Wednesday 12 September, 2007

बैंकों में 27 सितंबर को हड़ताल

भारतीय स्टेट बैंक में विलय के प्रस्ताव के विरोध में उसके छह सहयोगी बैंक 27 सितंबर को हड़ताल करेंगे।

अखिल भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंदौर अधिकारी समन्वय समिति के अध्यक्ष आलोक खरे ने बताया कि अभी स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र के हड़ताल में भाग लेने का निश्चित नहीं है।

बाकी छह स्टेट बैंक ऑफ इंदौर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के अधिकारी कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे।

सौराष्ट्र बैंक के विलय का प्रस्ताव भारतीय स्टेट बैंक और सौराष्ट्र बैंक के बोर्ड ने पारित कर दिया है। अभी केन्द्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी मिलना शेष है।

खरे ने बताया कि सभी सहयोगी बैंक अपने क्षेत्रों में विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में इनका विलय अनुचित है। उन्होंने कहा कि इंदौर बैंक का विलय मध्यप्रदेश के आर्थिक हितों के विपरीत होगा। खरे ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार भी इस प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है।

खरे ने कहा कि निजी बैंकों से प्रतिस्पर्धा के लिए विलय का जहाँ तक सवाल है उसमें स्टेट बैंक सक्षम है और 75 प्रतिशत से अधिक व्यवसाय अब भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास है। मात्र 25 प्रतिशत निजी और विदेशी बैंकों की भागीदारी है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सभी सहयोगी बैंकों की आर्थिक स्थिति बेहतर होने के बावजूद स्टेट बैंक अपने व्यावसायिक स्वार्थों के लिए क्षेत्रीय पहचान वाली बैंकों को समाप्त करके संबंधित क्षेत्रों और प्रदेशों के आर्थिक विकास की आकांक्षाओं पर कुठाराघात करना चाहता है।

उन्होंने कहा कि व्यवसाय में हिस्सेदारी कम होने से स्टेट बैंक का सबसे बड़ा बैंक होने का दर्जा खतरे में पड़ता जा रहा है। ऐसे में उसके लिए शीर्ष पर रहने पर आसान रास्ता विलय है।

खरे ने बताया कि इंदौर बैंक पिछले 87 वर्षों से लगातार लाभ में रहा है। वर्ष 1960 में 15 करोड़ रुपए के व्यवसाय की तुलना में वर्ष 2007 में इसका कारोबार 35 हजार करोड़ रुपए तक पहुँच गया, जिसमें स्टेट बैंक की पूँजी का हिस्सा मात्र 17 करोड़ रुपए है। वर्ष 2006-07 में बैंक ने 200 प्रतिशत का लाभांश दिया है।

उन्होंने कहा कि इंदौर बैंक कई मापदंड़ों में स्टेट बैंक से आगे है। उन्होंने कहा कि जैसे साँची के स्तूप, खजुराहो और इंदौर का राजवाड़ा प्रदेश की पहचान है, वैसे ही 87 साल की पृष्ठभूमि वाली इंदौर बैंक भी राज्य की धरोहर है तथा इसे विलुप्त नहीं होने देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जैसे लगभग हर राज्य में कोई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की मौजूदगी है मध्यप्रदेश में इंदौर बैंक है।

1 comment:

Anonymous said...

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