नई दिल्लीः कॉरपोरेट इंडिया के सीईओ भले ही अपने बिजनेस को संभालने में काफी माहिर हों, लेकिन इनमें से ज्यादातर तनावग्रस्त हालत में रहते हैं। एसोचैम के सर्वे में यह बात कही गई है।
सर्वे के मुताबिक, भारतीय कंपनियों के 68 फीसदी सीईओ तनाव और इससे जुड़ी अन्य बीमारियों पर काबू पाने में नाकाम रहे। सर्वे में शामिल कंपनियों का टर्नओवर 1 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है।
असोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री (एसोचैम) की ओर से सीईओ के तनाव दूर करने के उपायों पर किए गए एक सर्वेक्षण में चैंबर से सम्बद्ध प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के 400 सीईओ ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। इनमें से 128 सीईओ का कहना था कि वे योग, जिम, गोल्फ, साइक्लिंग एवं अन्य खेलों की सहायता से अपने तनाव को दूर करने में कामयाब रहे।
एसोचैम के अध्यक्ष वेणुगोपाल एन. धूत ने सर्वेक्षण जारी करते हुए कहा कि सुबह योग आदि के लिए समय निकालने वाले 50-65 साल की आयु वर्ग के कंपनी प्रमुखों ने अपने अन्य साथियों को अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने और संस्थाओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए योग आदि करने की सलाह दी है।
सर्वेक्षण में यह भी बात सामने आई कि 30-45 साल के कम आयु वर्ग के सीईओ 50-65 साल के सीईओ की अपेक्षा स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क हैं। कम आयु वाले सीईओ जिम जाते हैं और साइकल चलाने सहित अन्य व्यायाम करते हैं। कम आयु वाले सीईओ का कहना है कि व्यायाम आदि करने से उन्हें तनाव झेलने में सहायता मिलती है।
सर्वेक्षण में शामिल 68 फीसदी सीईओ का कहना था कि वर्तमान परिस्थितियों में महत्वाकांक्षी लक्ष्य को तय वक्त में हासिल करने का तनाव उन पर बहुत अधिक दबाव डालता है। इसके कारण उनकी डेली रुटीन भी प्रभावित होती है, जिसका सीधा प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। सर्वेक्षण के मुताबिक पूरे साल जबर्दस्त काम के दबाव के कारण इन सीईओ को योग एवं व्यायाम आदि कर तनाव दूर करने का समय नहीं मिल पाता।
धूत ने कहा कि सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि कम आयु वर्ग के सीईओ डॉक्टरों से सलाह लेने से बचते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि डॉक्टर उन्हें एंटीबायोटिक और अन्य दवाएं लेने की सलाह देते हैं, जिनका उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस आयु वर्ग के अधिकारी डॉक्टरों से उसी हाल में सलाह लेते हैं, जब उन्हें हाई ब्लडप्रेशर, डायबीटीज और अनिद्रा जैसी बीमारियों की शिकायत होती है।
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