नई दिल्ली : देश का गरीब तबका भी आने वाले दिनों में बेहतर हेल्थकेयर का सपना संजो सकता है। अपोलो, मैक्स और एस्कॉर्ट्स जैसे बड़े प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने की उनकी हसरत भी अब पूरी हो पाएगी। सरकार उनके लिए इस तरह का इंतजाम करने की योजना बना रही है।
सरकार का इरादा गरीबों को हेल्थकेयर वाउचर देने का है। इस वाउचर का इस्तेमाल वे प्राइवेट अस्पतालों में मनी के तौर पर करेंगे। यानी प्राइवेट अस्पतालों की ओर से इलाज का खर्च मांगे जाने पर गरीब हेल्थकेयर वाउचर पेश करेंगे। बाद में अस्पताल इन वाउचरों को इनकैश करा पाएंगे। वाउचरों का पेमेंट सरकार या तो खुद करेगी या इसका जिम्मा सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त इंश्योरेंस कंपनियों को दिया जाएगा।
यूपी और झारखंड सरकार ने हाल ही में गरीबों को हेल्थकेयर वाउचर देकर इस तरह का पायलट प्रोजेक्ट चलाया था। पायलट प्रोजेक्ट का मतलब प्रयोग के तौर पर चलाए जाने वाले प्रोजेक्ट से है। दोनों राज्यों द्वारा चलाए गए पायलट प्रोजेक्ट कामयाब रहे थे। हरियाणा, कर्नाटक और केरल में भी आम लोगों तक हेल्थकेयर एक्सेस पहुंचाने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) और इंश्योरेंस स्कीमों का सहारा हाल ही में लिया था।
एक सरकारी अफसर ने बताया कि अगले कुछ सालों में इस तरह की स्कीमें देश भर में चलाई जाएंगी और देश की पूरी आबादी को इनके दायरे में लाया जाएगा। सरकार कुछ बड़े प्राइवेट अस्पतालों को मान्यता देगी। गरीब इन्हीं अस्पतालों में इलाज करा पाएंगे। कुछ इंश्योरेंस कंपनियों को भी सरकार की ओर से मान्यता दी जाएगी। हॉस्पिटल्स इन्हीं इंश्योरेंस कंपनियों से इलाज का खर्च हासिल करेंगे। बाद में सरकार इंश्योरेंस कंपनियों को रिफंड क्लेम कर देगी।
दरअसल, सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना में हेल्थकेयर रिफॉर्म का व्यापक खाका खींचा है। गरीबों को हेल्थकेयर वाउचर दिए जाने की योजना भी इसी प्रस्ताव के ब्लूप्रिंट का हिस्सा है। राज्य सरकारों ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी हामी भर दी है।
इस प्रस्ताव के ब्लूप्रिंट में कई और बातें भी है। इसके तहत सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों और नर्सों की सैलरी उनकी परफॉर्मेंस के आधार बढ़ाए या कम किए जाने की बात है। केंद्र और राज्य सरकार अपने अस्पतालों में परफॉर्मेंस पर आधारित कंपनसेशन पैकेज लागू करना चाहते हैं। यानी कामचोरी करने वालों या मरीजों की सही तरीके से देखभाल नहीं करने वाले डॉक्टरों और नर्सों की खैर नहीं। इसी तरह, मेहनती डॉक्टरों और नर्सों की तरक्की तय है। इस पूरी कवायद का मकसद सरकारी अस्पतालों की हालत का सुधारने का है।
Monday, 31 December 2007
रिटायर हो सकते हैं रतन टाटा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टाटा ग्रुप के मुखिया रतन टाटा अपने ड्रीम प्रोजेक्ट लखटकिया कार के कामयाब लॉन्च के बाद सक्रिय कारोबारी गतिविधियों से खुद को दूर कर सकते हैं। रतन टाटा ने ब्रिटिश अखबार फाइनैंशियल टाइम्स से बातचीत में कहा है कि , ' आदर्श स्थिति में , छोटी कार के लॉन्च और इसके कामयाब होने के बाद , मेरे लिए यह सब छोड़ने का सही वक्त होगा। '
टाटा मोटर्स दिल्ली में होने वाले ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी को दुनिया की सबसे सस्ती मानी जा रही लखटकिया कार लॉन्च करेगी। हालांकि भारत के दूसरे कार निर्माताओं को शक है कि इस कीमत पर टाटा की कार , सुरक्षा और उत्सर्जन के सभी मानकों पर खरी उतरेगी। ब्रिटिश अखबार से इस बारे में बात करते हुए रतन टाटा ने कहा , ' हम ऐसी कार बना रहे हैं जो मोटरसाइकल से ज्यादा प्रदूषण नहीं फैलाएगी। '
रतन टाटा ने यह भी कहा कि हम लाखों-करोड़ों कारें बनाकर देश में उनकी बाढ़ तो लाने वाले नहीं हैं इसलिए हम प्रदूषण में इजाफा भी नहीं करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल भारत में औसत टू-वीलर और सबसे सस्ती कार (मारुति 800) की कीमत में काफी अंतर है और टाटा मोटर्स इसी सेगमेंट को टार्गेट कर रही है।
रतन टाटा ने यह भी कहा कि , ' हम लखटकिया कार का हाइब्रिड वैरिएंट इसलिए नहीं बना रहे हैं क्योंकि फिर इसकी कीमत एक लाख रुपये से ऊपर निकल जाएगी। रतन टाटा ने इसी 28 दिसंबर को अपना 70 वां जन्मदिन मनाया है।
टाटा मोटर्स दिल्ली में होने वाले ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी को दुनिया की सबसे सस्ती मानी जा रही लखटकिया कार लॉन्च करेगी। हालांकि भारत के दूसरे कार निर्माताओं को शक है कि इस कीमत पर टाटा की कार , सुरक्षा और उत्सर्जन के सभी मानकों पर खरी उतरेगी। ब्रिटिश अखबार से इस बारे में बात करते हुए रतन टाटा ने कहा , ' हम ऐसी कार बना रहे हैं जो मोटरसाइकल से ज्यादा प्रदूषण नहीं फैलाएगी। '
रतन टाटा ने यह भी कहा कि हम लाखों-करोड़ों कारें बनाकर देश में उनकी बाढ़ तो लाने वाले नहीं हैं इसलिए हम प्रदूषण में इजाफा भी नहीं करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल भारत में औसत टू-वीलर और सबसे सस्ती कार (मारुति 800) की कीमत में काफी अंतर है और टाटा मोटर्स इसी सेगमेंट को टार्गेट कर रही है।
रतन टाटा ने यह भी कहा कि , ' हम लखटकिया कार का हाइब्रिड वैरिएंट इसलिए नहीं बना रहे हैं क्योंकि फिर इसकी कीमत एक लाख रुपये से ऊपर निकल जाएगी। रतन टाटा ने इसी 28 दिसंबर को अपना 70 वां जन्मदिन मनाया है।
अमेरिकी आर्थिक संकट गहराया
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर छाया ‘सबप्राइम’ का संकट और गहरा सकता है।
शुक्रवार को अमेरिकी बाजार में धीमा कारोबार देखा गया। डाओ जोंस छः अंक की बढ़त के साथ बंद हुआ जबकि नैस्डेक दो अंक गिरकर बंद हुआ। वहीं एसएंडपी500 दो अंक की मजबूती के साथ बंद हुआ।
ऐसी आशंका जाहिर की जा रही है कि यहां चौथी तिमाही में साल 2000 के बाद की अब तक की सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है।
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ता खर्च में कटौती, बढ़ती बेरोजगारी और हाउसिंग मार्केट में गिरावट के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा गहरा गया है।
शुक्रवार को अमेरिकी बाजार में धीमा कारोबार देखा गया। डाओ जोंस छः अंक की बढ़त के साथ बंद हुआ जबकि नैस्डेक दो अंक गिरकर बंद हुआ। वहीं एसएंडपी500 दो अंक की मजबूती के साथ बंद हुआ।
ऐसी आशंका जाहिर की जा रही है कि यहां चौथी तिमाही में साल 2000 के बाद की अब तक की सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है।
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ता खर्च में कटौती, बढ़ती बेरोजगारी और हाउसिंग मार्केट में गिरावट के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा गहरा गया है।
सुजुकी भारत में कारोबार बढ़ाएगी
टोक्यो। जापान में छोटी कारों की निर्माता कम्पनी सुजुकी मोटर ने भारतीय बाजार में अपने कारोबार में विस्तार करने की योजना बनाई है। कम्पनी द्वारा भारतीय बाजार में 2010 तक अपने डीलरों की संख्या बढ़ाकर दोगुनी करने की योजना है।
मारुति सुजुकी खरीदें, लक्ष्य 1230 रुपए
समाचार पत्र ‘निक्की’ के अनुसार सुजुकी ने कहा है कि अपने डीलरों की संख्या बढ़ाकर लगभग 1000 किए जाने के साथ उसकी 10 लाख कारों की बिक्री की योजना है।
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार इस वर्ष जनवरी से नवम्बर तक सुजुकी ने भारत में बिक्री में 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर 653,000 कारों की बिक्री की। पूरे वर्ष में सुजुकी द्वारा सात लाख कारों की बिक्री की सम्भावना है।
सुजुकी की ‘कॉन्सेप्ट कार’ अगले साल
कम्पनी 1000 क्यूबिक सेंटीमीटर (सीसी) इंजन वाली कारों को भारत से यूरोप के लिए निर्यात करने की योजना भी बना रही है।
मारुति सुजुकी खरीदें, लक्ष्य 1230 रुपए
समाचार पत्र ‘निक्की’ के अनुसार सुजुकी ने कहा है कि अपने डीलरों की संख्या बढ़ाकर लगभग 1000 किए जाने के साथ उसकी 10 लाख कारों की बिक्री की योजना है।
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार इस वर्ष जनवरी से नवम्बर तक सुजुकी ने भारत में बिक्री में 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर 653,000 कारों की बिक्री की। पूरे वर्ष में सुजुकी द्वारा सात लाख कारों की बिक्री की सम्भावना है।
सुजुकी की ‘कॉन्सेप्ट कार’ अगले साल
कम्पनी 1000 क्यूबिक सेंटीमीटर (सीसी) इंजन वाली कारों को भारत से यूरोप के लिए निर्यात करने की योजना भी बना रही है।
Saturday, 29 December 2007
महंगाई की दर घटकर 3.45 फीसदी हुई
नई दिल्लीः फल, सब्जियां, टेक्सटाइल प्रॉडक्ट्स और दूसरी खाने-पीने की चीजों के सस्ता होने से महंगाई की दर 15 दिसम्बर को खत्म हफ्ते में 0.20 फीसदी घटकर 3.45 फीसदी रह गई। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतें चिंता का विषय बनी हुई हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्नालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की समान अवधि में महंगाई की दर 5.76 फीसदी थी।
विश्लेषकों का मानना है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की संभावना है, जिससे महंगाई की दर फिर दबाव में आ सकती है। उनका आकलन है कि 1 फरवरी से यह 4 फीसदी के करीब पहुंच जाएगी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्नालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की समान अवधि में महंगाई की दर 5.76 फीसदी थी।
विश्लेषकों का मानना है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की संभावना है, जिससे महंगाई की दर फिर दबाव में आ सकती है। उनका आकलन है कि 1 फरवरी से यह 4 फीसदी के करीब पहुंच जाएगी।
पाक में एफडीआई पर बुरा असर पड़ेगा
इस्लामाबादः पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या से पाकिस्तान में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और पूंजी के प्रवाह पर बुरा असर पड़ेगा। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी 'स्टैंडर्ड एंड पुअर्स' ने शुक्रवार को यह बात कही।
एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया कि एफडीआई और पोर्टफोलियो फ्लो में गिरावट की आशंका है, जिससे पाकिस्तान की वाह्य तरलता की स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ेगा। कहा गया कि हत्या के बाद पैदा हुई देशव्यापी हिंसा और अस्थिरता का असर अन्य वित्तीय संस्थाओं पर भी पड़ेगा। रिपोर्ट में राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका भी जताई गई और कहा गया कि अगर 8 जनवरी को होने वाले चुनाव टल गए, तो पाकिस्तान की रेटिंग में और गिरावट आएगी।
एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया कि एफडीआई और पोर्टफोलियो फ्लो में गिरावट की आशंका है, जिससे पाकिस्तान की वाह्य तरलता की स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ेगा। कहा गया कि हत्या के बाद पैदा हुई देशव्यापी हिंसा और अस्थिरता का असर अन्य वित्तीय संस्थाओं पर भी पड़ेगा। रिपोर्ट में राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका भी जताई गई और कहा गया कि अगर 8 जनवरी को होने वाले चुनाव टल गए, तो पाकिस्तान की रेटिंग में और गिरावट आएगी।
999 रुपए में ब्राडबैंड के साथ बातचीत मुफ्त
भोपाल. बीएसएनएल के अनलिमिटेड ब्राडबैंड उपभोक्ता अब कुल 999 रुपए देकर मप्र में बीएसएनएल नेटवर्क पर मुफ्त में बात भी कर सकेंगे। इसके अलावा नए लैंडलाइन ग्राहक बिना कोई अतिरिक्त शुल्क दिए मप्र में मुफ्त में बात कर सकेंगे।
नए मोबाइल ग्राहकों के लिए अतिरिक्त टाकटाइम की घोषणा करने के बाद शुक्रवार को बीएसएनएल ने इंटरनेट और लैंडलाइन ग्राहकों के लिए भी दो खास योजनाएं पेश कीं। 900 रुपए प्रति माह में अनलिमिटेड ब्राडबैंड कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को बीएसएनएल एक किराया मुक्त वाला टेलीफोन इंस्ट्रुमेंट देगा।
इन्हें मप्र-छग में बीएसएनएल के मोबाइल पर और केवल मप्र में बीएसएनएल के लैंडलाइन पर बात करने के लिए केवल 99 रुपए प्रति माह अतिरिक्त देने होंगे। इस तरह कुल 999 रुपए का भुगतान करके 256 केबीपीएस के अनलिमिटेड ब्राडबैंड के साथ बातचीत भी मुफ्त में की जा सकेगी।
इसके अलावा नया लैंडलाइन कनेक्शन बुक कराने वाले उपभोक्ताओं को तीन महीने तक लो, कर लो बात योजना का लाभ भी मुफ्त में मिलेगा। इसका अर्थ यह हुआ कि इन उपभोक्ताओं को मप्र में बीएसएनएल नेटवर्क पर बात करने के लिए 149 रुपए नहीं देने होंगे।
उल्लेखनीय है कि कंपनी ने एक दिन पहले ही नए प्री पेड मोबाइल उपभोक्ताओं को 30 रुपए के स्थान पर सौ रुपए का प्रारंभिक टाकटाइम देने की घोषणा की है। इसके अलावा कंपनी पोस्टपेड उपभोक्ताओं को दो सिम मुफ्त में देने पर भी विचार कर रही है।
नए मोबाइल ग्राहकों के लिए अतिरिक्त टाकटाइम की घोषणा करने के बाद शुक्रवार को बीएसएनएल ने इंटरनेट और लैंडलाइन ग्राहकों के लिए भी दो खास योजनाएं पेश कीं। 900 रुपए प्रति माह में अनलिमिटेड ब्राडबैंड कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को बीएसएनएल एक किराया मुक्त वाला टेलीफोन इंस्ट्रुमेंट देगा।
इन्हें मप्र-छग में बीएसएनएल के मोबाइल पर और केवल मप्र में बीएसएनएल के लैंडलाइन पर बात करने के लिए केवल 99 रुपए प्रति माह अतिरिक्त देने होंगे। इस तरह कुल 999 रुपए का भुगतान करके 256 केबीपीएस के अनलिमिटेड ब्राडबैंड के साथ बातचीत भी मुफ्त में की जा सकेगी।
इसके अलावा नया लैंडलाइन कनेक्शन बुक कराने वाले उपभोक्ताओं को तीन महीने तक लो, कर लो बात योजना का लाभ भी मुफ्त में मिलेगा। इसका अर्थ यह हुआ कि इन उपभोक्ताओं को मप्र में बीएसएनएल नेटवर्क पर बात करने के लिए 149 रुपए नहीं देने होंगे।
उल्लेखनीय है कि कंपनी ने एक दिन पहले ही नए प्री पेड मोबाइल उपभोक्ताओं को 30 रुपए के स्थान पर सौ रुपए का प्रारंभिक टाकटाइम देने की घोषणा की है। इसके अलावा कंपनी पोस्टपेड उपभोक्ताओं को दो सिम मुफ्त में देने पर भी विचार कर रही है।
वीएसएनएल ने 10 फीसदी हिस्सेदारी बेची
मुंबई. टाटा समूह की कंपनी वीएसएनएल ने अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी अपनी श्रीलंका स्थित पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनी सनशाईन होल्डिंग को 2.72 करोड़ रुपए में बेच दी।
सनशाईन एक श्रीलंकाई कांग्लोमरेट है जो अन्य क्षेत्रों के अलावा दवा निर्माण, यात्रा एवं पर्यटन और चाय एवं रबर की खेती के क्षेत्र में भी काम करती है। सनशाईन होल्डिंग्स के पास वीएसएनएल में अतिरिक्त पांच फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार है।
सनशाईन एक श्रीलंकाई कांग्लोमरेट है जो अन्य क्षेत्रों के अलावा दवा निर्माण, यात्रा एवं पर्यटन और चाय एवं रबर की खेती के क्षेत्र में भी काम करती है। सनशाईन होल्डिंग्स के पास वीएसएनएल में अतिरिक्त पांच फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार है।
Friday, 28 December 2007
जासूसों की नजर कारोबार पर
जासूसी आमतौर पर या तो किसी अपराधी को पकड़ने के लिए होती है या किसी की हर हरकत पर नजर रखने के लिए। इसके लिए आजकल लोग पैसा देकर निजी जासूसों को भी लगाते हैं। अब कॉर्पोरेट जगत भी जासूसों का इस्तेमाल कर रहा है।
व्यावसायिक माहौल में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ-साथ सभी कंपनियाँ अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी के बारे में जानने के लिए जासूसों को लगा रही हैं। कॉर्पोरेट जगत में इन जासूसों को 'कॉर्पोरेट इंटेलिजेंस' के नाम से जाना जाता है। बिजनेस की गतिविधियाँ बढ़ने के साथ ही इन कॉर्पोरेट इंटेलिजेंस कंपनियों की जरूरत भी बढ़ने लगी है।
दरअसल सभी कंपनियाँ खुद की गुणवत्ता को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए दूसरी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के उत्पादों और कार्यशैली पर नजर रखना चाहती हैं। इसके लिए वे सीधे तौर पर जासूसों का सहारा लेने लगी हैं।
जासूसों का इस्तेमाल करने वाली कंपनियाँ जासूसों से यह उम्मीद भी रखती हैं कि वे दूसरी कंपनियों के कर्मचारियों और योजनाओं पर नजर रखें।
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसीज इन इंडिया के प्रमुख विक्रमसिंह का कहना है कि कॉर्पोरेट जासूस कंपनियों के नए उत्पादों, कंपनी में उच्च पदों और वेतन पर कार्यरत कर्मचारियों आदि की जानकारी भी रखते हैं। इससे जासूसों की अहमियत कॉर्पोरेट स्तर पर बढ़ती जा रही है।
भारत में कॉर्पोरेट जासूस अलग-अलग तरह से काम करते हैं। पहले अन्य कंपनी के उत्पादों, योजनाओं और कर्मचारियों की जानकारी रखते हैं। दूसरे कंपनी में शामिल होने जा रहे नए कर्मचारियों पर नजर रखते हैं और इसके अलावा कंपनी की पार्टनरशिप, अन्य बिजनेस सौदे आदि पर निगरानी रखते हैं।
व्यावसायिक माहौल में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ-साथ सभी कंपनियाँ अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी के बारे में जानने के लिए जासूसों को लगा रही हैं। कॉर्पोरेट जगत में इन जासूसों को 'कॉर्पोरेट इंटेलिजेंस' के नाम से जाना जाता है। बिजनेस की गतिविधियाँ बढ़ने के साथ ही इन कॉर्पोरेट इंटेलिजेंस कंपनियों की जरूरत भी बढ़ने लगी है।
दरअसल सभी कंपनियाँ खुद की गुणवत्ता को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए दूसरी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के उत्पादों और कार्यशैली पर नजर रखना चाहती हैं। इसके लिए वे सीधे तौर पर जासूसों का सहारा लेने लगी हैं।
जासूसों का इस्तेमाल करने वाली कंपनियाँ जासूसों से यह उम्मीद भी रखती हैं कि वे दूसरी कंपनियों के कर्मचारियों और योजनाओं पर नजर रखें।
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसीज इन इंडिया के प्रमुख विक्रमसिंह का कहना है कि कॉर्पोरेट जासूस कंपनियों के नए उत्पादों, कंपनी में उच्च पदों और वेतन पर कार्यरत कर्मचारियों आदि की जानकारी भी रखते हैं। इससे जासूसों की अहमियत कॉर्पोरेट स्तर पर बढ़ती जा रही है।
भारत में कॉर्पोरेट जासूस अलग-अलग तरह से काम करते हैं। पहले अन्य कंपनी के उत्पादों, योजनाओं और कर्मचारियों की जानकारी रखते हैं। दूसरे कंपनी में शामिल होने जा रहे नए कर्मचारियों पर नजर रखते हैं और इसके अलावा कंपनी की पार्टनरशिप, अन्य बिजनेस सौदे आदि पर निगरानी रखते हैं।
शेयर बाजार में बढ़त का दौर जारी
देश के शेयर बाजारों में गुरुवार को माह के वायदा एवं विकल्प कारोबार के निपटान से पहले उतार-चढ़ाव के बीच आईसीआईसीआई बैंक जैसी कंपनियों के शेयरों को मिले भारी समर्थन से लगातार पाँचवें कारोबारी दिन में बढ़त रही। बीएसई का सेंसेक्स करीब 24 अंक और एनएसई का निफ्टी सूचकांक 11 अंक ऊपर चला गया।
कोषों और आम निवेशकों की ओर से लिवाली जारी रहने से सेंसेक्स बुधवार के 20193 अंक से लगभग 109 अंक ऊपर 20301 अंक पर खुला। लिवाली के जोर से यह 20323 अंक के उच्चतम स्तर तक गया और बिकवाली के दबाव में आकर 20159 अंक तक नीचे आया। कारोबार की समाप्ति पर सेंसेक्स 24.20 अंक यानी 0.12 प्रतिशत ऊपर 20217 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी के आखिरी 6082 अंक पर 10.75 अंक यानी 0.18 प्रतिशत की बढ़त रही।
लघु कंपनियों के शेयरों को भारी समर्थन मिलने से इसका शेयर सूचकांक 286.25 अंक यानी 2.32 प्रतिशत चढ़ गया। मझोली कंपनियों के सूचकांक में 28 अंक यानी 0.30 प्रतिशत की बढ़त रही। बीएसई में कुल 2953 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ। उनमें से 2069 लाभ और 841 नुकसान में रहीं जबकि 43 के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में से 14 नुकसान में रहीं और 16 में लाभ रहा।
सबसे ज्यादा बढ़त एचडीएफसी बैंक के शेयर में 2.77 प्रतिशत रही। यह 47.10 रुपए के लाभ के साथ 1750 रुपए पर बंद हुआ। विप्रो के 549.30 रुपए के शेयर में 13.60 रुपए यानी 2.54 प्रतिशत का फायदा रहा। आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 22.60 रुपए यानी 1.85 प्रतिशत ऊपर गया और 1242 रुपए पर बंद हुआ।
आईटीसी, टाटा स्टील और रिलायंस एनर्जी के शेयर एक से दो प्रतिशत के बीच चढ़े। हिंडाल्को, एचडीएफसी, ओएनजीसी और हिंदुस्तान यूनीलीवर के शेयरों में एक से कम प्रतिशत की बढ़त रही।
नुकसान वाले शेयरों की सूची में सबसे ऊपर टाटा मोटर्स रही। इसका शेयर 15.40 रुपए यानी 2.05 प्रतिशत टूटकर 736.70 रुपए पर बंद हुआ। सत्यम कम्प्यूटर के 451.40 रुपए के शेयर में 7.90 रुपए यानी 1.72 प्रतिशत का घाटा रहा। रिलायंस काम के शेयर में 12.35 रुपए यानी 1.66 प्रतिशत का नुकसान हुआ और यह 730.80 रुपए पर बंद हुआ। भारती एयरटेल का शेयर 16.25 रुपए यानी 1.65 प्रतिशत टूटकर 966.30 रुपए पर टिका।
रैनबैक्सी, एलएंडटी, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, स्टेट बैंक, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा और इन्फोसिस के शेयरों में एक से कम प्रतिशत का नुकसान रहा।
कोषों और आम निवेशकों की ओर से लिवाली जारी रहने से सेंसेक्स बुधवार के 20193 अंक से लगभग 109 अंक ऊपर 20301 अंक पर खुला। लिवाली के जोर से यह 20323 अंक के उच्चतम स्तर तक गया और बिकवाली के दबाव में आकर 20159 अंक तक नीचे आया। कारोबार की समाप्ति पर सेंसेक्स 24.20 अंक यानी 0.12 प्रतिशत ऊपर 20217 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी के आखिरी 6082 अंक पर 10.75 अंक यानी 0.18 प्रतिशत की बढ़त रही।
लघु कंपनियों के शेयरों को भारी समर्थन मिलने से इसका शेयर सूचकांक 286.25 अंक यानी 2.32 प्रतिशत चढ़ गया। मझोली कंपनियों के सूचकांक में 28 अंक यानी 0.30 प्रतिशत की बढ़त रही। बीएसई में कुल 2953 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ। उनमें से 2069 लाभ और 841 नुकसान में रहीं जबकि 43 के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में से 14 नुकसान में रहीं और 16 में लाभ रहा।
सबसे ज्यादा बढ़त एचडीएफसी बैंक के शेयर में 2.77 प्रतिशत रही। यह 47.10 रुपए के लाभ के साथ 1750 रुपए पर बंद हुआ। विप्रो के 549.30 रुपए के शेयर में 13.60 रुपए यानी 2.54 प्रतिशत का फायदा रहा। आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 22.60 रुपए यानी 1.85 प्रतिशत ऊपर गया और 1242 रुपए पर बंद हुआ।
आईटीसी, टाटा स्टील और रिलायंस एनर्जी के शेयर एक से दो प्रतिशत के बीच चढ़े। हिंडाल्को, एचडीएफसी, ओएनजीसी और हिंदुस्तान यूनीलीवर के शेयरों में एक से कम प्रतिशत की बढ़त रही।
नुकसान वाले शेयरों की सूची में सबसे ऊपर टाटा मोटर्स रही। इसका शेयर 15.40 रुपए यानी 2.05 प्रतिशत टूटकर 736.70 रुपए पर बंद हुआ। सत्यम कम्प्यूटर के 451.40 रुपए के शेयर में 7.90 रुपए यानी 1.72 प्रतिशत का घाटा रहा। रिलायंस काम के शेयर में 12.35 रुपए यानी 1.66 प्रतिशत का नुकसान हुआ और यह 730.80 रुपए पर बंद हुआ। भारती एयरटेल का शेयर 16.25 रुपए यानी 1.65 प्रतिशत टूटकर 966.30 रुपए पर टिका।
रैनबैक्सी, एलएंडटी, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, स्टेट बैंक, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा और इन्फोसिस के शेयरों में एक से कम प्रतिशत का नुकसान रहा।
आरकॉम ने सरकार को भेजा लीगल नोटिस
नई दिल्लीः ट्राई के फॉर्म्युले पर अडिशनल स्पेक्ट्रम के आवंटन के फैसले से नाराज सीडीएमए मोबाइल ऑपरेटर रिलायंस कम्यूनिकेशंस ने सरकार (डॉट) को लीगल नोटिस भेजा है। इसमें वर्तमान प्लेयरों के एयरवेव्स को फ्रीज करने की मांग की गई है।
गौरतलब है कि सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में ट्राई की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए इस बाबत दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दायर करने का फैसल किया है।
आरकॉम का कहना था कि सरकार को टेलिकॉम इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) के प्रस्तावित फॉर्म्युले पर स्पेक्ट्रम का आवंटन करना चाहिए, जिसे डॉट ने भी सिद्धांत रूप में स्वीकार कर लिया था। टीईसी ने सब्सक्राइबर बेस में 15 गुना बढ़ोतरी की थी, जबकि ट्राई ने यूजर्स बेस में 6 गुना बढ़ोतरी की सिफारिश की है।
गौरतलब है कि सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में ट्राई की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए इस बाबत दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दायर करने का फैसल किया है।
आरकॉम का कहना था कि सरकार को टेलिकॉम इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) के प्रस्तावित फॉर्म्युले पर स्पेक्ट्रम का आवंटन करना चाहिए, जिसे डॉट ने भी सिद्धांत रूप में स्वीकार कर लिया था। टीईसी ने सब्सक्राइबर बेस में 15 गुना बढ़ोतरी की थी, जबकि ट्राई ने यूजर्स बेस में 6 गुना बढ़ोतरी की सिफारिश की है।
सावधान! लुभावना मोबाइल ऑफर हो सकता है जाल
नई दिल्ली : एक जानी-मानी मोबाइल नेटवर्किंग कंपनी के प्रतिनिधि बनकर लोगों को ठगने वाले दो अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ये दोनों खुद को इस मोबाइल कंपनी का प्रतिनिधि बताकर लोगों के सामने लुभावने ऑफर रखते थे और जब शिकार इनके जाल में फंस जाता था, तो ये उससे पैसे ऐंठ लेते थे। अभियुक्तों की पहचान सेक्टर-40, नोएडा (यूपी) निवासी सुनील कुमार (22) और कोंडली निवासी सोनू (18) के रूप में हुई है। पुलिस ने उनके पास से कुछ सिम कार्ड भी बरामद किए।
डीसीपी (नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट) देवेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, रविवार को इन लोगों ने एक व्यक्ति से फोन पर कॉन्टैक्ट किया। इन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि कंपनी द्वारा निकाले गए एक लकी ड्रॉ में उन्होंने एक नया प्रीपेड मोबाइल कनेक्शन जीता है। इस कनेक्शन में उन्हें कई आकर्षक सुविधाएं भी मिलेंगी। यह भी ऑफर दिया गया कि अगर वह पहले से ही इस कंपनी का मोबाइल नेटवर्क यूज कर रहे हैं, तो उस नंबर पर भी यह सुविधा हासिल की जा सकती है। इस कनेक्शन को हासिल करने के लिए उन्हें सिर्फ 799 रुपये चुकाने होंगे। इन लोगों ने एक खूबसूरत रिस्ट वॉच और कई अन्य आकर्षक गिफ्ट भी इस नए कनेक्शन के साथ देने की बात कही। दोनों के झांसे में फंसकर उस व्यक्ति ने इनसे कहा कि वे कंपनी के किसी प्रतिनिधि को नए कनेक्शन के साथ उनके घर भेज दें।
रविवार शाम सोनू उस व्यक्ति द्वारा बताए गए पते पर पहुंच गया। उसने खुद को कंपनी के ओखला स्थित दफ्तर का प्रतिनिधि बताया, लेकिन उसके पहनावे और बातचीत के तौर-तरीके को देखकर उस व्यक्ति को सोनू पर शक हुआ और उसने चुपचाप पुलिस को इस बारे में सूचित कर दिया। पुलिस ने जब कंपनी के कस्टमर केयर नंबर पर फोन किया, तो पता चला कि कंपनी ने ऐसी कोई स्कीम निकाली ही नहीं है। इसके बाद पुलिस ने उस व्यक्ति के घर पहुंचकर सोनू को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में पुलिस को पता चला कि सोनू, सुनील और उनके कुछ अन्य साथी शकरपुर इलाके में जी. एस. टेलिकॉम के नाम से एक कॉल सेंटर चलाते हैं। हर शिकार पर दोनों को 500-600 रुपये का सीधा मुनाफा हो जाता था। ये लोग नकली आईडी प्रूफ पर लोगों को ऐसे कनेक्शन भी पकड़ा देते थे, जो बाद में एक्टिवेट ही नहीं होते थे। पूछताछ के बाद सोनू की निशानदेही पर पुलिस ने सुनील को भी गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से कुछ सिम कार्ड भी बरामद किए गए।
डीसीपी (नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट) देवेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, रविवार को इन लोगों ने एक व्यक्ति से फोन पर कॉन्टैक्ट किया। इन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि कंपनी द्वारा निकाले गए एक लकी ड्रॉ में उन्होंने एक नया प्रीपेड मोबाइल कनेक्शन जीता है। इस कनेक्शन में उन्हें कई आकर्षक सुविधाएं भी मिलेंगी। यह भी ऑफर दिया गया कि अगर वह पहले से ही इस कंपनी का मोबाइल नेटवर्क यूज कर रहे हैं, तो उस नंबर पर भी यह सुविधा हासिल की जा सकती है। इस कनेक्शन को हासिल करने के लिए उन्हें सिर्फ 799 रुपये चुकाने होंगे। इन लोगों ने एक खूबसूरत रिस्ट वॉच और कई अन्य आकर्षक गिफ्ट भी इस नए कनेक्शन के साथ देने की बात कही। दोनों के झांसे में फंसकर उस व्यक्ति ने इनसे कहा कि वे कंपनी के किसी प्रतिनिधि को नए कनेक्शन के साथ उनके घर भेज दें।
