहाल कई जिंसों में वायदा कारोबार नहीं हो रहा है। आम और संतरे के रस का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अमेरिका में संतरे के गूदे (पल्प) में बड़े पैमाने पर वायदा कारोबार होता है।
खटुआ के मुताबिक मेटल में प्लेटिनम, मसाले, बारह महीने मिलने वाले फल, कच्ची चीनी, एथेनॉल, लंबे समय तक संग्रहित की जा सकने वाली सब्जियां, सेब, आम, टमाटर और संतरे जैसे फलों के गूदे में भी वायदा कारोबार शुरू किया जा सकता है।
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