Wednesday, 14 November 2007

फीस चुकाने पर ही रहेगा नंबर वही

नई दिल्ली. मोबाइल नंबर बदले बिना ऑपरेटर बदलने की सुविधा यानी ‘नंबर पोर्टेबिलिटी सुविधा’ मुफ्त नहीं हासिल होगी। इसके लिए नए ऑपरेटर को शुल्क चुकाना होगा।

कई देशों में प्रभावी है यह सुविधा : इस समय यूएसए, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, सिंगापुर, हांगकांग और यूके समेत कई देशों में नंबर पोर्टेबिलिटी योजना प्रभावी है। इनमें से कई देशों में नए ग्राहक के आने पर नया ऑपरेटर पुराने ऑपरेटर को अपनी ओर से एक निश्चित राशि देता है, जो उनके बीच आपसी समझौते से संभव होता है।

सुविधा पर कितना खर्च:
ट्राई के मुताबिक नंबर पोर्टेबिलिटी पर कुछ समय पहले तक 900 करोड़ रुपए का खर्च आंका गया था। यह कार्य अब 400 करोड़ रुपए में हो सकता है। जिसे सभी कंपनियों को मिलकर वहन करना होगा।

कैसे काम करेगा सिस्टम:
एक केंद्रीकृत डाटा सेंटर बनाया जाएगा। यह सभी ऑपरेटर के सिस्टम से जुड़ा होगा। सभी ऑपरेटर के एक्सचेंजों में सिग्नल ट्रांसफर प्वाइंट (एसटीपी) लगा होगा। जहां से नंबर पोर्टेबिलिटी सेवा लेने वाले उपभोक्ता के सिग्नल नए ऑपरेटर के पास ट्रांसफर किए जाएंगे।

भारत में कैसे लागू होगी
* वोडाफोन, एयरटेल और आइडिया के प्रतिनिधियों ने कहा है कि यह मसला वह अगली बैठक में तय करेंगे लेकिन इसके लिए कोई न कोई शुल्क उपभोक्ता को देना होगा।

* सीडीएमए तकनीक आधारित ऑपरेटरों के संगठन एयूएसपीएल के महासचिव एससी खन्ना ने कहा कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में यह उपभोक्ता के बिल पर निर्भर करेगा। अगर किसी उपभोक्ता का महीने का बिल अधिक होगा तो संभव है कि नया ऑपरेटर ऐसे ग्राहक का शुल्क पुराने ऑपरेटर को दे। दूसरी तरफ अगर किसी उपभोक्ता का मासिक बिल सिर्फ पचास रुपए ही हो तो फिर ऐसे ग्राहक को तो ऑपरेटर बदलने का शुल्क स्वयं देना पड़ेगा। हालांकि इस पर अंतिम फैसला ट्राई करेगा।

* इस मसले पर दूरसंचार नियामक ट्राई के सलाहकार सुधीर गुप्ता का कहना है कि उपभोक्ता को कुछ शुल्क देना होगा। अगर नया ऑपरेटर यह चाहेगा कि वो उन पर विश्वास जताने वाले ग्राहक से कोई शुल्क न ले तो यह उन पर निर्भर करेगा।

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