Wednesday 2 January, 2008

बाजार 2007 : बीता साल सबसे सफल रहा

बाजार 2007 : बीता साल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बीता साल सबसे सफल रहा। देश ने जहां 9 फीसदी की विकास दर हासिल की वहीं उद्योग जगत के सितारों ने भी दुनिया में अपने लिए ऊंचा मुकाम हासिल किया..

mukesh ambaniमुकेश अंबानी रिलायंस समूह नेटवर्थ ४९ अरब डॉलर

दौलत की बरसात शेयर बाजार में 2007 के दौरान जिस तरह मुकेश अंबानी पर दौलत बरसी, वह भी अमीरी की खबरों का मजा लेने लगे थे। अलबत्ता खुद को दुनिया का सबसे अमीर आदमी मानने को तैयार नहीं थे। रिलांयस का शेयर जब 2,827 रुपए पर पहुंचा तो मुकेश अंबानी को कालरेस स्लिम हेलु से भी आगे बताया गया। उनकी दौलत 44 से 60 अरब डॉलर के बीच मानी जाती है।

यह नए क्षेत्रों में उतरने और संघर्ष का साल था। गैस की कीमतों पर छोटे भाई अनिल अंबानी से विवाद था तो कुछ शहरों में रिटेल आउटलेट बंद करने पड़े। साल के अंत में मायावती की इस बात से राहत मिली होगी कि उन्हें बड़ी रिटेल श्रृंखलाओं से कोई बैर नहीं। आईपीसीएल के विलय ने निवेशकों की संख्या बढ़ाने के अलावा 2008 में आरपीएल की रिफाइनरी शुरू होने के बाद दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनर होने का रास्ता खोल दिया।

अनिल अंबानी एडीए समूह

नेटवर्थ ४५ अरब डॉलर

टेलीकॉम पर्सन जब अनिल और मुकेश अंबानी जुदा हुए तब अनिल के पास सबसे संभावनाशील व्यवसाय थे। जमीन पर ज्यादा कुछ नहीं था। रिलांयस कम्युनिकेशंस के निवेशकों से अनिल ने कहा भी था कि 5,000 करोड़ रुपए का घाटा विरासत में मिला है। पूंजी बाजार में समूह का बाजार पूंजीकरण 3 लाख करोड़ रुपए से कुछ ही कम है। सेंसेक्स को 20,000 तक पहुंचाने में अंबानी बंधुओं की कंपनियों ने सबसे ज्यादा योगदान दिया।

मोबाइल फोन दरों को 15 पैसे प्रति मिनट लोकल और 40 पैसे प्रति मिनट एसटीडी लाने का श्रेय रिलायंस कम्युनिकेशंस को जाता है। वाइस एंड डाटा पत्रिका ने अनिल अंबानी को टेलीकाम पर्सन आफ द ईयर करार दिया। उनकी नेटवर्थ 45 अरब डालर से ज्यादा हो गई है। रिलायंस पावर का बड़ा पब्लिक इश्यू नए साल में निवेशकों का दरवाजा खटखटाएगा।

रतन टाटा टाटा समूह :

नेटवर्थ 50 अरब डॉलर

अधिग्रहणों की सवारी

टाटा स्टील और कोरस के जिस सौदे को ‘टाइम’ पत्रिका ने 2007 में दुनिया का छठा सबसे अच्छा सौदा करार दिया, उसे अंजाम टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने दिया। वर्ष 2008 में एक लाख रुपए की जो कार भारतीय कार बाजार का अंदरूनी संतुलन बदलने वाली है, उस कार का सपना रतन टाटा ने देखा। जिस इंडिका कार ने टाटा को कार निर्माता बनाया, वह रतन टाटा की परिकल्पना थी।

रतन टाटा आजकल फोर्ड के जगुआर और लैंड रोवर ब्रांड खरीदने की दौड़ में हैं। अगला वर्ष कई अधिग्रहणों, विलयों और चहुंमुखी विकास का साबित हो सकता है।

स्टील में सौ साल पूरे करने वाले समूह का बाजार पूंजीकरण तीन लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है। वर्ष 2006-07 में समूह की आमदनी 1,29,994 करोड़ रुपए है।

विजय माल्या यूबी समूह

नेटवर्थ १.६ अरब

मदिरा और उड़ान

अपनी शाही जीवन शैली के लिए चर्चित विजय माल्या ने 1983 में जब से यूबी समूह की बागडोर संभाली है, समूह की छवि केवल शराब निर्माता की नहीं रह गई है। पिता विट्ठल माल्या ने जिस बीयर निर्माता कंपनी की शुरुआत की थी, विजय के प्रयासों से वह अब करीब साठ कंपनियों का बड़ा समूह बन गई है।

विजय माल्या अब करीब डेढ़ अरब डॉलर संपत्ति के मालिक हैं। समूह का मूल व्यवसाय अब भी अल्कोहली पेय पदार्थो का ही है, लेकिन आप इंजीनियरिंग, एयरलाइंस, आईटी, केमिकल को अनदेखा नहीं कर सकते हैं। भारत में बढ़ते महंगी शराब के बाजार का लाभ उठाने के लिए वह अधिग्रहण में लगे हैं।

केपी सिंह डीएलएफ समूह

नेटवर्थ 35 अरब

कांक्रीट तरक्की

भारत में अचल संपत्ति व्यवसाय को एक ताकतवर ब्रांड की शक्ल देने वाले कुशल पाल सिंह दुनिया में सबसे बड़े डेवलपर कहे जाने लगे हैं।

