Friday, 30 November 2007

भारत-यूरोपीय संघ के बीच शिखर सम्मेलन

भारत और यूरोपीय संघ के बीच शुक्रवार को शिखर सम्मेलन होने जा रहा है।

इस आठवें सालाना शिखर सम्मेलन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अलावा अन्य क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने के संबंध में बातचीत होगी।

इस शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करेंगे जबकि यूरोपीय संघ का नेतृत्व पुर्तगाल के प्रधानमंत्री जोस सॉक्रैटीज़ करेंगे।

ग़ौरतलब है कि इन दिनों यूरोपीय संघ की अध्यक्षता पुर्तगाल के पास है।

इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद की चुनौती और द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाए जाने पर चर्चा होगी।

भारत और विभिन्न यूरोपीय देशों के बीच लंबे समय से द्विपक्षीय संबंध रहे हैं।

लेकिन यूरोपीय संघ बनने के बाद संबंधों को और मज़बूत बनाने के उद्देश्य से भारत और यूरोपीय संघ के बीच सालाना बैठक का निर्णय लिया गया था।

हालाँकि भारत की दृष्टि से तो यूरोपीय संघ उसका सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है।

लेकिन अगर यूरोपीय संघ के नज़रिए से देखा जाए तो उसके कुल व्यापार में भारत का कोई बड़ा योगदान नहीं है.

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सूचना प्रौद्योगिकी और सस्ती मजदूरी की वजह से इन देशों के लिए आकर्षक का एक केंद्र है।

मोबाइल से मनी भेजना जल्द होगा मुमकिन

नई दिल्ली : अब विदेशों से भारत में मोबाइल फोन के जरिए जल्द ही पैसा भेजना मुमकिन हो सकेगा। इस बाबत सेल्युलर कंपनी भारती एयरटेल ने मनी ट्रांसफर सर्विस मुहैया करानेवाली कंपनी वेस्टर्न यूनियन के साथ समझौता किया है। वेस्टर्न यूनिट फिलहाल भारत में कैश ट्रांसफर की सर्विस मुहैया कराती है। दोनों कंपनियों के बीच इस तरह का यह पहला समझौता है। अलबत्ता मोबाइल से मनी ट्रांसफर के लिए संबंधित रेग्युलेटरी की मंजूरी बाकी है।

भारती एयरटेल के मार्केटिंग और कम्यूनिकेशन डायरेक्टर गोपाल विट्टल ने कहा कि इस समझौते से तेजी और सुविधाजनक तरीके से पैसे भेजना आसान हो जाएगा। भारती के देश में 5 करोड़ ग्राहक हैं, जबकि वेस्टर्न यूनियन के 200 देशों में 3 लाख से ज्यादा और भारत में 45 हजार एजेंट हैं।

वेस्टर्न यूनियन के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कपूर ने कहा कि भारती एयरटेल के साथ समझौता हमारी मोबाइल मनी ट्रांसफर सर्विस का दायरा बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय उपमहाद्वीप में मोबाइल की बढ़ती पहुंच के मद्देनजर इस सर्विस से काफी लोगों को फायदा होगा।

डेक्कन-किंगफिशर मार्च तक मिलेंगे

देश की पहली कम लागत वाली विमान कम्पनी एयर डेक्कन और किंगफिशर का विलय अगले साल मार्च में पूरा हो सकता है।

किंगफिशर एयरलाइंस और यूबी समूह के अध्यक्ष विजय माल्या ने आज कहा कि इसके लिए जांच-पड़ताल का काम एक्सेंचर को सौंपा गया है। इस जांच में सुझाव दिया जाएगा कि दोनों विमान कम्पनी के संसाधनों और सम्पत्ति के बेहतर इस्तेमाल के लिए बढ़िया तरीका क्या है।

इंफोसिस के लिए बंगाल में जमीन नहीं

पश्चिम बंगाल में कम्पनियों को दफ्तर और फैक्टरी के लिए जमीन नहीं मिल रही है। इंफोसिस पश्चिम बंगाल में 100 एकड़ जमीन चाहती है। लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है।

कम्पनी के मानव संसाधन निदेशक टी.वी मोहनदास पई का कहना है कि राजनीतिक दखलंदाजी से कम्पनियों के विस्तार योजना पर फर्क पड़ रहा है।

पई ने इसके अलावा डॉलर की कमजोरी और अधिग्रहण की नीति पर ‘सीएनबीसी-आवाज़’ के संवाददाता हेमंत घई से बात की।

Thursday, 29 November 2007

40 हजार करोड़ के निवेश की उम्मीद

जयपुर. राज्य में पूंजी निवेश बढ़ाने के लिए 30 नवंबर को हो रहे रिसर्जेट राजस्थान-पार्टनरशिप सम्मेलन में राज्य सरकार को एक दिन में ही करीब 40 हजार करोड़ रुपए का निवेश मिलने की उम्मीद है। सम्मेलन के लिए सरकार ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में विशेष सेमिनार करने के साथ ही करीब 12 हजार औद्योगिक घरानों को बुलावा भेजा था। हालांकि, अभी तक लगभग 700 औद्योगिक घरानों का ही रजिस्ट्रेशन हुआ है।

राज्य के मुख्य सचिव डी.सी. सामंत ने बुधवार को बताया कि राज्य में पिछले दिनों में सड़क, बिजली और पानी जैसे क्षेत्रों में काफी काम हुआ है। लिहाजा पूंजी निवेश के अनुकूल माहौल बना हुआ है। घरेलू और विदेशी निवेशकों ने राज्य में बहुआयामी गतिविधियों में निवेश के प्रति रुचि दिखाई है। ब्यूरो ऑफ इंवेस्टमेंट प्रमोशन (बीआईपी) के कमिश्नर उमेश कुमार ने बताया कि पार्टनरशिप सम्मेलन में राजस्थान को बड़ा पूंजी निवेश मिलने की उम्मीद है।

जापानी दल भी आएगा: मुख्य सचिव ने बताया कि इस आयोजन में जापानी कंपनियों का एक दल भी भाग लेगा। पिछले माह जापानी कंपनियों के निवेश को आकर्षित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में 200 कंपनियों ने भाग लिया था। इसे देखते हुए वहां से बड़े दल के आने की उम्मीद बंधी है। फरवरी 2008 में सरकार जापानी निवेश को आकर्षित करने का एक आयोजन करने जा रही है।

ये प्रमुख उद्योगपति आएंगे : फिक्की के सहयोग से हो रहे इस सम्मेलन का उद्घाटन 30 नवंबर को सुबह 10 बजे बिड़ला सभागार में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे करेंगी। आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी केवी कामथ मुख्य वक्ता होंगे। वेदांत समूह के अनिल अग्रवाल, होंडा सिएल कार्स इंडिया के अध्यक्ष एम. टाकेदागवा, भारत होटल्स की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी, फोर्टिस हैल्थकेयर के प्रबंध निदेशक शिवेन्द्र मोहन सिंह तथा आईएल एंड एफएस के अध्यक्ष रवि पार्थसारथी पैनल वक्ता होंगे।

नकदी की कमी से रुपया मजबूत हुआ

मुंबई: मुद्रा बाजार में बुधवार को डीलरों द्वारा की गई डॉलर की बिकवाली से रुपया थोड़ा और मजबूत हो गया। डीलरों को बैंक सिस्टम में नकदी की कमी की स्थिति के चलते यह कदम उठाना पड़ा। हालांकि बाजार रिजर्व बैंक के भावी कदमों को लेकर सशंकित है।

आज पहले कारोबारी सत्र में प्रति डॉलर के मुकाबले रुपया 39.77/99 पर था जो कि बाजार खुलने के समय के भाव 39.79/80 से अधिक था। हालांकि मंगलवार को रुपया 22 अक्टूबर के बाद सबसे कमजोर स्तर 39.90 पर था।

इस माह के प्रारंभ में रुपया अपने 10 साल के सबसे सर्वोच्च स्तर 39.16 तक पहुंच चुका है।

एक प्रमुख डीलर ने बताया कि आज रुपए के ताकतवर होने का प्रमुख कारण नकदी की कमी है। हालांकि रुपए के और मजबूत होने की स्थिति में रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप करने की संभावना है।

बाजार को भारी झटके से बचाने की कवायद

नई दिल्ली : सरकार ने सेबी को सख्त निर्देश दिए हैं कि दिसंबर माह में बाजार में भारी झटका रोकने के लिए सख्त कदम उठाए। आशंका है कि एफआईआई अगले माह शेयर बाजारों में भारी मंदी की हवा चला सकते हैं। जबकि सरकार हर कीमत पर संतुलित कारोबार चाहती है।

इसलिए सेबी को उन शेयरों पर नजर रखने को कहा गया है, जिनमें पिछले कुछ दिनों से भारी उतार-चढ़ाव रहा है। गड़बड़ी की आशंका होने पर शेयरों के कारोबार पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की छूट सेबी को दी गई है। वित्त मंत्रालय के शेयर विभाग मामले के उच्चाधिकारी के अनुसार हमारी प्राथमिकता आम निवेशकों को भारी झटके से बचाने की है।

एफआईआई की रणनीति
दिसंबर माह में एफआईआई की रणनीति भारी मात्रा में मुनाफा कमाने की रहती है। दरअसल उनके लिए साल दिसंबर माह में समाप्त होता है। ऐसे में नेट असट वैल्यू (एनएवी) बढ़ाने की भी मजबूरी होती है। इस बार बिकवाली ज्यादा होने की संभावना इसलिए है, क्योंकि अमेरिकी बाजार में मंदी है। भारतीय बाजार में एफआईआई को अच्छा रिटर्न मिल रहा है। यूटीआई सिक्योरिटीज के इक्विटीज हेड मिलिंद प्रधान कहते हैं, एफआईआई ज्यादा इंवेस्टमेंट कर रहे हैं, वे मुनाफा भी ज्यादा कमाएंगे।

भारतीय कंपनियों पर सवाल!
सेबी के सूत्रों के अनुसार यह बात भी सामने आई हैं कि कुछ भारतीय कंपनियां, जिनका नया आईपीओ आने वाला है। वे अपने शेयरों को प्रमोट करने में लगी हैं ताकि नए आईपीओ के शेयरों के दाम ज्यादा लग सकें। मगर इससे आम निवेशकों को दोहरा घाटा हो सकता है। एक तो वे आईपीओ के शेयरों को ज्यादा कीमतों पर खरीदेंगे। दूसरे कंपनियों के पहले से ही सूचीबद्ध शेयरों को ज्यादा भाव पर खरीदने से बिकवाली के समय उनको घाटा होना तय है।

क्या होगा फायदा
साहनी एंड साहनी ब्रोकर्स के प्रकाश साहनी का कहना है कि अगर सेबी ऐसा करती है तो इसका मनोवैज्ञानिक लाभ बाजार को होगा। बाजार में यह संदेश जाएगा कि सरकार का नियंत्रण अब भी बरकरार है। वैसे अब तक का कारोबार देखते हुए इतना जरूर कहा जा सकता है कि दिसंबर माह शेयर कारोबार के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण रहेगा। सरकार को मुस्तैद रहना चाहिए।

तीन पेट्रो कंपनियों के वायदा कारोबार पर रोक

मुंबई : तेल की बढ़ती कीमतों और रिफाइनरी स्टॉक की मांग में बढ़ोतरी के मद्देनजर नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने रिलायंस पेट्रोलियम, एस्सार ऑयल और बोंगाईगांव रिफाइनरी के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगा दी है।

नैशनल स्टॉक एक्सचेंज ने इस बाबत सर्कुलर जारी किया है। नई दिल्ली स्थित ब्रोकरेज हाउस एमएमसी के ग्लोबल वाइस प्रेजिडेंट राजेश जैन के मुताबिक, तेल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर ऑयल कंपनियों के शेयर अच्छा रिटर्न दे रहे हैं। इस वजह से इनवेस्टर इन काउंटरों की ओर रुख कर रहे हैं। उनके मुताबिक, ऑयल रिफाइनिंग फर्मों में फ्यूचर ट्रेडिंग बढ़ने की एक और वजह इन्वेस्टर्स को इन कंपनियों में लॉन्ग टर्म प्रॉफिट की उम्मीद है।

Wednesday, 28 November 2007

पेंशन का पैसा जून से बाजार में

नई दिल्ली-नई पेंशन योजना में अंशदान कर रहे सरकारी कर्मचारियों के पेंशन कोष को अधिक फल देने वाला बनाने के लिए उसे शेयर बाजार में निवेश करने का इंतजार अगले वर्ष जून में समाप्त हो जाएगा। शुरू में इससे तीन लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ होगा।

पहली जनवरी 2004 से लागू इस योजना का करीब 2000 करोड़ रूपए का कोष इस समय केंद्र सरकार के खाते में पड़ा है जिस पर कर्मचारियों को आठ प्रतिशत की वार्षिक दर से ब्याज मिलता है जो बाजार में निवेश पर मिलने वाले संभावित प्रतिफल से कम बताई जा रही है।

नई पेंशन योजना के पैसे को बाजार में निवेश करने की व्यवस्था बनाने और कर्मचारियों के रिकार्ड रखने के लिए पीएफआरडीए ने राष्ट्रीय प्रतिभूति डिपाजिटरी लि ( एनएसडीएल) को केंद्रीय अभिलेख संरक्षक एजेंसी ( सीआरए) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

पीएफआरडीए में अध्यक्ष डी स्वरूप और एनएसडीएल के प्रमुख सी बी भावे ने मंगलवार को यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन में उम्मीद जताई की सीआरए पहली जून से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के कोष के संबंध में अपना काम शुरू कर सकती है। उन्होंने कहा कि उसके साथ ही उनके पेंशन कोष के निवेश के पूरे प्रबंध कर लिए जाने की उम्मीद है।

एक वर्गमीटर जमीन, 5 लाख रुपए की!

देश का सबसे महंगा प्रॉपर्टी सौदा पिछले दिनों मुंबई के बांद्रा-कुर्ला इलाके में हुआ। खबर है कि यहां साढ़े सोलह हजार वर्गमीटर का एक प्लॉट 831 करोड़ रुपए में खरीदा गया। यानी एक वर्गमीटर की कीमत 5,04,00 रुपए। यह अभी तक का रिकॉर्ड है। इस प्लॉट को खरीदा वाधवा बिल्डर्स ने। कंपनी ने रिजर्व प्राइस से 229 फीसदी ज्यादा बोली लगाकर यह सौदा किया।

इसी तरह, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने करीब साढ़े तीस हजार वर्गमीटर का एक प्लॉट 918 करोड़ रुपए में खरीदा। यानी 46,800 रुपए प्रति वर्ग फुट की दर से यह सौदा पड़ा। रिजर्व प्राइस से 96 फीसदी ज्यादा बोली लगाकर रिलायंस ने यह प्लॉट खरीदा।

तीसरा, करीब आठ हजार वर्गमीटर का प्लॉट तकरीबन तीन लाख 68 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर के रेट से बिका। इसे खरीदा टीसीजी इन्फ्रास्ट्रक्चर और हीरानंदानी ने।

सेंसेक्स 120 पॉइंट डाउन

मुंबईः पिछले दो दिनों के दौरान जोरदार तेजी के बाद मुनाफावसूली का जोर रहने से देश के शेयर बाजारों में मंगलवार को गिरावट का रुख रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 120 अंक और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 34 अंक टूट गया।

बाजार सूत्रों के मुताबिक एशियाई शेयर बाजारों में मंदी के रुझान का भी देसी बाजारों में असर देखा गया। चीन के शेयर बाजार में 2 फीसदी की गिरावट देखी गई। शंगहाइ कंपोजिट सूचकांक 97.738 अंक के नुकसान के साथ 3 महीने के निचले स्तर 4861.11 अंक पर बंद हुआ। रिजर्व बैंक के गवर्नर वाई. वी. रेड्डी ने मुंबई में बैंकिंग सम्मेलन के दौरान कहा कि ग्लोबल हलचलों से देश भी अछूता नहीं रह सकता है और इससे निपटने के लिए बैंक पूरी तरह तैयार है। इसका भी असर बाजार पर हुआ।

सेंसेक्स कारोबार के शुरू से ही दबाव में दिखा। इसमें करीब 200 अंक की घटबढ़ देखी गई। सत्र के शुरू में यह सोमवार के 19247.54 अंक के मुकाबले 19128.86 अंक पर खुला। यह नीचे में 19019.33 अंक और ऊंचे में 19211.50 अंक तक गया। कारोबार की समाप्ति पर यह कुल 119.81 अंक यानी 0.62 फीसदी के नुकसान से 19127.73 अंक पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी 33.55 अंक यानी 0.59 फीसदी गिरकर 5698.15 अंक रह गया। सेंसेक्स में गिरावट के बावजूद मिडकैप और स्मॉलकैप में क्रमश: 9.24 और 28.82 अंक की हल्की बढ़त रही। कारोबार के दौरान बीएसई में 2842 कंपनियों के शेयरों में सौदे हुए। इनमें से 1475 में नुकसान रहा। 1302 कंपनियों के शेयर ऊपर और 65 के नीचे आए। सेंसेक्स के 18 शेयर घाटे और 12 फायेदे में।

बोनस पात्रता विधेयक पारित

नई दिल्ली-असंगठित क्षेत्र के कामगारों, खेतिहर मजदूरों तथा ठेका मजदूरों को भी बोनस का लाभ मुहैया कराने और ऐसे कामगारों की पहचान के लिए एक तंत्र विकसित करने के सरकार के आश्वासन के बीच लोकसभा ने बोनस के लिए पात्रता तथा बोनस राशि की सीमा बढ़ाने के प्रावधान वाले विधेयक को मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

इससे पहले बोनस अधिनियम 1965 में संशोधन करने वाले इस विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री ऑस्कर फर्नांडीस ने कहा कि सरकार भी भवन निर्माण में लगे कामगारों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों एवं असंगठित क्षेत्र के अन्य कर्मियों को इसके दायरे में लाने को प्रतिबद्ध है।

मंत्री का कहना था कि उनके अस्थायी चरित्र के नियोजन के कारण उनकी पहचान सुनिश्चित करने में व्यावहारिक बाधाएँ हैं और सरकार नहीं चाहती कि उनकी पहचान का एक तंत्र बनाए बिना उन्हें बोनस कानून के दायरे में लाने की कागजी खानापूर्ति कर ली जाए।

फर्नांडीस ने ऐसा एक तंत्र बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता जताते हए कहा कि उनकी सरकार देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के 'जय जवान जय किसान' के नारे में 'जय कामगार' जोड़ने के हक में है क्योंकि पिछले दशकों में देश में आधारभूत ढाँचे के त्वरित विकास में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

बोनस की पात्रता के लिए साढ़े सात हजार रुपए या इससे कम मूल मासिक वेतन की दूसरे श्रम आयोग की शर्त को बढ़ाकर दस हजार रुपए कर देने की अपनी पहल को उन्होंने कामगारों के प्रति कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की इसी प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया।

Tuesday, 27 November 2007

गल्फ ऑयल बनाएगी आईटी पार्क

नई दिल्ली- हिंदुजा समूह की गल्फ ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड को बेंगलुरु में अत्याधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पार्क स्थापित करने की मंजूरी मिल गई है।