रविवार शाम सोनू उस व्यक्ति द्वारा बताए गए पते पर पहुंच गया। उसने खुद को कंपनी के ओखला स्थित दफ्तर का प्रतिनिधि बताया, लेकिन उसके पहनावे और बातचीत के तौर-तरीके को देखकर उस व्यक्ति को सोनू पर शक हुआ और उसने चुपचाप पुलिस को इस बारे में सूचित कर दिया। पुलिस ने जब कंपनी के कस्टमर केयर नंबर पर फोन किया, तो पता चला कि कंपनी ने ऐसी कोई स्कीम निकाली ही नहीं है। इसके बाद पुलिस ने उस व्यक्ति के घर पहुंचकर सोनू को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में पुलिस को पता चला कि सोनू, सुनील और उनके कुछ अन्य साथी शकरपुर इलाके में जी. एस. टेलिकॉम के नाम से एक कॉल सेंटर चलाते हैं। हर शिकार पर दोनों को 500-600 रुपये का सीधा मुनाफा हो जाता था। ये लोग नकली आईडी प्रूफ पर लोगों को ऐसे कनेक्शन भी पकड़ा देते थे, जो बाद में एक्टिवेट ही नहीं होते थे। पूछताछ के बाद सोनू की निशानदेही पर पुलिस ने सुनील को भी गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से कुछ सिम कार्ड भी बरामद किए गए।
Thursday, 27 December 2007
नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण नहीं
पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने 14 मार्च को यहाँ हुई पुलिस गोलीबारी पर बुधवार को अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार क्षेत्र में जमीन का जबरन अधिग्रहण नहीं करेगी।
जनवरी में नंदीग्राम में शुरू हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पहली बार नंदीग्राम के दौरे पर आए हैं। शांति का आह्वान करते हुए क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए मुख्यमंत्री ने व्यापक पैकेज का भी ऐलान किया।
भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी सरकार को इस बात का कतई अंदाजा नहीं था कि विपक्षी दलों द्वारा कथित रूप से ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी जाएगी जिससे पुलिस को गोली चलाने की जरूरत पड़ी।
मुख्यमंत्री ने नंदीग्राम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा किसी भी सभ्य देश में कोई भी सरकार लोगों को मारने के लिए पुलिस नहीं भेज सकती।
रासायनिक हब बनाने के लिए जमीन के अधिग्रहण को लेकर नंदीग्राम में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई है।
भट्टाचार्य ने यह कहते हुए अपना भाषण शुरू किया कि मैं यहाँ हिंसा में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट करने आया हूँ। चाहे वे किसी भी दल या संगठन से ताल्लुक रखते हों। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार नंदीग्राम को समीप के हल्दिया जैसा औद्योगिक शहर बनाने की चाहत रखती है।
जनवरी में नंदीग्राम में शुरू हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पहली बार नंदीग्राम के दौरे पर आए हैं। शांति का आह्वान करते हुए क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए मुख्यमंत्री ने व्यापक पैकेज का भी ऐलान किया।
भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी सरकार को इस बात का कतई अंदाजा नहीं था कि विपक्षी दलों द्वारा कथित रूप से ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी जाएगी जिससे पुलिस को गोली चलाने की जरूरत पड़ी।
मुख्यमंत्री ने नंदीग्राम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा किसी भी सभ्य देश में कोई भी सरकार लोगों को मारने के लिए पुलिस नहीं भेज सकती।
रासायनिक हब बनाने के लिए जमीन के अधिग्रहण को लेकर नंदीग्राम में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई है।
भट्टाचार्य ने यह कहते हुए अपना भाषण शुरू किया कि मैं यहाँ हिंसा में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट करने आया हूँ। चाहे वे किसी भी दल या संगठन से ताल्लुक रखते हों। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार नंदीग्राम को समीप के हल्दिया जैसा औद्योगिक शहर बनाने की चाहत रखती है।
एसोचैम डीजल पर सेस के खिलाफ
नई दिल्लीः दिल्ली सरकार के डीजल पर 25 पैसे प्रति लीटर सेस लगाने का उद्योग एवं व्यापार जगत ने विरोध किया है। इंडस्ट्री ने फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि इसके दूरगामी प्रभाव होंगे।
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने यहां जारी बयान में कहा है कि सेस लगाने से वांछित लक्ष्य तो हासिल नहीं होगा, बल्कि पहले से ही महंगे ईंधन से प्रभावित आम आदमी की नजरों में दिल्ली सरकार की लोकप्रियता और घट जाएगी। रावत का कहना है कि डीजल प्रदूषण को कम करने के लिए सेस लगाने के बजाय सबसे असरदार तरीका यह होगा कि राष्ट्रीय राजधानी में डीजल वाहनों को चरणबद्ध ढंग से हटाया जाए। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने डीजल पर 25 पैसे प्रति लीटर का सेस लगाकर राज्य पर्यावरण कोष बनाने का फैसला किया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने यहां जारी बयान में कहा है कि सेस लगाने से वांछित लक्ष्य तो हासिल नहीं होगा, बल्कि पहले से ही महंगे ईंधन से प्रभावित आम आदमी की नजरों में दिल्ली सरकार की लोकप्रियता और घट जाएगी। रावत का कहना है कि डीजल प्रदूषण को कम करने के लिए सेस लगाने के बजाय सबसे असरदार तरीका यह होगा कि राष्ट्रीय राजधानी में डीजल वाहनों को चरणबद्ध ढंग से हटाया जाए। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने डीजल पर 25 पैसे प्रति लीटर का सेस लगाकर राज्य पर्यावरण कोष बनाने का फैसला किया है।
जीएसएम ऑपरेटरों का यू-टर्न
नई दिल्लीः जीएसएम मोबाइल ऑपरेटरों के संगठन सीओएआई ने बुधवार को स्पेक्ट्रम मामले पर यू-टर्न ले लिया। सीओएआई ने कहा कि स्पेक्ट्रम अलोकेशन के मसले पर उसे ट्राई की सिफारिश मानने में कोई ऐतराज नहीं है।
सीओएआई के डायरेक्टर जनरल टी. वी. रामचंद्रन ने कहा - हमें ट्राई की सिफारिशों से सहमत हैं। गौरतलब है कि ट्राई ने अपनी सिफारिश में कहा था कि किसी भी जीएसएम कंपनी को अडिशनल स्पेक्ट्रम तभी अलोकेट किया जाएगा जब उसकी ग्राहक संख्या में ६ गुनी बढ़ोतरी दर्ज हो। सीओएआई ने इसका जबर्दस्त विरोध किया था। बाद में सीओएआई ने इस मसले पर सरकार की ओर से जारी टेलिकॉम गाइडलाइन को टेलिकॉम ट्रिब्यूनल टीडीसैट में चुनौती दी थी। सीओएआई दिल्ली हाई कोर्ट में भी यह मामला लेकर गया है।
सीओएआई के डायरेक्टर जनरल टी. वी. रामचंद्रन ने कहा - हमें ट्राई की सिफारिशों से सहमत हैं। गौरतलब है कि ट्राई ने अपनी सिफारिश में कहा था कि किसी भी जीएसएम कंपनी को अडिशनल स्पेक्ट्रम तभी अलोकेट किया जाएगा जब उसकी ग्राहक संख्या में ६ गुनी बढ़ोतरी दर्ज हो। सीओएआई ने इसका जबर्दस्त विरोध किया था। बाद में सीओएआई ने इस मसले पर सरकार की ओर से जारी टेलिकॉम गाइडलाइन को टेलिकॉम ट्रिब्यूनल टीडीसैट में चुनौती दी थी। सीओएआई दिल्ली हाई कोर्ट में भी यह मामला लेकर गया है।
जिन्दल स्टील की आधारशिला रखेंगे पीएम
मिदनापुर-प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह 30 जनवरी को पश्चिम बंगाल में पश्चिमी मिदनापुर के सालबोनी में 35 हजार करोड़ रुपए वाली जिन्दल स्टील वर्क्स बंगाल स्टील लिमिटेड की परियोजना की आधारशिला रखेंगे।
जिलाधिकारी एन.एस.निगम ने बुधवार को यहाँ बताया कि यह राज्य में इस वर्ष का सबसे बड़ा निवेश होगा। इस परियोजना के उपाध्यक्ष राजेश गुप्ता ने बताया कि इसके लिए चार हजार एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। इसमें अधिकतर सरकारी भूमि है हालाँकि निजी भूमि के अधिग्रहण के समय किसी राजनीतिक दल अथवा किसानों की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ।
इस परियोजना का पहला चरण 11 जनवरी 2009 को पूरा कर लिया जाएगा। इस परियोजना से तीन हजार लोगों को प्रत्यक्ष तथा छह हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिलेगा। किसानों को प्रति एकड़ दो लाख 70 हजार
रुपए की दर से जमीन का मुआवजा दिया गया है।
मुआवजे के अलावा किसानों को इतनी ही राशि के शेयर भी मुफ्त उपहार के रुप में दिए गए हैं और जिन किसानों से जमीन ली गई है उनके परिवार के एक सदस्य को इस परियोजना के तहत रोजगार दिया जाएगा।
इसके अलावा कंपनी सामाजिक स्तर पर भी काम कर रही है और आसपास के लोगों के उपचार के लिए उसने एक प्राथमिक सामुदायिक क्लीनिक और सचल मोबाइल वैन शुरु कर दी है।
जिलाधिकारी एन.एस.निगम ने बुधवार को यहाँ बताया कि यह राज्य में इस वर्ष का सबसे बड़ा निवेश होगा। इस परियोजना के उपाध्यक्ष राजेश गुप्ता ने बताया कि इसके लिए चार हजार एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। इसमें अधिकतर सरकारी भूमि है हालाँकि निजी भूमि के अधिग्रहण के समय किसी राजनीतिक दल अथवा किसानों की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ।
इस परियोजना का पहला चरण 11 जनवरी 2009 को पूरा कर लिया जाएगा। इस परियोजना से तीन हजार लोगों को प्रत्यक्ष तथा छह हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिलेगा। किसानों को प्रति एकड़ दो लाख 70 हजार
रुपए की दर से जमीन का मुआवजा दिया गया है।
मुआवजे के अलावा किसानों को इतनी ही राशि के शेयर भी मुफ्त उपहार के रुप में दिए गए हैं और जिन किसानों से जमीन ली गई है उनके परिवार के एक सदस्य को इस परियोजना के तहत रोजगार दिया जाएगा।
इसके अलावा कंपनी सामाजिक स्तर पर भी काम कर रही है और आसपास के लोगों के उपचार के लिए उसने एक प्राथमिक सामुदायिक क्लीनिक और सचल मोबाइल वैन शुरु कर दी है।
Wednesday, 26 December 2007
टाटा कोरस का सौदा एशिया में सबसे अच्छा: सीएफओ एशिया
नई दिल्ली. टाटा का कोरस अधिग्रहण 2007 में एशिया का सबसे अच्छा सौदा करार दिया गया है। इकानामिस्ट समूह के प्रकाशन सीएफओ एशिया ने सबसे अच्छे सौदों की सूची छापी है।
इस सूची में आईसीआईसीआई बैंक का दो अरब डॉलर का कर्ज का प्रस्ताव, टाटा का कोरस अधिग्रहण और हचिसन की वोडाफोन को हिस्सेदारी बेचना शामिल किए गए हैं। कुल 75 करोड़ डॉलर का पांच साल का बांड इश्यू जारी करने के बाद आईसीआईसीआई बैंक सितंबर में बाजार में आया और उसने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कर्ज संकट को देखते हुए 237.5 आधार बिंदु पर कर्ज मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा।
टाटा-कोरस सौदे को अंडरडाग स्टोरी करार देते हुए पत्रिका ने कहा कि ब्राजील की सीएसएन और भारत की टाटा की होड़ बराबरी की थी। टाटा को अंत में 55.8 फीसदी ज्यादा भुगतान करना पड़ा।
हांगकांग के ली का शिंग ने हच एस्सार में अपनी हिस्सेदारी वोडाफोन को बेचकर अच्छा सौदा किया। वोडाफोन ने 10.7 अरब डॉलर का भुगतान किया।
कोरिया फर्म दूसान इंफ्राकोर ने अमेरिका की इंगरसोल रैंड की कुछ संपत्तियों का अधिग्रहण किया। चीन की हाई स्पीड ट्रांसमिशन का आईपीओ कोरिया के सबसे अच्छे सौदों में से है।
इस सूची में आईसीआईसीआई बैंक का दो अरब डॉलर का कर्ज का प्रस्ताव, टाटा का कोरस अधिग्रहण और हचिसन की वोडाफोन को हिस्सेदारी बेचना शामिल किए गए हैं। कुल 75 करोड़ डॉलर का पांच साल का बांड इश्यू जारी करने के बाद आईसीआईसीआई बैंक सितंबर में बाजार में आया और उसने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कर्ज संकट को देखते हुए 237.5 आधार बिंदु पर कर्ज मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा।
टाटा-कोरस सौदे को अंडरडाग स्टोरी करार देते हुए पत्रिका ने कहा कि ब्राजील की सीएसएन और भारत की टाटा की होड़ बराबरी की थी। टाटा को अंत में 55.8 फीसदी ज्यादा भुगतान करना पड़ा।
हांगकांग के ली का शिंग ने हच एस्सार में अपनी हिस्सेदारी वोडाफोन को बेचकर अच्छा सौदा किया। वोडाफोन ने 10.7 अरब डॉलर का भुगतान किया।
कोरिया फर्म दूसान इंफ्राकोर ने अमेरिका की इंगरसोल रैंड की कुछ संपत्तियों का अधिग्रहण किया। चीन की हाई स्पीड ट्रांसमिशन का आईपीओ कोरिया के सबसे अच्छे सौदों में से है।
खत्म हो सकता है एटीएम शुल्क
मुंबई. रोजमर्रा के जीवन में एटीएम का उपयोग करने वालों के लिए एक अच्छी खबर है। रिजर्व बैंक ने एटीएम शुल्क समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है जिसके लागू होने पर 1 अप्रैल 2009 से एक बैंक के एटीएम कार्ड का अन्य बैंक के एटीएम में इस्तेमाल करने पर किसी तरह का शुल्क अदा नहीं करना पड़ेगा।
रिजर्व बैंक के इस प्रस्ताव में कहा गया है कि बैंकों को अन्य बैंकों के ग्राहकों द्वारा एटीएम के जरिए किए जाने वाले 20 रुपए से अधिक राशि के लेनदेन पर ३१ मार्च २क्क्८ से किसी तरह का शुल्क नहीं वसूलना चाहिए और 1 अप्रैल 2009 से इसे पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए। आरबीआई ने अधिसूचना के मसौदे में बैंकों को अन्य बैंकों के एटीएम से बैलेंस इंक्वायरी जैसी सेवाओं का उपयोग करने पर भी शुल्क वसूलने से मना किया है।
एटीएम शुल्क में किसी प्रकार की बढ़ोतरी से मना करते हुए मसौदा पत्र में कहा गया है कि बैंकों को चालू वित्त वर्ष के अंत तक प्रति लेनदेन ट्रांजेक्शन शुल्क घटाकर 20 रुपए करना होगा।
रिजर्व बैंक ने इस प्रस्ताव पर 31 जनवरी 2008 तक राय मांगी है। केंद्रीय बैंक के इस प्रस्ताव का उद्देश्य एटीएम उपयोग करने के संबंध में बैंकों द्वारा वसूले जाने वाले एटीएम शुल्क में एकरूपता और पारदर्शिता लाना है।
रिजर्व बैंक के इस प्रस्ताव में कहा गया है कि बैंकों को अन्य बैंकों के ग्राहकों द्वारा एटीएम के जरिए किए जाने वाले 20 रुपए से अधिक राशि के लेनदेन पर ३१ मार्च २क्क्८ से किसी तरह का शुल्क नहीं वसूलना चाहिए और 1 अप्रैल 2009 से इसे पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए। आरबीआई ने अधिसूचना के मसौदे में बैंकों को अन्य बैंकों के एटीएम से बैलेंस इंक्वायरी जैसी सेवाओं का उपयोग करने पर भी शुल्क वसूलने से मना किया है।
एटीएम शुल्क में किसी प्रकार की बढ़ोतरी से मना करते हुए मसौदा पत्र में कहा गया है कि बैंकों को चालू वित्त वर्ष के अंत तक प्रति लेनदेन ट्रांजेक्शन शुल्क घटाकर 20 रुपए करना होगा।
रिजर्व बैंक ने इस प्रस्ताव पर 31 जनवरी 2008 तक राय मांगी है। केंद्रीय बैंक के इस प्रस्ताव का उद्देश्य एटीएम उपयोग करने के संबंध में बैंकों द्वारा वसूले जाने वाले एटीएम शुल्क में एकरूपता और पारदर्शिता लाना है।
अब केरल में भी ‘पूर्ण बैंकिंग’
तिरुवनंतपुरम.पूर्ण साक्षरता के कारण देश का गौरव माने जाने वाले राज्य केरल ने हिमाचल प्रदेश और गोवा के बाद ऐसा तीसरा राज्य होने का गौरव हासिल कर लिया है, जहां प्रत्येक परिवार का कम से कम एक बैंक खाता जरूर है। राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) ने केरल में ‘पूर्ण बैंकिंग’ के लिए जून 2007 तक का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसमें उसे दो अन्य छोटे राज्यों हिमाचल प्रदेश, गोवा से मात खानी पड़ी।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में केरल को ‘पूर्ण बैंकिंग’ राज्य घोषित किया। पूर्ण बैंकिंग राज्य बन जाने के कारण अब केरल का हर परिवार आम कामकाज के लिए मिलने वाले 25 हजार रुपए के कर्ज के लिए पात्र हो जाएगा। राज्य के तमिलनाडु से सटे जिले पलक्कड़ को इसी साल देश का सौ फीसदी बैंकिंग वाला पहला जिला होने का गौरव हासिल हुआ था।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में केरल को ‘पूर्ण बैंकिंग’ राज्य घोषित किया। पूर्ण बैंकिंग राज्य बन जाने के कारण अब केरल का हर परिवार आम कामकाज के लिए मिलने वाले 25 हजार रुपए के कर्ज के लिए पात्र हो जाएगा। राज्य के तमिलनाडु से सटे जिले पलक्कड़ को इसी साल देश का सौ फीसदी बैंकिंग वाला पहला जिला होने का गौरव हासिल हुआ था।
निवेशकों को अनिल अंबानी ने दिया ज्यादा लाभ
मुंबई . मुकेश अंबानी सबसे अमीर भारतीय भले ही हों, 2007 में छोटे निवेशकों को फायदा दिलाने में उनके छोटे भाई अनिल अंबानी ज्यादा आगे हैं। मुकेश और अनिल अंबानी के समूहों की लिस्टेड कंपनियों के शेयर भाव की तुलना करें तो मुकेश अंबानी ने 153 फीसदी मुनाफा दिया। अनिल अंबानी की कंपनियों ने 232 फीसदी मुनाफा दिया। मुकेश अंबानी समूह के बाजार पूंजीकरण में 3,00,000 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है।
भारत के पांच अमीरों में मुकेश अंबानी समूह ने 2.99 लाख करोड़ रुपए जोड़े हैं, वहीं अनिल अंबानी समूह ने 1.66 लाख करोड़ जोड़े हैं। केपी सिंह की डीएलएफ ने 68,500 करोड़ रुपए जोड़े। अजीम प्रेमजी की विप्रो 8800 करोड़ ही जोड़ पाई क्योंकि यह रुपए की मार से त्रस्त है।
मुकेश समूह का कुल बाजार पूंजीकरण 5.05 लाख करोड़ रुपए है। अनिल समूह का कुल बाजार पूंजीकरण 2.91 लाख करोड़ है। भारती एयरटेल, डीएलएफ और विप्रो का बाजार पूंजीकरण 1.84 लाख करोड़, 1.65 लाख करोड़ और 78,178 करोड़ रुपए है। अगर शेयर मूल्य में साझा वृद्धि को गिना जाए तो मुकेश अंबानी का क्रम, अनिल अंबानी के बाद आता है।
भारत के पांच अमीरों में मुकेश अंबानी समूह ने 2.99 लाख करोड़ रुपए जोड़े हैं, वहीं अनिल अंबानी समूह ने 1.66 लाख करोड़ जोड़े हैं। केपी सिंह की डीएलएफ ने 68,500 करोड़ रुपए जोड़े। अजीम प्रेमजी की विप्रो 8800 करोड़ ही जोड़ पाई क्योंकि यह रुपए की मार से त्रस्त है।
मुकेश समूह का कुल बाजार पूंजीकरण 5.05 लाख करोड़ रुपए है। अनिल समूह का कुल बाजार पूंजीकरण 2.91 लाख करोड़ है। भारती एयरटेल, डीएलएफ और विप्रो का बाजार पूंजीकरण 1.84 लाख करोड़, 1.65 लाख करोड़ और 78,178 करोड़ रुपए है। अगर शेयर मूल्य में साझा वृद्धि को गिना जाए तो मुकेश अंबानी का क्रम, अनिल अंबानी के बाद आता है।
Tuesday, 25 December 2007
आईपीओ में निवेश: कंपनी की हर जानकारी देगी सरकार
नई दिल्लीः किसी कंपनी का इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ खरीदने से पहले निवेशकों के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं। इनवेस्टर यह जानना चाहता है कि कंपनी का प्रोफाइल कैसा है? कंपनी के प्रमोटर यानी मालिकान कैसे हैं? या फिर कंपनी ने आईपीओ से संबंधित तमाम कानूनी औपचारिकताएं पूरी की हैं या नहीं? हालांकि कंपनियां ये तमाम जानकारियां आईपीओ के रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में देती हैं। पर हो सकता है कि इन जानकारियों पर निवेशक को शंका या फिर उन्हें इन पर यकीन ही न हो। इन्हीं चीजों को देखते हुए सरकार ने एक खास तरह की सहूलियत देने का ऐलान किया है। सरकार ने सोमवार को कहा कि कोई भी निवेशक किसी कंपनी का आईपीओ खरीदने से पहले कंपनी के ट्रैक रेकॉर्ड, उसके प्रोमोटरों की जानकारी समेत अपने ज्यादातर सवालों के जवाब सीधे सरकार से ले सकते हैं। ये जानकारियां कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री की ओर से मुहैया कराई जाएंगी।
गौरतलब है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) भी इनवेस्टरों से ऐसी ताकीद कर चुके हैं। इन दोनों स्टॉक एक्सचेंजों ने हाल ही में ग्राहकों को आगाह किया था कि वे ज्यादा रिटर्न का वादा करने वाले फर्जी टिप्सों पर ध्यान न दें और किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले कंपनी के बारे में हर तरह की जानकारियां हासिल करें।
कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने सोमवार को लोगों के हित में एक विज्ञापन जारी किया। इसमें मंत्रालय ने कहा है कि किसी कंपनी का आईपीओ खरीदने से पहले मन में उठने वाले किसी भी तरह के सवाल का जवाब इस मंत्रालय से हासिल किया जा सकता है। या फिर निवेशकों के हित से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराने वाली कुछ सरकारी वेबसाइटों के जरिये भी इस तरह की जानकारियां जुटाई जा सकती हैं। इन जानकारियों में कंपनी से संबंधित मास्टर डेटा, कंपनी के बोर्ड के मेंबरों की जानकारी, कंपनी का सालाना रिटर्न और बैलेंस शीट आदि शामिल हैं।
मंत्रालय ने कहा कि कंपनी के बारे में ठोस आकलन कायम करने के लिए निवेशक उसके पिछले 2-3 साल के वित्तीय नतीजों की तुलनात्मक स्टडी कर सकते हैं। किसी खास सेक्टर में आए बूम को देखते हुए निवेशकों को किसी नतीजे पर पहुंचने से बचना चाहिए। हो सकता है कि किसी खास सेक्टर में बूम तो आया हो, पर उस सेक्टर की किसी खास कंपनी की हालत अच्छी न हो।
मंत्रालय ने इनवेस्टरों से यह भी गुजारिश की है कि वे अलग-अलग सेक्टरों की कंपनियों के आईपीओ में निवेश करें। साथ ही निवेश से पहले यह भी देख लें कि वे किसी खास कंपनी के बिजनेस मॉडल या बिजनेस प्लान से संतुष्ट हैं या नहीं।
गौरतलब है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) भी इनवेस्टरों से ऐसी ताकीद कर चुके हैं। इन दोनों स्टॉक एक्सचेंजों ने हाल ही में ग्राहकों को आगाह किया था कि वे ज्यादा रिटर्न का वादा करने वाले फर्जी टिप्सों पर ध्यान न दें और किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले कंपनी के बारे में हर तरह की जानकारियां हासिल करें।
कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने सोमवार को लोगों के हित में एक विज्ञापन जारी किया। इसमें मंत्रालय ने कहा है कि किसी कंपनी का आईपीओ खरीदने से पहले मन में उठने वाले किसी भी तरह के सवाल का जवाब इस मंत्रालय से हासिल किया जा सकता है। या फिर निवेशकों के हित से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराने वाली कुछ सरकारी वेबसाइटों के जरिये भी इस तरह की जानकारियां जुटाई जा सकती हैं। इन जानकारियों में कंपनी से संबंधित मास्टर डेटा, कंपनी के बोर्ड के मेंबरों की जानकारी, कंपनी का सालाना रिटर्न और बैलेंस शीट आदि शामिल हैं।
मंत्रालय ने कहा कि कंपनी के बारे में ठोस आकलन कायम करने के लिए निवेशक उसके पिछले 2-3 साल के वित्तीय नतीजों की तुलनात्मक स्टडी कर सकते हैं। किसी खास सेक्टर में आए बूम को देखते हुए निवेशकों को किसी नतीजे पर पहुंचने से बचना चाहिए। हो सकता है कि किसी खास सेक्टर में बूम तो आया हो, पर उस सेक्टर की किसी खास कंपनी की हालत अच्छी न हो।
मंत्रालय ने इनवेस्टरों से यह भी गुजारिश की है कि वे अलग-अलग सेक्टरों की कंपनियों के आईपीओ में निवेश करें। साथ ही निवेश से पहले यह भी देख लें कि वे किसी खास कंपनी के बिजनेस मॉडल या बिजनेस प्लान से संतुष्ट हैं या नहीं।
रोड पर आपका सुरक्षा कवच, पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस
इंश्योरेंस के प्रति भले ही लोग अब पहले से ज्यादा जागरूक हो रहे हैं, लेकिन पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस कवर को लेकर लोग अब भी उतने गंभीर नहीं दिखाई देते। वे या तो पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर लेते ही नहीं और अगर लेते भी हैं, तो उसे लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में जोड़कर लेते हैं, लेकिन यह सही तरीका नहीं है। आइए इस मामले में आपको विस्तार से बताते हैं:
मधु टी.
' शराब पीकर ड्राइविंग न करें' यह वाक्य आपने कई जगहों पर लिखा देखा होगा, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि इसके बावजूद दिनोंदिन शराब पीकर या तेज ड्राइविंग करने से होने वाले ऐक्सिडेंट्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इसका महत्वपूर्ण कारण सड़कों पर रोजाना काफी तेजी से बढ़ रहे वीइकल्स भी हैं। इस तरह के ऐक्सिडेंट से जहां एक ओर व्यक्ति को शारीरिक कष्ट होता है, वहीं दूसरी ओर हॉस्पिटल का खर्चा अच्छे-अच्छों की कमर तोड़ देता है। एक्सिडेंट में घायल आदमी भले ही अपने खर्चे खुद कर ले, लेकिन उसका क्या होगा जो परमानेंट डिसेबल हो गया है या फिर जिसे लंबे वक्त तक ट्रीटमेंट कराना है। ज्यादातर लोग इस तरह की कंडिशन के लिए तैयार नहीं होते। ऐसे में अगर आपके पास पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस कवर है, तो यह आपका दर्द कम करने में हेल्प कर सकता है।
न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के एजेंट विनोद कहते हैं, 'हालांकि पब्लिक सेक्टर की इंश्योरेंस कंपनियां पिछले काफी वक्त से पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर दे रही हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इसकी जरूरत ही महसूस नहीं करते। उनका मानना है कि पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर लेना रुपये की बर्बादी है। ज्यादातर लोग ऐक्सिडेंट कवर को लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में जोड़कर लेना पसंद करते हैं। यहां सबसे बड़ा कन्फयूजन 'डेथ' शब्द को लेकर होता है, जिसे ज्यादातर लोग इग्नोर कर देते है। लाइफ इंश्योरेंस के साथ ऐक्सिडेंट कवर लेने वालों को ऐक्सट्रा प्रीमियम देने के बाद भी कोई फायदा नहीं मिल पाता, क्योंकि इसके तहत फायदा तब ही मिलता है, जब ऐक्सिडेंट के दौरान व्यक्ति की डेथ हो जाएगी। मतलब कि ऐक्सिडेंट होने पर अगर व्यक्ति जिंदा हैं, तो उसके इलाज पर होने वाला कोई भी खर्चा इंश्योरेंस कंपनी नहीं उठाएगी।'
और बात अगर पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर की करें, तो यह न केवल डेथ को कवर करता है, बल्कि सभी तरह के ऐक्सिडेंट और डिसेबिलिटी को भी कवर करता है। इसके अलावा पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर होल्डर को डिसेबिलिटी के दौरान भी मुआवजा मिलता है।
पर्सनल इंश्योरेंस कवर के बारे में एक इंश्योरेंस अडवाइजर का मानना है, 'यह वास्तव में एक अच्छी पॉलिसी है, जो जरूरत के वक्त आपका पूरा साथ देती है। साथ ही इसका प्रीमियम भी काफी कम है। इस पॉलिसी के तहत प्रीमियम तय करने के लिए लोगों को तीन ग्रुप्स में बांटा गया है। आपका प्रीमियम इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस ग्रुप में आते हैं। जैसे कि अगर आप डॉक्टर या इंजीनियर हैं, तो आप लो प्रीमियम वाले ग्रुप में आते हैं। अगर आप हाई रिस्क वाली जॉब, जैसे कि माइन या बिजली का सामान फिटिंग करने वाली कंपनी में काम करते हैं, तो आप हाई प्रीमियम वाले ग्रुप में आते हैं।'
कुछ ऐसे फील्ड भी हैं, जो पर्सनल एक्सिडेंट पॉलिसी में कवर नहीं होते। जैसे कि आर्म्ड फोर्सेज की सर्विस के दौरान हुई डेथ, ऐक्सिडेंट या किसी भी तरह की चोट को कवर नहीं किया जाएगा। न्यूक्लियर रेडिएशन के दौरान होने वाले नुकसान को भी इस पॉलिसी के अन्तर्गत कवर नहीं किया जाता। अगर कोई इंटरनैशनल प्रॉब्लम है, तो उसके लिए किसी अकेले आदमी को मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
इसके अलावा, महत्वपूर्ण पॉइंट यह है कि परमानेंट डिसेबिलिटी के दौरान आपको कितना मुआवजा मिलेगा? इस पॉलिसी के अन्तर्गत कोई मेजर डिसेबिलिटी हो जाने पर आप ज्यादा से ज्यादा पॉलिसी की कुल अमाउंट का 75 परसेंट क्लेम कर सकते हैं। जैसे कि दोनों कानों के सुनने की क्षमता चली जाने पर 75 परसेंट क्लेम किया जा सकता है, जबकि हाथ की उंगली कट जाने पर 1 से लेकर 6 परसेंट तक क्लेम कर सकते हैं। आपको मिलने वाले बेनिफिट का परसेंट कंपनी के डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा तय किया जाएगा। अपनी तरह के स्पेशल फीचर और अफॉर्डेबल होने की वजह से यह प्लान हर किसी के लिए सूटेबल है। यह जरूरी नहीं कि व्यक्ति इस प्लान के सारे बेनिफिट लें। इस पॉलिसी के प्लान कई भागों में बंटे होने की वजह से आप अपनी मर्जी का प्लान ले सकते हैं। जैसे आप एक से लेकर चार में से कोई भी प्लान ले सकते हैं। इश्योरेंस अडवाइजर के मुताबिक, 'आपको कम से कम एक से लेकर चार तक सारे प्लान लेने चाहिए, जबकि बाकी बेनिफिट आप अपनी जेब को देखते हुए ले सकते हैं।'
पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस बेनिफिट (एक लाख रुपए के अश्योर्ड अमाउंट के लिए)
डेथ : 1 लाख
दो जोड़, दोनों आंख या एक जोड़ और एक आंख का नुकसान : 1 लाख
एक जोड़ या एक आंख का नुकसान : 50,000
ऊपर दी गई इंजरी को छोड़कर परमानेंट डिसेबिलिटी : 1 लाख
परमानेंट पार्शल डिसेबिलिटी : डिसेबिलिटी के परसेंट पर निर्भर
पूरी तरह डिसेबल 100 हफ्तों तक : 1000 रुपये हफ्ता
अडिशनल बेनिफिट : डेथ होने पर ट्रांसपोर्ट की फैसिलिटी, डिपेंडेंट चाइल्ड को एजुकेशन ग्रांट
मधु टी.