डीएलएफ के पास करीब 10,255 एकड़ जमीन है, जिसमें से 3000 एकड़ जमीन दिल्ली, एनसीआर, चंडीगढ़ और कोलकाता जैसे शहरों में है। वह अब तक 22.4 करोड़ वर्गफुट अचल संपत्ति का विकास कर चुकी है। सितंबर में 5.4 करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र पर काम चल रहा था।

कंपनियों को लंबी अवधि की लीज पर संपत्तियां देने से लेकर मध्य वर्ग को छोटे फ्लैट देने, दिल्ली में पार्किग बनाने से लेकर एक्सप्रेस वे तैयार करने तक की योजनाएं डीएलएफ के पास हैं। कंपनी घरेलू अचल संपत्ति व्यवसाय में ही 25 फीसदी विकास की संभावना देखती है।

बाजार 2007 में जो लूजर्स रहें

औद्योगिक क्षेत्र जिनमें गिरावट का रुझान देखा गया..

आईटी रुपयों की मार साल में रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 13 फीसदी मजबूत हुआ, इसका सीधा असर आईटी कंपनियों के मुनाफे पर पड़ा। इंफोसिस, सत्यम और एचसीएल ने भर्तियों में कमी की। वेतनवृद्धि पिछले साल की 60 फीसदी से घटकर 25 फीसदी रह सकती है। नास्काम का कहना है कि छोटी व मझोली कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। अमेरिका में मंदी की आशंकाएं भी इस उद्योग में चिंता पैदा कर रही है। प्रमुख आईटी कंपनियों की बिक्री में वृद्धि चालू वर्ष में घटकर 27 फीसदी ही रहने वाली है। शुद्ध मुनाफे में इजाफा 27 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा। फिर भी 2010 तक 60 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद है।

कपड़ा घटे मुनाफे

देश की दस प्रमुख कपड़ा निर्माता कंपनियों के मुनाफों पर गौर करें तो सितंबर में खत्म तिमाही में 32 फीसदी गिरावट आई है। रुपए की मजबूती ने जहां छोटी कपड़ा कंपनियों को नुकसान में ला दिया है, वहीं बड़े ब्रांड ऊंची ब्याज दरों से परेशान हैं। जिन कंपनियों की आमदनी 20-90 करोड़ रुपए के बीच रहती है, उनके कर पश्चात लाभ 74 फीसदी घटे हैं। कपड़ों और परिधानों की करीब 50 फीसदी बिक्री बाहर होती है, रुपए की मजबूती ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत को चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका के मुकाबले कमजोर बना दिया है। निर्यात घटने के कारण घरेलू बाजार में भी कीमतें गिरी हैं। निर्माताओं को दोहरा नुकसान हो रहा है।

एयरलाइंस : उड़ान जमीन पर

घाटे कम करने के लिए कई एयरलाइंस ने विलय का रास्ता अपनाया तो दूसरों ने प्रतिद्वंद्वी को निगल लिया। यात्रियों की संख्या बढ़ी लेकिन बुनियादी सुविधाओं का संकट गहरा गया। ट्रेफिक 40 फीसदी बढ़ा, लेकिन एयरलाइंस का घाटा 2000 करोड़ रहा। कुछ साल में एयरलाइंस 500 नए विमान अपने बेड़ों में शामिल करेंगी। अगले साल 20 नए हवाई अड्डे काम करने लगेंगे। ईंधन महंगा होने से एयरलाइनों की लागत बढ़ेगी। सरकार उड्डयन उद्योग में सीधे विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियम कुछ शिथिल करेगी। कई देशों के साथ द्विपक्षीय ट्रेफिक उदार बनाया जाएगा।

रिटेल : तेजी को ब्रेक

बड़ी रिटेल कंपनियों के विस्तार पर छोटे व्यापारियों का विरोध बढ़ा। यूपीए सरकार को समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने विरोध किया। रिलायंस को उत्तर प्रदेश में सरकारी रोक के कारण रिटेल आउटलेट बंद करने पड़े। उड़ीसा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रिटेल आउटलेट पर हमले हुए। घरेलू रिटेल श्रृंखलाओं के विरोध के कारण अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ने के आसार कम हुए। वाल मार्ट जैसे विदेशी रिटेलरों को आगे आकर सीधे बेचने की इजाजत मिलने की संभावनाएं घटीं। केंद्र चुनाव के पहले कोई भी जोखिम लेने से बचेगा। किसानों को सीधे रिटेल श्रंखला से जोड़ने व रिटेल में रोजगार बढ़ने की संभावनाओं को ब्रेक लगा।

फार्मा : दवा की जरूरत

करीब 20,000 करोड़ रुपए का दवा उद्योग विदेशी मुद्रा कमाने का प्रमुख स्रोत है। अप्रैल से जून के दौरान दवा निर्यात में मूल्य के हिसाब से 20 फीसदी कमी आई है। एक साल पहले की निर्यात आय 6069 करोड़ रुपए से भी नीचे आ गई है। इस साल दवा निर्यात के लक्ष्य में 25 फीसदी कमी रह जाएगी। डॉलर कमजोर होने के कारण मूल्य में कमी आई है। बाजार बदलने से भी दवा कंपनियों को फायदा नहीं होगा, क्योंकि दवा निर्यात का बड़ा हिस्सा डॉलर में होता है। मुनाफे घटेंगे। भारतीय कंपनियां 2012 में कई दवाओं के पेटेंट खत्म होने की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय बाजार का फायदा उठाना चाहती हैं, लेकिन रुपए की मजबूती से ज्यादा फायदा नहीं होगा।

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