मुंबईः रिजर्व बैंक ने ऊंचे इंटरेस्ट रेट के दौर में कंस्यूमर और होम लोन डिफॉल्ट के बढ़ते मामलों के प्रति कमर्शल बैंकों को आगाह किया है। आरबीआई के गवर्नर वाई. वी. रेड्डी ने कहा है कि लोन डिफॉल्ट के मामलों में थोड़ी बढ़ोतरी जरूर हुई है, पर हालात अमेरिकी सब-प्राइम संकट जैसे नहीं हैं।
रेड्डी से आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस. एस. तारापोर के उस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी, जिसमें तारापोर ने कहा था कि भारत में लोन डिफॉल्ट अमेरिकी सब-प्राइम संकट का रूप ले चुका है। रेड्डी ने कहा कि तारापोर ने सही दिशा से ध्यान दिलाया है। पर उनका विचार हालात को बढ़ा-चढ़ाकर कहता है। समस्या इतनी बड़ी नहीं, पर इतना जरूर है कि इस पर नजर रखी जाए।
रेड्डी ने कहा कि लोन डिफॉल्ट के मामले इतने ज्यादा नहीं हैं कि इसका कोई गंभीर नतीजा सामने दिखे। किसी बैंक की बैलेंस शीट पर भी इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिलता। हालांकि रेड्डी ने यह भी कहा कि यह किसी खास बैंक पर निर्भर करता है कि लोन डिफॉल्ट का उस पर क्या असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमने बैंकों से कहा है कि वे सतर्क रहें। हमने इसके लिए कानूनी उपाय भी किए हैं।
उधर प्राइवेट लोन रिकवरी एजेंटों के बर्ताव को लेकर आ रही शिकायतों के मद्देनजर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सीधे तौर पर 3000 मार्केटिंग और रिकवरी ऑफिसरों की नियुक्ति करेगा। ये अधिकारी बैंक के प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग करने अलावा आवेदन से पहले की प्रक्रिया, कागजात की पुष्टि और सॉफ्ट तरीके से कर्ज वसूली का काम करेंगे। गौरतलब है कि आरबीआई ने मंगलवार को क्रेडिट पॉलिसी रिव्यू में कमर्शल बैंकों से कहा था कि यदि यह पाया जाए कि लोन रिकवरी एजेंट बदसलूकी करते हैं, तो बैंक अपने खुद के स्टाफ की मदद से लोन की रिकवरी सुनिश्चित करें।
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