' शराब पीकर ड्राइविंग न करें' यह वाक्य आपने कई जगहों पर लिखा देखा होगा, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि इसके बावजूद दिनोंदिन शराब पीकर या तेज ड्राइविंग करने से होने वाले ऐक्सिडेंट्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इसका महत्वपूर्ण कारण सड़कों पर रोजाना काफी तेजी से बढ़ रहे वीइकल्स भी हैं। इस तरह के ऐक्सिडेंट से जहां एक ओर व्यक्ति को शारीरिक कष्ट होता है, वहीं दूसरी ओर हॉस्पिटल का खर्चा अच्छे-अच्छों की कमर तोड़ देता है। एक्सिडेंट में घायल आदमी भले ही अपने खर्चे खुद कर ले, लेकिन उसका क्या होगा जो परमानेंट डिसेबल हो गया है या फिर जिसे लंबे वक्त तक ट्रीटमेंट कराना है। ज्यादातर लोग इस तरह की कंडिशन के लिए तैयार नहीं होते। ऐसे में अगर आपके पास पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस कवर है, तो यह आपका दर्द कम करने में हेल्प कर सकता है।
न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के एजेंट विनोद कहते हैं, 'हालांकि पब्लिक सेक्टर की इंश्योरेंस कंपनियां पिछले काफी वक्त से पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर दे रही हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इसकी जरूरत ही महसूस नहीं करते। उनका मानना है कि पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर लेना रुपये की बर्बादी है। ज्यादातर लोग ऐक्सिडेंट कवर को लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में जोड़कर लेना पसंद करते हैं। यहां सबसे बड़ा कन्फयूजन 'डेथ' शब्द को लेकर होता है, जिसे ज्यादातर लोग इग्नोर कर देते है। लाइफ इंश्योरेंस के साथ ऐक्सिडेंट कवर लेने वालों को ऐक्सट्रा प्रीमियम देने के बाद भी कोई फायदा नहीं मिल पाता, क्योंकि इसके तहत फायदा तब ही मिलता है, जब ऐक्सिडेंट के दौरान व्यक्ति की डेथ हो जाएगी। मतलब कि ऐक्सिडेंट होने पर अगर व्यक्ति जिंदा हैं, तो उसके इलाज पर होने वाला कोई भी खर्चा इंश्योरेंस कंपनी नहीं उठाएगी।'
और बात अगर पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर की करें, तो यह न केवल डेथ को कवर करता है, बल्कि सभी तरह के ऐक्सिडेंट और डिसेबिलिटी को भी कवर करता है। इसके अलावा पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर होल्डर को डिसेबिलिटी के दौरान भी मुआवजा मिलता है।
पर्सनल इंश्योरेंस कवर के बारे में एक इंश्योरेंस अडवाइजर का मानना है, 'यह वास्तव में एक अच्छी पॉलिसी है, जो जरूरत के वक्त आपका पूरा साथ देती है। साथ ही इसका प्रीमियम भी काफी कम है। इस पॉलिसी के तहत प्रीमियम तय करने के लिए लोगों को तीन ग्रुप्स में बांटा गया है। आपका प्रीमियम इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस ग्रुप में आते हैं। जैसे कि अगर आप डॉक्टर या इंजीनियर हैं, तो आप लो प्रीमियम वाले ग्रुप में आते हैं। अगर आप हाई रिस्क वाली जॉब, जैसे कि माइन या बिजली का सामान फिटिंग करने वाली कंपनी में काम करते हैं, तो आप हाई प्रीमियम वाले ग्रुप में आते हैं।'
कुछ ऐसे फील्ड भी हैं, जो पर्सनल एक्सिडेंट पॉलिसी में कवर नहीं होते। जैसे कि आर्म्ड फोर्सेज की सर्विस के दौरान हुई डेथ, ऐक्सिडेंट या किसी भी तरह की चोट को कवर नहीं किया जाएगा। न्यूक्लियर रेडिएशन के दौरान होने वाले नुकसान को भी इस पॉलिसी के अन्तर्गत कवर नहीं किया जाता। अगर कोई इंटरनैशनल प्रॉब्लम है, तो उसके लिए किसी अकेले आदमी को मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
इसके अलावा, महत्वपूर्ण पॉइंट यह है कि परमानेंट डिसेबिलिटी के दौरान आपको कितना मुआवजा मिलेगा? इस पॉलिसी के अन्तर्गत कोई मेजर डिसेबिलिटी हो जाने पर आप ज्यादा से ज्यादा पॉलिसी की कुल अमाउंट का 75 परसेंट क्लेम कर सकते हैं। जैसे कि दोनों कानों के सुनने की क्षमता चली जाने पर 75 परसेंट क्लेम किया जा सकता है, जबकि हाथ की उंगली कट जाने पर 1 से लेकर 6 परसेंट तक क्लेम कर सकते हैं। आपको मिलने वाले बेनिफिट का परसेंट कंपनी के डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा तय किया जाएगा। अपनी तरह के स्पेशल फीचर और अफॉर्डेबल होने की वजह से यह प्लान हर किसी के लिए सूटेबल है। यह जरूरी नहीं कि व्यक्ति इस प्लान के सारे बेनिफिट लें। इस पॉलिसी के प्लान कई भागों में बंटे होने की वजह से आप अपनी मर्जी का प्लान ले सकते हैं। जैसे आप एक से लेकर चार में से कोई भी प्लान ले सकते हैं। इश्योरेंस अडवाइजर के मुताबिक, 'आपको कम से कम एक से लेकर चार तक सारे प्लान लेने चाहिए, जबकि बाकी बेनिफिट आप अपनी जेब को देखते हुए ले सकते हैं।'
पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस बेनिफिट (एक लाख रुपए के अश्योर्ड अमाउंट के लिए)
डेथ : 1 लाख
दो जोड़, दोनों आंख या एक जोड़ और एक आंख का नुकसान : 1 लाख
एक जोड़ या एक आंख का नुकसान : 50,000
ऊपर दी गई इंजरी को छोड़कर परमानेंट डिसेबिलिटी : 1 लाख
परमानेंट पार्शल डिसेबिलिटी : डिसेबिलिटी के परसेंट पर निर्भर
पूरी तरह डिसेबल 100 हफ्तों तक : 1000 रुपये हफ्ता
अडिशनल बेनिफिट : डेथ होने पर ट्रांसपोर्ट की फैसिलिटी, डिपेंडेंट चाइल्ड को एजुकेशन ग्रांट
कच्चे तेल की कीमतें 94 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर
न्यू यॉर्क में क्रिसमस से पहले तेल की कीमतें 94 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गई है। फरवरी में सप्लाई किया जाने वाला न्यू यॉर्क लाइट स्वीट क्रूड भी 82 सेंट बढ़कर 94.13 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हो गया।
वहीं, लंदन में भी फरवरी में सप्लाई कराया जाने वाला ब्रेंट नार्थ सी क्रूड भी 24 सेंट चढ़कर 92.70 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंचा। एमएफ ग्लोबल विशेषज्ञ एडवर्ड मैयर ने बताया कि छुट्टियों की वजह से इस हफ्ते भी कारोबार में मंदी का रुख देखा जाएगा।
वहीं, लंदन में भी फरवरी में सप्लाई कराया जाने वाला ब्रेंट नार्थ सी क्रूड भी 24 सेंट चढ़कर 92.70 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंचा। एमएफ ग्लोबल विशेषज्ञ एडवर्ड मैयर ने बताया कि छुट्टियों की वजह से इस हफ्ते भी कारोबार में मंदी का रुख देखा जाएगा।
स्टॉक मार्केट में होगी ट्रस्टों की एंट्री
नई दिल्लीः सरकार ने ट्रस्टों को शेयर और बॉन्ड समेत दूसरी तरह की सिक्युरिटीज खरीदने की इजाजत दे दी है। सरकार के इस फैसले के बाद अब ट्रस्ट लिस्टेड कंपनियों की सिक्युरिटीज यानी प्रतिभूतियां खरीद सकते हैं। सरकार की ओर से दी गई इस इजाजत के बाद तेजी के रेकॉर्ड बना रहे स्टॉक मार्केट्स में और तेजी आने के आसार हैं।
यूनियन कैबिनेट की बैठक में सोमवार को यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद सरकार ने एक बयान जारी किया। बयान के मुताबिक, ट्रस्टों को सिक्युरिटीज खरीदने की इजाजत दिए जाने के लिए इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट 1882 में संशोधन किया जाएगा। इस एक्ट को पार्लियामेंट के अगले सेशन में संशोधन के लिए लाया जाएगा। संशोधन के बाद सरकार उन खास तरह की सेक्युरिटीज को नोटिफाई करेगी, जिनमें निवेश करने की छूट ट्रस्टों को दी जाएगी।
फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया- एक्ट में संशोधन के बाद सरकार हर तरह के ट्रस्टों को शेयर, स्टॉक, बॉन्ड, डिबेंचर और दूसरी तरह की प्रतिभूतियों में निवेश करने की छूट देगी। हर तरह के ट्रस्टों में मतलब प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह के वैसे ट्रस्टों से है जिनका गठन ट्रस्ट एक्ट के नियमों के तहत हुआ है।
बाजार के जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से ट्रस्टों के हजारों करोड़ वैसे रुपये शेयर बाजारों में आ सकते हैं, जो अब तक रिस्क फ्री बैंक डिपॉजिट्स में लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने अब तक ट्रस्टों को केस-बाई-केस बेसिस पर स्टॉक मार्केट्स में निवेश की इजाजत दे रखी थी। इसके तहत यदि ट्रस्ट का इरादा मार्केट्स में निवेश करने का होता था, तो वह सरकार के पास इसका आवेदन देता था। फिर यदि सरकार इसकी इजाजत देती थी, तो ट्रस्ट मार्केट्स में निवेश कर पाता था। पर अब हर ट्रस्ट ऐसा कर सकते हैं, वह भी सरकार की इजाजत लिए बगैर। इंडियन ट्रस्ट एक्ट के मुताबिक फिलहाल ट्रस्टों को सिर्फ यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) की यूनिट स्कीम के तहत ही यूनिटों में निवेश की इजाजत है।
यूनियन कैबिनेट की बैठक में सोमवार को यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद सरकार ने एक बयान जारी किया। बयान के मुताबिक, ट्रस्टों को सिक्युरिटीज खरीदने की इजाजत दिए जाने के लिए इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट 1882 में संशोधन किया जाएगा। इस एक्ट को पार्लियामेंट के अगले सेशन में संशोधन के लिए लाया जाएगा। संशोधन के बाद सरकार उन खास तरह की सेक्युरिटीज को नोटिफाई करेगी, जिनमें निवेश करने की छूट ट्रस्टों को दी जाएगी।
फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया- एक्ट में संशोधन के बाद सरकार हर तरह के ट्रस्टों को शेयर, स्टॉक, बॉन्ड, डिबेंचर और दूसरी तरह की प्रतिभूतियों में निवेश करने की छूट देगी। हर तरह के ट्रस्टों में मतलब प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह के वैसे ट्रस्टों से है जिनका गठन ट्रस्ट एक्ट के नियमों के तहत हुआ है।
बाजार के जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से ट्रस्टों के हजारों करोड़ वैसे रुपये शेयर बाजारों में आ सकते हैं, जो अब तक रिस्क फ्री बैंक डिपॉजिट्स में लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने अब तक ट्रस्टों को केस-बाई-केस बेसिस पर स्टॉक मार्केट्स में निवेश की इजाजत दे रखी थी। इसके तहत यदि ट्रस्ट का इरादा मार्केट्स में निवेश करने का होता था, तो वह सरकार के पास इसका आवेदन देता था। फिर यदि सरकार इसकी इजाजत देती थी, तो ट्रस्ट मार्केट्स में निवेश कर पाता था। पर अब हर ट्रस्ट ऐसा कर सकते हैं, वह भी सरकार की इजाजत लिए बगैर। इंडियन ट्रस्ट एक्ट के मुताबिक फिलहाल ट्रस्टों को सिर्फ यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) की यूनिट स्कीम के तहत ही यूनिटों में निवेश की इजाजत है।
Monday, 24 December 2007
ज्यादातर सीईओ टेंशन के शिकार
नई दिल्लीः कॉरपोरेट इंडिया के सीईओ भले ही अपने बिजनेस को संभालने में काफी माहिर हों, लेकिन इनमें से ज्यादातर तनावग्रस्त हालत में रहते हैं। एसोचैम के सर्वे में यह बात कही गई है।
सर्वे के मुताबिक, भारतीय कंपनियों के 68 फीसदी सीईओ तनाव और इससे जुड़ी अन्य बीमारियों पर काबू पाने में नाकाम रहे। सर्वे में शामिल कंपनियों का टर्नओवर 1 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है।
असोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री (एसोचैम) की ओर से सीईओ के तनाव दूर करने के उपायों पर किए गए एक सर्वेक्षण में चैंबर से सम्बद्ध प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के 400 सीईओ ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। इनमें से 128 सीईओ का कहना था कि वे योग, जिम, गोल्फ, साइक्लिंग एवं अन्य खेलों की सहायता से अपने तनाव को दूर करने में कामयाब रहे।
एसोचैम के अध्यक्ष वेणुगोपाल एन. धूत ने सर्वेक्षण जारी करते हुए कहा कि सुबह योग आदि के लिए समय निकालने वाले 50-65 साल की आयु वर्ग के कंपनी प्रमुखों ने अपने अन्य साथियों को अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने और संस्थाओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए योग आदि करने की सलाह दी है।
सर्वेक्षण में यह भी बात सामने आई कि 30-45 साल के कम आयु वर्ग के सीईओ 50-65 साल के सीईओ की अपेक्षा स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क हैं। कम आयु वाले सीईओ जिम जाते हैं और साइकल चलाने सहित अन्य व्यायाम करते हैं। कम आयु वाले सीईओ का कहना है कि व्यायाम आदि करने से उन्हें तनाव झेलने में सहायता मिलती है।
सर्वेक्षण में शामिल 68 फीसदी सीईओ का कहना था कि वर्तमान परिस्थितियों में महत्वाकांक्षी लक्ष्य को तय वक्त में हासिल करने का तनाव उन पर बहुत अधिक दबाव डालता है। इसके कारण उनकी डेली रुटीन भी प्रभावित होती है, जिसका सीधा प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। सर्वेक्षण के मुताबिक पूरे साल जबर्दस्त काम के दबाव के कारण इन सीईओ को योग एवं व्यायाम आदि कर तनाव दूर करने का समय नहीं मिल पाता।
धूत ने कहा कि सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि कम आयु वर्ग के सीईओ डॉक्टरों से सलाह लेने से बचते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि डॉक्टर उन्हें एंटीबायोटिक और अन्य दवाएं लेने की सलाह देते हैं, जिनका उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस आयु वर्ग के अधिकारी डॉक्टरों से उसी हाल में सलाह लेते हैं, जब उन्हें हाई ब्लडप्रेशर, डायबीटीज और अनिद्रा जैसी बीमारियों की शिकायत होती है।
सर्वे के मुताबिक, भारतीय कंपनियों के 68 फीसदी सीईओ तनाव और इससे जुड़ी अन्य बीमारियों पर काबू पाने में नाकाम रहे। सर्वे में शामिल कंपनियों का टर्नओवर 1 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है।
असोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री (एसोचैम) की ओर से सीईओ के तनाव दूर करने के उपायों पर किए गए एक सर्वेक्षण में चैंबर से सम्बद्ध प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के 400 सीईओ ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। इनमें से 128 सीईओ का कहना था कि वे योग, जिम, गोल्फ, साइक्लिंग एवं अन्य खेलों की सहायता से अपने तनाव को दूर करने में कामयाब रहे।
एसोचैम के अध्यक्ष वेणुगोपाल एन. धूत ने सर्वेक्षण जारी करते हुए कहा कि सुबह योग आदि के लिए समय निकालने वाले 50-65 साल की आयु वर्ग के कंपनी प्रमुखों ने अपने अन्य साथियों को अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने और संस्थाओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए योग आदि करने की सलाह दी है।
सर्वेक्षण में यह भी बात सामने आई कि 30-45 साल के कम आयु वर्ग के सीईओ 50-65 साल के सीईओ की अपेक्षा स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क हैं। कम आयु वाले सीईओ जिम जाते हैं और साइकल चलाने सहित अन्य व्यायाम करते हैं। कम आयु वाले सीईओ का कहना है कि व्यायाम आदि करने से उन्हें तनाव झेलने में सहायता मिलती है।
सर्वेक्षण में शामिल 68 फीसदी सीईओ का कहना था कि वर्तमान परिस्थितियों में महत्वाकांक्षी लक्ष्य को तय वक्त में हासिल करने का तनाव उन पर बहुत अधिक दबाव डालता है। इसके कारण उनकी डेली रुटीन भी प्रभावित होती है, जिसका सीधा प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। सर्वेक्षण के मुताबिक पूरे साल जबर्दस्त काम के दबाव के कारण इन सीईओ को योग एवं व्यायाम आदि कर तनाव दूर करने का समय नहीं मिल पाता।
धूत ने कहा कि सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि कम आयु वर्ग के सीईओ डॉक्टरों से सलाह लेने से बचते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि डॉक्टर उन्हें एंटीबायोटिक और अन्य दवाएं लेने की सलाह देते हैं, जिनका उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस आयु वर्ग के अधिकारी डॉक्टरों से उसी हाल में सलाह लेते हैं, जब उन्हें हाई ब्लडप्रेशर, डायबीटीज और अनिद्रा जैसी बीमारियों की शिकायत होती है।
इंडियन कॉरपोरेट जगत के लिए सौदों का साल
नई दिल्लीः इंडियन कॉरपोरेट जगत के लिए 2007 सौदों का साल रहा। कॉरपोरेट शख्सियतों ने इस दौरान अपने समय और ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा डील टेबल पर बिताया। इस साल हजारों लेनदेन हुए, जिनमें विभिन्न कंपनियों में इक्विटी की खरीद और बिक्री शामिल है।
रोजाना 3 डील
2007 में औसतन हर रोज करीब 3 सौदों का ऐलान हुआ। सौदों की संख्या कुल 1,047 रही। इसमें विलय और अधिग्रहण के अलावा कुछ प्राइवेट इक्विटी डील भी हुए। इन सौदों की कुल वैल्यू 408.32 अरब डॉलर यानी तकरीबन 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपये है। इस साल कुल 661 विलय और अधिग्रहण के सौदे हुए। इसकी वैल्यू 51.17 अरब डॉलर है। इसके अलावा 386 प्राइवेट इक्विटी डील हुए, जिसकी वैल्यू 17.14 अरब डॉलर है। 2006 में ऐसे सौदों की संख्या 302 थी।
फॉरन शॉपिंग का जलवा
इस साल भारतीय कंपनियों की फॉरन शॉपिंग का जलवा रहा। इस अवधि में भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में किए जानेवाले अधिग्रहण देश में किए जानेवाले अधिग्रहण और फॉरन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफडीआई) पर भारी पड़े। इंडिया इंक ने विदेशी अधिग्रहण और विलय में 32 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि भारत में अधिग्रहण में विदेशी फर्मों ने 15 अरब डॉलर खर्च किए। साथ ही इस दौरान फॉरन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट 16 अरब डॉलर होने का अनुमान है।
2007 में क्रॉस बॉर्डर डील्स की संख्या 348 रही, जबकि 313 घरेलू सौदे हुए। क्रॉस बॉर्डर डील्स के तहत 240 में भारतीय कंपनियों ने विदेशों में अधिग्रहण किया, जबकि 108 सौदों के तहत भारत में विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया गया।
बड़े प्लेयरों का दबदबा
एमएंडए (विलय और अधिग्रहण) फीवर का असर पूरी इंडियन इंडस्ट्री पर देखा गया। हालांकि वैल्यूएशन के मामले में इंडस्ट्री के कुछ बड़े प्लेयरों का दबदबा रहा। टाटा-कोरस डील, वोडाफोन द्वारा हच-एस्सार की खरीदारी और हिंडाल्को द्वारा नोवेलिस के अधिग्रहण की वैल्यू क्रॉस बॉर्डर सौदों का 60 फीसदी है। इनमें सबसे बड़ा सौदा टाटा-कोरस का रहा, जिसकी वैल्यू 12.2 अरब डॉलर है। वोडाफोन ने हच-एस्सार में हिस्सेदारी के लिए 10.83 अरब डॉलर की राशि अदा की, जबकि हिंडाल्को ने उत्तरी अमेरिका की ऐल्युमिनियम फर्म नोवेलिस के अधिग्रहण के 6 अरब डॉलर खर्च किए। अन्य बड़े विलय और अधिग्रहण सौदों में सुजलोन-आरईपावर, यूबी-वाइट एंड मैके आदि शामिल हैं।
आईटी सबसे आगे
सबसे ज्यादा सौदे आईटी और आईटी से जुड़ी सेवाओं में हुए। इनमें कुल 154 सौदे हुए। इसके बाद फार्मा सेक्टर रहा, जहां 62 सौदे हुए। इसके बाद क्रमश: बैंकिंग (58) और मीडिया व एंटरटेनमेंट (33) का स्थान रहा।
जारी रहेगा ट्रेंड
सौदों का यह सिलसिला 2008 में भी जारी रहने की उम्मीद है। कंसलटिंग फर्म ग्रांट एंड थॉर्नटन की एमएंडए (विलय और अधिग्रहण) ऐडवाइजरी के प्रमुख पंकज कर्ण कहते हैं कि अगले साल भी कई महत्वपूर्ण सौदे होंगे। यहां तक कि 2008 में यह आंकड़ा इस साल के आंकड़े को भी पार कर जाएगा। फर्म के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी हरीश एच. वी. ने कहा कि हालांकि कॉम्पिटिशन बिल इसमें बाधा खड़ी कर सकता है, क्योंकि इसके तहत सभी बड़े सौदों की जांच करने का प्रावधान है। हरीश कहते हैं कि इंडिया इंक पूरी दुनिया में कंपनियों को खरीद रही है। इसके अलावा ये कंपनियों अपने बूते ऐसा कर रही हैं, जबकि चीन में बड़ी डील में कंपनियों को सरकारी मदद मुहैया कराई जाती है।
रोजाना 3 डील
2007 में औसतन हर रोज करीब 3 सौदों का ऐलान हुआ। सौदों की संख्या कुल 1,047 रही। इसमें विलय और अधिग्रहण के अलावा कुछ प्राइवेट इक्विटी डील भी हुए। इन सौदों की कुल वैल्यू 408.32 अरब डॉलर यानी तकरीबन 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपये है। इस साल कुल 661 विलय और अधिग्रहण के सौदे हुए। इसकी वैल्यू 51.17 अरब डॉलर है। इसके अलावा 386 प्राइवेट इक्विटी डील हुए, जिसकी वैल्यू 17.14 अरब डॉलर है। 2006 में ऐसे सौदों की संख्या 302 थी।
फॉरन शॉपिंग का जलवा
इस साल भारतीय कंपनियों की फॉरन शॉपिंग का जलवा रहा। इस अवधि में भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में किए जानेवाले अधिग्रहण देश में किए जानेवाले अधिग्रहण और फॉरन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफडीआई) पर भारी पड़े। इंडिया इंक ने विदेशी अधिग्रहण और विलय में 32 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि भारत में अधिग्रहण में विदेशी फर्मों ने 15 अरब डॉलर खर्च किए। साथ ही इस दौरान फॉरन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट 16 अरब डॉलर होने का अनुमान है।
2007 में क्रॉस बॉर्डर डील्स की संख्या 348 रही, जबकि 313 घरेलू सौदे हुए। क्रॉस बॉर्डर डील्स के तहत 240 में भारतीय कंपनियों ने विदेशों में अधिग्रहण किया, जबकि 108 सौदों के तहत भारत में विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया गया।
बड़े प्लेयरों का दबदबा
एमएंडए (विलय और अधिग्रहण) फीवर का असर पूरी इंडियन इंडस्ट्री पर देखा गया। हालांकि वैल्यूएशन के मामले में इंडस्ट्री के कुछ बड़े प्लेयरों का दबदबा रहा। टाटा-कोरस डील, वोडाफोन द्वारा हच-एस्सार की खरीदारी और हिंडाल्को द्वारा नोवेलिस के अधिग्रहण की वैल्यू क्रॉस बॉर्डर सौदों का 60 फीसदी है। इनमें सबसे बड़ा सौदा टाटा-कोरस का रहा, जिसकी वैल्यू 12.2 अरब डॉलर है। वोडाफोन ने हच-एस्सार में हिस्सेदारी के लिए 10.83 अरब डॉलर की राशि अदा की, जबकि हिंडाल्को ने उत्तरी अमेरिका की ऐल्युमिनियम फर्म नोवेलिस के अधिग्रहण के 6 अरब डॉलर खर्च किए। अन्य बड़े विलय और अधिग्रहण सौदों में सुजलोन-आरईपावर, यूबी-वाइट एंड मैके आदि शामिल हैं।
आईटी सबसे आगे
सबसे ज्यादा सौदे आईटी और आईटी से जुड़ी सेवाओं में हुए। इनमें कुल 154 सौदे हुए। इसके बाद फार्मा सेक्टर रहा, जहां 62 सौदे हुए। इसके बाद क्रमश: बैंकिंग (58) और मीडिया व एंटरटेनमेंट (33) का स्थान रहा।
जारी रहेगा ट्रेंड
सौदों का यह सिलसिला 2008 में भी जारी रहने की उम्मीद है। कंसलटिंग फर्म ग्रांट एंड थॉर्नटन की एमएंडए (विलय और अधिग्रहण) ऐडवाइजरी के प्रमुख पंकज कर्ण कहते हैं कि अगले साल भी कई महत्वपूर्ण सौदे होंगे। यहां तक कि 2008 में यह आंकड़ा इस साल के आंकड़े को भी पार कर जाएगा। फर्म के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी हरीश एच. वी. ने कहा कि हालांकि कॉम्पिटिशन बिल इसमें बाधा खड़ी कर सकता है, क्योंकि इसके तहत सभी बड़े सौदों की जांच करने का प्रावधान है। हरीश कहते हैं कि इंडिया इंक पूरी दुनिया में कंपनियों को खरीद रही है। इसके अलावा ये कंपनियों अपने बूते ऐसा कर रही हैं, जबकि चीन में बड़ी डील में कंपनियों को सरकारी मदद मुहैया कराई जाती है।
NTPC को जापानी बैंक से 38 करोड़ डॉलर का कर्ज
नई दिल्ली : देश में बिजली उत्पादन करनेवाली सबसे बड़ी कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने 38 करोड़ डॉलर कर्ज के लिए जापान बैंक फॉर इंटरनैशनल कोऑपरेशन (जेबीआईसी) के साथ समझौता किया है। कंपनी ने बयान में बताया गया है कि कि एनटीपीसी ने बिहार में 1,980 मेगावॉट बाढ़ सुपर थर्मल पावर परियोजना के आंशिक वित्तपोषण के लिए यह कर्ज लेने का फैसला किया है। लोन संबंधी समझौते पर बीते 20 दिसंबर को तोक्यो में दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों के बीच हस्ताक्षर हुए।
गौरतलब है जेबीआईसी सिमादी, फरीदाबाद और नॉथ कर्णपुरा पावर प्रोजेक्ट्स के लिए भी फाइनैंस मुहैया करा चुकी है। कंपनी ओवरसीज डिवेलपमेंट प्रोग्राम के तहत इन प्रोजेक्टों की खातिर तकरीबन 172 अरब येन की सहायता कर चुकी है। एनटीपीसी के पास 28,644 मेगावॉट पावर की क्षमता है और यह पूरे देश का 28 फीसदी बिजली उत्पादन करती है।
गौरतलब है जेबीआईसी सिमादी, फरीदाबाद और नॉथ कर्णपुरा पावर प्रोजेक्ट्स के लिए भी फाइनैंस मुहैया करा चुकी है। कंपनी ओवरसीज डिवेलपमेंट प्रोग्राम के तहत इन प्रोजेक्टों की खातिर तकरीबन 172 अरब येन की सहायता कर चुकी है। एनटीपीसी के पास 28,644 मेगावॉट पावर की क्षमता है और यह पूरे देश का 28 फीसदी बिजली उत्पादन करती है।
सोने- चांदी की चमक लौटी
इंदौर। आलोच्य बीते सप्ताह के दौरान विदेशों में डॉलर घटने और तेल में फिर तेजी आने से एमसीएक्स वायदा पर सोना- चाँदी की कीमतों में चमक लौटी। इसका असर स्थानीय सराफा बाजार पर भी पड़ा। वहीं एक माह का मलमास चलते लग्नसरा के अभाव में ठंड में ग्राहकी फीकी ही रही।
विदेशों के तहत न्यूयॉर्क मर्केन्टाईल एक्सचेंज और लदंन मेटल एक्सचेंज पर सोना 789 डालर पर खुलने के बाद सप्ताहांत में 810 डालर प्रति ट्राय औंस पर 21 डालर तेज हुआ जबकि चाँदी भी 1380 सेंट प्रति ट्राय औंस खुलकर शनिवार को1435 सेंट प्रति ट्राय औंस हो गई।
इन्दौर में सोना बिस्कुट सोमवार को 119400 रूपये खुलने के बाद सप्ताहांत में 121700 रूपये पर 2300 रूपये की तेजी पर रहा। दस ग्राम में भी इसकी कीमत 10430 रूपये पर 190 रूपये बढ़ी।
चॉंदी सोमवार को 18600 रूपये किलो खुलकर शनिवार को 18900 रूपये पर 300 रूपये चमकी। लग्नसरा नहीं होने और ठंड के कारण ग्राहकी फीकी पड़ते चाँदी सिक्का 26400 /26500 रुपये सैकड़ा पर 500 रूपये घटा।
विदेशों के तहत न्यूयॉर्क मर्केन्टाईल एक्सचेंज और लदंन मेटल एक्सचेंज पर सोना 789 डालर पर खुलने के बाद सप्ताहांत में 810 डालर प्रति ट्राय औंस पर 21 डालर तेज हुआ जबकि चाँदी भी 1380 सेंट प्रति ट्राय औंस खुलकर शनिवार को1435 सेंट प्रति ट्राय औंस हो गई।
इन्दौर में सोना बिस्कुट सोमवार को 119400 रूपये खुलने के बाद सप्ताहांत में 121700 रूपये पर 2300 रूपये की तेजी पर रहा। दस ग्राम में भी इसकी कीमत 10430 रूपये पर 190 रूपये बढ़ी।
चॉंदी सोमवार को 18600 रूपये किलो खुलकर शनिवार को 18900 रूपये पर 300 रूपये चमकी। लग्नसरा नहीं होने और ठंड के कारण ग्राहकी फीकी पड़ते चाँदी सिक्का 26400 /26500 रुपये सैकड़ा पर 500 रूपये घटा।
Saturday, 22 December 2007
अगले महीने बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम
नए साल में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं। सरकार ने संकेत दिए हैं कि जनवरी के मध्य तक इनकी कीमतों में मामूली बढ़ोतरी की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें काफी बढ़ गईं लेकिन देश में दाम नहीं बढ़े। इससे सरकारी तेल कंपनियों को काफी घाटा हो रहा है। सरकार इन्हीं कंपनियों को थोड़ी राहत देने के लिए यह कदम उठाने जा रही है।
पेट्रोलियम सचिव एम. एस श्रीनिवासन ने कहा कि जनवरी के पहले सप्ताह में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की मीटिंग के बाद डीजल-पेट्रोल की कीमतों में मामूली या ठीकठाक बढ़ोतरी के लिए तैयार रहिए। हम दाम बढ़ाने से इनकार नहीं कर रहे हैं। कीमतें तो बढ़ानी ही होंगी। श्रीनिवासन ने सीधे तौर पर तो यह नहीं बताया कि दाम कितने बढ़ेंगे, लेकिन संकेतों में कहा कि यहां पर जितने रुपये में चाय मिलती है, उतनी बढ़ोतरी हो सकती है। मतलब पेट्रोल-डीजल दो से तीन रुपये महंगा हो सकता है। कुकिंग गैस के दाम बढ़ाने के सवाल पर पेट्रोलियम सचिव ने कहा कि सरकार फिलहाल 290 रुपये में एलपीजी मुहैया करा रही है, जो उसकी वास्तविक कीमत का आधा है।
सरकार ने पिछली बार 6 जून 2006 को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए थे। तब पेट्रोल के दाम 4 रुपये और डीजल के 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए थे। लेकिन इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें काफी बढ़ चुकी हैं। इसकी वजह से इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और राशन की दुकानों पर केरोसिन बेचने से करीब 69 हजार 653 करोड़ रुपये का भारी-भरकम घाटा होने का अनुमान लगाया गया है।
फिलहाल कंपनियों को पेट्रोल पर प्रति लीटर 8.74 रुपये का नुकसान हो रहा है। इसी तरह, डीजल पर 9.92 रुपये प्रति लीटर, केरोसिन पर 20.53 रुपये प्रति लीटर और हर एलपीजी सिलिंडर पर 256.35 रुपये का घाटा झेलना पड़ रहा है। विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जीr की अध्यक्षता वाले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक पहले 14 दिसंबर को होनी थी लेकिन इसे टाल दिया गया। अब इसकी बैठक जनवरी में होने जा रही है।
पेट्रोलियम सचिव एम. एस श्रीनिवासन ने कहा कि जनवरी के पहले सप्ताह में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की मीटिंग के बाद डीजल-पेट्रोल की कीमतों में मामूली या ठीकठाक बढ़ोतरी के लिए तैयार रहिए। हम दाम बढ़ाने से इनकार नहीं कर रहे हैं। कीमतें तो बढ़ानी ही होंगी। श्रीनिवासन ने सीधे तौर पर तो यह नहीं बताया कि दाम कितने बढ़ेंगे, लेकिन संकेतों में कहा कि यहां पर जितने रुपये में चाय मिलती है, उतनी बढ़ोतरी हो सकती है। मतलब पेट्रोल-डीजल दो से तीन रुपये महंगा हो सकता है। कुकिंग गैस के दाम बढ़ाने के सवाल पर पेट्रोलियम सचिव ने कहा कि सरकार फिलहाल 290 रुपये में एलपीजी मुहैया करा रही है, जो उसकी वास्तविक कीमत का आधा है।
सरकार ने पिछली बार 6 जून 2006 को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाए थे। तब पेट्रोल के दाम 4 रुपये और डीजल के 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए थे। लेकिन इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें काफी बढ़ चुकी हैं। इसकी वजह से इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और राशन की दुकानों पर केरोसिन बेचने से करीब 69 हजार 653 करोड़ रुपये का भारी-भरकम घाटा होने का अनुमान लगाया गया है।
