Thursday, 6 December 2007

रुपये की मजबूती ने हिलाया इंडस्ट्री का भरोसा

नई दिल्ली (वार्ता) : रुपये की मजबूती और ऊंची ब्याज दरों से उद्योग जगत का कारोबारी विश्वास अब हिलता नजर आने लगा है। फिक्की के एक सर्वे के मुताबिक उद्योगों का कारोबारी विश्वास पिछले 5 साल के न्यूनतम स्तर तक गिर चुका है।

उद्योग जगत को निर्यात वृद्धि दर मंद पड़ने और रुपये की लगातार मजबूत स्थिति से आर्थिक विकास की रफ्तार और धीमी पड़ने का खतरा नजर आने लगा है। निर्यात कारोबार की मंदी के साथ साथ अब उससे जुड़े दूसरे औद्योगिक क्षेत्रों और पूंजीगत सामान के कारोबार में भी मंदी आने लगी है।

फिक्की के ताजा व्यावसायिक विश्वास सर्वेक्षण के मुताबिक दूसरी तिमाही में सकल व्यावसायिक विश्वास सूचकांक 68.4 से घटकर पिछले 5 साल के न्यूनतम स्तर से घटकर 61.2 पर आ गया है।

सर्वेक्षण में पाया गया है कि उद्यमियों को निर्यात, निवेश, रोजगार और मुनाफा सभी क्षेत्रों में भारी मंदी नजर आने लगी है। अब तक रुपये की मजबूती का असर सिर्फ निर्यातोन्मुखी इकाइयों तक ही देखा जा रहा था। लेकिन अब निर्यात इकाइयों से जुड़े दूसरे उद्योगों का कामकाज भी प्रभावित होने लगा है।

सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले दिनों ऊंची ब्याज दरों से उपभोक्ता सामान के उद्योग में मंदी आई थी। लेकिन अब यह मंदी मध्यवर्ती और पूंजीगत सामान के उद्योगों तक पहुंच चुकी है। कच्चे माल की सप्लाई करने वाले उद्योग भी प्रभावित होने लगे हैं। बढ़ती लागत से कंपनियों के मुनाफे पर भी असर पड़ने लगा है। निर्यातक अब निर्यात बाजार को छोड़कर घरेलू बाजार की तरफ रुख करने लगे हैं जहां पहले से ही सामान बेचने वालों की भरमार है।

सर्वेक्षण के बारे में फिक्की की यहां जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि रिजर्व बैंक को आर्थिक स्थिति को देखते हुए नए सिरे से अपनी ऋण नीति की समीक्षा करनी चाहिए। सर्वेक्षण में कहा गया है कि केन्द्रीय बैंक को नीति की सख्ती कम करके इसमें उचित समायोजन करना चाहिए। दूसरे सरकार और रिजर्व बैंक को रुपये में और मजबूती को रोकना चाहिए। यदि इनमें से कोई भी प्रयास असफल रहता है तो उद्योग और ज्यादा मंदी में चले जाएंगे जिसकी भरपाई करनी फिर मुश्किल होगी।

फिक्की का यह सर्वेक्षण नवंबर महीने में किया गया। दूसरी तिमाही के इस सर्वेक्षण में एक करोड़ से लेकर 8,000 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली देशभर की 321 कंपनियों ने अपने विचार व्यक्त किए। इनमें सीमेंट, औषधि, कपड़ा एवं परिधान, चमड़ा, एफएमसीजी, भारी उपकरण एवं कलपुर्जे, मशीनरी, वित्तीय सेवाएं कागज, धातु और धातु उत्पाद, रसायन, आईटी, ऑटो एवं ऑटो सहायक और इस्पात क्षेत्र की कंपनियां शामिल थीं।

सर्वेक्षण का निष्कर्ष कहता है कि औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में काफी कुछ मंदी आ चुकी है और ऊंची ब्याज दरों और मजबूत रुपये के शुरुआती दौर से स्थिति आगे बढ़ चुकी है। इससे पहले के सर्वेक्षण में कहा गया था कि रुपये में आई अचानक मजबूती से निर्यातोन्मुखी इकाइयों पर गहरा असर पड़ा है लेकिन इस सर्वेक्षण में अब यह असर उन उद्योगों तक भी दिखाई पड़ा है, जो सीधे निर्यात कारोबार से नहीं जुड़ी हैं। इनमें कपड़ा मशीनरी निर्माता विशेष तौर पर प्रभावित हुए हैं।

1 comment:

Unknown said...

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