कंपनी की ओर से सोमवार को यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि उसे कर्नाटक उद्योग मित्र से येलाहांका में उसकी 40 एकड़ जमीन पर आईटी पार्क बनाने की स्वीकृति मिली है। पार्क में होटल, सर्विस अपार्टमेंट, रिटेल, मल्टीप्लेक्स और अन्य सुविधाएँ भी स्थापित की जाएँगी।

आईटी पार्क नए बेंगलुरु हवाई अड्डे से करीब सात किलोमीटर दूर होगा। पार्क को विकसित करने में गल्फ ऑयल की मदद समूह की अचल सम्पत्ति इकाई एशिया प्रापर्टीज डेवलपमेंट लि. करेगी। इससे पहले गल्फ ऑयल हैदराबाद में 100 एकड जमीन पर नॉलेज सिटी विकसित करने की घोषणा कर चुकी है।

नए पीएसपी की बिक्री बढ़कर 10 लाख हुई

टोक्यो: सोनी की खिलौना बनाने वाली यूनिट ने कहा है कि उसके नए प्लेस्टेशन पोर्टेबल हेंडहेल्ड प्लेयर्स(पीएसपी) की बिक्री लांचिग के दो माह बाद ही 10 लाख यूनिट तक पहुंच गई है।

सोनी कंप्यूटर इंटरटेनमेंट की ओर से जारी एक बयान में यहां कहा गया है कि इस नए गेम को 20 सितंबर को लांच किया गया था। इसके दो माह बाद ही बिक्री बढ़कर 10 लाख तक पहुंच गई है।

यह नया गेम मॉडल छोटा और हल्का है। साथ ही इसमें कई नए फंक्शन और रंग है। इस कारण यह लोगों को बेहद आकृष्ट कर रहा है। इसकी खरीददारों में 5 लाख से अधिक महिलाएं हैं। कंपनी का पिछला पीएसपी मॉडल दिसंबर 2004 में आया था। लेकिन बिक्री के मामले में इस नए मॉडल ने उसे काफी पीछे छोड़ दिया है।

टीईसी की सिफारिशों को चुनौती दी एयरटेल ने

नई दिल्लीः सेल्युलर ऑपरेटर कंपनी भारती एयरटेल लिमिटेड ने कहा है कि कंपनी ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट की टेक्निकल यूनिट टेलिकॉम इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) के स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट के नियमों के बारे में दी गई सिफारिशों को पर्याप्त सबूतों और आंकड़ों के साथ चुनौती दी है।

भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील मित्तल ने स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट के नियमों की समीक्षा के लिए गठित टेलिकॉम पैनल की बैठक के बाद यह जानकारी दी। मित्तल ने कहा कि आधुनिक टेक्नॉलजी अपनाने के मामले में हम पर सवाल नहीं किए जा सकते। उन्होंने कहा कि जानकारी न होने को नियम बदलने के लिए बहाना नहीं बनाया जा सकता। मित्तल ने कहा कि उनकी कंपनी ने स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट के बारे में टीईसी की सिफारिशों को पर्याप्त सबूतों और आंकड़ों के साथ चुनौती दी है।

पैनल ने स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट के मसले पर इस महीने के शुरू में अपनी रिपोर्ट दे दी थी। कंपनी ने रेडियो तरंगों के अलॉटमेंट के लिए कस्टमरों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी की सिफारिश की है। कम्यूनिकेशन मिनिस्टर ए. राजा ने इस रिपोर्ट को सिद्धांत रूप में स्वीकार कर लिया था, लेकिन भारती एयरटेल, वोडाफोन, एस्सार और आइडिया सेल्युलर जैसे जीएसएम ऑपरेटरों के इस पर कड़ा विरोध जताने करने पर सरकार ने नियमों पर नए सिरे से विचार करने के लिए एक पैनल गठित कर दिया।

पैनल को इसी महीने अपनी रिपोर्ट देनी है। टेलिकॉम डिपार्टमेंट के अडिशनल सेक्रेटरी आर. बंदोपाध्याय की अध्यक्षता में गठित पैनल में बीएसएनएल और एमटीएनएल को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि इसमें जीएसएम और सीडीएमए के प्रतिनिधि शामिल हैं। पैनल की अगली बैठक 30 नवंबर को होगी।

रूरल कस्टमरों के लिए पीएनबी की खास स्कीम

पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) ने सोमवार को गौतम बुध नगर जिले के ग्राम छपरौली स्थित ब्रांच में अपने पहले बायोमेट्रिक एटीएम की शुरुआत की। इसका उद्घाटन पीएनबी के सीएमडी के. सी. चक्रवर्ती ने किया। उन्होंने बताया बायोमेट्रिक एटीएम में आवाज से पहचान की सुविधा एवं अंगुलियों के निशान से नकद निकासी, खाते में बैलेंस की जानकारी एवं बैंक स्टेटमेंट प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में अनपढ़ और कम पढ़े लिखे ग्राहकों के बीच संबंधों को और बेहतर बना सके, इसके लिए 'आओ गांव चलें' योजना को बढ़ावा दिया जाएगा।

चक्रवर्ती ने कहा किसी भी देश की उन्नति का रास्ता गांव की गलियों से होकर गुजरता है। इस एटीएम के खुलने से ग्रामीण ग्राहकों को बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। चक्रवर्ती ने इस दौरान जिले में कार्यरत बैंक के ब्रांच मैनेजरों को बैंक और उपभोक्ताओं के बीच आपसी विश्वास कायम करने को भी कहा। सीएमडी ने ग्रामीणों से कहा अब 10 से 5 की बंदिश नहीं। कभी भी कस्टमर बैंक आकर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

चक्रवर्ती ने बताया कि पीएनबी 1076 केंद्रों में 2064 सेवा केंद्रों के माध्यम से कोर सुविधा उपलब्ध करा रहा है। इसके जरिए 22 लाख ग्राहकों को 'कभी भी कहीं भी' सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। बैंक ने पीएनबी मित्र योजना के तहत 3 लाख से अधिक नो फ्रिल खाते खोले हैं और 24 हजार से अधिक जनरल क्रेडिट कार्ड जारी किए है। बैंक द्वारा 1231 एटीएम लगाए जा चुके हैं, जिनमें से 196 एनसीआर में कार्यरत हैं। इस मौके पर छपरौला के ब्रांच मैनेजर वी. वी. कौशिक ने ग्रामीणों का आभार जताया।

Monday, 26 November 2007

फॉरन इन्वेस्टर्स से मार्केट में उथलपुथल की आशंका

नई दिल्ली : सेबी ने एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को चेताया है कि परिपक्व बाजारों के खास वर्ग के इन्वेस्टर्स के फैसलों से उनके मार्केट में उतार-चढ़ाव की आशंका है। इसका सामना भारत समेत कई अन्य देशों को करना पड़ेगा।
सेबी के चेयरमैन एम. दामोदरन ने एक सम्मेलन में कहा कि परिपक्व बाजारों के निवेशकों का एक विशेष वर्ग है, जहां अब उन्हें पहले जैसा मुनाफा नहीं मिल रहा। इसके मद्देनजर वे अब इन बाजारों का रुख कर रहे हैं, क्योंकि हमारे बाजार उनको बेहतर मुनाफा दे रहे हैं। अगर हमारे बाजार उनको अच्छा मुनाफा नहीं देते, वे इन्हें छोड़ जाएंगे और इससे हमारे बाजारों में भारी उथल - पुथल मच जाएगी।

एशियन सिक्युरिटीज एनालिस्ट फेडरेशन द्वारा आयोजित इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए दामोदरन ने कहा कि माकेर्ट रेग्युलेटर्स को ऐसे किसी भी किस्म के जोखिम से बचने के लिए नियम बनाने होंगे। गौरतलब है कि भारत और अन्य एशियाई देशों के बाजारों में हाल में काफी उथल-पुथल देखने को मिला है। भारतीय शेयर बाजार के बेंचमार्क सेंसेक्स ने गुरुवार तक पिछले 6 कारोबारी सत्रों में 1400 अंकों की गिरावट दर्ज की। बाजार विश्लेषक इसके लिए अमेरिकी गतिविधियों और कच्चे तेल की कीमतों को जिम्मेदार मानते हैं। दामोदरन ने कहा कि अगर एशियाई बाजार दुनिया के बाजारों के साथ ज्यादा एकीकृत होते, तो अन्य जगहों पर इसका और अधिक असर होता।

काली मिर्च के दाम घटने के आसार नहीं

काली मिर्च का पुराना स्टॉक काफी कम रह जाने और पिछले साल की तरह इस साल भी नई फसल कम आने की आशंका से इसमें मंदी के आसार नहीं हैं। थोड़े दिन के लिए भाव रुकेंगे, लेकिन बाद में अच्छी तेजी की संभावना है।

काली मिर्च की नई फसल अमूमन दक्षिण भारत के कोचीन के 100 किलोमीटर चारों ओर होती है। इसकी फसल नवंबर में आ जाती थी। लेकिन इस साल 20 दिन देर से आएगी। फसल उत्पादक क्षेत्रों में तैयार खड़ी हैं और वहां के व्यापारी दिसंबर के पहले हफ्ते में नए माल का श्रीगणेश बता रहे हैं। कोचीन के काली मिर्च व्यापारी नरेश अग्रवाल का कहना है कि इस साल अक्टूबर तक काली मिर्च का निर्यात 28-29 हजार टन के करीब हुआ है, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 50 फीसदी ज्यादा रहा।

दूसरी ओर वियतनाम और इंडोनेशिया में पुराने माल के भाव काफी ऊंचे है। वियतनाम में 3000/3050 डॉलर प्रति टन भाव चल रहे है। इंडोनेशिया में 3450 डॉलर के आसपास वहां के निर्यातक बोल रहे है। जिससे यहां पर आयात पड़ता नहीं है। कोचीन में इस वक्त 137/138 रुपये प्रति किलो भाव चल रहे है, जिससे केवल डिब्बे में सटोरियों द्वारा जबरदस्ती दबाया जा रहा है, क्योंकि हाजिर में भाव 138 रुपये प्रति किलो है, जबकि डिब्बे में 134 रुपये के आसपास कर दिए हैं।

पिछले साल काली मिर्च का उत्पादन 50 हजार टन के करीब हुआ था, जिसमें से 30 हजार टन के करीब रेकॉर्ड निर्यात हुआ है, शेष माल घरेलू उपयोग में खप गया। इस साल इसका उत्पादन 48/50 हजार टन के करीब ही होने का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन ग्लोबल लेवल पर पुराना स्टॉक घटने की वजह से अन्य उत्पादक देशों में भाव ऊंचे चल रहे है। इसे देखते हुए काली मिर्च में नया माल आने पर भले ही एक बार अस्थायी तौर पर 7-8 रुपये किलो की मंदी आ जाये, लेकिन बाद में इसमें 30/35 रुपये की छलांग लग सकती है।

अब भी अरबों रुपये कर्ज में फंसे

नई दिल्ली : केंद्र और रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद पब्लिक सेक्टर बैंकों के अरबों रुपये अभी भी पुराने कर्ज में फंसे हुए हैं।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इस साल 31 मार्च तक सरकारी बैंकों के 389 अरब 73 करोड़ रुपये विभिन्न कर्जों में फंसे हुए थे, जो कि उनके द्वारा दिए गए कुल कर्ज का 2.7 फीसदी थे। सरकार का दावा है कि कर्जों में फंसी इस प्रकार के नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) में अब तक किए गए विभिन्न उपायों से लगातार कमी आ रही है और बैंकों की स्थिति पहले से काफी बेहतर है।

पिछले 3 साल के एनपीए आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च 2005 को बैंकों की यह राशि 483 अरब 99 करोड़ रुपये थी। मार्च 2006 में यह घटकर 421 अरब 6 करोड़ और मार्च 2007 में 389 अरब 73 करोड़ रुपये रह गई। इन तीनों मौकों पर यह राशि बैंकों के कुल कर्ज का 5.5, 3.7 और 2.7 फीसदी रह गई। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक तो यह 1 फीसदी के आसपास आ गई है।

सरकार का कहना है कि बैंकों की एनपीए राशि की स्थिति में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें एनपीए के लिए राशि का प्रावधान करने और उनके वर्गीकरण के कायदे-कानून बनाना आदि शामिल हैं। इसके अलावा बैंक और वित्तीय संस्थानों के कर्ज की रिकवरी से संबंधित डीआरटी एक्ट भी अमल में लाया गया।

रुपये में मजबूती से अरबपतियों की चांदी

नई दिल्ली : रुपये में तेजी शायद एक्सपोर्ट सेक्टर के कई लोगों की नौकरियों पर भारी पड़ रही है, लेकिन इसने देश के अरबपतियों की मुस्कान में जरूर इजाफा कर दिया है। ध्यान रहे कि इनकी संपत्ति का 10 फीसदी हिस्सा रुपये की मजबूती के कारण आया।

अमेरिकी बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स के मुताबिक, दुनिया भर में 54 भारतीय ऐसे हैं, जिनके पास अरबों डॉलर की संपत्ति है और उनकी कुल संपत्ति 368 अरब डॉलर है। रिटेल व्यवसायी किशोर बियानी सहित इनमें से 5 अरबपतियों ने पिछले 1 साल के दौरान रुपये में डॉलर के मुकाबले आई 14 फीसदी मजबूती की वजह से अरबपतियों के क्लब में जगह बनाई।

Wednesday, 21 November 2007

कच्चा तेल करीब 100 डॉलर

सोल- डॉलर के निम्नतम स्तर तक गिर जाने तथा अमेरिका में जाड़ों के दौरान आपूर्ति को लेकर चिंता बढ़ने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में बुधवार को कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के बिल्कुल करीब पहुँच गया।

जनवरी में डेलीवरी के लिए यूएस लाइट क्रूड एक डॉलर से अधिक उछलकर 99.29 डॉलर प्रति बैरल की रिकार्ड ऊँचाई पर चला गया। मंगलवार के दाम में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले सात नवम्बर को कच्चा तेल 98.62 डॉलर प्रति बैरल की नई ऊँचाई पर पहुँच गया था।

बाद में कच्चे तेल के दाम में हल्की नरमी आई और यह 61 सेंट की बढ़त के साथ 98.64 डॉलर तक आ गया। इस साल के शुरू से अब तक इसके दाम में करीब 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। लंदन ब्रेंट 50 सेंट ऊपर 95.99 डॉलर प्रति बैरल बोला गया।

कोरिया नेशनल आयल कॉर्पोरेशन के कच्चा तेल मामलों के विश्लेषक कू जा कोन का कहना है कि कच्चे तेल के दामों में बढ़त लाजिमी है क्योंकि बाजार में सट्टेबाजी का जोर है और डॉलर कमजोर पड़ता जा रहा है। इसके अलावा जाड़ों के दौरान तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की ओर से कम आपूर्ति को लेकर चिंता व्याप्त है।

ओपेक की बैठक पाँच दिसम्बर को सऊदी अरब के रियाद में होनी है। उसमें उत्पादन बढ़ाने के बारे में चर्चा होनी है। ओपेक गत सितम्बर में पाँच लाख बैरल प्रति दिन उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार हो गया था लेकिन उससे भी कीमतें कम नहीं हुईं। अमेरिका चाहता है कि ओपेक उत्पादन बढ़ाए लेकिन ओपेक के अनेक सदस्यों का मानना है कि सट्टेबाजी और राजनीति के कारण तेल के दाम बढ़ रहे हैं।

साउथ इंडियन बैंक में 300 रुपए का लक्ष्य

एजेंल ब्रोकिंग के राजेन शाह की राय है कि साउथ इंडियन बैंक का लक्ष्य 300 रुपए होना चाहिए।

शाह ने ‘सीएनबीसी-टीवी18’ से कहा, “हमारी खरीदी की सूची में साउथ इंडियन बैंक है, जो निजी क्षेत्र का छोटा बैंक है। हम इस शेयर को 60 रुपए से ही खरीद रहे हैं। अभी शेयर 180 रुपए के स्तर पर चल रहा है। मैं इस शेयर को लेकर तेजी में हूं। हमारा लक्ष्य 300 रुपए का है।”

उन्होंने आगे कहा, “फिलहाल यह 2009 की आय से दस गुना चल रहा है। मेरा ख्याल है कि 2009 के बाद इस कम्पनी का अधिग्रहण हो जाएगा या कहीं विलय हो जाएगा। उसके बाद ‘पीई रेशियो’ के मामले में इसकी कीमत बढ़नी तय है। मुझे यहां से शेयर में 50 फीसदी सुधार की सम्भावना दिखती है। जहां तक सरकारी स्मॉलकैप बैंकों का मसला है, पीई रेशियो में कुछ विस्तार होना ही चाहिए।”

एस्सार स्टील खरीदें, दो साल रखें

एंजेल ब्रोकिंग के राजन शाह को लगता है कि एस्सार स्टील का शेयर खरीदा जा सकता है।

शाह ने ‘सीएनबीसी-टीवी18’ से कहा, “मैं निश्चित रूप से एस्सार स्टील का शेयर खरीदूंगा। मुझे लगता है कि यह कम्पनी वित्त वर्ष 2009 में 50 रुपए के आसपास की आय पर पहुंच सकती है। शेयर के ‘डिलिस्टिंग’ की कीमत 48 रुपए तय हुई है। यह आय से तीन गुनी है।”

दूसरे चर्चित स्टॉक

शाह ने कहा, “एस्सार स्टील में मुझे कम से कम सौ फीसदी मुनाफे की सम्भावना है। निवेशक यह कर सकते हैं कि बाजार से शेयर खरीदें और 20-24 महीने का इंतजार कर लें, क्योंकि आखिर यह कहीं तो सूचीबद्ध होगा ही। यह यूरोपीय बाजार में सूचीबद्ध होगा या स्टरलाइट की तरह एक या दो साल बाद दोबारा सूचीबद्ध होगा। इसलिए एस्सार स्टील में अच्छी सम्भावनाएं दिखती हैं। एस्सार शिपिंग भी अच्छी कीमत दे सकता है।”

टैक्स भरने में भारतीय अव्वल

आम धारणा है कि कमाई चाहे करोड़ों में हो लेकिन इनकमटैक्स देने से कमोबेश हर भारतीय शख्स अपनी जान छुड़ाना चाहता है। इसके बावजूद आपको यह जानकर हैरत होगी कि टैक्स के जरिए सरकार की झोली भरने के मामले में भारतीय लोग समूचे एशिया में अव्वल हैं। एचआर कंसलटेंसी फर्म मर्सर द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, कुल वेतन में से टैक्स के नाम जाने वाली रकम के लिहाज से भारतीय लोगों का एशियाभर में कोई सानी नहीं है।

Tuesday, 20 November 2007

ताकि आसानी से मिल जाए क्लेम

इंश्योरेंस टिप्सकान के तहत वीइकल का इंश्योरेंस कराना अनिवार्य तो है ही, लेकिन वीइकल की सुरक्षा के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण है। वीइकल को हादसे से हुए नुकसान या इसके चोरी हो जाने पर इंश्योरेंस क्लेम के जरिए आप क्षतिपूर्ति कर सकते हैं। इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम लेने के लिए उठाए जाने वाले कुछ जरूरी कदम:

