Thursday, 20 March 2008

मिड व स्मॉल इनवेस्टर न घबराएं

जोसफ बर्नाड

अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में 0.75 पर्सेन्ट की कमी के बाद बुधवार को बीएसई और एनएसई में तेजी उम्मीद के अनुरूप नहीं रही। बीएसई का सेंसेक्स 161.37 पॉइंट की बढ़त के साथ 14994.83 पॉइंट पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी 40.95 पॉइंट की तेजी ही हासिल कर सका। यह 4573.95 पॉइंट पर बंद हुआ। मगर अहम बात यह रही कि मिड और स्मॉल शेयरों के इंडेक्सों में गिरावट दर्ज की गई। छोटे कंपनियों के शेयर और नीचे चले गए।

एनएसई के सदस्य जगदीश मलकानी का कहना है कि इससे बात साफ हो गई है कि कारोबारी अपनी खास रणनीति को अपनाते हुए कारोबार कर रहे हैं। वे मिड स्मॉल कैप के शेयरों को बेच रहे हैं ताकि छोटे इनवेस्टर घबराहट में शेयरों को कम कीमतों पर बेचें। यह छोटे इनवेस्टर के लिए परीक्षा की घड़ी है। बेहतर होगा कि वे धैर्य रखते हुए शेयरों को बेचें। अगर कम कीमतों पर अच्छे शेयर मिले तो उसे खरीदने में पीछे रहें।

खास रणनीति

तेजी के माहौल में बीएसई के मिड कैप और स्मॉल कैप इंडेक्स में गिरावट ने बाजार विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया। मिड कैप का शेयर इंडेक्स 69.81 पॉइंट के नुकसान से 6033.91 पॉइंट रह गया। स्मॉल कैप शेयरों के इंडेक्स में करीब 143 पॉइंट की गिरावट आई। यह 7365.20 पॉइंट पर गया। बाजार विशेषज्ञों की मानें तो इसके कई अर्थ निकाले जा सकते हैं। स्टॉक मिकेनिक डॉट काम के हितेंद्र वासुदेवन कहते हैं कि अधिकतर आम इनवेस्टर मिड और स्मॉल कैप में शामिल शेयरों को खरीदते हैं। इनके इंडेक्सों के गिरने का मतलब है कि इनमें अब भी बिकवाली चल रही है या बिकवाली को हवा दी जा रही है। इससे शेयर बाजार में भविष्य को लेकर कई आशंकाएं मन में उठती हैं।

अब क्या होगा?

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह बात जाहिर हो गई है कि कई बातें शेयर बाजार को प्रभावित कर रही है। बेशक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी एक अहम कारण है। इसके अलावा भी कई कारण हैं जिसने शेयर बाजार को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अनंत राठी सिक्युरिटीज के प्रमुख डी. डी. शर्मा का कहना है कि औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, इकॉनमी ग्रोथ रेट में कमी आने की आशंका और आम चुनावों को लेकर चल रही गहमा-गहमी ने शेयर बाजार को प्रभावित किया हुआ है। जब तक ये मसले ठीक नहीं होंगे, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर चलता रहेगा।

विदेशी शेयर बाजारों की मौज

अमेरिकी फेडरल बैंक ने जैसे ही ब्याज दर में कटौती की घोषणा की, वैसे ही नास्डैक और डाउन जोंस के शेयर इंडेक्सों में जोरदार तेजी दर्ज की गई। एशियाई शेयर बाजारों में जापान का निक्की इंडेक्स ढाई फीसदी बढ़ गया। हांगकांग शेयर मार्केट का हैंगसैंग 2.3 फीसदी, चीन का शंघाई कॉम्पोजिट 2.53 फीसदी ऊपर चला गया। ऑस्ट्रेलियाई शेयर मार्केट का इंडेक्स 4 फीसदी चढ़ गया। ग्रोथ फीसदी के हिसाब से बीएसई का इंडेक्स 1.09 फीसदी तथा एनएसई का इंडेक्स 0.90 फीसदी ही बढ़ पाया। यूटीआई सिक्युरिटीज के इक्विटी हेड मिलिंद प्रधान का कहना है कि शायद ऐसा पहली बार हुआ कि भारतीय बाजारों ने किसी वैश्विक घटना के बाद तेजी या मंदी के मामले में एशियाई शेयर बाजारों के ताल में सही तरीके से ताल नहीं मिलाया।

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