Monday 10 September, 2007

वैट की तर्ज पर समान यातायात कर की तैयारी

नई दिल्ली: आठ वर्षो बाद ही सही, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सड़क यातायात कार्यालयों की स्थिति सुधरेगी। देश भर में कहीं झोपड़ी में तो कहीं खुले आसमान के नीचे चलाई जा रही आरटीओ चौकियों की न केवल दशा सुधरेगी, बल्कि उन्हें कंप्यूटर से भी जोड़ा जाएगा। यह काम अगले वर्ष मार्च तक पूरा भी कर लिया जाएगा। इसके लिए नेशनल इन्फारमैटिक्स सेंटर 190 करोड़ रुपये की लागत वाली एक परियोजना लागू कर रहा है। इसके बाद देश के सभी राज्यों में एकसमान यातायात कर की कवायद भी शुरू की जाएगी। इस बारे में केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के बीच शनिवार को गहन विचार-विमर्श हुआ।
देश में आरटीओ की स्थिति सुधारने पर सड़क यातायात व राजमार्ग सचिव ब्रह्म दत्त ने सभी राज्यों के यातायात आयुक्तों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। इस बैठक में ही पहली बार मूल्यवर्धित कर (वैट) की तर्ज पर यातायात क्षेत्र में भी राष्ट्रीय स्तर पर एकसमान कर प्रणाली लागू करने की संभावना पर चर्चा हुई। दत्त ने बताया कि इस सुझाव पर राज्यों की प्रतिक्रिया काफी उत्साहजनक रही है। सभी राज्यों ने आरंभिक तौर पर इस तरह के प्रस्ताव को अपना पूरा समर्थन दिया है। उन्होंने स्वीकार किया कि यह काफी जटिल प्रक्रिया होगी, क्योंकि कई राज्यों के राजस्व संग्रह में यातायात कर की हिस्सेदारी काफी अहम होती है। संयुक्त तौर पर देखें तो राज्यों के कुल राजस्व में योगदान करने वाले शुल्कों में यातायात कर का स्थान चौथा होता है। यही कारण है कि यातायात आयुक्तों का समर्थन मिलने के बावजूद इस बारे में राज्यों के राजस्व विभाग और केंद्र सरकार के संबंधित विभागों को तैयार करना होगा।
आरटीओ को कंप्यूटर से जोड़ने का काम काफी तेजी से चल रहा है। दत्त के मुताबिक मार्च, 2008 तक देश के सभी आरटीओ को कंप्यूटरों से सुसज्जित कर दिया जाएगा। इस समय दिल्ली के अलावा आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आरटीओ कंप्यूटरीकृत हैं। इन तीनों राज्यों ने निजी फर्र्मो से ये सेवाएं प्राप्त की हैं। जब राष्ट्रीय स्तर पर आरटीओ की नेटवर्किग की जाएगी तो इन तीनों राज्यों को भी इससे जोड़ दिया जाएगा।
वर्ष 1999 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने देश के सभी आरटीओ को कंप्यूटरों से जोड़ने का फैसला किया था। इसके लिए सारी तैयारियां भी शुरू कर दी गई थीं, लेकिन बाद में सड़क यातायात व राजमार्ग मंत्रालय का सारा ध्यान सड़कें बनाने पर चला गया। इस तरह आरटीओ के आधुनिकीकरण की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई। अब जबकि देश में सड़कों की स्थिति कुछ बेहतर हुई है तो सरकार ने इस तरफ ध्यान देना शुरू किया है।
मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो आरटीओ आधुनिकीकरण की योजना को जानबूझकर टाल दिया गया था क्योंकि बेहतर ढांचागत सुविधा के बगैर इसका कोई महत्व नहीं था। दत्त ने राज्यों से आग्रह किया है कि वे सड़कों पर जगह-जगह बाधाएं न उत्पन्न करें। केंद्रीय मंत्रालय ने कड़ाई बरतते हुए राष्ट्रीय राजमार्गो पर कोई भी नया चेकिंग प्वाइंट स्थापित करने से पहले एनएचएआई या यातायात आयुक्त से आवश्यक अनुमति लेने का आदेश दिया है।

1 comment:

Anonymous said...

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