फिलहाल कंपनियों को पेट्रोल पर प्रति लीटर 8.74 रुपये का नुकसान हो रहा है। इसी तरह, डीजल पर 9.92 रुपये प्रति लीटर, केरोसिन पर 20.53 रुपये प्रति लीटर और हर एलपीजी सिलिंडर पर 256.35 रुपये का घाटा झेलना पड़ रहा है। विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जीr की अध्यक्षता वाले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक पहले 14 दिसंबर को होनी थी लेकिन इसे टाल दिया गया। अब इसकी बैठक जनवरी में होने जा रही है।
20 हजार करोड़ निवेश करेगी एलएंडटी
मुंबई : इंजीनियरिंग फर्म लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने अपनी पावर जेनरेशन इकाई स्थापित की है। इसमें कंपनी 20 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी।
एलएंडटी के सीएमडी ए. एम. नायक ने बताया कि कंपनी इसमें 5 हजार करोड़ रुपये लगाएगी और बाकी रकम का इंतजाम कर्ज के जरिए किया जाएगा। नई कंपनी अगले 5 साल में 5 हजार मेगावॉट बिजली पैदा करेगी।
एलएंडटी के सीएमडी ए. एम. नायक ने बताया कि कंपनी इसमें 5 हजार करोड़ रुपये लगाएगी और बाकी रकम का इंतजाम कर्ज के जरिए किया जाएगा। नई कंपनी अगले 5 साल में 5 हजार मेगावॉट बिजली पैदा करेगी।
रिलायंस ब्रैंड नेम में बहुत कुछ रखा है
नई दिल्ली : इसे रिलायंस शब्द का जादू कहें या फिर कुछ और, पर सचाई यह है रिलायंस ब्रैंड नेम का सिक्का दुनिया भर में चल रहा है। बात मुकेश और अनिल अंबानी के मालिकाना हक वाले रिलायंस समूह की हो, या फिर अमेरिकी कंपनी रिलायंस स्टील एंड ऐल्युमिनियम की, रिलायंस ब्रैंड नेम का अपना जलवा है।
जी हां, अमेरिका की जानी-मानी बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने रिलायंस स्टील एंड ऐल्युमिनियम को अमेरिका की बेस्ट मैनेज्ड कंपनियों की लिस्ट में जगह दी है। लॉस ऐंजिलिस की इस कंपनी को मटीरियल्स सेक्टर की बेस्ट मैनेज्ड कंपनियों में पहले पायदान पर रखा गया है। पिछले 5 साल के इक्विटी रिटर्न, टर्नओवर और प्रॉफिट के आधार पर कंपनी को यह जगह दी गई है।
नाम के पहले अक्षर में समानता के अलावा भारत के रिलायंस समूह और इस अमेरिकी कंपनी में कोई दूसरी समानता नहीं है। यह स्टील कंपनी भारत में अंबानी ब्रदर्स की कंपनियों के मुकाबले काफी छोटी है। इस कंपनी का मार्केट कैप महज 4 अरब डॉलर है, जबकि सिर्फ मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। अनिल और मुकेश अंबानी की कोई भी कंपनी स्टील और ऐल्युमिनियम का कारोबार नहीं करती। लिहाजा इस मामले में भी रिलायंस स्टील और भारत के रिलायंस समूह में कोई समानता नहीं है।
हां, इतना जरूर है कि फोर्ब्स मैगजीन ने हाल ही में दुनिया के रईसों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें अनिल और मुकेश दोनों का नाम था। अब इस अमेरिकी कंपनी को फोर्ब्स मैगजीन की लिस्ट में जगह मिली है।
जी हां, अमेरिका की जानी-मानी बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने रिलायंस स्टील एंड ऐल्युमिनियम को अमेरिका की बेस्ट मैनेज्ड कंपनियों की लिस्ट में जगह दी है। लॉस ऐंजिलिस की इस कंपनी को मटीरियल्स सेक्टर की बेस्ट मैनेज्ड कंपनियों में पहले पायदान पर रखा गया है। पिछले 5 साल के इक्विटी रिटर्न, टर्नओवर और प्रॉफिट के आधार पर कंपनी को यह जगह दी गई है।
नाम के पहले अक्षर में समानता के अलावा भारत के रिलायंस समूह और इस अमेरिकी कंपनी में कोई दूसरी समानता नहीं है। यह स्टील कंपनी भारत में अंबानी ब्रदर्स की कंपनियों के मुकाबले काफी छोटी है। इस कंपनी का मार्केट कैप महज 4 अरब डॉलर है, जबकि सिर्फ मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। अनिल और मुकेश अंबानी की कोई भी कंपनी स्टील और ऐल्युमिनियम का कारोबार नहीं करती। लिहाजा इस मामले में भी रिलायंस स्टील और भारत के रिलायंस समूह में कोई समानता नहीं है।
हां, इतना जरूर है कि फोर्ब्स मैगजीन ने हाल ही में दुनिया के रईसों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें अनिल और मुकेश दोनों का नाम था। अब इस अमेरिकी कंपनी को फोर्ब्स मैगजीन की लिस्ट में जगह मिली है।
उद्योग-विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ेगी-चिदंबरम
मुंबई- केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने देश की अर्थव्यवस्था में उद्योग एवं विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए शुक्रवार को कहा कि यही वह क्षेत्र है जिसमें युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिल सकते हैं।
चिदंबरम ने अभियांत्रिकी एवं विनिर्माण क्षेत्र की अग्रणी कम्पनी लार्सन एंड टुब्रो की स्थापना के 70 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आज यहाँ आयोजित एक समारोह में कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में 55 प्रतिशत योगदान, सेवा क्षेत्र का, 17 प्रतिशत योगदान कृषि क्षेत्र का तथा शेष हिस्सा उद्योग एवं मैनुफेक्चरिंग क्षेत्र का है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न कारणों से अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान और कम ही होने वाला है और सेवा क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं के कारण उसमें पेशेवर अकुशल लोगों को रोजगार मिलने की सीमा है।
वित्तमंत्री ने कहा कि अगले भारत का अगले 20 से 30 वर्ष में विश्व में ऐसा एकमात्र देश बन जाना तय है जहाँ कामगारों की संख्या उन पर निर्भर लोगों की संख्या से कम होगी।
उन्होंने कहा कि इन असंख्य युवाओं में से पाँच प्रतिशत के ही पेशेवर रूप से कुशल होने का आंकलन है और ऐसे में सभी कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की चुनौती से निपटने के लिए अभी से पूरी तैयारी करने की जरूरत है।
चिदंबरम ने अभियांत्रिकी एवं विनिर्माण क्षेत्र की अग्रणी कम्पनी लार्सन एंड टुब्रो की स्थापना के 70 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आज यहाँ आयोजित एक समारोह में कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में 55 प्रतिशत योगदान, सेवा क्षेत्र का, 17 प्रतिशत योगदान कृषि क्षेत्र का तथा शेष हिस्सा उद्योग एवं मैनुफेक्चरिंग क्षेत्र का है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न कारणों से अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान और कम ही होने वाला है और सेवा क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं के कारण उसमें पेशेवर अकुशल लोगों को रोजगार मिलने की सीमा है।
वित्तमंत्री ने कहा कि अगले भारत का अगले 20 से 30 वर्ष में विश्व में ऐसा एकमात्र देश बन जाना तय है जहाँ कामगारों की संख्या उन पर निर्भर लोगों की संख्या से कम होगी।
उन्होंने कहा कि इन असंख्य युवाओं में से पाँच प्रतिशत के ही पेशेवर रूप से कुशल होने का आंकलन है और ऐसे में सभी कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की चुनौती से निपटने के लिए अभी से पूरी तैयारी करने की जरूरत है।
Friday, 21 December 2007
बेहद आसान है शॉर्ट सेलिंग का फंडा समझना
नई दिल्ली : शॉर्ट सेलिंग से मतलब किसी कंपनी के शेयर को पहले बेचना और फिर खरीदना है। इसे एक उदाहरण के जरिये बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। फर्ज करें कि किसी कंपनी के शेयर की कीमत 500 रुपये है। किसी निवेशक को लगता है कि कंपनी के शेयर की कीमत गिरकर 450 रुपये तक आएगी। लिहाजा वह 500 रुपये पर कंपनी के शेयर को बेच देता है। जब शेयर की कीमत गिरकर 450 रुपये पर आ जाती है, तो वह उस शेयर को खरीद लेता है।
इस पूरे मामले में दिलचस्प यह है कि निवेशक ने पहले शेयर को बेचा और फिर उसे खरीदा। पर आपके दिमाग में यह सवाल उठ रहा होगा कि कोई भी व्यक्ति उस शेयर को कैसे बेच सकता है, जिसका मालिकाना हक उसके पास है ही नहीं। आपका सोचना सही है। पर सेबी ने इसके लिए इंतजाम कर रखा है। निवेशक द्वारा शेयर को खरीदे जाने से पहले बेचे जाने की हालत में उसे उतने पैसे जमा कराने पड़ते हैं, जितने पैसे में उसने शेयर को बेचा है। यह बेचना भी एक तरह का खरीदना ही है। यदि निवेशक ने 500 रुपये में शेयर को बेचा है, तो उसे अपने डीमैट अकाउंट के जरिये उस कंपनी को 500 रुपये देने होंगे, जिसका शेयर उसने खरीदा है। फिर जब शेयर की कीमत गिरकर 450 रुपये पर आ जाती है, तो निवेशक उसे खरीदने का ऑर्डर कर देता है। ऐसी हालत में कंपनी निवेशक के 450 रुपये काट लेती है और उसे 50 रुपये लौटा देती है। यानी निवेशक को 50 रुपये का मुनाफा होता है।
अब यह फर्ज करें कि निवेशक ने कंपनी का शेयर इस उम्मीद में 500 रुपये पर बेच दिया कि जब उसकी कीमत 450 रुपये पर आएगी तब वह उसे खरीद लेगा। पर शेयर की कीमत 50 रुपये गिरने के बजाय 50 रुपये बढ़कर 550 रुपये हो गई। ऐसी स्थिति में यदि निवेशक दाम और बढ़ने के डर से यदि 550 रुपये पर ही शेयर को खरीदता है, तो उसे कंपनी को अपने अकाउंट से 50 रुपये और देने होंगे। यानी निवेशक को 50 रुपये का नुकसान उठाना होगा।
अब तक रिटेल इनवेस्टरों को शेयर की शॉर्ट सेलिंग की इजाजत थी। इसके तहत वे इक्विटी और फ्यूचर दोनों में शेयरों की शॉर्ट सेलिंग कर सकते थे। पर इक्विटी में शॉर्ट सेलिंग करने पर उन्हें डे ट्रेडिंग के दौरान यानी एक दिन के कारोबार के दौरान ही सौदे का निपटारा करना जरूरी होता था। फ्यूचर की खरीदारी में सौदे का निपटारा करने के लिए 1 महीने की छूट दी जाती थी। यदि इस दौरान निवेशक सौदे का निपटारा नहीं करते, तो कंपनी महीने के आखिरी गुरुवार को खुद-ब-खुद सौदे का हिसाब-किताब कर देती थी। सेबी ने अब इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टरों को भी शेयरों का यह रोचक कारोबार करने की इजाजत दे दी है।
इस पूरे मामले में दिलचस्प यह है कि निवेशक ने पहले शेयर को बेचा और फिर उसे खरीदा। पर आपके दिमाग में यह सवाल उठ रहा होगा कि कोई भी व्यक्ति उस शेयर को कैसे बेच सकता है, जिसका मालिकाना हक उसके पास है ही नहीं। आपका सोचना सही है। पर सेबी ने इसके लिए इंतजाम कर रखा है। निवेशक द्वारा शेयर को खरीदे जाने से पहले बेचे जाने की हालत में उसे उतने पैसे जमा कराने पड़ते हैं, जितने पैसे में उसने शेयर को बेचा है। यह बेचना भी एक तरह का खरीदना ही है। यदि निवेशक ने 500 रुपये में शेयर को बेचा है, तो उसे अपने डीमैट अकाउंट के जरिये उस कंपनी को 500 रुपये देने होंगे, जिसका शेयर उसने खरीदा है। फिर जब शेयर की कीमत गिरकर 450 रुपये पर आ जाती है, तो निवेशक उसे खरीदने का ऑर्डर कर देता है। ऐसी हालत में कंपनी निवेशक के 450 रुपये काट लेती है और उसे 50 रुपये लौटा देती है। यानी निवेशक को 50 रुपये का मुनाफा होता है।
अब यह फर्ज करें कि निवेशक ने कंपनी का शेयर इस उम्मीद में 500 रुपये पर बेच दिया कि जब उसकी कीमत 450 रुपये पर आएगी तब वह उसे खरीद लेगा। पर शेयर की कीमत 50 रुपये गिरने के बजाय 50 रुपये बढ़कर 550 रुपये हो गई। ऐसी स्थिति में यदि निवेशक दाम और बढ़ने के डर से यदि 550 रुपये पर ही शेयर को खरीदता है, तो उसे कंपनी को अपने अकाउंट से 50 रुपये और देने होंगे। यानी निवेशक को 50 रुपये का नुकसान उठाना होगा।
अब तक रिटेल इनवेस्टरों को शेयर की शॉर्ट सेलिंग की इजाजत थी। इसके तहत वे इक्विटी और फ्यूचर दोनों में शेयरों की शॉर्ट सेलिंग कर सकते थे। पर इक्विटी में शॉर्ट सेलिंग करने पर उन्हें डे ट्रेडिंग के दौरान यानी एक दिन के कारोबार के दौरान ही सौदे का निपटारा करना जरूरी होता था। फ्यूचर की खरीदारी में सौदे का निपटारा करने के लिए 1 महीने की छूट दी जाती थी। यदि इस दौरान निवेशक सौदे का निपटारा नहीं करते, तो कंपनी महीने के आखिरी गुरुवार को खुद-ब-खुद सौदे का हिसाब-किताब कर देती थी। सेबी ने अब इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टरों को भी शेयरों का यह रोचक कारोबार करने की इजाजत दे दी है।
किसानों के लिए सस्ता मोबाइल पेश करेगी सरकार
नई दिल्ली : किसानों के लिए सरकार की 500 रुपये में मोबाइल हैंडसेट मुहैया कराने की योजना है। सरकार इस बाबत प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर काम करेगी।
श्रम मंत्री ऑस्कर फर्नांडिस ने एसोचैम के समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल साइंस के प्रमोशन के तहत सरकार मोबाइल फोन की कीमतों में कमी कर इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएगी। सरकार ग्रामीण किसानों को मोबाइल से जोड़ने के लिए पूरी कोशिश में जुटी है। इस दिशा में कम्यूनिकेशन मंत्रालय, इन्फर्मेशन और टेक्नॉलजी मंत्रालय और दूसरे संबंधित मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं।
श्रम मंत्री ऑस्कर फर्नांडिस ने एसोचैम के समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल साइंस के प्रमोशन के तहत सरकार मोबाइल फोन की कीमतों में कमी कर इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएगी। सरकार ग्रामीण किसानों को मोबाइल से जोड़ने के लिए पूरी कोशिश में जुटी है। इस दिशा में कम्यूनिकेशन मंत्रालय, इन्फर्मेशन और टेक्नॉलजी मंत्रालय और दूसरे संबंधित मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं।
पायरेसी से सॉफ्टवेयर कंपनियों को भारी चूना
नई दिल्ली : गैर - कानूनी तरीके से सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल दुनिया भर की सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। कंपनियों के रेवेन्यू लॉस की यह प्रमुख वजह है। रिसर्च फर्म केपीएमजी की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले 50 फीसदी सॉफ्टवेयर पायरेटेड होते हैं। इसकी प्रमुख वजह जागरूकता की कमी और इस बाबत बने कानून को ठीक ढंग से लागू नहीं किया जाना है।
सर्वे में शामिल 77 फीसदी एगिक्युटिव्स का मानना था कि इंस्टॉल किए जानेवाले 35 फीसदी सॉफ्टवेयर बगैर लाइसेंस वाले होते हैं। इस वजह से इंडस्ट्री को होने वाला अनुमानित नुकसान 34 अरब डॉलर है। 55 फीसदी एग्जिक्यूटिव्स के मुताबिक उनकी कंपनियों का रेवेन्यू लॉस कुल रेवेन्यू का 10 फीसदी से ज्यादा रहा। कुल मिलाकर 87 फीसदी इगेक्युटिव्स ने गैरलाइसेंसी सॉफ्टवेयर की वजह से रेवेन्यू लॉस होने का दावा किया। केपीएमजी के इस सर्वे में 50 कंपनियों के इगेक्युटिव्स को शामिल किया गया। इंडस्ट्री के कुल रेवेन्यू में इन कंपनियों की हिस्सा 50 फीसदी है। सर्वे में शामिल 94 फीसदी इगेक्युटिव्स का मानना था कि पायरेसी रोकने के लिए नियमों को कड़ा करने का कस्टमर्स पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
सर्वे में शामिल 77 फीसदी एगिक्युटिव्स का मानना था कि इंस्टॉल किए जानेवाले 35 फीसदी सॉफ्टवेयर बगैर लाइसेंस वाले होते हैं। इस वजह से इंडस्ट्री को होने वाला अनुमानित नुकसान 34 अरब डॉलर है। 55 फीसदी एग्जिक्यूटिव्स के मुताबिक उनकी कंपनियों का रेवेन्यू लॉस कुल रेवेन्यू का 10 फीसदी से ज्यादा रहा। कुल मिलाकर 87 फीसदी इगेक्युटिव्स ने गैरलाइसेंसी सॉफ्टवेयर की वजह से रेवेन्यू लॉस होने का दावा किया। केपीएमजी के इस सर्वे में 50 कंपनियों के इगेक्युटिव्स को शामिल किया गया। इंडस्ट्री के कुल रेवेन्यू में इन कंपनियों की हिस्सा 50 फीसदी है। सर्वे में शामिल 94 फीसदी इगेक्युटिव्स का मानना था कि पायरेसी रोकने के लिए नियमों को कड़ा करने का कस्टमर्स पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
मित्तल ने फुटबॉल क्लब में 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी
लंदनः प्रसिद्ध एनआरआई बिज़नसमैन और दुनिया के पांचवें धनी व्यक्ति लक्ष्मी मित्तल ने ब्रिटेन के एक चैंपियनशिप फुटबॉल क्लब में 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है।
जानकारी के मुताबिक लक्ष्मी मित्तल ने ब्रिटेन के चैंपियनशिप फुटबॉल क्लब क्वींस पार्क रेंजर्स में 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इसके लिए मित्तल को 1.6 मिलियन पाउंड की राशि खर्च करनी पड़ी। क्लब की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मित्तल का यह कदम क्लब के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
जानकारी के मुताबिक लक्ष्मी मित्तल ने ब्रिटेन के चैंपियनशिप फुटबॉल क्लब क्वींस पार्क रेंजर्स में 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। इसके लिए मित्तल को 1.6 मिलियन पाउंड की राशि खर्च करनी पड़ी। क्लब की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मित्तल का यह कदम क्लब के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
Thursday, 20 December 2007
हर मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की कीमत तय हो: सब-कमिटी
नई दिल्ली : टेलिकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम अलॉट किए जाने के मसले पर सरकार की ओर से गठित सब-कमिटी (उप-समिति) ने कहा है कि कंपनियों को दिए जाने वाले हर एक मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की कीमत तय की जानी चाहिए। टेलिकॉम कंपनियों से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की वापसी से संबंधित फैसला लेने का काम सब-कमिटी ने सरकार पर छोड़ दिया है। सब-कमिटी ने एक नोट जारी कर कहा है - कानूनी और पॉलिसी से जुड़े दूसरे मसलों पर कानूनी जानकारों को विचार किया जाना चाहिए। पर हर एक मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए कुछ कीमत ली जानी चाहिए।
मौजूदा नियमों के मुताबिक मोबाइल ऑपरेटरों को कारोबार शुरू करने के लिए दिया जाने वाला स्पेक्ट्रम (स्टार्ट-अप स्पेक्ट्रम) फ्री में दिया जाता है। सिर्फ उन्हें लाइसेंस फीस देनी पड़ती है। कंपनियां 1651 करोड़ रुपये देकर स्टार्ट-अप स्पेक्ट्रम और देश भर टेलिकॉम सेवा शुरू करने का लाइसेंस पा लेती हैं। गौरतलब है कि टेलिकॉम रेग्युलेटर ट्राई ने भी कहा था कि स्पेक्ट्रम फीस को लाइसेंस फीस से अलग किया जाना चाहिए।
मौजूदा नियमों के मुताबिक मोबाइल ऑपरेटरों को कारोबार शुरू करने के लिए दिया जाने वाला स्पेक्ट्रम (स्टार्ट-अप स्पेक्ट्रम) फ्री में दिया जाता है। सिर्फ उन्हें लाइसेंस फीस देनी पड़ती है। कंपनियां 1651 करोड़ रुपये देकर स्टार्ट-अप स्पेक्ट्रम और देश भर टेलिकॉम सेवा शुरू करने का लाइसेंस पा लेती हैं। गौरतलब है कि टेलिकॉम रेग्युलेटर ट्राई ने भी कहा था कि स्पेक्ट्रम फीस को लाइसेंस फीस से अलग किया जाना चाहिए।
180 पॉइंट की बढ़त के साथ खुला सेंसेक्स
मुंबई : फंडों द्वारा हुई लिवाली के चलते बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई का सेंसेक्स गुरुवार को शुरुआती कारोबार में ही 180 पॉइंट चढ़ गया। बाजार खुलने के बाद सेंसेक्स पांच मिनट के कारोबार के दौरान 179.85 पॉइंट बढ़कर 19271.81 के स्तर पर पहुंच गया।
इसी तरह, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 50.95 पॉइंट चढ़कर 5793.25 पॉइंट के स्तर पर जा पहुंचा। सूत्रों ने बताया कि एशियाई मार्केट में आए सुधार का असर शुरुआती कारोबार में भी देखने को मिला।
इसी तरह, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 50.95 पॉइंट चढ़कर 5793.25 पॉइंट के स्तर पर जा पहुंचा। सूत्रों ने बताया कि एशियाई मार्केट में आए सुधार का असर शुरुआती कारोबार में भी देखने को मिला।
शेयर कारोबार से पहले टेस्ट पास करें
मुंबई. अगर आप लाखों लोगों को शेयर में निवेश की सलाह देते हैं या किसी म्यूचुअल फंड में धन का प्रबंधन करते हैं, तो आपको एक परीक्षा पास करनी होगी।
पहले शेयर बाजार में मध्यस्थ का काम करने वालों को सेबी के साथ पंजीकरण कराना काफी होता था। अब शेयर बाजार में मध्यस्थ और उनके साथ काम करने वालों को परीक्षा पास करके प्रमाण पत्र लेना होगा। सेबी ने कहा कि निवेशकों के धन, संपत्ति, शिकायतें, जोखिम आदि का काम संभालने वालों को अपनी क्षमता का कोई सबूत भी पेश करना होगा।
इसका मतलब है कि म्यूचुअल फंड का वितरक हो या फंड मैनेजर, ट्रेडर हो या ब्रोकर, सब ब्रोकर हो या डिपाजिटरी का हिस्सेदार, रजिस्ट्रार हो या शेयर ट्रांसफर एजेंट, विदेशी संस्थागत निवेशक हो या वेंचर कैपिटल निवेशक, उनके सुपरवाइजर हों या प्रोप्राइटर, सबको परीक्षा में बैठना पड़ेगा।
जो लोग 17 अक्टूबर 2007 के बाद शेयर बाजार में इंटरमीडियरी के तौर पर काम कर रहे हैं, उन्हें अगले साल में परीक्षा पास करनी होगी। अगर आपके पास एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड (एम्फी), बीएसई या एनएसई में पहले से रजिस्टर हैं तो अलग से कोई प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है।
कोई व्यक्ति 50 साल से ऊपर है और शेयर कारोबार में दस साल गुजार चुका है तो उसे परीक्षा से छूट मिल सकती है। भले ही वह प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सेदारी करे। अलग-अलग इंटरमीडियरी की जरूरत के हिसाब से पाठ्यक्रम संचालित करने की योजना भी है।
1. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्यूरिटीज मैनेजमेंट (एनआईएमएस) पनवेल में 72 एकड़ में बनाया जाएगा। इस पर सेबी ने 250 करोड़ खर्च करने का वादा किया है।
2. न्यूयार्क का स्टर्न स्कूल आफ बिजनेस पाठ्यक्रम तैयार करने में एनआईएसएम को सलाह दे रहा है। एक प्रोफाइल से दूसरे में जाने के लिए भी परीक्षा पास करनी होगी।
एनएसई, बीएसई ने निवेशकों को चेताया
मुंबई. प्रमुख स्टाक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई ने निवेशकों को चेताया है कि भारी लाभ देने के बारे में फर्जी टिप्स और शेयरों की सिफारिशों से बचकर रहें।
सेंसेक्स में करीब 1000 अंक की गिरावट के बाद एक्सचेंजों ने निवेशकों को चेताया है। बीएसई ने कहा है कि जो निवेश की योजना बना रहे हैं, उन्हें सतर्क रहना चाहिए। अलर्ट में कहा गया है कि अखबारों, इलेक्ट्रानिक मीडिया, वेबसाइट आदि में आने वाली सिफारिशों से गलतफहमी में नहीं आएं।
पहले शेयर बाजार में मध्यस्थ का काम करने वालों को सेबी के साथ पंजीकरण कराना काफी होता था। अब शेयर बाजार में मध्यस्थ और उनके साथ काम करने वालों को परीक्षा पास करके प्रमाण पत्र लेना होगा। सेबी ने कहा कि निवेशकों के धन, संपत्ति, शिकायतें, जोखिम आदि का काम संभालने वालों को अपनी क्षमता का कोई सबूत भी पेश करना होगा।
इसका मतलब है कि म्यूचुअल फंड का वितरक हो या फंड मैनेजर, ट्रेडर हो या ब्रोकर, सब ब्रोकर हो या डिपाजिटरी का हिस्सेदार, रजिस्ट्रार हो या शेयर ट्रांसफर एजेंट, विदेशी संस्थागत निवेशक हो या वेंचर कैपिटल निवेशक, उनके सुपरवाइजर हों या प्रोप्राइटर, सबको परीक्षा में बैठना पड़ेगा।
जो लोग 17 अक्टूबर 2007 के बाद शेयर बाजार में इंटरमीडियरी के तौर पर काम कर रहे हैं, उन्हें अगले साल में परीक्षा पास करनी होगी। अगर आपके पास एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड (एम्फी), बीएसई या एनएसई में पहले से रजिस्टर हैं तो अलग से कोई प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है।
कोई व्यक्ति 50 साल से ऊपर है और शेयर कारोबार में दस साल गुजार चुका है तो उसे परीक्षा से छूट मिल सकती है। भले ही वह प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सेदारी करे। अलग-अलग इंटरमीडियरी की जरूरत के हिसाब से पाठ्यक्रम संचालित करने की योजना भी है।
1. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्यूरिटीज मैनेजमेंट (एनआईएमएस) पनवेल में 72 एकड़ में बनाया जाएगा। इस पर सेबी ने 250 करोड़ खर्च करने का वादा किया है।
2. न्यूयार्क का स्टर्न स्कूल आफ बिजनेस पाठ्यक्रम तैयार करने में एनआईएसएम को सलाह दे रहा है। एक प्रोफाइल से दूसरे में जाने के लिए भी परीक्षा पास करनी होगी।
एनएसई, बीएसई ने निवेशकों को चेताया
मुंबई. प्रमुख स्टाक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई ने निवेशकों को चेताया है कि भारी लाभ देने के बारे में फर्जी टिप्स और शेयरों की सिफारिशों से बचकर रहें।
सेंसेक्स में करीब 1000 अंक की गिरावट के बाद एक्सचेंजों ने निवेशकों को चेताया है। बीएसई ने कहा है कि जो निवेश की योजना बना रहे हैं, उन्हें सतर्क रहना चाहिए। अलर्ट में कहा गया है कि अखबारों, इलेक्ट्रानिक मीडिया, वेबसाइट आदि में आने वाली सिफारिशों से गलतफहमी में नहीं आएं।
'आर्थिक वृद्धि 10 प्रतिशत तक पहुँचेगी'
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने सही नीतियों तथा केन्द्र और राज्य सरकारों के ईमानदार प्रयासों से आर्थिक वृद्धि 10 प्रतिशत तक पहुँचने का भरोसा जताया।
उन्होंने अमेरिका और दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के रुख से देश के निर्यात और पूँजी प्रवाह के लिए खतरे का इशारा किया और सब्सिडी के विवेकपूर्ण इस्तेमाल पर जोर देने के साथ ही सार्वजनिक संसाधनों की फिजूलखर्ची रोकने की सलाह दी।
डॉ. सिंह ने राष्ट्रीय विकास परिषद की 54वीं बैठक को संबोधित करते हुए 10वीं पंचवर्षीय योजना के अंतिम दो वर्ष में कृषि पैदावार में बढ़ोतरी पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि चालू वर्ष के अनुमानों के आधार पर इन तीन वर्षों में कृषि वृद्धि दर चार प्रतिशत हो जाने की संभावना है।
11वीं पंचवर्षीय योजना को मंजूरी देने के लिए हो रही बैठक में वित्तमंत्री पी. चिदंबरम, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया और राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे।
डॉ. सिंह ने 10वीं योजना के अंतिम तीन वर्ष में नौ प्रतिशत वार्षिक की औसत वृद्धि दर को अभूतपूर्व बताया तथा कहा कि सही नीतियाँ अपनाई जाएँ और केन्द्र एवं राज्य सरकारें ईमानदारी से प्रयास करें तो हम न केवल निकट भविष्य में इस उच्च वृद्धि के रुख को बनाए रखेंगे, बल्कि इसे 10 प्रतिशत तक पहुँचाने में भी समर्थ हो सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने योजनाकारों को आगाह करते हुए कहा कि अमेरिकी और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि सुस्त पड़ जाने तथा कुछ के मंदी की गिरफ्त में आने से हमारे निर्यात और पूँजी प्रवाह पर असर पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि इससे निराश होने या वृद्धि लक्ष्यों को लेकर कम महत्वाकांक्षी होने की जरूरत नहीं है। आशय केवल यह है कि हमें वृद्धि के घरेलू कारकों को गतिमान रखने के लिए अपने प्रयास दोगुने करने होंगे तथा सुनिश्चित करना होगा कि आर्थिक वृद्धि में और तेजी आए।
उन्होंने अमेरिका और दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के रुख से देश के निर्यात और पूँजी प्रवाह के लिए खतरे का इशारा किया और सब्सिडी के विवेकपूर्ण इस्तेमाल पर जोर देने के साथ ही सार्वजनिक संसाधनों की फिजूलखर्ची रोकने की सलाह दी।
डॉ. सिंह ने राष्ट्रीय विकास परिषद की 54वीं बैठक को संबोधित करते हुए 10वीं पंचवर्षीय योजना के अंतिम दो वर्ष में कृषि पैदावार में बढ़ोतरी पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि चालू वर्ष के अनुमानों के आधार पर इन तीन वर्षों में कृषि वृद्धि दर चार प्रतिशत हो जाने की संभावना है।
11वीं पंचवर्षीय योजना को मंजूरी देने के लिए हो रही बैठक में वित्तमंत्री पी. चिदंबरम, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह अहलूवालिया और राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे।
डॉ. सिंह ने 10वीं योजना के अंतिम तीन वर्ष में नौ प्रतिशत वार्षिक की औसत वृद्धि दर को अभूतपूर्व बताया तथा कहा कि सही नीतियाँ अपनाई जाएँ और केन्द्र एवं राज्य सरकारें ईमानदारी से प्रयास करें तो हम न केवल निकट भविष्य में इस उच्च वृद्धि के रुख को बनाए रखेंगे, बल्कि इसे 10 प्रतिशत तक पहुँचाने में भी समर्थ हो सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने योजनाकारों को आगाह करते हुए कहा कि अमेरिकी और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि सुस्त पड़ जाने तथा कुछ के मंदी की गिरफ्त में आने से हमारे निर्यात और पूँजी प्रवाह पर असर पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि इससे निराश होने या वृद्धि लक्ष्यों को लेकर कम महत्वाकांक्षी होने की जरूरत नहीं है। आशय केवल यह है कि हमें वृद्धि के घरेलू कारकों को गतिमान रखने के लिए अपने प्रयास दोगुने करने होंगे तथा सुनिश्चित करना होगा कि आर्थिक वृद्धि में और तेजी आए।
Wednesday, 19 December 2007
'अनुमान से छोटी आर्थिक ताक़त है चीन'
विश्व बैंक का दावा है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन असल में उतनी बड़ी नहीं है, जितना उसे आँक लिया गया था।
बैंक का कहना है कि चीन के बारे में उसका एक आकलन सही नहीं था और चीन उस अनुमान से छोटी आर्थिक ताक़त है।
बैंक ने माना है कि पहले के आकलन में चीनी अर्थव्यवस्था के आकार को 40 फ़ीसदी ज़्यादा आँका गया था।
नया नतीजा तब सामने आया है जब चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकलन बैंक ने नए तरीके से किया है।
बैंक का कहना है कि इन निष्कर्षों का मतबल यह है कि अब पूर्वानुमान के मुताबिक़ चीन 2012 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन पाएगा।
