Tuesday, 1 January 2008

इन्वेस्टमेंट का नया फंडा : म्यूचुअल फंड

जयंत कुमार अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा सेविंग अकाउंट में जमा करते हैं। ताकि कभी अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर कोई प्रॉब्लम न हो। जयंत जानते हैं कि इन फंड्स से मिलने वाली रकम बहुत अधिक नहीं है पर जरूरत के वक्त पैसे के लिए वह इस तरह का निवेश करते हैं। हालांकि, अगर उन्हें कोई बढ़िया इन्वेस्टमेंट प्लान बताया जाए जिसमें ज्यादा रिटर्न हो तो वह उसमें अपना पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। उन्होंने यह बात बचपन के दोस्त ज्योतिन मेहता को बताई जो कि एक फाइनैंशल अडवाइजर हैं। मेहता ने उन्हें लिक्विड फंड में निवेश करने की सलाह दी। वास्तव में आज लिक्विड फंड इन्वेस्टमेंट का बेहतर विकल्प बनकर उभरे हैं। इसकी कई वजहें हैं।

सेविंग अकाउंट्स की कम ब्जाय दरें

बढ़ते इंटरेस्ट रेट्स के दौर में सेविंग अकाउंटों में आज भी ब्याज दरें 3.5 फीसदी सालाना ही हैं। और यह प्री-टैक्स है। अगर आप इसमें टैक्स जोड़ने के बाद आकलन करें तो ये ब्याज दरें 2.45 के आसपास ही निकलती हैं। अब अगर इन्फ्लेशन रेट को भी देख लिया जाए जो कि इस वक्त लगभग 4.8 से 5 फीसदी के आसपास है तो यह नेगटिव 2.68 बैठती है। इसका मतलब यह हुआ कि आप का पैसा धीरे धीरे खत्म हो रहा है।

लिक्विड फंड- एक विकल्प

लिक्विड फंड ऐसे म्यूचुअल फंड्स हैं जिन्हें कम वक्त (1 साल से भी कम) के लिए मनी मार्केट और शार्ट टर्म डेब्ट में निवेश किया जाता है। इसी वजह से इसके पोर्टफोलियो में कमर्शल पेपर्स, ट्रेजरी बिल्स, डिपॉजिट सर्टिफिकेट और रेपो आदि समाहित होते हैं। इन फंडों का मकसद कम वक्त के लिए पैसे का सुरक्षित निवेश है। 31 अगस्त 2006 तक लिक्विड फंड्स में 1,20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा जमा हो चुका है। यानी कुल निवेश का लगभग 42 फीसदी हिस्सा।

लिक्विड फंड में इंटरेस्ट रेट्स

19 सितंबर 2006 को लिक्विड फंडों से प्राप्त सालाना ऐवरेज कंपाउंड इंटरेस्ट रेट लगभग 4.59 फीसदी रहा। 1 माह, 3 माह और 6 माह की दरें क्रमश: 0.46 फीसदी, 1.32 फीसदी और 2.59 फीसदी रहीं। जो कि एक अच्छा संकेत है।

निश्चित वापसी

जहां सेविंग अकाउंटों में रकम वापसी सुनिश्चित रहती है वहीं लिक्विड फंड्स में रकम वापसी की कोई गारंटी नहीं होती। इसकी वजह यह है कि इसमें निवेश किया गया पैसा कई योजनाओं में लगाया जाता है।

टैक्स

अगर आप डिवाइडेंड ऑप्शन चुनते हैं तो इससे कमाया गया पैसा टैक्स फ्री रहता है। हालांकि, कंपनी इस पर 14.25 फीसदी टैक्स का भुगतान करती है। अगर आप 1 साल के कम वक्त में पैसा वापस लेते हैं तो इसे हुई आय शार्ट टर्म कैपिटल गेन में आती है। इस पर टैक्स अप्लाई होता है। यदि 1 साल के बाद आप पैसा वापस लेते हैं तो यह लांग टर्म कैपिटल गेन में आता है। इस पर 10 फीसदी बिना इंडक्शन के और इंडक्शन सहित 20 फीसदी (इनमें से जो भी कम हो) टैक्स लगता है।

लिक्विडिटी

पैसा वापस लेने की अप्लीकेशन के वक्त से 24 घंटे के भीतर कंपनी आपको या तो चेक दे देती है या फिर आपके अकाउंट में पैसा डाल देती है। हालांकि सेविंग बैंक अकाउंट में भी यह सुविधा रहती है। इनमें आप बैंकिंग कार्य के समय के बाद यदि पैसा निकालना चाहें तो फिर एटीएम कार्ड की मदद ले सकते हैं।

मिनिमम इन्वेस्टमेंट अमाउंट

यह स्कीम पर निर्भर करता है। यह रकम 500 रुपए से भी कम हो सकती है। इसके विपरीत सेविंग अकाउंट 100 रुपए से भी खोले जा सकते हैं।

लिक्विडिटी की प्रोसेस को और आसान बनाने के लिए म्यूचुअल कंपनियां प्रयासरत हैं। रिलायंस म्यूचुअल फंड ने तो बाकायदा रिलायंस एनी टाइम मनी कार्ड ऑफर किए हैं। इस कार्ड का यूज आप पूरी दुनिया में कहीं भी कंपनी के म्यूचुअल फंड खरीदने के लिए कर सकते हैं। इसमें रकम निकालने को रीडेम्पशन कहा जाता है और जितने यूनिट आप के पास हैं उसमें से निकाली गई रकम के मुताबिक नेट असेट वैल्यू (एनएवी) कम कर दी जाती है। अगर आप दोपहर 3 बजे से पहले ट्रांजेक्शन करते हैं तो एनएवी उसी दिन अपडेट कर दिया जाता है। अगर आप 3 बजे के बाद ट्रांजेक्शन करते हैं तो एनएवी अगले दिन अपडेट होता है। विदेशों में कई म्यूचुअल कंपनियां अपने कस्टमर्स को चेक बुक इश्यू करती हैं। यह सुविधा अब भारत में भी कुछ कंपनियां दे रही हैं।

लिक्विड फंड तेजी से सेविंग अकाउंट्स की जगह ले रहे हैं। म्यूचुअल फंड कस्टमर्स की लिक्विडिटी और बढ़िया इंटरेस्ट रेट्स दोनों ही जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

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