Monday, 21 April 2008

सेबी के आगे मर्चेंट बैंकर नहीं कर पाएंगे मनमानी

मुंबई: शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी आईपीओ लाने वाले मर्चेंट बैंकरों पर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है। कंपनियां आईपीओ के लिए मर्चेंट बैंकरों को नियुक्त करती हैं और वही निवेशकों तक इसे लेकर आते हैं। सेबी वायदा बाजार के लिए एक्सचेंज शुरू करने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है। वह छोटे और मझोली कंपनियों के शेयरों में कारोबार के लिए प्लैटफॉर्म मुहैया कराने के बारे में भी सोच रहा है।

सेबी का इरादा आईपीओ की प्रक्रिया को और बेहतर करने का है। संस्था के चेयरमैन सी बी भावे ने ईटी को बताया कि रियल एस्टेट म्यूचुअल फंड को लेकर नए नियम जल्द ही जारी किए जाएंगे। सेबी अब मर्चेंट बैंकरों के आईपीओ लाने की प्रक्रिया पर नजर रखेगा। खासतौर पर इश्यू जारी करने के बाद की जिम्मेदारी मर्चेंट बैंकरों ने कैसे निभाईं, इस पर कड़ी नजर रखी जाएगी। जो मर्चेंट बैंकर बार-बार गलती करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। सेबी यह देखेगा कि आईपीओ के लिए बोली लगाने वाले निवेशकों की बची हुई रकम वक्त पर रीफंड हुई या नहीं। शेयरों के एलॉटमेंट को लेकर भी सेबी सख्ती बरतने के मूड में है। प्राइमरी मार्केट कमेटी ने अंडर-राइटिंग को जरूरी बनाने का भी प्रस्ताव रखा है, जिस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।

सेबी हफ्ते भर में आईपीओ की प्रक्रिया पूरी करने की दिशा में भी काम कर रहा है। अगर यह हुआ तो आईपीओ के लिए बोली लगाने वाले निवेशकों का पैसा तीन हफ्ते से ज्यादा वक्त तक फंसा नहीं रहेगा। भावे ने कहा कि संस्थागत निवेशकों को भी आईपीओ के लिए बोली लगाने पर पूरे पैसे देने चाहिए। फिलहाल, संस्थागत निवेशक जितने शेयरों की बोली लगाते हैं, शुरू में वो उसका दस फीसदी हिस्सा ही जमा कराते हैं। भावे ने यह भी कहा कि सेबी का आरबीआई और इरडा से कोई टकराव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मुदा वायदा सौदे के लिए आरबीआई और सेबी को मिलकर काम करना चाहिए।

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