बैंक का मानना है कि चीन पहले के आकलन से भी ज़्यादा ग़रीब है।
विश्व बैंक का कहना है कि ताज़ा आकलन का असर भविष्य में मिलने वाली मदद और निवेश योजनाओं पर दिखेगा।
चीन को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अतिरिक्त सहायता मिलती है।विकासशील देश के दर्जे के कारण चीन ने जलवायु परिवर्तन पर चल रही वार्ता में मदद भी माँगी थी।
आँकड़ों में सुधार
बैंक के ताज़ा शोध के आधार पर चीन की अर्थव्यवस्था अब 53।30 खरब अमरीकी डॉलर रह गई है।
चीन में साईकिल मरम्मत की दुकान
नए आकलन के मुताबिक़ 2012 तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन पाएगा
हालाँकि आकार में कमी के बावजूद चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
अमरीका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उसकी अर्थव्यवस्था का आकार 120 खरब अमरीकी डॉलर है। आकलन में "क्रय शक्ति क्षमता" पद्धति का उपयोग किया गया। साथ ही एक ही सामान की क़ीमतों के अंतर में सुधार किया गया जो पश्चिमी देशों की तुलना में चीन में कम हैं।
आँकड़ें बताते हैं कि चीन में प्रति व्यक्ति औसत आय अमरीकी औसत की महज़ दस फ़ीसदी है।
चीन में औसत आय 4,091 अमरीकी डॉलर है जबकि अमरीका में यह 41 हज़ार अमरीकी डॉलर है।
मौजूदा विनिमय दर के लिहाज़ से चीन की अर्थव्यवस्था मात्र 22।40 खरब अमरीकी डॉलर की रह जाती है।
इससे पहले अर्थशास्त्री विकासशील देशों की स्थानीय क़ीमतों को ध्यान में रखकर अपने आँकड़ों को दुरुस्त करते थे।क्योंकि अक्सर ये क़ीमतें औद्योगिक देशों से बहुत ज़्यादा कम होती थीं।
हालाँकि बैंक का कहना है कि जिन क़ीमतों के आधार पर पहले जीडीपी का आकलन किया जाता था, उनमें काफ़ी बदलाव आ चुका है।
उन क़ीमतों को ध्यान में रखने से जीडीपी की सही तस्वीर सामने नहीं आती।
बैंक ने कहा है कि उसने इस बार के आकलन में ज़्यादा सही तस्वीर पाने के लिए अद्यतन क़ीमतों का इस्तेमाल किया है।
वैश्विक परिदृश्य
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि अमरीका, चीन, जापान, जर्मनी और भारत की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आधा है।
लेकिन ये देश दुनिया की पाँच महँगी जगहों में शुमार नहीं हैं।
आईसलैंड, डेनमार्क, स्विट्ज़रलैंड, नार्वे और आयरलैंड को दुनिया का सबसे महँगा देश माना गया है।
अफ़्रीका में दक्षिण अफ़्रीका, मिस्र, नाईज़ीरिया, मोरक्को और सूडान को विकास का मूल वाहक माना गया है। महाद्वीप के कुल उत्पादन में इन देशों की लगभग दो तिहाई हिस्सेदारी है।
बैंक का कहना है कि चीन के बारे में उसका एक आकलन सही नहीं था और चीन उस अनुमान से छोटी आर्थिक ताक़त है।
बैंक ने माना है कि पहले के आकलन में चीनी अर्थव्यवस्था के आकार को 40 फ़ीसदी ज़्यादा आँका गया था।
नया नतीजा तब सामने आया है जब चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकलन बैंक ने नए तरीके से किया है।
बैंक का कहना है कि इन निष्कर्षों का मतबल यह है कि अब पूर्वानुमान के मुताबिक़ चीन 2012 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन पाएगा।
बैंक का मानना है कि चीन पहले के आकलन से भी ज़्यादा ग़रीब है।
विश्व बैंक का कहना है कि ताज़ा आकलन का असर भविष्य में मिलने वाली मदद और निवेश योजनाओं पर दिखेगा।
चीन को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अतिरिक्त सहायता मिलती है।विकासशील देश के दर्जे के कारण चीन ने जलवायु परिवर्तन पर चल रही वार्ता में मदद भी माँगी थी।
आँकड़ों में सुधार
बैंक के ताज़ा शोध के आधार पर चीन की अर्थव्यवस्था अब 53।30 खरब अमरीकी डॉलर रह गई है।
चीन में साईकिल मरम्मत की दुकान
नए आकलन के मुताबिक़ 2012 तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन पाएगा
हालाँकि आकार में कमी के बावजूद चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
अमरीका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उसकी अर्थव्यवस्था का आकार 120 खरब अमरीकी डॉलर है। आकलन में "क्रय शक्ति क्षमता" पद्धति का उपयोग किया गया। साथ ही एक ही सामान की क़ीमतों के अंतर में सुधार किया गया जो पश्चिमी देशों की तुलना में चीन में कम हैं।
आँकड़ें बताते हैं कि चीन में प्रति व्यक्ति औसत आय अमरीकी औसत की महज़ दस फ़ीसदी है।
चीन में औसत आय 4,091 अमरीकी डॉलर है जबकि अमरीका में यह 41 हज़ार अमरीकी डॉलर है।
मौजूदा विनिमय दर के लिहाज़ से चीन की अर्थव्यवस्था मात्र 22।40 खरब अमरीकी डॉलर की रह जाती है।
इससे पहले अर्थशास्त्री विकासशील देशों की स्थानीय क़ीमतों को ध्यान में रखकर अपने आँकड़ों को दुरुस्त करते थे।क्योंकि अक्सर ये क़ीमतें औद्योगिक देशों से बहुत ज़्यादा कम होती थीं।
हालाँकि बैंक का कहना है कि जिन क़ीमतों के आधार पर पहले जीडीपी का आकलन किया जाता था, उनमें काफ़ी बदलाव आ चुका है।
उन क़ीमतों को ध्यान में रखने से जीडीपी की सही तस्वीर सामने नहीं आती।
बैंक ने कहा है कि उसने इस बार के आकलन में ज़्यादा सही तस्वीर पाने के लिए अद्यतन क़ीमतों का इस्तेमाल किया है।
वैश्विक परिदृश्य
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि अमरीका, चीन, जापान, जर्मनी और भारत की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आधा है।
लेकिन ये देश दुनिया की पाँच महँगी जगहों में शुमार नहीं हैं।
आईसलैंड, डेनमार्क, स्विट्ज़रलैंड, नार्वे और आयरलैंड को दुनिया का सबसे महँगा देश माना गया है।
अफ़्रीका में दक्षिण अफ़्रीका, मिस्र, नाईज़ीरिया, मोरक्को और सूडान को विकास का मूल वाहक माना गया है। महाद्वीप के कुल उत्पादन में इन देशों की लगभग दो तिहाई हिस्सेदारी है।
‘टाटा-कोरस’ सौदा सर्वश्रेष्ठ दस में
न्यूयॉर्क। भारतीय व्यापार जगत दुनिया में समाचारों की सुर्खियां बन रहा है। टाटा ने कोरस का अधिग्रहण 11.3 अरब डॉलर में किया था जिसे टाइम पत्रिका ने 10 सबसे बड़े व्यापार सौदों में शामिल किया है।
कोरस के लिए 6,000 करोड़ जुटाएगी टाटा
अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ने टाटा-कोरस सौदे को छठे स्थान पर रखा है। इसे ब्लैकस्टोन द्वारा हिल्टन होटल और नोकिया द्वारा नवटॉक के सौदे से ऊपर रखा गया है।
टाइम पत्रिका की इस दस सूची में सबसे पहले स्थान पर रुपर्ट मर्डोक की न्यूज कॉर्पोरेशन द्वारा डाओ जोन्स के सौदे को रखा गया है।
कोरस के लिए 6,000 करोड़ जुटाएगी टाटा
अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ने टाटा-कोरस सौदे को छठे स्थान पर रखा है। इसे ब्लैकस्टोन द्वारा हिल्टन होटल और नोकिया द्वारा नवटॉक के सौदे से ऊपर रखा गया है।
टाइम पत्रिका की इस दस सूची में सबसे पहले स्थान पर रुपर्ट मर्डोक की न्यूज कॉर्पोरेशन द्वारा डाओ जोन्स के सौदे को रखा गया है।
शेयर बाजारों का गिरना जारी, सेंसेक्स 182 पॉइंट गिरा
मुंबई : बैंकिंग, इंजीनियरिंग, मेटल, और रीयलिटी सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में बिकवाली का दबाव रहने से देश के शेयर बाजारों में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन तगड़ी गिरावट रही। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 182 और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 35 अंक नीचे बंद हुआ। यूरोपीय बाजारों में स्थिरता और एशियन मार्केट्स में मिलाजुला रुख रहा।
कारोबारियों का कहना है कि देसी बाजारों में गिरावट तकनीकी सुधार यानी करेक्शन के चलते हैं, क्योंकि इकॉनमी और बाजार की दिशा तय करने वाले बुनियादी कारकों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। डायरेक्ट टैक्स की वसूली में 43 फीसदी की बढ़ोतरी इकॉनमी के लिहाज से अच्छा संकेत है।
कारोबार के दौरान बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव रहा। सत्र के शुरू में सेंसेक्स सोमवार के 19261.35 पॉइंट के मुकाबले 19339.014 पॉइंट पर मजबूत खुला। सेंसेक्स शुरुआती कामकाज में ऊपर में 19375.07 पॉइंट तक जाने के बाद तेजी से गिरता हुआ नीचे में 19009.35 पॉइंट तक आया। फिर यह बहुत अधिक तेजी नहीं पा सका और सत्र की समाप्ति पर कुल 181.71 पॉइंट यानी 0.94 फीसदी के नुकसान से 19079.64 पॉइंट की गिरावट रही। एनएसई का निफ्टी 34.70 पॉइंट यानी 0.60 फीसदी की गिरावट से 5742.30 पॉइंट रह गया। सोमवार को सेंसेक्स ने अपने इतिहास की अंकों के लिहाज से दूसरी बड़ी गिरावट दर्ज की थी। इसमें 779 पॉइंट की गिरावट हुई थी। निफ्टी में सोमवार को 271 पॉइंट की रेकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई थी।
सेंसेक्स में करीब 1 फीसदी की गिरावट के बावजूद मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों को अधिक झटका नहीं लगा। इनमें क्रमश: 11.74 और 21.90 पॉइंट का नुकसान हुआ। बीएसई के दूसरे सूचकांकों में बैंकेक्स ने 155 पॉइंट, इंजीनियरिंग ने 226.43, मेटल ने 246.87 और रियलिटी इंडेक्स ने 44.78 पॉइंट की गिरावट दर्ज की। पीएसयू में 37.29 पॉइंट का सुधार हुआ।
कारोबारियों का कहना है कि देसी बाजारों में गिरावट तकनीकी सुधार यानी करेक्शन के चलते हैं, क्योंकि इकॉनमी और बाजार की दिशा तय करने वाले बुनियादी कारकों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। डायरेक्ट टैक्स की वसूली में 43 फीसदी की बढ़ोतरी इकॉनमी के लिहाज से अच्छा संकेत है।
कारोबार के दौरान बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव रहा। सत्र के शुरू में सेंसेक्स सोमवार के 19261.35 पॉइंट के मुकाबले 19339.014 पॉइंट पर मजबूत खुला। सेंसेक्स शुरुआती कामकाज में ऊपर में 19375.07 पॉइंट तक जाने के बाद तेजी से गिरता हुआ नीचे में 19009.35 पॉइंट तक आया। फिर यह बहुत अधिक तेजी नहीं पा सका और सत्र की समाप्ति पर कुल 181.71 पॉइंट यानी 0.94 फीसदी के नुकसान से 19079.64 पॉइंट की गिरावट रही। एनएसई का निफ्टी 34.70 पॉइंट यानी 0.60 फीसदी की गिरावट से 5742.30 पॉइंट रह गया। सोमवार को सेंसेक्स ने अपने इतिहास की अंकों के लिहाज से दूसरी बड़ी गिरावट दर्ज की थी। इसमें 779 पॉइंट की गिरावट हुई थी। निफ्टी में सोमवार को 271 पॉइंट की रेकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई थी।
सेंसेक्स में करीब 1 फीसदी की गिरावट के बावजूद मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों को अधिक झटका नहीं लगा। इनमें क्रमश: 11.74 और 21.90 पॉइंट का नुकसान हुआ। बीएसई के दूसरे सूचकांकों में बैंकेक्स ने 155 पॉइंट, इंजीनियरिंग ने 226.43, मेटल ने 246.87 और रियलिटी इंडेक्स ने 44.78 पॉइंट की गिरावट दर्ज की। पीएसयू में 37.29 पॉइंट का सुधार हुआ।
5वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत
वॉशिंग्टन. वर्ल्ड बैंक की नई रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी डॉलर में क्रय शक्ति के आधार पर दुनिया की करीब आधी जीडीपी के लिए जिम्मेदार पांच देशों में अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी ओर भारत हैं।
जीडीपी के नए आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका अब भी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दुनिया भर की जीडीपी में अमेरिका का हिस्सा 23 प्रतिशत है और इसके बाद चीन जो 10 प्रतिशत योगदान देता है। जापान सात प्रतिशत, जर्मनी 5 और भारत 4 प्रतिशत का योगदान देते हैं।
क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) पर प्राथमिक अंतरराष्ट्रीय तुलना रिपोर्ट में कहा गया है कि ये पांच देश मिलकर दुनिया की 49 प्रतिशत जीडीपी जुटाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन देशों की अर्थव्यवस्था के वास्तविक परिणाम बदले नहीं हैं बस उनको नापने का यह नया तरीका है।
पीपीपी के हिसाब से मापने पर अमेरिका की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत है लेकिन बाजार एक्सचेंज दरों के हिसाब से 29 प्रतिशत। दूसरी तरफ, जीडीपी में चीन का योगदान 5 से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है। इससे उलट जापान का 10 प्रतिशत योगदान घटकर सात रह गया है और जर्मनी का छह से पांच।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले के अनुमान गलत साबित हो रहे हैं और एशियन अर्थव्यवस्थाएं अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। चीन अब भी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया भर के उत्पादन में उसका नौ प्रतिशत का योगदान है। वहीं, दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत है जिसका योगदान चार प्रतिशत का है।
वहीं, एशिया पैसेफिक क्षेत्र में ही बात की जाए तो जीडीपी में चीन और भारत का सबसे बड़ा हिस्सा है और दोनों को मिलाकर क्षेत्र का लगभग दो-तिहाई योगदान सामने आता है।
जीडीपी के नए आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका अब भी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दुनिया भर की जीडीपी में अमेरिका का हिस्सा 23 प्रतिशत है और इसके बाद चीन जो 10 प्रतिशत योगदान देता है। जापान सात प्रतिशत, जर्मनी 5 और भारत 4 प्रतिशत का योगदान देते हैं।
क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) पर प्राथमिक अंतरराष्ट्रीय तुलना रिपोर्ट में कहा गया है कि ये पांच देश मिलकर दुनिया की 49 प्रतिशत जीडीपी जुटाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन देशों की अर्थव्यवस्था के वास्तविक परिणाम बदले नहीं हैं बस उनको नापने का यह नया तरीका है।
पीपीपी के हिसाब से मापने पर अमेरिका की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत है लेकिन बाजार एक्सचेंज दरों के हिसाब से 29 प्रतिशत। दूसरी तरफ, जीडीपी में चीन का योगदान 5 से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया है। इससे उलट जापान का 10 प्रतिशत योगदान घटकर सात रह गया है और जर्मनी का छह से पांच।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले के अनुमान गलत साबित हो रहे हैं और एशियन अर्थव्यवस्थाएं अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। चीन अब भी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया भर के उत्पादन में उसका नौ प्रतिशत का योगदान है। वहीं, दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत है जिसका योगदान चार प्रतिशत का है।
वहीं, एशिया पैसेफिक क्षेत्र में ही बात की जाए तो जीडीपी में चीन और भारत का सबसे बड़ा हिस्सा है और दोनों को मिलाकर क्षेत्र का लगभग दो-तिहाई योगदान सामने आता है।
Tuesday, 18 December 2007
फिर गिरे शेयर बाजार, रिटेल इनवेस्टर होशियार!
नई दिल्ली : देश के शेयर बाजारों ने सोमवार को जबर्दस्त गोता लगाया। बाजार में गिरावट इतनी जबर्दस्त थी कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बैरोमीटर यानी सेंसेक्स को 769 अंक नीचे बंद होना पड़ा। यह सेंसेक्स की अब तक की दूसरी बड़ी गिरावट साबित हुई। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 270 पॉइंट्स गिरकर बंद हुआ। सवाल यह है कि इस हालत में आम निवेशक को किस तरह का रास्ता अख्तियार करना चाहिए? नए निवेशक बाजार में एंट्री करें या नहीं? जो निवेशक मार्केट में पहले से हैं, उन्हें क्या करना चाहिए? जानकारों की मानें तो फिलहाल निवेशकों को सावधान रहने और होशियारी से चलने की जरूरत है।
खास तरीके से सोचें आम निवेशक
विदेशी निवेशकों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए शेयरों को दनादन बेचना शुरू कर दिया है। एक्सर्पट्स की मानें तो विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) दिसंबर के बाकी दिनों में शेयरों को गिराकर जोरदार मुनाफा कमाने की कोशिश करेंगे। उनके सामने नेट ऐसेट वैल्यू (एनएवी) बढ़ाने की मजबूरी है। एनएवी का मतलब होता है धन का निवेश, मुनाफा और इसका इस्तेमाल करके ऐसेट यानी परिसम्पत्ति में इजाफा करना। एफआईआई के लिए फाइनैंशल ईयर दिसंबर महीने में खत्म होता है। वे इस महीने में ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं, ताकि उनका एनएवी बेहतर हो सके। एनएसई के सदस्य जगदीश मलकानी का मानना है कि इस बार जोरदार मुनाफावसूली हो सकती है। आम निवेशकों को इस महीने के बाकी दिनों में शेयर बेचते और मुख्य रूप से शेयर खरीदते वक्त ज्यादा होशियार रहना होगा। वरना उन्हें भारी घाटा हो सकता है।
घबराहट में न लें फैसला
बाजार में गिरावट के दौर में आम निवेशक घबराकर शेयरों को बेचने लगते हैं। यहीं वे मात खा जाते हैं। साहनी एंड साहनी ब्रोकरेज फर्म के प्रेजिडेंट प्रकाश साहनी ने बताया कि अगर विदेशी निवेशकों ने किसी कंपनी के शेयर को 100 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये कर दिया है, तो वे उसे 150 से 160 रुपये या इससे कम में भी बेच सकते हैं। आम निवेशकों के पास इसे बेचने और खरीदने के विकल्प होते हैं। दोनों हालात में निवेशकों को यह हिसाब लगाना पड़ेगा कि इन शेयरों का फेस वैल्यू यानी कंपनी द्वारा तय कीमत कितनी है और आने वाले दिनों में ये कितना बढ़ या घट सकते हैं। इन समीकरणों को देखते हुए शेयरों को खरीदना या बेचना होगा। आम निवेशक घबराहट में फैसला लेने से बचें।
नए निवेशकों के लिए मंत्र
जानकारों का कहना है कि यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत उसके अब तक के निचले लेवल पर है, तो नए निवेशक ऐसे शेयरों को खरीद सकते हैं। पर यदि हालात ऐसे नहीं हैं, तो नए निवेशकों की भलाई फिलहाल मार्केट से दूर रहने में ही है।
खास तरीके से सोचें आम निवेशक
विदेशी निवेशकों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए शेयरों को दनादन बेचना शुरू कर दिया है। एक्सर्पट्स की मानें तो विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) दिसंबर के बाकी दिनों में शेयरों को गिराकर जोरदार मुनाफा कमाने की कोशिश करेंगे। उनके सामने नेट ऐसेट वैल्यू (एनएवी) बढ़ाने की मजबूरी है। एनएवी का मतलब होता है धन का निवेश, मुनाफा और इसका इस्तेमाल करके ऐसेट यानी परिसम्पत्ति में इजाफा करना। एफआईआई के लिए फाइनैंशल ईयर दिसंबर महीने में खत्म होता है। वे इस महीने में ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं, ताकि उनका एनएवी बेहतर हो सके। एनएसई के सदस्य जगदीश मलकानी का मानना है कि इस बार जोरदार मुनाफावसूली हो सकती है। आम निवेशकों को इस महीने के बाकी दिनों में शेयर बेचते और मुख्य रूप से शेयर खरीदते वक्त ज्यादा होशियार रहना होगा। वरना उन्हें भारी घाटा हो सकता है।
घबराहट में न लें फैसला
बाजार में गिरावट के दौर में आम निवेशक घबराकर शेयरों को बेचने लगते हैं। यहीं वे मात खा जाते हैं। साहनी एंड साहनी ब्रोकरेज फर्म के प्रेजिडेंट प्रकाश साहनी ने बताया कि अगर विदेशी निवेशकों ने किसी कंपनी के शेयर को 100 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये कर दिया है, तो वे उसे 150 से 160 रुपये या इससे कम में भी बेच सकते हैं। आम निवेशकों के पास इसे बेचने और खरीदने के विकल्प होते हैं। दोनों हालात में निवेशकों को यह हिसाब लगाना पड़ेगा कि इन शेयरों का फेस वैल्यू यानी कंपनी द्वारा तय कीमत कितनी है और आने वाले दिनों में ये कितना बढ़ या घट सकते हैं। इन समीकरणों को देखते हुए शेयरों को खरीदना या बेचना होगा। आम निवेशक घबराहट में फैसला लेने से बचें।
नए निवेशकों के लिए मंत्र
जानकारों का कहना है कि यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत उसके अब तक के निचले लेवल पर है, तो नए निवेशक ऐसे शेयरों को खरीद सकते हैं। पर यदि हालात ऐसे नहीं हैं, तो नए निवेशकों की भलाई फिलहाल मार्केट से दूर रहने में ही है।
भाजपा ने आर्थिक प्रगति रोकी-मनमोहन
हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के सोमवार को अंतिम दिन प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने राज्य में विकास के मामले में भाजपा के ट्रैक रिकॉर्ड की आलोचना की। उन्होंने भाजपा पर सरकार की आर्थिक उपलब्धियाँ हासिल करने में विफलता से लोगों का ध्यान हटाने के लिए धार्मिक, जातिगत और क्षेत्रीय मुद्दों को उठाने का आरोप लगाया।
सिंह ने यहाँ एक चुनावी रैली में कहा कि वर्ष 1966 में राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से जब-जब भाजपा सत्ता में आई प्रदेश की आर्थिक प्रगति अवरुद्ध हुई।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के पास विकास संबंधी उपलब्धियों को दिखाने के लिए कुछ नहीं है और वह अपना चुनाव प्रचार धार्मिक, जातिगत और क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित किए हुए है। प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि वह भाजपा के खोखेले वादों से मूर्ख नहीं बने।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के 1966 में गठन के बाद से कांग्रेस ने इस पहाड़ी प्रदेश के विकास के लिए ईमानदारी से काम किया है। इसी का परिणाम है कि विकास के लिहाज से अन्य हिंदी प्रदेशों के मुकाबले हिमाचल आज सबसे आगे खड़ा हैं।
उन्होंने कहा कि 40 साल पहले राज्य की केवल 20 फीसदी आबादी साक्षर थी। आज साक्षारता दर 90 फीसदी तक पहुँच गई हैं।
सिंह ने कहा कि कांग्रेस शासन में कठिन मेहनत और केंद्र की संप्रग सरकार की सहायता से हिमाचल प्रदेश पिछले साल 9.5 फीसदी विकास दर हासिल करने में सफल रहा। उन्होंने लोगों से राज्य की प्रगति जारी रखने के लिए कांग्रेस को फिर से सत्ता में लौटाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि जब भी राज्य में कांग्रेस की सरकार रही प्रदेश में तीव्र गति से विकास हुआ लेकिन भाजपा के शासन काल में विकास की गति अवरुद्ध हुई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के नेतृत्व में संप्रग सरकार ने राज्य को पूरी सहायता प्रदान की है।
उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए कर अवकाश की छूट दी गई है। इसके अलावा उर्जा सड़क तथा प्रदेश के सभी 12 जिलों में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से आर्थिक विकास में मदद मिली है।
पिछले पाँच साल में हिमाचल प्रदेश में 27000 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। इससे तीन लाख नौकरियों का सृजन होगा।
सिंह ने कहा कि वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने राज्य में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और आईआईटी की स्थापना का ऐलान किया है। इसका मकसद राज्य में उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार करना है।
सिंह ने यहाँ एक चुनावी रैली में कहा कि वर्ष 1966 में राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से जब-जब भाजपा सत्ता में आई प्रदेश की आर्थिक प्रगति अवरुद्ध हुई।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के पास विकास संबंधी उपलब्धियों को दिखाने के लिए कुछ नहीं है और वह अपना चुनाव प्रचार धार्मिक, जातिगत और क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित किए हुए है। प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि वह भाजपा के खोखेले वादों से मूर्ख नहीं बने।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के 1966 में गठन के बाद से कांग्रेस ने इस पहाड़ी प्रदेश के विकास के लिए ईमानदारी से काम किया है। इसी का परिणाम है कि विकास के लिहाज से अन्य हिंदी प्रदेशों के मुकाबले हिमाचल आज सबसे आगे खड़ा हैं।
उन्होंने कहा कि 40 साल पहले राज्य की केवल 20 फीसदी आबादी साक्षर थी। आज साक्षारता दर 90 फीसदी तक पहुँच गई हैं।
सिंह ने कहा कि कांग्रेस शासन में कठिन मेहनत और केंद्र की संप्रग सरकार की सहायता से हिमाचल प्रदेश पिछले साल 9.5 फीसदी विकास दर हासिल करने में सफल रहा। उन्होंने लोगों से राज्य की प्रगति जारी रखने के लिए कांग्रेस को फिर से सत्ता में लौटाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि जब भी राज्य में कांग्रेस की सरकार रही प्रदेश में तीव्र गति से विकास हुआ लेकिन भाजपा के शासन काल में विकास की गति अवरुद्ध हुई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के नेतृत्व में संप्रग सरकार ने राज्य को पूरी सहायता प्रदान की है।
उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए कर अवकाश की छूट दी गई है। इसके अलावा उर्जा सड़क तथा प्रदेश के सभी 12 जिलों में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से आर्थिक विकास में मदद मिली है।
पिछले पाँच साल में हिमाचल प्रदेश में 27000 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। इससे तीन लाख नौकरियों का सृजन होगा।
सिंह ने कहा कि वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने राज्य में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और आईआईटी की स्थापना का ऐलान किया है। इसका मकसद राज्य में उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार करना है।
जैसलमेर के 3 ब्लॉक में मिले बड़े गैस भंडार
जोधपुर. जैसलमेर में ओएनजसी व फोकस इंडिया को गैस भंडार मिलने के संकेत के बाद सेटेलाइट से लिए गए चित्रों के आधार पर किए गए डाटाबेस अध्ययन में सीमावर्ती इलाके के तीन ब्लॉक में बड़े भंडार होने के संकेत मिले हैं। इन तीनों ब्लॉक के आबंटन को लेकर देशी -विदेशी कंपनियां काफी उत्साहित हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने नई अन्वेक्षण लाइसेंस नीति के तहत सातवें दौर के लिए पाकिस्तान सीमा से सटे ब्लॉक नंबर आर जे -ओएनएल-20005/1 में 1424 स्क्वायर मीटर ,आरजे-ओएनएल 2005/2 में 1517 स्क्वायर मीटर और आरजे-ओएनएल 2005/3 में 1217 स्क्वायर मीटर क्षेत्र के लिए कंपनियों को बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया है। इन तीनों ब्लॉक के नजदीक हाल ही फोकस इंडिया व ओएनजीसी को गैस भंडार मौजूद होने के संकेत मिले थे।
इससे इन तीन ब्लॉक को लेकर राजस्थान में पहले से काम कर रही कंपनियों के अलावा बड़ी कई कंपनियों में होड़ मच गई है। साथ ही राज्य व केंद्र सरकार के बीच चल रही खींचतान से पाइपलाइन की मंजूरी नहीं मिलने पर तेल उत्पादन में हो रहे विलंब से कई कंपनियों में संशय बरकरार है।
पांच कंपनियां कार्यरत हैं
इस क्षेत्र में ओएनजीसी व ऑयल इंडिया पांच दशक से तेल-गैस की खोज में जुटीं हैं,मगर बहुत साल पहले मिले गैस व तेल भंडार के बाद कंपनियों को खास सफलता नहीं मिल पाई थी। बाद में फोकस इंडिया,ईएनआई और केयर्न एनर्जी भी तेल-गैस की खोज में जुट गईं। लंबे अरसे बाद बीते महीने ही ओएनजीसी और बाद में फोकस इंडिया ने बड़े गैस भंडार मिलने के संकेत दिए हैं। जबकि ईएनआई और केयर्न एनर्जी अपने ब्लॉक में सिस्मिक सर्वे के बाद खुदाई की तैयारी कर रही है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने नई अन्वेक्षण लाइसेंस नीति के तहत सातवें दौर के लिए पाकिस्तान सीमा से सटे ब्लॉक नंबर आर जे -ओएनएल-20005/1 में 1424 स्क्वायर मीटर ,आरजे-ओएनएल 2005/2 में 1517 स्क्वायर मीटर और आरजे-ओएनएल 2005/3 में 1217 स्क्वायर मीटर क्षेत्र के लिए कंपनियों को बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया है। इन तीनों ब्लॉक के नजदीक हाल ही फोकस इंडिया व ओएनजीसी को गैस भंडार मौजूद होने के संकेत मिले थे।
इससे इन तीन ब्लॉक को लेकर राजस्थान में पहले से काम कर रही कंपनियों के अलावा बड़ी कई कंपनियों में होड़ मच गई है। साथ ही राज्य व केंद्र सरकार के बीच चल रही खींचतान से पाइपलाइन की मंजूरी नहीं मिलने पर तेल उत्पादन में हो रहे विलंब से कई कंपनियों में संशय बरकरार है।
पांच कंपनियां कार्यरत हैं
इस क्षेत्र में ओएनजीसी व ऑयल इंडिया पांच दशक से तेल-गैस की खोज में जुटीं हैं,मगर बहुत साल पहले मिले गैस व तेल भंडार के बाद कंपनियों को खास सफलता नहीं मिल पाई थी। बाद में फोकस इंडिया,ईएनआई और केयर्न एनर्जी भी तेल-गैस की खोज में जुट गईं। लंबे अरसे बाद बीते महीने ही ओएनजीसी और बाद में फोकस इंडिया ने बड़े गैस भंडार मिलने के संकेत दिए हैं। जबकि ईएनआई और केयर्न एनर्जी अपने ब्लॉक में सिस्मिक सर्वे के बाद खुदाई की तैयारी कर रही है।
शेयरों में निवेश पर भी है टैक्स में छूट
मुंबई. शेयर बाजार में नियमित निवेश करने के बावजूद आप अक्सर हैरान होते होंगे कि मोटा मुनाफा होने के बाद भी आपके हाथ में मामूली रकम क्यों बचती है? शेयरों में निवेश पर भी है टैक्स में छूटआपके मुनाफे का बड़ा हिस्सा लेन-देन की लागत व टैक्स में चली जाती है। इस मुनाफे में से सरकार और ब्रोकर दोनों बड़ा हिस्सा खा जाते हैं। ब्रोकर के साथ अगर आपके संबंध अच्छे हैं तो वह दलाली का एक हिस्सा आपको लौटा भी सकता है। वहीं सरकार आपके सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को शेयर बाजार के लाभ पर टैक्स से बराबर कर सकती है।
आयकर अधिनियम के सेक्शन 88ई में उन लोगों को छूट हासिल है जो शेयर बाजार में सक्रिय ट्रेडर हैं, भले ही व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), कंपनियां, फर्म, लोगों के संगठन या कोई और हो।
देखते हैं कि क्या प्रावधान हैं:
एक, आपकी कर योग्य आय वह आय होनी चाहिए जिस पर ‘प्राफिट एंड गेन्स ऑफ बिजनेस आर प्रोफेशन’ के तहत टैक्स लगता हो।