दुर्घटना या वीइकल चोरी हो जाने की स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी को तत्काल इस बारे में बता देना चाहिए। कहने का मतलब है कि आप क्लेम जल्दी से जल्दी फाइल कर दें।

आपने जहां इंश्योरंस पॉलिसी खरीदी है, वहां से दूर, किसी दूसरे शहर में हादसा हो गया, तो इंश्योरेंस कंपनी के सबसे नजदीक के ऑफिस में क्लेम कीजिए। हादसे में वीइकल को हुए नुकसान की भरपाई के लिए क्लेम किए जाने की स्थिति में ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां 'स्पॉट सवेर्' करती हैं। अगर दुर्घटना गंभीर है, तब तो यह और ज्यादा जरूरी हो जाता है। इसलिए हादसे के तत्काल बाद कंपनी को इस बारे में जानकारी देना जरूरी है, ताकि कंपनी जितनी जल्दी हो सके, स्पॉट सवेर् कर ले। इससे क्लेम लेने में आसानी रहती है।

अगर किसी हादसे में आपके वीइकल को नुकसान पहुंचा हो, तो इसे मरम्मत कराने के लिए अथॉराइज्ड सर्विस सेंटर पर ले जाना होता है। वीइकल कंपनी के अथॉराइज्ड सर्विस सेंटर के मैकेनिक से मरम्मत पर आने वाले अनुमानित खर्च (एस्टिमेट) की जानकारी ले लें। यह एस्टिमेंट इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम फॉर्म के साथ जमा करना होता है। क्लेम फॉर्म पूरी तरह भर कर इंश्योरेंस कंपनी के दफ्तर में जमा कराएं। इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी आपके केस की तहकीकात के लिए सर्वेयर बहाल करता है। क्लेम का निपटारा जल्दी कराने के लिए इंश्योरेंस कंपनी को तमाम दस्तावेज (मसलन एफआईआर की कॉपी, चालान वगैरह) तत्काल उपलब्ध करा दें।

सर्वेयर वर्कशॉप जाकर आपके वीइकल की हालत देखेगा और उसी आधार पर क्लेम की रकम तय की जाएगी। इस बात का ध्यान रखें कि जब तक सर्वेयर आपके क्षतिग्रस्त वीइकल का जायजा नहीं ले ले, उसकी मरम्मत का काम शुरू मत कराएं। सर्वेयर को दिए जाने वाले जरूरी कागजात में इंश्योरेंस पॉलिसी की एक कॉपी, ड्राइविंग लाइसेंस और वीइकल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की एक कॉपी शामिल हैं। जब वीइकल की मरम्मत से आप अपनी ओर से संतुष्ट हो जाएं, तो एक बार फिर इंश्योरेंस कंपनी को इत्तला कर दें।

हो सकता है कि कंपनी एक बार फिर वीइकल का जायजा लेना चाहे। मरम्मती के बाद इंश्योरेंस कंपनी के पास बिल की ओरिजिनल कॉपी, कैश मेमो, बिल पे करने का सबूत (रसीद) आदि कागजात जमा करा दें, ताकि आपके क्लेम का निपटारा जल्दी हो सके।जब आपका क्लेम अप्रूव हो जाए, तो वीइकल के खराब पुर्जे (जो बदले गए हैं) वगैरह इंश्योरेंस कंपनी के पास जमा करा दें। ऐसा नहीं करने पर कंपनी आपके द्वारा क्लेम की गई राशि में कटौती कर सकती है।
वीइकल चोरी होने की स्थिति में तत्काल एफआईआर कराएं। इसकी जानकारी इंश्योरेंस कंपनी और आरटीओ को भी दे दें। म्यूनिसिपल अथॉरिटी को भी चोरी की लिखित जानकारी दे दें और उनके रिकॉर्ड में इसे दर्ज करा दें, ताकि बाद में किसी तरह के जुर्माने से बचा जा सके।

पुलिस से इनवेस्टिगेशन रिपोर्ट लेकर उसे इंश्योरेंस कंपनी के पास जमा कराएं। गाड़ी की चाबी भी कंपनी को सौंप दें। कंपनी आपसे इंश्योरेंस पॉलिसी की ओरिजिनल कॉपी भी मांगेगी। क्लेम का निपटारा हो जाने के बाद रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को इंश्योरेंस कंपनी के नाम ट्रांसफर करना होता है। अगर वीइकल किसी ने बंधक बना रखी है या जब्त कर ली है, तो इस स्थिति में फाइनैंसर से 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' लेना होता है। यह सर्टिफिकेट नहीं लिया गया है तो क्लेम की रकम वीइकल फाइनैंस करने वाले को मिल जाती है।

एशिया में सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं इंडियन एम्प्लॉईज

नई दिल्ली : भारतीय कर्मचारी अपनी सैलरी पर एशिया में सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं। इंडियन एम्प्लॉईज की ग्रॉस सैलरी का 29.1 परसेंट हिस्सा टैक्स और सोशल सिक्युरिटी कॉन्स्ट्रिब्यूशन के रूप में सरकारी खजाने में चला जाता है। एशिया में सैलरी पर सबसे कम टैक्स सऊदी अरब में लगता है। वहां सिर्फ 5 परसेंट टैक्स लिया जाता है। वह भी इनकम टैक्स नहीं, सोशल सिक्युरिटी के रूप में। दुनिया में बेल्जियम में सबसे ज्यादा 50.5 परसेंट टैक्स काटा जाता है।

इंटरनैशनल एचआर कंसल्टेंसी फर्म मर्सर ने दुनिया के 32 देशों में इंडिविजुअल टैक्स की तुलना करके सोमवार को रिपोर्ट जारी की। इसके लिए पर्सनल टैक्स स्ट्रक्चर, ऐवरेज सैलरी और मैरिटल स्टेटस को प्रमुखता से आंका गया। सर्वे से पता चला कि कुंआरे कर्मचारियों के मुकाबले शादीशुदा कर्मचारी कम टैक्स देते हैं। लेकिन सभी देशों में यह स्थिति नहीं है। भारत, ब्राजील और तुर्की में शादीशुदा कर्मचारियों को उतना ही टैक्स देना पड़ता है, जितना कुंआरे कर्मचारियों को।

दुनिया में कुंआरे कर्मचारियों से सबसे कम टैक्स लेने वालों में सऊदी अरब के बाद रूस (13 % ), हांगकांग (14.2 % ), ताइवान (14.6 % ) और सिंगापुर (16.4 % ) हैं। एशिया की लिस्ट में भारत का नंबर सबसे नीचे है यानी बाकी एशिया देशों के मुकाबले भारत में कर्मचारी ज्यादा टैक्स देते हैं। ग्लोबल लिस्ट में भारत के कुंआरे एम्प्लॉई 14वें नंबर पर, शादीशुदा (बिना बच्चे वाले) 20वें नंबर पर और दो बच्चे वाले शादीशुदा कर्मचारी 22वें नंबर पर हैं। हंगरी (30वां नंबर) में 48.5 % , डेनमार्क (31वां नंबर) में 48.6 % और बेल्जियम (32वां नंबर) में 50.5 % टैक्स और सामाजिक सुरक्षा योगदान ग्रॉस इनकम से वसूला जाता है।

म्यूचुअल फंडों को मिली शॉर्ट सेल की इजाजत

सरकार ने तेजी के नए रेकॉर्ड बना रहे स्टॉक मार्केट्स पर अंकुश लगाने के लिए म्यूचुअल फंडों को शेयरों की 'शॉर्ट सेल' की इजाजत दे दी है। जानकारों का कहना है कि इससे शेयरों में बनावटी तेजी रुकेगी। आम निवेशकों को ऊंचे दामों में शेयर खरीद लेने से जो नुकसान हो रहा है, उस पर भी रोक लगेगी। शॉर्ट सेल शुरू होने से शेयरों की वास्तविक कीमत सामने आ जाएगी। सेबी के अध्यक्ष एम. दामोदरन का कहना है कि कोशिश यह की जा रही है कि शेयर बाजार में कारोबार संतुलित रहे।

क्या है शॉर्ट सेल?

शॉर्ट सेल का मतलब है कि शेयरों को बेचने के बाद उसकी डिलिवरी न की जाए। यानी शेयर बेचने के सौदे हो जाएं, मगर शेयर न दिए जाएं। बाद में शेयरों के बाई बैक यानी दोबारा खरीदने का विकल्प खुला रहेगा। शेयर बाजार में वायदा कारोबार के तहत शेयरों की खरीद-फरोख्त की तो सबको इजाजत है, मगर शॉर्ट सेल की इजाजत पहली बार म्यूचुअल फंडों को दी गई है।

करेक्शन की स्ट्रैटिजी

सरकार का मकसद शेयर बाजार में उम्मीद से ज्यादा तेजी को रोकना है। शॉर्ट सेल से बाजार में टेक्निकल करेक्शन हो सकता है। म्यूचुअल फंडों के पास फंड की कोई कमी नहीं है। अगर शॉर्ट सेल के दौरान म्यूचुअल फंड किसी को शेयर बेचते हैं, तो उनके पास उसे दोबारा खरीदने का विकल्प खुला रहेगा। ऐसे में वे बाजार को संतुलित करेंगे और मंदी लाने की कोशिश करेंगे। तभी उनको शेयर दोबारा खरीदने में फायदा होगा। एक ओर फॉरन इनवेस्टर्स तेजी लाने के लिए शेयरों को खरीदने में लगे हुए हैं। अगर म्यूचुअल फंड मंदी लाने के लिए शेयरों को बेचेंगे, तो हालात काफी संतुलित हो जाएगा।

आम निवेशकों को फायदा

वैल्यू रिसर्च के धीरज कुमार का कहना है शॉर्ट सेल की इजाजत के बाद म्यूचुअल फंड अपने फायदे के लिए सही शेयरों की कीमतों को तर्कसंगत बनाने की कोशिश करेंगे। इससे आम निवेशकों को शेयरों की वास्तविक कीमत का अंदाजा हो जाएगा। अगर आम निवेशक म्यूचुअल फंडों द्वारा खरीदे गए शेयरों पर निगाह रखेंगे, तो उनका फायदा होगा।

फिलहाल सही कदम!

यूटीआई म्यूचुअल फंड के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर जयदीप भट्टाचार्य का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए इसे अच्छा फैसला कहा जा सकता है। इससे बाजार में अनिश्चितता समाप्त होगी। शेयरों को बेचने व खरीदने का दौर एक साथ चलेगा। बाजार में किसी की मानॉपली नहीं होगी। सब अपनी स्ट्रैटिजी के तहत काम करेंगे। आम निवेशकों को बाजार की स्टडी करने में ज्यादा आसानी होगी।

तेल की सप्लाई व ग्लोबल वॉर्मिंग पर ओपेक का संकल्प

तेल का उत्पादन करने वाले बड़े देशों के नेताओं ने दुनिया भर में तेल की सप्लाई को भरोसेमंद बनाने और दुनिया के बढ़ते तापमान की समस्या से निपटने का संकल्प किया है। सोमवार को खत्म हुए सभी ओपेक देशों के शिखर सम्मेलन के बाद ईरान के राष्ट्रपति महमूद अमदीनेजाद ने कहा कि अभी हमारी व्यापारिक मुद्रा अमेरिकी डॉलर है जिसे बदलने पर सदस्य देश विचार कर रहे हैं। इस सम्मेलन के शुरू में वेनेजुएला के राष्ट्रपित ह्यूगो शावेज ने कहा था कि अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो तेल की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।

Monday, 19 November 2007

मिड कैप और स्माल कैप शेयरों पर खरीदारों का ध्यान

मुंबई. छोटी कंपनियों के शेयरों में तेजी से हलचल बढ़ रही है। विदेशी निवेशक (एफआईआई) पी-नोट दिशानिर्देशों से पहले के दिनों की तरह दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। वे इंडेक्स शेयरों से बच रहे हैं और अब उनका रुख छोटे शेयरों की ओर हो गया है। नवंबर में अब तक जहां सेंसेक्स सपाट रहा है, बीएसई मिड कैप और स्माल कैप शेयरों के इंडेक्स तेजी से बढ़े हैं। सेंसेक्स में 0.13 फीसदी गिरावट आई है, वहीं मिड कैप 6.85 फीसदी बढ़ गया है। स्माल कैप तो और भी ज्यादा 7.6 फीसदी बढ़ा है।

सेंट्रम ब्रोकिंग के देवेश कुमार का कहना है कि छोटे शेयरों में ऐसी गति की उम्मीद थी। पिछले दिनों मिड कैप और लार्ज कैप इंडेक्स में अंतर बढ़ गया था। विदेशी निवेशकों ने 788 करोड़ रुपए लगाए, फिर भी सेंसेक्स में 145 अंकों की गिरावट आई। बाजार के जानकारों की राय है कि विदेशी निवेशक भी छोटे शेयरों में धन लगा रहे हैं।

फंडों का ध्यान बैंक, बिजली शेयरों पर
मुंबई. घरेलू फंडों के प्रबंधक बैंकों, एनर्जी, कैपिटल गुड्स और कंस्ट्रक्शन कंपनियों में ध्यान लगा रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि घरेलू शेयर बाजार चंचल रहेंगे, क्योंकि अमेरिकी गिरावट का असर दिखेगा। कई फंड अपने नकदी का इस्तेमाल शार्ट टर्म के पेपर में लगाने पर विचार कर रहे हैं।

झुनझुनवाला के साथ फंड वेंचर में उतरेगी शिंसेई बैंक

मुंबई. जापान के शिंसेई बैंक लि. ने अरबपति निवेशक राकेश झुनझुनवाला के साथ मिलकर भारत में म्यूचुअल फंड्स बेचने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताबिक Billionaire Rakesh Jhunjhunwala यह वेंचर अपने कारोबार की शुरुआत अगले साल के प्रारंभ से कर सकता है। शिंसेई बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी एन सेतुराम की सेवाएं ली हैं, अगस्त में बैंक ने उन्हें अपनी भारतीय इकाई शिंसेई कारपोरेट एडवाइजरी सर्विसेज प्रा. लि. का चीफ इनवेस्टमेंट ऑफीसर नियुक्त किया है।

झुनझुनवाला के जुड़ने पर शिंसेई बैंक को भारत के उस म्यूचुअल फंड उद्योग में तेजी से विस्तार का मौका मिलेगा जो पिछले 12 महीनों में लगभग दोगुना होकर 142 अरब डालर के निशान को पार कर गया है। बिजनेस वीक पत्रिका के एक आकलन के मुताबिक 46 वर्षीय झुनझुनवाला ने पिछले साल 1 अरब डालर की राशि कंपनियों में निवेश की है, जिनमें क्रिसिल लि. और प्राज इंडस्ट्रीज लि. के नाम शामिल हैं।

फिलहाल इस उद्यम का नाम तय नहीं हुआ है लेकिन सूत्रों का कहना है कि शिंसेई बैंक और झुनझुनवाला की हिस्सेदारी क्रमश: ७५ और 15 फीसदी की रहेगी जबकि बाकी हिस्सेदारी कंपनी के कर्मचारियों के पास रहेगी। संपर्क किए जाने पर झुनझुनवाला और शिंसेई बैंक के प्रवक्ता डोनाल्ड मैकिनटायर ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

अरबपति निवेशक वारेन बफेट और जॉर्ज सोरोस के प्रशंसक झुनझुनवाला ने जनवरी 2004 में प्राज इंडस्ट्रीज में निवेश किया था। उसके बाद से अब तक इस कंपनी के शेयर भाव में 36 गुना इजाफा हो चुका है। यह कंपनी गैरपरंपरागत स्रोतों से बिजली बनाने वाले उपकरणों का निर्माण करती है। झुृनझुनवाला की स्टेंडर्ड एंड पुअर्स में भी 7.6 फीसदी की हिस्सेदारी है। जनवरी 2005 के बाद से इस शेयर की कीमत में 5 गुना वृद्धि दर्ज हुई है।

पिछले एक साल में बीएसई में सेंसेक्स 44 फीसदी मजबूत हुआ है। इस दौरान देश के शेयर बाजारों का आकार भी लगभग दोगुना होकर 1.66 लाख करोड़ डालर के निशान को पार कर गया है।

* ‘‘भारत के म्यूचुअल फंड बाजार में काफी संभावनाएं हैं। झुनझुनवाला इस बाजार की जानी मानी हस्ती हैं, शिंसेई बैंक को शुरुआती दिनों में इसका लाभ जरूर मिलेगा।’’

फंड में धन लगाएं, पर चमत्कारों से बचें

मुंबई. प्रिंसीपल रिसर्जेट इंडिया इक्विटी फंड ने 15 नवंबर 2003 को खत्म साल में 147.11 फीसदी मुनाफा कमाया। उस समय की तमाम डाइवर्सिफाइड स्कीमों फंड में धन लगाएंमें यह सबसे ऊपर था। अगले ही साल इसका रिटर्न 30.65 फीसदी पर और सूची में इसका नाम 39वें स्थान पर आ गया।

अक्सर फंड स्कीम बेचने वाले पिछले साल के कामकाज को ही दिखाते हैं। ध्यान रखना चाहिए कि इन स्कीमों का प्रदर्शन और नतीजे तेजी से बदलते हैं। ‘डीएनए मनी’ के विश्लेषण से पता लगता है कि 15 नवंबर 2003 के हिसाब से दस में से केवल तीन स्कीम ऐसी थीं, जो एक साल बाद भी सूची में जगह बरकरार रख सकीं। वहीं 15 नवंबर 2004 की टॉप टेन में से केवल पांच स्कीमें ऐसी थीं जो एक साल बाद जगह बनाए रख सकीं। बल्कि 2005 में तो दस में से एक ही स्कीम अपनी जगह कायम रख सकी थी।

अगर नवंबर 2006 में देखें तो दस में तीन स्कीमें ऐसी थीं, जो एक साल बाद अपनी जगह बरकरार रख सकीं। हुआ यह है कि टॉप टेन बनाने वाली स्कीमें अक्सर अगले साल की सूची से गायब हो जाती हैं। साफ है कि म्यूचुअल फंडों के एक साल के रिटर्न की रणनीति काम नहीं करती है। लेकिन जब किसी साल में कोई स्कीम अच्छा प्रदर्शन करती है तो उसी को दिखाकर धन बटोरा जाता है।

क्यों होता है ऐसा:
जब किसी स्कीम में निवेश की मात्रा बढ़ती है तो पूरे कामकाज पर एक शेयर का असर घट जाता है। यानी फंड मैनेजर को ऐसे मल्टी-बैगर शेयरों में धन लगाना होगा, जिनसे स्कीम लगातार अच्छा प्रदर्शन करे। यह संभव नहीं हो पाता है। मल्टी-बैगर शेयर वे हैं जिनकी संभावनाओं का पता बाजार को तब तक लगता नहीं है। ऐसा शेयर चुनने में जोखिम भी रहता है। जब किसी फंड में धन आता है तो फीस से होने वाली आय भी बढ़ जाती है। ऐसे में फंड मैनेजर जोखिम लेने से बचने लगता है।

कैसे करें चुनाव:
1. किसी स्कीम का 3-5 साल का प्रदर्शन देखें। जो स्कीम 3-5 साल तक सूची में स्थान बनाए रखती है, तो आगे भी बनाए रखेगी।
2. अगर 15 नवंबर 2006 के हिसाब से देखें तो टॉप टेन में से सात स्कीमें पांच साल में रिटर्न के हिसाब से अपनी जगह कायम रख पाईं।

