नई दिल्ली : उम्मीद के मुताबिक अमेरिकी फेडरल बैंक की ब्याज दर में 0.75 फीसदी की कटौती का असर देश के शेयर बाजारों में दिखाई दिया। बुधवार को बॉम्बे शेयर मार्केट का इंडेक्स 864 अंक की रिकवरी कर 17,509 अंक पर बंद हुआ। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी इंडेक्स में 304 अंकों की रेकॉर्ड बढ़त रही। लेकिन रिटेल इनवेस्टर बुधवार को भी कम दामों में शेयर खरीदने का फायदा नहीं उठा पाए।
ब्रोक्ररों ने उन्हें मार्जिन घाटे की भरपाई के नाम पर खरीदारी नहीं करने दी। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि मौका अभी पूरी तरह हाथ से नहीं निकला है। बैंकों, वित्तीय संस्थानों और म्यूचुअल फंडों ने शेयरों की खरीदारी की, जिससे सेंसेक्स सुधर गया। रिटेल इनवेस्टर ब्रोकरों और सेबी को दोषी मान रहे हैं। उनका कहना है कि सेबी ने सारी स्थिति जानने के बावजूद रिटेल इनवेस्टरों को शेयरों में निवेश का मौका देने के लिए ब्रोकरों को आदेश नहीं दिया।
जियोजित फाइनेंशियल के प्रमुख गौरांग शाह कहते हैं, अगर रिटेल इंवेस्टरों ने किन्हीं वजह से पिछले दो-तीन दिन में शेयरों की खरीदारी नहीं की या उन्हें खरीदारी करने से रोका गया तो निश्चित रूप से उनके हाथ से खरीदारी का ऐसा गोल्डन अवसर छिन गया है, जो भविष्य में उनको भारी मुनाफा दे सकता था।
रिटेल इनवेस्टरों को जहां शेयरों के दाम घटने से लाखों की चोट लगने का दुख है, वहीं इस बात की नाराजगी है कि ब्रोकरों ने उनके साथ खेल किया। रिटेल इनवेस्टर प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि वे कई बार अपने ब्रोकर के पास गए ताकि शेयरों की खरीदारी कर सकें। ब्रोकर ने उनकी बात नहीं सुनी। कई छोटी व मझोली कंपनियों के शेयरों के दामों में 50 से 70 फीसदी की गिरावट आ चुकी थी। उनको ये शेयर खरीदने का मौका मिलता तो गिरावट के वर्तमान दौर में वे सुनहरे भविष्य की कहानी लिख सकते थे।रिटेल इनवेस्टरों ने इसके लिए अपनी आवाज भी उठाई पर वह अनसुनी रह गई। कुछ रिटेल इनवेस्टरों का कहना है कि उन्हें शेयरों की नकद खरीदारी से भी रोका गया।
ब्रोकरों का कहना है कि उनके सामने तकनीकी मजबूरी थी, जिनके चलते उनको ऐसा करना पड़ा। नैक्सस इंफोटेक के प्रमुख सुधीर जोशी कहते हैं, ब्रोकरों के सामने मार्जिन घाटे को पूरा करने की मजबूरी थी। मार्जिन घाटा इतना ज्यादा हो गया कि उसको पूरा करना मुश्किल हो गया था। इस कारण उन पर कारोबार सर्किट भी लगा दिया यानी वे एक सीमा से ज्यादा कारोबार नहीं कर सकते थे। ऐसे में वे क्या करते। उनका पहला लक्ष्य मार्जिन को पूरा करना था, जो उन्होंने किया। ब्रोकरों को शाम को अपने ग्राहकों के कारोबार को पूरा ब्यौरा देना होता है। घाटे को देखते हुए मार्जिन मनी देनी होती। मगर पिछले कुछ दिनों में घाटा मार्जिन मनी से ज्यादा हो गया। इसे संतुलित करने के लिए शेयरों को बेचना पड़ा।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बुधवार को बाजार कुछ संभला है। पिछले दिनों के दौरान शेयर बाजार में करीब 15 लाख करोड़ निकाले गए। वापसी करीब 5 से 6 लाख करोड़ रुपये की हुई हैं। यानी अब भी कुछ मिड व स्मॉल कैप के शेयर निचले स्तर पर चल रहे हैं। उनके दामों में 30 से 40 फीसदी की गिरावट है। एसिका स्टॉक ब्रोकरेज के पोरास भोंदरा का कहना है कि बेशक खरीदारी का एक अवसर चला गया, मगर अब भी रिटेल इनवेस्टर चाहे तो भविष्य में मुनाफा कमाने की इबारत लिख सकते हैं। उनको निचले स्तर पर चल रहे शेयरों व उनकी कंपनियों का अध्ययन करना चाहिए। हो सके तो नकदी देकर शेयर खरीदें। खरीदारी यह सोच कर करें कि उन्हें एक साल तक पैसा नहीं निकालना है।
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