दो, यह आय कर योग्य शेयर कारोबार से मिली पाजिटिव इनकम होनी चाहिए। पाजिटिव इनकम से मतलब है कि शेयरों के लेन-देन से कुछ आय हो। अगर आप इस मद में नुकसान दिखा रहे हैं तो सेक्शन 88ई के तहत कोई छूट नहीं मिलती।
अगर शेयर कारोबार से आय नहीं होती है और इनकम फ्राम कैपिटल गेन्स के तहत उसे लाभ हानि होते हैं और वह इसे निवेश की तरह मानता है तो यह प्रावधान लागू नहीं होगा। निवेश और व्यवसाय अलग-अलग तथ्य हैं और हर मामले के हिसाब से तय होते हैं।
आप 88ई में छूट कैसे हासिल करें:
आपको एसटीटी भुगतान का सबूत पेश करना होगा। सबूत दो स्थितियों में अलग-अलग होंगे।
1. अगर आपने किसी स्टाक एक्सचेंज के जरिए सौदे किए हैं तो एसटीटी भुगतान की जानकारी की फार्म 10डीबी के तहत निर्धारित प्रारूप में पुष्टि होनी चाहिए।
2. जिस ब्रोकर के जरिए आपने सौदे किए हैं, उसी से यह फार्म हासिल करना होगा।
3. अगर आप उसी ब्रोकर के साथ दूसरे ग्राहक कोड से कारोबार करते हैं तो जानकारियां दो कोड से दी जाएंगी।
4. अगर अलग-अलग ब्रोकरों के जरिए कारोबार हुआ है तो अलग-अलग जानकारियां दी जाएंगी।
म्यूचुअल फंड के लिए:
अगर इक्विटी फंड या म्यूचुअल फंड की यूनिट आप बेचते हैं तो फार्म 10डीसी में एसटीटी की जानकारी देनी होगी।
1. जिस म्यूचुअल फंड से आप धन की वापसी करते हैं, उसी से फार्म मिलेगा।
2. एक से ज्यादा स्कीम से धन वापस या मुक्त करते हैं तो हर स्कीम की अलग जानकारी देनी होगी।
3. एक से ज्यादा म्यूचुअल फंड से धन मुक्त करते हैं तो हर फंड के लिए अलग जानकारी देनी होगी।
आयकर अधिनियम के सेक्शन 88ई में उन लोगों को छूट हासिल है जो शेयर बाजार में सक्रिय ट्रेडर हैं, भले ही व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), कंपनियां, फर्म, लोगों के संगठन या कोई और हो।
देखते हैं कि क्या प्रावधान हैं:
एक, आपकी कर योग्य आय वह आय होनी चाहिए जिस पर ‘प्राफिट एंड गेन्स ऑफ बिजनेस आर प्रोफेशन’ के तहत टैक्स लगता हो।
दो, यह आय कर योग्य शेयर कारोबार से मिली पाजिटिव इनकम होनी चाहिए। पाजिटिव इनकम से मतलब है कि शेयरों के लेन-देन से कुछ आय हो। अगर आप इस मद में नुकसान दिखा रहे हैं तो सेक्शन 88ई के तहत कोई छूट नहीं मिलती।
अगर शेयर कारोबार से आय नहीं होती है और इनकम फ्राम कैपिटल गेन्स के तहत उसे लाभ हानि होते हैं और वह इसे निवेश की तरह मानता है तो यह प्रावधान लागू नहीं होगा। निवेश और व्यवसाय अलग-अलग तथ्य हैं और हर मामले के हिसाब से तय होते हैं।
आप 88ई में छूट कैसे हासिल करें:
आपको एसटीटी भुगतान का सबूत पेश करना होगा। सबूत दो स्थितियों में अलग-अलग होंगे।
1. अगर आपने किसी स्टाक एक्सचेंज के जरिए सौदे किए हैं तो एसटीटी भुगतान की जानकारी की फार्म 10डीबी के तहत निर्धारित प्रारूप में पुष्टि होनी चाहिए।
2. जिस ब्रोकर के जरिए आपने सौदे किए हैं, उसी से यह फार्म हासिल करना होगा।
3. अगर आप उसी ब्रोकर के साथ दूसरे ग्राहक कोड से कारोबार करते हैं तो जानकारियां दो कोड से दी जाएंगी।
4. अगर अलग-अलग ब्रोकरों के जरिए कारोबार हुआ है तो अलग-अलग जानकारियां दी जाएंगी।
म्यूचुअल फंड के लिए:
अगर इक्विटी फंड या म्यूचुअल फंड की यूनिट आप बेचते हैं तो फार्म 10डीसी में एसटीटी की जानकारी देनी होगी।
1. जिस म्यूचुअल फंड से आप धन की वापसी करते हैं, उसी से फार्म मिलेगा।
2. एक से ज्यादा स्कीम से धन वापस या मुक्त करते हैं तो हर स्कीम की अलग जानकारी देनी होगी।
3. एक से ज्यादा म्यूचुअल फंड से धन मुक्त करते हैं तो हर फंड के लिए अलग जानकारी देनी होगी।
Monday, 17 December 2007
बैंक अकाउंट हैक करने वाला गैंग हत्थे चढ़ा
बेंगलुरु : यहां पुलिस ने शनिवार को दावा किया कि उसने साइबर हैकर गैंग के 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। इससे ऑनलाइन बैंक अकाउंट्स की हैकिंग के 7 मामलों को सुलझा लिया गया है। इन मामलों में 7 लाख के फंड का ट्रांसफर किया गया।
पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने बताया कि मास्टरमाइंड जोजिफ को 29 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। जोजिफ को उस साइबर कैफे से गिरफ्तार किया गया, जहां वह अक्सर आता-जाता रहता था। यह गिरफ्तारी इन्फोटेक इंडिया लिमिटेड के एचआर मैनेजर कार्ल बैगैंजा की शिकायत के बाद की गई। कार्ल ने बताया था कि कुछ हैकरों ने मुझे 1 लाख 27 हजार रुपये का चूना लगाया है।
तमिलनाडु का जोजिफ कम्प्यूटर साइंस में डिप्लोमा होल्डर है। साइबर कैफे में जाकर वह कम्प्यूटरों में 'की लॉगर' सॉफ्टवेयर इन्स्टॉल करता था। यह सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर मुफ्त उपलब्ध है। इस सॉफ्टवेयर को जिस कम्प्यूटर में डाउनलोड कर एक्टिवेट किया जाएगा, उस कम्प्यूटर का बाद में इस्तेमाल करने वालों का डेटा सॉफ्टवेयर दर्ज कर लेगा। इस सॉफ्टवेयर के जरिये जोजिफ दोबारा साइबर कैफे जाकर बैंक अकाउंट का ब्यौरा और पासवर्ड जान जाता था और फिर लोगों के अकाउंट हैक कर लेता था। उसने अपने काम के लिए यहां 4 साइबर कैफे और मैसूर में एक कैफे चुन रखा था।
जोजिफ के ई-मेल अकाउंट्स से 100 से ज्यादा बैंक अकाउंटों के नंबर, पासवर्ड और लोगों के बारे में जानकारियां पाई गई हैं। एचडीएफसी बैंक, सिटी बैंक, एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक ने 70 अकाउंटों और पासवर्डों की पुष्टि की है। जांच से पता चला है कि इन 70 अकाउंटों में जोजिफ ने सहयोगियों की मदद से सफलतापूर्वक सेंध लगा ली थी। जोजिफ ने सहयोगियों के अकाउंट में भी फंड ट्रांसफर किया। पुलिस ने बताया कि अगस्त 2006 से अगस्त 2007 के बीच इसी तरह के 4 अन्य मामलों की शिकायत की गई थी।
पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने बताया कि मास्टरमाइंड जोजिफ को 29 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। जोजिफ को उस साइबर कैफे से गिरफ्तार किया गया, जहां वह अक्सर आता-जाता रहता था। यह गिरफ्तारी इन्फोटेक इंडिया लिमिटेड के एचआर मैनेजर कार्ल बैगैंजा की शिकायत के बाद की गई। कार्ल ने बताया था कि कुछ हैकरों ने मुझे 1 लाख 27 हजार रुपये का चूना लगाया है।
तमिलनाडु का जोजिफ कम्प्यूटर साइंस में डिप्लोमा होल्डर है। साइबर कैफे में जाकर वह कम्प्यूटरों में 'की लॉगर' सॉफ्टवेयर इन्स्टॉल करता था। यह सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर मुफ्त उपलब्ध है। इस सॉफ्टवेयर को जिस कम्प्यूटर में डाउनलोड कर एक्टिवेट किया जाएगा, उस कम्प्यूटर का बाद में इस्तेमाल करने वालों का डेटा सॉफ्टवेयर दर्ज कर लेगा। इस सॉफ्टवेयर के जरिये जोजिफ दोबारा साइबर कैफे जाकर बैंक अकाउंट का ब्यौरा और पासवर्ड जान जाता था और फिर लोगों के अकाउंट हैक कर लेता था। उसने अपने काम के लिए यहां 4 साइबर कैफे और मैसूर में एक कैफे चुन रखा था।
जोजिफ के ई-मेल अकाउंट्स से 100 से ज्यादा बैंक अकाउंटों के नंबर, पासवर्ड और लोगों के बारे में जानकारियां पाई गई हैं। एचडीएफसी बैंक, सिटी बैंक, एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक ने 70 अकाउंटों और पासवर्डों की पुष्टि की है। जांच से पता चला है कि इन 70 अकाउंटों में जोजिफ ने सहयोगियों की मदद से सफलतापूर्वक सेंध लगा ली थी। जोजिफ ने सहयोगियों के अकाउंट में भी फंड ट्रांसफर किया। पुलिस ने बताया कि अगस्त 2006 से अगस्त 2007 के बीच इसी तरह के 4 अन्य मामलों की शिकायत की गई थी।
बढ़ रही है आईटी इंडस्ट्री की परेशानी
नई दिल्ली : इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी (आईटी) और आईटीईएस कंपनियों में मोटी तनख्वाह का चलन जोर पकड़ रहा है। इस सेक्टर में टैलंट की कमी की वजह से ऐसा हो रहा है। पर इस चलन ने आईटी कंपनियों चिंता बढ़ा दी है। पहले से ही रुपये की मजबूती की मार झेल रहे आईटी सेक्टर के लिए यह काफी मुसीबत भरा वक्त है।
दून और ब्रैडस्ट्रीट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है- आज आईटी और आईटीईएस सेक्टर अच्छी अच्छी सैलरी देने वाले सेक्टरों में से एक है। पर यही परंपरा इन कंपनियों के लिए मुसीबत बन गई है। रिपोर्ट में कहा है कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले दिनों में आईटी इंडस्ट्री की हालत और खराब होगी। रिपोर्ट के मुताबिक आईटी सेक्टर में अट्रिशन (नौकरी छोड़ने की परंपरा) भी तेज होगी।
दून और ब्रैडस्ट्रीट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है- आज आईटी और आईटीईएस सेक्टर अच्छी अच्छी सैलरी देने वाले सेक्टरों में से एक है। पर यही परंपरा इन कंपनियों के लिए मुसीबत बन गई है। रिपोर्ट में कहा है कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले दिनों में आईटी इंडस्ट्री की हालत और खराब होगी। रिपोर्ट के मुताबिक आईटी सेक्टर में अट्रिशन (नौकरी छोड़ने की परंपरा) भी तेज होगी।
बाजार खुलते ही सेंसेक्स 77 पॉइंट नीचे
मुंबई : सोमवार को बांबे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 77 पॉइंट की गिरावट के साथ खुला। दुनिया भर के बाजारों में फंड की बिकवाली के चलते के यह गिरावट देखी गई।बाजार खुलने के पांच मिनट के भीतर ही सेंसेक्स 77.61 पॉइंट की गिरावट के साथ 19,953.22 के स्तर पर पहुंच गया। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में भी गिरावट का दौर देखा गया। निफ्टी खुलते ही 56.55 पॉइंट की गिरावट के साथ 5991.15 अंक के स्तर पर पहुंच गया।
हरियाणा के 9 शहरों में वॉटर सप्लाई प्रोजेक्ट मंजूर
चंडीगढ़ : एनसीआर प्लानिंग बोर्ड ने एनसीआर में आने वाले हरियाणा के नौ शहरों में लगभग 190 करोड़ रुपये की वॉटर सप्लाई सुविधाओं को बढ़ाने का प्रोजेक्ट मंजूर किया है।
सरकारी प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि जिन शहरों के लिए प्रोजेक्ट मंजूर किया गया है, उनमें रेवाड़ी, गन्नौर, बहादुरगढ़, बेरी, कलानौर, खरखौदा, महम और सांपला शामिल हैं। इस परियोजना में गांव कोसली और जिला रेवाड़ी के बाकली और कोसली रेलवे स्टेशन क्षेत्र शामिल हैं। जिन क्षेत्नों में सीवरेज परियोजना का विस्तार करना है, उनमें एनसीआर में आने वाले हरियाणा के 6 शहर बहादुरगढ़, बावल, बेरी, कलानौर, महम और गांव कोसली शामिल हैं। 16 करोड रुपये के अन्य प्रोजेक्ट के तहत हिसार में वाटर सप्लाई और सीवरेज के सुधार के लिए कार्य 31 मार्च 2008 तक पूरा किया जाएगा।
बोर्ड ने 5 शहरों रोहतक, रेवाड़ी, पलवल, सोहना और होडल में जलापूर्ति के सुधार और बढ़ोतरी तथा 8 शहरों रोहतक, रेवाड़ी, पलवल, सोहना, समालखा, पानीपत, गोहाना और होडल में मल निकासी व्यवस्था में सुधार के लिए 68.80 करोड़ की राशि जारी कर दी गई है।
सरकारी प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि जिन शहरों के लिए प्रोजेक्ट मंजूर किया गया है, उनमें रेवाड़ी, गन्नौर, बहादुरगढ़, बेरी, कलानौर, खरखौदा, महम और सांपला शामिल हैं। इस परियोजना में गांव कोसली और जिला रेवाड़ी के बाकली और कोसली रेलवे स्टेशन क्षेत्र शामिल हैं। जिन क्षेत्नों में सीवरेज परियोजना का विस्तार करना है, उनमें एनसीआर में आने वाले हरियाणा के 6 शहर बहादुरगढ़, बावल, बेरी, कलानौर, महम और गांव कोसली शामिल हैं। 16 करोड रुपये के अन्य प्रोजेक्ट के तहत हिसार में वाटर सप्लाई और सीवरेज के सुधार के लिए कार्य 31 मार्च 2008 तक पूरा किया जाएगा।
बोर्ड ने 5 शहरों रोहतक, रेवाड़ी, पलवल, सोहना और होडल में जलापूर्ति के सुधार और बढ़ोतरी तथा 8 शहरों रोहतक, रेवाड़ी, पलवल, सोहना, समालखा, पानीपत, गोहाना और होडल में मल निकासी व्यवस्था में सुधार के लिए 68.80 करोड़ की राशि जारी कर दी गई है।
Saturday, 15 December 2007
नहीं देंगे एंट्री टैक्स
कोटा. हाईकोर्ट से असंवैधानिक घोषित होने के बावजूद वाणिज्यकर विभाग की ओर से एंट्री टैक्स वसूली के नोटिस जारी करने पर व्यापारियों ने गहरा रोष जताया है। व्यापारियों का कहना है राज्य सरकार जानबूझकर व्यापारियों को परेशान कर रही है, जबकि हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया है।
राज्य सरकार ने व्यापारियों को व्यापक सुविधाएं दिलाने के बदले 57 वस्तुओं पर एंट्री टैक्स लागू कर दिया। अगस्त तक इसकी वसूली भी की गई लेकिन, एक व्यापारी की याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा इस टैक्स को असंवैधानिक घोषित करने के बाद व्यापारियों ने इसे जमा कराना बंद कर दिया।
जैसे ही व्यापारियों को नोटिस मिले, उनमें गुस्सा फूट पड़ा। उनका कहना है कि जो भी टैक्स लिया जाएगा, इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। व्यापारिक संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। इसका निर्णय आने तक वाणिज्यिक कर विभाग को इस टैक्स की वसूली बंद कर देनी चाहिए। अधिकारियों को व्यापारियों पर भरोसा नहीं रहा। कई व्यापारियों ने एंट्री टैक्स की वसूली के नोटिसों के मामले में हाईकोर्ट में जाने की चेतावनी दी है।
हाईकोर्ट का निर्णय जोधपुर उच्च न्यायालय ने 21 अगस्त के दिनेश पाउचेज के मामले में एंट्री टैक्स को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार ने जिस उद्देश्य के लिए यह टैक्स लगाया था। उस मद में वसूल की गई राशि किसी अन्य मद में खर्च कर दी। इससे उद्देश्य पूरा नहीं हुआ, इसलिए एंट्री टैक्स कानून असंवैधानिक घोषित किया जाता है।
अब मामला सुप्रीम कोर्ट में
* 17 सिंतबर को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय पर स्टे के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की। वहां से हाईकोर्ट के निर्णय पर स्टे नही मिला। सुप्रीम कोर्ट ने पहले आदेश में वसूल हो चुके एंट्री टैक्स का रिफंड नहीं लौटाने को कहा।
* 23 अक्टूबर के ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने उन करदाताओं को राहत दी, जिन्होंने हाईकोर्ट से स्थगानादेश प्राप्त कर लिया है, उनसे एंट्री टैक्स की वसूली नहीं की जाए।
राज्य सरकार ने व्यापारियों को व्यापक सुविधाएं दिलाने के बदले 57 वस्तुओं पर एंट्री टैक्स लागू कर दिया। अगस्त तक इसकी वसूली भी की गई लेकिन, एक व्यापारी की याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा इस टैक्स को असंवैधानिक घोषित करने के बाद व्यापारियों ने इसे जमा कराना बंद कर दिया।
जैसे ही व्यापारियों को नोटिस मिले, उनमें गुस्सा फूट पड़ा। उनका कहना है कि जो भी टैक्स लिया जाएगा, इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। व्यापारिक संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। इसका निर्णय आने तक वाणिज्यिक कर विभाग को इस टैक्स की वसूली बंद कर देनी चाहिए। अधिकारियों को व्यापारियों पर भरोसा नहीं रहा। कई व्यापारियों ने एंट्री टैक्स की वसूली के नोटिसों के मामले में हाईकोर्ट में जाने की चेतावनी दी है।
हाईकोर्ट का निर्णय जोधपुर उच्च न्यायालय ने 21 अगस्त के दिनेश पाउचेज के मामले में एंट्री टैक्स को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार ने जिस उद्देश्य के लिए यह टैक्स लगाया था। उस मद में वसूल की गई राशि किसी अन्य मद में खर्च कर दी। इससे उद्देश्य पूरा नहीं हुआ, इसलिए एंट्री टैक्स कानून असंवैधानिक घोषित किया जाता है।
अब मामला सुप्रीम कोर्ट में
* 17 सिंतबर को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय पर स्टे के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की। वहां से हाईकोर्ट के निर्णय पर स्टे नही मिला। सुप्रीम कोर्ट ने पहले आदेश में वसूल हो चुके एंट्री टैक्स का रिफंड नहीं लौटाने को कहा।
* 23 अक्टूबर के ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने उन करदाताओं को राहत दी, जिन्होंने हाईकोर्ट से स्थगानादेश प्राप्त कर लिया है, उनसे एंट्री टैक्स की वसूली नहीं की जाए।
वीएसएनएल का नाम अब टाटा कम्युनिकेशंस
मुंबई. पहले भारत सरकार की संचार कंपनी रही विदेश संचार निगम लि. टाटा के खाते में है और इसका नाम बदलकर अब टाटा कम्युनिकेशंस लि. रखा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक अन्य टाटा कंपनियों की तरह इस कंपनी के नाम में भी टाटा शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कंपनी को ब्रांडिंग फीस चुकानी होगी जो कि कुल टर्नओवर को 0.25 प्रतिशत या पीबीटी का 5 प्रतिशत होगी। इनमें से जो राशि कम होगी वह बतौर फीस चुकाई जाएगी।
शुक्रवार को कंपनी की अतिविशिष्ट सामान्य बैठक में नए नाम के लिए मंजूरी दे दी गई। नाम बदलने का मकसद बताते हुए कंपनी के सुबोध भार्गव ने कहा कि वीएसएनएल नाम से केवल अंतरराष्ट्रीय संचार का संदेश मिलता है लेकिन कंपनी भारत और विदेशों दोनों में ही व्यापक सेवाएं देती है इसलिए नाम बदलना जरूरी है।
भार्गव ने यह भी कहा कि नए नाम के लिए मार्केट रिसर्च और वीएसएनएल स्टाफ के साथ सलाह-मशविरा किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक अन्य टाटा कंपनियों की तरह इस कंपनी के नाम में भी टाटा शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कंपनी को ब्रांडिंग फीस चुकानी होगी जो कि कुल टर्नओवर को 0.25 प्रतिशत या पीबीटी का 5 प्रतिशत होगी। इनमें से जो राशि कम होगी वह बतौर फीस चुकाई जाएगी।
शुक्रवार को कंपनी की अतिविशिष्ट सामान्य बैठक में नए नाम के लिए मंजूरी दे दी गई। नाम बदलने का मकसद बताते हुए कंपनी के सुबोध भार्गव ने कहा कि वीएसएनएल नाम से केवल अंतरराष्ट्रीय संचार का संदेश मिलता है लेकिन कंपनी भारत और विदेशों दोनों में ही व्यापक सेवाएं देती है इसलिए नाम बदलना जरूरी है।
भार्गव ने यह भी कहा कि नए नाम के लिए मार्केट रिसर्च और वीएसएनएल स्टाफ के साथ सलाह-मशविरा किया गया है।
डाकघर योजनाओं के ब्याज को कर मुक्ति के बगैर रियायत का अर्थ नहीं
मुंबई. सरकार ने डाकघर योजनाओं में पांच साल की सावधि जमा और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (एससीएसएस) में निवेश पर सेक्शन 80 सी की आयकर छूट उपलब्ध कराई है। जानकारों का ख्याल है कि ब्याज कोई पूंजी नहीं है, इसलिए इन योजनाओं के ब्याज को करमुक्त किया जाना चाहिए।
देखते हैं आपको क्या फायदा मिला:
1. पोस्ट आफिस की सावधि जमा योजनाओं (टर्म डिपोजिट) पर सालाना 7.5 फीसदी रिटर्न मिलता है, वहीं एससीएसएस पर 9 फीसदी।
2. अगर आप टैक्स की गणना करें और मुद्रास्फीति को जोड़ दें तो आपको कोई आमदनी नहीं मिलेगी।
3. डाक घर योजनाओं में बड़े निवेशक (एचएनआई) धन नहीं लगाते, बल्कि छोटे निवेशक व सेवानिवृत्त लोग धन लगाते हैं।
4. पहले टैक्स ब्रेक नहीं था, अब अगर टैक्स ब्रेक उपलब्ध कराया ही था तो ब्याज को करमुक्त करने से निवेशकों को कुछ आय होती।
क्या किया सरकार ने:
1. डाकघर सावधि जमाओं और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम को भी आयकर की सेक्शन 80सी के तहत एक लाख रुपए तक निवेश की छूट दे दी। यह छूट 1 अप्रैल 2007 से उपलब्ध होगी।
2. डाकघर मासिक आय योजना (पीओएमआईएस) पर बोनस फिर से दिया जाएगा। उन सभी पीओएमआईएस खातों पर लागू होगा, जो 8 दिसंबर 2007 से खुलेंगे। 13 फरवरी 2006 को 10 फीसदी बोनस रोक दिया गया था।
क्या फर्क पड़ेगा: बैंक डिपोजिट पर 80 सी की छूटें हासिल हैं। बदलाव के बाद डाकघर और बैंक योजनाओं को समान आधार उपलब्ध कराने का प्रयास है, लेकिन जब तक निवेशकों को ब्याज पर कर मुक्ति नहीं मिलती, तब तक उन्हें कोई फायदा नहीं होगा।
एक लाख की लिमिट: 80 सी में पहले ही आवास ऋण, भविष्यनिधि, ट्यूशन फीस, पीपीएफ, एनएससी, यूलिप, जीवन बीमा प्रीमियम, पेंशन प्लान, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम और बैंक एफडी शामिल हैं। अगर सरकार डाकघर योजनाओं के ब्याज को कर मुक्त नहीं करना चाहती तो उसे एक लाख रुपए की लिमिट बढ़ानी होगी।
देखते हैं आपको क्या फायदा मिला:
1. पोस्ट आफिस की सावधि जमा योजनाओं (टर्म डिपोजिट) पर सालाना 7.5 फीसदी रिटर्न मिलता है, वहीं एससीएसएस पर 9 फीसदी।
2. अगर आप टैक्स की गणना करें और मुद्रास्फीति को जोड़ दें तो आपको कोई आमदनी नहीं मिलेगी।
3. डाक घर योजनाओं में बड़े निवेशक (एचएनआई) धन नहीं लगाते, बल्कि छोटे निवेशक व सेवानिवृत्त लोग धन लगाते हैं।
4. पहले टैक्स ब्रेक नहीं था, अब अगर टैक्स ब्रेक उपलब्ध कराया ही था तो ब्याज को करमुक्त करने से निवेशकों को कुछ आय होती।
क्या किया सरकार ने:
1. डाकघर सावधि जमाओं और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम को भी आयकर की सेक्शन 80सी के तहत एक लाख रुपए तक निवेश की छूट दे दी। यह छूट 1 अप्रैल 2007 से उपलब्ध होगी।
2. डाकघर मासिक आय योजना (पीओएमआईएस) पर बोनस फिर से दिया जाएगा। उन सभी पीओएमआईएस खातों पर लागू होगा, जो 8 दिसंबर 2007 से खुलेंगे। 13 फरवरी 2006 को 10 फीसदी बोनस रोक दिया गया था।
क्या फर्क पड़ेगा: बैंक डिपोजिट पर 80 सी की छूटें हासिल हैं। बदलाव के बाद डाकघर और बैंक योजनाओं को समान आधार उपलब्ध कराने का प्रयास है, लेकिन जब तक निवेशकों को ब्याज पर कर मुक्ति नहीं मिलती, तब तक उन्हें कोई फायदा नहीं होगा।
एक लाख की लिमिट: 80 सी में पहले ही आवास ऋण, भविष्यनिधि, ट्यूशन फीस, पीपीएफ, एनएससी, यूलिप, जीवन बीमा प्रीमियम, पेंशन प्लान, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम और बैंक एफडी शामिल हैं। अगर सरकार डाकघर योजनाओं के ब्याज को कर मुक्त नहीं करना चाहती तो उसे एक लाख रुपए की लिमिट बढ़ानी होगी।
पाकिस्तान में आज हटेगी इमरजेंसी
इस्लामाबाद : करीब डेढ़ माह के अंतराल के बाद पाकिस्तान में शनिवार को इमरजेंसी हटा ली जाएगी। राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ देश में इमरजेंसी पूर्व की स्थिति बहाल करने के लिए चार नए अध्यादेश आदेश जारी करेंगे। न्यायपालिका से विवाद के चलते उन्होंने 3 नवंबर को इमरजेंसी लागू कर संविधान स्थगित कर दिया था।
पाकिस्तान में अटॉर्नी जनरल मिलक मोहम्मद कय्यूम ने कहा है कि शनिवार को दोपहर 12 बजे से पहले इमरजेंसी हटाने की घोषणा कर दी जाएगी। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इमरजेंसी हटाए जाने संबंधी कागजातों पर दस्तखत कर दिए हैं। इमरजेंसी हटाए जाने के साथ ही संविधान और मूल अधिकार बहाल हो जाएंगे।
यह भी बताया जा रहा है कि इमरजेंसी हटाए जाने के बाद राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ शनिवार की रात आठ बजे राष्ट्र को संबोधित भी करेंगे।
अटॉर्नी जनरल ने बताया कि अध्यादेश इमरजेंसी की घोषणा को वापस लेने , संविधान की बहाली , अंतरिम संवैधानिक आदेश ( पीसीओ ) को समाप्त करने , पीसीओ के तहत शपथ नहीं लेने वाले जजों को पेंशन लाभ दिए जाने और इस्लामाबाद हाई कोर्ट की स्थापना से संबंधित हैं। ‘ डॉन ’ ने कय्यूम के हवाले से बताया कि संविधान बहाल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट , हाई कोर्ट और संघीय शरीयत अदालतों के जजों को 1973 के संविधान के तहत शपथ लेनी होगी।
कय्यूम ने बताया कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर लगी संवैधानिक रोक हटाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने इन रिपोर्टों का खंडन किया कि न्यायपालिका पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाकर राष्ट्रपति को जजों को जबरन छुट्टी पर भेजने का अधिकार दिया जा रहा है।
पाकिस्तान में अटॉर्नी जनरल मिलक मोहम्मद कय्यूम ने कहा है कि शनिवार को दोपहर 12 बजे से पहले इमरजेंसी हटाने की घोषणा कर दी जाएगी। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इमरजेंसी हटाए जाने संबंधी कागजातों पर दस्तखत कर दिए हैं। इमरजेंसी हटाए जाने के साथ ही संविधान और मूल अधिकार बहाल हो जाएंगे।
यह भी बताया जा रहा है कि इमरजेंसी हटाए जाने के बाद राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ शनिवार की रात आठ बजे राष्ट्र को संबोधित भी करेंगे।
अटॉर्नी जनरल ने बताया कि अध्यादेश इमरजेंसी की घोषणा को वापस लेने , संविधान की बहाली , अंतरिम संवैधानिक आदेश ( पीसीओ ) को समाप्त करने , पीसीओ के तहत शपथ नहीं लेने वाले जजों को पेंशन लाभ दिए जाने और इस्लामाबाद हाई कोर्ट की स्थापना से संबंधित हैं। ‘ डॉन ’ ने कय्यूम के हवाले से बताया कि संविधान बहाल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट , हाई कोर्ट और संघीय शरीयत अदालतों के जजों को 1973 के संविधान के तहत शपथ लेनी होगी।
कय्यूम ने बताया कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर लगी संवैधानिक रोक हटाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने इन रिपोर्टों का खंडन किया कि न्यायपालिका पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाकर राष्ट्रपति को जजों को जबरन छुट्टी पर भेजने का अधिकार दिया जा रहा है।
Friday, 14 December 2007
डॉलर के दो पैसे मजबूत बंद
मुम्बई। शेयर बाजारों में तीव्र गिरावट का असर अंतर बैंकिंग विदेशी मुद्रा बाजार में रुपए पर भी दिखा। डॉलर के मुकाबले रुपया आज दो पैसे और नीचे आया।
डीलरों के मुताबिक वर्तमान में बाजार में अनिश्चिता का माहौल है। अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती से धन की तरलता बढ़ने का जो माहौल बना था, वह निपट चुका है।
सत्र की समाप्ति पर एक डॉलर की कीमत कल के 39.37-39.38 रुपए की तुलना में दो पैसे बढ़कर 39.39-39.40 रुपए पर बंद हुआ।
देश के शेयर बाजार पिछले दो दिन की रिकॉर्ड तोड़ तेजी के बाद आज तेजी से नीचे आए। विश्व में ऋण को लेकर फिर से उभरी चिंता ने देश-विदेश के शेयर बाजारों पर असर डाला।
डीलरों के मुताबिक वर्तमान में बाजार में अनिश्चिता का माहौल है। अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती से धन की तरलता बढ़ने का जो माहौल बना था, वह निपट चुका है।
सत्र की समाप्ति पर एक डॉलर की कीमत कल के 39.37-39.38 रुपए की तुलना में दो पैसे बढ़कर 39.39-39.40 रुपए पर बंद हुआ।
देश के शेयर बाजार पिछले दो दिन की रिकॉर्ड तोड़ तेजी के बाद आज तेजी से नीचे आए। विश्व में ऋण को लेकर फिर से उभरी चिंता ने देश-विदेश के शेयर बाजारों पर असर डाला।
सोना 40 रुपए चढ़ा
नई दिल्ली। स्थानीय सर्राफा बाजार में आज दोनों कीमती धातुओं में मजबूती का रुख रहा। सोना 40 रुपए और चांदी 54 रुपए बढ़ गई।
विदेशों में उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में विदेशों में सोना नरम दिखा। शेयर बाजारों में आई गिरावट से का असर सोने की कीमतों पर बताया गया।
सिंगापूर से प्राप्त समाचारों में वहां हाजिर कामकाज में सोना न्यूयॉर्क के कल के 813.50-814.20 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस की तुलना में 810.80-811.60 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस रहा।
न्यूयॉर्क में कल सोना कामकाज के दौरान ऊंचे में 817 डॉलर तक बिका था। चांदी 14.62-14.67 डॉलर पर दो सेंट प्रति ट्रॉय औंस नीची रही।
स्थानीय बाजार में मांग का अभाव निरंतर बना हुआ है। दामों में घटबढ़ विदेशों के ऊपर निर्भर है। सोना स्टैंडर्ड 10,415 रुपए पर 40 रुपए प्रति दस ग्राम बढ़ गया। चांदी टंच (999) हाजिर में 19,354 रुपए पर 54 रुपए प्रति किलो की तेजी आई।
भाव रुपए में इस प्रकार रहे:
सोना (प्रति दस ग्राम)- स्टैंडर्ड 10,415 बिटुर 10,355
चांदी (प्रति किलो) टंच (999) हाजिर 19,354 साप्ताहिक डिलीवरी 19,100
चांदी सिक्का (प्रति सैंकड़ा) - लिवाली 25,100 बिकवाली 25,200
गिन्नी (प्रति आठ ग्राम) – 8,700
विदेशों में उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में विदेशों में सोना नरम दिखा। शेयर बाजारों में आई गिरावट से का असर सोने की कीमतों पर बताया गया।
सिंगापूर से प्राप्त समाचारों में वहां हाजिर कामकाज में सोना न्यूयॉर्क के कल के 813.50-814.20 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस की तुलना में 810.80-811.60 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस रहा।
न्यूयॉर्क में कल सोना कामकाज के दौरान ऊंचे में 817 डॉलर तक बिका था। चांदी 14.62-14.67 डॉलर पर दो सेंट प्रति ट्रॉय औंस नीची रही।
स्थानीय बाजार में मांग का अभाव निरंतर बना हुआ है। दामों में घटबढ़ विदेशों के ऊपर निर्भर है। सोना स्टैंडर्ड 10,415 रुपए पर 40 रुपए प्रति दस ग्राम बढ़ गया। चांदी टंच (999) हाजिर में 19,354 रुपए पर 54 रुपए प्रति किलो की तेजी आई।
भाव रुपए में इस प्रकार रहे:
सोना (प्रति दस ग्राम)- स्टैंडर्ड 10,415 बिटुर 10,355
चांदी (प्रति किलो) टंच (999) हाजिर 19,354 साप्ताहिक डिलीवरी 19,100
चांदी सिक्का (प्रति सैंकड़ा) - लिवाली 25,100 बिकवाली 25,200
गिन्नी (प्रति आठ ग्राम) – 8,700
10 कंपनियां उतरना चाहती हैं इंश्योरेंस कारोबार में
मुंबई : इंश्योरेंस रेग्युलेटरी डिवेलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) ने गुरुवार को कहा कि 10 नई कंपनियां इंश्योरेंस सेक्टर में प्रवेश करना चाहती हैं। इन कंपनियों ने तेजी से विकास कर रहे इस सेक्टर में कारोबार शुरू करने का लाइसेंस हासिल करने के लिए इरडा के पास ऐप्लिकेशन दिया है।
इरडा के मेंबर सी. आर. मुरलीधरन ने कहा- 5 कंपनियों ने लाइफ इंश्योरेंस और 5 ने जनरल इंश्योरेंस सेक्टर का लाइसेंस हासिल करने के लिए आवेदन दिया है। श्रीराम ग्रुप, रैनबक्सी प्रमोटेड रेलिगेयर सेक्युरिटीज भी 10 कंपनियों की फेहरिस्त में शामिल हैं। हालांकि मुरलीधरन ने बाकी कंपनियों का नाम बताने से इनकार कर दिया। पर उन्होंने इतना जरूर कहा कि भारतीय कंपनियों के अलावा कुछ यूरोपीय और ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों ने भी इंश्योरेंस सेक्टर में कारोबार शुरू करने की इजाजत इरडा से मांगी है।
