Wednesday, 6 February 2008

'भारतीय इकॉनमी पर अमेरिकी असर नहीं'

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आया संकट भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा समय तक प्रभावित नहीं कर पाएगा। बेशक कुछ समय के लिए भारतीय बाजारों में स्थिति चिंताजनक हो सकती है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था का आधारभूत ढांचा इतना मजबूत है कि हालत फिर सामान्य हो जाएगी।

अपनी ताजा रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा है कि अमेरिका में सब-प्राइम और वित्तीय संकट के कारण भारत का निर्यात गिर रहा है। शेयर बाजार समेत अन्य बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव का दौर है। बाजार में डिमांड और सप्लाई के बीच संतुलन के लिए सरकार को मशक्कत करनी पड़ रही है। मनी फ्लो को तर्कसंगत स्तर पर रखने के लिए ब्याज दरों को ऊंचे स्तर पर रखना पड़ रहा है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन भी गिर रहा है। सबसे अहम बात यह कि इस कारण आर्थिक विकास दर को लेकर सरकार को समझौतापरक नीति अपनानी पड़ रही है।

आईएमएफ के अनुसार उदारवादी नीतियां अपनाने के बाद भारत भी ग्लोबल इकॉनमी का हिस्सा बन चुका है। यही कारण है कि अमेरिका या यूरोपीय देशों में होने वाले किसी भी आर्थिक घटनाक्रम का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ना शुरू हो गया है। इस प्रभाव को कम करना और इसको कम अवधि तक सीमित रखना देश की अर्थव्यवस्था की आधारभूत मजबूती पर निर्भर है। इस मामले में भारत की हालत अच्छी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात में गिरावट का जो झटका भारत को लग रहा है, उसका प्रमुख कारण अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 10 से 12 फीसदी की मजबूती है। इस कारण कारोबारी उत्पादन कम कर रहे हैं। ऐसे में बाजार में चीजों की कीमतें बढ़ना वाजिब है। अब सरकार के सामने सबसे प्रमुख चुनौती है कि उपभोक्ता वस्तुओं की डिमांड व सप्लाई के बीच किस तरह बेहतर तालमेल रखा जाए।

आईएमएफ का मानना है कि भारत के पास इन कठिनाइयों को पार करने और आगे बढ़ने की क्षमता है। आईएमएफ की सीनियर अडवाइजर और मिशन चीफ ऑफ इंडिया कल्पना कोचर का कहना है कि भारत का घरेलू बाजार इतना बड़ा है कि अगर कारोबारी इस पर ज्यादा फोकस करें तो वे कारोबार को नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं। भारत में घरेलू मांग इतनी ज्यादा व मजबूत है कि यहां पर जितना अधिक निवेश किया जाए, उतना लाभ कमाया जा सकता है।

कल्पना कोचर के अनुसार घरेलू बाजार के आकार में विकास की दर 15 से 20 फीसदी के बीच है। यानी उत्पादन और खपत दोनों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यही कारण है कि कई एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था मंदी की शिकार हुई, मगर भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर नहीं पड़ा। अमेरिकी वित्तीय संकट से भारतीय कंपनियों को लाभ भी हो सकता है। दरअसल अमेरिकी कंपनियां अपना लागत मूल्य कम करना चाहती है ताकि मुनाफे को बढ़ाया जा सके। ऐसे में वे भारतीय कंपनियों को आउटसोर्सिंग का काम ज्यादा दे सकती हैं। इससे आईटी कंपनियों में कारोबार को लेकर जो गिरावट दर्ज की जा रही है, उसमें भी सुधार आ जाएगा। बेशक अभी भारतीय आईटी कंपनियों की कारोबारी हालत ठीक नहीं है, मगर जल्द ही यह भी ठीक हो जाएगी। अमेरिकी कंपनियों ने इस बारे में विचार करना शुरू कर दिया है।

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