Tuesday, 13 November 2007

इंडियन आईटी कंपनियों की नजर अब जापान पर

नई दिल्ली : अमेरिका और यूरोप के बाद अब इंडियन आईटी कंपनियां जापान के मैदान-ए-जंग में उतरने की तैयारी में हैं। आईटी प्रॉडक्ट्स और सर्विस के मामले में जापान विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।

गौरतलब है कि जापान के इन्फर्मेशन सुपरहाइवे पर इस देश की भाषा और संस्कृति इन कंपनियों की राह में रोड़ा हैं। हालांकि, जापानी आउटसोर्सिंग मार्केट के परिपक्व होने की वजह से आईटी कंपनियां मौका गंवाना नहीं चाहतीं और इसके लिए चुनौतियों से निपटने को तैयार हैं।

हाल में विप्रो ने तोक्यो स्थित कंपनी ओकई इलेक्ट्रिक इंडस्ट्री की वायरलेस डिजाइन इकाई का अधिग्रहण किया है। इसके जरिए विप्रो की जापान और पूर्व एशिया में पांव पसारने की योजना है। विप्रो के जापान और एशिया पसिफिक वाइस प्रेजिडेंट वेंकटेश हलिकल कहते हैं कि इस अधिग्रहण के जरिए हमें जापान में अपनी पहुंच का दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी। विप्रो ने करीब एक दशक पहले ही जापान में अपने पांव रखे थे, लेकिन उसका रेवेन्यू सिर्फ 3-4 फीसदी था। वेंकटेश के मुताबिक, कंपनी प्रॉडक्ट इंजीनियरिंग, इंटरप्राइज ऐप्लिकेशन और फाइनेंशल सल्यूशंस में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में जुटी है। साथ ही कंपनी ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों को हायर कर रही है। उन्होंने कहा कि जापान मैन्युफैक्चरर्स की भारतीय बाजारों में बढ़ती दिलचस्पी के मद्देनजर आईटी कंपनियों को भी फायदा होगा, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग के साथ डिजाइन के लिए भी पर्याप्त अवसर पैदा होंगे।

जापान में आईटी सर्विसेज का अनुमानित मार्केट 95.3 अरब डॉलर का है। अगले साल यह बढ़कर 107 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

पटनी के वाइस प्रेजिडेंट (एशिया पसिफिक) दीपक खोसला कहते हैं कि अब तक भारतीय आईटी कंपनियों की जापान पर फोकस करने की परंपरा थी। इसकी वजह यह है कि वहां का बाजार बिल्कुल अलग है। अलग भाषा और संस्कृति भी इस राह में बड़ी बाधा हैं। वर्तमान में पटनी को 4.5 फीसदी रेवेन्यू जापान से प्राप्त होता है। अगले तीन साल में कंपनी की योजना इसे 8 से 9 फीसदी तक करने की है।

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