गौरतलब है कि मौजूदा नियमों के मुताबिक यदि कोई विदेशी कंपनी भारत में इंश्योरेंस कारोबार शुरू करना चाहती है तो उसे किसी भारतीय कंपनी को साझीदार बनाना होगा। इसकी वजह यह है कि यहां किसी इंश्योरेंस कंपनी में विदेशी पार्टनर की हिस्सेदारी ज्यादा से ज्यादा 24 फीसदी हो सकती है। हालांकि सरकार इंश्योरेंस कंपनी में विदेशी पार्टनर की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 49 फीसदी करने पर विचार कर रही है। यदि इरडा इन 10 कंपनियों को लाइसेंस देता है तो भारत में रजिस्टर्ड इंश्योरेंस कंपनियों की कुल संख्या 36 से बढ़कर 46 हो जाएगी।
इरडा के मेंबर सी. आर. मुरलीधरन ने कहा- 5 कंपनियों ने लाइफ इंश्योरेंस और 5 ने जनरल इंश्योरेंस सेक्टर का लाइसेंस हासिल करने के लिए आवेदन दिया है। श्रीराम ग्रुप, रैनबक्सी प्रमोटेड रेलिगेयर सेक्युरिटीज भी 10 कंपनियों की फेहरिस्त में शामिल हैं। हालांकि मुरलीधरन ने बाकी कंपनियों का नाम बताने से इनकार कर दिया। पर उन्होंने इतना जरूर कहा कि भारतीय कंपनियों के अलावा कुछ यूरोपीय और ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों ने भी इंश्योरेंस सेक्टर में कारोबार शुरू करने की इजाजत इरडा से मांगी है।
गौरतलब है कि मौजूदा नियमों के मुताबिक यदि कोई विदेशी कंपनी भारत में इंश्योरेंस कारोबार शुरू करना चाहती है तो उसे किसी भारतीय कंपनी को साझीदार बनाना होगा। इसकी वजह यह है कि यहां किसी इंश्योरेंस कंपनी में विदेशी पार्टनर की हिस्सेदारी ज्यादा से ज्यादा 24 फीसदी हो सकती है। हालांकि सरकार इंश्योरेंस कंपनी में विदेशी पार्टनर की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 49 फीसदी करने पर विचार कर रही है। यदि इरडा इन 10 कंपनियों को लाइसेंस देता है तो भारत में रजिस्टर्ड इंश्योरेंस कंपनियों की कुल संख्या 36 से बढ़कर 46 हो जाएगी।
टाटा व ओरिएंट के होटल दुनिया के बेस्ट होटलों में
नई दिल्ली : अमेरिका का हॉस्पिटिलिटी ब्रैंड ओरिएंट भले ही टाटा ग्रुप के साथ साझेदारी बनाने को इच्छुक नहीं हो, लेकिन दुनिया के बेस्ट होटलों की लिस्ट में दोनों अगल-बगल शुमार हैं।
जानीमानी ब्रिटिश ट्रैवल मैगजीन कोंडे नैस्ट के मुताबिक, टाटा के मुंबई स्थित ताजमहल पैलेस और टावर को ब्रिटेन स्थित ऑक्सफर्डशायर स्थित होटल के साथ खाने के लिहाज से दुनिया के 17 बेहतरीन होटलों में जगह दी गई है। ताज के अलावा भारत के 3 अन्य होटलों को दूसरी कैटिगरी के बेस्ट होटलों में जगह दी गई है। बेंगलुरु स्थित लीला पैलेस केमपिनस्की को रूम के लिहाज से दुनिया के बेहतरीन होटलों में शुमार किया गया है। शिमला के करीब स्थित ओबेरॉय ग्रुप के होटल वाइल्डफ्लॉवर को लोकेशन के मामले में बेस्ट होटलों की कैटिगरी में रखा गया है। गौरतलब है कि यह लिस्ट ऐसे वक्त में आई है, जब ओरिएंट एक्सप्रेस टाटा ग्रुप की साझेदारी की पेशकश को ठुकरा चुका है। अमेरिकी होटल ग्रुप ने कहा था कि टाटा के साथ साझेदारी करने से हमारी ब्रैंड इमेज खराब होगी। हालांकि जहां ताज होटल को सिर्फ 1 कैटिगरी में शुमार किया गया है, वहीं ओरिएंट के होटल को कई कैटिगरीज में बेहतरीन माना गया है। इनमें लोकेशन और सर्विस सेगमेंट भी शामिल हैं।
जानीमानी ब्रिटिश ट्रैवल मैगजीन कोंडे नैस्ट के मुताबिक, टाटा के मुंबई स्थित ताजमहल पैलेस और टावर को ब्रिटेन स्थित ऑक्सफर्डशायर स्थित होटल के साथ खाने के लिहाज से दुनिया के 17 बेहतरीन होटलों में जगह दी गई है। ताज के अलावा भारत के 3 अन्य होटलों को दूसरी कैटिगरी के बेस्ट होटलों में जगह दी गई है। बेंगलुरु स्थित लीला पैलेस केमपिनस्की को रूम के लिहाज से दुनिया के बेहतरीन होटलों में शुमार किया गया है। शिमला के करीब स्थित ओबेरॉय ग्रुप के होटल वाइल्डफ्लॉवर को लोकेशन के मामले में बेस्ट होटलों की कैटिगरी में रखा गया है। गौरतलब है कि यह लिस्ट ऐसे वक्त में आई है, जब ओरिएंट एक्सप्रेस टाटा ग्रुप की साझेदारी की पेशकश को ठुकरा चुका है। अमेरिकी होटल ग्रुप ने कहा था कि टाटा के साथ साझेदारी करने से हमारी ब्रैंड इमेज खराब होगी। हालांकि जहां ताज होटल को सिर्फ 1 कैटिगरी में शुमार किया गया है, वहीं ओरिएंट के होटल को कई कैटिगरीज में बेहतरीन माना गया है। इनमें लोकेशन और सर्विस सेगमेंट भी शामिल हैं।
Thursday, 13 December 2007
स्पेक्ट्रम मसले पर पारदर्शी नीति होगी: पीएम
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टेलिकॉम कंपनियों को भरोसा दिलाया है कि सरकार स्पेक्ट्रम अलोकेशन के लिए पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी नीति बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम की सीमित उपलब्धता की वजह से इस बात का खास खयाल रखना होगा कि स्पेक्ट्रम अलोकेशन से न तो नई कंपनियों को इस सेक्टर में आने में मुश्किल हो और न ही मौजूदा कंपनियों के विकास में गतिरोध पैदा हो। उन्होंने इसके लिए समानता पर आधारित एक दूरदर्शितापूर्ण नीति पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार यह भी चाहेगी कि इससे सही तरीके से रेवेन्यू हासिल हो। वह इंडिया टेलिकॉम 2007 सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। सम्मेलन का आयोजन टेलिकॉम डिपार्टमेंट (डॉट) और इंडस्ट्री चैंबर फिक्की की ओर से किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि टेलिकॉम सेक्टर को विकसित करने में सरकार ने उदारीकरण, सुधार और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दिया है। यह नीति आगे भी जारी रहेगी। विवाद में घिरे सरकार की नई टेलिकॉम गाइडलाइन पर कोई टिप्पणी करने के बजाय सिंह ने कहा कि इस सेक्टर के विकास के लिए टेलिकॉम कंपनियों के पास स्पेक्ट्रम की सुविधा बहुत जरूरी है। अब हम स्पेक्ट्रम के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा प्रवेश कर रहे हैं। इसी लिए अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के बारे में मंत्रियों का समूह समीक्षा कर रहा है। उनसे स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के बारे में एक रोडमैप तैयार करने को कहा गया है। सरकार चाहती है कि स्पेक्ट्रम के अधिकाधिक वाणिज्यिक इस्तेमाल हो और उसका सही और व उपयुक्त इस्तेमाल हो।
उन्होंने कहा कि टेलिकॉम नेटवर्क के विस्तार के साथ टेलिकॉम के नए उपकरणों के निर्माण की ओर भी ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। सरकार इस दिशा में निवेश को भी प्रोत्साहित कर रही है। टेलिकॉम सेक्टर में रिसर्च को बढ़ावा देने में मदद की जा रही है।
सिंह ने 2010 में टेलिफोन कनेक्शनों की संख्या 50 करोड़ तक पहुंचाए जाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अधिकाधिक निवेश की जरूरत पर जोर दिया। ग्रामीण इलाकों में बेहतर टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर न होने पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि 2 दशक पहले हर गांव में एक टेलिफोन लगाने की योजना संजोई गई थी। लेकिन हम अब तक इस मकसद में कामयाब नहीं हो पाए हैं। मनमोहन ने विज्ञान भवन में आयोजित सम्मेलन स्थल से ही बटन दबाकर प्रगति मैदान में लगाई गई टेलिकॉम प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि टेलिकॉम सेक्टर को विकसित करने में सरकार ने उदारीकरण, सुधार और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दिया है। यह नीति आगे भी जारी रहेगी। विवाद में घिरे सरकार की नई टेलिकॉम गाइडलाइन पर कोई टिप्पणी करने के बजाय सिंह ने कहा कि इस सेक्टर के विकास के लिए टेलिकॉम कंपनियों के पास स्पेक्ट्रम की सुविधा बहुत जरूरी है। अब हम स्पेक्ट्रम के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा प्रवेश कर रहे हैं। इसी लिए अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के बारे में मंत्रियों का समूह समीक्षा कर रहा है। उनसे स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के बारे में एक रोडमैप तैयार करने को कहा गया है। सरकार चाहती है कि स्पेक्ट्रम के अधिकाधिक वाणिज्यिक इस्तेमाल हो और उसका सही और व उपयुक्त इस्तेमाल हो।
उन्होंने कहा कि टेलिकॉम नेटवर्क के विस्तार के साथ टेलिकॉम के नए उपकरणों के निर्माण की ओर भी ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। सरकार इस दिशा में निवेश को भी प्रोत्साहित कर रही है। टेलिकॉम सेक्टर में रिसर्च को बढ़ावा देने में मदद की जा रही है।
सिंह ने 2010 में टेलिफोन कनेक्शनों की संख्या 50 करोड़ तक पहुंचाए जाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अधिकाधिक निवेश की जरूरत पर जोर दिया। ग्रामीण इलाकों में बेहतर टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर न होने पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि 2 दशक पहले हर गांव में एक टेलिफोन लगाने की योजना संजोई गई थी। लेकिन हम अब तक इस मकसद में कामयाब नहीं हो पाए हैं। मनमोहन ने विज्ञान भवन में आयोजित सम्मेलन स्थल से ही बटन दबाकर प्रगति मैदान में लगाई गई टेलिकॉम प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।
हाई कोर्ट जा सकते हैं जीएसएम ऑपरेटर्स
नई दिल्ली : टीडीसैट के फैसले से निराश सेल्युलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) जीएसएम सेगमेंट में नए लाइसेंस जारी करने पर रोक के लिए हाई कोर्ट जाने पर विचार कर रहा है। सरकार ने कहा है कि स्पेक्ट्रम का आवंटन ड्यूल टेक्नॉलजी के मानदंडों के आधार पर किया जाएगा। इसके तहत रिलायंस कम्यूनिकेशंस को भी नए प्लेयर की सूची में रखा जाएगा। गौरतलब है कि टेलिकॉम ट्रिब्यूनल टीडीसैट ने 25 सितंबर को आवेदन करने वालों को नए लाइसेंस जारी करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, जीएसएम ऑपरेटर्स ट्रिब्यूनल के अंतरिम फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं। असोसिएशन के अधिकारियों ने टीडीसैट के फैसले पर निराशा जताई। हालांकि अधिकारियों ने इस मामले में कुछ और कहने से इनकार कर दिया।
टेलिकॉम डिपार्टमेंट की ओर से टेलिकॉम डिपार्टमेंट का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल जी. ई. वाहनवती ने टीडीसैट को बताया कि सरकार का नए प्लेयर्स को स्पेक्ट्रम आवंटन किए जाने के इरादे से पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार शुरुआती स्पेक्ट्रम आवंटित करेगी, जिसकी अधिकतम सीमा 6.2 मेगाहर्ट्ज होगी। डॉट ने मंगलवार को नए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की थी। सरकार के इस कदम से यूनिटेक, पार्श्वनाथ, डीएलएफ, एचएफसीएल समेत जीएसएम मोबाइल सर्विस में पहली बार प्रवेश करनेवाली दूसरी कंपनियों को फायदा पहुंचेगा।
इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, जीएसएम ऑपरेटर्स ट्रिब्यूनल के अंतरिम फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं। असोसिएशन के अधिकारियों ने टीडीसैट के फैसले पर निराशा जताई। हालांकि अधिकारियों ने इस मामले में कुछ और कहने से इनकार कर दिया।
टेलिकॉम डिपार्टमेंट की ओर से टेलिकॉम डिपार्टमेंट का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल जी. ई. वाहनवती ने टीडीसैट को बताया कि सरकार का नए प्लेयर्स को स्पेक्ट्रम आवंटन किए जाने के इरादे से पीछे हटने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार शुरुआती स्पेक्ट्रम आवंटित करेगी, जिसकी अधिकतम सीमा 6.2 मेगाहर्ट्ज होगी। डॉट ने मंगलवार को नए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की थी। सरकार के इस कदम से यूनिटेक, पार्श्वनाथ, डीएलएफ, एचएफसीएल समेत जीएसएम मोबाइल सर्विस में पहली बार प्रवेश करनेवाली दूसरी कंपनियों को फायदा पहुंचेगा।
खुलते ही 122 पॉइंट चढ़ा बीएसई
मुंबई : फंडों द्वारा की गई जोरदार लिवाली के चलते बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स गुरुवार को शुरुआती कारोबार के दौरान 122 पॉइंट चढ़ गया। तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 122.24 पॉइंट चढ़कर 20498.11 अंक पर पहुंच गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 26.10 पॉइंट बढ़कर 6185.40 अंक पर जा पहुंचा।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर घटाई
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में छाई मंदी को देखते हुए अमेरिकी केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती करने की घोषणा की है।
फेडरल रिजर्व की मंगलवार को हुई बैठक में ऐसा कदम उठाया जाना तय माना जा रहा था। अब फेडरल रिजर्व की ब्याज दर 4.25 फीसदी हो गई है। हालाँकि कई विश्लेषकों ने आधा फीसदी की कटौती किए जाने का अनुमान व्यक्त किया था।
इस कटौती के पीछे पूर्व के अमेरिकी सबप्राइम सेक्टर के संकट को भी कारण माना जा रहा है।
गौरतलब है कि बैंक के इस कदम से दुनियाभर के शेयर बाजारों पर सकारात्मक असर हो सकता है।
फेडरल रिजर्व की मंगलवार को हुई बैठक में ऐसा कदम उठाया जाना तय माना जा रहा था। अब फेडरल रिजर्व की ब्याज दर 4.25 फीसदी हो गई है। हालाँकि कई विश्लेषकों ने आधा फीसदी की कटौती किए जाने का अनुमान व्यक्त किया था।
इस कटौती के पीछे पूर्व के अमेरिकी सबप्राइम सेक्टर के संकट को भी कारण माना जा रहा है।
गौरतलब है कि बैंक के इस कदम से दुनियाभर के शेयर बाजारों पर सकारात्मक असर हो सकता है।
Wednesday, 12 December 2007
अमेरीकी फेडरल रिजर्व में चौथाई फीसदी की कटौती
वॉशिंगटन : अमेरीकी सैंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती करने का ऐलान किया है। अमेरीकी इकॉनमी में छाई मंदी के कारण यह फैसला किया गया है। फेडरल रिजर्व की मंगलवार को हुई बैठक में ऐसा होना तय माना जा रहा था। अब फेडरल रिजर्व की ब्याज दर 4.25 फीसदी हो गई।
हालांकि कई विश्लेषकों ने आधा फीसदी की कटौती किए जाने का अनुमान व्यक्त किया था। इस कटौती के पीछे पहले के अमेरीकी सबप्राइम सेक्टर के संकट को भी एक वजह माना जा रहा है। गौरतलब है कि बैंक के इस कदम से दुनिया भर के शेयर बाजारों पर पॉजिटिव असर हो सकता है। फेडरल रिजर्व दर उस दर को कहते हैं जिसमें सैंट्रल बैंक अन्य बैंको को कर्ज देता है।
हालांकि कई विश्लेषकों ने आधा फीसदी की कटौती किए जाने का अनुमान व्यक्त किया था। इस कटौती के पीछे पहले के अमेरीकी सबप्राइम सेक्टर के संकट को भी एक वजह माना जा रहा है। गौरतलब है कि बैंक के इस कदम से दुनिया भर के शेयर बाजारों पर पॉजिटिव असर हो सकता है। फेडरल रिजर्व दर उस दर को कहते हैं जिसमें सैंट्रल बैंक अन्य बैंको को कर्ज देता है।
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 246 पॉइंट्स गिरा
मुंबई : बॉम्बे शेयर मार्केट (बीएसई) के सेंसेक्स में बुधवार को शुरुआती कारोबार के दौरान 246 पॉइंट्स की गिरावट दर्ज की गई। 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स शुरुआती 5 मिनट के कारोबार के दौरान 245.47 पॉइंट्स गिरकर 20045.42 पॉइंट्स पर पहुंच गया।
इसी तरह नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 91.80 पॉइंट्स गिरकर 6005.45 पॉइंट्स के स्तर पर पहुंच गया। बाजार सूत्रों ने बताया कि एशियाई और अमेरिकी शेयर बाजारों में आई गिरावट का असर सेंसेक्स पर देखा
इसी तरह नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 91.80 पॉइंट्स गिरकर 6005.45 पॉइंट्स के स्तर पर पहुंच गया। बाजार सूत्रों ने बताया कि एशियाई और अमेरिकी शेयर बाजारों में आई गिरावट का असर सेंसेक्स पर देखा
नोकिया निवेश बढ़ाएगी
भारत में तेजी से बढ़ते हैंडसेट बाजार ने नोकिया की घंटी बजा दी है और यही वजह है कि भारतीय बाजार की नब्ज अच्छी तरह समझ चुकी नोकिया ने चेन्नई संयंत्र के विस्तार के लिए 7.5 करोड़ डॉलर (302.63 करोड़ रुपए) के निवेश करने की योजना बनाई है।
आईपीओ सलाह: ट्रांसफार्मर्स एंड रेक्टिफायर्स
ट्रांसफार्मर्स एंड रेक्टिफायर्स (इंडिया) भारतीय निर्माण क्षेत्र में प्रमुख कम्पनी है, बिजली निर्माण से लेकर ट्रांसमिशन व वितरण तक इस्तेमाल होने वाले और औद्योगिक ट्रांसफार्मर्स बनाती है। यह कम्पनी 10 रुपए मूल्य वाले 29,95,000 शेयर का इश्यू प्रीमियम पर ला रही है। सौ फीसदी बुक बिल्डिंग प्रक्रिया के जरिए इश्यू भरा जाएगा। इश्यू 12 दिसम्बर 2007 को बंद होगा। इसकी मूल्य सीमा 425-465 रुपए के बीच है।
मनीकंट्रोल से विशेषज्ञों ने बताया कि निवेश करना चाहिए।
मनीकंट्रोल से विशेषज्ञों ने बताया कि निवेश करना चाहिए।
Tuesday, 11 December 2007
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने के मूड में सरकार
नई दिल्ली : केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाने का मन बना रही है। 14 दिसंबर को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की बैठक में तेल कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए एक्साइज और कस्टम ड्यूटी में कमी के अलावा तेल की कीमतें बढ़ाने पर विचार होगा। राज्य सरकारों द्वारा वसूले जा रहे सेल्स टैक्स में कमी का विकल्प जीओएम के पास है। पेट्रोलियम सचिव एम. एस. श्रीनिवासन का कहना कि सारा बोझ सरकार नहीं उठा सकती। कुछ बोझ तो आम आदमी को सहना ही पड़ेगा।
उधर, लेफ्ट पार्टियों का कहना है कि वे आम आदमी पर कोई भी नया बोझ डालने का विरोध करेंगे। वैसे, अभी इस बारे में हमसे बातचीत नहीं की गई है। विपक्षी बीजेपी का मानना है कि वोट बैंक की राजनीति के कारण यह नौबत आई है। इसी के कारण तेल कंपनियों का दिवालिया निकल रहा है।
एनबीटी से बातचीत में पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी कि आम आदमी पर कम से कम भार डाला जाए। यही कारण है कि तेल कंपनियों को करीब 24 हजार करोड़ रुपये के ऑयल बॉन्ड्स जारी किए जा रहे हैं। एक्साइज और कस्टम ड्यूटी घटाने का प्रस्ताव है। इसी के आधार पर जीओएम फैसला लेगा।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि ड्यूटी कट पर मंत्रालय से अभी कोई बातचीत नहीं हुई है। संभव है जीओएम की बैठक में कोई प्रस्ताव आए, तब मंत्रालय से सुझाव मांगा जाए। अगर ऐसा हुआ तो दाम बढ़ाने का फैसला जीओएम की अगली बैठक में ही हो पाएगा। हालांकि, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ड्यूटी कट की मांग पहले ही खारिज कर चुके हैं। अभी पेट्रोल और डीजल पर 7.5 फीसदी की कस्टम ड्यूटी और 6 फीसदी की एक्साइज ड्यूटी लगती है।
तेल कंपनियां हर हालत में प्राइस राइज चाहती हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि कंपनियों को पेट्रोल की खुदरा बिक्री पर प्रति लीटर 8.74 रुपये का और डीजल पर 9.92 रुपये का घाटा हो रहा है। इंडियन ऑयल के चेयरमैन सार्थक बहुरिया कहते हैं कि सिर्फ पेट्रोल-डीजल बेचने पर तेल कंपनियों को सालाना घाटा 70 हजार करोड़ रुपये से ऊपर जा चुका है। पॉलिसी यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय कीमत के अनुसार बेचा जाएगा। सरकार को इसी नीति पर चलना चाहिए।
उधर, लेफ्ट पार्टियों का कहना है कि वे आम आदमी पर कोई भी नया बोझ डालने का विरोध करेंगे। वैसे, अभी इस बारे में हमसे बातचीत नहीं की गई है। विपक्षी बीजेपी का मानना है कि वोट बैंक की राजनीति के कारण यह नौबत आई है। इसी के कारण तेल कंपनियों का दिवालिया निकल रहा है।
एनबीटी से बातचीत में पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी कि आम आदमी पर कम से कम भार डाला जाए। यही कारण है कि तेल कंपनियों को करीब 24 हजार करोड़ रुपये के ऑयल बॉन्ड्स जारी किए जा रहे हैं। एक्साइज और कस्टम ड्यूटी घटाने का प्रस्ताव है। इसी के आधार पर जीओएम फैसला लेगा।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि ड्यूटी कट पर मंत्रालय से अभी कोई बातचीत नहीं हुई है। संभव है जीओएम की बैठक में कोई प्रस्ताव आए, तब मंत्रालय से सुझाव मांगा जाए। अगर ऐसा हुआ तो दाम बढ़ाने का फैसला जीओएम की अगली बैठक में ही हो पाएगा। हालांकि, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ड्यूटी कट की मांग पहले ही खारिज कर चुके हैं। अभी पेट्रोल और डीजल पर 7.5 फीसदी की कस्टम ड्यूटी और 6 फीसदी की एक्साइज ड्यूटी लगती है।
तेल कंपनियां हर हालत में प्राइस राइज चाहती हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि कंपनियों को पेट्रोल की खुदरा बिक्री पर प्रति लीटर 8.74 रुपये का और डीजल पर 9.92 रुपये का घाटा हो रहा है। इंडियन ऑयल के चेयरमैन सार्थक बहुरिया कहते हैं कि सिर्फ पेट्रोल-डीजल बेचने पर तेल कंपनियों को सालाना घाटा 70 हजार करोड़ रुपये से ऊपर जा चुका है। पॉलिसी यह है कि पेट्रोलियम उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय कीमत के अनुसार बेचा जाएगा। सरकार को इसी नीति पर चलना चाहिए।
लंदन से सीपी तक प्रॉपर्टी में बस आपकी मनॉपली
पहले जहां प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने के लिए आपके पास लाखों-करोड़ों रुपए होना आवश्यक था वहीं अब प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट आप 'रीयल इस्टेट म्यूच्युअल' फंड की मार्फत कुछ हजार रुपए से में कर सकते हैं। आइए जानते हैं मार्केट के हॉट रीयल्टी फंड के बारे में।
रीयल इस्टेट म्यूच्युअल फंड रीयल एस्टेट में इन्वेस्ट करते हैं ताकि इन्वेस्टर्स को इस असेट क्लास का बेनिफिट मिल सके। अगर अंडरलाइंग असेट की बात करें तो यह उस टर्म में दूसरे फंड से काफी अलग है।
रीयल इस्टेट फंड कई तरह के हो सकते हैं लेकिन उनका लक्ष्य एक ही होता है। सभी रीयल इस्टेट फंड रीयल इस्टेट वेंचर में इन्वेस्ट करते हैं। इनमें वे कंपनियां हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होती है, फंड जो कि स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो या डेवेलपर्स में डायरेक्टली इन्वेस्ट किया जाता है। इसके अलावा ये बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एसपीवी में भी इनवेस्ट करते हैं।
भारत में इस फंड की शुरूआत आईएल एंड एफएस माइलस्टोन फंड के लॉन्च होने के साथ हुई। इस फंड को इन्वेस्टर्स ने हाथों-हाथ लिया। लेकिन इसका मिनिमम इन्वेस्टमेंट दस लाख रुपए होने के कारण यह छोटे निवेशकों की पहुंच से दूर रहा। फंड के बारे में माइलस्टोन के मैनेजिंग डायरेक्टर वेदप्रकाश आर्य कहते हैं, 'देश के आर्थिक विकास में रीयल इस्टेट सेक्टर की मुख्य भूमिका है और यही कारण है कि नया कॉन्सेप्ट होने के बावजूद हमें अच्छा रेस्पॉन्स मिला। हम छोटे निवेशकों को बहुत जल्द ही इस सेक्टर का फायदा दिलाने के लिए कुछ नया करेंगे।'
गौरतलब है कि जेपी मॉरगन द्वारा पिछले दिनों पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार इंडिया का रीयल इस्टेट सेक्टर ग्रोथ के लिए सबसे उचित अवसर मुहैया करवा रहा है। इस सेक्टर की ग्रोथ के फंडामेंटल ड्राइवर्स अपनी समुचित जगह पर हैं।
जेपी मॉरगन एशिया पेसिफिक इक्विटी रिसर्च ग्रुप ने रिपोर्ट में कहा है कि 2,02,100 करोड़ रुपए की यह इंडस्ट्री सालाना 9 परसेंट की दर से बढ़ेगी और यह आंकड़ा 2011 तक 3,63,980 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
इंडिया आरईआईटी के रमेश जोगानी का कहना है कि रीयल इस्टेट सेक्टर में बढ़ रही डिमांड के लिए अतिरिक्त फंडिंग की जरूरत है और रीयल इस्टेट में प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टमेंट 2010 तक 7 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू लेगा।
इंडियन इन्वेस्टर्स के लिए इस फंड की अहमियत बताते हुए बीएनपी परिबस म्यूच्युअल फंड के एमडी टीपी रमन कहते हैं, 'ग्रोइंग इकोनॉमी में इनवेस्टमेंट के डायवर्सिफिकेशन के लिए रीयल इस्टेट फंड एक अच्छा विकल्प है। चूंकि यह ग्रोइंग सेक्टर है इसलिए पोटेंशल रिटर्न भी देगा। जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर व अन्य ग्रोइंग थीम में इन्वेस्टर्स ने पाया।
आईएनजी ग्लोबल रीयल इस्टेट फंड के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर विनीत के. वोरा बताते हैं कि चूंकि ये फंड आईजीआरईएसएफ में इन्वेस्ट करेगा और यह 4 बिलियन डॉलर का यूएस फंड है जो दुनियाभर में तीन एवेन्यू में इनवेस्ट करता है, इसलिए यदि निवेशक का पैसा 100 सिक्युरिटीज में है तो समझिए कि हर सिक्युरिटी में 30-50 प्रॉपर्टी हैं। मतलब हर इन्वेस्टर का 3000 प्रॉपर्टीज में असेस होगा।
एक्सपोजर के बारे में पूछने पर आईसीआईसीआई रीयल इस्टेट म्यूच्युअल फंड के देवेन संधोई कहते हैं, 'रीयल इस्टेट ग्रोथ स्टोरी है। हाउसिंग डिमांड बढ़ रही जबकि सप्लाई काफी कम है। बढ़ती आय व रेंटल आधारित ईएमआई के कारण लोग किराए पर घर लेने की बजाए खरीदना पसंद कर रहे हैं। यही सब बातें 3 से 5 साल तक इस सेक्टर की डिमांड को गर्म रखेंगी।'
अगर आप रीयल इस्टेट में इनवेस्ट करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको लाखों रुपए की जरूरत होती है। यदि इनवेस्ट करने के लिए लाखों रुपए हैं तो भी हो सकता है आपको अनक्लियर लैंड टाइटल्स से दो-चार होना पड़े और इसके साथ इन्वेस्टमेंट की बोझिल प्रक्रिया और स्टैंप ड्यूटी तो है ही।
लेकिन अब रीयल इस्टेट म्यूच्युअल फंड आपको प्रॉपर्टी से जुड़ी इन आम समस्याओं से मुक्ति दिला सकता है। मतलब अब नरीमन पॉइंट से लगाकर विदेश में आप इस फंड की मार्फत प्रॉपर्टी में कहीं भी इन्वेस्ट कर सकते हैं।
कहां है रिस्क
यदि इंटरेस्ट रेट बढ़ता है तो रीयल इस्टेट की डिमांड में गिरावट आ सकती है।
रीयल इस्टेट म्यूच्युअल फंड रीयल एस्टेट में इन्वेस्ट करते हैं ताकि इन्वेस्टर्स को इस असेट क्लास का बेनिफिट मिल सके। अगर अंडरलाइंग असेट की बात करें तो यह उस टर्म में दूसरे फंड से काफी अलग है।
रीयल इस्टेट फंड कई तरह के हो सकते हैं लेकिन उनका लक्ष्य एक ही होता है। सभी रीयल इस्टेट फंड रीयल इस्टेट वेंचर में इन्वेस्ट करते हैं। इनमें वे कंपनियां हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होती है, फंड जो कि स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो या डेवेलपर्स में डायरेक्टली इन्वेस्ट किया जाता है। इसके अलावा ये बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एसपीवी में भी इनवेस्ट करते हैं।
भारत में इस फंड की शुरूआत आईएल एंड एफएस माइलस्टोन फंड के लॉन्च होने के साथ हुई। इस फंड को इन्वेस्टर्स ने हाथों-हाथ लिया। लेकिन इसका मिनिमम इन्वेस्टमेंट दस लाख रुपए होने के कारण यह छोटे निवेशकों की पहुंच से दूर रहा। फंड के बारे में माइलस्टोन के मैनेजिंग डायरेक्टर वेदप्रकाश आर्य कहते हैं, 'देश के आर्थिक विकास में रीयल इस्टेट सेक्टर की मुख्य भूमिका है और यही कारण है कि नया कॉन्सेप्ट होने के बावजूद हमें अच्छा रेस्पॉन्स मिला। हम छोटे निवेशकों को बहुत जल्द ही इस सेक्टर का फायदा दिलाने के लिए कुछ नया करेंगे।'
गौरतलब है कि जेपी मॉरगन द्वारा पिछले दिनों पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार इंडिया का रीयल इस्टेट सेक्टर ग्रोथ के लिए सबसे उचित अवसर मुहैया करवा रहा है। इस सेक्टर की ग्रोथ के फंडामेंटल ड्राइवर्स अपनी समुचित जगह पर हैं।
जेपी मॉरगन एशिया पेसिफिक इक्विटी रिसर्च ग्रुप ने रिपोर्ट में कहा है कि 2,02,100 करोड़ रुपए की यह इंडस्ट्री सालाना 9 परसेंट की दर से बढ़ेगी और यह आंकड़ा 2011 तक 3,63,980 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।
इंडिया आरईआईटी के रमेश जोगानी का कहना है कि रीयल इस्टेट सेक्टर में बढ़ रही डिमांड के लिए अतिरिक्त फंडिंग की जरूरत है और रीयल इस्टेट में प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टमेंट 2010 तक 7 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू लेगा।
इंडियन इन्वेस्टर्स के लिए इस फंड की अहमियत बताते हुए बीएनपी परिबस म्यूच्युअल फंड के एमडी टीपी रमन कहते हैं, 'ग्रोइंग इकोनॉमी में इनवेस्टमेंट के डायवर्सिफिकेशन के लिए रीयल इस्टेट फंड एक अच्छा विकल्प है। चूंकि यह ग्रोइंग सेक्टर है इसलिए पोटेंशल रिटर्न भी देगा। जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर व अन्य ग्रोइंग थीम में इन्वेस्टर्स ने पाया।
आईएनजी ग्लोबल रीयल इस्टेट फंड के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर विनीत के. वोरा बताते हैं कि चूंकि ये फंड आईजीआरईएसएफ में इन्वेस्ट करेगा और यह 4 बिलियन डॉलर का यूएस फंड है जो दुनियाभर में तीन एवेन्यू में इनवेस्ट करता है, इसलिए यदि निवेशक का पैसा 100 सिक्युरिटीज में है तो समझिए कि हर सिक्युरिटी में 30-50 प्रॉपर्टी हैं। मतलब हर इन्वेस्टर का 3000 प्रॉपर्टीज में असेस होगा।
एक्सपोजर के बारे में पूछने पर आईसीआईसीआई रीयल इस्टेट म्यूच्युअल फंड के देवेन संधोई कहते हैं, 'रीयल इस्टेट ग्रोथ स्टोरी है। हाउसिंग डिमांड बढ़ रही जबकि सप्लाई काफी कम है। बढ़ती आय व रेंटल आधारित ईएमआई के कारण लोग किराए पर घर लेने की बजाए खरीदना पसंद कर रहे हैं। यही सब बातें 3 से 5 साल तक इस सेक्टर की डिमांड को गर्म रखेंगी।'
अगर आप रीयल इस्टेट में इनवेस्ट करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको लाखों रुपए की जरूरत होती है। यदि इनवेस्ट करने के लिए लाखों रुपए हैं तो भी हो सकता है आपको अनक्लियर लैंड टाइटल्स से दो-चार होना पड़े और इसके साथ इन्वेस्टमेंट की बोझिल प्रक्रिया और स्टैंप ड्यूटी तो है ही।
