रिज़र्व बैंक का कहना है कि महंगाई को रोकने के लीये भारत सरकार द्वारा किए गये उपाय बेकार है इनसे कुछ मदद मिलनी चाहिए परंतु अंतराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के ऊँचे दामो से महंगाई का खतरा है।
बैंक के अनुसार देश में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर वित्तीय वर्ष के शुरू में 6।4 प्रतिशत से नरम पड़कर अक्टूबर तक घटकर 3।1 प्रतिशत पर आ गई लेकिन साल समाप्त होते-होते यह 7.4 प्रतिशत की ऊंचाई पर थी। ईंधन, प्राथमिक वस्तुओं और कुछ निर्मित उत्पादों के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा। फरवरी से मार्च 2008 के दौरान सीपीआई पर आधारित महंगाई की दर 5.5 से 7.9 प्रतिशत के दायरे में रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 6.7 से 9.5 प्रतिशत के दायरे में थी। बहरहाल, थोक मूल्य सूचकांक के ताजा आंकड़ों के अनुसार मुद्रास्फीति की दर 12 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में मामूली नरम पड़कर 7.3 रह गई थी।
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