कोटा. हाईकोर्ट से असंवैधानिक घोषित होने के बावजूद वाणिज्यकर विभाग की ओर से एंट्री टैक्स वसूली के नोटिस जारी करने पर व्यापारियों ने गहरा रोष जताया है। व्यापारियों का कहना है राज्य सरकार जानबूझकर व्यापारियों को परेशान कर रही है, जबकि हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया है।
राज्य सरकार ने व्यापारियों को व्यापक सुविधाएं दिलाने के बदले 57 वस्तुओं पर एंट्री टैक्स लागू कर दिया। अगस्त तक इसकी वसूली भी की गई लेकिन, एक व्यापारी की याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा इस टैक्स को असंवैधानिक घोषित करने के बाद व्यापारियों ने इसे जमा कराना बंद कर दिया।
जैसे ही व्यापारियों को नोटिस मिले, उनमें गुस्सा फूट पड़ा। उनका कहना है कि जो भी टैक्स लिया जाएगा, इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। व्यापारिक संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। इसका निर्णय आने तक वाणिज्यिक कर विभाग को इस टैक्स की वसूली बंद कर देनी चाहिए। अधिकारियों को व्यापारियों पर भरोसा नहीं रहा। कई व्यापारियों ने एंट्री टैक्स की वसूली के नोटिसों के मामले में हाईकोर्ट में जाने की चेतावनी दी है।
हाईकोर्ट का निर्णय जोधपुर उच्च न्यायालय ने 21 अगस्त के दिनेश पाउचेज के मामले में एंट्री टैक्स को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार ने जिस उद्देश्य के लिए यह टैक्स लगाया था। उस मद में वसूल की गई राशि किसी अन्य मद में खर्च कर दी। इससे उद्देश्य पूरा नहीं हुआ, इसलिए एंट्री टैक्स कानून असंवैधानिक घोषित किया जाता है।
अब मामला सुप्रीम कोर्ट में
* 17 सिंतबर को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय पर स्टे के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की। वहां से हाईकोर्ट के निर्णय पर स्टे नही मिला। सुप्रीम कोर्ट ने पहले आदेश में वसूल हो चुके एंट्री टैक्स का रिफंड नहीं लौटाने को कहा।
* 23 अक्टूबर के ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने उन करदाताओं को राहत दी, जिन्होंने हाईकोर्ट से स्थगानादेश प्राप्त कर लिया है, उनसे एंट्री टैक्स की वसूली नहीं की जाए।
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