Tuesday 18 December, 2007

भाजपा ने आर्थिक प्रगति रोकी-मनमोहन

हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के सोमवार को अंतिम दिन प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने राज्य में विकास के मामले में भाजपा के ट्रैक रिकॉर्ड की आलोचना की। उन्होंने भाजपा पर सरकार की आर्थिक उपलब्धियाँ हासिल करने में विफलता से लोगों का ध्यान हटाने के लिए धार्मिक, जातिगत और क्षेत्रीय मुद्दों को उठाने का आरोप लगाया।

सिंह ने यहाँ एक चुनावी रैली में कहा कि वर्ष 1966 में राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से जब-जब भाजपा सत्ता में आई प्रदेश की आर्थिक प्रगति अवरुद्ध हुई।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के पास विकास संबंधी उपलब्धियों को दिखाने के लिए कुछ नहीं है और वह अपना चुनाव प्रचार धार्मिक, जातिगत और क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित किए हुए है। प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि वह भाजपा के खोखेले वादों से मूर्ख नहीं बने।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के 1966 में गठन के बाद से कांग्रेस ने इस पहाड़ी प्रदेश के विकास के लिए ईमानदारी से काम किया है। इसी का परिणाम है कि विकास के लिहाज से अन्य हिंदी प्रदेशों के मुकाबले हिमाचल आज सबसे आगे खड़ा हैं।

उन्होंने कहा कि 40 साल पहले राज्य की केवल 20 फीसदी आबादी साक्षर थी। आज साक्षारता दर 90 फीसदी तक पहुँच गई हैं।

सिंह ने कहा कि कांग्रेस शासन में कठिन मेहनत और केंद्र की संप्रग सरकार की सहायता से हिमाचल प्रदेश पिछले साल 9.5 फीसदी विकास दर हासिल करने में सफल रहा। उन्होंने लोगों से राज्य की प्रगति जारी रखने के लिए कांग्रेस को फिर से सत्ता में लौटाने की अपील की।

उन्होंने कहा कि जब भी राज्य में कांग्रेस की सरकार रही प्रदेश में तीव्र गति से विकास हुआ लेकिन भाजपा के शासन काल में विकास की गति अवरुद्ध हुई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के नेतृत्व में संप्रग सरकार ने राज्य को पूरी सहायता प्रदान की है।

उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए कर अवकाश की छूट दी गई है। इसके अलावा उर्जा सड़क तथा प्रदेश के सभी 12 जिलों में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से आर्थिक विकास में मदद मिली है।

पिछले पाँच साल में हिमाचल प्रदेश में 27000 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। इससे तीन लाख नौकरियों का सृजन होगा।

सिंह ने कहा कि वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने राज्य में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और आईआईटी की स्थापना का ऐलान किया है। इसका मकसद राज्य में उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार करना है।

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