लेकिन अब रीयल इस्टेट म्यूच्युअल फंड आपको प्रॉपर्टी से जुड़ी इन आम समस्याओं से मुक्ति दिला सकता है। मतलब अब नरीमन पॉइंट से लगाकर विदेश में आप इस फंड की मार्फत प्रॉपर्टी में कहीं भी इन्वेस्ट कर सकते हैं।
कहां है रिस्क
यदि इंटरेस्ट रेट बढ़ता है तो रीयल इस्टेट की डिमांड में गिरावट आ सकती है।
निवेश के लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस की मदद लें
निवेश
सभी करते हैं, लेकिन इसका मैक्सिमम फायदा वही लोग उठा पाते हैं, जो बेहतर समझबूझ के साथ निवेश करते हैं। बेहतर समझबूझ का मतलब है, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) की मदद लेना। आइए इस बारे में विस्तार से बात करते हैं:
पैसे कमाना मुश्किल भरा काम है, लेकिन उनका इन्वेस्टमेंट करने में भी कम उलझन नहीं है। सही निवेश के जरिए आप अपने पैसे पर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं। पर मेहनत की गाढ़ी कमाई का यदि गलत जगह पर निवेश हो जाए तो आपकी माली हालत पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है। आज बाजार में कई तरह के इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स मौजूद हैं। इनमें से सही प्रॉडक्ट की पहचान और अपने मनमाफिक निवेश करने की सहूलियत तलाशना जाहिर तौर पर टेढ़ी खीर है। आज की आपाधापी भरी जिंदगी में लोगों के पास वक्त की बेहद कमी रहती है। ऐसे में निवेश के गणित के लिए वक्त निकालना मुमकिन नहीं होता। इतना ही नहीं, एक आम निवेशक बाजार की बारीकियों को भी बखूबी नहीं समझता। लिहाजा उसे एक ऐसी सर्विस की दरकार है जो उसकी जरूरतों और सीमाओं को समझते हुए निवेश की बेहतर तरकीब बताए। इस मामले में म्यूचुअल फंड (एमएफ) एक हद तक निवेशकों की जरूरतों पर खरे उतरते हैं। एमएफ हाउसों के फाइनैंशल एक्सपर्ट निवेशकों के पैसे को बाजार के हालत के हिसाब से इनवेस्ट करते हैं। पर कई बार फंड हाउसों के इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव और उनकी स्ट्रैटिजी बहुत अच्छी नहीं होती और यह इनवेस्टर को सूट नहीं करती। ऐसे में उनके लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) बेहद मददगार साबित हो सकती है।
क्या है पीएमएस
पीएमएस फंड मैनेजमेंट सर्विस है। इनमें काम करने वाले प्रफेशनल्स को इन्वेस्टमेंट की गहरी समझ होती है। इसी समझ के इस्तेमाल की बदौलत ये निवेश के बेहतर गुर बताते हैं। आज बैंक, स्टॉक ब्रोकिंग हाउस, रिसर्च हाउस, म्यूचुअल फंड हाउस और प्राइवेट कंपनियां आदि पीएमएस सर्विस मुहैया करते हैं। वे शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड आदि में निवेश की तरकीब इन्वेस्टर्स को देते हैं।
पीएमएस का इस्तेमाल कैसे करें
सबसे पहले आपको पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस देने वाली कंपनियों को अप्रोच करना होगा। पोर्टफोलियो या फंड मैनेजर आपसे बातचीत के जरिए आपके रिस्क प्रोफाइल का जायजा लेगा। यानी वह यह पूछेगा कि आप किस हद तक रिस्क लेने की स्थिति में हैं। आपसे बातचीत के बाद मैनेजर आपके लिए इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो तैयार करेगा। यह पोर्टफोलियो आपकी जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जाएगा। यानी इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो आपके स्टॉक सेलेक्शन और प्रेफरेंस के हिसाब से तैयार किया जाएगा। आप किस तरह के स्टॉक में निवेश करना चाहते हैं? या उस निवेश में आने वाले रिस्क को झेलने को आप तैयार हैं? निवेश के जरिए आपको किस तरह का रिटर्न मिलेगा? क्या ये सारी चीजें आपको सूट करती हैं? इन तमाम सवालों पर बातचीत के बाद आपका इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो तैयार किया जाएगा। म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में बुनियादी अंतर यह है कि म्यूचुअल फंड हाउस किसी खास फंड के लिए एक तरह की स्ट्रैटिजी तय करते हैं जबकि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में हर खास निवेशक की दिलचस्पी, सीमाओं और क्षमताओं को ध्यान में रखकर उसका इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो तैयार किया जाता है।
रिटेल इन्वेस्टर के लिए भी रास्ता
पहले कंपनियां सिर्फ बड़े निवेशकों और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस देती थीं। पर अब कंपनियों ने अपनी स्ट्रैटिजी बदल ली है। उन्होंने अपना पोर्टफोलियो साइज कम कर दिया है। अब 5 लाख रुपये तक के निवेश के लिए भी पीएमएस उपलब्ध है।
कितनी तरह की पीएमएस
पीएमएस दो तरह की होती है। डिस्क्रिशनरी और नॉन-डिस्क्रिशनरी। डिस्क्रिशनरी प्लान के तहत आप खुद यह तय करते हैं कि आपको अपना पैसा कहां लगाना है और कहां नहीं। या फिर निवेश की गई राशि को हटाना है या नहीं। पर नॉन-डिस्क्रिशनरी प्लान के तहत पोर्टफोलियो मैनेजर को इस बात की छूट होती है कि वह आपका पैसा किस तरह से निवेश करे। यह तय करना आपके हाथों में होता है कि आप कौन सा प्लान चुनते हैं डिस्क्रिशनरी या नॉन-डिस्क्रिशनरी।
पीएमएस की प्रक्रिया
स्टेप 1: आपको सबसे पहले पीएमएस के लिए जरूरी कागजात भरकर देने होंगे। इनमें पीएमएस अग्रीमेंट फॉर्म, नो योर क्लाइंट फॉर्म आदि को भरकर देना पड़ता है।
स्टेप 2: आपको पीएमएस फर्म या कंपनी के पास एक पीएमएस अकाउंट खोलना होगा। आपको डीमैट अकाउंट और एक बैंक अकाउंट भी खोलना होगा। डीमैट और बैंक अकाउंट आपको उन्हीं बैंकों में खोलने होंगे, जिनके साथ आपके पीएमएस प्रोवाइर का करार है। हर पीएमएस प्रोवाइडर का करार अलग-अलग ब्रोकरेज फर्म्स और बैंकों के साथ होता है।
स्टेप 3: जब आपका सारा पेपर वर्क पूरा हो जाता है, तो आपको निवेश की राशि अपने पोर्टफोलियो मैनेजर के पास जमा करानी होगी। आपने जिस प्लान को चुना है, आपको उसी के हिसाब से राशि जमा करनी होगी। हर पीएमएस फर्म अलग-अलग तरह के निवेशकों के लिए अलग-अलग तरह के प्लान तैयार करती हैं। यदि आपके पास पहले से किसी कंपनी के शेयर हैं तो आप उसे भी अपने डिपॉजिटरी अकांउट के जरिये पीएमएस फर्म को ट्रांसफर कर सकते हैं।
स्टेप 4: आप अपने रिस्क प्रोफाइल और कैश फ्लो से संबंधित जरूरतों से फंड मैनेजर को रूबरू करा सकते हैं। आप अपने इन्वेस्टमेंट प्रेफरेंस भी पोर्टफोलियो मैनेजर को बता सकते हैं।
स्टेप 5: पीएमएस प्रोवाइडर आपके पोर्टफोलियो में इन्वेस्ट करता है और आपको पोर्टफोलियो की परफॉपमेंस की जानकारी लगातार देता रहता है।
स्टेप 6: आपको अपने पीएमएस अकाउंट से फंड की निकासी की छूट होती है। इसके लिए आपको पीएमएस फर्म को फंड की निकासी की वाजिब वजह बतानी होगी। फिर आप पीएमएस फर्म को नोटिस देकर फंड की निकासी कर सकते हैं।
फी स्ट्रक्चर
पीएमएस फर्म्स आपको दी जाने वाली सेवाओं के बदले आपसे पैसे लेती हैं। मोटे तौर पर हर पीएमएस फर्म का अपना फी स्ट्रक्चर होता है। फी स्ट्रक्चर दो तरह के होते हैं। ये हैं - फिक्स्ड और फिक्स्ड प्लस प्रॉफिट शेयरिंग। फिक्स्ड स्ट्रक्चर के तहत आपको सालाना अपनी पोर्टफोलियो साइज का 1 से 2।5 फीसदी के बीच पीएमएस फर्म को देना होगा। फिक्स्ड प्लस पोर्टफोलियो शेयरिंग स्ट्रक्चर के तहत आपको पीएमएस फर्म को सालाना अपनी पोर्टफोलियो साइज का 0।5 से 1।5 फीसदी के बीच देना होगा। इसके अलावा निवेश के जरिए होने वाले मुनाफे का बंटवारा निवेशक और पीएमएस फर्म मिलकर करते हैं।
सभी करते हैं, लेकिन इसका मैक्सिमम फायदा वही लोग उठा पाते हैं, जो बेहतर समझबूझ के साथ निवेश करते हैं। बेहतर समझबूझ का मतलब है, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) की मदद लेना। आइए इस बारे में विस्तार से बात करते हैं:
पैसे कमाना मुश्किल भरा काम है, लेकिन उनका इन्वेस्टमेंट करने में भी कम उलझन नहीं है। सही निवेश के जरिए आप अपने पैसे पर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं। पर मेहनत की गाढ़ी कमाई का यदि गलत जगह पर निवेश हो जाए तो आपकी माली हालत पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है। आज बाजार में कई तरह के इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स मौजूद हैं। इनमें से सही प्रॉडक्ट की पहचान और अपने मनमाफिक निवेश करने की सहूलियत तलाशना जाहिर तौर पर टेढ़ी खीर है। आज की आपाधापी भरी जिंदगी में लोगों के पास वक्त की बेहद कमी रहती है। ऐसे में निवेश के गणित के लिए वक्त निकालना मुमकिन नहीं होता। इतना ही नहीं, एक आम निवेशक बाजार की बारीकियों को भी बखूबी नहीं समझता। लिहाजा उसे एक ऐसी सर्विस की दरकार है जो उसकी जरूरतों और सीमाओं को समझते हुए निवेश की बेहतर तरकीब बताए। इस मामले में म्यूचुअल फंड (एमएफ) एक हद तक निवेशकों की जरूरतों पर खरे उतरते हैं। एमएफ हाउसों के फाइनैंशल एक्सपर्ट निवेशकों के पैसे को बाजार के हालत के हिसाब से इनवेस्ट करते हैं। पर कई बार फंड हाउसों के इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव और उनकी स्ट्रैटिजी बहुत अच्छी नहीं होती और यह इनवेस्टर को सूट नहीं करती। ऐसे में उनके लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) बेहद मददगार साबित हो सकती है।
क्या है पीएमएस
पीएमएस फंड मैनेजमेंट सर्विस है। इनमें काम करने वाले प्रफेशनल्स को इन्वेस्टमेंट की गहरी समझ होती है। इसी समझ के इस्तेमाल की बदौलत ये निवेश के बेहतर गुर बताते हैं। आज बैंक, स्टॉक ब्रोकिंग हाउस, रिसर्च हाउस, म्यूचुअल फंड हाउस और प्राइवेट कंपनियां आदि पीएमएस सर्विस मुहैया करते हैं। वे शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड आदि में निवेश की तरकीब इन्वेस्टर्स को देते हैं।
पीएमएस का इस्तेमाल कैसे करें
सबसे पहले आपको पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस देने वाली कंपनियों को अप्रोच करना होगा। पोर्टफोलियो या फंड मैनेजर आपसे बातचीत के जरिए आपके रिस्क प्रोफाइल का जायजा लेगा। यानी वह यह पूछेगा कि आप किस हद तक रिस्क लेने की स्थिति में हैं। आपसे बातचीत के बाद मैनेजर आपके लिए इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो तैयार करेगा। यह पोर्टफोलियो आपकी जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जाएगा। यानी इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो आपके स्टॉक सेलेक्शन और प्रेफरेंस के हिसाब से तैयार किया जाएगा। आप किस तरह के स्टॉक में निवेश करना चाहते हैं? या उस निवेश में आने वाले रिस्क को झेलने को आप तैयार हैं? निवेश के जरिए आपको किस तरह का रिटर्न मिलेगा? क्या ये सारी चीजें आपको सूट करती हैं? इन तमाम सवालों पर बातचीत के बाद आपका इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो तैयार किया जाएगा। म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में बुनियादी अंतर यह है कि म्यूचुअल फंड हाउस किसी खास फंड के लिए एक तरह की स्ट्रैटिजी तय करते हैं जबकि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में हर खास निवेशक की दिलचस्पी, सीमाओं और क्षमताओं को ध्यान में रखकर उसका इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो तैयार किया जाता है।
रिटेल इन्वेस्टर के लिए भी रास्ता
पहले कंपनियां सिर्फ बड़े निवेशकों और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस देती थीं। पर अब कंपनियों ने अपनी स्ट्रैटिजी बदल ली है। उन्होंने अपना पोर्टफोलियो साइज कम कर दिया है। अब 5 लाख रुपये तक के निवेश के लिए भी पीएमएस उपलब्ध है।
कितनी तरह की पीएमएस
पीएमएस दो तरह की होती है। डिस्क्रिशनरी और नॉन-डिस्क्रिशनरी। डिस्क्रिशनरी प्लान के तहत आप खुद यह तय करते हैं कि आपको अपना पैसा कहां लगाना है और कहां नहीं। या फिर निवेश की गई राशि को हटाना है या नहीं। पर नॉन-डिस्क्रिशनरी प्लान के तहत पोर्टफोलियो मैनेजर को इस बात की छूट होती है कि वह आपका पैसा किस तरह से निवेश करे। यह तय करना आपके हाथों में होता है कि आप कौन सा प्लान चुनते हैं डिस्क्रिशनरी या नॉन-डिस्क्रिशनरी।
पीएमएस की प्रक्रिया
स्टेप 1: आपको सबसे पहले पीएमएस के लिए जरूरी कागजात भरकर देने होंगे। इनमें पीएमएस अग्रीमेंट फॉर्म, नो योर क्लाइंट फॉर्म आदि को भरकर देना पड़ता है।
स्टेप 2: आपको पीएमएस फर्म या कंपनी के पास एक पीएमएस अकाउंट खोलना होगा। आपको डीमैट अकाउंट और एक बैंक अकाउंट भी खोलना होगा। डीमैट और बैंक अकाउंट आपको उन्हीं बैंकों में खोलने होंगे, जिनके साथ आपके पीएमएस प्रोवाइर का करार है। हर पीएमएस प्रोवाइडर का करार अलग-अलग ब्रोकरेज फर्म्स और बैंकों के साथ होता है।
स्टेप 3: जब आपका सारा पेपर वर्क पूरा हो जाता है, तो आपको निवेश की राशि अपने पोर्टफोलियो मैनेजर के पास जमा करानी होगी। आपने जिस प्लान को चुना है, आपको उसी के हिसाब से राशि जमा करनी होगी। हर पीएमएस फर्म अलग-अलग तरह के निवेशकों के लिए अलग-अलग तरह के प्लान तैयार करती हैं। यदि आपके पास पहले से किसी कंपनी के शेयर हैं तो आप उसे भी अपने डिपॉजिटरी अकांउट के जरिये पीएमएस फर्म को ट्रांसफर कर सकते हैं।
स्टेप 4: आप अपने रिस्क प्रोफाइल और कैश फ्लो से संबंधित जरूरतों से फंड मैनेजर को रूबरू करा सकते हैं। आप अपने इन्वेस्टमेंट प्रेफरेंस भी पोर्टफोलियो मैनेजर को बता सकते हैं।
स्टेप 5: पीएमएस प्रोवाइडर आपके पोर्टफोलियो में इन्वेस्ट करता है और आपको पोर्टफोलियो की परफॉपमेंस की जानकारी लगातार देता रहता है।
स्टेप 6: आपको अपने पीएमएस अकाउंट से फंड की निकासी की छूट होती है। इसके लिए आपको पीएमएस फर्म को फंड की निकासी की वाजिब वजह बतानी होगी। फिर आप पीएमएस फर्म को नोटिस देकर फंड की निकासी कर सकते हैं।
फी स्ट्रक्चर
पीएमएस फर्म्स आपको दी जाने वाली सेवाओं के बदले आपसे पैसे लेती हैं। मोटे तौर पर हर पीएमएस फर्म का अपना फी स्ट्रक्चर होता है। फी स्ट्रक्चर दो तरह के होते हैं। ये हैं - फिक्स्ड और फिक्स्ड प्लस प्रॉफिट शेयरिंग। फिक्स्ड स्ट्रक्चर के तहत आपको सालाना अपनी पोर्टफोलियो साइज का 1 से 2।5 फीसदी के बीच पीएमएस फर्म को देना होगा। फिक्स्ड प्लस पोर्टफोलियो शेयरिंग स्ट्रक्चर के तहत आपको पीएमएस फर्म को सालाना अपनी पोर्टफोलियो साइज का 0।5 से 1।5 फीसदी के बीच देना होगा। इसके अलावा निवेश के जरिए होने वाले मुनाफे का बंटवारा निवेशक और पीएमएस फर्म मिलकर करते हैं।
म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट सावधानी से करें
पिछले कुछ सालों में म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है। हालांकि इसके बारीक पहलुओं के बारे में जानकारी नहीं होने से कई बार इनवेस्टर्स काफी उलझन में पड़ जाते हैं। खासकर इस बाबत ट्रांजेक्शन के दौरान कई बार आप टैक्स संबंधी परेशानियों से रूबरू होते हैं। दरअसल म्यूचुअल फंड के ट्रांजेक्शन का दायरा काफी बढ़ चुका है और हर ट्रांजेक्शन को ट्रैक करना काफी मुश्किल है। इसके अलावा हर ट्रांजेक्शन के दौरान टैक्स का पचड़ा भी सामने आ खड़ा होता है।
अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें तो इन परेशानियों से निपटने में काफी हद तक सहूलियत मिलेगी।
पेश आनेवाली दिक्कतें
इनवेस्टर्स को सामान्यतया दो तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पहला जब किसी एमएफ स्कीम की खास योजनाओं का विलय होता है। ऐसी सूरत में किसी खास स्कीम के होल्डर को विलय के बाद की स्कीम में यूनिट आवंटित किए जाते हैं। इसके मद्देनजर टैक्स का मसला सामने आता है।
इसके अलावा सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) के दौरान भी इनवेस्टर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके तहत खास राशि को कर्ज संबंधी स्कीम से इक्विटी स्कीम में हर महीने ट्रांसफर की जाती है। इसका मकसद इनवेस्टर्स को रेग्युलर इनवेस्टमेंट का लाभ मुहैया कराना होता है। यहां फोकस रेग्युलर इनवेस्ट और लाभ पर होता है, लेकिन कई लोग यह बात भूल जाते हैं कि इसका प्रभाव इनवेस्टर्स द्वारा किए गए ऑरिजिनल इनवेस्टमेंट के टैक्स पर भी पड़ता है।
क्या होता है प्रभाव
स्कीमों के विलय और नई स्कीम से पहले की प्रक्रिया के बारे में भी गौर करना जरूरी है। इसके तहत सबसे पहले पुराने स्कीम के यूनिटों की बिक्री की जाती है। इसके तहत एक तय राशि पर वर्तमान यूनिटों का रिडंप्शन होता है। इसके बाद नई स्कीम में निश्चित भाव पर अडिशनल यूनिटों की खरीदारी की प्रक्रिया अपनाई जाती है। ज्यादातर इनवेस्टर्स को यह प्रक्रिया काफी आसान लगती है, क्योंकि उन्हें पुरानी यूनिटों के बदले नए यूनिट मिलते हैं। हालांकि इस प्रक्रिया में ऑरिजिनल यूनिट की बिक्री पर होनेवाले नफानुकसान भी टैक्स के दायरे में आता है। इक्विटी संबंधी स्कीम में बिक्री के वक्त ही सिक्युरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) देना पड़ता है। लॉन्गटर्म कैपिटल गेन जीरो होता है, जबकि शॉटटर्म कैपिटल गेन 10 फीसदी लगता है। एक इक्विटी स्कीम से दूसरे इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर के दौरान भी कई प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं। अगर इसमें शॉटटर्म गेन होता है, तो टैक्स लाइबलिटी इनवेस्टर को वहन करनी होगी। मसलन आपने 8 महीने पहले 22 रुपये की दर से 500 यूनिट खरीदें। अगर इस स्कीम का विलय किसी दूसरी स्कीम के साथ किया जाता है और एग्जिट प्राइस २५ रुपये प्रति यूनिट है, तो 1500 रुपये की शॉटटर्म कैपिटल गेन राशि पर 10 फीसदी टैक्स और सरचार्ज व सेस की राशि आपको अदा करनी होगी।
एसटीपी की उलझन
सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) में कई ट्रांजेक्शन के होने से कई बार इनवेस्टर्स उलझन में पड़ जाते हैं। ऐसी सूरत में कई बार इन्वेस्टर्स को पता नहीं चलता कि क्या हो रहा है। ऐसे मामलों में हर महीने इक्विटी संबंधी स्कीम को डेट (कर्ज) संबंधी स्कीम में ट्रांसफर किया जाता है। इसमें अगर इनवेस्टर लाभांश का विकल्प भी चुनते हैं, तो भी उनके नेट ऐसेट वैल्यू (एनएवी) में थोड़ा अंतर आ जाता है, क्योंकि इस स्कीम के तहत अर्जित आय का पूरा हिस्सा कभी भी इनवेस्टर्स को नहीं अदा किया जाता। ऐसी स्थिति में हर ट्रांजेक्शन में यूनिटों पर अर्जित आय टैक्स के लिहाज से अलग-अलग होती है।
अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें तो इन परेशानियों से निपटने में काफी हद तक सहूलियत मिलेगी।
पेश आनेवाली दिक्कतें
इनवेस्टर्स को सामान्यतया दो तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पहला जब किसी एमएफ स्कीम की खास योजनाओं का विलय होता है। ऐसी सूरत में किसी खास स्कीम के होल्डर को विलय के बाद की स्कीम में यूनिट आवंटित किए जाते हैं। इसके मद्देनजर टैक्स का मसला सामने आता है।
इसके अलावा सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) के दौरान भी इनवेस्टर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके तहत खास राशि को कर्ज संबंधी स्कीम से इक्विटी स्कीम में हर महीने ट्रांसफर की जाती है। इसका मकसद इनवेस्टर्स को रेग्युलर इनवेस्टमेंट का लाभ मुहैया कराना होता है। यहां फोकस रेग्युलर इनवेस्ट और लाभ पर होता है, लेकिन कई लोग यह बात भूल जाते हैं कि इसका प्रभाव इनवेस्टर्स द्वारा किए गए ऑरिजिनल इनवेस्टमेंट के टैक्स पर भी पड़ता है।
क्या होता है प्रभाव
स्कीमों के विलय और नई स्कीम से पहले की प्रक्रिया के बारे में भी गौर करना जरूरी है। इसके तहत सबसे पहले पुराने स्कीम के यूनिटों की बिक्री की जाती है। इसके तहत एक तय राशि पर वर्तमान यूनिटों का रिडंप्शन होता है। इसके बाद नई स्कीम में निश्चित भाव पर अडिशनल यूनिटों की खरीदारी की प्रक्रिया अपनाई जाती है। ज्यादातर इनवेस्टर्स को यह प्रक्रिया काफी आसान लगती है, क्योंकि उन्हें पुरानी यूनिटों के बदले नए यूनिट मिलते हैं। हालांकि इस प्रक्रिया में ऑरिजिनल यूनिट की बिक्री पर होनेवाले नफानुकसान भी टैक्स के दायरे में आता है। इक्विटी संबंधी स्कीम में बिक्री के वक्त ही सिक्युरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) देना पड़ता है। लॉन्गटर्म कैपिटल गेन जीरो होता है, जबकि शॉटटर्म कैपिटल गेन 10 फीसदी लगता है। एक इक्विटी स्कीम से दूसरे इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर के दौरान भी कई प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं। अगर इसमें शॉटटर्म गेन होता है, तो टैक्स लाइबलिटी इनवेस्टर को वहन करनी होगी। मसलन आपने 8 महीने पहले 22 रुपये की दर से 500 यूनिट खरीदें। अगर इस स्कीम का विलय किसी दूसरी स्कीम के साथ किया जाता है और एग्जिट प्राइस २५ रुपये प्रति यूनिट है, तो 1500 रुपये की शॉटटर्म कैपिटल गेन राशि पर 10 फीसदी टैक्स और सरचार्ज व सेस की राशि आपको अदा करनी होगी।
एसटीपी की उलझन
सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) में कई ट्रांजेक्शन के होने से कई बार इनवेस्टर्स उलझन में पड़ जाते हैं। ऐसी सूरत में कई बार इन्वेस्टर्स को पता नहीं चलता कि क्या हो रहा है। ऐसे मामलों में हर महीने इक्विटी संबंधी स्कीम को डेट (कर्ज) संबंधी स्कीम में ट्रांसफर किया जाता है। इसमें अगर इनवेस्टर लाभांश का विकल्प भी चुनते हैं, तो भी उनके नेट ऐसेट वैल्यू (एनएवी) में थोड़ा अंतर आ जाता है, क्योंकि इस स्कीम के तहत अर्जित आय का पूरा हिस्सा कभी भी इनवेस्टर्स को नहीं अदा किया जाता। ऐसी स्थिति में हर ट्रांजेक्शन में यूनिटों पर अर्जित आय टैक्स के लिहाज से अलग-अलग होती है।
Monday, 10 December 2007
क्या इस बार भी सैंटा क्लॉज रैली अच्छा रिटर्न देगी
1991 से यह देखा गया है कि हर साल दिसम्बर महीने ने इनवेस्टर्स को अच्छा रिटर्न दिया है। इस बार भी विश्लेषक इस सीजनल पैटर्न को लेकर काफी आशान्वित हैं। आइए जानते हैं इस सैंटा क्लॉज रैली के फंडामेंटल और इस रैली में इन्वेस्टर्स के लिए आकर्षक काउंटर्स।
विश्लेषकों के अनुसार अभी बाजार को 3 फैक्टर्स प्रभावित करेंगे। पहला है सीजनल पैटर्न, जो कि 28 नवम्बर को बाजार बंद होने तक काफी स्ट्रांग दिखाई दिया। ऐसा देखा गया है कि पिछले 9 सालों में दिसम्बर से फरवरी के बीच इनवेस्टर्स को औसत एन्यूलाइज्ड रिटर्न 40 प्रतिशत के आसपास मिला। दूसरा फैक्टर है लोकल सेंटिमेंट, जो कि काफी स्ट्रॉन्ग है। तीसरा कारण है, हो सकता है आने वाले दिनों में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती हो।
यही वह संभावित खबर है जिसके कारण इमरजिंग मार्केट में तेजी का ट्रेंड दिखाई दे रहा है। तकनीकी तौर पर देखें तो मार्केट रेंज बाउंड दिखाई दे रहा है और इसमें अच्छी खासी स्विंग दिखाई दे सकती है। यही कारण है कि डाउनसाइड जाने की बजाय इसके अपसाइड जाने के चांसेज ज्यादा हैं।
सेंटर फॉर इनवेस्टमेंट एज्युकेशन एंड लरनिंग की मैनेजिंग डायरेक्टर उमा शशिकांत का मानना है कि इस पॉइंट पर यदि इनवेस्टर्स के लिए कोई चिंता का कारण है तो वह है यूएस के क्रेडिट मार्केट की खराब होती स्थिति से वहां बढ़ रहा संकट। यदि यह निरंतर जारी रहा तो इमरजिंग मार्केट इससे प्रभावित होंगे। यह 2008 की शुरुआत में महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर साबित हो सकता है।
लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि जब तक फ्रेश मनी मार्केट में नहीं आती तब तक इस रैली को यथावत बनाए रखना मुश्किल है। पहले जो क्विक मनी हेज फंड के माध्यम से बाजार में आ रही थी उस पर सेबी द्वारा पी-नोट इश्यू पर दिए गए निर्णय से कमी आ गई है। इसलिए जरूरी है कि एफआईआई यदि अपनी मनी यहां से निकाल रहे हैं तो उसकी जगह डोमेस्टिक पार्टिसिपेशन का अनुपात बढ़े।
वहीं स्टैंडर्ड चार्टर्ड एमएफ के राजीव आनंद का मानना है कि मार्केट दिसम्बर में डाउनवर्ड बायस दिखाई दे सकता है। वे कहते हैं कि यूएस द्वारा रेट कट किए जाने से डॉलर का प्रवाह भारत में जारी रहेगा और रुपये का एप्रिसिएशन सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद रुकना मुश्किल होगा। जाहिर है बाजार तो ऊपर चढ़ेगा पर स्थानीय लेवल पर समस्याएं भी पैदा होंगी।
अब करें मिडकैप पर फोकस
विश्लेषकों का मानना है कि अब मिडकैप पर इनवेस्टर्स फोकस करें क्योंकि मिडकैप में इंफ्रास्ट्रक्चर व इंजीनियरिंग काउंटर पर काफी अच्छी स्टोरी है तथा इस समय पावर सेक्टर में लगी इक्विपमेंट सप्लाई करने वाली मिडकैप कंपनियों में भी काफी संभावना है। बाजार विश्लेषक सुभाष उदयपुरी का मानना है कि अब इंडेक्स पर ध्यान देने की बजाय मिडकैप पर ध्यान दें। क्योंकि फ्रंटलाइन में अच्छी सेलिंग आ रही है और इसमें अब उतना एप्रिसिएशन नहीं मिल सकता। वे कहते हैं कि मिडकैप में अभी काफी वैल्यूशन बाकी है और यही कारण है कि म्यूच्युअल फंड भी मिड कैप व स्मॉल कैप में बाइंग कर रहे हैं। दिसंबर में इंडेक्स नया राइज टच कर सकता है। मि कैप में डीएलएफ, ओमेक्स, एचडीआईएल, युनिटेक, पावरग्रिड, एनटीपीसी, सेंट्रल बैंक व एमटीएनएल में काफी संभावनाएं हैं।
हायर लेवल पर रेसिस्टेंस
विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में हायर लेवल (19500) के बाद रेसिस्टेंस आ सकता है और बाजार 18500 से 19500 के बीच अप एंड डाउन हो सकता है। जानकारों का कहना है कि यह कंसोलिडेशन बाजार के लिए काफी अच्छा साबित होगा।
पॉजिटिव हो सकता है दिसम्बर मूड
यदि 11 दिसम्बर को फेड रिजर्व एक बार फिर रेट में कटौती की घोषणा करता है तो यह सूचना रैली के लिए स्पार्क का काम कर सकती है। एशियन पीयर्स भी ग्रीन सिग्नल दे रहे हैं इसलिए दिसम्बर सेंसेक्स का सेंसेशन जारी रह सकता है।
विश्लेषकों के अनुसार अभी बाजार को 3 फैक्टर्स प्रभावित करेंगे। पहला है सीजनल पैटर्न, जो कि 28 नवम्बर को बाजार बंद होने तक काफी स्ट्रांग दिखाई दिया। ऐसा देखा गया है कि पिछले 9 सालों में दिसम्बर से फरवरी के बीच इनवेस्टर्स को औसत एन्यूलाइज्ड रिटर्न 40 प्रतिशत के आसपास मिला। दूसरा फैक्टर है लोकल सेंटिमेंट, जो कि काफी स्ट्रॉन्ग है। तीसरा कारण है, हो सकता है आने वाले दिनों में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती हो।
यही वह संभावित खबर है जिसके कारण इमरजिंग मार्केट में तेजी का ट्रेंड दिखाई दे रहा है। तकनीकी तौर पर देखें तो मार्केट रेंज बाउंड दिखाई दे रहा है और इसमें अच्छी खासी स्विंग दिखाई दे सकती है। यही कारण है कि डाउनसाइड जाने की बजाय इसके अपसाइड जाने के चांसेज ज्यादा हैं।
सेंटर फॉर इनवेस्टमेंट एज्युकेशन एंड लरनिंग की मैनेजिंग डायरेक्टर उमा शशिकांत का मानना है कि इस पॉइंट पर यदि इनवेस्टर्स के लिए कोई चिंता का कारण है तो वह है यूएस के क्रेडिट मार्केट की खराब होती स्थिति से वहां बढ़ रहा संकट। यदि यह निरंतर जारी रहा तो इमरजिंग मार्केट इससे प्रभावित होंगे। यह 2008 की शुरुआत में महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर साबित हो सकता है।
लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि जब तक फ्रेश मनी मार्केट में नहीं आती तब तक इस रैली को यथावत बनाए रखना मुश्किल है। पहले जो क्विक मनी हेज फंड के माध्यम से बाजार में आ रही थी उस पर सेबी द्वारा पी-नोट इश्यू पर दिए गए निर्णय से कमी आ गई है। इसलिए जरूरी है कि एफआईआई यदि अपनी मनी यहां से निकाल रहे हैं तो उसकी जगह डोमेस्टिक पार्टिसिपेशन का अनुपात बढ़े।
वहीं स्टैंडर्ड चार्टर्ड एमएफ के राजीव आनंद का मानना है कि मार्केट दिसम्बर में डाउनवर्ड बायस दिखाई दे सकता है। वे कहते हैं कि यूएस द्वारा रेट कट किए जाने से डॉलर का प्रवाह भारत में जारी रहेगा और रुपये का एप्रिसिएशन सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद रुकना मुश्किल होगा। जाहिर है बाजार तो ऊपर चढ़ेगा पर स्थानीय लेवल पर समस्याएं भी पैदा होंगी।
अब करें मिडकैप पर फोकस
विश्लेषकों का मानना है कि अब मिडकैप पर इनवेस्टर्स फोकस करें क्योंकि मिडकैप में इंफ्रास्ट्रक्चर व इंजीनियरिंग काउंटर पर काफी अच्छी स्टोरी है तथा इस समय पावर सेक्टर में लगी इक्विपमेंट सप्लाई करने वाली मिडकैप कंपनियों में भी काफी संभावना है। बाजार विश्लेषक सुभाष उदयपुरी का मानना है कि अब इंडेक्स पर ध्यान देने की बजाय मिडकैप पर ध्यान दें। क्योंकि फ्रंटलाइन में अच्छी सेलिंग आ रही है और इसमें अब उतना एप्रिसिएशन नहीं मिल सकता। वे कहते हैं कि मिडकैप में अभी काफी वैल्यूशन बाकी है और यही कारण है कि म्यूच्युअल फंड भी मिड कैप व स्मॉल कैप में बाइंग कर रहे हैं। दिसंबर में इंडेक्स नया राइज टच कर सकता है। मि कैप में डीएलएफ, ओमेक्स, एचडीआईएल, युनिटेक, पावरग्रिड, एनटीपीसी, सेंट्रल बैंक व एमटीएनएल में काफी संभावनाएं हैं।
हायर लेवल पर रेसिस्टेंस
विश्लेषकों का मानना है कि बाजार में हायर लेवल (19500) के बाद रेसिस्टेंस आ सकता है और बाजार 18500 से 19500 के बीच अप एंड डाउन हो सकता है। जानकारों का कहना है कि यह कंसोलिडेशन बाजार के लिए काफी अच्छा साबित होगा।
पॉजिटिव हो सकता है दिसम्बर मूड
यदि 11 दिसम्बर को फेड रिजर्व एक बार फिर रेट में कटौती की घोषणा करता है तो यह सूचना रैली के लिए स्पार्क का काम कर सकती है। एशियन पीयर्स भी ग्रीन सिग्नल दे रहे हैं इसलिए दिसम्बर सेंसेक्स का सेंसेशन जारी रह सकता है।
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