बीपीओ कंपनियों का मिशन विलेज

नई दिल्लीः बीपीओ कंपनियां अब गांवों का रुख कर रही हैं। इसकी वजह बड़े शहरों में रीयल एस्टेट की बढ़ती लागत और नौकरी छोड़ने वालों की तादाद में हो रही बढ़ोतरी है। सत्यम कंप्यूटर जैसी कंपनियां अपनी प्रॉडक्टिविटी बरकरार रखने के लिए बीपीओ यूनिटों को ग्रामीण इलाकों में भेज रही हैं।

सत्यम लेजान और डेटामेशन जैसी आईटी कंपनियां आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पहले ही अपने बीपीओ सेंटर खोल चुकी हैं। ये सेंटर ग्रामीण इलाकों के लोगों को रोजगार देने के अलावा इन कंपनियों को कारोबार के अच्छे अवसर भी प्रदान करते हैं।

सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के प्रमुख (ग्राम आईटी और हाई एंड सर्विसेज) रवि कुमार मेदुरी का कहते हैं कि शहरी बीपीओ के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ऑपरेटिंग कॉस्ट 50 फीसदी से भी कम है। साथ ही शहरी लोगों के मुकाबले ग्रामीण कर्मचारियों की प्रॉडक्टिविटी ज्यादा है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में बीपीओ केंद्र स्थापित करने की लागत शहरी क्षेत्र के मुकाबले दो वजहों से कम होती है। बुनियादी ढांचा और रोजगार की लागत।

सत्यम की योजना 2008 तक पूरे देश के ग्रामीण इलाकों में 10 और सेंटर स्थापित करने की है। एक अन्य बीपीओ फर्म डेटामेशन अगले साल तक इन इलाकों में 15 बीपीओ सेंटर खोलेगी। अलबत्ता आईटी इंडस्ट्री संगठन नैस्कॉम ने रूरल बीपीओ सेंटरों के बारे में आशंका जताई है।

Saturday, 17 November 2007

महंगाई की दर 3 फीसदी से ज्यादा

नई दिल्ली: पेट्रोलियम पदार्थ और कारखानों में बना सामान महंगा होने से 3 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में महंगाई की दर एक हफ्ता पहले की तुलना में 0.14 फीसदी बढ़कर 3.11 फीसदी हो गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्नालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की समान अवधि में यह 5.45 फीसदी थी। हालांकि आलोच्य सप्ताह में फल, सब्जियां, ज्वार, पोल्ट्री चिकन, मक्का और अरहर सस्ती हुई। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार महंगाई की दर अनुमान से कुछ ऊपर रही। हालांकि कुल मिलाकर महंगाई की दर रिजर्व बैंक के अनुमान के भीतर है। अलबत्ता विश्लेषकों ने आने वाले सप्ताह में महंगाई की दर बढ़ने का अंदेशा जताया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण देश में महंगाई बढ़ने का खतरा बना हुआ है।

यूरोप में मंदी से सेंसेक्स 87 पॉइंट डाउन

मुंबईः यूरोप और एशिया के शेयर बाजारों में गिरावट के समाचारों से यहां भी बिकवाली का दबाव दिखा। बम्बई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 87 अंक और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 5 अंक नीचे बंद हुए। यूरोप के शेयर बाजारों में ऋण संकट को लेकर उभरी ताजी चिंता का असर दिखा। टॉप यूरोपियन शेयर का एफटीएसईयूरोफर्स्ट 300 सूचकांक 0.62 प्रतिशत गिरकर 1496.60 अंक पर बंद हुआ। इससे पहले कारोबार के दौरान यह दो माह के न्यूनतम 1494.30 अंक तक गिरा।

जापान का निक्की 1.6 प्रतिशत अर्थात 241.69 अंक के नुकसान से 14154.61 अंक रह गया। ताइवान और हांगकांग के शेयर बाजारों में भी गिरावट देखी गई।

सत्र की शुरुआत में बीएसई का सेंसेक्स 19784.89 अंक की तुलना में 19603.09 अंक पर खुला और ऊंचे में 19838.03 तथा नीचे में 19472.51 अंक तक लुढ़कने के बाद कुल 86.53 अंक की गिरावट से 19698.36 अंक पर बंद हुआ। गत दिवस की भांति सेंसेक्स में गिरावट के बावजूद मिडकैप और स्मॉलकैप में क्रमश: 98.29 तथा 153.07 अंक की अच्छी तेजी दर्ज की गई। कैपीटल गुड्स, आईटीसी, बैंकिंग और धातु सूचकांक नीचे आए जबकि एफएमसीजी, ऑयल एंड गैस और ऑटोमोबाइल क्षेत्र के सूचकांकों में सुधार दिखा।

एनएसई का निफ्टी 5.25 अंक अर्थात 0.09 प्रतिशत की गिरावट से 5906.85 अंक पर बंद हुआ।

सेंसेक्स में गिरावट के बावजूद बीएसई में कारोबार के लिहाज से रुख सकारात्मक दिखा। सत्र में कुल 2,865 कंपनियों के शेयरों में कामकाज हुआ। इसमें से 1914 कंपनियों के शेयर बढे़, 907 में नुकसान और 44 में स्थिरता रही। सेंसेक्स की तीस कंपनियों में नफा-नुकसान का नंबर आधा-आधा रहा।

नुकसान वाले पहले दस शेयरों में धातु कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में सर्वाधिक 5.52 प्रतिशत की गिरावट रही। रुपये की मजबूती के चलते आईटी वर्ग की कंपनी इन्फोसिस टेकनोलॉजीज के शेयर में 1623.50 रुपये पर 1.79 प्रतिशत अर्थात 29.55 रुपये निकल गए। रैनबक्सी लैब, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस कम्युनिकेशन्स, टाटा स्टील, एनटीपीसी, रिलायंस एनर्जी और भेल सेंसेक्स के घाटे वाले पहले दस शेयरों में शामिल थे।

सेंसेक्स की लाभ वाली श्रेणी में आईटीसी लिमिटेड का शेयर 8.17 प्रतिशत यानि 15.50 रुपये की छलांग से 205.15 रुपये पर बंद हुआ।

सीमेंट वर्ग की अग्रणी ग्रासिम इंडस्ट्रीज का शेयर 3890 रुपये पर 7.49 प्रतिशत अर्थात 270.95 रुपये की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई।

डॉ. रेड्डी लैब, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, मारुति सुजुकी, भारती एयरटेल, एसबीआई, हिंदुस्तान यूनीलीवर, विप्रो और सिप्ला लिमिटेड सेंसेक्स के फायदे वाले पहले दस शेयरों में रहे।

एयरलाइंस के बाद चल पड़ी किंगफिशर एक्सप्रेस

रेलवे ने छुट्टी के सीजन को देखते हुए गोरखपुर और बेंगलुरू के बीच चल रही हॉलिडे स्पेशल ट्रेन को किंगफिशर एक्सप्रेस नाम दिया गया है। विजय माल्या की कंपनी युनाइटेड ब्रेवरीज ने अपने ब्रैंडनेम को प्रचारित करने के लिए ट्रेन को अपनी कंपनी का नाम दिया है।

0501 किंगफिशर एक्सप्रेस 8 नवंबर से गोरखपुर से यशवंत नगर (बेंगलुरू) के बीच चल रही है। इस बाबत कंपनी ने नॉर्थ ईस्ट रेलवे डिविजन से एक समझौता किया है। नवंबर में यह ट्रेन चार ट्रिप लगाएगी। कंपनी के अधिकारी आनंद कृष्ण ने बताया कि ट्रेन गोरखपुर से चलकर कानपुर होते हुए यशवंतपुर जाएगी। नॉर्थ ईस्ट रेलवे जोन के चीफ कमर्शल मैनेजर वी. के. तिवारी ने बताया भविष्य में ऐसे और प्रस्ताव मिलने पर रेलवे उन पर विचार करेगी।

बाजार से 600 करोड़ जुटाएगी गोदरेज

नई दिल्ली। गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड के निदेशक मंडल ने 2.79 करोड़ शेयर जारी करके करीब 600 करोड़ रुपए उगाहने को मंजूरी दे दी है।

कम्पनी ने आज यहां एक बयान में बताया कि निदेशक मंडल ने पांच अरब 99 करोड़ 99 लाख 94 हजार 250 करोड़ रुपए मूल्य के दो करोड़ 79 लाख 06 हजार 950 शेयर जारी करने को मंजूरी दी है। इनमें से प्रत्येक शेयर की कीमत 215 रुपए होगी।

Friday, 16 November 2007

सेंसेक्स 144 पॉइंट नीचे

मुंबईः देश के शेयर बाजारों में मुनाफावसूली का जोर रहने से गुरुवार को गिरावट का रुख रहा। बैंकिग और इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी (आईटी) कंपनियों के शेयरों में बिकवाली का दबाव अधिक रहने से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 144 अंक और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 26 अंक नीचे बंद हुआ।

बुधवार को एक दिन की रेकॉर्ड तेजी के साथ बंद हुए शेयर बाजारों का रुख कारोबार के शुरू में पॉजिटिव था। लेकिन बाद में इसमें गिरावट आ गई। एशियाई शेयर बाजारों में गिरावट के असर ने भी देसी बाजारों पर असर डाला। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के महासचिव गुरिया के मुताबिक अमेरिका के जोखिम वाले आवास ऋण यानी सबप्राइम मॉर्गेज संकट का प्रभाव अभी खत्म नहीं हुआ है। इसका कुल कितना असर पड़ेगा इस बारे में और जानकारी की जरूरत है।

सत्र की शुरुआत में सेंसेक्स बुधवार के के 19929.06 अंक के मुकाबले करीब 20 अंक ऊंचा खुला। फिर यह सरककर ऊंचे में 19967.08 अंक जाने के बाद बिकवाली दबाव में आ गया। यह 240 अंक से अधिक गिरकर नीचे में 19723.20 अंक तक आया। समाप्ति पर यह 144.17 अंक यानी 0.72 फीसदी के नुकसान से 19784.89 अंक पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी 25.80 अंक यानी 0.43 फीसदी के नुकसान से 5912.10 अंक रह गया।

गौरतलब है कि सेंसेक्स ने बुधवार को एक दिन में 894 अंक की तेजी के साथ बंद होने का रेकॉर्ड बनाया था। सेंसेक्स में गिरावट के बावजूद बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप ने तेजी की सेंचुरी लगाई। ये दोनों क्रमश: 128.46 और 188.28 अंक ऊंचे रहे। सबप्राइम की चिंता में बैंकेक्स 172.80 अंक टूट गया। रुपये की मजबूती से आईटी सूचकांक में 83.83 अंक की कमी रही। ऑयल एंड गैस, रीयलिटी और कैपिटल गुड्स में अच्छी बढ़त दिखी।

गिरावट के साथ खुले बाज़ार, सेंसेक्स 312 पॉइंट

मुंबई : दुनिया के दूसरे बाज़ारों से कमजोरी के संकेत मिलने के बाद भारतीय शेयर बाज़ारों में लगातार दूसरे दिन भी बिकवाली का दौर जारी है। इसकी वजह से शुरुआती कारोबार में ही बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 312.8 पॉइंट गिरकर 19472.51 पर पहुंच गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 94.70 पॉइंट गिरकर 5817.40 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।


मझोले व छोटे शेयर आज भी बड़े शेयरों को पछाड़ रहे हैं। मेटल, बैंकिंग, टेलिकॉम और फार्मा सेक्टर पर बिकवाली का दबाव दिखाई दे रहा है। आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, सत्यम, भेल, विप्रो, और इंफोसिस में गिरावट है।

एशिया के सभी मुख्य बाज़ार गिरावट पर कारोबार कर रहे हैं। हैंग सेंग, ताईवान व्हेटेड, स्ट्रेट टाइम्स, सियोल कम्पोजिट में बिकवाली का दौर जारी है।

इंटरेस्ट रेट में तब्दीली के आसार नहीं

नई दिल्लीः देश में पब्लिक सेक्टर के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पब्लिक सेक्टर के ही केनरा बैंक ने आने वाले कुछ दिनों में इंटरेस्ट रेट में किसी तरह की तब्दीली न होने की बात गुरुवार को कही। इन बैंकों ने कहा कि महंगाई दर नीचे है और बैंकों के पास पर्याप्त लिक्विटिडी है। लिहाजा इंटरेस्ट रेट में किसी तरह के बदलाव के आसार नजर नहीं आ रहे। फिलहाल इसके सॉफ्ट रहने की ही संभावना है और इसके बढ़ने का तो सवाल ही नहीं।

वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ बैंकरों और एक्सपोर्टरों की बैठक गुरुवार को थी। इस बैठक में हिस्सा लेने आए एसबीआई के चेयरमैन ओ. पी. भट्ट ने पत्रकारों को बताया - पिछले दिनों इंटरेस्ट में कुछ कमी की गई है। आने वाले दिनों में इसके जस के तस रहने के आसार हैं और फिर ये कुछ सॉफ्ट यानी कम हो सकते हैं।

केनरा बैंक के सीएमडी एम. बी. एन. राव ने भी कुछ इसी तरह की राय जाहिर की। राव ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम में पुख्ता लिक्विडिटी है। महंगाई दर भी कम है। ऐसे में आने वाले दिनों में इंटरेस्ट रेट के सॉफ्ट और जस के तस रहने की संभावना है। राव ने कहा कि महंगाई दर के काबू में होने की वजह से इंटरेस्ट रेट में किसी तरह की बढ़ोतरी की संभावना नजर नहीं आती। हालांकि ग्लोबल लेवल पर तेल की बढ़ती कीमत चिंता का विषय है और इस पर ध्यान से नजर रखे जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इंटरनैशनल लेवल पर ब्याज दरें कम होने से भारत में फंड का प्रवाह बढ़ेगा यानी ज्यादा पैसा आएगा। इससे लिक्विडिटी में और इजाफा होगा।

ब्रिटिश कंपनी के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा की पहल

नई दिल्लीः बैंक ऑफ बड़ौदा अपनी गतिविधियों का विस्तार करते हुए ब्रिटेन की लीगल एंड जनरल के साथ जीवन बीमा कारोबार के संयुक्त उद्यम के लिए शुक्रवार को यहां सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा।

बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डा. अनिल खंडेलवाल ने बैंक की लघु ऋण गतिविधियों के लिए जयपुर के सेंटर फॉर माइक्रोफाइनैंस के साथ समझौते के अवसर पर यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा, आंध्र बैंक के साथ मिलकर ब्रिटेन की लीगल एंड जनरल कंपनी के साथ जीवन बीमा कारोबार के लिए संयुक्त उद्यम स्थापित करेगा। वित्तमंत्नी पी. चिदंबरम की उपस्थिति में इसके लिए सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

खंडेलवाल ने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नैशनल बैंक और आंध्र बैंक के साथ मिलकर मलयेशिया में भी अपनी बैंकिंग गतिविधियां चलाएगा। इस इकाई में सर्वाधिक 40 फीसदी इक्विटी बैंक ऑफ बड़ौदा की होगी जबकि पीएनबी के पास 35 और आंध्र बैंक के पास 25 परसेंट इक्विटी होगी।

खंडेलवाल ने कहा कि बैंक ने ग्रामीण क्षेत्नों तक अपनी पहुंच बनाने और किसानों और पिछडे़ तबकों को अपने साथ जोड़ने के लिए माइक्रो फाइनैंस केन्द्र को अपने साथ जोड़ा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के डूंगरपुर से शुरू कर बैंक बीकानेर तक अपनी लघु ऋण गतिविधियां बढ़ायेगा। इन गतिविधियों के तहत जिले में करीब 300 स्वंय सहायता समूहों को बैंक से जोड़ना, किसानों और ग्रामीणों को विभिन्न व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण देना उनका बौद्धिक विकास करना तथा छोटी से छोटी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने का काम होगा।

Thursday, 15 November 2007

स्पाइसजेट अपने किराए बढ़ाएगी

नई दिल्ली : कम किराये वाली प्राइवेट एयरलाइन्स स्पाइसजेट ने बुधवार को 'हवा' में बातें की और कहा कि कंपनी अगले 6 महीने में फेयर में 5 से 7 फीसदी की बढ़ोतरी करेगी। मौका था अपने बेड़े में पहले बोइंग 737-900 ईआर विमान को शामिल करने की घोषणा का। इसके लिए कंपनी ने आसमान में उड़ती हुई उद्घाटन फ्लाइट में प्रेस कॉन्फ्रेंस का अनोखा तरीका अपनाया।

' ऑन बोर्ड' पत्रकार सम्मेलन कुछ कुछ वैसा ही था, जैसा प्रधानमंत्री अपनी विदेशी यात्राओं के समय करते हैं। जहाज के केबिन मेगाफोन के जरिए पत्रकारों ने स्पाइसजेट के टॉप अधिकारियों से बातचीत की। स्पाइसजेट के कार्यकारी अध्यक्ष सिद्धांत शर्मा ने कहा कि बढ़ी हुई ईंधन की कीमतों के कारण हम अपने किराए में बढ़ोतरी करेंगे।

यह फ्लाइट गुड़गांव के चिल्ड्रेंस विलेज के 40 बच्चों के लिए 'जॉय राइड' भी साबित हुई। इन बच्चों को दिल्ली और आसपास 30,000 फीट ऊपर एक घंटे की उड़ान का लुत्फ उठाकर बाल दिवस मनाने का न्योता दिया गया था।

बोइंग की नवीनतम पेशकश 737-900 ईआर विमान को शामिल करने के साथ ही स्पाइसजेट 212 सीटों वाले सबसे बड़े विमान को घरेलू उड़ानों के लिए इस्तेमाल करने वाली एयरलाइंस बन गई है। सितंबर 2008 तक ऐसे 4 और विमानों को बेड़े में शामिल करने की योजना है।

यह विमान एक समय में 3200 नॉटिकल माइलस (5,925 किलोमीटर) की उड़ान भर सकता है। शुरुआत में यह विमान बुधवार से दिल्ली-गोवा-मुंबई मार्ग पर लगाया गया है। स्सपाइसजेट ने इतनी लम्बी उड़ान का यह जहाज यह सोचकर लिया है कि अगले वर्ष इसे विदेशी रूटों पर जाने की अनुमति मिल जाए। उम्मीद है कि सिविल एविएशन मंत्रालय विदेशी रूटों के लिए 5 वर्ष की शर्त घटाकर 3 वर्ष कर देगा।

स्पाइसजेट के विमान 17 शहरों के लिए हर रोज 100 उड़ानें भरते हैं। बेड़े में अभी 17 अत्याधुनिक बोइंग 737-800 विमान हैं। 2010 तक बेड़े में 30 विमान होने की उम्मीद है। ट्रैवल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने हाल में मलयेशिया में स्पाइसजेट को सर्वश्रेष्ठ किफायती विमान सेवा पुरस्कार 2007 दिया। स्पाइसजेट ने सेकंड एसी यात्रियों को अपने कम किरायों से शुरू से ही लुभाने की कोशिश की है। यह बताने पर कि रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने दावा किया है कि वह ट्रेन पैसेंजरों को अतिरिक्त सुविधाएं देकर उन्हें किफायती वायु सेवाओं की तरफ जाने से रोकेंगे, स्पाइसजेट के डाइरेक्टर अजय सिंह ने कहा रेलवे हमसे कभी कॉम्पीट नहीं कर सकती। जैसे-जैसे भारतीय ज्यादा अमीर हो रहे हैं और समय के महत्व को समझ रहे हैं, वैसे-वैसे रेल यात्री हमारी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। बहरहाल, मुझे यह जानकर खुशी है कि रेल मंत्री हमें अपना कॉम्पिटिटर मानने लगे हैं।

