नई दिल्ली : रुपये की बेहतर होती सेहत तेल कंपनियों के लिए किसी जश्न से कम नहीं है। मध्यावधि चुनाव की चर्चा और लगातार नई ऊंचाइयां छूते कच्चे तेल के दाम के बीच तेल कंपनियों को रुपये की मजबूती का ही सहारा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 84 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुके हैं। भारतीय खरीद मूल्य भी 76 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा के बयान के बाद पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने की अटकलें करीब-करीब खत्म हो चुकी हैं। ऐसे में तेल कंपनियों की अंडर रिकवरी 65000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशंका जताई गई थी। लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपये की रेकॉर्ड मजबूती की वजह से उनका यह बोझ हल्का होकर 55000 करोड़ रुपये के पुराने अनुमान पर ही बना हुआ है।
गौरतलब है कि साल के शुरू में कच्चे तेल का भारतीय खरीद मूल्य शुरू में 53 से 54 डॉलर के आसपास था। यह सितंबर तक करीब 20 डॉलर बढ़कर 74 से 76 डॉलर तक पहुंच चुका है। इतनी बढ़ोतरी के बावजूद यदि तेल कंपनियों का अंडर रिकवरी अनुमान पुराने स्तर पर बना हुआ है, तो इसके पीछे रुपये की मजबूती का ही प्रभाव माना जा रहा है।
गौरतलब है कि देश में पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स की जरूरतें पूरी करने के लिए कंपनियां कच्चे तेल का आयात करती हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर के कमजोर होने से इन कंपनियों का आयात सस्ता हुआ है।
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