नई दिल्ली: एचडीएफसी ने 31 अक्टूबर तक सभी नए होम लोनों पर ब्याज दरों में 0.5 फीसदी की कटौती कर दी है। एचडीएफसी की यह घोषणा खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। हालांकि, इससे एचडीएफसी के पुराने होम लोन ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा। साथ ही बैंक ने पीएलआर भी 14 फीसदी पर बरकरार रखी है।
एचडीएफसी के ब्याज दर घटाने से होम लोन लेने के इच्छुक लोगों को काफी राहत मिली है। पिछले कुछ सालों के दौरान होम लोन की ब्याज दरों में काफी उतार-चढ़ाव आया है। 2000 में होम लोन पर ब्याज दरें जहां 14 फीसदी प्रतिशत के स्तर पर थीं, वहीं 2003 में यह घटकर 7 फीसदी रह गईं। जनवरी-2007 में यह 10 से 12 फीसदी के स्तर पर थीं। तो आप क्या जानना चाहते हैं कि क्या ब्याज दरें और बढ़ सकती हैं? अगर आप तुरंत होम लोन लेना चाहते हैं, तो फ्लोटिंग या फिक्स रेट में से किसका चयन करें। विशेषज्ञों का मानना है कि आज की तारीख में भी फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लेना ज्यादा सुरक्षित विकल्प है।
ब्याज दरें और नहीं बढ़ेंगी
उद्योग जगत के ज्यादातर विशेषज्ञों की राय है कि ब्याज दरें अब स्थिर रहेंगी और इनमें इजाफा नहीं होगा। पब्लिक सेक्टर के बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यदि ब्याज दरें और बढ़ जाती हैं, तो इससे ग्राहकों की जेब पर और असर पड़ेगा। इससे पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और कॉरपोरेट सेक्टर भी दबाव में आ जाएगा। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों की स्थिति के बारे में हमें वास्तविक जानकारी नवंबर में ही मिल पाएगी। फिलहाल होम लोन की मांग कम है। नवंबर में त्योहारी सीजन में इसकी मांग बढ़ती है। वैसे अगर ब्याज दरें बढ़ती भी हैं, तो इनमें 0.25 से 0.5 फीसदी का इजाफा ही होगा।
फिक्स्ड रेट पर देना होता है अधिक प्रीमियम
होम लोन में इतने ज्यादा उतार-चढ़ाव के बाद लोग सोचते हैं कि उन्हें फिक्स्ड रेट का ही चयन करना चाहिए। हालांकि, फिक्स्ड रेट पर लोन 1.5 से 2 फीसदी महंगा पड़ता है, पर ग्राहकों को उतार-चढ़ाव से मुक्ति मिल जाती है। पर यह सिक्के का केवल एक ही पहलू है। होम लोन एक्सपर्ट और अपना लोन डॉट कॉम के सीईओ हर्ष रुंगटा के मुताबिक, अभी तक यह माना जाता था कि हमें पारदर्शी फ्लोटिंग रेट का चुनाव करना चाहिए। फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट के बीच अंतर 2.25 फीसदी बैठता है, जो काफी बड़ा अंतर है। रुंगटा मानते हैं कि फ्लोटिंग रेट के 13 से 13.25 फीसदी पर आने तक ग्राहकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है और उन्हें बेझिझक फिक्स्ड रेट का चुनाव करना चाहिए।
फिक्स नहीं है फिक्स्ड रेट
भारत में फिक्स्ड रेट फिक्स नहीं है। यह भी हो सकता है कि ब्याज दरें घटने के बावजूद आपका फ्लोटिंग रेट न घटे। यहां फिक्स्ड रेट और वास्तविक फिक्स्ड रेट के अंतर को जानना जरूरी है। ऐसा फिक्स्ड रेट जो बाजार परिस्थितियों पर निर्भर है, उसमें बदलाव हो सकता है। यानी कि बैंक या होम लोन कंपनियां बाजार में बड़ा बदलाव आने की स्थिति में इस रेट से छेड़छाड़ कर सकते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अगस्त 2005 में री-सेट क्लॉज लागू किया। यह 2 साल की अवधि के लिए है। इसी तरह केनरा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का री-सेट क्लॉज 5 साल की अवधि के लिए है। ऐसे मामले में जब री-सेट क्लॉज लागू नहीं होता है, तो इसमें फ्लोटिंग रेट की ब्याज दरें बढ़ने पर रेट में बदलाव नहीं आता। वहीं दूसरी ओर ट्रू फिक्स्ड रेट के मामले में बैंक या वित्तीय संस्थान ब्याज दरों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते। एचडीएफसी जैसे कुछ संस्थान ट्रू फिक्स्ड रेट प्रॉडक्ट देते हैं। फिक्स्ड या फ्लोटिंग में से किसका चयन करें, इसका जवाब आसान नहीं है। यदि आपने 2003 में होम लोन लिया होता, जब ब्याज दरें 7 फीसदी पर थीं, तो आपके लिए फिक्स्ड रेट पर लोन लेना अच्छा होता, क्योंकि ब्याज दरें इसमें नीचे तो शायद ही आएं। अब जबकि होम लोन पर ब्याज दरें शिखर पर हैं, तो ऐसे में फ्लोटिंग रेट का चयन बेहतर विकल्प है।
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