सेंसेक्स ने फिर लगाई ऊंची छलांग

मुंबईः अमेरिकी लोन संकट के बादल छंटने के बाद दुनिया के बाजारों में तेजी की खबरों के बीच बुधवार को देश के शेयर बाजारों ने अंकों के हिसाब से एक दिन की सर्वाधिक बढ़त के साथ ऊंची छलांग लगाई। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक 894 अंक यानी लगभग 5 फीसदी और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी सूचकांक 242 अंक यानी करीब 4 फीसदी ऊपर चला गया।

अमेरिकी कंपनियों के आला अधिकारियों के निवेशकों को देश की बैंक प्रणाली की मजबूती का एक बार फिर से भरोसा दिलाए जाने से ऋण संकट को लेकर चिंता कम होने के कारण विश्व बाजारों में तेजी आ गई। तेल एवं गैस, धातु, बैंकिंग और कैपिटल गुड्स कंपनियों के शेयरों में भारी लिवाली का जोर रहने से शेयर बाजारों में लगातार दूसरे दिन तेजी रही। देश में अमेरिका के साथ परमाणु समझौते को लेकर वामपंथी दलों के नरम पड़ जाने की खबरों से भी बाजार को अच्छा समर्थन मिला। इसके अलावा इस रिपोर्ट का भी शेयर बाजारों पर सकारात्मक असर पड़ा कि कई प्रमुख विदेशी निवेशक बाजार नियामक सेबी के पास एफआईआई के रूप में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर रहे हैं। लिवाली का इतना जोर रहा कि सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के शेयर बढ़त में रहे। बीएसई में कुल 2,850 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ। उनमें से 2024 यानी 71.02 फीसदी लाभ में रहीं और सिर्फ 764 यानी 26.81 फीसदी के शेयर नीचे आए।

बैंकों की ब्याज दरें कम करने पर विचार

नई दिल्ली : बैंक ग्राहकों के लिए खुशखबरी। फेस्टिवल सीजन के बाद प्राइवेट और सरकारी बैंक ब्याज दरों की समीक्षा करने जा रहे हैं। अगर गुंजाइश हुई तो वे ब्याज दरों में कमी कर सकते हैं। प्राइवेट सेक्टर की अग्रणी बैंक आईसीआईसीआई की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर चंदा कोचर का कहना है कि हमने कहा था कि अगर कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) नहीं बढ़ाया गया तो ब्याज दरों में कटौती पर विचार करेंगे।

आरबीआई ने सीआरआर सिर्फ आधा फीसदी बढ़ाया है। इसके बावजूद हमने नए लोन पर कम ब्याज दरों की कई स्कीमें बाजार में उतारीं। हम पुराने ग्राहकों को भी लाभ देना चाहते हैं। फेस्टिवल सीजन के बाद ब्याज दरों की समीक्षा की जाएगी। बैंक के कारोबार व बैलेंस शीट को देखा जाएगा। फिर निर्णय किया जाएगा।

बारामती वाइनरी में 100 करोड़ निवेश करेगी युनाइटेड स्पिरिट्स

मुंबईः विजय माल्या की कंपनी युनाइटेड स्पिरिट्स ने 300 एकड़ भूमि में फैली बारामती वाइनरी में 100 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई है। कंपनी के व्यापार प्रमुख (शराब) अभय केवदकर ने बताया कि कंपनी 5 साल में 100 करोड़ रुपये निवेश करेगी। उन्होंने बताया कि पहले साल में हम 20 करोड़ रुपये निवेश करेंगे। युनाइटेड स्पिरिट्स ने मुंबई में अपनी फेंच शराब बोवे लादुबे को पेश करने की घोषणा की है। कंपनी की भारत में बारामती वाइनरी द्वारा तैयार की गई पहली शराब फोर सीजन को दिसंबर तक पेश करने की योजना है। केवदकर ने बताया कि जनवरी या फरवरी में हम फोर सीजन का निर्यात ब्रिटेन, अमेरिका एवं फ्रांस में करेंगे।

Wednesday, 14 November 2007

पेट्रोल-डीजल के दाम अभी नहीं बढ़ेंगे

नई दिल्ली में चुनावों के ठीक पहले सरकार पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ाने का साहस नहीं जुटा पा रही है। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा है कि फिलहाल कीमतें बढ़ाने की जरुरत नहीं है। कीमतों में वृद्धि का फैसला सही समय पर लिया जाएगा। देवड़ा ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि कीमतें बढ़ाने का सही समय क्या होगा।

देवड़ा ने कहा कि लागत से कम कीमत पर पेट्रो उत्पाद बेचने से सरकारी तेल कंपनियों को जो नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई पेट्रो बांड और रुपए की मजबूती से हो रही है।

वित्त मंत्री से बातचीत:
आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में देवड़ा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफे के कारण घरेलू पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ाने का मसला उठा है। वित्त मंत्री से इस बारे में बातचीत हुई है। पेट्रो उत्पादों की कीमत में वृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत स्थिर होने की प्रतीक्षा की जाएगी।

सही वक्त कब?
पत्रकारों ने कीमत बढ़ाने का सही समय पूछा, तो देवड़ा सवाल टाल गए। अंत में कहा कि उनकी सरकार गरीब व आम आदमी पर कोई बोझ नहीं डालना चाहती है।

पेट्रोल की राजनीति
* पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा का कहना है कि पेट्रोल की कीमतें फिलहाल बढ़ाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि रुपए की मजबूती और तेल बांड से भरपाई हो रही है।
* प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की राय में पेट्रोलियम, उर्वरक की सब्सिडी के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य पर खर्च नहीं कर पा रही है सरकार।
* पेट्रोलियम कंपनियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल सौ डॉलर के आसपास चल रहा है, जिससे उनके घाटे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कीमतें बढ़ाना भी एक विकल्प है।
* वित्तमंत्री पी चिदंबरम पेट्रोलियम पदार्थो पर लागू शुल्कों में कटौती को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि राजस्व के लिए टैक्स की दरें बढ़ानी होंगी।

ओपेक देश तेल उत्पादन नहीं बढाएंगे
लंदन. तेल निर्यातक देशों का संगठन ‘ओपेक’ इस सप्ताह के अंत में सऊदी अरब की राजधानी रियाद में होने वाली बैठक में तेल उत्पादन बढ़ाने की घोषणा नहीं करेगा। सउदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री अली नाइमी ने फाइनेंशियल टाइम्स को एक इंटरव्यू में यह जानकारी देते हुए उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत १क्क् डालर प्रति बैरल से अधिक नहीं बढ़ेंगी।

फीस चुकाने पर ही रहेगा नंबर वही

नई दिल्ली. मोबाइल नंबर बदले बिना ऑपरेटर बदलने की सुविधा यानी ‘नंबर पोर्टेबिलिटी सुविधा’ मुफ्त नहीं हासिल होगी। इसके लिए नए ऑपरेटर को शुल्क चुकाना होगा।

कई देशों में प्रभावी है यह सुविधा : इस समय यूएसए, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, सिंगापुर, हांगकांग और यूके समेत कई देशों में नंबर पोर्टेबिलिटी योजना प्रभावी है। इनमें से कई देशों में नए ग्राहक के आने पर नया ऑपरेटर पुराने ऑपरेटर को अपनी ओर से एक निश्चित राशि देता है, जो उनके बीच आपसी समझौते से संभव होता है।

सुविधा पर कितना खर्च:
ट्राई के मुताबिक नंबर पोर्टेबिलिटी पर कुछ समय पहले तक 900 करोड़ रुपए का खर्च आंका गया था। यह कार्य अब 400 करोड़ रुपए में हो सकता है। जिसे सभी कंपनियों को मिलकर वहन करना होगा।

कैसे काम करेगा सिस्टम:
एक केंद्रीकृत डाटा सेंटर बनाया जाएगा। यह सभी ऑपरेटर के सिस्टम से जुड़ा होगा। सभी ऑपरेटर के एक्सचेंजों में सिग्नल ट्रांसफर प्वाइंट (एसटीपी) लगा होगा। जहां से नंबर पोर्टेबिलिटी सेवा लेने वाले उपभोक्ता के सिग्नल नए ऑपरेटर के पास ट्रांसफर किए जाएंगे।

भारत में कैसे लागू होगी
* वोडाफोन, एयरटेल और आइडिया के प्रतिनिधियों ने कहा है कि यह मसला वह अगली बैठक में तय करेंगे लेकिन इसके लिए कोई न कोई शुल्क उपभोक्ता को देना होगा।

* सीडीएमए तकनीक आधारित ऑपरेटरों के संगठन एयूएसपीएल के महासचिव एससी खन्ना ने कहा कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में यह उपभोक्ता के बिल पर निर्भर करेगा। अगर किसी उपभोक्ता का महीने का बिल अधिक होगा तो संभव है कि नया ऑपरेटर ऐसे ग्राहक का शुल्क पुराने ऑपरेटर को दे। दूसरी तरफ अगर किसी उपभोक्ता का मासिक बिल सिर्फ पचास रुपए ही हो तो फिर ऐसे ग्राहक को तो ऑपरेटर बदलने का शुल्क स्वयं देना पड़ेगा। हालांकि इस पर अंतिम फैसला ट्राई करेगा।

* इस मसले पर दूरसंचार नियामक ट्राई के सलाहकार सुधीर गुप्ता का कहना है कि उपभोक्ता को कुछ शुल्क देना होगा। अगर नया ऑपरेटर यह चाहेगा कि वो उन पर विश्वास जताने वाले ग्राहक से कोई शुल्क न ले तो यह उन पर निर्भर करेगा।

ईपीएफ के 5 फीसदी का स्टॉक में निवेश का प्रस्ताव

नई दिल्लीः ईपीएफ बोर्ड कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड का 5 फीसदी हिस्सा शेयर बाजार में निवेश करने के प्रस्ताव पर विचार करेगा। लेबर मिनिस्टर ऑस्कर फर्नांडिस ने यह जानकारी दी।

2007-08 के लिए ब्याज दर तय करने को ईपीएफ सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक के मद्देनजर फर्नांडिस ने कहा कि शेयर बाजारों में ईपीएफ फंड के निवेश का विकल्प अब भी खुला है। उन्होंने कहा कि मैं बोर्ड के सदस्यों के साथ इस मुद्दे पर दो बार पहले भी चर्चा कर चुका हूं और इस पर आम राय बनाने के लिए एक बार फिर इस मुद्दे पर चर्चा करूंगा। उन्होंने कहा कि चूंकि बोर्ड सदस्य जिनमें लेफ्ट ट्रेड यूनियंस भी शामिल हैं को इस प्रस्ताव पर आपत्ति हैं, इस वजह से हम बॉन्ड जैसे सुरक्षित विकल्प का रास्ता चुन सकते हैं।

सेंसेक्स ने ली तगड़ी उछाल

मुंबईः परमाणु मुद्दे पर वामपंथियों के नरम पड़ने की खबरों से देश के शेयर बाजारों ने पिछले छह कारोबारी दिवसों की गिरावट के बाद पलटी मारी। बम्बई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 298 अंक और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 78 अंक उछाल के साथ बंद हुआ। हालांकि कारोबार की शुरुआत में बाजार पर एशियाई शेयर बाजारों में गिरावट के समाचारों का असर दिख रहा था, किंतु इन खबरों के जोर पकड़ने से कि वामपंथी दलों का परमाणु मुद्दे पर रुख नरम पड़ा है, बाजार ने सुधार की तरफ रुख किया।

बीएसई सेंसेक्स कारोबार के शुरू में 18736.27 अंक की तुलना में करीब 50 अंक नीचा 18681.10 अंक पर खुला और इसमें कारोबार के दौरान अच्छी उठापटक देखी गई। ऊंचे में 19210.48 तथा नीचे में 18636.21 अंक तक लुढ़कने के बाद समाप्ति पर यह कुल 298.21 अंक अर्थात 1.59 फीसदी की बढ़त से 19035.48 अंक पर बंद हुआ।

एनएसई का निफ्टी 78.30 अंक अर्थात 1.39 परसेंट की बढ़त से 5695.40 अंक पर पहुंच गया।

बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप में क्रमश: 168.56 तथा 181.65 अंक की बढ़त रही। बैंकेक्स 351.73 अंक, कैपीटल गुड्स 667.96, धातु 280.67 और रियलटी 199.60 अंक पर ऊंचे रहे। रुपये की मजबूती के चलते आईटी सूचकांक 39.41 अंक और नीचे आया।

बीएसई में 2821 कंपनियों के शेयरों में लेनदेन किया गया। इसमें 1852 में लाभ, 906 में नुकसान और 63 में स्थिरता रही। सेंसेक्स की तीस कंपनियों में नफा-नुकसान का आंकड़ा 19 तथा 11 का रहा।

सेंसेक्स में करीब तीन सौ अंक की बढ़त के बावजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मंदी और रुपये की मजबूती से आईटी की चारों बड़ी कंपनियों के शेयर नीचे आए। सर्वाधिक बढ़त इस वर्ग की तीसरी बड़ी कंपनी विप्रो लिमिटेड के शेयर में 3.59 प्रतिशत रही। कंपनी का शेयर 16.40 रुपये घटकर 441.05 रुपये रह गया।

आईटी की अग्रणी टीसीएस के शेयर में 1.53 प्रतिशत और दूसरी बड़ी इन्फोसिस टेकनोलोजीस में 0.88 प्रतिशत का नुकसान हुआ। यह क्रमश: 14.70 रुपये 14.85 रुपये नीचे आकर 949 और 1627.50 रुपये पर बंद हुए। इस वर्ग की चौथी बड़ी सत्यम कंप्यूटर में 410.55 रुपये पर 0.62 प्रतिशत यानि 2.55 रुपये निकल गए।

Tuesday, 13 November 2007

शेयर बाजार में क्या है दिलचस्प?

आरएनआरएल में निवेश कर सकते हैं

निवेश सलाहकार एसपी तुलसियन का मानना है कि हाल के स्तर पर निवेशक आरएनआरएल में निवेश कर सकते हैं।

तुलसियन ने ‘सीएनबीसी-टीवी18’ को बताया, “अगर आप इस स्टॉक की मौलिक स्थिति को देखकर निवेश करना चाहते हैं और आप एक दो महीने तक धैर्य रख सकते हैं तो हाल के स्तर पर आरएनआरएल में निवेश कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि यह स्टॉक 125 रुपए के नीचे आता हुआ नहीं दिख रहा है। इसलिए जो निवेशक इसमें निवेश करना चाहते हैं उनके लिए यह सही समय है। कुछ महीने का धैर्य यह अच्छा मुनाफा दे सकता है।

दूरसंचार क्षेत्र अच्छा है

यूएसबी सिक्योरिटीज के मानिशी रायचौधरी का दूरसंचार क्षेत्र के प्रति काफी सकारात्मक नजरिया है।

रायचौधरी ने ‘सीएनबीसी-टीवी18’ को बताया, “दूरसंचार क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा के बावजूद यहां सम्भावनाएं अच्छी है। मैंने अपने पोर्टफोलियो में दूरसंचार क्षेत्र को इसलिए ज्यादा तवज्जो दिया है, क्योंकि यहां हर महीने 70-80 लाख नए ग्राहक जुड़ रहे हैं। इन कारणों से नए खिलाड़ियों के लिए भी बहुत जगह खाली है। इसलिए दूरसंचार क्षेत्र के स्टॉक मेरे पसंदीदा स्टॉक हैं।”

500 के स्तर को छू सकता है नाल्को

तकनीकी विश्लेषक अश्वनी गुजराल के मुताबिक 378-380 रुपए के ऊपर नाल्को 500 रुपए के स्तर को छू सकता है।

गुजराल ने ‘सीएनबीसी-टीवी18’ को बताया कि नाल्को काफी मजबूत नजर आ रहा है। यह 330 के पास गिरकर आ सकता है। लेकिन जब एक बार जब यह स्टॉक 373-380 रुपए के स्तर के ऊपर ठहरता है तो यह 500 रुपए के स्तर तक जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर हिंडाल्को 200-205 रुपए के स्तर के आसपास बना रहता है तो यह 245 रुपए के स्तर तक जा सकता है।

जेएसडब्ल्यू में निवेश की सलाह

पिंक रिसर्च ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे ‘जेएसडब्ल्यू स्टील’ में 1,110 रुपए के लक्ष्य मूल्य के साथ निवेश करें।

जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड की दूसरी तिमाही के नतीजे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और कम्पनी के लागत और उगाही पर दबाव था।

लौह अयस्क और कोयला की कीमतों में वृद्धि और रुपए की मजबूती की वजह से निर्यात में कमी आई है।

हाल के बाजार मूल्य 924 रुपए पर कम्पनी का स्टॉक कीमत आय के 8.2 गुना और ईवी/ईबीडीआईटी के 5.5 गुना वित्त वर्ष 09 के अनुमान के साथ कारोबार कर रहा है।

हम 12 महीने के लक्ष्य मूल्य 1110 रुपए के साथ इस स्टॉक में निवेश की सलाह देते हैं।

शेयर बाजार दबाव में बने रहेंगे

नई दिल्ली: अमेरिका के ऋण बाजार की स्थिति को लेकर उत्पन्न गहरी चिंता ने रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड बना रहे देश के शेयर बाजारों में बीते सप्ताह लगाम लगा दी और मुनाफावसूली के जोर के बीच आगामी हफ्ते भी इस सिलसिले के बने रहने की आशंका है।

विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल जो वैश्विक बाजारों की स्थिति है, उसे देखते हुए और तकनीकी सुधार की गुंजाइश है।

दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपिटल मार्केट्स के प्रमुख अशोक कुमार अग्रवाल की राय में आगामी सप्ताह अमेरिका समेत अन्य वैश्विक बाजारों की स्थिति को देखते हुए मुनाफावसूली का जोर रहने की सम्भावना है। अग्रवाल का कहना है कि बाजार में तकनीकी सुधार की अधिक उम्मीद नजर आ रही है।

उधर सभी उम्मीदों के विपरीत बीते सप्ताह देश के शेयर बाजारों पर अमेरिका के ऋण बाजार की स्थिति भारी पड़ी। वैश्विक शेयर बाजारों की तरह यहां भी शेयर बाजार टूट गए।

मुम्बई शेयर बाजार (बीएसई) में पांचों कारोबारी दिवसों में गिरावट रही। दीवाली के शुभ मुहूर्त कारोबार और हिन्दू वर्ष 2064 की शुरुआत पर पिछले सात वर्षों के दौरान पहली बार सेंसेक्स नीचे आया।

