Thursday, 6 December 2007

बैंक जमा पूंजी पर ब्याज दर बढ़ाएं: RBI

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों से जमा पूंजी पर ब्याज दरें बढ़ाने को कहा है। आरबीआई की पिछले दिनों हुई हाई लेवल मीटिंग में शामिल अधिकारियों ने एनबीटी को बताया कि बैंकों से कहा गया है कि इस महीने के अंत में होने वाले असेट-लाइबिलिटी मीटिंग (एएलएम) में अपने खर्चे की समीक्षा करने के बाद जमा पूंजी में ब्याज दरें बढ़ाने की गुंजाइश निकालने का प्रयास करें। वर्तमान में बैंक जमा पूंजी पर 7.5 से 9 फीसदी का ब्याज दे रहे हैं। इसके अलावा आरबीआई ने बाजार के हालात को देखते हुए साल 2007-08 के दौरान महंगाई की दर को 5 फीसदी तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है। आरबीआई पहले इसे 4.5 फीसदी तक रखने की बात कह रहा था।

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन का कहना है कि हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता महंगाई को नियंत्रण में रखने की है। इसके लिए जो भी मुनासिब होगा, कदम उठाए जाएंगे। महंगाई बढ़ने का मतलब है, पूरी अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगड़ना। इसलिए इस बारे में कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता।

सूत्रों के अनुसार बैंकों के पास लिक्विडिटी यानी धन की कोई कमी नहीं है। इसके बावजूद यह राय बनी कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए बाजार में मनी फ्लो को रोकना जरूरी है। पिछले दो सप्ताह से महंगाई की दर बढ़ रही है। इसको रोकने के लिए सरप्लस धन को बाहर निकालना व रोकना होगा। एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा समय में बाजार में करीब 35 हजार करोड़ रुपये का सरप्लस मनी है। मनी फ्लो की रफ्तार भी 20 फीसदी से बढ़ रही है।

दरअसल आरबीआई अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत बढ़ने से चिंतित है। अगर घरेलू बाजार में पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़े तो इसका असर सीधा बाजार पर पड़ेगा। ऐसे में बाजार व महंगाई को संभालना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए वह बाजार को संतुलन रखने के लिए मनी फ्लो कम करना चाहता है।

ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के प्रमुख अर्थशास्त्री चरणजीत सिंह का कहना है कि बैंकों ने यह साफ कर दिया है कि वे अपने बैलेंस शीट के अनुसार ब्याज दरों को घटाने या बढ़ाने का निर्णय करेंगे। अगर रिजर्व बैंक ने बैंकों से ऐसा कहा है तो निश्चित तौर पर वे इस पर विचार करेंगे। मगर अंतिम निर्णय वे अपनी वित्तीय रूपरेखा को देखकर ही करेंगे।

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