नई दिल्ली-सरकार और रिजर्व बैंक के प्रयासों से सकल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 27 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में बेशक पाँच वर्ष के न्यूनतम स्तर 2.97 प्रतिशत पर आ गई हो किंतु विश्लेषकों का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में रिकार्ड तोड़ तेजी से घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए जाने की स्थिति में इस पर खासा दबाव पड़ेगा।
सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला दीवाली के बाद करने का फैसला किया है। पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा के अनुसार पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी के समय इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा कि उपभोक्ता पर इसका कम से कम असर पड़े। इसके लिए आयात शुल्क में कटौती और तेल विपणन कंपनियों को और बांड जारी करने जैसे विकल्पों का भी सहारा लिया जा सकता है।
गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बीते सप्ताह 96 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर निकल गईं जिससे देश की तेल विपणन कंपनियों को लागत से कम कीमत पर अपने उत्पाद बेचने से रोजाना करीब 240 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है और वह पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ाने की गुहार कर रही हैं।
सरकार के आँकड़ों के मुताबिक 27 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान मुद्रास्फीति में गिरावट फल एवं सब्जियों, मूँग, उड़द, ज्वार और गुड़ आदि के मंदा होने से दर्ज की गई। हालाँकि इस दौरान आटा, आयातित खाद्य तेल, वनस्पति घी, आटा, अंडा, दूध और चना आदि की कीमतों में वृद्धि भी हुई।
मुद्रास्फीति की दर इस वर्ष बीस अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में 3.02 प्रतिशत और पिछले साल आलोच्य अवधि में 5.35 प्रतिशत थी। सकल उपभोक्ता वस्तुओं का आधिकारिक थोक मूल्य सूचकाँक 27 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में पहले के 215.1 अंक के स्तर पर टिका रहा।
इसकी गणना में शामिल 22.02 प्रतिशत का भारांक रखने वाला प्राथमिक वस्तुओं के समूह का सूचकांक 0.2 प्रतिशत घटकर 225 अंक से 224.5 अंक रह गया। ईंधन, ऊर्जा, प्रकाश एवं लुब्रीकेंट्स का सूचकांक 14.23 प्रतिशत भारांक 323.7 अंक पर टिका रहा। निर्मित उत्पादों के समूह का सूचकांक 63.75 प्रतिशत भारांक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि से 187.4 अंक से 187.6 अंक पर पहुँच गया।
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