Monday, 26 November 2007

अब भी अरबों रुपये कर्ज में फंसे

नई दिल्ली : केंद्र और रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद पब्लिक सेक्टर बैंकों के अरबों रुपये अभी भी पुराने कर्ज में फंसे हुए हैं।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इस साल 31 मार्च तक सरकारी बैंकों के 389 अरब 73 करोड़ रुपये विभिन्न कर्जों में फंसे हुए थे, जो कि उनके द्वारा दिए गए कुल कर्ज का 2.7 फीसदी थे। सरकार का दावा है कि कर्जों में फंसी इस प्रकार के नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) में अब तक किए गए विभिन्न उपायों से लगातार कमी आ रही है और बैंकों की स्थिति पहले से काफी बेहतर है।

पिछले 3 साल के एनपीए आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च 2005 को बैंकों की यह राशि 483 अरब 99 करोड़ रुपये थी। मार्च 2006 में यह घटकर 421 अरब 6 करोड़ और मार्च 2007 में 389 अरब 73 करोड़ रुपये रह गई। इन तीनों मौकों पर यह राशि बैंकों के कुल कर्ज का 5.5, 3.7 और 2.7 फीसदी रह गई। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक तो यह 1 फीसदी के आसपास आ गई है।

सरकार का कहना है कि बैंकों की एनपीए राशि की स्थिति में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें एनपीए के लिए राशि का प्रावधान करने और उनके वर्गीकरण के कायदे-कानून बनाना आदि शामिल हैं। इसके अलावा बैंक और वित्तीय संस्थानों के कर्ज की रिकवरी से संबंधित डीआरटी एक्ट भी अमल में लाया गया।

No comments: