अल्जीरियर्स। निर्यातक राष्ट्र संगठन (ओपेक) के अध्यक्ष चाकीब खलील ने कहा है कि अटकलबाजियों और भू-राजनीतिक तनावों के कारण कच्चे तेल में चल रही यह तेजी पूरे वर्ष तक जारी रह सकती है।
अल्जीरिया की समाचार एजेंसी (एपीएस) के मुताबिक खलील ने कहा है कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति का चुनाव होने के बाद विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती आने से कच्चे तेल के दामों में गिरावट हो सकती है।
उन्होंने कहा, “विश्व आर्थिक संकट की तरह तेल की कीमतों की तेजी चालू वर्ष के अंत तक चल सकती है। एपीएस ने कहा कि खलील के आंकलन के मुताबिक कच्चे तेल के दाम पूरे वर्ष 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रहेंगे।
खलील ने कहा कि कच्चे तेल में तेजी के प्रमुख कारण विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव विशेष तौर पर ईरान का परमाणु मुद्दा, वेनेजुएला और एक्सेन मोबिल के बीच चल रहा विवाद है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति और नई आर्थिक नीति आने से विश्व अर्थव्यवस्था को कुछ बल मिल सकता है।
खलील ने कहा कि अमेरिका की नई आर्थिक नीति आने से हो सकता है कि डॉलर मंदी के दौर से उबर जाए और तेल बाजार के दाम पुनर्निर्धारित हों।
ओपेक सदस्य देशों की पिछले सप्ताह विएना में हुई बैठक तेल उत्पादन नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि बाजार में तेल की आपूर्ति पर्याप्त है और तेल के दाम बढ़ने के कारण समूह के नियंत्रण से बाहर हैं। खलील के मुताबिक कच्चे तेल के दाम बढ़ने के कारण मुख्यतः अटकलबाजियां और अमेरिकी अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन है।
अटकलबाजियों ने तेल और अन्य जिन्सों के दाम बढ़ाने में मदद दी है। इसके अलावा नगदी की कमी, आवासीय ऋण संकट और तेल के दामों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को कम कर दिया है। खलील ने दावा किया कि ओपेक ने तेल उत्पादन स्थिर रखने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि विश्व की अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखने के लिए यह आवश्यक था।
खलील ने कहा कि यह निर्णय इस धारणा के आलोक में लिया कि इस वर्ष की दूसरी तिमाही में तेल की मांग 14 लाख बैरल प्रति दिन घट जाएगी। उपभोक्ता देशों के लिए मौजूद भंडार पर्याप्त होगा।
अल्जीरिया की समाचार एजेंसी (एपीएस) के मुताबिक खलील ने कहा है कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति का चुनाव होने के बाद विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती आने से कच्चे तेल के दामों में गिरावट हो सकती है।
उन्होंने कहा, “विश्व आर्थिक संकट की तरह तेल की कीमतों की तेजी चालू वर्ष के अंत तक चल सकती है। एपीएस ने कहा कि खलील के आंकलन के मुताबिक कच्चे तेल के दाम पूरे वर्ष 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रहेंगे।
खलील ने कहा कि कच्चे तेल में तेजी के प्रमुख कारण विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव विशेष तौर पर ईरान का परमाणु मुद्दा, वेनेजुएला और एक्सेन मोबिल के बीच चल रहा विवाद है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति और नई आर्थिक नीति आने से विश्व अर्थव्यवस्था को कुछ बल मिल सकता है।
खलील ने कहा कि अमेरिका की नई आर्थिक नीति आने से हो सकता है कि डॉलर मंदी के दौर से उबर जाए और तेल बाजार के दाम पुनर्निर्धारित हों।
ओपेक सदस्य देशों की पिछले सप्ताह विएना में हुई बैठक तेल उत्पादन नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि बाजार में तेल की आपूर्ति पर्याप्त है और तेल के दाम बढ़ने के कारण समूह के नियंत्रण से बाहर हैं। खलील के मुताबिक कच्चे तेल के दाम बढ़ने के कारण मुख्यतः अटकलबाजियां और अमेरिकी अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन है।
अटकलबाजियों ने तेल और अन्य जिन्सों के दाम बढ़ाने में मदद दी है। इसके अलावा नगदी की कमी, आवासीय ऋण संकट और तेल के दामों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को कम कर दिया है। खलील ने दावा किया कि ओपेक ने तेल उत्पादन स्थिर रखने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि विश्व की अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखने के लिए यह आवश्यक था।
खलील ने कहा कि यह निर्णय इस धारणा के आलोक में लिया कि इस वर्ष की दूसरी तिमाही में तेल की मांग 14 लाख बैरल प्रति दिन घट जाएगी। उपभोक्ता देशों के लिए मौजूद भंडार पर्याप्त होगा।
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