नई दिल्ली : नए वित्तीय वर्ष 2008 - 09 यानी अप्रैल से बैंकों से लोन लेना मुश्किल हो सकता है। लोन देने के लिए बैंक नया कोड ऑफ कंडक्ट यानी नया नियम बनाने जा रहे हैं। बैंकों के उच्चाधिकारियों का कहना है कि जो ईमानदार व्यक्ति हैं और लोन पाने के हकदार हैं, उन्हें नई प्रक्रिया में कोई दिक्कत नहीं आएगी, वे बस इसकी पड़ताल करेंगे।
लोन से पहले पड़ताल
नए फ्रेश लोन लेने वालों को परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) देना जरूरी होगा ताकि उनकी फाइनेंशल पॉजिशन का पता लगाया जा सके। जो लोग लोन ले चुके हैं और दोबारा लोन लेना चाहते हैं, उनको पहले लोन की ईएमआई के भुगतान का पूरा ब्यौरा देना होगा। अगर वे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो क्रेडिट कार्ड पेमेंट की पूरी जानकारी देनी होगी। इसी के आधार पर लोन को मंजूरी दी जाएगी।
बैंक करेंगे रेटिंग
बैंक लोन धारकों की रेटिंग प्रक्रिया भी शुरू करने जा रहे हैं। इसके लिए रेटिंग एजेंसी से बात चल रही है। यह एजेंसी सभी बैंकों के लोन धारकों का डेटा तैयार करेगी। यह डेटा सभी बैंकों को दिया जाएगा ताकि एक बैंक से लोन लेने के बाद दूसरे बैंक से लोन लेने में कोई व्यक्ति बैंक को गुमराह न कर सके। एक सरकारी बैंक के उच्चाधिकारी ने बताया कि इस बारे में वित्त मंत्रालय ने सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। बैंक इस बारे में जल्द बैठक कर नए नियम का प्रारूप तैयार करेंगे। इसके बाद औपचारिक तौर पर मंजूरी ली जाएगी।
वसूली में आई कमी
ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव से बैंक काफी परेशान हैं। पिछले कई महीनों से ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी से लोन धारकों की मासिक किश्त को बढ़ाना पड़ा है। इससे ऋण अदायगी में कमी आई है क्योंकि ज्यादातर लोन धारक बढ़ी हुई ईएमआई देने में असमर्थता जता रहे हैं। एसबीआई के चेयरमैन ओ. पी. भट्ट का कहना है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से लोन लेने वालों की संख्या कम होना चिंता की बात है। पर लोन वसूली में कमी इससे बड़ी चिंता है। इससे एनपीए बढ़ने की आशंका है। फिलहाल बैंकों का एनपीए एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर है।
ब्याज कटौती का रास्ता
बैंकों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बयान के बाद इस महीने के अंत में आरबीआई मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती के लिए रास्ता तैयार कर देगा। केनरा बैंक के चेयरमैन एम. बी. एन. राव का कहना है कि अगले महीने तक कुछ शुभ सूचना आम लोगों को मिल सकती है। अगर ऐसा हुआ तो लोन लेने वालों की संख्या बढ़ सकती है। ऐसे में बैंक कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। वे लोन नए नियम के तहत देना चाहते हैं ताकि लोन की वापसी सुनिश्चित हो सके।
आरबीआई के अनुसार, बढ़ती ब्याज दरों के कारण बैंकों की वित्तीय सेहत पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। आंकड़ों के अनुसार 23 दिसंबर को खत्म हुए पखवाडे़ में पिछले साल की अवधि की तुलना में जमापूंजी राशि में 25.4 फीसदी और लोन वितरण में 23.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
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