भिलाई. देश के अंदर कोयले के भंडार विकसित करने के लिए स्टील अथारिटी आफ इंडिया (सेल) और टाटा स्टील लिमिटेड ने ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई है। इसमें दोनों की 50:50 फीसदी की हिस्सेदारी होगी। स्टील उत्पादन के लिए कोयले की जरूरत पूरा करने की दिशा में समझौते को काफी अहम माना जा रहा है।
सेल चेयरमैन सुशील कुमार रुंगटा व टाटा स्टील के एमडी बी. मुत्थुरमन ने गुरुवार को नई दिल्ली में इस आशय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। सेल द्वारा यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार ज्वाइंट वेंचर कंपनी देश के भीतर कोयला भंडारों की पहचान, अधिग्रहण और विकास के क्षेत्र में कार्य करेगी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्टील सेक्टर में आए उछाल के चलते सभी प्रमुख इस्पात कंपनियां अपना उत्पादन बढ़ा रही हैं। भारत में सेल व टाटा सहित ज्यादातर इस्पात उत्पादक विदेशी कोक पर आश्रित हैं। इससे उत्पादन लागत मूल्य प्रभावित होता है।
भारत में हार्ड और सेमीसाफ्ट कोकिंग कोल के अत्यंत सीमित भंडार हैं। लागत मूल्य को घटाने की कोशिश और देश के भीतर कोकिंग कोल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सेल व टाटा जैसी दो बड़ी कंपनियों ने हाथ मिला लिए।
नई कंपनी ने समझौते के साथ ही काम शुरू कर दिया है। दोनों कंपनी के संयुक्त कार्यकारी दल द्वारा झारखंड में 600 मिलियन टन से युक्त चार कोयला भंडारों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। भंडारों के आबंटन के बाद यह ज्वाइंट वेंचर कंपनी सेल व टाटा के निजी इस्तेमाल के लिए इन खानों का विकास व खनन करेगी।
समन्वय की मजबूत स्थिति
इस मौके पर सेल चेयरमैन श्री सुशील रुंगटा ने कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग उच्च और अनवरत विकास के दौर में है। ऐसे में यह ज्वाइंट वेंचर दोनों साझेदारों के लिए कोकिंग कोल की सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करने समन्वय स्थापित करेगा ।
टाटा स्टील के एमडी श्री मुत्थुरमन ने इस मौके पर कहा कि सेल व टाटा के पास विशिष्ट प्रबल पक्ष व क्षमताएं हैं और इस ज्वाइंट वेंचर से एक-दूसरे के प्रबल पक्षों में समन्वय की मजबूत स्थिति दिखाई पड़ती है।
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