नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। आप अगर किसी सरकारी बैंक के ग्राहक हैं और बैंक शाखा में आपकी समस्याओं की अनदेखी की जा रही है तो इस खबर से आपको निश्चित तौर पर काफी राहत मिलेगी। दरअसल, अब सरकारी बैंकों को अपनी सभी शाखाओं में एक बैंक ग्राहक समिति का गठन करना होगा। इन समितियों में संबंधित शाखा के दो-तीन शीर्ष अधिकारियों के अलावा चुनिंदा ग्राहक भी सदस्य होंगे। इसके अलावा जिस स्थान पर शाखा होगी उसके आसपास रहने वाले किसी प्रतिष्ठित बुजुर्ग व्यक्ति को भी इस समिति का सदस्य बनाया जाएगा। यह समिति न केवल ग्राहकों की समस्याओं को अपने स्तर पर सुलझाने की कोशिश करेगी, बल्कि समिति के सुझावों पर उच्च स्तर पर कार्रवाई भी संभव होगी।
इस समिति की बैठक महीने में एक बार होगी। बैठक में ग्राहकों की समस्याओं और सुझावों पर चर्चा होगी। बैंक शाखा के पास ग्राहकों की समस्याओं से संबंधित जितने मामले आएंगे उन पर समिति विचार-विमर्श करेगी। जब समिति के स्तर पर इन समस्याओं का निपटारा नहीं हो सकेगा तब इसे उच्च स्तर पर भेजा जाएगा। यह भी तय किया गया है कि यह समिति हर तीन माह में अपने सुझाव या रिपोर्ट ग्राहक सेवा पर गठित राज्यस्तरीय समिति को भेजेगी। राज्यस्तरीय समिति का गठन पूरे प्रदेश के बैंकों के प्रतिनिधियों को मिलाकर किया जाता है। शाखा स्तर पर बनने वाली समिति के पास कोई भी ग्राहक या समिति का सदस्य किसी समस्या या सुंझाव के साथ उपस्थित हो सकता है।
बैंकों में शाखा स्तर पर समिति बनाने का मसला पहली बार नहीं उठा है। काफी समय पहले तलवार समिति ने सभी वाणिज्यिक बैंकों में शाखा स्तर पर एक समिति गठित करने का सुझाव दिया था। तलवार समिति का कहना था कि ग्राहकों की समस्याओं के समाधान के लिए इस तरह की समिति का गठन होना चाहिए। सरकार ने इसके बाद सभी बैंकों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया था। बाद में भारतीय रिजंर्व बैंक ने गोईपोरिया समिति गठित की थी। इस समिति का गठन ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं को बेहतर बनाने पर सुझाव देने के लिए किया गया था। गोईपोरिया समिति ने इस बात पर ऐतराज जताया था कि तलवार समिति के सुझावों को अभी तक अमल में नहीं लाया गया है।
इसके बाद जब रिजर्व बैंक ने जांच-पड़ताल करवाई तो यह पाया गया कि उसके निर्देशों के बावजूद शाखा स्तर पर बैंक ग्राहक समिति बनाने का कोई खास प्रयास नहीं किया गया है। कुछ शाखाओं में ऐसी समितियां बनाई गई थीं, लेकिन न तो उनकी कोई बैठक हुई और न ही उनकी कोई अन्य गतिविधि देखी गई है। आरबीआई ने फिर से सभी बैंकों को यह निर्देश दिया है कि वे अपनी तमाम शाखाओं के स्तर पर इस तरह की समितियां गठित करें। ग्राहकों से संभवत: ज्यादा जमाराशि जुटाने के प्रयासों के तहत ही केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। देश में लगभग एक लाख बैंक शाखाएं हैं।
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