Monday, 31 December 2007

गरीब भी संजो सकता है अच्छे इलाज का सपना

नई दिल्ली : देश का गरीब तबका भी आने वाले दिनों में बेहतर हेल्थकेयर का सपना संजो सकता है। अपोलो, मैक्स और एस्कॉर्ट्स जैसे बड़े प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने की उनकी हसरत भी अब पूरी हो पाएगी। सरकार उनके लिए इस तरह का इंतजाम करने की योजना बना रही है।

सरकार का इरादा गरीबों को हेल्थकेयर वाउचर देने का है। इस वाउचर का इस्तेमाल वे प्राइवेट अस्पतालों में मनी के तौर पर करेंगे। यानी प्राइवेट अस्पतालों की ओर से इलाज का खर्च मांगे जाने पर गरीब हेल्थकेयर वाउचर पेश करेंगे। बाद में अस्पताल इन वाउचरों को इनकैश करा पाएंगे। वाउचरों का पेमेंट सरकार या तो खुद करेगी या इसका जिम्मा सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त इंश्योरेंस कंपनियों को दिया जाएगा।

यूपी और झारखंड सरकार ने हाल ही में गरीबों को हेल्थकेयर वाउचर देकर इस तरह का पायलट प्रोजेक्ट चलाया था। पायलट प्रोजेक्ट का मतलब प्रयोग के तौर पर चलाए जाने वाले प्रोजेक्ट से है। दोनों राज्यों द्वारा चलाए गए पायलट प्रोजेक्ट कामयाब रहे थे। हरियाणा, कर्नाटक और केरल में भी आम लोगों तक हेल्थकेयर एक्सेस पहुंचाने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) और इंश्योरेंस स्कीमों का सहारा हाल ही में लिया था।

एक सरकारी अफसर ने बताया कि अगले कुछ सालों में इस तरह की स्कीमें देश भर में चलाई जाएंगी और देश की पूरी आबादी को इनके दायरे में लाया जाएगा। सरकार कुछ बड़े प्राइवेट अस्पतालों को मान्यता देगी। गरीब इन्हीं अस्पतालों में इलाज करा पाएंगे। कुछ इंश्योरेंस कंपनियों को भी सरकार की ओर से मान्यता दी जाएगी। हॉस्पिटल्स इन्हीं इंश्योरेंस कंपनियों से इलाज का खर्च हासिल करेंगे। बाद में सरकार इंश्योरेंस कंपनियों को रिफंड क्लेम कर देगी।

दरअसल, सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना में हेल्थकेयर रिफॉर्म का व्यापक खाका खींचा है। गरीबों को हेल्थकेयर वाउचर दिए जाने की योजना भी इसी प्रस्ताव के ब्लूप्रिंट का हिस्सा है। राज्य सरकारों ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी हामी भर दी है।

इस प्रस्ताव के ब्लूप्रिंट में कई और बातें भी है। इसके तहत सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों और नर्सों की सैलरी उनकी परफॉर्मेंस के आधार बढ़ाए या कम किए जाने की बात है। केंद्र और राज्य सरकार अपने अस्पतालों में परफॉर्मेंस पर आधारित कंपनसेशन पैकेज लागू करना चाहते हैं। यानी कामचोरी करने वालों या मरीजों की सही तरीके से देखभाल नहीं करने वाले डॉक्टरों और नर्सों की खैर नहीं। इसी तरह, मेहनती डॉक्टरों और नर्सों की तरक्की तय है। इस पूरी कवायद का मकसद सरकारी अस्पतालों की हालत का सुधारने का है।

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