Thursday 13 March, 2008

‘सीटीटी’ से नहीं टूटा कमोडिटी कारोबार

कमोडिटी कारोबार परट्रांजैक्शनकर (सीटीटी) लगाए जाने के ऐलान के बाद भी कारोबारियों का रुझान कारोबार में कम नहीं हुआ है। उल्टे कमोडिटी एक्सचेंज पर कारोबार और बढ़ने लगा है।

हालांकि जानकारों का कहना है कि पहली अप्रैल से सीटीटी लागू होने के बाद भी वॉल्यूम (मात्रा) पर लम्बे समय तक कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

बजट में जब वित्त मंत्री ने सीटीटी लगाने का ऐलान किया तो तमाम कमोडिटी एक्सचेंज इसके खिलाफ हो गए। यह पहली अप्रैल से लागू किया जाना प्रस्तावित है। फिर भी यह माना जा रहा था कि सीटीटी लागू होने से पहले ही कारोबारी एक्सचेंज से हाथ खींचने लगेंगे। लेकिन उल्टे एक्सचेंज में कारोबार और बड़े पैमाने पर होने लगा है।

मसलन फरवरी के पहले आठ दिनों में एमसीएक्स में औसत कारोबार की मात्रा (ट्रेडिंग वॉल्यूम) करीब 13 हजार करोड़ रुपए का रहा।


सीटीटी की घोषणा के बाद मार्च के पहले आठ दिनों में यह औसत वॉल्यूम बढ़कर करीब 15 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया।

एनसीडेक्स में तो इस दौरान औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम करीब 88 फीसदी बढ़ गया। जानकारों का कहना है कि सीटीटी लागू होने के बाद भी लम्बे समय तक वॉल्यूम में कोई गिरावट नहीं रहेगी। जबकि कमोडिटी एक्सचेंज की दलील है कि सीटीटी लागू होने से एक लाख रुपए केएक्सचेंज ट्रांजैक्शनपर लगने वाला कर 2 रुपए से बढ़कर करीब 19 रुपए हो जाएगा।

इससे ट्रेडिंग वॉल्यूम में काफी गिरावट आएगी। साथ ही भारत में कमोडिटी एक्सचेंज जब परिपक्व हो जाएं तब कर लगाया जाए। वरना डब्बा ट्रेडिंग जैसे अवैध कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।

दुनिया के दूसरे देशों में सीटीटी नहीं लगाया जाता है। ऐसे में भारत में यह कर लगाया जाना सही नहीं है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि बीच का रास्ता अपनाना ही बेहतर होगा।

कुछ लोग चाहते हैं कि सीटीटी लगे लेकिन इसका दर कुछ कम हो। लेकिन कमोडिटी एक्सचेंज के नुमाइंदे इसे पूरी तरह हटाने की मांग को लेकर कृषि मंत्री से मिल चुके हैं।

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