नई दिल्ली। नागर विमान, औद्योगिक पार्क, जिंस वायदा बाजार और खनन क्षेत्र में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा में संशोधन के निर्णय के बाद सरकार ने आज इन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से संबंधित नए दिशा-निर्देश जारी किए।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी नागर विमान क्षेत्र संबंधी दिशा-निर्दश इस प्रकार हैं:-
- देश में नए हवाई अड्डों के निर्माण में एयरक्राफ्ट नियमावली 1934 की शर्तों का पालन करते हुए विदेशी कम्पनियों को स्वतः स्वीकृत रुप से 100 प्रतिशत शेयर पूंजी निवेश की छूट है।
- इस समय चल रही परियोजनाओं में भी विदेशी निवेश भागीदारी 100 प्रतिशत तक जा सकती है पर 74 प्रतिशत से ऊपर के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी।
- विदेशी कम्पनियों यात्री वायुयान सेवा क्षेत्र में विदेशी विमानन कम्पनियों को केवल कार्गो एयरलाइंस, हेलीकॉप्टर और समुद्र से उड़ने और उतरने वाली विमान सेवाओं में ही शेयर पूंजी लगाने की अनुमति होगी।
- शेड्यूल्ड, नॉन शेड्यूल्ड और चार्टर्ड यात्री एयरलाइन सेवा में विदेशी एयरलाइनों के प्रत्यक्ष या परोक्ष निवेश पर पूरी पाबंदी होगी।
- शेड्यूल यानी नियत रुप से चलने वाली सार्वजनिक एयर ट्रांसपोर्ट सेवा, घरेलू शेड्यल्ड यात्री विमान सेवा कम्पनियों में सीधी विदेशी भागीदारी 49 प्रतिशत रहेगी और प्रवासी भारतीयों को इनमें 100 प्रतिशत का निवेश करने की छूट होगी।
- गैर शेड्यूल ट्रांसपोर्ट सेवा, गैर शेड्यूल एयरलाइन, चार्टर्ड एयरलाइंस और कार्गो एयरलाइंस में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 74 प्रतिशत और प्रवासी भारतीयों को 100 प्रतिशत तक भागीदारी की छूट होगी।
- हेलीकॉप्टर सेवाओं और सीप्लेन सेवा में नागर विमानन महानिदेशालय की स्वीकृति के बाद 100 प्रतिशत तक एफडीआई की छूट होगी।
- ग्राउंड हैंडलिंग सेवा में 74 प्रतिशत एफडीआई, और प्रवासी भारतीयों को शतप्रतिशत निवेश की छूट होगी।
- मेंटेनेंस और रिपेयर सेवाओं में शतप्रतिशत विदेशी निवेश की छूट।
- औद्योगिक पार्कों से संबंधित दिशानिर्देश, औद्योगिक पार्क योजनाओं में वर्ष 2000 से शत-प्रतिशत विदेशी निवेश की छूट चल रही है लेकिन 2005 के एक प्रेस नोट के जरिए इस पर न्यूनतम विदेशी पूंजी और भू क्षेत्र की शर्तें लगा दी गई थीं।
- संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत विदेशी कम्पनियों पर 2005 की शर्तें नहीं लागू होंगी बशर्ते:-
- उनके औद्योगिक पार्क में कम से कम दस इकाइयां स्थापित हों और कोई एक इकाई 50 प्रतिशत से अधिक का क्षेत्र न घेरे हो।
- उस पार्क के कुल क्षेत्र में औद्योगिक क्रियाओं वाला क्षेत्र 66 प्रतिशत से कम न हो।
वायदा बाजार चलाने वाले जिंस बाजारों में विदेशी निवेश संबंधी दिशानिर्देश इस प्रकार हैं:-
- जिंस वायदा बाजार में विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून के दायरे में और सरकार की पूर्व अनुमति के आधार पर कुल विदेशी निवेश 49 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति होगी।
- इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 26 प्रतिशत और विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) 23 प्रतिशत तक हो सकता है।
- एफआईआई निवेश शेयर बाजारों के जरिए ही किया जा सकता है यानी सूचीबद्ध जिंस एक्सचेंज में ही विदेशी निवेश 49 प्रतिशत तक जा सकता है।
- इनमें किसी एकल विदेशी निवेशक या व्यक्ति को पांच प्रतिशत से अधिक शेयर खरीदने की अनुमति नहीं।
समुद्री रेत में पाए जाने वाले टाइटेनियम खनिज के खनन में एफडीआई संबंधी दिशा-निर्देश:-
- टाइटेनियम वाले खनिजों और अयस्कों के खनन में सरकार की अनुमति के साथ 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की छूट, इस मामले में मूल्य वर्धन आदि की क्रिया को लेकर खान एवं खनिज विकास अधिनियम 1957 की शर्तें प्रभावी होंगी।
- परमाणु ऊर्जा से संबंधित नियम कानून लागू रहेंगे।
- विदेशी निवेशकों को खनिजों या अयस्कों से टाइटेनियम निकालने का संयंत्र भारत में ही लगाना होगा और प्रौद्योगिकी भी हस्तांतरित करनी होगी।
- टाइटेनियम अलग करने की प्रक्रिया में बचे माल का निस्तारण परमाणु ऊर्जा (विकिरण सुरक्षा) अधिनियम 2004 और परमाणु कचरे के सुरक्षित निस्तारण संबंधी नियमों के तहत करना होगा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी नागर विमान क्षेत्र संबंधी दिशा-निर्दश इस प्रकार हैं:-
- देश में नए हवाई अड्डों के निर्माण में एयरक्राफ्ट नियमावली 1934 की शर्तों का पालन करते हुए विदेशी कम्पनियों को स्वतः स्वीकृत रुप से 100 प्रतिशत शेयर पूंजी निवेश की छूट है।
- इस समय चल रही परियोजनाओं में भी विदेशी निवेश भागीदारी 100 प्रतिशत तक जा सकती है पर 74 प्रतिशत से ऊपर के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी।
- विदेशी कम्पनियों यात्री वायुयान सेवा क्षेत्र में विदेशी विमानन कम्पनियों को केवल कार्गो एयरलाइंस, हेलीकॉप्टर और समुद्र से उड़ने और उतरने वाली विमान सेवाओं में ही शेयर पूंजी लगाने की अनुमति होगी।
- शेड्यूल्ड, नॉन शेड्यूल्ड और चार्टर्ड यात्री एयरलाइन सेवा में विदेशी एयरलाइनों के प्रत्यक्ष या परोक्ष निवेश पर पूरी पाबंदी होगी।
- शेड्यूल यानी नियत रुप से चलने वाली सार्वजनिक एयर ट्रांसपोर्ट सेवा, घरेलू शेड्यल्ड यात्री विमान सेवा कम्पनियों में सीधी विदेशी भागीदारी 49 प्रतिशत रहेगी और प्रवासी भारतीयों को इनमें 100 प्रतिशत का निवेश करने की छूट होगी।
- गैर शेड्यूल ट्रांसपोर्ट सेवा, गैर शेड्यूल एयरलाइन, चार्टर्ड एयरलाइंस और कार्गो एयरलाइंस में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 74 प्रतिशत और प्रवासी भारतीयों को 100 प्रतिशत तक भागीदारी की छूट होगी।
- हेलीकॉप्टर सेवाओं और सीप्लेन सेवा में नागर विमानन महानिदेशालय की स्वीकृति के बाद 100 प्रतिशत तक एफडीआई की छूट होगी।
- ग्राउंड हैंडलिंग सेवा में 74 प्रतिशत एफडीआई, और प्रवासी भारतीयों को शतप्रतिशत निवेश की छूट होगी।
- मेंटेनेंस और रिपेयर सेवाओं में शतप्रतिशत विदेशी निवेश की छूट।
- औद्योगिक पार्कों से संबंधित दिशानिर्देश, औद्योगिक पार्क योजनाओं में वर्ष 2000 से शत-प्रतिशत विदेशी निवेश की छूट चल रही है लेकिन 2005 के एक प्रेस नोट के जरिए इस पर न्यूनतम विदेशी पूंजी और भू क्षेत्र की शर्तें लगा दी गई थीं।
- संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत विदेशी कम्पनियों पर 2005 की शर्तें नहीं लागू होंगी बशर्ते:-
- उनके औद्योगिक पार्क में कम से कम दस इकाइयां स्थापित हों और कोई एक इकाई 50 प्रतिशत से अधिक का क्षेत्र न घेरे हो।
- उस पार्क के कुल क्षेत्र में औद्योगिक क्रियाओं वाला क्षेत्र 66 प्रतिशत से कम न हो।
वायदा बाजार चलाने वाले जिंस बाजारों में विदेशी निवेश संबंधी दिशानिर्देश इस प्रकार हैं:-
- जिंस वायदा बाजार में विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून के दायरे में और सरकार की पूर्व अनुमति के आधार पर कुल विदेशी निवेश 49 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति होगी।
- इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 26 प्रतिशत और विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) 23 प्रतिशत तक हो सकता है।
- एफआईआई निवेश शेयर बाजारों के जरिए ही किया जा सकता है यानी सूचीबद्ध जिंस एक्सचेंज में ही विदेशी निवेश 49 प्रतिशत तक जा सकता है।
- इनमें किसी एकल विदेशी निवेशक या व्यक्ति को पांच प्रतिशत से अधिक शेयर खरीदने की अनुमति नहीं।
समुद्री रेत में पाए जाने वाले टाइटेनियम खनिज के खनन में एफडीआई संबंधी दिशा-निर्देश:-
- टाइटेनियम वाले खनिजों और अयस्कों के खनन में सरकार की अनुमति के साथ 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की छूट, इस मामले में मूल्य वर्धन आदि की क्रिया को लेकर खान एवं खनिज विकास अधिनियम 1957 की शर्तें प्रभावी होंगी।
- परमाणु ऊर्जा से संबंधित नियम कानून लागू रहेंगे।
- विदेशी निवेशकों को खनिजों या अयस्कों से टाइटेनियम निकालने का संयंत्र भारत में ही लगाना होगा और प्रौद्योगिकी भी हस्तांतरित करनी होगी।
- टाइटेनियम अलग करने की प्रक्रिया में बचे माल का निस्तारण परमाणु ऊर्जा (विकिरण सुरक्षा) अधिनियम 2004 और परमाणु कचरे के सुरक्षित निस्तारण संबंधी नियमों के तहत करना होगा।
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