Monday 3 March, 2008

बाजार में नए निवेश से बचें

इस हफ्ते कई बड़ी खबरें बाजार के लिए मौजूद थीं। इनमें रेल बजट, आर्थिक सर्वेक्षण, आम बजट और वायदा कारोबार के फरवरी सीरिज की समाप्ति शामिल थी। लेकिन बाजार इन बड़े संकेतों के साथ वैश्विक संकेतों पर भी नजर गड़ाए बैठा था।

आम बजट और रेल बजट ने कुछ क्षेत्र विशेष पर खास प्रभाव डाला। आम बजट जहां फार्मा, हेल्थ केयर, कृषि, बुनियादी, होटल, ऑटो आदि क्षेत्रों के लिए अच्छा रहा। वहीं रेल बजट स्टील और तकनीकी क्षेत्र के लिए अच्छा रहा।


हालांकि बजट में अल्प अवधि पूंजी लाभ कर में वृद्धि कर वित्त मंत्री ने बाजार को परेशान ही किया। लेकिन आगे बाजार बजट की खबरों से दूर फिर से वैश्विक संकेतों की ओर ही देखेगा क्योंकि वैश्विक बाजारों में जिस तरह की उथल-पुथल देखी जा रही है उससे भारतीय बाजार के लिए खुद को बचाए रख पाना मुश्किल होगा।

अगले हफ्ते के लिए भी बाजार में अच्छे संकेत नहीं है। जिस तरह की गिरावट आखिरी कारोबारी दिन अमेरिकी बाजारों ने दिखाई है वो निश्चित रुप से घरेलू बाजारों में नरमी लाने के लिए काफी है। विश्लेषकों की मानें तो बाजार फिर से नीचे का रुख कर सकता है।

फिर से टूटेगा बाजार

अमेरिका में अभी भी स्थिति सामान्य होती नहीं दिख रही है। हर दिन किसी किसी वित्तीय कम्पनी के घाटे की खबर रही है। महंगाई दर में लगातार वृद्धि के बावजूद फेडरल रिजर्व ने फिर से ब्याज दर में कटौती के संकेत दिए हैं। लेकिन लगातार इस तरह से ब्याज दर में कटौती करना भी सही नहीं है। डॉलर लगातार टूटता ही जा रहा है।

यानी कुल मिलाकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर मंदी का साया मंडरा रहा है और इससे उबर पाना भी आसान नहीं होगा।


हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था मौलिक रुप से मजबूत है लेकिन अमेरिकी मंदी से यह भी ज्यादा समय तक बच नहीं सकता। वैश्विक खबरें पिछले महीने भी अपना असर दिखा चुकी हैं।

यानी आने वाले कुछ महीनों तक बाजार में अस्थिरता का दौर जारी रहेगा। ऐसे में निवेशकों को बाजार में स्थिरता आने का इंतजार करना चाहिए। उसके बाद ही निवेश शुरू करना चाहिए। हालांकि लम्बी अवधि के निवेशकों के लिए इससे खास फर्क नहीं पड़ेगा। वो इस गिरावट को निवेश के बेहतर मौके की तरह देख सकते हैं।


हफ्ते के पहले कारोबारी दिन भारतीय बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। दिन भर की उठापटक के बाद कारोबार के आखिरी घंटे में अच्छी खरीदारी की वजह से सेंसेक्स 301 और निफ्टी 90 ऊपर बंद हुआ।

वहीं हफ्ते के पहले दिन अमेरिकी बाजारों में अच्छी तेजी देखी गई। डाओ जोंस 189 अंक की बढ़त के साथ 12,570 के स्तर पर बंद हुआ। नैस्डेक 24 अंक की बढ़त के साथ 2,327 के स्तर पर एसएंडपी500 सूचकांक 18 अंक की बढ़त के साथ 1,371 के स्तर पर बंद हुआ।


हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन भारतीय बाजारों में ज्यादा हलचल नहीं देखने को मिली। मजबूत अंतर्राष्ट्रीय संकेतों के बावजूद भारतीय बाजारों में धीमा कारोबार देखा गया। कारोबार समाप्ति पर सेंसेक्स 155 और निफ्टी 69 अंक ऊपर बंद हुआ।

हफ्ते के दूसरे दिन भी अमेरिकी बाजारों में तेजी जारी रही। डाओ जोंस 114, नैस्डेक 17 और एसएंडपी 500 सूचकांक 9 अंक की मजबूती के साथ बंद होने में सफल रहा।


हफ्ते के तीसरे दिन भी भारतीय बाजारों में अस्थिरता का माहौल रहा। शुरुआत में अच्छी बढ़त के बाद दोपहर के बाद भारतीय बाजार बिकवाली के दबाव में फिसलता गया और कारोबार के आखिरी में सेंसेक्स सिर्फ 20 अंक ऊपर बंद हुआ। निफ्टी 2 अंक नीचे बंद हुआ।

उधर अमेरिकी बाजारों में भी धीमा कारोबार देखा गया। डाओं जोंस मात्र नौ अंक की बढ़त के साथ बंद हुआ। नैस्डेक 8 अंक की बढ़त पाने में कामयाब रहा और एसएंडपी500 सूचकांक मात्र एक अंक चढ़कर बंद हुआ।

हफ्ते के चौथे कारोबारी दिन भी वायदा करोबार की समाप्ति की वजह से भारतीय बाजारों में फिर से उतार-चढ़ाव का माहौल बना रहा। कारोबार के आखिर में सेंसेक्स डेढ़ अंक की मामूली गिरावट पर बंद हुआ। निफ्टी में 17 अंक की बढ़त देखी गई।

वहीं अमेरिकी बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज हुई। डाओ जोंस 112 अंक कमजोरी के साथ बंद हुआ। वहीं नैस्डेक में भी एक फीसदी की नरमी रही। जबकि एसएंडपी500 12 अंक गिरकर बंद हुआ।

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन भारतीय बाजारों में काफी उथल-पुथल देखी गई। विदेशी बाजारों से मिले खराब संकेतों और बजट की खबरों से बाजार में काफी अस्थिरता देखी गई। कारोबार समाप्ति पर सेंसेक्स 245 और निफ्टी 61 अंक गिरकर बंद हुआ।

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन अमेरिकी बाजार बूरी तरह लुढ़क गए। डाओ जोंस 315 अंक गिरकर 12,266 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं नैस्डेक 60 अंक गिरकर 2,271 के स्तर पर बंद हुआ। एसएंडपी500 सूचकांक 37 अंक गिरकर 1,330 के स्तर पर बंद हुआ।

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