Thursday 1 November, 2007

ब्याज दरों में कमी जरूरी

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक गवर्नर वाई.वी.रेड्डी ने आर्थिक विकास की रफ्तार को बरकरार रखने पर जोर देते हुए कहा कि इसके स्थायित्व को अगर कोई खतरा है तो वह घरेलू कारणों से नहीं बल्कि विदेशी स्रोतों से ज्यादा है।

चालू वित्तीय वर्ष की ऋण एवं मौद्रिक नीति की अर्धवार्षिक समीक्षा जारी करने के बाद वीडियो कान्प्रेंसिंग के जरिए संवाददाताओं के सवालों के जबाव में रेड्डी ने कहा कि ऋण नीति में संशोधन के जो भी नीतिगत कदम उठाए गए हैं उनका उद्देश्य आर्थिक विकास की उच्च रफ्तार को बनाए रखना है।

बैंकों के नकद सुरक्षित अनुपात (सीआरआर) को आधा प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत करने के प्रभाव स्वरुप ब्याज दरों में वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने सीधे कुछ कहने की बजाय कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी निर्णय अलग-अलग बैंकों पर निर्भर करता है। इसका मुकाबला हर एक बैंक को अपने ढंग से करना है, उन्हें इस चुनौती का सामना करना होगा।

डॉ.रेड्डी ने बैंकों को सीख देते हुए कहा कि उन्हें कामकाज में अनुचित तरीके नहीं अपनाने चाहिए, कर्ज वसूली के लिए गुंडों की तरह एजेंट का इस्तेमाल किए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि बैंकों को अपने ग्राहकों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वसूली के मामले में ग्राहकों को परेशान नहीं किया जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को ब्याज दरें घटने की स्थिति में तुरंत ग्राहकों को इसका लाभ मिलना चाहिए।

आर्थिक विकास की दर को साढ़े आठ प्रतिशत पर बनाए रखने को न्यायपूर्ण बताते हुए डॉ. रेड्डी ने कहा कि यह अनुमान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल कीमतों में और वृद्धि नहीं होने और देश दुनिया में कोई बड़ी उठापटक नहीं होने पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि घरेलू स्थिति में तो ज्यादा बदलाव की आशंका नहीं है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मुख्य तौर पर चार कारण है जिनसे घरेलू अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। पहला कच्चे तेल के दाम में लगातार वृद्धि, दूसरा विदेशी मुद्रा का आगमन बढने से, तीसरा चीनी बाजार जहां कीमतों में भारी वृद्धि का संकेत हैं और अंततः चौथा कारण इसका असर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में महंगाई के रुप में सामने आने के रुप में है।

उन्होंने कहा कि हालांकि विशेषज्ञों का भी मानना है कि विदेशी उठापटक के झटकों को व्यवस्थित करना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है बशर्ते कि उस पर सतत निगाह रखी जाए और निपटने की तैयारी भी होती रहे। उन्होंने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत इस मामले में बेहतर स्थिति में है।

उन्होंने कहा कि मांग और आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन से महंगाई को नियंत्रित किया गया है और आगे भी इस पर नजर बनी रहेगी। कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से घरेलू तेल कम्पनियों को हो रहे नुकसान के सवाल पर डॉ. रेड्डी ने कहा पेट्रोल, डीजल की कीमतों में कुछ वृद्धि की जरुरत पड़ सकती है, लेकिन इसका महंगाई पर ज्यादा असर नहीं होगा।

डॉ. रेड्डी ने कहा कि देश में विदेशी मुद्रा की भारी आमद को देखते हुए यह जरुरी है कि इसकी खपत क्षमता को बढ़ाया जाए और बारिकी से नजर रखी जाए ताकि आर्थिक तंत्र में स्थायित्व बना रहे। उन्होंने कहा कि उच्च आर्थिक विकास के लिए भी यह जरुरी है।

उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक मानक रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुरुप ही रहे हैं। कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन पिछले साल से बेहतर रहा है तो उद्योग और सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन भी घोषित अनुमानों के अनुरुप ही रहा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि पर उन्होंने कहा कि यह खाद्यान्नों के दाम बढ़ने की वजह से रहा है।

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