Wednesday, 28 November 2007

बोनस पात्रता विधेयक पारित

नई दिल्ली-असंगठित क्षेत्र के कामगारों, खेतिहर मजदूरों तथा ठेका मजदूरों को भी बोनस का लाभ मुहैया कराने और ऐसे कामगारों की पहचान के लिए एक तंत्र विकसित करने के सरकार के आश्वासन के बीच लोकसभा ने बोनस के लिए पात्रता तथा बोनस राशि की सीमा बढ़ाने के प्रावधान वाले विधेयक को मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

इससे पहले बोनस अधिनियम 1965 में संशोधन करने वाले इस विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री ऑस्कर फर्नांडीस ने कहा कि सरकार भी भवन निर्माण में लगे कामगारों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों एवं असंगठित क्षेत्र के अन्य कर्मियों को इसके दायरे में लाने को प्रतिबद्ध है।

मंत्री का कहना था कि उनके अस्थायी चरित्र के नियोजन के कारण उनकी पहचान सुनिश्चित करने में व्यावहारिक बाधाएँ हैं और सरकार नहीं चाहती कि उनकी पहचान का एक तंत्र बनाए बिना उन्हें बोनस कानून के दायरे में लाने की कागजी खानापूर्ति कर ली जाए।

फर्नांडीस ने ऐसा एक तंत्र बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता जताते हए कहा कि उनकी सरकार देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के 'जय जवान जय किसान' के नारे में 'जय कामगार' जोड़ने के हक में है क्योंकि पिछले दशकों में देश में आधारभूत ढाँचे के त्वरित विकास में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

बोनस की पात्रता के लिए साढ़े सात हजार रुपए या इससे कम मूल मासिक वेतन की दूसरे श्रम आयोग की शर्त को बढ़ाकर दस हजार रुपए कर देने की अपनी पहल को उन्होंने कामगारों के प्रति कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की इसी प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया।

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