बीते सप्ताह शेयर बाजारों में तेज उतार-चढ़ाव बना रहा। सप्ताह के शुरू में 20 हजार अंक से ऊपर निकला बीएसई का सेंसेक्स सप्ताहांत 1,068.63 अंक अर्थात 5.35 प्रतिशत की जोरदार गिरावट से 18,907.60 अंक रह गया। सप्ताह के दौरान यह नीचे में 18,737.22 तथा ऊपर में 20,009.35 अंक तक चढ़ा।

विश्लेषकों का कहना है कि अल्पकालिक लिहाज से तकनीकी सुधार की अधिक गुंजाइश है। वैश्विक स्थिति को देखते हुए विदेशी संस्थानों की बिकवाली से शेयर बाजारों पर दबाव बढ़ा है।

नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 269.15 अंक अर्थात 4.54 प्रतिशत की गिरावट से 5,663.25 अंक रह गया।

विश्लेषकों का कहना है कि मुद्रास्फीति के वर्तमान में पांच वर्ष के न्यूनतम स्तर और चालू वित्त वर्ष के दौरान नौ प्रतिशत की विकास दर को देखते हुए आवश्यक तकनीकी सुधार के बाद बाजारों के फिर से उठने की उम्मीद बनी हुई है।

सत्ताईस अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में मुद्रास्फीति की दर पांच वर्ष में पहली बार तीन प्रतिशत से नीचे 2.97 प्रतिशत रह गई। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की रिकॉर्ड कीमतों को देखते हुए घरेलू बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढोतरी की स्थिति में मुद्रास्फीति पर फिर से दबाव पड़ सकता है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पार्टिसिपेटरी नोट्स पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले के बाद से विदेशी संस्थान बाजार में बिकवाल नजर आ रहे हैं। सत्रह अक्टूबर को आए इस प्रस्ताव के बाद से विदेशी संस्थानों ने करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपए का निवेश निकाल लिया है।

गत सप्ताह पांचों कारोबारी दिवसों में बिकवाली का जोर रहने से बाजार निरंतर टूटते रहे। सोमवार को 385.45 अंक टूट सेंसेक्स दीवाली के मूहुर्त कारोबार में भी इससे ऊबर नहीं पाया। मुहूर्त कारोबार में सेंसेक्स में 151.33 अंक और निफ्टी में 35.50 अंक का नुकसान हुआ।

अमेरिकी ऋण बाजार की स्थिति को देखते हुए बीते सप्ताह बैंकिग क्षेत्र के शेयर पर बिकवाली का दबाव दिखा। उधर रुपए की मजबूती ने सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनियों पर असर दिखाया। अमेरिकी की अर्थव्यवस्था की मंद गति को देखते हुए भी देश से सॉफ्टवेयर का निर्यात करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनियों के शेयर दबाव में है क्योंकि इनकी आय का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है।

इंडियन आईटी कंपनियों की नजर अब जापान पर

नई दिल्ली : अमेरिका और यूरोप के बाद अब इंडियन आईटी कंपनियां जापान के मैदान-ए-जंग में उतरने की तैयारी में हैं। आईटी प्रॉडक्ट्स और सर्विस के मामले में जापान विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।

गौरतलब है कि जापान के इन्फर्मेशन सुपरहाइवे पर इस देश की भाषा और संस्कृति इन कंपनियों की राह में रोड़ा हैं। हालांकि, जापानी आउटसोर्सिंग मार्केट के परिपक्व होने की वजह से आईटी कंपनियां मौका गंवाना नहीं चाहतीं और इसके लिए चुनौतियों से निपटने को तैयार हैं।

हाल में विप्रो ने तोक्यो स्थित कंपनी ओकई इलेक्ट्रिक इंडस्ट्री की वायरलेस डिजाइन इकाई का अधिग्रहण किया है। इसके जरिए विप्रो की जापान और पूर्व एशिया में पांव पसारने की योजना है। विप्रो के जापान और एशिया पसिफिक वाइस प्रेजिडेंट वेंकटेश हलिकल कहते हैं कि इस अधिग्रहण के जरिए हमें जापान में अपनी पहुंच का दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी। विप्रो ने करीब एक दशक पहले ही जापान में अपने पांव रखे थे, लेकिन उसका रेवेन्यू सिर्फ 3-4 फीसदी था। वेंकटेश के मुताबिक, कंपनी प्रॉडक्ट इंजीनियरिंग, इंटरप्राइज ऐप्लिकेशन और फाइनेंशल सल्यूशंस में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में जुटी है। साथ ही कंपनी ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों को हायर कर रही है। उन्होंने कहा कि जापान मैन्युफैक्चरर्स की भारतीय बाजारों में बढ़ती दिलचस्पी के मद्देनजर आईटी कंपनियों को भी फायदा होगा, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग के साथ डिजाइन के लिए भी पर्याप्त अवसर पैदा होंगे।

जापान में आईटी सर्विसेज का अनुमानित मार्केट 95.3 अरब डॉलर का है। अगले साल यह बढ़कर 107 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

पटनी के वाइस प्रेजिडेंट (एशिया पसिफिक) दीपक खोसला कहते हैं कि अब तक भारतीय आईटी कंपनियों की जापान पर फोकस करने की परंपरा थी। इसकी वजह यह है कि वहां का बाजार बिल्कुल अलग है। अलग भाषा और संस्कृति भी इस राह में बड़ी बाधा हैं। वर्तमान में पटनी को 4.5 फीसदी रेवेन्यू जापान से प्राप्त होता है। अगले तीन साल में कंपनी की योजना इसे 8 से 9 फीसदी तक करने की है।

फाइनेंशल प्लानिंग की अनदेखी क्यों?

अक्सर लोग फाइनेंशल प्लानिंग की अनदेखी करते हैं। इसकी वजह कई हो सकती हैं, लेकिन अंतत: यह आपके मजबूत आर्थिक भविष्य के लिए ठीक नहीं है।

सॉफ्टवेयर प्रफेशनल रोहित ढींगरा फाइनेंशल प्लानिंग का 'शौक' पालते हैं, लेकिन उनका यह शौक आधा-अधूरा ही है। उन्होंने कुछ साल पहले अपने दोस्तों से कई फाइनेंशल प्लानर्स के फोन नंबर लिए थे। इनमें से कुछ को फोन करने के बाद एक प्लानर से मुलाकात के लिए उन्होंने वक्त भी लिया, लेकिन तय वक्त पर रोहित फाइनेंशल प्लानर के पास पहुंचे ही नहीं। मुलाकात फिर से तय करने में उन्हें ठीक नहीं लगा, सो रोहित ने फिर उस प्लानर से बात ही नहीं की।

छह महीने बाद वह किसी दूसरे फाइनेंशल अडवाइजर से मिले। इस बार उन्होंने थोड़ी होशियारी दिखाई और अपने लिए एक फाइनेंशल प्लान तैयार किया। रोहित ने एक महीने बाद दोबारा उस प्लानर से मिलने की बात तय की। इस बीच, उन्हें दूसरे ज्यादा जरूरी काम आ गए और ऐन वक्त पर उन्हें बहन की शादी के लिए होमटाउन जाना पड़ गया। वह महीना बीत जाने के बाद फाइनेंशल प्लानिंग की बात रोहित के लिए अतीत की बात हो गई। अब एक साल बीत गया है, लेकिन रोहित का यह शौक मिटा नहीं है। उनका कहना है कि वह जल्द ही अपने लिए फाइनेंशल प्लानिंग करेंगे और इनवेस्टमेंट शुरू करेंगे। रोहित का उदाहरण इकलौता नहीं है। उनकी तरह कई लोग फाइनेंशल प्लानिंग को गंभीरता से नहीं लेते।

कल की कल देखेंगे

फाइनेंशल प्लानिंग को लोग आखिर गंभीरता से क्यों नहीं लेते हैं? एक सर्टिफाइड फाइनेंशल प्लानर के मुताबिक ज्यादातर मामलों में इसकी वजह आलस्य है। वह बताते हैं, 'जब तक कोई क्राइसिस सामने नहीं आ जाए, तब तक लोग आम तौर पर फाइनेंशल प्लानिंग करते ही नहीं। यही वजह है कि कई लोग तब तक हेल्थ पॉलिसी भी नहीं खरीदते, जब तक कि उन्हें ऐसी पॉलिसी नहीं होने का खमियाजा नहीं भुगतना पड़ जाता।' फाइनेंशल प्लानिंग को लेकर लोगों की निष्क्रियता की एक वजह यह भी है कि वे यह मान कर चलते हैं कि भविष्य के बारे में सोचने के लिए उनके पास पर्याप्त वक्त है।

क्या कमी है, जो प्लान करें

फाइनेंशल अडवाइजर्स की राय में फाइनैंस के मामले में प्लानिंग से लोगों के दूर रहने की एक वजह यह भी है कि कई लोग यह मान कर चलते हैं कि ऐसा करना अमीर लोगों के लिए जरूरी है, जिनके पास काफी पैसा है। आम धारणा है कि कम पैसे वाले लोगों के लिए फाइनेंशल प्लानिंग की जरूरत ही नहीं है। एक्सपर्ट्स ऐसा नहीं मानते। उनकी राय में ऐसा सोचने वालों को यह महंगा पड़ सकता है। एक म्यूचुअल फंड मैनेजर बताते हैं, 'मैं जब भी किसी इनवेस्टर कैंप में जाता हूं, तो मुझे यह देखकर बड़ी हैरानी होती है कि वहां ज्यादातर लोग इसी मत के होते हैं कि फाइनेंशल प्लानिंग की जरूरत केवल अमीर लोगों को है। सच तो यह है कि अगर आपके पास पर्याप्त पैसा नहीं है, तो भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्लानिंग की खास जरूरत है।'

एक्सपर्ट होने की जरूरत नहीं

फाइनेंशल प्लानिंग से आम लोगों के दूर रहने की एक वजह यह भी हो सकती है कि लोग यह मानते हैं कि इसके लिए फाइनेंशल मामलों का जानकार होना जरूरी है। फाइनेंशल प्लानर्स भी ऐसा मानते हैं कि लोग समझते हैं कि उन्हें फाइनेंशल मामलों की जानकारी नहीं होने के चलते एक्सपर्ट के सामने शर्मिंदगी महसूस होगी और इस वजह से वे प्रफेशनल एक्सपर्ट्स की मदद लेने से हिचकते हैं। सच तो यह है कि ऐसी सोच का कोई आधार ही नहीं है। आखिर आप एक्सपर्ट की जानकारी का इस्तेमाल करने के लिए ही तो उसकी सेवाएं ले रहे हैं और बदले में उसे पैसे दे रहे हैं। इसलिए फाइनेंशल प्लानिंग के लिए आपका एक्सपर्ट होना जरूरी नहीं है, बल्कि फाइनेंशल प्लानिंग और इनवेस्टमेंट का महत्व समझना जरूरी है।

शुरुआत आज से ही

कारण जो भी हो, कुल मिलाकर यह समझना जरूरी है कि फाइनेंशल प्लानिंग की अनदेखी करना ठीक नहीं है। इसलिए शुरुआत अभी से कर देनी चाहिए- प्रफेशनल एक्सपर्ट की मदद लेकर या अपने दम पर। अगर प्रफेशनल फाइनेंशल प्लानर का चयन करना हो, तो दोस्तों-परिचितों की सलाह ली जा सकती है। दो-तीन एक्सपर्ट्स से मुलाकात कर उनकी साख, कार्यशैली आदि के बारे में जानकारी हासिल कर तुलनात्मक दृष्टि से अंतिम नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।

Monday, 12 November 2007

बढ़ते तेल मूल्य इकॉनमी के लिए खतरनाक

नई दिल्ली : विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर के करीब पहुंचने की वजह से विकासशील इंडियन इकॉनमी को खतरा हो सकता है। इसके साथ ही रुपये की कीमत में बढ़ोतरी और ग्लोबल मंदी भी इकॉनमी की सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के सर्वे में 81 फीसदी सीईओ का मानना है कि विश्व बाजार में सरपट दौड़ते तेल मूल्य को देखते हुए सरकार के समक्ष अब सीमित विकल्प ही बचे हैं और उसे इसका कुछ बोझ उपभोक्ताओं पर डालना पड़ सकता है। सर्वे के मुताबिक, स्थिति काफी पेचीदा हो गई है और अगर इसका निदान ठीक ढंग से नहीं निकाला गया तो इकॉनमी के लिए आनेवाले दिनों में कठिन परिस्थितियां बन सकती हैं।

सर्वे में 180 कंपनियों के प्रमुखों और सीईओ ने अपनी राय व्यक्त की। उनका कहना है कि इस स्थिति से अगर ठीक से नहीं निपटा गया तो 9 फीसदी की आर्थिक विकास दर को बरकरार रखना काफी मुश्किल हो जाएगा। पिछले तीन महीनों के दौरान कच्चे तेल की कीमतें 77 डॉलर प्रति बैरल से बढ़ती हुई 97 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। इसके पीछे भारत और चीन से बढ़ती पेट्रोलियम उत्पादों की मांग, अमेरिका में पेट्रोलियम के भंडार में कमी को मुख्य वजह बताया जा रहा है। वादा तेल बाजार में सटोरियों की गतिविधियां बढ़ने से स्थिति और बिगड़ गई। करीब-करीब सभी व्यापारी अब कच्चे तेल के दाम को लेकर सट्टा लगाने लगे हैं।

सर्वे में भाग लेने वाले ज्यादातर उद्यमी सरकार की तरफ से तेल कंपनियों के नुकसान की भरपाई के लिए और बॉन्ड जारी किए जाने के खिलाफ थे। एसोचैम अध्यक्ष वेणुगोपाल एन. धूत के मुताबिक बॉन्ड का आखिरकार सरकार की वित्तीय स्थिति पर खराब असर होगा। तेल की देनदारी का बोझ बाद में करदाताओं के कंधों पर ही पड़ेगा।

एफडी में कुछ दिन जोड़ने से ज्यादा मुनाफा

मुंबई. दीवाली के बाद क्या कुछ खरीदी बाकी रह गई है? आपके पास पैसा है तो फिक्स्ड डिपाजिट (एफडी) में निवेश की अच्छी सौदेबाजी कर सकते हैं। कुछ साल financeपहले तक एफडी पर ब्याज दरें सभी बैंकों की एक जैसी होती थीं। अब सब कुछ बदल गया है।

क्या बदला
आईसीआईसीआई बैंक एक साल की एफडी पर 6.25 फीसदी की दर से ब्याज देता है। दूसरी तरफ बैंक आफ बड़ौदा (एक साल का स्पेशल डिपाजिट), कापरेरेशन बैंक, ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स और यूको बैंक 9 फीसदी की ब्याज दरें देते हैं। एक्सिस बैंक (पहले यूटीआई बैंक) भी 9 फीसदी ब्याज देता है। आईडीबीआई बैंक अभी 360 दिनों के डिपाजिट पर 9.5 फीसदी ब्याज देता है।

कुछ दिनों का मामला
डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक के साथ भी यह सुविधा है। वह एक साल के डिपाजिट पर 8.3 फीसदी ब्याज देता है। अगर आप चार दिन ज्यादा (369) डिपाजिट रख सकते हैं तो बैंक 9.25 फीसदी ब्याज देता है।

नियमों पर ध्यान दें
कई बैंक हैं जो इन दिनों विशेष डिपाजिट योजनाएं चला रहे हैं। धन जमा करने से पहले नियमों को ध्यान से पढ़ लें। उनमें लाक इन पीरियड हो सकता है, समय से पहले व्रिडाल पर कोई ब्याज नहीं जैसी शर्ते भी हो सकती हैं।

विशेष योजनाएं
अगर आप एफडी पर ज्यादा रिटर्न के लिए बैंक नहीं बदलना चाहते तो दूसरा विकल्प अपना सकते हैं। बैंक आजकल खास अवधि के विशेष एफडी प्रस्ताव देते हैं। इन योजनाओं में साधारण डिपाजिट योजनाओं के मुकाबले ज्यादा ब्याज दिया जाता है। एचडीएफसी बैंक एक साल के स्टैंडर्ड एफडी पर 6.75 फीसदी ब्याज देता है। बाजार में दूसरे लोग 9 फीसदी ब्याज दे रहे हैं, उस माहौल में यह कुछ भी नहीं है। अगर आप निवेश की अवधि में पंद्रह दिन और बढ़ा सकते हैं तो एचडीएफसी से ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं। एचडीएफसी बैंक आपको 1 साल 15 दिन और 1 साल 16 दिन के एफडी पर 9 फीसदी ब्याज दे रहा है।

मुद्रास्फीति न्यूनतम स्तर पर

नई दिल्ली-सरकार और रिजर्व बैंक के प्रयासों से सकल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 27 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में बेशक पाँच वर्ष के न्यूनतम स्तर 2.97 प्रतिशत पर आ गई हो किंतु विश्लेषकों का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में रिकार्ड तोड़ तेजी से घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए जाने की स्थिति में इस पर खासा दबाव पड़ेगा।

सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला दीवाली के बाद करने का फैसला किया है। पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा के अनुसार पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी के समय इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा कि उपभोक्ता पर इसका कम से कम असर पड़े। इसके लिए आयात शुल्क में कटौती और तेल विपणन कंपनियों को और बांड जारी करने जैसे विकल्पों का भी सहारा लिया जा सकता है।


गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बीते सप्ताह 96 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर निकल गईं जिससे देश की तेल विपणन कंपनियों को लागत से कम कीमत पर अपने उत्पाद बेचने से रोजाना करीब 240 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है और वह पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ाने की गुहार कर रही हैं।


सरकार के आँकड़ों के मुताबिक 27 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान मुद्रास्फीति में गिरावट फल एवं सब्जियों, मूँग, उड़द, ज्वार और गुड़ आदि के मंदा होने से दर्ज की गई। हालाँकि इस दौरान आटा, आयातित खाद्य तेल, वनस्पति घी, आटा, अंडा, दूध और चना आदि की कीमतों में वृद्धि भी हुई।


मुद्रास्फीति की दर इस वर्ष बीस अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में 3.02 प्रतिशत और पिछले साल आलोच्य अवधि में 5.35 प्रतिशत थी। सकल उपभोक्ता वस्तुओं का आधिकारिक थोक मूल्य सूचकाँक 27 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में पहले के 215.1 अंक के स्तर पर टिका रहा।

इसकी गणना में शामिल 22.02 प्रतिशत का भारांक रखने वाला प्राथमिक वस्तुओं के समूह का सूचकांक 0.2 प्रतिशत घटकर 225 अंक से 224.5 अंक रह गया। ईंधन, ऊर्जा, प्रकाश एवं लुब्रीकेंट्स का सूचकांक 14.23 प्रतिशत भारांक 323.7 अंक पर टिका रहा। निर्मित उत्पादों के समूह का सूचकांक 63.75 प्रतिशत भारांक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि से 187.4 अंक से 187.6 अंक पर पहुँच गया।

म्यूचुअल फंड: पढ़-समझकर लगाएं पैसा

नई दिल्ली : बाजार की तेजी को देखते हुए इन दिनों कई म्यूचुअल फंड अपने नए ऑफर के साथ बाजार में उतर रहे हैं। इसी तरह कई फंड पहले से चल रही स्कीमों को नए कलेवर के साथ पेश कर रहे हैं। रिटेल इनवेस्टर का एनएफओ की तरफ झुकाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि गाढ़ी कमाई इनवेस्ट करने से पहले इनवेस्टर कुछ बातों का ध्यान रखें। म्यूचुअल फंड में इनवेस्ट करना है तो ऑफर डॉक्युमेंट (ओडी) पढ़े बिना अंतिम फैसला लेना ठीक नहीं रहेगा। ओडी ही वह दस्तावेज है, जिसे पढ़कर स्कीम के बारे में सही जानकारी मिल सकती है और उसकी परफॉरमेंस का भी अंदाज लगाया जा सकता है। अब सवाल उठता है कि सौ-सवा सौ पन्नों के ओडी में से बतौर इनवेस्टर्स आपके काम की कौन सी बातें हैं?

ऑफर डॉक्युमेंट क्या है?

प्रत्येक फंड हाउस जब कोई नई स्कीम लॉन्च करता है, तो इससे जुड़े तमाम नियमों, शर्त और दूसरी बातों की जानकारी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) को देता है। यह जानकारी जिस दस्तावेज के जरिए सेबी को दी जाती है, उसे स्कीम का ऑफर डॉक्युमेंट कहते हैं। इसमें इनवेस्टमेंट का मकसद, रिस्क फैक्टर, लोड व दूसरे खर्च आदि से जुड़ी तमाम जानकारियां दी गई होती हैं।

नाम पर मत जाइए

स्कीम का नाम काफी लुभावना हो सकता है। लेकिन आप नाम पर न जाते हुए इनवेस्टमेंट के मकसद पर जाइए और यह देखिए कि फंड हाउस ने पूंजी को इनवेस्ट करने की योजना बनाई है। कई स्कीम के नाम में 'मैक्समाइजर', 'एनहैंसर' जैसे शब्द लगाकर उन्हें आकर्षक बनाया जाता है। आमतौर पर निवेशक इन शब्दों से यह अर्थ लगाते हैं कि यह स्कीम उनकी इनवेस्टमेंट की गई रकम को बढ़ाने वाली है। पर इस बारे में ज्यादा ठोस संकेत इनवेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव्स के बारे में जानकर ही मिल सकते हैं, नाम से नहीं।

ऐसेट अलोकेशन

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि फंड हाउस ऐसेट अलोकेशन किस तरह करने जा रहा है। अगर किसी स्कीम के तहत 65 फीसदी से ज्यादा रकम इक्विटी में लगाई जाने वाली है तो ऐसी स्कीम को इक्विटी स्कीम कहते हैं। अगर कंपनी इक्विटी व डेट में बराबर-बराबर रकम इनवेस्ट करने जा रही है, तो ऐसी स्कीम बैलेंस्ड स्कीम के रूप में जानी जाती है। बैलेंस्ड स्कीम की तुलना में इक्विटी स्कीम में ज्यादा जोखिम होता है।

स्कीम का कैरेक्टर

यह जान लीजिए कि स्कीम किस तरह की है - ओपन एंडेड विद लॉक इन। ओपन एंडेड स्कीम में कभी भी एंट्री ली जा सकती है और कभी भी उससे बाहर निकला जा सकता है। जबकि क्लोज एंडेड स्कीम में सब्सक्रिप्शन एक ही बार लिया जा सकता है और रीडेंपशन भी न्यूनतम तय समय सीमा के अंतराल पर ही हो सकता है। इस तरह क्लोज एंडेड स्कीम की लिक्विडिटी कम हो जाती है। कुछ ओपन एंडेड स्कीम ऐसी होती है, जिनमें एक लॉक इन पीरियड होता है। यानी इस पीरियड के भीतर रीडेंपशन नहीं हो सकता। चूंकि लिक्विडिटी, यानी रीडेंपशन की आजादी, किसी भी इनवेस्टर के लिए अहमियत रखती है, लिहाजा इनवेस्टमेंट से पहले इस बारे में निश्चिंत हो जाना चाहिए।

एक्सपेंस

किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में इनवेस्टमेंट की लागत क्या आने वाली है, इसका सही-सही पता होना जरूरी है, क्योंकि इसका सीधा असर रिटर्न पर पड़ता है। म्यूचुअल फंड ऑपरेट करने में अडवाइजरी, कस्टोडियल, ऑडिट ट्रांसफर एजेंट व ट्रस्टी फीस और एजेंट कमिशन आदि कई मद में खर्च करने पड़ते हैं, ऑफर डॉक्युमेंट में इन मदों में किए जाने वाले खर्च के बारे में जानकारी दी गई होती है। इसके अलावा, इसमें यह भी बताया गया होता है कि स्कीम में पैसा लगाने पर इनवेस्टर्स को कौन-कौन से चार्जेज देने होंगे। मसलन- एंट्री लोड, एग्जिट लोड, स्विचिंग चाजेर्ज, रेकरिंग एक्सपेंस वगैरह। आपके लिए वैसी स्कीम फायदेमंद रहेगी, जिस पर खर्चे कम आते हों। खर्चे कम होंगे तो फंड हाउस के पास इनवेस्टमेंट के लिए रकम ज्यादा होगी। इनवेस्टमेंट के लिए रकम ज्यादा होगी, तो रिटर्न भी ज्यादा मिलने की उम्मीद बनेगी।

टैक्स का सवाल

अलग-अलग स्कीम पर टैक्स से जुड़ी अलग-अलग रियायतें दी जाती हैं। आमतौर पर इक्विटी आधारित स्कीमों में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से छूट के रूप में आपको बड़ी रियायत मिलती है। बैलेंस्ड व डेट आदि दूसरी स्कीमों में कैपिटल गेन पर अलग-अलग दर से टैक्स लगाया जाता है। इस तरह इन स्कीमों में मिलने साली टैक्स संबंधी रियायत कम हो जाती है। आप अपनी टैक्स संबंधी ठोस प्लानिंग के लिए यह अच्छी तरह जान लें कि आप जिस स्कीम में इनवेस्टमेंट करने जा रहे हैं, उस स्कीम में टैक्स संबंधी क्या और कितनी रियायत मिलने वाली है। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अगर टैक्स के रूप में आपकी अच्छी खासी रकम चली गई तो स्कीम पर मिलने वाला रिटर्न उसी रेश्यो में कम हो जाता है। लिहाजा ऑफर डॉक्युमेंट में 'टैक्स इन्फर्मेशन' वाला सेक्शन ध्यान से पढ़ना चाहिए।

ट्रैक रेकॉर्ड

ऑफर डॉक्युमेंट में फंड हाउस शुरू से ही अपनी परफॉरमेंस के बारे में पूरी जानकारी देता है। इसमें यह अंतराल पर दिए गए रिटर्न, नेट ऐसेट वैल्यू (एनएवी) आदि के बारे में जानकारी दी गई होती है। आपको शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म, दोनों ही तरह की पिछली स्कीम की परफॉरमेंस पर नजर डालनी चाहिए। इन आंकड़ों पर नजर डालकर आपको फंड का ट्रैक रेकॉर्ड पता चल जाता है।

Wednesday, 7 November 2007

40 करोड़ तक के कारोबार का अनुमान

कोटा. बुधवार को धन त्रयोदशी पर हस्ता नक्षत्र होने से बाजार में शगुन की खरीदारी के लिए जबर्दस्त उत्साह रहेगा। व्यापारियों के अनुसार इस साल कोटा में धनतेरस पर करीब 40 करोड़ रुपए का कारोबार होने की उम्मीद है।

दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से मानी जाती है, सो सर्राफा बाजार, इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट, कार और दुपहिया वाहनों, फर्नीचर, बर्तन, आतिशबाजी और लाइट डेकोरेशन के बाजार में विशेष तैयारियां की गई हैं। दुल्हन की तरह सजे बाजार रात में झिलमिलाती रोशनी से जगमगा रहे हैं। मंगलवार को बाजार में हर जगह ग्राहकों की रौनक दिखाई दी।

चारपहिया वाहन : (बिक्री अनुमान-16 करोड़ रुपए) धनतेरस पर पिछले साल से 40 से 45 प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद है। करीब 300 कारों और 130 व्यावसायिक वाहनों की बिक्री होने की संभावना है।

दुपहिया वाहन : (बिक्री अनुमान-6 करोड़ रुपए) अनुमान लगाया जा रहा है कि 1600 दुपहिया वाहनों (मूल्य लगभग 6 करोड़ रुपए) की बिक्री होगी। दुकानदारों ने इसको लेकर खास तैयारियां की हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स : (बिक्री अनुमान-3 करोड़ रुपए) एलसीडी, लैपटॉप, रंगीन टीवी, वॉशिंग मशीन, फ्रॉस्ट फ्रिज, माइक्रोवेव ओवन, डिजिटल कैमरा, डीवीडी प्लेयर जैसे उत्पादों की कीमतों में गिरावट और दीवाली ऑफर से बिक्री में 30 से 45 प्रतिशत तेजी आई है। कोटा में करीब 1500 उत्पादों की बिक्री होने का अनुमान है।

सोना-चांदी : (बिक्री अनुमान-4 करोड़ रुपए) : चौथमाता बाजार और स्वर्ण रजत मार्केट के सूत्रों ने बताया कि धनतेरस पर कोटा में 1500 से अधिक दुकानों पर सोने-चांदी के सिक्के और अन्य ज्वैलरी की बिक्री से 3 से 4 करोड़ रुपए का कारोबार होने की उम्मीद है।

गोदाम में बदला बर्तन बाजार : (कारोबारी उम्मीद-एक करोड़ रुपए) धनतेरस को देखते हुए व्यापारियों ने मुंबई, दिल्ली, मद्रास, अहमदाबाद व जोधपुर से भारी मात्रा में बर्तन मंगवाए हैं।

आतिशबाजी और डेकोरेशन : (बिक्री अनुमान- 3-4 करोड़ रुपए) शहर में आतिशबाजी के करीब 700 से अधिक काउंटर्स सजाए गए हैं। इनसे दो-ढाई करोड़ रुपए और लाइट डेकोरेशन की 150 दुकानों से करीब 50 लाख की बिक्री होने की उम्मीद है। मोमबत्ती कारोबार भी 25 लाख रुपए का हो सकता है।

फंड्स की लिवाली से सुधरा शेयर बाजार

मुंबई : फंड्स की लिवाली के चलते बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स शुरुआती कोराबार में 278 पॉइंट मजबूत हुआ। बीएसई 30 शेयर इंडेक्स में दो दिनों से बिकवाली के चलते 575 पॉइंट का करेक्शन आया था लेकिन फंड्स की ओर से हैवीवेट स्टॉक्स में खरीदारी के चलते बुधवार को बाजार मजबूती के साथ खुला। बाजार खुलने के पांच मिनट के भीतर बीएसई सेंसेक्स 277 पॉइंट बड़कर 19678 पर पहुंच गया। आईसीआईसीआई, रिलायंस और ओएनजीसी बढ़ने वाले शेयरों में रहे।

नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में भी तेजी दिखी। निफ्टी 74 पॉइंट बढ़कर 5861 पर पहुंच गया। दुनिया भर के शेयर बाजारों में मजबूती के रुख का भारतीय शेयर बाजारों को फायदा मिला।

एसबीआई ने भी शुरू की सोने के सिक्कों और बिस्कुटों की बिक्री

मुंबईः स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने भी मंगलवार से देश भर में सोने के सिक्के और बिस्कुट बेचने का खुदरा कारोबार शुरू कर दिया। पब्लिक सेक्टर का यह सबसे बड़ा बैंक अब तक स्वर्णकारों और दूसरों को सोना बेचने का थोक कारोबार करता रहा है।

बैंक के महाराष्ट्र और गोवा सर्कल के चीफ जीएम एन. राजा ने बताया कि पहले चरण में सोने के सिक्कों की बिक्री देश भर में बैंक की करीब 100 शाखाओं के जरिए की जाएगी। बाद में इस कारोबार का विस्तार अन्य शाखाओं में भी किया जाएगा। 2 ग्राम और 10 ग्राम के इन सिक्कों और 20 ग्राम और 50 ग्राम के बिस्कुटों को स्विट्जरलैंड से इंपोर्ट किया गया है। लेकिन बैंक ने अभी 5 ग्राम के सिक्कों की ही बिक्री शुरू की है। सिक्कों की खुदरा बिक्री दर हर दिन बाजार भाव के हिसाब से तय की जाएगी।

गोल्ड मार्केट में रौनक कम

सोना महंगा होने से ज्यादातर ग्राहक इसकी खरीदारी में खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। ऐसे में इस बार धनतेरस पर गोल्ड जूलरी का बाजार फीका रहने के आसार ज्यादा हैं। हालांकि गोल्ड जूलर्स ग्राहकों को रिझाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का आकलन है कि बीते साल के मुकाबले इस साल सोने की घरेलू मांग में 10 से 15 परसेंट के बीच बढ़ोतरी होगी।

काउंसिल के वाइस प्रेजिडेंट शिवराम कुमार के मुताबिक ग्लोबल मार्केट में तेल की कीमत बढ़ने से लोग हेजिंग के लिए सोने में निवेश कर रहे हैं। इस फैक्टर को ध्यान में रखकर लोग इस त्योहारी सीजन में सोने की खरीदारी और ज्यादा करेंगे। दूसरी ओर स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि सोने के 10 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के पार जाने से बाजार में उठाव नहीं है। जूलर भी पुराने सोने गलाकर ही काम चला रहे हैं।

पिछले 2 साल का ट्रेंड देखें तो धनतेरस के दिन सोने की कीमतें पिछले कुछ दिनों की कीमतों के मुकाबले कुछ कम हो जाती हैं। लेकिन इस बार इंटरनैशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें बेहद ऊंची होने की वजह से सोने के दामों में उछाल आने की ही उम्मीद ज्यादा है। इससे बुलियन मार्केट को बड़ा झटका लग सकता है।

सोना खरीदने वाले ग्राहकों की संख्या इस बार नाम मात्र की है। जूलर्स का कहना है कि धनतेरस पर उनका असली सेल टारगेट मिडल क्लास रहता था। लेकिन कीमतें ज्यादा होने से यह वर्ग सोने की खरीदारी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।

इस साल सोने की कीमतें पिछले साल के मुकाबले करीब 2 हजार रुपये ज्यादा हैं। ऐसे में ग्राहकों की खरीदारी में बढ़ोतरी नहीं हुई है। ग्राहकों को यह भरोसा नहीं हो पा रहा है कि आखिर सोने की कीमतें कहां जाकर ठहरेंगी। लिहाजा बुलियन मार्केट में उठाव नहीं आ रहा है। इस मामले में दिल्ली बुलियन मार्केट असोसिएशन के महासचिव श्रीकृष्ण गोयल चांदी वाला भी मानते हैं कि अभी सोने की कीमतों में और उछाल आ सकता है। उनका कहना है कि मार्केट में उठाव न होने की वजह से इस बार धनतेरस का मजा किरकिरा होता जा रहा है।

Tuesday, 6 November 2007

बैंक क्षेत्र के शेयर अब भी अच्छे हैं

पीटीसी इंडिया 19 रुपए को छू सकता है:

मॉडर्न शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के अनिल मंघनानी के मुताबिक 167 रुपए के ऊपर ‘पीटीसी इंडिया’ 179-190 रुपए के स्तर को छू सकता है।

मंघनानी ने सीएनबीसी-टीवी18 को बताया, “पावर (ऊर्जा) क्षेत्र काफी मजबूत स्थिति में है और मुझे यह स्टॉक पसंद है। 167 रुपए के बाद यह 179-190 रुपए के स्तर तक जा सकता है।”

आईसीआईसीआई बैंक व एचडीएफसी बैंक को गिरावट पर खरीदें:

तकनीकी विश्लेषक अश्विनी गुजराल का मानना है कि आईसीआईसीआई बैंक व एचडीएफसी बैंक को गिरावट पर खरीदा जा सकता है।

गुजराल ने सीएनबीसी-टीवी18 को बताया, “आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक दोनों ही लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। एचडीएफसी बैंक दो हजार रुपए के स्तर पर नजर लगाए हुए है जबकि आईसीआईसीआई बैंक 1,400 रुपए के स्तर की ओर बढ़ रहा है।

ओएनजीसी भी खरीदने लायक शेयर:

उन्होंने आगे कहा, “ओएनजीसी का लक्ष्य 1,400 रुपए के आसपास था। यह यहां से ऊपर जाने से पहले दोनों ही ओर जा सकता है जिसके पीछे कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का हाथ हो सकता है।”

एडेलवाइस का आईपीओ 15 से

वित्तीय सेवा क्षेत्र की कम्पनी एडेलवाइस कैपिटल का आईपीओ 15 नवम्बर को खुलने जा रहा है। इस इश्यू की मूल्य सीमा 725 रुपए से 825 रुपए प्रति शेयर तय किया गया है।

आईपीओ के जरिए कम्पनी पांच रुपए की अंकित मूल्य वाले करीब 40 लाख शेयर जारी करेगी। जिसके जरिए बाजार से 608 से 692 करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे। यह इश्यू 15 नवम्बर को खुलकर 20 नवम्बर को बंद होगा।

क्रिसिल ने एडेलवाइस के इस इश्यू को पांच में से चार वरीयता दी है, जिसका मतलब है कि कम्पनी मौलिक रुप से औसत से बेहतर है।

आईसीआईसीआई पर 50 लाख का जुर्माना

नई दिल्ली: दिल्ली उपभोक्ता आयोग ने आईसीआईसीआई बैंक पर कर्ज वसूली के लिए गुंडे रखने के आरोप में पचास लाख रु. का जुर्माना ठोका है। आयोग ने किस्तें जमा करने में होने वाली देरी पर कर्जदार को बार-बार परेशान करने की भी आलोचना की है। बैंक को संबंधित उपभोक्ता को पांच लाख रु. मुआवजा देने को भी कहा है। संबंधित उपभोक्ता से बैंक के रिकवरी एजेंटों ने जमकर मारपीट भी की थी।

उपभोक्ता को एक बेहद महत्वपूर्ण फैसले में उपभोक्ता आयोग ने बैंकों द्वारा वाहनों के कर्ज वसूली में दादागीरी पर नाराजगी जताई। आयोग ने यह फैसला जिस मामले में दिया है, उसमें संबंधित उपभोक्ता से बैंक के रिकवरी एजेंटों ने जमकर मारपीट भी की थी। साथ ही उसकी कर्ज पर उठाई गई कार को भी जबरन छीन लिया गया था।

आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जेडी कपूर ने कहा कि किसी भी सुसंस्कृत समाज में जहां के कायदे-कानून हों, ऐसे व्यवहार की इजाजत नहीं दी जा सकती। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के गुंडों को नौकरी में नहीं रखने के निर्देशों के उल्लंघन पर भी आईसीआईसीआई प्रबंधन को फटकार लगाई।

रिलांयस व माइक्रोसाफ्ट का इंटरनेट टीवी

मुंबई: देश में नई प्रसार क्रांति का सूत्रपात हो चुका है। अनिल अंबानी का रिलांयस ग्रुप साफ्टवेयर जायंट माइक्रोसाफ्ट के साथ भारतीयों के लिए इंटरनेट प्रोटोकाल टेलीविजन(आईपीटीवी) पेश करने जा रहा है। दोनों के बीच आज इस आशय का 50 करोड़ डॉलर का करार हुआ है। इस इंटरनेट टीवी को टेलीविजन चैनलों के लिए एक बड़ा खतरा बताया जा रहा है।

एक रंगारंग समारोह में इस क्रातिंकारी कदम की घोषणा की गई। इसमें माइक्रोसाफ्ट के सीईअे स्टीव बालमर और रिलांयस अनिल धीरुभाई अंबानी ग्रुप (आरएडीएजी)के प्रमुख अनिल अंबानी उपस्थित थे।

रिलायंस कम्युनिकेशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस करार की कीमत 50 करोड़ डॉलर आकी गई है। माइक्रोसाफ्ट के वेब आधारित टीवी साफ्टवेयर प्लेटफार्म के भारत में सारे अधिकार सिर्फ इसी कंपनी के पास होंगे। करार की राशि में माइक्रोसाफ्ट को दी जाने वाली लाइसेंस फीस के साथ रिलांयस की ओर से इस इंटरनेट टीवी को अस्तित्व में लाने के लिए अगले कुछ सालों में निवेश की जाने वाली राशि भी शामिल है।

इस करार के बाद रिलांयस मोबाइल के अतिरिक्त ग्लोबल इंटरनेट टीवी के बाजार में पैर पसार सकेगा, जिसके उपयोगकर्ताओं की संख्या 2010 तक बढ़कर 5 करोड़ हो जाने की संभावना है।

माइक्रोसाफ्ट ने जून माह में वेब टीवी का नवीनतम संस्करण पेश किया था। यह प्रोडक्ट केबल टीवी के लिए एक बड़ा खतरा बताया जा रहा है।

ग्रुप के प्रमुख अनिल अंबानी ने कहा है कि इस समय उपभोक्ता मनोरंजन की लिहाज से बेहद चूजी होता जा रहा है। वेब टीवी उसे उसकी जरूरत का मनोरंजन उपलब्ध कराएगी।

Friday, 2 November 2007

बिना पूछे ईएमआई बढ़ाने पर आरबीआई खफा

आने वाले समय में ग्राहकों से पूछे बगैर बैंक लोन की मासिक किस्त (ईएमआई) न तो बढ़ा सकेंगे और न घटा सकेंगे। आरबीआई गवर्नर वाई. वी. रेड्डी इस मसले पर बैंकों से बात करने वाले हैं। इसके बाद नए नियम को अंतिम रूप दिया जाएगा। आरबीआई के सूत्रों के अनुसार ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद कई बैंकों ने ग्राहकों से पूछे बगैर ईएमआई बढ़ा दिया है। बैंकों के इस रुख से आरबीआई खफा है।

ईएमआई का बोझ

पंजाब नैशनल बैंक के होम लोन डिपार्टमेंट के संजय जैन के अनुसार अगर किसी ने 10 लाख रुपये का होम लोन 10 साल के लिए 11 फीसदी की ब्याज दर पर लिया है, तो उसका ईएमआई करीब 13700 रुपये बनता है। ब्याज दर में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी का मतलब है ईएमआई में 300 रुपये का इजाफा। इस तरह ग्राहक पर 3600 रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

बैंकों के पास विकल्प

ब्याज दर बढ़ने या घटने पर बैंकों के पास दो विकल्प होते हैं। पहले विकल्प के तहत बैंक ईएमआई कम कर सकता है या फिर बढ़ा सकता है। दूसरा विकल्प है ब्याज की अवधि कम करना या बढ़ाना। पिछले कुछ महीनों में ब्याज दरों में 2 से 3 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। इस बढ़ोतरी के बाद कई बैंकों ने ग्राहकों से पूछे बगैर ईएमआई में इजाफा कर दिया है, लिहाजा वे परेशान हैं। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के प्रमुख अर्थशास्त्री चरणजीत सिंह का कहना है कि आम आदमी अपना बजट देखकर ही लोन लेता है। ऐसे में अगर ईएमआई में अचानक इजाफा हो जाए, तो ग्राहकों का परेशान होना लाजमी है।

आरबीआई का तर्क

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन कहते हैं - ईएमआई बढ़ाने से पहले लोन ले चुके ग्राहकों से बात करना बेहतर होता है। अगर लोन धारक अवधि बढ़ाना चाहता है, तो इस विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए। कई मामले ऐसे होते हैं, जिसमें लोन की अवधि को नहीं बढ़ाया जा सकता। ऐसे में ग्राहकों को सही स्थिति से अवगत कराने के बाद ईएमआई में बढ़ोतरी की जा सकती है।

तेल कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के कगार पर

नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल की सीमा पार करने जा रही है। हाई स्पीड डीजल और जेट फ्यूल जैसे रिफाइंड पेट्रोलियम प्रॉडक्ट के दाम पहले ही इस सीमा को पार कर चुके हैं। कीमतों में बढ़ोतरी से हरकत में आई सरकार ने पहले से घाटे में चल रहीं पब्लिक सेक्टर की तेल कंपनियों पर बोझ कम करने के उपायों को खंगालना शुरू कर दिया है, हालांकि खुदरा तेल कीमतों में फिलहाल किसी बढ़ोतरी के संकेत नहीं हैं।

पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने वित्त मंत्री पी। चिदंबरम से मिलकर अंतरराष्ट्रीय बाजार की महंगाई का ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर पड़ने वाले असर को कम करने के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि हमने कई विकल्पों पर विचार किया है। पेट्रोलियम मंत्रालय के सीनियर अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा करने का मंत्रालय की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं है। सूत्रों के मुताबिक तेल कीमतों के बढ़ने का तत्कालिक असर विमानों के किराए पर देखा जा सकता है।

एलएंडटी को 5500 करोड़ रुपये का ठेका

मुंबईः इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कंपनी एलएंडटी को मुंबई के क्षत्रपति शिवाजी इंटरनैशनल एयरपोर्ट (सीएसआईए) के आधुनिकीकरण से संबंधित इक्विपमेंट लगाने के लिए 5500 करोड़ रुपये का ठेका मिला है। एलएंडटी एयरपोर्ट पर इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) प्रॉडक्ट्स लगाएगी।
मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (एमआईएएल) की ओर से एलएंडटी को यह ठेका दिया गया है। गौरतलब है कि एमआईएएल जीवीके-एसए और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) की जॉइंट वेंचर (जेवी) कंपनी है। एमआईएएल को पिछले साल मुंबई हवाईअड्डे के आधुनिकीकरण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

रिलायंस मनी ने शुरू की ऑनलाइन ऐडवाइजरी

वाप्र : रिलायंस मनी ने शेयरधारकों के लिए ऑनलाइन ऐडवाइजरी सेवा की शुरुआत की है। इसके लिए रिलायंस मनी ने रॉयटर्स मेसेजिंग चैट सर्विस से समझौता किया है। कंपनी के सीईओ सुदीप बंदोपाध्याय और रॉयटर्स के साउथ एशिया के डायरेक्टर समीर शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बाबत ऐलान किया। रिलायंस मनी के दो लाख से भी ज्यादा उपभोक्ता एक महीने तक मुफ्त इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं। इस मौके पर सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि रिलायंस मनी ने यह सुविधा उपभोक्ताओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रदान की है और हमें उम्मीद है कि यह लोगों को काफी पसंद आएगी।

Thursday, 1 November 2007

ब्याज दरों में कमी जरूरी

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक गवर्नर वाई.वी.रेड्डी ने आर्थिक विकास की रफ्तार को बरकरार रखने पर जोर देते हुए कहा कि इसके स्थायित्व को अगर कोई खतरा है तो वह घरेलू कारणों से नहीं बल्कि विदेशी स्रोतों से ज्यादा है।

चालू वित्तीय वर्ष की ऋण एवं मौद्रिक नीति की अर्धवार्षिक समीक्षा जारी करने के बाद वीडियो कान्प्रेंसिंग के जरिए संवाददाताओं के सवालों के जबाव में रेड्डी ने कहा कि ऋण नीति में संशोधन के जो भी नीतिगत कदम उठाए गए हैं उनका उद्देश्य आर्थिक विकास की उच्च रफ्तार को बनाए रखना है।

बैंकों के नकद सुरक्षित अनुपात (सीआरआर) को आधा प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत करने के प्रभाव स्वरुप ब्याज दरों में वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने सीधे कुछ कहने की बजाय कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी निर्णय अलग-अलग बैंकों पर निर्भर करता है। इसका मुकाबला हर एक बैंक को अपने ढंग से करना है, उन्हें इस चुनौती का सामना करना होगा।

डॉ.रेड्डी ने बैंकों को सीख देते हुए कहा कि उन्हें कामकाज में अनुचित तरीके नहीं अपनाने चाहिए, कर्ज वसूली के लिए गुंडों की तरह एजेंट का इस्तेमाल किए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि बैंकों को अपने ग्राहकों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वसूली के मामले में ग्राहकों को परेशान नहीं किया जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को ब्याज दरें घटने की स्थिति में तुरंत ग्राहकों को इसका लाभ मिलना चाहिए।

आर्थिक विकास की दर को साढ़े आठ प्रतिशत पर बनाए रखने को न्यायपूर्ण बताते हुए डॉ. रेड्डी ने कहा कि यह अनुमान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल कीमतों में और वृद्धि नहीं होने और देश दुनिया में कोई बड़ी उठापटक नहीं होने पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि घरेलू स्थिति में तो ज्यादा बदलाव की आशंका नहीं है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मुख्य तौर पर चार कारण है जिनसे घरेलू अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। पहला कच्चे तेल के दाम में लगातार वृद्धि, दूसरा विदेशी मुद्रा का आगमन बढने से, तीसरा चीनी बाजार जहां कीमतों में भारी वृद्धि का संकेत हैं और अंततः चौथा कारण इसका असर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में महंगाई के रुप में सामने आने के रुप में है।

उन्होंने कहा कि हालांकि विशेषज्ञों का भी मानना है कि विदेशी उठापटक के झटकों को व्यवस्थित करना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है बशर्ते कि उस पर सतत निगाह रखी जाए और निपटने की तैयारी भी होती रहे। उन्होंने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत इस मामले में बेहतर स्थिति में है।

उन्होंने कहा कि मांग और आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन से महंगाई को नियंत्रित किया गया है और आगे भी इस पर नजर बनी रहेगी। कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से घरेलू तेल कम्पनियों को हो रहे नुकसान के सवाल पर डॉ. रेड्डी ने कहा पेट्रोल, डीजल की कीमतों में कुछ वृद्धि की जरुरत पड़ सकती है, लेकिन इसका महंगाई पर ज्यादा असर नहीं होगा।

डॉ. रेड्डी ने कहा कि देश में विदेशी मुद्रा की भारी आमद को देखते हुए यह जरुरी है कि इसकी खपत क्षमता को बढ़ाया जाए और बारिकी से नजर रखी जाए ताकि आर्थिक तंत्र में स्थायित्व बना रहे। उन्होंने कहा कि उच्च आर्थिक विकास के लिए भी यह जरुरी है।

उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक मानक रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुरुप ही रहे हैं। कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले साल से बेहतर रहा है तो उद्योग और सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन भी घोषित अनुमानों के अनुरुप ही रहा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि पर उन्होंने कहा कि यह खाद्यान्नों के दाम बढ़ने की वजह से रहा है।

पेट्रोल-डीजल महंगा करने की सिफारिश

नई दिल्ली: पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी कम्पनी इंडियन ऑयल कार्पोरेशन ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के रिकॉर्ड तोड़ दाम को देखते हुए घरेलू बाजार में भी पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ाने का आग्रह किया है।

इंडियन ऑयल अध्यक्ष सार्थक बेहुरिया ने कहा कि सरकार और तेल कम्पनियां तो बढ़ते दाम से पड़ने वाले बोझ को वहन कर रही हैं लेकिन जनता से इसकी वसूली नहीं की जा रही है। सरकारी फॉर्मूले के मुताबिक जनता से भी कुल नुकसान की एक-तिहाई घाटे की वसूली की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि तेल कम्पनियों को पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और मिट्टी तेल की घटे दाम पर बिक्री से इस साल 55,000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।

उन्होंने कहा कि ऐसे समय जब अंतर्राष्ट्रीय तेल कम्पनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं और शेयर बाजार नित नए कीर्तिमान बना रहा है, घरेलू पेट्रोलियम मार्केटिंग कम्पनियां मुनाफा दर्ज करने के लिए सरकारी बॉन्ड पर निर्भर हैं और उनके शेयर मंदी में चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल की बाजार उधारी 28,000 करोड़ रुपए पर चल रही है, जबकि उसके सामने 12,000 करोड़ रुपए तक की योजनाएं लम्बित पड़ी हैं।

घरेलू पेट्रोलियम विपणन कम्पनियों की वर्तमान स्थिति पर खेद जताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें ‘बॉन्ड पत्र’ नहीं बल्कि नकदी चाहिए। सरकार ने तेल कम्पनियों के नुकसान की भरपाई के लिए जो फार्मूला तैयार किया है उसमें जनता के हिस्से में भी एक-तिहाई बोझ डाला जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में इंडियन ऑयल को पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से रोजाना करीब 100 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है और यदि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने का सिलसिला जारी रहता है तो नवम्बर से दैनिक नुकसान 120 करोड़ रुपए पर पहुंच जाएगा।

बेहुरिया ने कहा कि तेल कम्पनियों को वर्तमान मूल्यों पर पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से पेट्रोल पर 3.90 रुपए, डीजल पर 6.22 रुपए, मिट्टी तेल पर 15.99 रुपए प्रति लीटर और रसोई गैस सिलेंडर पर 174.17 रुपए प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है।

जिस तेजी से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं और भारतीय खरीद मूल्य में भी वृद्धि हो रही है उसे देखते हुए नवम्बर में ‘अंडर रिकवरी’ पेट्रोल पर करीब चार रुपए, डीजल पर साढ़े छह रुपए, मिट्टी तेल पर करीब साढ़े सोलह रुपए और घरेलू गैस सिलेंडर पर 200 रुपए के पार चली जाएगी।

बेहुरिया ने कहा कि कम्पनी का रिफाइनरी मार्जिन दूसरी तिमाही में करीब छह डॉलर प्रति बैरल रहा है जबकि पिछले साल इस तिमाही में यह आधा डॉलर से भी कम था। पहली छमाही में यह पिछले साल के 3.13 डॉलर के मुकाबले इस साल 8.44 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।

कम्पनी के पाइपलाइन नेटवर्क में भी अच्छी कमाई हुई है इसके अलावा सरकार की तरफ से पहली छमाही में नुकसान की भरपाई के लिए 6,362.25 करोड़ रुपए के बॉन्ड जारी करने का भरोसा मिला है इन सबकी बदौलत कम्पनी को दूसरी तिमाही में 3,818 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ है जबकि पिछले साल उसे इस अवधि में 2,884 करोड़ रुपए का लाभ हुआ था। बॉन्ड मिलने की बदौलत यह वृद्धि 32 प्रतिशत की रही है। अप्रैल से सितम्बर की पूरी छमाही में कम्पनी का मुनाफा 25.7 प्रतिशत बढ़कर 5,286 करोड़ रुपए हो गया।

कम्पनी की दूसरी तिमाही में कुल कमाई पिछले साल के 50,357 करोड़ रुपए के मुकाबले घटकर 49,786 करोड़ रुपए रह गई। लेकिन अन्य आय के मद में 1,270 करोड़ रुपए मिलने और ब्याज अदायगी में मामूली कमी आने तथा 6,362.25 करोड़ रुपए की बॉन्ड राशि शामिल कर लिए जाने के बाद कम्पनी ने मुनाफा अर्जित कर लिया है।

बेहुरिया ने कहा कि सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है, पेट्रोलियम उत्पादों की पूरी दुनिया में खपत बढ़ जाती है, तेल कम्पनियां अपने हिस्से का बोझ उठा रही हैं इसके बावजूद कम्पनी को इस साल 8,570 करोड़ रुपए की ‘अंडर रिकवरी’ होने का अनुमान है। कच्चे तेल के दाम बढ़ने के साथ इसमें और वृद्धि भी हो सकती है।

लोन डिफॉल्ट पर ध्यान दें बैंक : आरबीआई

मुंबईः रिजर्व बैंक ने ऊंचे इंटरेस्ट रेट के दौर में कंस्यूमर और होम लोन डिफॉल्ट के बढ़ते मामलों के प्रति कमर्शल बैंकों को आगाह किया है। आरबीआई के गवर्नर वाई. वी. रेड्डी ने कहा है कि लोन डिफॉल्ट के मामलों में थोड़ी बढ़ोतरी जरूर हुई है, पर हालात अमेरिकी सब-प्राइम संकट जैसे नहीं हैं।

रेड्डी से आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस. एस. तारापोर के उस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी, जिसमें तारापोर ने कहा था कि भारत में लोन डिफॉल्ट अमेरिकी सब-प्राइम संकट का रूप ले चुका है। रेड्डी ने कहा कि तारापोर ने सही दिशा से ध्यान दिलाया है। पर उनका विचार हालात को बढ़ा-चढ़ाकर कहता है। समस्या इतनी बड़ी नहीं, पर इतना जरूर है कि इस पर नजर रखी जाए।

रेड्डी ने कहा कि लोन डिफॉल्ट के मामले इतने ज्यादा नहीं हैं कि इसका कोई गंभीर नतीजा सामने दिखे। किसी बैंक की बैलेंस शीट पर भी इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिलता। हालांकि रेड्डी ने यह भी कहा कि यह किसी खास बैंक पर निर्भर करता है कि लोन डिफॉल्ट का उस पर क्या असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमने बैंकों से कहा है कि वे सतर्क रहें। हमने इसके लिए कानूनी उपाय भी किए हैं।

उधर प्राइवेट लोन रिकवरी एजेंटों के बर्ताव को लेकर आ रही शिकायतों के मद्देनजर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सीधे तौर पर 3000 मार्केटिंग और रिकवरी ऑफिसरों की नियुक्ति करेगा। ये अधिकारी बैंक के प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग करने अलावा आवेदन से पहले की प्रक्रिया, कागजात की पुष्टि और सॉफ्ट तरीके से कर्ज वसूली का काम करेंगे। गौरतलब है कि आरबीआई ने मंगलवार को क्रेडिट पॉलिसी रिव्यू में कमर्शल बैंकों से कहा था कि यदि यह पाया जाए कि लोन रिकवरी एजेंट बदसलूकी करते हैं, तो बैंक अपने खुद के स्टाफ की मदद से लोन की रिकवरी सुनिश्चित करें।

एनएसई निफ्टी 6000 के पार

मुंबई : गुरुवार को शुरुआती कारोबार में ही नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 6000 पॉइंट का आंकड़ा पार कर गया। निफ्टी में यह बढ़त विदेशी फंड्स की ओर से तगड़ी लिवाली की वजह से आई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती का सकारात्मक असर भारतीय बाजारों पर पड़ रहा है।

बाजार खुलने के 5 मिनट में ही बीएसई सेंसेक्स 366 पॉइंट बढ़कर 20204 पर पहुंच गया। निफ्टी में यह बढ़त 111 पॉइंट की रही। बीएसई के 30 शेयरों के इंडेक्स के लगभग सभी शेयर फायदे में चल रहे हैं।