Monday, 28 April 2008

मौद्रिक नीति सख्त रहने की सम्भावना

मुम्बई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 29 अप्रैल की प्रस्तावित मौद्रिक समीक्षा नीति में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कड़े मौद्रिक उपायों की घोषणा कर सकती है।

इस संबंध में संकेत भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर वाई.वी.रेड्डी द्वारा सीआरआर में बढ़ोतरी की घोषणा के क्रम में ही दे दिए गए हैं। इससे पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक ने 17 अप्रैल को सीआरआर यानी नकद सुरक्षित अनुपात को दो चरणों में 7.50 फीसदी से बढ़ाकर आठ फीसदी तक करने की घोषणा की थी।

मौद्रिक समीक्षा-नीति के तहत कड़े उपायों की घोषणा का सीधा संबंध महंगाई से है। केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 12 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान देश में महंगाई दर बढ़कर 7.33 फीसदी हो गई। यह बैंक द्वारा तय महंगाई दर की सीमा 5 फीसदी से 200 बेसिस प्वाइंट ज्यादा है। 5 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान यह 7.14 फीसदी थी। जबकि 29 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान यह पिछले 41 महीनों के उच्चतम स्तर यानी 7.41 फीसदी की ऊंचाई तक चली गई थी।

बैंक ऑफ इंडिया के अध्यक्ष टी.एस. नारायणस्वामी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि फिलहाल हम ‘देखो और प्रतीक्षा करो’ की स्थिति में हैं। उनके मुताबिक महंगाई में वृद्धि गलत वित्तीय व प्रशासनिक नीतियों की वजह से हुई है। मौद्रिक नीतियों में बदलाव से महंगाई पर काबू नहीं किया जा सकता।

सम्भावित उपायों को लेकर कुछेक समीक्षक मानते हैं कि केंद्रीय बैंक अपनी इस बैठक में देश में मुद्रा की तरलता पर रोक थाम के लिए ‘रेपो रेट’ यानी ‘रिपरचेज रेट’ में में वृद्धि की घोषणा कर सकती है। नारायणस्वामी के अनुसार इस तरह की कोई भी वृद्धि सिर्फ प्रतीकात्मक और भावनात्मक होगी।

समीक्षक यह बताने से हिचक रहे हैं कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कितनी कटौती की घोषणा करेगा। कुछ समीक्षक दबी जुबान से इस बाबत संकेत दे रहे हैं कि रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कमी की जा सकती है। मौजूदा रेपो व रिवर्स रेपो रेट क्रमशः 7.75 और छः फीसदी हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बाई.वी. रेड्डी ने सीआरआर में बढ़ोतरी की घोषणा से पूर्व न्यूयॉर्क में कहा था कि देश में बढ़ रही महंगाई सचमुच बैंक के लिए चिंता का विषय है। हमारी धारणा थी कि महंगाई दर में मामूली तेजी आ सकती है लेकिन इसमें अनुमान से कहीं ज्यादा तेजी दर्ज की जा रही है।

मौद्रिक समीक्षा-नीति से पहले एसोचैम के अध्यक्ष वी.एन.धूत ने ऐसी दूरदर्शी मौद्रिक नीति की वकालत की है जिसमें निवेशकों के हितों के साथ-साथ वैश्विक मंदी की मार के नकारात्मक असर को प्रभावहीन करने लायक प्रावधान हों।

धूत के अनुसार भारतीय कम्पनियों को विदेशों में मौजूदा निवेश को कुल परिसम्पत्ति के 200 फीसदी से बढ़ाकर 250 फीसदी तक करने की अनुमति सरकार को देनी चाहिए। पूंजी के अंतप्रवाह का देश की आधारभूत संरचनाओं के विकास में इस्तेमाल हो ताकि देश में मुद्रा की तरलता व्यावहारिक स्तर पर आ सके।

No comments: