नई दिल्ली। शेयर बाजार में निवेश कर मोटी कमाई करने वालों को अब शेयरों की बरसात में भींगने के लिए भी तैयार हो जाना चाहिए। जी हां, वित्त मंत्रालय के एक प्रस्ताव को यदि हरी झंडी मिल गई तो उन्हें जल्द ही यह अनुपम मौका जरूर मिलेगा। दरअसल, वित्त मंत्रालय यह चाहता है कि स्टाक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध सभी कंपनियों में आम जनता की हिस्सेदारी किसी भी सूरत में 25 प्रतिशत से कम न हो। चूंकि अनेक सूचीबद्ध कंपनियों में आम जनता की हिस्सेदारी फिलहाल 25 प्रतिशत से कम है, इसलिए मंत्रालय के इस आशय के प्रस्ताव को मान लिए जाने की स्थिति में उन्हें बड़ी संख्या में शेयर जारी करने पड़ेंगे। अनुमान तो यह लगाया गया है कि इससे प्रभावित होने वाली तमाम कंपनियों के प्रमोटरों को तकरीबन 10 खरब (ट्रिलियन) रुपये मूल्य के शेयर आम जनता को उपलब्ध कराने पड़ेंगे। इनमें रिलायंस पेट्रोलियम, टीसीएस, विप्रो, डीएलएफ, एनटीपीसी, एमएमटीसी, इंडियन आयल, एनएमडीसी तथा सेल जैसी कंपनियां भी शामिल होंगी।
यदि 'आम जनता' की परिभाषा में प्रमोटरों को छोड़ छोटे और बड़े सभी निवेशकों को शामिल किया गया तो इसके दायरे में तकरीबन 300 कंपनियां आएंगी और उन्हें लगभग दो खरब रुपये मूल्य के शेयर जारी करने पड़ेंगे। यदि 'आम जनता' की परिभाषा में केवल छोटे निवेशकों को ही शामिल किया गया तो इसके दायरे में तकरीबन 1200 कंपनियां आएंगी और उन्हें लगभग दस खरब रुपये मूल्य के शेयर जारी करने पड़ेंगे। दूसरे शब्दों में यह कुल बाजार पूंजीकरण के तकरीबन छठवें हिस्से के बराबर होगा।
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