Friday 2 November, 2007

बिना पूछे ईएमआई बढ़ाने पर आरबीआई खफा

आने वाले समय में ग्राहकों से पूछे बगैर बैंक लोन की मासिक किस्त (ईएमआई) न तो बढ़ा सकेंगे और न घटा सकेंगे। आरबीआई गवर्नर वाई. वी. रेड्डी इस मसले पर बैंकों से बात करने वाले हैं। इसके बाद नए नियम को अंतिम रूप दिया जाएगा। आरबीआई के सूत्रों के अनुसार ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद कई बैंकों ने ग्राहकों से पूछे बगैर ईएमआई बढ़ा दिया है। बैंकों के इस रुख से आरबीआई खफा है।

ईएमआई का बोझ

पंजाब नैशनल बैंक के होम लोन डिपार्टमेंट के संजय जैन के अनुसार अगर किसी ने 10 लाख रुपये का होम लोन 10 साल के लिए 11 फीसदी की ब्याज दर पर लिया है, तो उसका ईएमआई करीब 13700 रुपये बनता है। ब्याज दर में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी का मतलब है ईएमआई में 300 रुपये का इजाफा। इस तरह ग्राहक पर 3600 रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

बैंकों के पास विकल्प

ब्याज दर बढ़ने या घटने पर बैंकों के पास दो विकल्प होते हैं। पहले विकल्प के तहत बैंक ईएमआई कम कर सकता है या फिर बढ़ा सकता है। दूसरा विकल्प है ब्याज की अवधि कम करना या बढ़ाना। पिछले कुछ महीनों में ब्याज दरों में 2 से 3 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। इस बढ़ोतरी के बाद कई बैंकों ने ग्राहकों से पूछे बगैर ईएमआई में इजाफा कर दिया है, लिहाजा वे परेशान हैं। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के प्रमुख अर्थशास्त्री चरणजीत सिंह का कहना है कि आम आदमी अपना बजट देखकर ही लोन लेता है। ऐसे में अगर ईएमआई में अचानक इजाफा हो जाए, तो ग्राहकों का परेशान होना लाजमी है।

आरबीआई का तर्क

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन कहते हैं - ईएमआई बढ़ाने से पहले लोन ले चुके ग्राहकों से बात करना बेहतर होता है। अगर लोन धारक अवधि बढ़ाना चाहता है, तो इस विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए। कई मामले ऐसे होते हैं, जिसमें लोन की अवधि को नहीं बढ़ाया जा सकता। ऐसे में ग्राहकों को सही स्थिति से अवगत कराने के बाद ईएमआई में बढ़ोतरी की जा सकती है।

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