Monday, 10 December 2007

टॉप-3 जीएसएम कंपनियों ने मिलाया हाथ

नई दिल्ली : देश की टॉप-3 जीएसएम टेलिकॉम कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन एस्सार और आइडिया सेल्युलर ने आपस में हाथ मिलाकर एक स्वतंत्र टावर कंपनी बनाई है। इस कंपनी को इंडस टावर्स नाम दिया गया है। नई कंपनी के जरिये सभी टेलिकॉम कंपनियां आपस में इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग कर पाएंगी। तीनों कंपनियां इस कवायद के जरिये अपनी लागत में कमी करना चाहती हैं। नई कंपनी बनाने का मकसद टेलिकॉम कंपनियों के ऑपरेशंस के लिए ज्यादा कॉम्पिटिटिव वातावरण बनाना है।

कंपनियों द्वारा 16 सर्कलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग किया जाएगा। नई टावर कंपनी में भारती एयरटेल और वोडाफोन की 42-42 फीसदी हिस्सेदारी होगी। आइडिया सेल्युलर की 16 फीसदी हिस्सेदारी होगी। टावर शेयरिंग से जुड़े मैनेजमेंट और ऑपरेशन का काम पूरी तरह नई कंपनी देखेगी। नई कंपनी दूसरे वायरलेस सर्विस प्रोवाइडर और ब्रॉडबैंड सर्विस प्रोवाइडर के साथ भी इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग का करार करेगी।

तीनों कंपनियों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इसके तहत तीनों कंपनियां अपने मौजूदा टेलिकॉम टावर नई कंपनी को ट्रांसफर कर देंगी। भारती एयरटेल ने अलग से एक बयान में कहा है कि वह 16 सर्कलों में अपने 30 हजार टेलिकॉम टावर नई कंपनी को सौंप देगी। इसके मुताबिक इंडस टावर्स सभी टेलिकॉम सर्विस कंपनियों को बिना किसी भेदभाव के पैसिव इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विस उपलब्ध कराएगी। इसमें इमारतें, टावर, शेल्टर, बिजली सप्लाई और बैटरी बैकअप आदि शामिल हैं।

बयान में कहा गया है कि यह पैसिव इन्फ्रास्ट्रक्चर भागीदारी के बारे में सरकार के दृष्टिकोण और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों पर अमल की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे देश में मोबाइल सेवा कंपनियों के लिए कम लागत और ज्यादा कॉम्पिटिशन का माहौल बनेगा। इसका एक बड़ा फायदा टेलिकॉम सर्विस के खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में विस्तार में होगा।

इस वक्त एक टावर स्थापित करने पर 27 से 30 लाख रुपये तक की लागत आती है। भागीदारी से यह एक कंपनी के लिए काफी कम पड़ेगी। देश में इस वक्त करीब 1 लाख 80 हजार टेलिकॉम टावर हैं। अनुमान है कि 2010 तक 4 लाख टावर की जरूरत होगी।

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