Tuesday, 22 January 2008

एशियाई बाज़ार दूसरे दिन भी गिरे

एशिया के शेयर बाज़ारों में गिरावट मंगलवार को भी जारी है।

जापान का निक्केई सूचकांक मंगलवार को पाँच प्रतिशत नीचे खुला है। दक्षिण कोरिया के शेयर बाज़ार का भी लगभग ऐसा ही हाल है।

इस बीच, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख डोमिनिक़ स्ट्रॉस-कान ने दुनिया की अर्थव्यवस्था की स्थिति को गंभीर बताया है। वे यूरोप के प्रमुख शेयर बाज़ारों में सोमवार को आई भारी गिरावट के बाद बोल रहे थे।
ये अमरीका में 11 सितंबर के हमलों के बाद से यूरोप के शेयर बाज़ारों में आई सबसे बड़ी गिरावट है।
स्ट्रॉस-कान ने कहा कि अमरीकी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए राष्ट्रपति बुश ने जिस पैकेज की घोषणा की है, निवेशकों को उससे कहीं ज़्यादा बड़ा क़दम उठाए जाने की अपेक्षा थी।
भारत में मुंबई का मुख्य शेयर बाज़ार भी सोमवार को रिकॉर्ड गिरावट के साथ बंद हुआ था।

एक ही दिन में मुंबई शेयर बाज़ार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स ने इतना बड़ा गोता पहले कभी नहीं लगाया था।
सोमवार को सेंसेक्स में 1400 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई और सेंसेक्स 17605 के अंक पर बंद हुआ, हालत तो ये हो गई थी कि एक समय इंडेक्स 16995 तक जा गिरा था।

मंदी की आशंका

अमरीकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंकाओं के कारण ये गिरावट देखी जा रही है।
अमरीकी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए राष्ट्रपति बुश ने जिस पैकेज की घोषणा की है, निवेशकों को उससे कहीं ज़्यादा बड़ा क़दम उठाए जाने की अपेक्षा थी

डोमिनिक़ स्ट्रॉस-कान, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख

लंदन, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान और फ़िलीपींस के बाज़ारों में गिरावट का दौर रहा।

उधर ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 200 सूचकांक करीब 166 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। ये पिछले एक साल में सबसे निचला स्तर था।

हालांकि अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने पिछले शुक्रवार को अर्थव्यवस्था के लिए कुछ आपात उपायों की घोषणा की थी लेकिन इससे निवेशकों पर कुछ ख़ास असर पड़ता नज़र नहीं आ रहा है।

राष्ट्रपति बुश ने अमरीका की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने और उसमें तेज़ी लाने के लिए लगभग डेढ़ सौ अरब डॉलर के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी।

लेकिन लोगों को चिंता इस बात है कि बुश प्रशासन के इन क़दमों से अमरीका में उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता नहीं बढ़ेगी।

एशिया और यूरोप की बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए अमरीकी अर्थव्यवस्था बहुत महत्वपू्र्ण हैं क्योंकि अमरीका इन कंपनियों के लिए बड़ा निर्यात बाज़ार है।

विशेषज्ञों के मुताबिक अगर बाज़ार में माँग कम होगी तो इससे कंपनियों के मुनाफ़े पर सीधे-सीधे असर पड़ेगा।

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