लाइफ इंश्योरेंस की ही तरह होम इंश्योरेंस भी कई कंपनियां कर रही हैं। हालांकि इसे खरीदारों की संख्या अभी ज्यादा नहीं है। अगर आपको भी अपना घर प्यारा है, तो उसका भी बीमा कराना मत भूलिए।
हर आदमी का सपना होता है कि एक दिन उसका खुद का घर हो। एक आम आदमी अपने सारे जीवन की कमाई लगाकर घरौंदा तैयार कर पाता है। स्वाभाविक ही है कि उस घर से उसे लगाव हो ही जाएगा, लेकिन हादसों पर किसी का बस नहीं चलता। चाहे भूकंप हो, बाढ़, आग या फिर चोरी-डकैती, घर का नुकसान आदमी को अंदर तक हिला देता है। भावनाओं के नुकसान की भरपाई तो कोई नहीं कर सकता, लेकिन ऐसे में होम इंश्योरेंस कुछ हद तक राहत जरूर देता है।
इंश्योरेंस की सभी शाखाओं में होम इंश्योरेंस सबसे कम प्रचलन में है। बीमा क्षेत्र में निजी कंपनियों की दस्तक के बाद इस क्षेत्र का परिदृश्य बहुत बदला है। नतीजतन, आज लाइफ इंश्योरेंस की तरह ही होम इंश्योरेंस भी कई बीमा कंपनियां करती हैं यानी आपके पास चॉइस का ऑप्शन मौजूद है।
इंश्योरेंस कंपनियां
होम इंश्योरेंस देने वाली कंपनियों में आईसीआईसीआई-लोंबार्ड, बजाज एलांयज, जनरल इंश्योरेंस कंपनी, इफ्को-टोक्यो, नैशनल इंश्योरेंस कंपनी, न्यू इंडिया एश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस आदि हैं।
कितनी तरह का
होम इंश्योरेंस तीन तरह से किया जाता है। एक : बिल्डिंग का, दो : घर के सामान का और तीसरा दोनों का। इसके लिए बीमा कंपनियों के अलग-अलग प्रोडक्ट्स हैं, जिनमें किसी भी प्राकृतिक आपदा या मानवीय दुर्घटनाओं के चलते इंश्योर्ड ओब्जेक्ट को होने वाले नुकसान की भरपाई की जाती है।
रिस्क कवर्ड
- आग
- विस्फोट
- भूकंप
- बिजली गिरना
- तूफान या चक्रवात (साइक्लोन)
- बाढ़
- गैस लीकेज
- वाटर टैंक या पाइप का लीकेज होना या फटना
- चोरी या डकैती
- किसी वाहन से नुकसान
ऑब्जेक्ट्स कवर्ड
- इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिक गुड्स
- फनीर्चर ऐंड फिक्चर्स
- क्लोथिंग
- जूलरी और महंगे स्टोन्स
- अन्य सामान
कीमत का आकलन
होम इंश्योरेंस घर की मार्केट वैल्यू कवर नहीं करता। घर की मार्केट वैल्यू में जमीन और उस पर हुए कंसट्रक्शन, दोनों की कीमत शामिल होती है, लेकिन इंश्योरेंस कंपनी जमीन की कीमत पर ध्यान नहीं देती। जमीन का बीमा नहीं हो सकता, इसलिए बीमा केवल बिल्डिंग का ही होता है। आपके घर के एरिया और कंसट्रक्शन रेट प्रति स्कवायर फीट को मल्टीप्लाई करके बीमे की कुल रकम (सम इंश्योर्ड) तय की जाती है। इन सभी सामान की कीमत का आकलन भी उनकी वर्तमान मार्केट वैल्यू के आधार पर होता है। इसका मतलब अगर इन सामान के नुकसान के लिए क्लेम किया जाता है, तो उस सामान के नए सेट की कीमत में से डेप्रीसिएशन घटाकर जो राशि बचेगी, उसका पेमेंट होगा।
इंश्योरेंस लेते समय
आप जब भी अपने घर का इंश्योरेंस कराएं, तो उससे पहले इन बातों का खास ध्यान रखें:
1. कोई भी होम इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय इस बात को अच्छी तरह जांच लें कि प्लान के तहत आपके घर की कौन-कौन सी चीज कवर हो रही हैं।
2. इंश्योरेंस लेते समय ही आपको क्लेम के तरीका भी समझ लेना चाहिए। हो सकता है कि दो कंपनियों की पॉलिसी आपको एक बराबर रकम देने का वादा करें, लेकिन क्लेम लेते समय उतनी रकम न मिले। इससे बचने के लिए यह निश्चित कर लें कि जितना पैसा बताया जा रहा है, वह सारा पैसा क्लेम के रूप में मिलेगा या कुछ कम।
3. यह देख लें कि इंश्योरेंस कंपनी उन सभी सामान की कीमत दे, जिनका आपको नुकसान हुआ है, न कि सिर्फ उनकी, जिन्हें आप दोबारा खरीदने वाले हैं।
4. जब भी आप कोई क्लेम करते हैं, तो कंपनी पहले दो बातों की जांच करती है कि वास्तव में वे चीजें आपके पास थी भी या नहीं और क्या आपके द्वारा बताई गई कीमत सही है? ऐसी स्थिति में आपका पक्ष मजबूत रहे, इसके लिए आप पॉलिसी कराते समय ही कवर्ड सामान की वीडियो बना सकते हैं। लेकिन इस सीडी को घर में ही मत रखिएगा, क्योंकि बाकी सामान के साथ आप इसे भी खो सकते हैं।
5. अगर आप किसी संवेदनशील इलाके में रह रहे हैं, यानी किसी अर्थक्वेक या फ्लड प्रोन एरिया में, तो अपनी पॉलिसी में उसे कवर करना न भूलें।
कब नहीं मिलेगा क्लेम
- युद्ध में हुआ नुकसान
- टूट-फूट और डेप्रीसिएशन
- संपत्ति की अनदेखी
- पॉलिसी की शर्त की अनदेखी
- इंश्योरेंस कराने वाले या उसके परिजनों द्वारा जानबूझकर पहुंचाया गया नुकसान
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