काली मिर्च का पुराना स्टॉक काफी कम रह जाने और पिछले साल की तरह इस साल भी नई फसल कम आने की आशंका से इसमें मंदी के आसार नहीं हैं। थोड़े दिन के लिए भाव रुकेंगे, लेकिन बाद में अच्छी तेजी की संभावना है।
काली मिर्च की नई फसल अमूमन दक्षिण भारत के कोचीन के 100 किलोमीटर चारों ओर होती है। इसकी फसल नवंबर में आ जाती थी। लेकिन इस साल 20 दिन देर से आएगी। फसल उत्पादक क्षेत्रों में तैयार खड़ी हैं और वहां के व्यापारी दिसंबर के पहले हफ्ते में नए माल का श्रीगणेश बता रहे हैं। कोचीन के काली मिर्च व्यापारी नरेश अग्रवाल का कहना है कि इस साल अक्टूबर तक काली मिर्च का निर्यात 28-29 हजार टन के करीब हुआ है, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 50 फीसदी ज्यादा रहा।
दूसरी ओर वियतनाम और इंडोनेशिया में पुराने माल के भाव काफी ऊंचे है। वियतनाम में 3000/3050 डॉलर प्रति टन भाव चल रहे है। इंडोनेशिया में 3450 डॉलर के आसपास वहां के निर्यातक बोल रहे है। जिससे यहां पर आयात पड़ता नहीं है। कोचीन में इस वक्त 137/138 रुपये प्रति किलो भाव चल रहे है, जिससे केवल डिब्बे में सटोरियों द्वारा जबरदस्ती दबाया जा रहा है, क्योंकि हाजिर में भाव 138 रुपये प्रति किलो है, जबकि डिब्बे में 134 रुपये के आसपास कर दिए हैं।
पिछले साल काली मिर्च का उत्पादन 50 हजार टन के करीब हुआ था, जिसमें से 30 हजार टन के करीब रेकॉर्ड निर्यात हुआ है, शेष माल घरेलू उपयोग में खप गया। इस साल इसका उत्पादन 48/50 हजार टन के करीब ही होने का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन ग्लोबल लेवल पर पुराना स्टॉक घटने की वजह से अन्य उत्पादक देशों में भाव ऊंचे चल रहे है। इसे देखते हुए काली मिर्च में नया माल आने पर भले ही एक बार अस्थायी तौर पर 7-8 रुपये किलो की मंदी आ जाये, लेकिन बाद में इसमें 30/35 रुपये की छलांग लग सकती है।
No comments:
Post a Comment