नई दिल्ली: सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों को हो रहे नुकसान की भरपाई को लेकर यदि वित्त मंत्रालय का नजरिया लागू हुआ तो पेट्रोल, डीजल की कीमतें बढ़ेंगी।
वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को तेल बांड जारी करने से पहले पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू कीमतें बढ़ाने का पक्षधर है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि तेल बांड जारी करने से पहले हम घरेलू कीमतें बढ़ाना चाहेंगे। लेकिन बांड जारी करने के लिए यह पूर्वशर्त नहीं है। वस्तुत: सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनियों ने पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और कैरोसिन की कीमतों में तत्काल बढ़ोतरी की मांग की है क्योंकि उन्हें इन चार उत्पादों की बिक्री से रोजाना 185 करोड़ रुपये का भारी भरकम नुकसान हो रहा है।
सरकार विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद घरेलू कीमतें कम होने के कारण तेल कंपनियों को हो रहे घाटे की भरपाई के लिए बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला जा सकता।
कैबिनेट ने हाल ही में आयल इंडिया में सरकार की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी, इंडियन आयल की ढाई ढाई प्रतिशत हिस्सेदारी, एचपीसीएल तथा बीपीसीएल को देने का फैसला किया है। इसके पीछे मंशा यही है कि इन कंपनियों को ये हिस्सेदारी बाद में कभी बेचकर अपने घाटे की भरपाई का विकल्प प्रदान किया जा सके।
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