नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम चाहते हैं कि लोगों को कम ब्याज दरों पर लोन मिले। मगर वह यह भी चाहते हैं कि बैंकों की वित्तीय हालत और मजबूत हो। इसलिए उन्होंने सार्वजनिक बैंकों के आला अधिकारियों से साफ तौर पर कहा है कि वे ब्याज दर घटाएं, मगर जमा पूंजी राशि पर ज्यादा ब्याज न दें। इसे तर्कसंगत स्तर पर रखें।
स्थिरता की वकालत
सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद चिदंबरम ने पत्रकारों से कहा कि इकॉनमी ग्रोथ को बढ़ाने के लिए इनवेस्टमेंट जरूरी है। खपत में तेजी लानी होगी। यह उनकी इच्छा है कि बैंक लोन व जमा पूंजी पर ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की कटौती करें। इस बारे में अब बैंकों को अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए फैसला करना होगा। एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा कि वह चाहते हैं कि ब्याज दरों में स्थिरता बनी रहे, ताकि आम आदमी लोन लेने में संकोच न करें।
जमा पूंजी पर ऊंची दर ठीक नहीं
बैंकों को ऊंची दर पर जमा पूंजी स्वीकार न करने की हिदायत देते हुए उन्होंने कहा कि कारोबार के सिद्धांत होते हैं। इन सिद्धांतों का पालन करते हुए बैंकों को जमा पूंजी पर ब्याज दरें तय करनी चाहिए। ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए, जिससे बैंकों की वित्तीय सेहत और देश की अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़े। उन्होंने कहा कि मुझे बैंकों के प्रमुखों को बताने की जरूरत नहीं है कि वे लोन देने के खर्चे को कम करेंगे तो ब्याज दरों में नरमी के रास्ते खुलेंगे। बैंकों का पहली छमाही में वित्तीय प्रदर्शन अच्छा रहा है। उम्मीद है कि अगले छमाही में भी बैंक लोन और जमापूंजी के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।
महंगाई काबू में
महंगाई की दर में आ रही मंदी को लेकर चिदंबरम ने संतोष जाहिर किया। उन्होंने कहा कि बेशक महंगाई की दर में गिरावट तकनीकी मुद्दा है। मगर इससे एक बात साफ होती है कि बाजार में वस्तुओं की सप्लाई में सुधार हो रहा है। सरकार का मकसद वस्तुओं की खुदरा कीमतों में कमी लाना है। कीमतें कम होनी शुरू हो गई हैं। महंगाई पर लगाम लगाना सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है।
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