नई दिल्लीः बीपीओ कंपनियां अब गांवों का रुख कर रही हैं। इसकी वजह बड़े शहरों में रीयल एस्टेट की बढ़ती लागत और नौकरी छोड़ने वालों की तादाद में हो रही बढ़ोतरी है। सत्यम कंप्यूटर जैसी कंपनियां अपनी प्रॉडक्टिविटी बरकरार रखने के लिए बीपीओ यूनिटों को ग्रामीण इलाकों में भेज रही हैं।
सत्यम लेजान और डेटामेशन जैसी आईटी कंपनियां आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पहले ही अपने बीपीओ सेंटर खोल चुकी हैं। ये सेंटर ग्रामीण इलाकों के लोगों को रोजगार देने के अलावा इन कंपनियों को कारोबार के अच्छे अवसर भी प्रदान करते हैं।
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के प्रमुख (ग्राम आईटी और हाई एंड सर्विसेज) रवि कुमार मेदुरी का कहते हैं कि शहरी बीपीओ के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ऑपरेटिंग कॉस्ट 50 फीसदी से भी कम है। साथ ही शहरी लोगों के मुकाबले ग्रामीण कर्मचारियों की प्रॉडक्टिविटी ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में बीपीओ केंद्र स्थापित करने की लागत शहरी क्षेत्र के मुकाबले दो वजहों से कम होती है। बुनियादी ढांचा और रोजगार की लागत।
सत्यम की योजना 2008 तक पूरे देश के ग्रामीण इलाकों में 10 और सेंटर स्थापित करने की है। एक अन्य बीपीओ फर्म डेटामेशन अगले साल तक इन इलाकों में 15 बीपीओ सेंटर खोलेगी। अलबत्ता आईटी इंडस्ट्री संगठन नैस्कॉम ने रूरल बीपीओ सेंटरों के बारे में आशंका जताई है।
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