Saturday 15 March, 2008

बाहरी कारण हैं बाजार गिरावट के- वित्तमंत्री

नई दिल्ली। वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने बढ़ती मंहगाई और शेयर बाजार में गिरावट के लिए अंतर्राष्ट्रीय कारणों को जिम्मेदार ठहराया है।

चिदम्बरम ने कल लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान विभिन्न सदस्यों के प्रश्नों के जवाब में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल तथा खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी होने के कारण देश में भी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हैं तथा अनाज, खाद्य तेल और दालों में आत्मनिर्भरता हासिल किए बिना मुद्रास्फीति पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं पाया जा सकता।

मुंबई शेयर बाजार के संवेदी सूचकांक के 21000 अंक से लुढ़क कर 15000 अंकों पर पहुंचने के प्रति सदस्यों की चिंता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसे देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अमेरिका तथा विश्व के दूसरे देशों में छायी मंदी की वजह से ऐसा हो रहा है। विश्व बाजार की उथल-पुथल का असर इस पर पड़ना स्वाभाविक है।

उन्होंने कहा कि पूंजी बाजार का नियामक स्थिति पर नजर रखे हुए है और जरुरत पड़ने पर जरुरी कदम उठाए जाएंगे।

चिदम्बरम ने कहा कि सरकार बढ़ती मंहगाई से चिंतित है तथा उसे नियंत्रित करने के पूरे प्रयास कर रही है। इसके लिए सीमा और आयात शुल्कों में कमी भी की गई है तथा सरकार और भी कदम उठाने को तैयार है, लेकिन बहुत सी बातें ऐसी हैं जो हमारे नियंत्रण में नहीं है।

उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कीमतें बढ़ने का ब्यौरा देते हुए कहा कि कच्चे तेल की कीमतें पिछले चार वर्ष में 37 डालर प्रति बैरल से बढ़कर 102 डॉलर पहुंच गई है।

इसी तरह मलेशिया और इंडोनेशिया से आयात किए जाने वाले पामोलीन की कीमत 2004 में 471 डॉलर प्रतिटन से बढ़कर पिछले फरवरी में 1177 डॉलर पहुंच गया। पिछले 15 दिनों में इसकी कीमतों में 100 डॉलर प्रतिटन की बढ़ोत्तरी हुई है। इसी तरह थाईलैंड के चावल की कीमत 225 डॉलर प्रतिटन से बढ़कर 510 डॉलर पर पहुंच गई है।

चिदम्बरम ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए गेहूं का समर्थन मूल्य 1000 रपए प्रति क्विंटल करने का असर दामों पर पड़ना लाजिमी है। इसी तरह राज्यों द्वारा खनिजों की रॉयल्टी बढ़ाने की मांग पूरी होने पर भी उसका असर कीमतों पर दिखेगा ही।

चिदम्बरम ने कहा कि यदि हम आयात पर निर्भर रहे तो विश्व बाजार की कीमतों का असर हम पर पड़ता रहेगा। इसलिए जरुरी है कि दाल और खाद्य तेलों के मामले में हम आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शुरु की गई कृषि विकास योजना और खाद्य सुरक्षा मिशन इसमें मददगार साबित होंगे।

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